Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 10

Main Teri Heer – 10

Main Teri Heer
Main Teri Heer

दोपहर का सोया मुन्ना दिनभर सोता रहा शाम को फोन की घंटी से उसकी आँख खुली। अधखुली आँखों से ही मुन्ना ने फोन की स्क्रीन को देखा और कान से लगाते हुए कहा,”हेलो”
“ए मुन्ना कहा है तू कितने मैसेज किये तुझे कोई जवाब नहीं , मैंने सूना तुम और काशी बनारस आ चुके हो ?”,दूसरी तरफ से वंश ने चहकते हुए पूछा
“हाँ आज सुबह ही आये है , तुम कब तक पहुंचोगे ?”,मुन्ना ने सवाल किया।
“पहुंचूंगा नहीं पहुँच चुका 10 मिनिट में और तू मुझे लेने आ रहा है ना ?”,वंश ने पूछा
“हाँ हम आ जायेंगे”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है मिलते है फिर , बाय”,वंश ने कहा और फोन काट दिया
मुन्ना ने देखा शाम के 7 बज रहे थे। वह उठा और बाथरूम की तरफ चला गया उसने मुंह धोया और कपडे बदलकर कमरे से बाहर चला आया। मुन्ना को इस बात का आभास तक नहीं था की उसके पापा और गौरी के बीच कुछ बात भी हुई है। वह नीचे आया और अनु से बाहर जाने का कहकर निकल गया। मुन्ना जैसे ही अपनी जीप की तरफ बढ़ने लगा लॉन में बैठे मुरारी ने उसे आवाज दी। मुन्ना को देर हो रही थी लेकिन उसे फिर भी मुरारी की तरफ आना पड़ा और उसने आकर कहा,”हाँ पापा”
“कबसे चल रहा है जे सब ?”,मुरारी ने थोड़ा सख्त बनने की कोशिश करते हुए पूछा
“हम कुछ समझे नहीं ?”,मुन्ना ने हैरानी से कहा
“समझे तो हम भी नहीं , हमको पहले जे बताओ जे गौरीशंकर कउन है ?”,मुरारी ने मुन्ना की तरफ देखकर पूछा
मुन्ना का दिल धड़कने लगा लेकिन उसने अपने चेहरे के भाव ज्यों के त्यों रखे और कहा,”हमने उस दिन बताया था ना हमारा दोस्त है”
“ये तो हुआ झूठ अब बताओ सच का है ?”,मुरारी ने मुन्ना को घूरते हुए कहा
“यही सच है”,मुन्ना ने झूठ भी बड़ी सफाई के साथ कहा
“बेटा हमको एक्को बात बताओ इस उम्र में हम तुम्हे पेलते अच्छे लगेंगे ? नहीं ना,,,,,,,,,,,,,,,तो जे बताओ की चल का रहा है ?”,मुरारी ने मुन्ना को डपटते हुए कहा तो मुन्ना अंदर से थोड़ा घबरा गया क्योकि कोई भी लड़का दुनिया के सामने चाहे शेर बने या चीता अपने बाप के सामने वह हमेशा भीगी बिल्ली बन जाता है। मुन्ना को खामोश देखकर मुरारी ने कहा,”देखो बेटा आज के तुम्हारे फोन कॉल से जे बात तो तय है की तुम्हरी जिंदगी में आ चुकी है कोई कन्या अब जे बताओ इंदौर उन्ही से मिलने गए थे ?”
“जी,,,,,,,,,,,,नहीं हमारा मतलब हम अपने काम से गए थे”,मुन्ना ने पहले हाँ कहा और फिर गर्दन झुका ली
“बेटा बाप है हम तुम्हरे तुमरी रग रग से बाक़िफ़ है हम , तुम्हरी अम्मा को पता है जे सब के बारे में ?”,मुरारी आज फुल फॉर्म में था
“नहीं,,,,,,,,,,,हम बताने ही वाले थे,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने इतना ही कहा की मुरारी ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”कब शादी के बाद ?”
“पापा वो हम,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहना चाहा तो मुरारी उठा और मुन्ना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”देखो मुन्ना हम तुम्हरे बाप है इहलीये हमको तो तुम जे सब सफाई ना ही दो का है की तुम जिस स्कूल में अभी पढ़ रहे हो न , हम वहा से कबका ग्रेजुएशन कर चुके है और ये जो मोहतरमा है इनसे कहिये अपनी चंचलता थोड़ी कम करे , बाकि जानकर अच्छा लगा की तुम्हरी जिंदगी में फॅमिली और काम के अलावा भी कुछो इम्पोर्टेन्ट है”
मुन्ना बेचारा क्या कहता मुरारी की बातो से समझ गया की जरूर गौरी ने कुछ गड़बड़ की है। मुरारी मुन्ना से आगे कुछ कहता इस पहले ही मुन्ना का फोन बजा मुन्ना ने जेब से फ़ोन निकालकर देखा फोन वंश का था मुन्ना ने फोन काट दिया और मुरारी से कहा,”वो हमे वंश को लेने एयरपोर्ट जाना है , हम आपसे बाद में बात करे ?”
“हम्म्म ठीक है जाओ लेकिन जे मत समझना की बात यही खत्म हो गयी है”,मुरारी ने थोड़ा अकड़कर कहा तो मुन्ना ने धीरे से हाँ में गर्दन हिला दी और चला गया। मुन्ना ने आकर जीप स्टार्ट की और वहा से निकल गया। मुन्ना के जाते ही मुरारी की हंसी छूट गयी और वह हसने लगा।
मुरारी को हँसते देखकर किशना आया और कहा,”का बात है मालिक आप इतना हंस काहे रहे है ?”
“अरे मत पूछो किशना आज तो हमने मुन्ना की क्लास लगा दी , तुम उसकी शक्ल देखते ना कसम से मजा आ जाता”,मुरारी ने हँसते हुए कहा
“ऐसा क्या कर दिया मुन्ना भैया ने ? बेचारे वो तो इतने सीधे है की का बताये ? बाकी आप तो किसी की भी क्लास लगा दे मुन्ना भैया का चीज है”,किशना ने मुन्ना की तरफदारी करते हुए कहा
“बेटा एक बात बताओ तुमको तनख्वाह हम देते है की मुन्ना ?”,मुरारी ने किशना को घूरते हुए पूछा
“तनख्वाह तो आप ही देते है मालिक”,किशना ने झेंपते हुए कहा
“हाँ तो फिर इतना फ्रेंक होने की जरूरत नहीं है हमरे साथ , चलो जाओ अंदर जाओ”,मुरारी ने बेचारे किशना को गरियाते हुए कहा और किशना वहा से चला गया। मुरारी मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कभी कभी तो उसे मौका मिलता था मुन्ना को डांटने का,,,,,मुन्ना अपनी ही बातें याद करके एक बार फिर हंस पड़ा।

घर से निकला मुन्ना सीधा एयरपोर्ट पहुंचा वंश अपने सामान के साथ बाहर ही खड़ा था मुन्ना उसके पास आया तो वंश ने अपने हाथ पर बंधी घडी उसे दिखाते हुए कहा,”पुरे 10 मिनिट लेट हो तुम”
“अरे यार वो पापा ने रोक लिया था हमे , अब चलो गुस्सा मत करो”,मुन्ना ने कहा तो वंश उस से गले आ लगा और कहा,”मुंबई में मैंने तुम्हे बहुत मिस किया”
“चल चल रहने दे इतना ही मिस करता ना तो फोन करता हमे”,मुन्ना ने भी वंश के गले लगे हुए कहा
“अरे यार क्या बताऊ बहुत पंगे हुए वहा लेकिन मैंने किसी पर गुस्सा नहीं किया , किसी को पीटा नहीं और ड्रिंक को तो हाथ भी नहीं लगाया”,वंश ने कहा
“तू इतना कबसे सुधर गया ? वैसे अच्छा है बड़े पापा सुनेंगे तो ख़ुश हो जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,नवीन अंकल के घर सब ठीक रहा ना ?”,मुन्ना ने वंश का आधा सामान खुद उठाते हुए कहा
“सब अच्छा था अगर वो लड़की नवीन अंकल के घर नहीं होती तो मैं वहा एक महीना भी रुक जाता”,वंश ने बाकि सामान उठाते हुए कहा
“मतलब वहा भी लड़की , ये लड़किया तेरा पीछा इस जन्म में तो नहीं छोडेगी”,मुन्ना ने सामान पीछे रखकर हँसते हुए कहा
“नो वे उस लड़की के साथ रहना मतलब टॉर्चर और मैं जिंदगी में दोबारा कभी उस से मिलना नहीं चाहूंगा वो एक नंबर की घमंडी और पागल लड़की है”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा
“अच्छा ठीक है , चलो घर चलते है सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है”,मुन्ना ने जीप स्टार्ट करते हुए कहा। वंश उसके बगल में आ बैठा और दोनों वहा से घर के लिए निकल गए।

घाट के पानी में दीपक बहाते हुए शक्ति और काशी दोनों साथ में बड़े ही प्यारे लग रहे थे। भूषण राजन के दिल में आग लगाकर जा चुका था और कही ना कही वो आग राजन को अंदर ही अंदर जला रही थी। काशी और शक्ति को साथ देखना उस से बर्दास्त नहीं हुआ तो वह गुस्से में वहा से निकल गया। धीरे धीरे घाट पर भीड़ छटने लगी काशी और शक्ति वही सीढ़ियों पर बैठकर माँ गंगा के पानी को निहारने लगे। नौका वाले अपनी अपनी नावों को किनारे बांधकर वहा से जा रहे थे। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद शक्ति ने कहा,”हमे लगता है अब तुम्हे घर जाना चाहिए”
“क्यों हमारा यहाँ बैठना तुम्हे अच्छा नहीं लग रहा ?”,काशी ने शक्ति की ओर देखते हुए पूछा
“हमारा बस चले तो हम तुम्हे कही जाने ही ना दे,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने काशी की आँखों में देखते हुए कहा
शक्ति की बात सुनकर काशी का दिल धड़का और वह एकटक शक्ति को देखने लगी। ठंडी हवाएं चल रही थी और आसमान में चाँद चमक रहा था। काशी की तंद्रा टूटी तो उसने शक्ति से नजर हटाई और अपने पर्स से एक छोटा सा बॉक्स निकालकर शक्ति को देते हुए कहा,”ये तुम्हारे लिए”
शक्ति ने बॉक्स खोला उसमे एक बहुत ही प्यारी सी सिल्वर चैन थी जिसमे SK नाम का पेन्डेन्ट था। शक्ति ने उसे छूकर देखा और मुस्कुराने लगा
“कैसा है ?”,काशी ने पूछा
“बहुत अच्छा है और ये पहली बार किसी ने हमे तोहफा दिया है”,शक्ति ने नम आँखों के साथ कहा
“क्या इस से पहले कभी किसी ने तुम्हे गिफ्ट नहीं दिया ?”,काशी ने हैरानी से पूछा तो शक्ति ने ना में गर्दन हिला दी और कहने लगा,”माँ पापा के जाने के बाद हम अनाथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!” शक्ति इतना ही कह पाया की काशी ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”आज के बाद कभी खुद को अनाथ मत कहना”
शक्ति ने धीरे से काशी के हाथ को अपने मुंह हटाकर अपने हाथ में लेते हुए कहा,”तुम्हारे होते हम अनाथ नहीं हो सकते , क्या हम इसे पहन ले ?”
“हाँ बिल्कुल लाओ हम पहना देते है”,कहते हुए काशी ने शक्ति के हाथ से वो चैन लिया और खुद अपने हाथ से पहना कर कहा,”S मतलब शक्ति यानि तुम और K मतलब काशी यानि हम और अबसे हम तुम्हारे दिल के पास रहेंगे”
“तुम हमेशा से हमारे दिल के पास ही रही हो काशी”,शक्ति ने काशी का सर सहलाते हुए कहा
कुछ देर बाद शक्ति ने काशी से घर जाने को कहा क्योकि रात हो चुकी थी और ऐसे में काशी का बाहर घूमना सही नहीं था। काशी भी अपनी स्कूटी लेकर घर के लिए निकल गयी।

मुन्ना वंश को लेकर घर पहुंचा। वंश को देखते ही सारिका का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा आखिर अपने लाडले बेटे को वह इतने दिनों बाद जो देख रही थी। वंश सबसे आकर मिला और फिर वही घर के हॉल में बैठकर सब सामान बिखेरकर बैठ गया और जिसके लिए जो जो लेकर आया था वह सब उन्हें देने लगा। शिवम् अपने कमरे में था। वंश ने सबको तोहफे दिए। मुन्ना के लिए वह एक बढ़िया महंगी घडी लेकर आया था उसने उसे वही पहनने को कहा। वंश ने देखा सब वहा है लेकिन काशी कही नजर नहीं आ रही तो उसने सारिका से कहा,”माँ काशी कहा है ?”
“वो गंगा आरती के लिए गयी है अपनी दोस्त के साथ आती ही होगी”,सारिका ने कहा
“बड़ी माँ उसे अकेले क्यों जाने दिया हमे कहा होता हम लेकर चले जाते”,मुन्ना ने कहा
“चिल मुन्ना काशी अब बड़ी हो गयी है , वो अपना ध्यान रख सकती है”,वंश ने बेपरवाही से कहा
“हम खाना लगा देते है , मुन्ना तुम भी खाकर जाना”,सारिका ने कहा और किचन की तरफ चली गयी। वंश शिवम् के लिए एक तोहफा लेकर आया था उसने उसे उठाया और शिवम् की कमरे के सामने आकर दरवाजा नॉक किया।
“वंश अंदर आ जाओ”,शिवम् ने अपने हाथ में पकड़ी फाइल बंद करके उसे टेबल पर रखते हुए कहा
“पापा ये मैं आपके लिए लेकर आया हूँ”,वंश ने बॉक्स शिवम् की तरफ बढ़ा दिया। शिवम् ने बॉक्स खोलकर देखा उसमे क्रीम रंग का गोल्डन किनारे वाला एक गर्म शॉल था जैसा बाबा के पास था। शिवम ने देखा तो मुस्कुरा उठा उसे याद आया जब पहली बार उसने स्कूल से कुछ रूपये कमाए थे तब उसने बाबा के लिए पहली बार तोहफे में ऐसी ही शॉल ली थी। शिवम् को मुस्कुराते देखकर वंश ने पूछा,”आपको अच्छा लगा ?”
“बहुत खूबसूरत है , कैसा रहा तुम्हारा ऑडिशन ? किसी तरह की तकलीफ तो नहीं हुई ?”,शिवम् ने पूछा
“नहीं पापा नवीन अंकल और आंटी बहुत अच्छे है , मैं उन्ही के घर रुका और ऑडिशन भी अच्छा गया मैं सेलेक्ट हो गया ,, एक महीने बाद वापस जाना है”,वंश ने खुश होकर कहा। शिवम् वंश से मुंबई के बारे में बात करने लगा। वंश भी बेझिझक शिवम् को सब बता रहा था वहा के ऑडिशन , वहा की लाइफ और वहा के लोगो के बारे में,,,,,,,,,,,,,,बातो बातो में वंश ने महसूस किया की उसके पापा उतने भी सख्त नहीं थे जितना वह सोचता था। अपनी बातों पर शिवम् को हँसता देखकर वंश एकदम से उनके गले लगा और कहा,”थैंक्यू पापा , आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो”
“बस अब पूरी लग्न से अपने सपने पुरे करना”,शिवम् ने वंश की पीठ थपथपाते हुए कहा। दरवाजे पर खड़े मुन्ना ने दोनों को साथ देखा तो मुस्कुरा उठा और अंदर आते हुए कहा,”बड़ी माँ ने सबको बुलाया है”
शिवम् और वंश ने सूना तो दोनों मुन्ना के साथ कमरे से बाहर चले आये। सबने साथ बैठकर खाना खाया। खाना खाने के बाद मुन्ना जाने लगा तो वंश ने कहा,”ए मुन्ना थोड़ी देर रुको ना मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है”
“ठीक है बोलो क्या बात है ?”,मुन्ना ने कहा
“मुझे तुम्हे कुछ बताना है , कुछ बहुत ख़ास”,वंश ने अपनी आँखों में चमक भरते हुए कहा
“वैसे हमे भी तुम्हे कुछ बताना है”,मुन्ना ने कहा वंश के मुंह से ख़ास शब्द सुनकर मुन्ना को गौरी का ख्याल आया और उसे महसूस हुआ की उसे अब वंश को अपने और गौरी के बारे में सब बता देना चाहिए।
“अरे वाह फिर तो चल ऊपर चलते है”,कहते हुए वंश मुन्ना को साथ लेकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। दोनों ऊपर छत पर चले आये और वहा पड़े तख्ते पर आकर लेट गए। आसमान में तारो के बीच चाँद चमक रहा था दोनों ने अपने अपने हाथो को अपने सर के नीचे लगाया हुआ था और एकटक उस चाँद को देखे जा रहे थे। इस वक्त दोनों के मन में ना जाने कितने ही ख्याल आ जा रहे थे। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद दोनों ने एक साथ कहा – मुझे प्यार हो गया है,,,,,,,,,,हमे प्यार हो गया है।
दोनों ने जैसे ही सूना हैरानी एक दूसरे की तरफ देखने लगे और उठकर बैठ गए। दोनों एक दूसरे से पीठ लगाकर बैठे थे और दोनों के दिल तेजी से धड़क रहे थे। दोनों ने एक ही बात कही ये जानकर दोनों हैरान भी थे और खुश भी।
“मुझे यकीन नहीं हो रहा है तुझे किसी से प्यार हो गया है”,वंश ने कहा उसकी ख़ुशी उसके शब्दों से साफ झलक रही थी
“हमे भी यकीन नहीं हो रहा की तुम ये बात कह रहे हो”,मुन्ना ने कहा हालाँकि उसे अब भी लग रहा था की वंश उस से कोई मजाक कर रहा है
“ठीक है पहले तुम बताओ , कौन है वो लड़की जिसने तुम्हारे दिल में अपने लिए जगह बना ली ?”,वंश ने मुस्कराते हुए कहा
“नहीं पहले तुम बताओ कौन है वो लड़की जिसकी लिए तुमने खुद को इतना बदल लिया ? वो कोई ऐसे ही तो नहीं हो सकती”,मुन्ना ने कहा क्योकि वंश में आये बदलाव इस बार वो साफ देख रहा था
“एक काम करते है दोनों एक साथ उनका नाम लेते है”,वंश ने कहा
“हम्म्म ठीक है”,मुन्ना ने भी हामी भर दी
“ओके वन , टू , थ्री,,,,,,,,,,,,,,गौरी”,वंश ने कहा
“गौरी”,मुन्ना ने भी वही नाम लिया।
मुन्ना के मुंह से गौरी सुनकर वंश जहा हैरान था , वही वंश के नाम से गौरी सुनकर मुन्ना के चेहरे की ख़ुशी एकदम से गायब हो गयी और एक पल को जैसे उसके दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया हो।

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