Main Teri Heer – 18

Main Teri Heer – 18

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

मुन्ना ने अनु को सम्हालकर सोफे पर बैठाया और खुद उसके बगल में बैठते हुए बोला,”माँ क्या हुआ आपको ? आप ठीक तो है ना ?”
अनु ने मुरारी के चेहरे को अपने हाथो में लिया और कहा,”मैं ठीक हु मुन्ना तुम बताओ तुम्हे क्या हुआ है ? , तुम और राजनीती में,,,,,,,,,,,क्यों ? कब ? कैसे ?  ये कैसे हो गया मुन्ना ?”
मुरारी ने सुना तो अनु के पास आया और कहा,”अरे क्या , क्यों ? कब ? कैसे ? मुन्ना राजनीती में आये क्योकि हम राजनीती में थे और बेटे का तो फर्ज बनता है ना बाप की विरासत सम्हालने का और कब क्या ?

आज ही अभी फैसला किया है मुन्ना ने ? और कैसे से तुम्हरा का मतलब शेर का बच्चा शिकार ही करेगा ना अनु भूख लगने पर घास थोड़े खायेगा ?”
“तुम क्या कह रहे हो मुरारी ?”,अनु ने मुरारी की तरफ देखकर असमझ की स्तिथि में कहा
मुन्ना ने मुरारी की तरफ इशारा करके कहा,”पापा ! हम समझाते है,,,,,!!”
मुरारी आकर अनु के बगल में सोफे पर बैठ गया।

अनु के सामने बैठे मुन्ना ने अनु के हाथो को थामा और उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगा,”माँ हम जानते है ये सुनकर आपको सदमा लगा ,, हमारा अचानक राजनीती में आना आपके लिए जितना शॉकिंग है उतना ही शॉकिंग हमारे लिए भी है।

हम हमेशा जी राजनीती से दूर भागते आ रहे थे उसे ही हमने अपना भविष्य चुन लिया,,,,,,,,,,लेकिन माँ , हमारा विश्वास कीजिये हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिस से आपको और पापा को परेशानी का सामना करना पड़े,,,,,,,,बस ये समझ लीजिये कि इस वक्त हमारा राजनीती में आना बहुत जरुरी था”  
 अनु ने मुन्ना के हाथो को कसकर थामा और हामी में गर्दन हिला दी।

इंदौर , गौरी का घर
“गौरी , गौरी किट्टो मौसी ने साड़ियों के ये कुछ डिजाईन्स भेजे है , एक बार इन्हे देख लो और जो तुम्हे पसंद आये उन्हें साइड करके उस से बात कर लो”,नंदिता ने साड़ियों का कुछ सेम्पल लेकर अंदर आते हुए कहा
बिस्तर पर पेट के बल लेटी , कानो पर हेड फ़ोन लगाए , गौरी अपने लेपटॉप में कुछ देख रही थी। नंदिता ने गौरी पर ध्यान नहीं दिया और अपनी ही धुन में कुछ ना कुछ बड़बड़ाते जा रही थी। गौरी की तरफ से कोई जवाब ना पाकर नंदिता ने उसकी तरफ देखा और उसके पास आकर उसका लेपटॉप बंद कर दिया।

गौरी ने कानो से हेडफोन हटाकर अपने गले में डाला और बिस्तर पर आलथी पालथी मारकर बैठते हुए कहा,”क्या मम्मा ? मैं बहुत जरुरी काम कर रही थी,,,,,,,,,,आप यहाँ क्या कर रही है ?”
“सारे काम बाद में , तुम्हारी शादी से ज्यादा जरुरी काम कुछ नहीं है फ़िलहाल,,,,,,,,,,,किट्टो मौसी ने ये साड़ियों के सेम्पल भेजे है तुम देखो और बताओ कुछ पसंद आ रहा है क्या ?”,नंदिता ने कुर्सी खींचकर बैठते हुए कहा
“ओह्ह्ह्ह मम्मा ये तो आप भी कर सकती है न , आपको जो ठीक लगे वो सेलेक्ट कर लीजिये”,गौरी ने कहा


“गौरी शादी तुम्हारी है मेरी नहीं और तुम ससुराल में ये लेपटॉप , ये बुक्स , ये हेडफोन और मेकअप थोड़े लेकर जाओगी , उसके लिए तो तुम्हे ये सब देखना पडेगा ना,,,,,,,,,,,!!”,गौरी की मम्मी ने कहा
“हाहाहाहा वेरी फनी मॉम,,,,,,,,,,,,,,वैसे मम्मी जी ने कहा कि मैं अपने साथ ज्यादा सामान लेकर ना आउ मेरी सारी शॉपिंग वे वही से करवाएंगी”,गौरी ने इतराते हुए कहा
“क्या बात है गौरी तुम तो अभी से प्रेक्टिस करने लगी,,,,,,,,,,,फिर भी बेटा मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है ना”,नंदिता ने कहा


गौरी उठी और नंदिता के पीछे आकर उनके गले में अपनी बांहे डालकर झूलते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह माँ उसकी चिंता आप बिल्कुल मत कीजिये , अपने सारे फर्ज आप बनारस चलकर निभा लेना मान की मम्मी के साथ,,,,,,,,तब तक आप बस मेरी चिंता कीजिये मेरे साथ वक्त बिताइए,,,,,,,,,,,!!”


नंदिता ने गौरी का हाथ पकड़कर उसे अपने सामने किया और बिस्तर पर बैठाते हुए कहा,”2 महीने बाद तुम शादी करके इस घर से चली जाओगी , तुम नहीं रहोगी तो ये घर कितना सूना हो जाएगा,,,,,,,,तुम्हारी बाते , तुम्हारी शरारते , तुम्हारा चिल्लाना और पूरा दिन घर में जय के पीछे दौड़ते भागते रहना सब किया याद आएगा,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते नंदिता की आँखे नम हो गयी  

गौरी ने सुना तो उसकी आँखों में भी आँसू भर आये लेकिन वह नंदिता के सामने कमजोर पड़ना नहीं चाहती थी ,  गौरी ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह मम्मा अभी मेरे जाने में 2 महीने बाकी है और तब तक मैं आपको इतना परेशान करुँगी कि आप खुद धक्का मारकर मुझे इस घर से निकाल दोगे,,,,,,,,,,,!!”
”हट पागल ! कुछ भी बोलती हो तुम,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने गौरी को धीरे से चपत लगाकर कहा


“और वैसे भी मैं शादी करके इंदौर से बनारस जा रही हूँ तो क्या हुआ ? काशी तो शक्ति से शादी करने बाद बनारस से इंदौर आएगी ना,,,,,,,,,,,,और मत भूलिए मम्मा काशी भी आपकी बेटी है,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“हाँ , तुम और काशी दोनों मेरी बेटी हो,,,,,,,,,अच्छा अब ये डिजाईन्स देखो , ये हरा वाला देखो तुम पर बहुत खिलेगा और अच्छा भी लगेगा,,,,,,,,,,और ये मेहरून वाला इसे तुम शादी के अगले दिन पहनना अपनी पहली रसोई में,,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने सेम्पल बुकलेट गौरी के सामने करके कहा और नंदिता की ख़ुशी के लिए गौरी उसे देखने लगी। दोनों माँ बेटी बुकलेट देखते देखते बाते भी कर रही थी।  

शिवम् का घर , बनारस
अपने कमरे में बैठी सारिका किसी सोच में डूबी कपडे तह कर रही थी। शिवम् कमरे में आया उसने अपने कपडे लिए और बदलकर वापस चला आया लेकिन सारिका अभी भी वैसे ही गुमसुम शिवम् की शर्ट को हाथ में लिए सोच में डूबी थी।
“सरु ! सरु ! आप ठीक है ?”,शिवम् ने सारिका के पास आकर कहा
शिवम् की आवाज सुनकर सारिका की तंद्रा टूटी और उसने हाथ में पकड़ी शर्ट साइड में रखकर उठते हुए कहा,”आप कब आये ?”


“जब आप किसी गहरी सोच में डूबी थी ,, किस बारे में सोच रही थी ?”,शिवम् ने प्यार से पूछा
“वंश,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने बहुत धीरे से कहा जैसे वह बोलना कुछ और चाहती हो और बोल कुछ और रही हो
“वंश ? वंश को क्या हुआ ? वो ठीक है ना ?”,शिवम् ने चिंतित होकर कहा
“हाँ हाँ ! वंश ठीक है , हम सोच रहे थे कम्पनी मीटिंग के लिए मुंबई जा रहे है तो क्यों ना कुछ दिन वंश के पास रुक जाये,,,,,,,,,,,उसे अच्छा लगेगा,,,,,,,,,,,हम रुक सकते है ना ?”,सारिका ने पूछा


“सरु आपको हमसे पूछने की जरूरत नहीं है , आप अपने फैसले खुद ले सकती है जैसे पहले लिया करती थी,,,,,,,,,,वंश को अच्छा लगेगा”,शिवम् ने कहा
सारिका मुस्कुरा दी और समेटे हुए कपडे कबर्ड में रखने लगी। शिवम् अपने कुर्ते की बाजू फोल्ड करने लगा और कहा,”आज शाम में मुरारी का फोन आया था उसने कहा वह कल अनु और मुन्ना के साथ घर आ रहा है। हमने हाँ कह दिया , आपको कही बाहर तो नहीं जाना होगा ?”


“नहीं हम कल घर पर ही है परसो मुंबई के लिए निकलना है न तो कुछ पैकिंग करनी है और थोड़ा वंश के लिए भी अपने हाथो से बनाना है,,,,,,,,,,,,लेकिन मुरारी भैया ऐसे घर आ रहे है उन्होंने कुछ बताया नहीं,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कपडे रखकर शिवम् की तरफ आते हुए कहा


“ये तो उसने नहीं बताया पर आवाज से लग रहा था कि बहुत खुश है किसी बात को लेकर , हो सकता है मुन्ना और काशी की शादी को लेकर कुछ बात करने आ रहा हो,,,,,,,,!!”,शिवम् ने दूसरे हाथ की बाजु फोल्ड करते हुए कहा तब तक सारिका उसके सामने थी। सारिका ने शिवम् का हाथ नीचे किया और खुद से दूसरी बाजु फोल्ड करने लगी।


शिवम् ने देखा तो मुस्कुराने लगा। सारिका आज भी शिवम् के लिए ये छोटे छोटे काम करना पसंद करती थी। सारिका ने बाजू फोल्ड की और फिर शिवम् के कुर्ते की कॉलर सही करते हुए कहा,”और आपकी क्या तैयारी है शर्मा जी ?”
“किस चीज की तैयारी ?”,शिवम् ने पूछा
सारिका मुस्कुराई और कहा,”काशी की शादी के बाद हमारे मुंबई जाने के बाद आप क्या करने वाले है ?”


सारिका के मुंह से मुंबई जाने की बात सुनकर शिवम् को एक मीठे दर्द का अनुभव हुआ लेकिन उसने होंठो पर मुस्कान लाकर सारिका से पीछे हटते हुए कहा,”हम क्या करेंगे ? सुबह आई बाबा के साथ थोड़ा वक्त बिताएंगे , फिर सीमेंट फैक्ट्री चले जायेंगे , दिनभर वहा काम करेंगे , शाम में घर आएंगे दोस्तों के साथ बैठेंगे , और रात में,,,,,,,,,,,,,,!!”


शिवम् कहते कहते रुक गया। सारिका ने चमकती आँखों से शिवम् को देखा और शरारत से कहा,”और रात में ?”  
“और रात में जब आपकी याद आएगी तो घाट की किसी सीढ़ी पर बैठकर चाँद को तक लेंगे , उसमे आपका चेहरा ढूंढेंगे ,, ठंडी हवा के झोंके जब हमे छूकर गुजरेंगे तो समझेंगे आपने छुआ है , गंगा की लहरे जब आते जाते हमारे कानो में कुछ कहकर जाएगी तो समझेंगे आपने कुछ कहा है और फिर आपसे बाते करते करते हम घाट की सीढ़ियों पर सो जाया करेंगे,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने सारिका के करीब आकर कहा


 सारिका शिवम् की आँखों में देखने लगी , उन दो मासूम आँखों में आज भी सारिका के लिए प्यार झलक रहा था। शिवम् आगे कुछ बात करता इस से पहले सारिका की नजर दिवार पर लगी घडी पर पड़ी और उसने कहा,”खाने का समय हो गया , आप चलिए हम खाना लगा देते है”

शिवम् सारिका के पीछे पीछे कमरे से बाहर चला आया। आई बाबा भी खाना खाने आ चुके थे और दोनों डायनिंग के पास बैठे थे। शिवम् अपनी कुर्सी पर आ बैठा और सारिका भी , सारिका ने सबके लिए खाना परोसा और खुद के लिए भी परोस कर जैसे ही खाना शुरू किया बाबा ने कहा,”अरे शिवा ! वंश के लिए एक लड़की देखी है हमने , तुम्हे फोटू दिखाए हमरे फोन में है,,,,,,,,,,,,!!”


बाबा के मुंह से वंश के लिए लड़की दिखने की बात सुनकर सारिका का हाथ रुक गए और उसे अनु की कही बाते याद आने लगी। शिवम् ने बाबा की तरफ देखा और कहा,”आपने देखी है तो अच्छी होगी बाबा , आप खाना खा लीजिये फिर दिखा दीजियेगा,,,,,,,,,,,,,,,और वैसे भी हम देखकर क्या करेंगे ? आपको , आई को , इन्हे और वंश को पसंद आनी चाहिए ,, हम तो उसे अपनी काशी की तरह ही प्यार देंगे”


शिवम् की बाते सुनकर सारिका को निशि की याद आ गयी। जो प्यार उसने निशि की आँखों में वंश के लिए देखा था वह झूठ तो नहीं था। सारिका बाबा की तरफ देखने लगी तो बाबा ने कहा,”अरे बिटिया अभी बस देख रहे है फिक्स नहीं किये है ,, और शिवा वंश को अभी बताकर का करेंगे उह जब मुन्ना और काशी की शादी में आएगा तब मिलवा देंगे,,,,,,,,,!”


“हां बाबा जैसा आप ठीक समझे,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा और अपना ध्यान खाने पर लगा लिया।
“जे का बात हुई हमे तो ना दिखाई हमायी लड़की की फोटू”,आई ने बाबा से कहा
 “अरे काबेरी दिखाते है खाने के बाद तुम्हे और सारिका बिटिया को,,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने कहा और फिर सब खाना खाने लगे लेकिन सारिका मन ही मन वंश के बारे में सोचकर परेशान हो रही थी

नवीन का घर , मुंबई
वंश की कैब नवीन के घर के बाहर आकर रुकी। वंश नीचे उतरा पैसे दिए और घर की तरफ बढ़ गया। रात हो चुकी थी , मेन गेट की तरफ चलते चलते वंश एकदम से वापस पलट गया और बड़बड़ाया,”हिटलर इस टाइम घर पर ही होगा , मेन गेट से गया तो उसे पता चल जाएगा , सुबह से वैसे भी भड़का हुआ है वो मुझ पर,,,,,,,,,,एक काम करता हूँ खिड़की से जाता हूँ”


वंश निशि के रूम की खिड़की के नीचे आकर खड़ा हो गया और फोन निकालकर निशि का नंबर डॉयल किया। एक दो रिंग के बाद निशि ने फोन उठाया और कहा,”हेलो !”
“खिड़की पे आओ”,वंश ने कहा
“क्या ?”,निशि ने चौंककर कहा


“अरे अपने कमरे की खिड़की पर आओ”,वंश ने धीमी आवाज में कहा वह निशि के कमरे की खिड़की के बिल्कुल नीचे लटका था। निशि अपने कमरे की खिड़की पर आयी और खिड़की खोलकर सामने देखे हुए कहा,”तुमने मुझे खिड़की पे क्यों बुलाया है ?”
“नीचे देखो,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने मुश्किल से कहा क्योकि जिस पाइप को पकड़ कर वह लटका हुआ था वह टूटने वाली थी।


निशि ने नीचे लटके वंश को देखा और घबराकर जोर से कहा,”तुम,,,,,,,,,,,,!!”
अगले ही पल निशि को याद आया कि उसे चिल्लाना नहीं था वह नीचे झुकी और धीमी आवाज में कहा,”तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”
“पहले मुझे ऊपर खींचो बताता हूँ , अपना हाथ दो”,वंश ने कहा
निशि ने अपना हाथ वंश की तरफ बढ़ाया , वंश ने निशि का हाथ थामा और वंश खिड़की के बाहर पैर रख के खड़ा हो गया। निशि और उसके बीच बस दिवार थी।

निशि का हाथ अभी भी वंश के हाथ में था निशि ने अपना हाथ उस से छुड़ाया और गुस्से से लेकिन दबी आवाज में कहा,”तुम इस वक्त चोरो की तरह यहाँ क्यों आये हो ? दरवाजे से भी तो आ सकते थे ना,,,,,,,,,,,!!”
“दरवाजे से आता तो तुम्हारा हिटलर बाप मुझे वही से भगा देता,,,,,,,,,,,,और तुमने मुझे चोर कहा ?”,वंश ने पहले बड़े प्यार से और फिर गुस्से से कहा


“हाँ क्योकि खिड़की से अक्सर चोर उचक्के ही आते है,,,,,,,,,,!!”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा क्योकि वह सुबह हुई बात की वजह से वंश से नाराज थी
“ओह्ह्ह ऐसा क्या तुम मुझे चोर इसलिए कह रही हों ना क्योकि मैंने तुम्हारा दिल चुरा लिया है”,वंश ने अपनी छोटी ऊँगली के नाखुन को दांतों तले दबाकर शरमाते हुए कहा

वंश की बात सुनकर निशि ने उसे लुक दिया और ऊँगली दिखाकर उसकी तरफ आते हुए कहा,”तुम्हे तो मैं,,,,,,,,!!”
निशि के अचानक आने से वंश का हाथ खिड़की से छूटा और जैसे ही वह गिरने को हुआ निशि ने उसका हाथ थामकर उसे गिरने से बचा लिया ,वंश के पैर खिड़की के नीचे टिके थे लेकिन एक हाथ निशि के हाथ में था और दुसरा हवा में झूल रहा था।

निशि घबराई हुई सी वंश को देख रही थी और हवा से उड़ते उसके बाल चेहरे पर आ जा रहे थे। वंश को ये सब फ़िल्मी सीन लग रहा था। उसने निशि के हाथ को कसकर पकड़ा और वापस खिड़की की तरफ आया लेकिन इस बार जो हुआ उसके लिए निशि तैयार नहीं थी।

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संजना किरोड़ीवाल  

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
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Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

और वैसे भी मैं शादी करके इंदौर से बनारस जा रही हूँ तो क्या हुआ ? काशी तो शक्ति से शादी करने बाद बनारस से इंदौर आएगी ना,,,,,,,,,,,,और मत भूलिए मम्मा काशी भी आपकी बेटी है,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“हाँ , तुम और काशी दोनों मेरी बेटी हो,,,,,,,,,अच्छा अब ये डिजाईन्स देखो , ये हरा वाला देखो तुम पर बहुत खिलेगा और अच्छा भी लगेगा,,,,,,,,,,और ये मेहरून वाला इसे तुम शादी के अगले दिन पहनना अपनी पहली रसोई में,,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने सेम्पल बुकलेट गौरी के सामने करके कहा और नंदिता की ख़ुशी के लिए गौरी उसे देखने लगी। दोनों माँ बेटी बुकलेट देखते देखते बाते भी कर रही थी।

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