Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 27

Main Teri Heer – 27

Main Teri Heer
Main Teri Heer

वंश , सारिका , काशी , आई और अंजलि शॉपिंग करने निकल गए। दिनभर वंश उन्हें लेकर घूमता रहा उसने मुन्ना को फोन किया तो पता चला की वह भी शक्ति और अनु , मुरारी के साथ शॉपिंग पर निकला है। सगाई से पहले घरवालों ने काशी और शक्ति को एक दूसरे से मिलने के लिए मना किया था इसलिए दोनों ही अलग अलग शॉपिंग कर रहे थे। काशी ने सगाई में पहनने के लिए बहुत ही प्यारा सा लहंगा लिया और तुरंत उसकी फोटो शक्ति को भेज दी।
“अरे अरे जे किया शक्ति को फोटो काहे भेजी ?”,आई ने पूछा
“अरे आई सगाई से पहले हम दोनों मिल नहीं सकते , फोटो तो भेज सकते है ना,,,,,,,,,,,,,,,,,और जब तक हम फोटो नहीं भेजेंगे शक्ति मैचिंग के कपडे कैसे लेगा ?”,काशी ने कहा तो आई उसकी ओर झुकी और कहा,”अरे हम तो तुमरे बाबा को सादी के बाद देखे थे,,,,,,,,,,,,,पर उह भी का जमाना था”
“क्या बात है आई आप तो बड़ी रोमांटिक थी अपने ज़माने में,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,काशी ने मसखरी करते हुए कहा
“काशी तुम्हारी बातें हो गयी हो तो हम कुछ और कपडे देखे”,सारिका ने दोनों को खुसर पुसर करते देखकर कहा तो काशी और आई ने अपनी बातें बंद कर दी।
सारिका मुस्कुराने लगी। दोपहर का खाना सबने बाहर ही खाया। उधर घर में सगाई की तैयारी चल रही थी और सुबह से शिवम् 10 बार सारिका को फोन करके पूछ चुका था कौनसा बंदोबस्त कैसा करवाना है ? खरीदारी करते करते शाम हो चुकी थी और हमारे वंश बाबू तो अब तक बुरी तरह थक चुके थे। शाम में घर जाने से पहले सभी आरती देखने घाट चले आये। वंश जिसे घाट आना पसंद नहीं था वह बाहर गाड़ी में ही रुक गया , उसने गाड़ी में हल्का म्यूजिक चलाया थकान की वजह से उसकी आँख लग गयी और वह मस्त सो गया।
सभी घरवाले नीचे चले आये जहा माँ गंगा की आरती हो रही थी। भीड़ होने की वजह से सारिका आई के साथ ऊपर सीढ़ियों पर रुक गयी , काशी और अंजलि नीचे चली आयी। काशी ने एक दीपक लिया और उसे जलाकर अपनी हथेली में रख लिया। अंजलि भी उसके बगल में खड़ी थी। काशी तो पूरी तरह से गंगा माँ की आरती में खो चुकी थी। तभी उसके दांयी और खड़े शक्ति ने खांसने का नाटक किया। काशी ने अपने बगल में देखा अपने हाथ में पूजा का दीपक लिए शक्ति खड़ा था। उसे देखकर काशी का चेहरा खिल उठा। उसने सोचा नहीं था शक्ति यहाँ आएगा। उसने हैरानी से कहा,”तुम कब आये ?”
“वो बाद में पूछना पहले चलो इन्हे साथ साथ गंगा में प्रवाहित करते है”,शक्ति ने कहा
काशी ने सूना तो उसने पलटकर सारिका की तरफ देखा , सारिका काशी के मन का हाल समझती थी इसलिए उसने काशी को शक्ति के साथ जाने का इशारा कर दिया। काशी ख़ुशी ख़ुशी शक्ति के साथ आगे बढ़ गयी। अंजलि भी उनके साथ चली आयी ताकि दोनों के अच्छे अच्छे फोटो निकाल सके।
शक्ति और काशी दोनों ने एक साथ गंगा में दिप प्रवाहित किये। दोनों बहते हुए एक सीध में चले जा रहे थे और गंगा का पानी उनके पवित्र रिश्ते को सहमति प्रदान कर रहा था

शक्ति और काशी दिप प्रवाहित करके वापस अंजलि के पास आये तो अंजलि ने शक्ति की तरफ हाथ बढाकर कहा,”मेरा नाम अंजलि है और मैं आपकी इकलौती साली हूँ जीजाजी”
“तुम बहुत क्यूट हो”,शक्ति ने अंजलि से हाथ मिलाते हुए कहा
“आप भी बहुत हेंडसम है आपकी और काशी की जोड़ी बिल्कुल राम-सीता जैसी है,,,,,,,,,,,,,,किसी की नजर ना लगे ! बड़ी मामी जी और नानी माँ भी आये है वहा उपर है , चलिए”,अंजलि ने कहा
“अभी नहीं हम उनसे सगाई में मिल लेंगे,,,,,,,,,,,,,,,काशी हम चलते है मुन्ना बाहर हमारा वेट कर रहा होगा”,शक्ति ने कहा तो काशी ने मुस्कुराते हुए हामी में सर हिला दिया। शक्ति ने काशी का सर सहलाया और वहा से चला गया। उसके जाते ही अंजलि ने कहा,”जीजाजी तो बहुत सुंदर है काशी , और कितने अच्छे भी है”
“हाँ वो बहुत अच्छा है , अब चलो चलते है”,काशी ने कहा और अंजलि के साथ आगे बढ़ गयी। सभी घाट से बाहर निकल गए। काशी ने धीरे से सारिका को थैंक्यू बोला तो सारिका मुस्कुरा दी , जिन अहसासों से काशी अभी गुजर रही थी सालो पहले सारिका उनसे गुजर चुकी थी। गाड़ी के पास आकर सारिका ने देखा वंश बड़े ही आराम से गाड़ी में सो रहा है। सारिका को वंश पर प्यार आने लगा क्योकि आज पूरा दिन वह सबके साथ मार्किट जो घूम रहा था। उसने वंश को उठाया और साइड वाली सीट पर बैठने को कहा ताकि खुद गाड़ी चला सके। सारिका सबको लेकर घर पहुंची। सभी अपने अपने सामान के साथ अंदर चले गए और सारिका घर के पीछे वाले खाली मैदान की तरफ चली आयी जहा शिवम् सुबह से सगाई के लिए सभी अरेजमेंट्स करवा रहा था। आधे से ज्यादा काम हो चुका था। सारिका को देखते ही शिवम् उसकी तरफ चला आया। सारिका ने देखा गर्मी की वजह से शिवम् के माथे पर पसीने की बुँदे चमक रही है तो उसने अपनी साड़ी के पल्लू से शिवम् के माथे को पोछते हुए कहा,”बेटी की सगाई में इतना काम कर रहे है की अपनी परवाह भी नहीं है आपको”
“सरु काशी हमारी बेटी है उसकी सगाई में किसी तरह की कमी नही रहनी चाहिए इसलिए सब अपनी देख रेख में करवा रहे है। आप सब लोग मार्किट हो आये ?”,शिवम् ने पूछा
“हाँ सब आ गए , वंश की तो हालत खराब हो गयी,,,,,,,,,,,,,उसे इन सबकी आदत नहीं है”,सारिका ने कहा
“आदत पड़ जाएगी जब उसकी भी शादी होगी और उसे भी परेशान करने वाली कोई इस घर में आजायेगी”,शिवम् ने कहा
“मतलब हम आपको परेशान करते है”,सारिका ने प्यारभरी नजरो से घूरते हुए पूछा
“हां थोड़ा सा लेकिन हमे अच्छा लगता है,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा काशी को जो चाहिए था उसने लिया ना ?”,शिवम् ने फिर पूछा
“हाँ शिवम् जी , उसे जो चाहिए था वो सब लिया है उसने,,,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
“और आपने ?”,शिवम् ने कहा
“अगर हमारे पास आप है तो सब है”,सारिका ने प्यार से
शिवम् ने सूना तो कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”ऐसी बातें करके आप हमेशा हमे खामोश कर देती है , हम जानते थे आप ऐसा ही कुछ जवाब देगी इसलिए हमने आपके लिए कुछ मंगवाया है ,, हमारे कमरे में रखा है जाईये देखिये”,शिवम् ने कहा तो सारिका की आँखे ख़ुशी से चमक उठी। शिवम् ने सारिका की जिंदगी में कभी किसी चीज की कमी नहीं रखी हमेशा उसके मांगने से पहले ही लाकर दे दिया पर कभी कभी अचानक से यू तोहफे देना सारिका के मन में एक अलग ही अहसास जगा देता था। वह अंदर आयी और देखा बिस्तर पर एक बॉक्स रखा था। सारिका ने उसे खोलकर देखा उसमे लाल रंग की हरे बॉर्डर वाली बहुत ही खूबसूरत एक बनारसी साड़ी थी। सारिका ने उसे छूकर देखा वही अहसास वही सुकून जो पहली बार शिवम् की दी साड़ी पहनकर हुआ था। सारिका ने उसे उठाकर अपने कंधे पर रखा तो काशी ने अंदर आते हुए कहा,”वाह माँ ये साड़ी तो बहुत ही सुन्दर है , हमारी सगाई में आप यही पहनना आप इसमें बहुत सुन्दर लगेगी”
“हां पहनेगे क्यों नहीं आखिर तुम्हारे पापा की पसंद की जो है”,सारिका ने साड़ी को वापस बॉक्स में रखते हुए कहा
“माँ आप पापा से बहुत प्यार करती है ना ?”,काशी ने बिस्तर पर बैठते हुए पूछा
“हम्म्म”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा
“फिर तो पापा बहुत लकी है ना माँ क्योकि हम सब उनसे बहुत प्यार करते है,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे बाप रे हम तो भूल ही गए हम ना गौरी को फोन करके आते है”,कहते हुए काशी उठी और वहा से चली गयी
“इस लड़की की सगाई होने जा रही है लेकिन इसका बचपना अभी तक गया नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,इसे हमेशा खुश रखना महादेव”,सारिका ने कहा और बिस्तर पर रखे कपडे उठाकर कबर्ड में रखने लगी

इंदौर , मध्य प्रदेश
“प्रिया , ऋतू जल्दी चलो ट्रेन चलने वाली है”,गौरी ने अपना सूटकेस सम्हाले आगे बढ़ते हुए कहा
“हाँ हाँ चल रहे है , एक तो ये बैग इतने भारी है बाप रे,,,,,,,,,,,,!”,ऋतू ने अपना भारीभरकम बैग खींचते हुए कहा
“अब तुम दोनों आधा बैग सिर्फ मेकअप किट से भर लोगी तो वो भारी तो होगा ना , चलो रखो अपना बैग अंदर और ट्रेन में चढ़ो”,गौरी ने अपना बैग अंदर रखते हुए कहा। ऋतू और प्रिया भी अपना अपना बैग लेकर ट्रेन में चढ़ गयी। ट्रेन के चलने में अभी भी 2 मिनिट बाकि थे इसलिए गौरी सामने के स्टोर से पानी की बोतल लेकर आयी और ट्रेन में चढ़ गयी। तीनो अपनी सीट पर आकर बैठ गयी। ट्रेन चल पड़ी गौरी खिड़की से लगी सीट पर पैर पसारकर बैठ गयी , उसी सीट के दोनों तरफ ऋतू प्रिया ने अपनी अपनी सीटों पर कब्जा जमा लिया। ट्रेन चल पड़ी गौरी ने बोतल का ढक्कन खोला और दो घूंठ पानी पीकर बोतल वापस रख दी।
“ये काशी ने अचानक से सगाई क्यों प्लान कर ली ?”,ऋतू ने कहा
“उस लड़की के दिमाग का भी कुछ पता नहीं कब क्या कर बैठे ? वैसे उसे इतनी जल्दी इंगेज नहीं होना चाहिए था। अभी तो उसकी पढाई बाकि है और कितना कुछ करना है लाइफ में,,,,,,,,,,,,इंगेज होने के बाद वही फोन कॉल्स , मिलना जुलना , अपनी पर्सनल लाइफ तो जैसे रहती ही नहीं”,प्रिया ने कहा
”गाईज ऐसा कुछ भी नहीं , काशी जिस से प्यार करती है वो लड़का इंदौर में ACP है और ये सगाई काशी के घरवाले चाहते है इसलिए हो रही है। वैसे भी काशी को उसका प्यार मिल रहा है इस से ज्यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है।”,गौरी ने कहा।
“हाँ ये बात तो है , वैसे वहा मुन्ना भी है तो तुम उस से मिलकर सब शार्ट आउट कर लेना”,ऋतू ने कहा
“हाँ जैसे ये जाकर उस से पूछेगी और वो इसे बता देगा,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर कोई छोटी वजह होती तो मुन्ना ऐसा नहीं करता जरूर कोई बड़ी वजह होगी,,,,,,,,,,,,और सबसे पहले तो तुम्हे ये पता लगाना होगा की वो तुमसे प्यार करता भी है या नहीं ?”,प्रिया ने कहा
“वो करता है,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने कहा
“ऐसा तुम्हे लगता है , अगर करता तो वो तुम्हे ऐसे हर्ट नहीं करता अब सुनो मेरी बात बनारस जाकर तुम उसे बिल्कुल भाव नहीं दोगी , उलटा तुम उसे जलाओगी , उसे अहसास दिलाओगी की वो गलत है,,,,,,,,,,,,,,,,,फिर देखना वो कैसे आता है तुम्हारे पास ?”,प्रिया ने कहा
“और अगर वो फिर भी नहीं आया तो ?”,ऋतू ने बीच में बात काटते हुए कहा
प्रिया ने उसे घुरा और कहा,”तुम अपना मुंह बंद रखो , गौरी मेरी बात सुनो ऐसे मामले में दो ही बातें हो सकती है या तो मुन्ना की जिंदगी में कोई और लड़की है या फिर वो जानबूझकर तुम्हे इग्नोर कर रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब जैसा की मुन्ना है उसे देखकर लगता है उसकी जिंदगी में पहली और आखरी लड़की तुम ही थी , इसलिए दूसरी लड़की का तो सवाल ही पैदा नहीं होता बचा दुसरा ऑप्शन तो बस तुम्हे पता लगाना है की उसके पीछे वजह क्या है ?”, प्रिया ने कहा। गौरी को प्रिया की कही बातें कुछ कुछ समझ आ रही थी इसलिए उसने हाँ में सर हिला दिया।
“वाओ तुम तो लव गुरु बन गयी हो”,ऋतू ने कहा तो प्रिया हसने लगी और फिर तीनो दोस्त बैठकर सफर का मजा लेने लगी। ऋतू प्रिया ही कुछ ना कुछ कहते जा रही थी और गौरी बस खिड़की से बाहर देखते हुए मुन्ना के बारे में सोच रही थी।

सुबह वंश जल्दी उठ गया , उसे गौरी को लेने स्टेशन जो जाना था। वह तैयार होकर जैसे ही नीचे आया काशी ने कहा,”वंश भैया वो हमारी कुछ दोस्त आयी है स्टेशन पर क्या आप उन्हें लेने चले जायेंगे प्लीज ?”
“काशी वैसे तो मैं बहुत बिजी हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन तुम कहती हो तो चला जाता हूँ। क्या वो लोग पहुँच चुके है ?”,वंश ने अनजान बनते हुए पूछा हालाँकि वह तो खुद गौरी के लिए स्टेशन जाना चाहता था
“हाँ बस पहुँचने वाली है आप अभी निकलो”,कहते हुए काशी किचन की ओर चली गयी। वंश ने भी गाड़ी की चाबी उठायी और बाहर निकल गया। वंश गाड़ी में आकर बैठा और गाड़ी स्टार्ट करके वहा से निकल गया। वंश घर से कुछ ही दूर चला था की गाड़ी का टायर पंचर हो गया। वंश ने हताश होकर स्टेयरिंग पर हाथ मरा और गाड़ी से बाहर चला आया। उसने घडी में टाइम देखा और बड़बड़ाया,”अब तक तो गौरी पहुँच चुकी होगी , कहा मैं उस पर इम्प्रेशन ज़माने वाला था और कहा ये गाड़ी,,,,,,,,,,,,,,!!”
वंश अभी बड़बड़ा ही रहा था की तभी उसे सामने से अपनी जीप में मुन्ना आता दिखाई दिया। वंश ने उसे रोका और बगल में बैठते हुए कहा,”अच्छा हुआ तू आ गया चल अब जल्दी से स्टेशन चल”
“कोई आ रहा है क्या ?”,मुन्ना ने जीप घुमाते हुए पूछा
“हाँ , गौरी आ रही है”,वंश ने साइड मिरर में देखकर अपने बात ठीक करते हुए कहा। गौरी का नाम सुनते ही मुन्ना का दिल धड़कने लगा। काशी की सगाई में गौरी भी आएगी ये बात वह कैसे भूल गया ? मुन्ना ने एकदम से ब्रेक लगाया और कहा,”एक काम करो तुम ये जीप लेकर चले जाओ , हम पैदल चले जायेंगे”
“क्यों तुम मेरे साथ क्यों नहीं चल रहा ? ओह्ह अच्छा अच्छा तुम शायद हम दोनों के बीच नहीं आना चाहते,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा कुछ नहीं है मुन्ना अभी मैंने गौरी से अपने दिल की बात नहीं कही है तुम मेंरे साथ चल सकते हो वैसे भी तुम्हे अपनी होने वाली भाभी से मिलना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,हम्म्म अब ज्यादा भाव मत खाओ और चलो,,,,,,,,,,,चलो ना प्लीज”,वंश ने बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा
गौरी आ रही है ये जानकर ही मुन्ना की हालत खराब थी उस पर वंश उसे स्टेशन चलने को कह रहा था। वंश के साथ स्टेशन जाने के अलावा मुन्ना के पास कोई चॉइस भी नहीं थी इसलिए उसने ब्रेक से पैर हटाया और आगे बढ़ गया।

कुछ देर बाद दोनों स्टेशन पहुंचे। गौरी , ऋतू और प्रिया अपने अपने बैग्स लिए स्टेशन से बाहर ही खड़ी थी। गौरी को देखते ही मुन्ना का दिल धड़कने लगा। वह जीप से नीचे उतरा और वही खड़ा हो गया। गौरी ने मुन्ना को देखा तो उसके दिल को तसल्ली मिली की मुन्ना ठीक है , उसका दिल किया दौड़कर जाए और मुन्ना के गले लग जाये और उस पूछे की आखिर क्यों वह उसे इतना सता रहा है लेकिन गौरी ने अपनी भावनाओ को काबू में रखा। वंश मुस्कुराते हुए उन तीनो के पास चला आया। ऋतू और प्रिया ने हाथ हिलाकर वंश को हाय कहा , जवाब में वंश ने भी हाय कहा लेकिन उसकी नजरे तो गौरी पर थी। सादगी में भी गौरी कितनी अच्छी लग रही थी। प्रिया ने कुछ ही दूर खड़े मुन्ना को देखा तो उसे अपना प्लान याद आया और उसने गौरी को इशारा किया। गौरी ने एक नजर मुन्ना को देखा वह उसी की ओर देख रहा था। चूँकि प्रिया के प्लान के मुताबिक बनारस आकर गौरी को मुन्ना को जलाना था इसलिए उसने आगे बढ़कर वंश को गले लगाते हुए कहा,”कैसे हो वंश ?”
वंश की तो एक पल के लिए धड़कने ही रुक गयी , उसने सोचा नहीं था सुबह सुबह उसके साथ ऐसा कुछ होगा। मुन्ना ने जब देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा हालाँकि वंश था उसका भाई पर गौरी के करीब जाना उसे बर्दास्त नहीं हो रहा था इसलिए उसने नजरे घुमा ली। प्रिया और ऋतू की नजर मुन्ना पर ही थी उन्हें अपना प्लान सक्सेज होता नजर आ रहा था। गौरी वंश से दूर हटी वंश की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो चुकी थी। सबको अपना दीवाना बनाने वाला वंश आज गौरी की सामने खामोश खड़ा था

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