Main Teri Heer – 36
Main Teri Heer – 36
मुंबई , रेलवे स्टेशन
नवीन , मेघना और निशि अपने अपने बैग के साथ स्टेशन पर किसी का इंतजार कर रहे थे। नवीन बार बार एंट्री गेट की तरफ देखता और कभी अपनी घडी को लेकिन वंश नहीं आया। नवीन ने अपने और मेघना के अलावा जो दो टिकट्स और करवाए थे और दरअसल निशि और वंश के लिये ही थे। निशि तो इंदौर जाने के ख्याल से ही खुश थी साथ ही वह वंश को भी इसके लिये थैंक्यू बोलना चाहती थी क्योकि उसी की वजह से नवीन ने निशि को अपने साथ इंदौर आने की परमिशन दी थी।
ट्रेन आ चुकी थी नवीन ने निशि और मेघना से अंदर चलने को कहा और खुद सबका सामान रखकर वापस बाहर आ गया। उसने एक बार फिर एंट्री गेट की तरफ देखा जहा से लोग आ जा रहे थे लेकिन वंश दिखाई नहीं दिया। थककर नवीन ने अपना फोन निकाला और वंश का नंबर डॉयल किया लेकिन हमेशा की तरह उसका फ़ोन बंद आ रहा था।
“ये लड़का इतना अजीब क्यों है ? जब मैं उसे बोल चुका हूँ कि ट्रेन शाम 7 बजे की है तो फिर वो वक्त से क्यों नहीं आया ?”,नवीन खुद में ही बड़बड़ाया। निशि ने खिड़की से बाहर देखा वंश अभी तक नहीं आया था उसने वंश का नंबर डॉयल किया लेकिन वंश का फ़ोन नहीं लगा। कुछ देर बाद ट्रेन चलने के लिये अपना हॉर्न दे चुकी थी , मेघना ने देखा ट्रेन चलने वाली है और नवीन अभी तक बाहर है तो वह दरवाजे पर आयी और नवीन से कहा,”नवीन बाहर क्या कर रहे हो चलो ट्रेन चलने वाली है।”
“मैं वंश का इंतजार कर रहा हूँ , सारिका मेम ने कहा था उसे अपने साथ लेकर आने के लिये लेकिन ये पता नहीं कहा गायब है। तुम चलकर बैठो मैं आता हूँ”,नवीन ने परेशानी भरे स्वर में कहा
मेघना वापस अंदर चली आयी। उसे परेशान देखकर निशि ने कहा,”क्या बात मॉम आप परेशान क्यों है ?”
“तुम्हारे डेड ने कहा वंश हमारे साथ जाने वाला है लेकिन वो अभी तक आया नहीं है और ट्रेन के चलने का वक्त भी हो गया , पता नहीं वो कहा होगा ?”,मेघना ने उदासी भरे स्वर में कहा
“शॉपिंग के बाद उसने कहा था वो घर जाकर अपना बैग पैक करेगा और आज शाम ही इंदौर जायेगा , कही वो घर जाकर सो तो नहीं गया”, निशि मन ही मन बड़बड़ाई और फिर मेघना से कहा,”क्या डेड ने उसे बताया था वो हमारे साथ जा रहा है।”
“आई थिंक हाँ , आज शाम ही नवीन की उस से बात हुई थी और उसने कहा वो हमारे साथ जायेगा लेकिन वो अभी तक स्टेशन नहीं पहुंचा , कही वो किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया,,,,,,,,,,!!”,मेघना को अब वंश की चिंता होने लगी
“ओह कम ऑन मम्मा , वो जैसा है उसके हिसाब से वो किसी मुसीबत में नहीं बल्कि वो खुद लोगो के लिये एक मुसीबत है”,निशि ने मुंह बनाकर कहा
“शट अप निशि , अगर तुम उसके लिये अच्छा नहीं कह सकती तो कम से कम बुरा भी मत कहो,,,,,,,,,,,,,,हर वक्त मजाक अच्छा नहीं होता , अगर वो सच में किसी मुसीबत में हुआ तो,,,,,,,,!!”,मेघना ने निशि को फटकार लगायी
“आई ऍम सॉरी,,,,,,,,,,,,,मैं उसे देखकर आती हूँ”,निशि को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने उठते हुए कहा
“निशि रुको ! कहा जा रही हो ट्रेन चल पड़ी है , वापस आओ”,मेघना ने कहा लेकिन तब तक निशि वहा से जा चुकी थी।
निशि दरवाजे पर आयी लेकिन तब तक ट्रेन धीरे धीरे चल चुकी थी। निशि ने देखा नवीन अभी भी नीचे खड़ा है तो वह चिल्लाई,”ओह्ह्ह डेड ! आप वहा क्या कर रहे है जल्दी आईये , ट्रेन चल रही है।”
नवीन ने देखा ट्रेन चलने लगी है तो वह जल्दी से ट्रेन में चढ़ा , तभी उसे एंट्री गेट से आते हुए वंश दिखाई दिया जिसके हाथ में कॉफी का बड़ा सा मग था , उसने पीठ पर बड़ा सा बैग टांगा हुआ था और वह कॉफी पीते हुए बड़े ही आराम से अंदर आ रहा था। नवीन ने देखा तो चिल्लाया,”वंश जल्दी करो , ट्रेन जा रही है।”
“ओह्ह्ह शीट,,,,,,,!!”,वंश खुद में ही बड़बड़ाया और ट्रेन की तरफ भागा लेकिन ट्रेन अब पहले से तेज हो चुकी थी। वंश भी ट्रेन के साथ साथ भागना लगा नवीन ने अपना हाथ वंश की तरफ बढ़ाया ताकि वह वंश की मदद कर सके। निशि बेचारी परेशान सी ये नजारा देख रही थी। वंश भी भागते हुए नवीन का हाथ पकड़ने की कोशिश कर रहा था और आख़िरकार वह नवीन का हाथ पकड़कर ट्रेन में चढ़ ही गया।
नवीन ने राहत की साँस ली और वंश हांफने लगा। निशि ने देखा वंश आ चूका है उसे भी तसल्ली मिली वह वंश से देर से आने की वजह पूछती इस से पहले ही वंश ने नवीन से कहा,”हाह थैंक गॉड , सही वक्त पर आपने राज बनकर सिमरन को बचा लिया”
“राज ? सिमरन ? अह्ह्ह्ह क्या बकवास है ये ?”,नवीन ने असमझ की स्तिथि में कहा
“राज , सिमरन , अरे DDLJ , खैर छोडो थैंक्स आपने मेरी मदद की,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“अहह तुम सच में अजीब हो”,इस बार नवीन और निशि दोनों ने साथ साथ कहा और वंश को दरवाजे पर छोड़कर अंदर चले गए।
वंश ने दरवाजे पर खड़े होकर पीछे छूटते स्टेशन को देखा और कहा,”राज नहीं आप बाउजी है जो एक दिन अपनी सिमरन का हाथ मेरे हाथ में देंगे,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह ये मेरे फ़िल्मी सपने , वैसे वो छिपकली इस स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने के लिये भागती हुई कैसी लगेगी ? हाहाहाहा सोचकर ही हंसी आ रही है”
वंश कितना भी सुधरने का ख्याल अपने दिमाग में लाये लेकिन निशि को लेकर उसके ये अजीबोगरीब ख्याल कभी नहीं बदलने वाले थे।
दोपहर के खाने के बाद बस शाम की चाय के लिये एक जगह रुकी , आधे लोग थकान की वजह से सो रहे थे और बाकि सब चाय पीने नीचे उतरे। फूफाजी भी बस से नीचे उतरे और दोपहर में खाने वाली बात को लेकर वे मुरारी से अभी तक नाराज थे इसलिये ना उन्होंने अपने लिये चाय आर्डर की ना ही किसी से कुछ कहा। बाबा ने देखा वे सबसे अलग बैठे है तो बाबा दो कप चाय लेकर उनके पास बैठ गए और कहा,”अरे क्या बात है भाईसाहब ! आप यहाँ अकेले बैठे है , लीजिये चाय पीजिये”
“अरे हमायी फ़िक्र किसे है ? हमको कभी किसी ने पूछा तक नहीं,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी मुरारिया लौंडे की सगाई फिक्स कर दिये बताया तक नहीं और बताया भी तो सीधा सगाई में चलने के लिये,,,,,,,,,,बताओ जे कोनो बात होती है ?”,फूफाजी ने भड़कते हुए कहा
“बात तो गलत है , पा का है ना भाईसाहब सब जल्दी जल्दी में हुआ जे के कारण किसी को खबर ना हुई,,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने फूफाजी को समझाते हुए कहा
“काहे ? कोनो कांड वांड कर दिये का मुन्ना ? का है कि जे मटके में गुड़ तो तबही फोड़ा जाता है,,,,,,,,,,,,जवान लौंडा है और मुरारिया कौनसा अपनी जवानी के दिनों में सरीफ रहे है,,,,,,,,,,,,,उनको को भूल गए,,,,,,,,,,,,,,,जिनके लिये नसें काटी जा रही थी जवानी के दिनों में,,,,,,,,,!!”,फूफाजी जी ने मुरारी के पन्ने उधड़ते हुए कहा
“श्श्श्श शांत हो जाईये कैसी बाते कर रहे है ? उह सब बीती बाते है और आपको का लगता है हमारा मुन्ना ऐसा लड़का है , अरे पुरे बनारस मा ओह के जैसा लड़का न मिलेगा आपको”,बाबा ने मुन्ना की तरफदारी करते हुए कहा
“अच्छा तो फिर बनारस में का लड़किया कम पड़ गयी थी जो मुन्ना के लिये इंदौर से दुल्हिन ला रहे है। अरे हम अपने जीजाजी की बिटिया का रिश्ता बताये रहे मुरारी को पर मुंह पर मना कर दिये रहय,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं आप बताओ का कमी थी गुड़िया बिटिया में ?”,फूफाजी जी ने अपने गुस्से की असल वजह जाहिर करते हुए कहा
“नहीं तो खूबी का रही उह मा ?”,एकदम से मुरारी की आवाज बाबा और फूफाजी के कानो में पड़ी दोनों ने देखा मुरारी हाथ में कुछ बिस्किट के डिब्बे लिये खड़ा था
“अरे एक खूबी हो तो बताये,,,,,,,,,,पर तुमको तो हमरा बताया रिश्ता करना नहीं था,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने गुस्से से कहा
“अरे फूफा ! काहे इतना परेशान हो रहे है , अब मुन्ना को इंदौर की लड़की पसंद आय रही तो इह मा हम और आप का सकते है ? ल्यो बिस्कुट खाओ चाय ठंडी होय रही है।”मुरारी ने पारले जी का एक डिब्बा फूफा के सामने रखते हुए कहा
दाल रोटी खाकर फूफाजी का पेट तो वैसे भी नहीं भरा था इसलिये चुपचाप बिस्कुट उठाया और फाड़कर जैसे ही एक बिस्कुट चाय में डुबोया मुरारी की आवाज फफजी के कानो में पड़ी
“पुच्च् पुच्च ए बिटवा जे ल्यो , खाओ खाओ”
फूफाजी ने पलटकर देखा पास ही खड़ा मुरारी एक मरियल से काले कुत्ते के सामने बिस्कुट डालकर उसे खाने के लिये बोल रहा था। फूफाजी ने हाथ में पकडे बिस्कुट को देखा , वे उसे खा पाते इस से पहले बिस्कुट टूटकर चाय में गिर गया और फूफाजी वहा से उठकर चले गए।
मुरारी ने देखा तो बाबा के पास आया और वहा रखी चाय में बिस्कुट डुबाकर खाने लगा।
“काहे उनको किलसा रहे हो मुरारी ? उह मेहमान है इह घर मा,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने सहजता से कहा
“अरे मेहमान है तो मेहमान बनकर रहे हमाये बाप बनकर हमायी खोपड़ी पर तांडव काहे कर रहे है ? और हमको जे बताओ बाबा मुन्ना इंदौर से दुल्हिन लाये चाहे अमेरिका से इनके सीने में आग काहे लग रही है ?”,मुरारी ने गुस्से से लेकिन धीमी आवाज में कहा
बाबा ने देखा मुरारी गुस्से में कह तो माहौल को थोड़ा सामान्य करते हुए कहा,”पर अगर मुन्ना अमेरिका से दुल्हिन लाते तो तुम्हाये लिये तो समस्या हो जाती मुरारी”
“कैसी समस्या ?”,मुरारी ने बाबा की तरफ देखकर कहा
“का है कि तुमको अंग्रेजी आती नहीं और अमेरिकन मेंम को हिंदी,,,,,,,,,,मामला थोड़ा गड़बड़ हो जाता , नई”,बाबा ने कहा
“का बाबा आप भी ? वैसे का कह रहे थे फूफा , हम नस काटने का सुने कुछ,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने इस बार गंभीर होकर कहा
“कुछ नहीं मुरारी वो बस तुम्हारे अतीत के बारे में बात कर रहे थे हमने समझा दिया उनको,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने भी मुरारी को विश्वास दिलाते हुए कहा
मुरारी ने सुना तो परेशानी के भाव उसके चेहरे पर तैरने लगे , उसने बाबा की तरफ देखा और कहा,”अनु के सामने हमरा अतीत आईने की तरफ साफ है बाबा बस एक जे ही बात है जो उसको कबो ना बताये है , जे फूफा का मुंह बंद करवाओ वरना इह बार नस नहीं कटेगा हमरा गला,,,,,,,,,,,,,,,,का समझे ?”
“परेशान ना हो मुरारी , ऐसा कुछ नहीं होगा तुम बस मुन्ना की सगाई पर ध्यान दो,,,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने मुरारी की आँखों में देखकर कहा
मुरारी उठा और बाकि लोगो की तरफ चला गया लेकिन आँखों के सामने अतीत की एक झलक एकदम से आ गयी।
मुरारी टेबल की तरफ आया वहा रखा पानी का जग उठाया और अपना मुंह धोने लगा। बचा हुआ पानी मुरारी ने पीया तो महसूस हुआ उसका गला सुख रहा था। गर्मी के मौसम में भी मुरारी को ठण्ड का अहसास हुआ और उसके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी। उसने जेब से रूमाल निकाला और अपना मुंह पोछते हुए मुन्ना की तरफ आया। मुन्ना के हाथो में लगी मेहँदी सुख चुकी थी और वह उसे उतार भी चुका था जिस से मेहँदी का नारंगी रंग मुन्ना की हथेलियों पर भी दिखने लगा था।
गौरी के कहने के बाद भी मुन्ना ने उसका नाम अपने हाथ पर नहीं लिखवाया क्योकि सबके बीच ये सब करते हुए उसे शर्म आ रही थी। मुन्ना के साथ साथ , आई , अनु , सारिका , राधिका और अंजलि भी वहा बैठी थी।
“देखिये ना मामाजी मुन्ना भैया हमारी होने वाली भाभी का नाम अपने हाथ में नहीं लिखवाये,,,,,,,,,,,,इसका मतलब तो ये हुआ न मुन्ना भैया गौरी भाभी से प्यार नहीं करते”,अंजलि ने मुरारी को देखकर कहा
“काहे ? अरे नया नया प्यार है मुन्ना नाम काहे नहीं लिखवाये ? हमको देखो जे उम्र मा भी अपनी मेग्गी का नाम हाथ पर लिखाकर घूम रहे है”,मुरारी ने कहा
अनु ने सुना तो हैरानी से कहा,”क्या सच में मुरारी ?”
“ल्यो खुद ही देख ल्यो,,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी ने अपना सीधा हाथ अनु के सामने कर दिया जिसमे बड़े बड़े अक्षरों में मेहँदी से अनु का नाम लिखा था। ये देखकर अनु खुश हो गयी और कहा,”तुम भी न मुरारी,,,,,,,,,!!
“अंजलि बिटिया जे बड़े बड़े अक्षरों में मुन्ना के हाथ पर हमरी बहुरिया का नाम लिखो जरा”,मुरारी ने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा
“ए मुरारी हिया काहे बैठे हो आकर बहु बेटियों के बीच , ससुर बनने वाले हो कोनो लाज शर्म है की नाही ?”,आई ने कहा
“अरे आई जे बहू बेटियों के बीच ही बड़े हुए है,,,,,,,,,,,,,,,अंजलि बिटिया तुमहू लिखो”,मुरारी तो मुन्ना के जैसे पीछे ही पड़ गया
“मुन्ना भैया लिख दे क्या ?”,अंजलि ने शरारत से पूछा तो बेचारे मुन्ना ने चुपचाप अपना हाथ आगे कर दिया और धीरे से कहा,”छोटा सा लिखना”
“वैसे क्या नाम लिखे भाभी का ?”,अंजलि ने पूछा
मुन्ना कहता उस से पहले मुरारी बोल पड़ा,”गौरीशंकर लिख दयो का है कि मुन्ना पहली बार अपनी होने वाली पत्नी का नंबर इसी नाम सेव किये रहय”
मुरारी ने जैसे ही कहा वहा बैठे सब लोग हंस पड़े और बेचारा मुन्ना झेंप गया वह साइड में देखने लगा। अंजलि ने मुन्ना की हथेली में गौरी का प्यारा सा छोटा सा नाम लिख दिया।
चाय नाश्ता हो चुका था और सभी उठकर बस की तरफ जाने लगे। मुन्ना अभी भी वही बैठा अपने हाथ में लगी मेहँदी को देख रहा था और उस मेंहदी में सबसे खूबसूरत लग रहा था हिंदी भाषा में लिखा गौरी का नाम,,,,,,,,,,,,,,,,सहसा ही मुन्ना के होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी।
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संजना किरोड़ीवाल
Very👍👍👍👍👍👍 good
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