Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 62

Main Teri Heer – 62

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

मुरारी के बगल में बैठी गौरी एकटक उसे देख रही थी और मुरारी ख़ामोशी से उसे,,,,,,,,,,,,,,काफी देर तक मुरारी ने जब कुछ नहीं कहा तो गौरी ने कहा,”क्या हुआ है अंकल कुछ तो बोलिये ना,,,,,,,,,,,,,,क्या आप मेरी और मान की सगाई से खुश नहीं है ?”
गौरी की बात सुनकर मुरारी की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”अरे नहीं नहीं ! जे का कह रही हो तुम ? तुम्हरे और मुन्ना की सगाई से हम काहे नाराज होंगे ?”


“तो फिर क्या हुआ ? किसी रिश्तेदार ने कुछ बोल दिया , अगर बोल भी है तो चिल करो रिश्तेदारों का तो काम है हर चीज में कमी निकालने का , उनके चरणों में फूल भी बिछा दो ना तो उछालेंगे वो कीचड़ ही,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा और ये कहते हुए उसके चेहरे पर गुस्से और चिढ के भाव थे
मुरारी ने देखा तो महसूस किया गौरी कुछ कुछ उसके जैसी ही है उसने कहा,”अरे नहीं बिटिया ! हमरे किसी रिश्तेदार में इतनी हिम्मत ना है कि हमरे सामने कुछो बोल दे,,,,,,,,,,,!!”


“हहहहह ये भी नहीं,,,,,,,,,,,,,हम्म्म्म तो फिर क्या हुआ है आप ही बताईये,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मायूस होकर कहा
मुरारी नहीं चाहता था गौरी के सामने वह अपने उदासी की वजह जाहिर करे इसलिए कहा,”अरे कुछो खास नहीं , उह राधिका चाय बनाय रही ,, बहुते बकवास चाय रही इहलीये मगज खराब है हमरा बस”
“बस इतनी सी बात , चलिए उठिये,,,,,,,,!!”,गौरी ने एकदम से उठकर कहा


“हैं,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने हैरानी से कहा
“अरे उठिये ना,,,,,,,,,,,,मेरे साथ आईये,,,,,,,!!”,गौरी ने मुरारी का हाथ पकड़कर उसे उठाया और अपने साथ ले जाते हुए कहा

गौरी मुरारी को लेकर अपनी स्कूटी के पास आयी और अपने सर पर हेलमेट लगाकर स्कूटी पर बैठते हुए कहा,”बैठिये”
मुरारी नहीं समझ पा रहा था गौरी क्या करना चाहती है ? उसे खामोश देखकर गौरी ने कहा,”अरे बैठिये ना अंकल”
मुरारी गौरी के पीछे उस से कुछ दूरी बनाकर आ बैठा क्योकि गौरी उसकी होने वाली बहू थी। सप्पोर्ट के लिए उसने सीट का पिछला हिस्सा पकड़ लिया और कहा,”वैसे हम लोग कहा जा रहे है ?”


गौरी ने स्कूटी आगे बढ़ाई और कहा,”आज आपको मैं इस शहर की सबसे बेस्ट चाय पिलाती हूँ , वो चाय पीकर आप सब चाय भूल जायेंगे,,,,,,,,,,!!”
“अरे बिटिया काहे इति रात में परेशान हो रही हो,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
गौरी की स्कूटी हवा से बातें कर रही थी लेकिन उसका ध्यान मुरारी से बात करने पर भी था इसलिये उसने कहा,”देखिये अंकल आप मान के पापा है।

मैं मान को बहुत पसंद करती हूँ और जैसे मैं मान को कभी अपसेट नहीं देख सकती वैसे ही मैं आपको भी अपसेट नहीं देख सकती वो भी इतनी मामूली सी चाय के लिए,,,,,,,,,,,आप पहली बार मेरे शहर आये है और अपसेट है,,,,,,,,,,,,बहुत गलत बात है , अभी आपको मस्त कड़क चाय पिलाती हूँ वो पीकर आपका मूड एकदम मस्त हो जायेगा।”


मुरारी ने सुना तो मुस्कुरा उठा , गौरी उसकी होने वाली बहू थी लेकिन मुरारी के साथ इतना सहज थी जैसे उसकी कोई दोस्त या बेटी हो। मुरारी के चेहरे से उदासी अब धीरे धीरे कुछ कम होने लगी लेकिन गौरी वो तो मुंहफट थी कुछ ना कुछ बोले जा रही थी , उसे इतना भी ध्यान नहीं था कि अपने होने वाले ससुर के सामने क्या बोलना है क्या नहीं ? पर वो मुरारी को ससुर माने तब ना , वो तो मुरारी को पापा कहने तक को तैयार नहीं थी , मुरारी ससुर से पहले उसके लिए काशी के अंकल थे जिनके साथ गौरी ने बनारस में खूब बकैतिया की थी।

 सगाई से निकलकर उर्वशी जैसे तैसे होटल पहुंची , नशे की वजह से उसकी हालत खराब थी और फिर एकदम से वह लॉन की तरफ भागी और कुछ दूर जाकर ही उसने उलटी कर दी। उलटी के साथ ही आधी से ज्यादा शराब बाहर आ गिरी। उर्वशी अपने बाल नोचने लगी और सर पकड़कर वही बैठ गयी। होटल स्टाफ ने देखा तो उर्वशी के पास आया और कहा,”मैम ! आर यू ओके ?”


“क्या मुझे एक गिलास लेमन जूस मिल सकता है प्लीज ?”,उर्वशी ने नशे भरे स्वर में कहा शायद वह जानती थी शराब के हैंगओवर को कैसे कम करना है।  
“श्योर मेम”,लड़के ने कहा।

उसने उर्वशी को सहारा देकर वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठाया और खुद उसके लिए जूस लेने चला गया। दर्द से उर्वशी का सर फटा जा रहा था , उसने अपनी आँखे मुंदी और अपना सर पीछे झुका लिया। आँखों के सामने मुन्ना का चेहरा चलने लगा। मुन्ना को लेकर उर्वशी के दिल में भावनाये कब पनपने लगी वह खुद नहीं जानती थी पर आज जब उसने मुन्ना को गौरी के साथ देखा तो उसे अहसास हुआ कि वह मुन्ना को चाहने लगी है।


मुन्ना से हुई पहली मुलाकात से लेकर उसकी सगाई तक के पल एक एक करके उर्वशी की आँखों में आने लगे , जैसे ही गौरी का चेहरा नजर आया उर्वशी ने एक झटके में अपनी आँखे खोली , उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था और आँखों में गुस्से और जलन के भाव साफ दिखाई दे रहे थे।


“मैडम आपका लेमन जूस,,,,,,,,,!!”,लड़के की आवाज उर्वशी के कानो में पड़ी तो उसकी तंद्रा टूटी
उर्वशी ने गिलास लिया और एक साँस में पूरा पी गयी , उसे अब कुछ कुछ ठीक लग रहा था ,, शराब का नशा भी धीरे धीरे कम हो रहा था लेकिन उसका सर दर्द से फटा जा रहा था। उर्वशी उठी और अंदर चली गयी।

उसी होटल के कमरे की खिड़की पर खड़े चौहान साहब अपने फ़ोन से बार बार किसी का नंबर डॉयल करते कान से लगाते और फिर झुंझलाकर फोन काट देते।
उन्होंने एक बार फिर वही नंबर डॉयल किया और सामने से जवाब आया “आपके द्वारा डॉयल किया गया नंबर अभी कवरेज क्षेत्र से बाहर है , कृपया कुछ देर बाद संपर्क करे”


“आखिर ये उर्वशी है कहा ? आज शाम तक वो विक्रम के साथ थी उसके बाद से उसका कोई अता पता नहीं है , और एक तो ये उसका फोन भी नहीं लग रहा है। उर्वशी मेरे लिये मुसीबत बने इस से पहले मुझे हमेशा के लिए उसका मुंह बंद करना होगा।”,कहते हुए चौहान साहब के चेहरे पर कड़वाहट के भाव आ गए

जैसे तैसे करके उर्वशी अपने कमरे में आयी। बाथरूम में आकर उसने कई बार अपना मुंह धोया , ठंडा पानी चेहरे पर लगने से उसे राहत महसूस हो रही थी। वह कमरे से बाहर आयी और शीशे के सामने आकर खड़ी हो गयी। उसने तौलिया उठाया और अपना मुँह पोछने लगी। यकायक ही उसे शीशे में अपना अक्स नजर आया , ये उर्वशी का पुराना अक्स था जब वो 24-25 साल की जवाब खूबसूरत लड़की हुआ करती थी। खूबसूरत वह आज भी थी लेकिन उम्र अब 24-25 से 44-45 हो चुकी थी।

उर्वशी शीशे में दिखाई दे रहे अपने अक्स को बड़े ध्यान से देखने लगी और फिर वह अक्स एकदम से उर्वशी पर हंस पड़ा। अपने ही अक्स को खुद पर हँसते देखकर उर्वशी के चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आये और उसने कहा,”क्यों हंस रही हो मुझ पर ?”
“हंसु नहीं तो और क्या करू? अपने से आधी उम्र के लड़के को पसंद करती हो तुम,,,,,,,,,,,,,,,सोचकर ही हंसी आ रही है।”


उर्वशी को लगा जैसे शीशे में दिखता उसका अक्स बोल रहा है लेकिन ये उसके ही अंतर्मन की आवाज थी।  
वह गुस्से में आग बबूला हो गयी और कहा,”तुम कहना क्या चाहती हो ? मैं अब भी जवान हूँ , आज भी लड़के मेरी एक अदा पर घायल है,,,,,,,,,,,,ऐसा कोई मर्द नहीं जिसने मुझे देखकर आंहे ना भरी हो,,,,,,,,,,,,!!”
“हाहाहाहाहा लगता है तुमने ध्यान से खुद को देखा नहीं,,,,,,,,,,,,अपने चेहरे से ये नकाब हटाओ और देखो उर्वशी तुम क्या हो गयी हो ?”,अक्स की आवाज फिर उर्वशी के कानो में पड़ी

उर्वशी शीशे के पास आयी और बड़े ध्यान से खुद को देखने लगी। चेहरे पर पड़ी झुर्रिया जिन्हे वह रोज सुबह मेकअप से छुपा लिया करती थी , आँखों के नीचे पड़े काले घेरे , बेजान बाल , सफ़ेद और बेजान पड़े होंठ , उर्वशी ने खुद का ये रूप देखा तो घबरा कर पीछे हट गयी।

शीशे में अक्स अभी भी दिखाई दे रहा था और मुस्कुरा रहा था। आँखों में खौफ लिए उर्वशी ने उसे देखा तो अक्स एक बार फिर कहने लगा,”क्या हुआ ? हकीकत देखकर डर गयी क्या ? तुम अपने बेटे की उम्र के लड़के का ख्याल अपने दिल में कैसे ला सकती हो ? क्या तुम्हे थोड़ी भी शर्म नहीं आती या फिर मर्दो की इतनी आदत हो गयी है कि हर रोज तुम्हे अपने बिस्तर पर एक नया मर्द चाहिए,,,,,,,,,,,,,,!!”


अक्स ने इतना ही कहा कि उर्वशी गुस्से में चिल्ला उठी,”चुप हो जाओ,,,,,,,,,,मैं उस से प्यार करती हूँ किसी से प्यार करना गलत है क्या ?”
“नहीं ! पर अपने बेटे की उम्र के लड़के से प्यार करना,,,,,,,,,,,,,गलत है , अपनी हवस को प्यार का नाम मत दो उर्वशी , पिछले बीते एक दशक में कितने ही मर्दो के साथ तुमने अपनी राते रंगीन की है,,,,,,,,,,,,,ये मत भूलो”,अक्स ने कहा


“वो मेरा अतीत था मेरे आज में मैं किसी भी मर्द की मोहताज नहीं,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने जलती आँखों से शीशे में खुद को देखते हुए कहा
“तो फिर विक्रम,,,,,,,,,,,,,विक्रम कौन है और उसके बुलाने पर क्यों चली आयी तुम ?”,अक्स ने सवाल किया
“वो सिर्फ जरिया है उस आदमी तक पहुँचने का जिसने मुझसे मेरा सबकुछ छीन लिया और मुझे कोठे पर बैठा दिया,,,,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी की आँखों में गुस्से की जगह अब दर्द ने ले ली


“अगर उसे पता होता तो वह अब तक तुम्हे उसका नाम बता चुका होता , विक्रम सिर्फ तुम्हारे साथ खेल रहा है , जो जाल उसने तुम्हारे इर्द गिर्द बिछा रखा है उस से बाहर निकलो,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए अक्स धुंधला पड़ने लगा
उर्वशी दौड़कर शीशे के सामने आयी और शीशे को छूकर तड़पते हुए कहा,”लेकिन मुन्ना के लिये मेरा प्यार झूठ नहीं है,,,,,,,,,,,,,!!
“ये वहम भी जल्दी ही दूर हो जाएगा,,,,,,,!”,कहते हुए अक्स गायब हो गया


उर्वशी ने शीशे पर हाथ घुमाया लेकिन उसे वो अक्स फिर नजर नहीं आया , नजर आ रहा था तो शीशे में उतरा हुआ चेहरा जिस पर बढ़ती उम्र के निशान दिखाई दे रहे थे।
उर्वशी थके कदमो से बिस्तर की तरफ आयी और निढाल होकर गिर पड़ी , वक्त उसे उसकी पुरानी दुनिया में ले गया और सोचते सोचते कब उसकी आँख लगी उसे पता ही नहीं चला

चाय पीते हुए वंश को नजर निशि पर पड़ी। वह चाय के साथ बन-बटर भी खा रही थी और खाते हुए थोड़ा सा बटर उसके होंठो के साथ में लग गया। वंश को नजर जब निशि पर पड़ी तो उसने बटर हटाने के लिए अपना हाथ निशि की तरफ बढ़ाया। निशि को लगा वंश उसका बन-बटर खाना चाहता है इसलिए उसने जल्दी से हाथ में पकड़ा बड़ा टुकड़ा एक साथ अपने मुंह में रख लिया।  


 बन का टुकड़ा इतना बड़ा था कि निशि का मुंह पूरा भर गया ,उस से ठीक से बोला भी नहीं गया और जो बोल रही थी वंश को वह समझ नहीं आया। उसने ऊँगली  से निशि के होंठो पर लगा मक्खन उठाया और निशि की आँखों में देखने लगा। निशि भी बन मुंह में भरे वंश को देख रही थी। वंश ने अपनी ऊँगली पर लगे निशि के जूठे बटर को अपने होंठो से लगाकर खा लिया।

बेचारी निशि को इसकी ज़रा भी उम्मीद नहीं थी , वंश की इस हरकत ने तो उसका दिल ही धड़का दिया। निशि आँखे फाडे वंश को देखे जा रही थी। वंश उठा और कहा,”मैं बिल पे करके आता हूँ,,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने बस हाँ में गर्दन हिला दी , क्योकि कुछ बोलने की कंडीशन में वो बिल्कुल नहीं थी,,,,,,,,,,,,,,!!

वंश वापस आया तब तक निशि मुंह में भरा बन खत्म कर चुकी थी। वंश वापस आया तब तक निशि बाइक के पास आ चुकी थी। वंश आकर बाइक पर बैठा और निशि से बैठने का इशारा किया। वंश जो कुछ देर पहले तक निशि के साथ बहुत ज्यादा रोमांटिक हो रहा था अब एकदम से नार्मल हो गया।
रात का वक्त था ऐसे में हलकी ठण्ड बढ़ चुकी थी , निशि ने अपनी बांहो को सहलाया तो वंश ने कहा,”क्या हुआ बैठो ना ?”


“हाह ये इतना अजीब क्यों है ? क्या इसे दिखाई नहीं देता एक लड़की बेचारी ठण्ड से मर रही है,,,,,,,,,,,!!”,निशि बड़बड़ाई
“क्या हुआ क्या बड़बड़ा रही हो बैठो ? मैंने सिर्फ 30 मिनिट का बोला था इस से ज्यादा टाइम नहीं है मेरे पास तुम्हारे लिए,,,,,,,,,चलो बैठो”,वंश ने मुंह बनाकर कहा  
निशि वंश को घूरने लगी ,वह अभी भी अपनी बांहो को सहला रही थी। वंश ने देखा तो उसे समझ आया और उसने कहा,”ओह्ह्ह्ह अच्छा तुम्हे ठण्ड लग रही है,,,,,,,,,,,,,!!”


निशि ने वंश को घूरना जारी रखा तो वंश बाइक से उतरा और कहा,”मतलब अब तुम्हे मेरा जैकेट चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने इस बार कुछ ज्यादा गुस्से में देखा तो वंश ने अपनी जैकेट उतारकर निशि की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”ये लो पहन लो,,,,,,,,,,,,देख के तो ऐसे लग रहा है जैसे जैकेट नहीं दिया तो मेरा खून ही कर दोगी”
“थेंक्स,,,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कठोरता से कहा और जैकेट लेकर पहन ली


वंश बाइक पर आ बैठा और बाइक स्टार्ट करते हुए बड़बड़ाया,”थोड़ा प्यार से भी बोल सकती थी लेकिन नहीं जबान तो जैसे कड़वा करेला है इसकी,,,,,,,,,!!”
“क्या हुआ चलो ?”,पीछे बैठी निशि ने कहा तो वंश की तंद्रा टूटी और उसने बाइक आगे बढ़ा दी।

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