Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 4

Main Teri Heer – 4

Main Teri Heer
Main Teri Heer

गौरी के कहने पर मुन्ना ने लेम्प बैलून को जलाया और हवा मे छोड़ दिया। दोनों साथ साथ खड़े आसमान में जगमगाते उन बैलून्स को देखते रहे। दोनों का मन शांत था और चेहरे पर एक सुकून था। दोनों साथ में काफी खूबसूरत लग रहे थे। गौरी ने मुन्ना को देखा वह मासूमियत से आसमान की ओर देख रहा था गौरी उसके चेहरे को एकटक देखते रही और फिर अपनी ऐड़िया उठाकर अपने होंठो से मुन्ना के गाल को छू लिया , गौरी की इस हरकत पर मुन्ना का दिल धड़क उठा , उसने गौरी की तरफ देखा तो गौरी ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”थैंक्यू मेरे लिए इतना वक्त निकालने के लिए एंड थैंक्यू मेरी जिंदगी में आने के लिए”
गौरी ने इतने प्यार से कहा की मुन्ना का दिल किया अभी के अभी उसे अपने सीने से लगा ले , वह ऐसा कुछ करता इस से पहले ही उसका फोन बज उठा
“आई थिंक तुम्हे अब जाना चाहिए , हम फिर मिलेंगे”,गौरी ने मुस्कुरा के कहा
“तुम अकेले कैसे जाओगी ? हम तुम्हे छोड़ देते है”,मुन्ना ने कहा
“डोंट वरी मैं चली जाउंगी , वैसे भी आज मैंने तुम्हे बहुत परेशान किया अब और नहीं,,,,,,,,,,,,,,इसलिए तुम जाओ हम कल मिलते है”,गौरी ने प्यार से मुन्ना की आँखों में देखते हुए कहा
“हमे समझने के लिए तुम्हारा शुक्रिया , हमे किसी से मिलना है और वो यही पास वाले कॉफी शॉप में आने वाला है इसलिए हमे जाना होगा”,मुन्ना ने कहा
“हम्म्म्म कोई बात नहीं तुम जाओ , मैं भी जाती हूँ”,गौरी ने कहा और जाने के लिए पलट गयी , गौरी धीमे कदमो से आगे बढ़ रही थी और मुन्ना वही खड़े उसे देखता रहा। उसे महसूस हुआ की अब तक उसने गौरी से अपनी फीलिंग्स शेयर नहीं करके कही ना कही उसे हर्ट किया है। मुन्ना को अपने सीने में एक चुभन का अहसास होने लगा। उसने गौरी को आवाज दी,”गौरी,,,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी चलते चलते रुकी और पलटकर अपनी गर्दन उचकाई तो मुन्ना ने कहा,”अपना ख्याल रखना”
“तुम भी , बाय”,गौरी ने कहा और वहा से चली गयी। गौरी के जाने के बाद मुन्ना भी वहा से चला गया। मुन्ना उसी मॉल के बगल वाले कॉफीशॉप में आया। अंदर एक टेबल के पास एक लड़की बैठी थी मुन्ना उसकी तरफ बढ़ गया। लड़की के पीछे ही शीशे की दिवार थी जिस से बाहर सड़क और फुटपाथ का नजारा साफ दिखाई दे रहा था। मुन्ना आकर लड़की के सामने बैठा और कहा,”काशी तुमने हमे यहाँ क्यों बुलाया ? वो भी इतना अर्जेन्ट ?”
“मुन्ना भैया हमे आपसे कुछ बात करनी थी”,मुन्ना के सामने बैठी काशी ने कहा
मुन्ना काशी से मिलने आ रहा है ये बात उसने गौरी को नहीं बताई क्योकि वह जानता था अगर उसने गौरी को बताया तो गौरी उसके साथ आने की जिद करेगी और अभी काशी को उसके और गौरी के रिश्ते के बारे में भी नहीं पता था , साथ ही बिना ये जाने की काशी उस से क्या बात करने वाली है मुन्ना किसी तीसरे इंसान को शामिल करना नहीं चाहता था। मुन्ना ने काशी की तरफ देखा और कहा,”हाँ काशी कहो क्या बात है ?”
काशी मुन्ना पर बहुत भरोसा करती थी इसलिए उसने उसे अपने और शक्ति के बारे में बता दिया। मुन्ना ख़ामोशी से सब सुनता रहा , गौरी मुन्ना से मिलकर बहुत खुश थी वह ख़ुशी ख़ुशी घर जाने के लिए पैदल ही फुटपाथ पर चले जा रही थी। चलते हुए उसकी नजर अपने हाथ में पकडे मुन्ना के पर्स पर चली गयी। गौरी रुकी और कहा,”अरे मान का पर्स तो मेरे पास ही रह गया , उसे जरूरत पड़ सकती है मैं ये मान को दे आती हूँ”
गौरी वापस पलट गयी और मुन्ना की बताई जगह की तरफ जाने लगी। कुछ देर बाद गौरी कॉफी शॉप के बाहर पहुंची , वह अंदर जाती इस से पहले ही उसकी नजर अंदर बैठे मुन्ना पर चली गयी। मुन्ना किसी लड़की के साथ बैठा था जिसका चेहरा गौरी नहीं देख पाई। वह मुन्ना के सामने शीशे वाली दिवार के बाहर आकर खड़ी हो गयी। मुन्ना को किसी लड़की के साथ बैठा देखकर गौरी के चेहरे की मुस्कान उदासी में बदल गयी
गौरी नहीं जानती थी मुन्ना के साथ बैठी लड़की काशी है , एक पल को उसे लगा जैसे मुन्ना ने उस से सब झूठ कहा है। काशी से बात करते हुए मुन्ना ने जैसे ही शीशे के पार देखा उसकी नजरे सामने खड़ी गौरी से जा मिली गौरी की आँखों में नमी तैर गयी। मुन्ना से नजरे मिलते ही गौरी वहा से वापस जाने के लिए मूड गयी। गौरी को कोई ग़लतफ़हमी ना हो जाये सोचकर मुन्ना ने काशी को वही रुकने को कहा और खुद कॉफी शॉप से बाहर चला आया। मुन्ना ने गौरी को आवाज दी लेकिन गौरी ने नहीं सूना , मुन्ना ने आगे बढ़कर गौरी का हाथ पकड़कर उसे रोका और अपनी तरफ किया। गौरी की आँखों में नमी देखकर मुन्ना को एक चुभन का अहसास हुआ वह कुछ कहता इस से पहले ही गौरी ने उसके सामने अपना दुसरा हाथ कर दिया और कहा,”मुझे पता है तुम क्या कहने वाले हो ? अब तुम कहोगे की मैंने जो देखा वैसा कुछ भी नहीं था तुम बस केजुअल किसी से ऐसे मिलने आये थे,,,,,,,,,,,,,,,और तुम्हे लगेगा मैं तुम्हारी बात पर यकीन कर लुंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ मैं कर लुंगी क्योकि मैं तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ,,,,,,,,,,,,,,पर सच ये है की मुझे बहुत बुरा भी लग रहा है,,,,,,,,,,,,,,,तुम शायद ये सोचो की मैं तुम्हारी जासूसी कर रही हूँ तो ऐसा बिल्कुल नहीं है मैं बस यहाँ तुम्हे ये लौटाने आयी थी”
कहते हुए गौरी ने मुन्ना का पर्स उसके सामने किया और अपना हाथ छुड़ाकर जाने लगी। हालाँकि उसके दिल और दिमाग में इस वक्त काफी उथल पुथल मची थी। मुन्ना ने गौरी का हाथ एक बार फिर पकड़ा और उसके अपनी तरफ खींचा। गौरी बिल्कुल उसके सामने थी , उसके चेहरे से पता चल रहा था की वह मुन्ना को यहाँ ऐसे देखकर हर्ट हुई है।
“मुझे जाना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने इतना ही कहा की मुन्ना ने अपने होंठो को गौरी के होंठो पर रख दिया। उस वक्त मुन्ना को किसी की परवाह नहीं थी ना ही किसी का डर उसे इस वक्त सिर्फ गौरी की नम आंखें नजर आ रही थी जिनमे उसकी वजह से आँसू थे। गौरी हैरान थी उसने सोचा नही था मुन्ना ऐसा कुछ करेगा ये दूसरी बार था जब मुन्ना ने अचानक से गौरी को ऐसे किस किया था। रात का वक्त था , खुले आसमान के नीचे फुटपाथ पर खड़े मुन्ना और गौरी दुनिया से बेखबर एक दूसरे के आगोश मे थे। आसमान में उड़ते लेम्प बेलून , ठंडी हवाएं , लाइट्स की रौशनी उस वक्त और खुशनुमा बना रही थी।
कुछ देर बाद मुन्ना गौरी से दूर हटा और धीमी आवाज में कहा,”वो लड़की काशी है , हमारी जिंदगी में पहली और आखरी लड़की सिर्फ तुम हो , तुम्हे धोखा देने के बारे में सोच भी नहीं सकते,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“तुम बहुत बुरे हो , आई हेट यू”,सच्चाई जानकर गौरी ने चिढ़ते हुए कहा और जाने लगी तो मुन्ना ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खिंचा और गले लगाते हुए कहा,”आई लव यू टू”
“मैंने आई हेट यू कहा”,गौरी ने मुन्ना की बांहो मे से छूटने की कोशिश करते हुए कहा
“हम जानते है इस जन्म में तो तुम हमसे नफरत नहीं कर सकती , इसलिए ये आई हेट यू वाला प्लान अगले जन्म के लिए स्थगित कर दो”,मुन्ना ने कहते हुए गौरी के माथे को अपने होंठो से छू लिया। दूर खड़ी काशी ने दोनों को साथ देखा तो मुस्कुरा उठी।

मुंबई
निशि और वंश का आमना सामना हुआ तो दोनों में एक छोटी सी झड़प हो गयी। वंश को ट्रेफिक में मिलने वाली लड़की नवीन की बेटी निशि थी। निशि से हुयी झड़प के बाद वंश को नवीन के घर से जाने का मौका मिल गया। उसने अपना बैग लिया और घर से बाहर निकल गया। हालाँकि नवीन निशि के इस बर्ताव से काफी नाराज भी हुआ। उसे वंश की फ़िक्र हो रही थी , वह वंश को रोकने के लिए जैसे ही बाहर आया देखा वंश वहा से जा चुका है।
वंश ने नवीन के घर के सामने से गुजर रही टेक्सी रुकवाई और उसमे आ बैठा। उसने ड्राइवर से चलने को कहा और मुम्बई में रहने वाले अपने दोस्तों को फोन लगाया। एक दो ने तो वंश का फोन उठाया तक नहीं , वंश को अजीब लगा उसने फोन वापस जेब में रखते हुए कहा,”कोई दिक्कत नहीं मैं सीधा उन्हें उनके घर जाकर सरप्राइज दूंगा”
आधे घंटे बाद गाडी एक अपार्टमेंट के बाहर आकर रुकी। वंश ने टेक्सी वाले को पैसे दिए अपना बैग और सूटकेस लेकर नीचे उतर गया। वह ख़ुशी ख़ुशी अपार्टमेंट की तरफ आया तो वहा के गार्ड ने उसे रोक लिया।
“अरे चचा मेरा दोस्त रहता है यहाँ मैं उसी से मिलने आया हूँ”,वंश ने कहा
“क्या नाम है तुम्हारे दोस्त का ?”,गार्ड ने पूछा
“मेहुल वर्मा , इसी बिल्डिंग में रहता है”,वंश ने कहा
गार्ड ने रजिस्टर में चेक किया और कहा,”यहाँ इस नाम से कोई भी नहीं रहता है”
“अरे चच्चा ठीक से चेक करो , एड्रेस तो यही का बताया था उसने”,वंश ने कहा
“10 सालो से यही नौकरी कर रहा हू बेटा , तुम्हारी तरह कई लड़को ने ऐसे झूठ बोलकर अंदर जाने की कोशिश की है ,, इस बिल्डिंग में कोई वर्मा फेमिली नहीं रहती है”,गार्ड ने कहा
“ऐसा कैसे हो सकता है उसने तो मुझे यही का पता दिया था , आप एक मिनिट फिर से चेक कीजिये ना”,वंश ने बेचारगी से कहा
“तुम सिर्फ मेरा और अपना टाइम खराब कर रहे हो , अगर तुम्हारा दोस्त यहाँ रहता है तो उसे फोन करके नीचे बुलाओ और चले जाओ उसके साथ”,गार्ड ने अपनी कुर्सी पर बैठते हुए कहा
वंश ने अपना फोन निकाला और दोस्त का नंबर डॉयल किया। कुछ देर बाद मेहुल ने फोन उठाया और कहा,”हेलो हां वंश क्या हुआ ?”
“यार मैं तेरी बिल्डिंग के बाहर खड़ा हूँ और ये तेरा गार्ड मुझे अंदर आने नहीं दे रहा , एक काम कर तू नीचे आ और बता इन्हे की तू मुझे जानता है”,वंश ने कहा
“क्या कहा तू बिल्डिंग के बाहर है ? तूने मुझे बताया क्यों नहीं ? तू वही रुक मैं थोड़ी देर में आया”,कहकर मेहुल ने फोन काट दिया
वंश अपना बैग सम्हाले वही बाहर पड़ी बेंच पर आ बैठा और अपने दोस्त का इंतजार करने लगा , कुछ देर इंतजार करने के बाद उसने एक बार फिर मेहुल को फोन किया लेकिन इस बार मेहुल ने फोन नहीं उठाया वंश परेशान सा वही बैठा रहा। उसने अपने कुछ और दोस्तों को फोन किया लेकिन किसी ने बाहर होने की बात कही तो किसी ने खुद को बिजी बताया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और हल्की ठंड भी थी , वंश को अब अहसास हुआ की उसे इस वक्त नवीन के घर से नहीं आना चाहिए था। 10 बजे बाद गार्ड ने भी दरवाजा बंद कर दिया। वंश वही बेंच पर बैठा रहा मुंबई में वह किसी को नहीं जानता था और आस पास में कोई होटल भी नहीं था , वह उठा और सामने से गुजरती कैब को रुकवाकर उसमें बैठ गया और होटल चलने को कहा। उसके पास इतने पैसे तो थे की वह एक हफ्ता किसी होटल में रुक सके , नवीन के घर वह वापस जाना नहीं चाहता था और कॉन्ट्रेक्ट साइन होने तक उसे मुंबई में ही रुकना था। कैब वाले ने वंश को एक होटल के सामने छोड़ा और अपना भाड़ा लेकर चला गया। अपने सामान को लिए वंश होटल आया और रूम बुक करने को कहा। रिसेप्शनिस्ट ने उस से एडवांस मांगा वंश ने जैसे ही अपनी जींस के पॉकेट में हाथ डाला तो उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए। वह जल्दी जल्दी अपनी सभी जेबे चेक करने लगा उसका पर्स गायब था। वंश को याद भी नहीं आ रहा था की आखरी बार उसने उसे अपनी जेब में रखा था भी या नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वह घर से बाहर था ऐसे में उसका पर्स खो जाना उसके लिए एक नयी समस्या थी। वंश उतरा हुआ चेहरा लेकर वापस बाहर चला आया , फुटपाथ पर पड़ी बेंच पर आकर बैठ गया और खुद से कहा,”क्यों ना मुन्ना को फोन करू और उसे मेरे अकाउंट में कुछ पैसे भेजने को कहु ? नहीं नहीं ऐसा किया तो मुन्ना को शक हो जाएगा मैं किसी मुसीबत में हूँ। मुझे नवीन अंकल के घर से ऐसे नहीं आना चाहिए था , ऊपर से मेरा पर्स भी खो गया है और पैसे भी नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और मुझे भूख भी लगी है”
कहते हुए वंश को याद आया की आने से पहले नवीन की पत्नी ने उसे टिफिन दिया था। वंश ने जल्दी से अपना बैग खोला जिसमे ऊपर ही ऊपर वो टिफिन रखा था। वंश ने जैसे ही टिफिन खोला उसमे से गोभी के पराठो की खुशबु आयी जिसके बाद वंश खुद को रोक नहीं पाया और खाने लगा। खाते हुए वंश मुस्कुराने लगा , वह हमेशा अपने सोशल मीडिआ वाले दोस्तों के साथ बिजी रहता था लेकिन आज जब उसे उनकी जरूरत थी तो कोई उसके साथ नहीं था। मुंबई आकर उसे सबसे पहला सबक मिला था।
खाना खाकर वंश को थोड़ा अच्छा लगा उसका पर्स उसके पास नहीं था ऐसे में इतनी रात को वह कहा जाये ? जेब में भी बस कुछ छुट्टे नोट थे। वंश काफी देर तक वही बैठा सोचता रहा और फिर उठा अपना बैग और सूटकेस सम्हाला और कैब लेकर वापस नवीन के घर चला आया। वंश अपने फैसले पर शर्मिन्दा था उसने नवीन के घर के बाहर आकर डोरबेल बजायी। कुछ देर बाद नवीन ने दरवाजा खोला सामने वंश खड़ा था , उसे देखकर नवीन थोड़ा हैरान था वह वंश से कुछ कहता इस से पहले ही वंश बोल पड़ा,”अंकल मैं इसलिए वापस आ गया की क्योकि माँ आप पर बहुत भरोसा करती है , इसलिए तो उन्होंने मुझे आपके यहाँ भेजा ना अब अगर मैं ऐसे यहाँ से चला गया और माँ को पता चला तो उन्हें बुरा लगेगा , और मैं ये बिल्कुल नहीं चाहूंगा माँ आपको गलत समझे”
वंश ने कहा जबकि नवीन वंश की बातों को अच्छी तरह से समझ गया और कहा,”हम्म्म बात तो सही है”
“तो क्या मैं अंदर आ जाऊ , कॉन्ट्रेक्ट साईन होने तक मुझे यही रुकना पड़ेगा उसके बाद एक महीने के लिए मैं वापस बनारस चला जाऊंगा”,वंश ने कहा
“चलो अंदर आओ”,नवीन ने वंश का सूटकेट अंदर लेते हुए कहा , वंश ने राहत की साँस ली उसे लगा था जिस ऐटिटूड से वो घर छोड़कर बाहर गया नवीन उसे वापस नहीं आने देगा। नवीन ने वंश का सामान नीचे गेस्ट रूम में रखा और उसकी तरफ पलटकर कहा,”किसी चीज की जरूरत हो तो बताना और निशि ने जो कुछ भी कहा उसे दिल पर मत लेना बेटा”
“अरे नहीं अंकल कैसी बातें कर रहे है ? मैं ठीक हूँ और मुझे अभी बहुत नींद भी आ रही है”,वंश ने उबासी लेते हुए कहा
“ठीक है तुम आराम करो”,कहकर नवीन चला गया। उसके जाते ही वंश ने रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर आ गिरा , आज जितनी भाग दौड़ उसने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं की थी ,, वह बुरी तरह थक चुका और बिस्तर पर गिरने के कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी।

अगली सुबह वंश अंगड़ाई लेते हुए उठा , उसने अपना फोन देखा दोस्तों के मैसेज और मिस्ड कॉल्स थे। वंश ने मुंह बनाकर फोन साइड में रख दिया वह उठा और कमरे की खिड़की के पास चला आया खिड़की से परदे हटाए तो सूरज की रौशनी उसके चेहरे पर आ गिरी। वंश कुछ देर वही खड़ा रहा और फिर उसे कॉन्ट्रेक्ट पढ़ने का ख्याल आया। वह बिस्तर की ओर आया अपने बैग से पेपर्स निकाले और वही कमरे में घूमते हुए पढ़ने लगा। कुछ देर बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया तो वंश ने दरवाजा खोला सामने कॉफी लिए नवीन की पत्नी खड़ी थी। वंश ने दरवाजा खोल दिया और कॉफी लेकर उसे पीते हुए एक बार फिर कॉन्ट्रेक्ट को पढ़ने लगा। कॉफी पीते हाथ में पेपर सम्हाले वंश कमरे से बाहर चला आया। अपने कमरे से बाहर आती निशि ने वंश को घर में घूमते देखा तो नीचे चली आई और ऊँची आवाज में कहा,”लौट के बुद्धू घर को आये”
वंश ने जैसे ही सूना उसने निशि की तरफ देखा तो निशि मुंह बनाकर किचन की तरफ चली गयी। उसे देखते ही वंश को चिढ सी होने लगती थी उसने चिढ़ते हुए मन ही मन कहा,”अगर ये इस घर में नहीं होती तो मैं 2-3 महीने आराम से यहाँ रुक जाता”
उधर किचन में अपनी कॉफी कप में चम्मच घुमाते हुए निशि बड़बड़ाने लगी,”इस घर में तो मैं तुम्हे रुकने नहीं दूंगी मिस्टर , ये मुंबई है तुम्हारा बनारस नहीं अगर दो दिन में तुम्हारी छुट्टी नहीं की तो मेरा भी नाम निशि नहीं”

Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4 Main Teri Heer – 4

क्रमश – Main Teri Heer – 5

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