Main Teri Heer – 43
Main Teri Heer – 43
होटल के कमरे में खड़ी उर्वशी हँसते-मुस्कुराते हुए फोन पर किसी से बात कर रही थी। कुछ देर बाद उसने फोन रखा और बिस्तर की तरफ चली आयी। उर्वशी ने अपना फोन रखा और सूटकेस से कपडे निकालने लगी। आज उर्वशी की आँखों में ख़ुशी और चेहरे पर अलग ही चमक थी। उसने कपडे लिये और नहाने बाथरूम की तरफ चली गयी। बाथरूम में आकर उर्वशी ने शॉवर चालू किया और नहाते हुए गुनगुनाने लगी
“सजना है मुझे , सजना के लिये , सजना है मुझे ,
सजना के लिये,,,,,,,,,,,,,,ज़रा उलझी लटें संवार लू,,,,,,,,,
खुद अपनी नजर उतार लू,,,,,,,,,,,सजना है मुझे , सजना के लिये,,,,!!
प्रताप का घर , बनारस
राजन रात में जिस लिफाफे को सबसे छुपते छुपाते लेकर आया था उसे वह घर के बरामदे में टेबल पर ही भूल गया था। सुबह बिरजू जब बरामदे से गुजरा तो टेबल पर रखा लिफाफा देखकर उसकी तरफ आया और उसे उठाते हुए कहा,”जे का है ? और हिया किसने रखा है ?”
बिरजू ने लिफाफे को उठाया जो कि थोड़ा भारी भी था वह जैसे ही उसे खोलकर देखने को हुआ राजन ने आकर उसके हाथ से लिफाफा छीनते हुए कहा,”जे हमारा है।”
“अरे राजन बबुआ जे तुम्हरा है , पर जे तो बताओ इह मा है का ? बहुते भारी मालूम पड़ रहा है।”,बिरजू ने कहा लिफाफा देखने की कोशिश करते हुए कहा
“दूर हटो बिरजू ! हमने कहा ना जे हमारा है और तुमको काहे जानना है इह मा का है ?”,राजन ने भड़कते हुए कहा
“अरे बौआ तुम तो ऐसे कलप रहे हो जैसे कुछो चोरी का सामान हो इह मा,,,,,,,,,,रखो हमको नाही देखना”,बिरजू ने मुंह बनाकर कहा
बिरजू के मुंह से चोरी की बात सुनकर राजन के चेहरे के भाव बदल गए और उसने कहा,”हम काहे लाएंगे कुछो चोरी का सामान , कुछ भी बोले जा रहे हो”
“अगर चोरी का नहीं है तो छिपा काहे रहे हो ?”,कहते हुए पीछे खड़े प्रताप ने राजन के हाथ से लिफाफा लेने की कोशिश की और छीना झपटी में लिफाफा फट गया उसमे रखे कच्चे आम आँगन में फ़ैल गए।
लिफाफे में कच्चे आम है ये देखकर प्रताप और बिरजू दोनों हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे। राजन ने कुछ नहीं कहा और वहा से चला गया। बिरजू ने नीचे गिरे कच्चे आमों को एक एक करके उठाने लगा , प्रताप भी उसकी मदद करने लगा और ऐसा करते हुए एक आखरी आम पर दोनों ने एक साथ हाथ डाला और फिर एक दूसरे की तरफ देखा।
“मालिक का लगता है आपको राजन बौआ जे कच्चे आम किसके लिये लाये रहय होंगे,,,,,,,,,,,,सोचिये मालिक उह भी हम सबसे छुपाकर कुछ तो चल रहा है मालिक जो आपको नहीं पता,,,,,,,,,,,!!”,बिरजू ने प्रताप के दिमाग में शक का बीज बोते हुए कहा
“दाल में कुछो काला तो है बिरजुआ , राजन तो कबो कच्चे आम ना खाता फिर हमसे छुपाकर काहे लेकर आया है ?”,प्रताप ने उठते हुए कहा
बिरजू भी उठ खड़ा हुआ और कहा,”अरे मालिक भूल गए का उह फोटू वाली लड़की का पता राजन बौआ ओहकरे लिये लाये हो,,,,,,,,,,,!!”
“तुम्हारा मतलब काशी के लिये , पर काशी तो हिया है ही नाही,,,,,,,,,,,,,और उह बनारस ना ही आये तो अच्छा है , ससुरा रजनवा पहले भी पगलाया था ओहके चक्कर मा तो वंश और मुन्ना इह हाल कर दिये इह बार उन दोनों को भनक भी लगी न तो ज़िंदा जमीन में गाड़ देंगे रजनवा को,,,,,,,,,,,,,
इति मुश्किल से शिवमवा के साथ सब सुलह किये थे पर लगता है जे रजनवा हमरी मय्यत निकाल कर रहेगा जे बनारस मा”,प्रताप ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“तो अब का करेंगे मालिक ?”,बिरजू ने भी चिंता भरे स्वर में कहा
“करना का है रजनवा पर नजर रखो बस,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर प्रताप वहा से चला गया
“बेचारे मालिक जे उम्र मा का का देखना पड़ रहा है इनको,,,,,,,,,,,महादेव रक्षा करना अब कोनो कांड ना हो बस राजन बौआ की जिंदगी में,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर बिरजू भी वहा से चला गया
इंदौर रेलवे स्टेशन आने में अभी 10 मिनिट थे। नवीन ने मेघना और निशि को उठाया और नीचे आने को कहा। नीचे आकर मेघना ने सब सामान समेटा और बैग में रखने लगी। वंश भी उठ चुका था , वह बाथरूम की ओर चला गया। निशि भी नीचे चली आयी और बुझी आँखों से खिड़की के बाहर देखने लगी। ट्रेन की स्पीड अब धीरे हो चुकी थी। वंश ने मुंह धोया और शीशे में देखते हुए अपने बालों में से हाथ घुमाने लगा , बीती रात निशि से हुई बहस का असर वंश के चेहरे और आँखों में अभी भी दिखाई दे रहा था।
वह शीशे के सामने से हटकर दरवाजे के पास चला आया। ठंडी हवा के झोंके आकर उसके गालो को सहलाने लगे। वंश को यहाँ खड़े होना अच्छा लग रहा था तभी उसे निशि का ख्याल आया और वह मन ही मन खुद से कहने लगा,”कल रात उसने मेरे साथ इतना बुरा बर्ताव किया फिर भी मजाल है आकर सॉरी बोल दे , नहीं घमंड में भरी बैठी है महारानी ,, एक तो गलती भी खुद करेगी और उस पर सॉरी की उम्मीद भी मुझसे,,,,,,,,,,सॉरी माय फुट , मैं क्यों सॉरी बोलू उसे मैंने यहाँ तक आने में उसकी इतनी मदद की ये क्या कम है,,,,,,,,,,
,खुद को पता नहीं क्या समझती है ? अरे उस से लाख गुना अच्छी लड़किया बनारस में मेरे आगे पीछे घूमती थी , बनारस क्या इंदौर में भी घूमती है। अब मैं इसे दिखाऊंगा मैं क्या चीज हूँ ?”
“साइड हटो मुझे उतरना है”,निशि की कठोर आवाज वंश के कानो में पड़ी
वंश ने पलटकर देखा अपना बैग उठाये निशि वंश के सामने खड़ी थी और उसे घूरे जा रही थी। वंश ने देखा तो उसकी खुन्नस निशि को लेकर और बढ़ गयी लेकिन उसने अपने गुस्से को जाहिर ना करते हुए कहा,”मेरा बैग कहा है ?”
“मैं तुम्हारी नौकर नहीं हूँ।”,निशि ने थोड़ा गुस्से से कहा
वंश सुबह सुबह निशि से बहस करना ठीक ना समझते हुए वहा से जाने लगा और जाते जाते देखा निशि अपना सूटकेस उठा नहीं पा रही है , उसे लेकर ट्रेन से उतरना तो दूर की बात थी।
“मैं कुछ मदद करू ?”,वंश ने कहा
निशि ने गर्दन घुमाकर वंश को देखा , हलाकि वह उसकी मदद लेना नहीं चाहती थी लेकिन सूटकेस इतना भारी था कि उसे उठाकर नीचे उतरना भी मुश्किल था। निशि साइड हो गयी तो वंश निशि के पास आया और कहा,”सूटकेस ऐसे नहीं , ऐसे उतारा जाता है”
निशि उसकी बात समझ पाती इस से पहले वंश ने सूटकेस को जोर से एक लात मारी और सूटकेस प्लेटफॉर्म के फर्श पर , निशि ने फटी आँखों से देखा और फिर वंश की तरफ देखकर चिल्लाई,”अह्ह्ह्हह तुम पागल हो क्या ?”
वंश ने अपने दोनों कानो में ऊँगली डाली और सीटी बजाते हुए वहा से चला गया। निशि गुस्से में पैर पटक कर रह गयी।
निशि ट्रेन से नीचे उतरी , नवीन और मेघना भी नीचे चले आये और उनके साथ साथ वंश भी , वंश नवीन के पास आया और नवीन के कुछ कहने से पहले ही अपने दोनों हाथो को जोड़कर कहा,”आपका और मेरा साथ बस यही तक था , मुझे यहाँ तक सही सलामत लाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया मैंने आप लोगो के लिये कैब बुक कर दी है , वो आपको नानू के घर छोड़ देगी और माँ ने कहा है कुछ वक्त बाद वे सब आपको नानू के घर पर ही मिलेंगे,,,,,,,,,,,,,,,तो मैं अब चलता हूँ अपनी भाभी से मिलने,,,,,,,,,,,,,बाय”
“वंश,,,,,,,,,,वंश रुको , ये लड़का भी न”,नवीन खुद में ही बड़बड़ाया तभी उसका फोन बजा , वंश का मैसेज था जिसमे कैब ड्राइवर का नंबर और डिटेल्स थे। नवीन ने मैसेज देखा और मेघना से कहा,”चलो चलते है”
निशि और मेघना नवीन के साथ रेलवे स्टेशन से बाहर निकल गयी। कैब वाला बाहर ही खड़ा था। नवीन ने सब सामान रखवाया और खुद ड्राइवर के साथ आगे आकर बैठ गया , मेघना और निशि पीछे आ बैठी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गौरी की सगाई में इंदौर आने के लिये निशि जितनी खुश थी , इंदौर आकर अब वह उतनी हिओ मायूस हो गयी।
वह खिड़की से बाहर देखने लगी सुबह सुबह इंदौर की सड़को पर भीड़ नहीं थी और मौसम काफी अच्छा था।
रेलवे स्टेशन से निकलकर वंश ने अपने लिये बाइक बुक की ताकि वह गौरी के घर जा सके , वंश सबसे पहले अपनी होने वाली भाभी से मिलना चाहता था और इसलिये वह कुछ ज्यादा ही खुश था। रास्ते में वंश की नजर फूलो की दुकान पर पड़ी जहा सुबह सुबह ताजा फूल और बुके रखे हुए थे। वंश ने बाइक वाले से रुकने को कहा और खुद सड़क पार कर फूल लेने चला गया। वंश वापस आया तो देखा ट्रेफिक की वजह से कई सारी गाड़िया और बाइक सड़क पर रुके हुए है।
वंश उन सब के बीच से होते हुए बाइक वाले की तरफ जाने लगा। उसी ट्रेफिक में कैब भी रुकी थी जिसमे नवीन अपने परिवार के साथ था हालाँकि नवीन निशि और मेघना में से किसी ने भी वंश को देखा नहीं था लेकिन बाइक की तरफ जाते हुए वंश की नजर कैब की पिछली सीट पर उदास बैठी निशि पर पड़ी। गाड़ी की खिड़की का शीशा नीचे था और निशि वहा अपना सर रखे उदास सी बाहर देख रही थी।
निशि को उदास देखकर वंश को ना जाने क्यों अच्छा नहीं लगा ? उसने एक नजर अपने हाथो में पकडे उन फूलों को देखा और सहसा ही उसके कदम कैब की तरफ बढ़ गए। निशि उदासी में इतना डूबी थी कि उसने ध्यान ही नहीं दिया बगल में वंश खड़ा है। वंश ने हाथ में पकडे फूलो को निशि की गोद में रखा और वहा से चला गया। निशि की नजर फूलों पर पड़ी तो उसे हैरानी हुई , वह मुस्कुरा उठी और उन फूलों को अपने हाथ में उठाकर गाड़ी से बाहर गर्दन निकालकर देखा लेकिन ऐसा कोई नजर नहीं आया जो उसके लिये फूल रखकर जाये।
निशि उसे ढूंढ पाती इस से पहले ट्रेफिक क्लियर हुआ और कैब आगे बढ़ गयी। निशि मुस्कुराते हुए फूलों को देखने लगी , देखने क्या लगी उनके साथ खेलने लगी और दूर खड़े वंश ने जब निशि को मुस्कुराते देखा तो खुद भी मुस्कुरा उठा।
“सर बैठिये ना , देर हो रही है”,बाइक वाले लड़के की आवाज वंश के कानों में पड़ी तो वंश की तंद्रा टूटी और वह खुद में ही बड़बड़ाया,”हाह ये क्या हो गया मुझे , गौरी के लिये खरीदे हुए फूल मैंने उस छिपकली को दे दिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्हह पर क्यों ? कुछ देर पहले ही मेरी उस से बहस हुई है और मैं फिर से उसकी परवाह कर रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,,मुझे ये नहीं करना चाहिए,,,,,,,,,,,,फोकस वंश फोकस वो तुम्हारी केयर के लायक नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,हुंह अहसानफरामोश”
“आपने कुछ कहा सर ?”,लड़के ने बाइक आगे बढ़ाते हुए कहा
“नहीं मैंने तुमने नहीं कहा , वैसे तुम्हे एक एडवाइस दू उस निशि से दूर रहना तुम वो,,,,,,,,,,,,,,,,वो बहुत खतरनाक लड़की है। तुम से बहस करेगी , तुम पर चिल्लायेगी , गुस्सा करेगी और फिर एकदम से तुम्हारे सामने इतनी मासूम बन जायेगी कि तुम , तुम खुद को उसकी परवाह करने से रोक ही नहीं पाओगे,,,,,,,,,,,,और उसके जाल में फंस जाओगे,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश निशि के बारे में सोचते हुए कुछ भी बड़बड़ाये जा रहा था।
“मैं किसी निशि को नहीं जानता सर,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा
“बहुत अच्छा है , उसमे जानने जैसा कुछ है भी नहीं,,,,,,,,,,,वैसे भी वो बस एक स्टुपिड लड़की है जो जरा ज़रा सी बात पर पैनिक हो जाती है। जिसे बस हर चीज में नेगेटिव देखना होता है वो कभी पॉजिटिव सोचती ही नहीं है , इतनी डरपोक है कि अपने डेड से खुलकर ये भी नहीं बोल सकती कि उसे वो बैंक में क्लर्क की नौकरी करने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है बल्कि वो बचपन से ही फिल्मो में काम करना चाहती थी,,,,,,,,,,,,,,,,
वैसे ये चीज मैंने उसकी सीक्रेट डायरी में पढ़ी,,,,,,,,,यहाँ इंदौर आने के लिये भी उसके डेड से मुझे झूठ बोलना पड़ा क्योकि वो अपने डेड के गुस्से से बहुत डरती है,,,,,,,,,,हाह पता नहीं वो इतनी अजीब क्यों है ?”
“सर अभी आपने मुझे उस से दूर रहने को कहा और अब आप खुद ही उसके बारे में इतना सब बता रहे है ,, मेरे ख्याल से तो आप खुद उसकी परवाह कर रहे है,,,,,,,,,,,,,,अगर मैं गलत नहीं हूँ तो पिछले 5 मिनिट से आप उसी के बारे में बात कर रहे है।”,लड़के ने कहा
वंश होश में आया और अपना सर लड़के की पीठ पर टिकाते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह लगता है मैं पागल हो जाऊंगा,,,,,,,,,,,,,,!!”
“लोग जब प्यार में होते है तब ऐसी बहकी बहकी बातें करते है”,लड़के ने कहा और फिर बाइक की स्पीड बढ़ा दी ताकि उसे फिर से वंश की ये अजीबो गरीब बातें सुननी ना पड़े
तो दोस्तों क्या आपको भी वंश की बाते अजीब लग रही है ? अगर हाँ तो मुझे कमेंट सेक्शन में जरूर बताये
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संजना किरोड़ीवाल
Vansh ki mann ki baate lajawab hoti hai…aur usme jitni Nidhi ki burai hoti hai…usse zyada parwha hoti hai…tabhi usne Nishi k udass chehre ko dekh kar uski god m phool rakh diye…inn dono ko jaldi eshass hoga apne pyar ka…lakin yeh Rajan ne Munna k ghar se lifafa churaya…fir usme se kacche aam nikle…aakhir majara kya hai
🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭
Nice part .vansh ki bate to nishi ke bare me ashi he ke vo khuda kya chahta he bolata he pata hi nahi he.vansh or nishi dono hi Nice cupal banenge.
Very👍👍👍🤔🤔 good