Main Teri Heer – 8
Main Teri Heer – 8

घाट की सीढ़ियों पर बैठे भूषण ने जैसे ही नोटों की गड्डी रमेश की तरफ बढ़ाई रमेश से पहले एक हाथ आगे आया और उस गड्डी को पकड़ लिया। भूषण ने सामने देखा तो उसकी आँखे सिकुड़ गयी। सामने राजदुलारी खड़ी थी और नोटों की गड्डी को हवा में लहराते हुए चेहरे पर हवा करने लगी। उसकी आँखों में
चमक और होंठो पर तीखी मुस्कान थी।
“जे का बदतमीजी है , राजदुलारी ?”,भूषण ने कठोरता से कहा
“राजदुलारी ? एक्टिंग से बाहर आओ , हमरा असली नाम भूल गए का भूषण ? हम सपना है कोई राजदुलारी नहीं,,,,,,,,,,और जे बदतमीजी नहीं बल्कि हमरा हिस्सा है जो एक्टिंग के बदले में हमे देने वाले थे तुम,,,,,,,,!!”,राजदुलारी मतलब सपना ने नोटों की गड्डी को फिर से हवा में लहराते हुए कहा और नोटों की गड्डी को अपने ब्लाउज में खोंसकर वहा से चली गयी।
भूषण ने गर्दन घुमाकर जाती हुई सपना को देखा और फिर सामने देखते हुए बड़बड़ाया,”साली ! बहुते चालाक निकली ,,, एक बार युवा नेता बन जाए सबसे पहले इसकी दूकान बंद करेंगे,,,,,,,,,!!”
“भूषण भैया ! जे सपना किस एक्टिंग की बात कर रही थी अभी ? कही आपने राजन भैया को नकली राजदुलारी से तो,,,,,,,,,!!”,बगल में बैठे रमेश ने कहा तो भूषण गुस्से से उबल पड़ा और उसकी कॉलर पकड़ कर उसे घूरते हुए कहा,”का बे ? जियादा पंचायती है तुमको,,,,,,,हम का करते है का नहीं जे सब मा पड़ने की जरूरत ना है तुम सबको , हड्डिया डाल रहे है ना तुम सबको उह का पूरी नहीं पड़ रही ? अगर राजन भैया तक जे बात पहुंची तो खाल उधेड़ लेंगे तुम्हारी और भूसा भर देंगे समझे,,,,,,,,!!”
कहते हुए भूषण ने रमेश को झटके से छोड़ दिया और रमेश डरा सहमा उसे देखता रहा। भूषण को गुस्से में देखकर पास बैठे दूसरे लड़के ने कहा,”अरे सांत हो जाईये भूषण भैया , हम सब जानते है आप राजन भैया से कितना प्यार करते है , अपने जो किया होगा उनके अच्छे के लिए ही किया होगा,,,,,,,!!”
भूषण गुस्से से उठा और रमेश की तरफ देखते हुए कहा,”जे बात हमे नहीं इसे समझाओ,,,,,,,,,,,,!!”
रमेश सर झुकाये बैठा रहा और भूषण वहा से चला गया।
रमेश को खामोश देखकर साथ बैठे लड़को में से एक ने कहा,”जाने दे ना यार वो भूषण भैया और राजन भैया के बीच की बात है , तू काहे बीच में पड़ता है ?”
“भूषण भैया राजन भैया के करीब है इसका मतलब जे न है कि उह राजन भैया की भावनाओ से खेले,,,,,,,,,,जब राजन भैया को पता चलेगा कि वो जिस लड़की से मिले उह राजदुलारी नहीं कोई और है तो कितना बुरा लगी है उनको ,, भूषण भैया ने जे सही नहीं किया”,रमेश ने कहा
“भूषण भैया ने सही किया या गलत जे सब से हमे का करना है ? तुमहू अपना मुंह बंद रखो और जे सब से दूर रहो का समझे ?”,लड़के ने रमेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। रमेश ने कंधे से लड़के का हाथ झटका और उठकर वहा से चला गया। लड़के कुछ देर वहा बैठे रहे और फिर वे सब भी चले गए
नवीन का घर , मुंबई
नवीन , मेघना , वंश और निशि साथ बैठकर खाना खा रहे थे। खाना बहुत ही लजीज बना था और हर निवाले पर वंश मेघना की तारीफ करते नहीं थक रहा था।
“आंटी कसम से इतनी अच्छी सब्जी मैंने आज से पहले कभी नहीं खाई,,,,,,,,,आंटी प्रॉमिस आप मुझे ये सिखाने वाले हो”,वंश ने निवाला खाकर कहा
“हाह ! एक नंबर का फेंकू है ये लड़का,,,,,,,,,मुझसे कहता है मेरी मॉम से अच्छा खाना पुरे बनारस में कोई नहीं बनाता और यहाँ ‘आंटी इतनी अच्छी सब्जी मैंने कभी नहीं खाई , क्या आप मुझे सिखाओगे ?”,निशि ने मन ही मन चिढ़ते हुए कहा
“सीखने की क्या जरूरत है बेटा ? जब भी तुम्हारा मन करे यहाँ चले आना मैं बना दिया करुँगी,,,,,,,,!!”,मेघना ने बड़े प्यार से कहा
“ओह्ह्ह्ह आंटी सो स्वीट ऑफ़ यू ! आप मुझे 25 साल पहले क्यों नहीं मिली ?”,वंश ने कहा तो मेघना हंसने लगी लेकिन नवीन की निगाहे वंश पर ही टिकी थी वंश को ऐसी बातें करते देखकर नवीन ने मन ही मन खुद से कहा,”मुझे लगता था ये निशि के चक्कर में होगा पर ये तो मेघना के साथ,,,,,,,,,,,,,छी छी मैं ये सब क्या सोच रहा हूँ ? मेघना इसकी माँ की उम्र की है,,,,,,,,,,,,,!!”
“क्या हुआ अंकल ? खाइये ना आंटी ने सच में बहुत अच्छा बनाया है,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
वंश की आवाज से नवीन की तंद्रा टूटी तो उसने कहा,”वैसे तुम्हे ये क्यों सीखना है ?”
नवीन का सवाल सुनकर मेघना और निशि वंश की तरफ देखने लगी , दोनों ही जानना चाहती थी कि वंश इस पर क्या कहता है
वंश थोड़ा शरमाया , थोड़ा इतराया , अपने हाथ की छोटी ऊँगली का नाख़ून कुतरा और शरमाते हुए कहा,”वो मैं इसे अपनी गर्लफ्रेंड के लिए बनाना चाहता हूँ”
नवीन ने सुना तो हैरानी से वंश को देखने लगा और मेघना मुस्कुरा उठी लेकिन निशि के चेहरे पर उदासी के भाव थे। वंश की गर्लफ्रेंड भी है ये बात निशि को अब पता चल रही थी वो भी वंश के मुंह से,,,,,,,,,,,,,,!!
सबको खामोश देखकर वंश ने कहा,”मेरी माँ कहती है कि किसी के दिल तक पहुँचने के लिए पेट का रास्ता सबसे इजी है ,, आप अपने लव्ड वंस के लिए खाना बनाकर उन्हें खिलाकर अपना प्यार जाहिर कर सकते हो,,,,,,,,,,, रोमांटिक ना !”
“इतनी परफेक्ट बात सारिका मैडम ही कह सकती है , शी ईज अमेजिंग”,नवीन ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा
वंश ने सुना तो एकदम से नवीन की तरफ देखा और वंश की इस प्रतिक्रया पर नवीन झेंप गया और मेघना से कहा से कहा,”मेघना वंश को गर्म पराठा दो”
मेघना ने वंश की प्लेट में पराठा रखा। वंश , मेघना और नवीन बातें करते हुए खाना खाने लगे लेकिन निशि कही खोयी हुयी ख़ामोशी से अपना खाना खा रही थी।
खाना खाते हुए वंश की नजर निशि पर पड़ी। कुछ खाना निशि के होंठो के निचे के नीचे लग गया। वंश निशि की तरफ पलटा और अपने हाथ से उसे हटा दिया वंश की छुअन से निशि का दिल धड़क उठा वह एकटक वंश को देखने लगी।
नवीन ने देखा तो उसका निवाला हाथ में ही रह गया वह वंश से कुछ कहता इस से पहले वंश ही सीधा बैठकर खाना खाने लगा। वंश की उंगलियों की छुअन निशि को अब भी महसूस हो रही थी। एक तो वंश के मुंह से गर्लफ्रेंड के लिए सुनना और उसके बाद वंश का अचानक से इतना करीब आकर परवाह दिखाना , निशि समझ नहीं पा रही थी आखिर वंश चाहता क्या था ? वह वहा ज्यादा देर नहीं बैठ पायी और उठते हुए कहा,”मेरा हो गया”
निशि उठकर वाशबेसिन के सामने चली आयी और हाथ धोते हुए खुद में बड़बड़ाने लगी,”ये इतना अजीब बिहेव क्यों कर रहा है ? और गर्लफ्रेंड ? इसकी गर्लफ्रेंड भी है और इसने मुझे बताया तक नहीं , उलटा मुन्ना भैया की सगाई में मुझसे फ्लर्ट कर रहा है ,, हुंह ये सारे लड़के एक जैसे ही होते है,,,,,,,,,,,,,आंटी क्या आप मुझे ये सिखाएगी मुझे अपनी गर्लफ्रेंड के लिए बनाना है,,,,,,,,,,,,,,,बनाकर तो देखे उसी में जहर मिलाकर दोनों को खिला दूंगी”
“तुम्हे अकेले में बड़बड़ाने की बीमारी है क्या ?”,वंश की आवाज निशि के कानो पड़ी तो निशि की तंद्रा टूटी।
उसने देखा वंश उसके बगल में खड़ा है। निशि घबरा गयी कही वंश ने उसे बड़बड़ाते हुए सुन तो नहीं लिया उसने वंश से कहा,”तुमने कुछ सुना ?”
“हाँ तुम कुछ जहर खिलाने की बात कर रही थी,,,,,,कही शादी की बात सुनकर तुम जहर तो नहीं खाने वाली,,,,,,,,देखो निशि मैं तुम्हारे साथ तुम ऐसा कोई गलत कदम नहीं उठाओगी”,वंश ने नौटंकी करते हुए कहा
वंश की बात सुनकर निशि ने अपना पैर वंश के पैर पर अपना पैर पटका और कहा,”अगर ऐसी नौबत आयी तो पहले तुम्हे जहर खिलाऊंगी फिर खुद खाउंगी”
कहकर निशि वहा से चली गयी और वंश पीछे से चिल्लाया,”ए छिपकली ! मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? तुम मुझे क्यों मारना चाहती हो अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई है,,,,,,,,,,,,मैं कंवारा नहीं मरना चाहता”
निशि वंश को इग्नोर कर वहा से चली गयी। वंश हाथ धोते हुए खुद में बड़बड़ाने लगा,”ये छिपकली जब देखो तब मुझसे चिढ़ी क्यों रहती है ? एक तो मैंने इसकी हेल्प की और ये मुझे ही ऐटिटूड दिखा रही है। इसे समझना आसान नहीं,,,,,!!”
“किसे समझना आसान नहीं ?”,नवीन ने बगल में आकर पूछा
“अह्ह्ह्हह मुझे , मैं अपनी सीरीज का कोई डायलॉग प्रेक्टिस कर रहा था,,,,,,,,,,!!”,वंश ने हड़बड़ाते हुए कहा
“मुझे यकीन है तुम एक दिन बहुत बड़े एक्टर बनोगे,,,,,,,,,!!”,नवीन ने वंश के कंधे पर हाथ रखकर कहा
एक्टिंग से चिढ़ने वाले नवीन को ऐसे बात करते देखकर वंश ने मन ही मन कहा,”हाह ! दोनों बाप बेटी को समझना मुश्किल है,,,,,,,,,,!!”
“रात बहुत हो गयी है अब तुम्हे चलना चाहिए,,,,,,!!”,नवीन ने वंश को खोया हुआ देखकर कहा
“हाँ , मैं भी आपसे यही कहने वाला था , मुझे अब चलना चाहिए,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा और नवीन के साथ हॉल में चला आया। निशि और मेघना हॉल में ही थी। निशि डायनिंग पर रखा सामान उठाकर किचन में रखने जा रही थी और मेघना वंश नवीन के साथ वंश को छोड़ने दरवाजे तक चली आयी।
“आज का खाना बहुत अच्छा था , थैंक्यू आंटी,,,,,,,,,,,,गुड नाईट अंकल , गुड नाईट आंटी”,वंश ने दरवाजे के बाहर आकर कहा
“गुड नाईट , घर पहुंचकर एक मैसेज डाल देना,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा और मेघना के साथ अंदर चला गया। आज नवीन को वंश से कोई चिढ नहीं थी , उसकी परेशानी का हल वंश ने उसे खुद ही दे दिया था।
वंश भी जाने के लिए पलट गया और धीमे कदमो से चलते हुए खुद में बड़बड़ाया,”ये उसे हो क्या गया है ? क्या वो मुझसे सच में इतनी नाराज है कि मुझे बाहर छोड़ने तक नहीं आयी ,
ना उसने मुझे गुड नाईट कहा,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया उसके साथ जिस से उसे गुस्सा आये,,,,,,,,,,,कही वो शादी की बात सुनकर परेशान तो नहीं हो गयी,,,,,,,,,,,तुम भी ना गधे हो वंश , तुम्हे नवीन अंकल से पहले निशि को बताना था और एक अच्छे दोस्त की तरह पहले उसे समझाना था कि शादी के बाद उसकी सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी,,,,,,,,,!!
“वंश,,,,,,,,,,,,!!”,निशि की आवाज वंश के कानो में पड़ी तो उसके कदम रुक गए और उसने मन ही मन सोचा,”क्या सच में उसने मुझे पुकारा , अह्ह्ह्ह नहीं ये मेरा वहम हो सकता है वो मुझे क्यों आवाज देगी ?”
सोचकर वंश फिर आगे बढ़ गया और अगले ही पल उसके कानो में निशि की आवाज फिर पड़ी,”वंश”
इस बार वंश ने पलटकर देखा तो पाया कि निशि सच में घर के बाहर खड़ी है। वंश को रुका देखकर निशि उसके सामने आयी और कहा,”तुम इतना पत्थर दिल कैसे हो सकते हो ?”
“अब मैंने क्या किया ?”,वंश ने मासूमियत से कहा
“ओह्ह्ह इतना सब करके तुम मुझसे पूछ रहे हो तुमने क्या किया ? तुमने डेड से मेरी शादी की बात क्यों की ?”,निशि ने गुस्से से भरकर कहा
“ये मैंने तुम्हारे लिए किया , उन्होंने कहा शादी के बाद तुम जो मर्जी कर सकती हो,,,,,,,,,सोचो शादी के बाद तुम सीरीज में काम कर सकती हो बिना किसी परेशानी के,,,,,,,,,!!”,वंश ने खुश होकर कहा
“अच्छा और जिस से शादी हुई उसने नहीं करने दिया तो , तब तुम क्या करोगे ?”,निशि ने पूछा
“ऐसा क्यों होगा ? मैं तुम्हारे लिए ऐसा लड़का ढूंढूंगा जो तुम्हारी सारी बाते माने”,वंश ने कहा
निशि ने सुना तो अपना पीट लिया , एक तो वंश उसकी शादी करवाने की बात कर रहा था ऊपर से लड़का भी खुद ढूंढ रहा था।
निशि का मन तो किया अभी वंश को दो चार लात घूंसे मारे और जमीन पर पटक दे लेकिन उसने खुद को रोक लिया और कहा,”तुम मानोगे मेरी सारी बाते ?”
“मैं तुम्हारी हर बात मानता हूँ , हाँ थोड़ी बहस होती है लेकिन लास्ट में मान लेता हूँ,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
वह अब भी नहीं समझ पाया कि निशि क्या कहना चाहती है ? निशि ने सुना तो मायूसी से वंश को देखने लगी। निशि को उदास और खामोश देखकर वंश ने कहा,”डोंट वरी मैं हूँ ना , तुम्हारी शादी एक बहुत अच्छे लड़के से होगी , अभी मैं चलता हूँ तुम्हारे डेड ने हमे साथ देखा तो फिर से भड़क जायेंगे,,,,,,,,,,,बाय गुड नाईट,,,,,,,,,!!”
निशि जाते हुए वंश को देखते रही , जब वह आँखों से ओझल हो गया तो निशि ने मायूसी से अपना सर झुका लिया और धीमे स्वर में कहा,”ओह्ह्ह्ह वंश ! काश तुम समझते मुझे जो चाहिए वो “तुम” हो,,,,,,,,,,,,,,,कोई और नहीं”
शक्ति का घर , इंदौर
किचन में खड़ा शक्ति अपने लिए चाय बना रहा था। रात का खाना वह अधिराज जी , अम्बिका और काशी के साथ उनके घर पर खाकर आया था। शक्ति ने मुन्ना को लेकर काशी से मदद मांगी लेकिन काशी ने तो शक्ति को वंश की मदद लेने का कहकर पहले से ज्यादा उलझन में डाल दिया। शक्ति ने चाय कप में छानी और घर की बालकनी में चला आया। आज मौसम काफी अच्छा था , आसमान में काले बादल छाये हुए थे , ठंडी हवाएं चल रही थी और किसी भी वक्त बारिश हो सकती थी।
शक्ति ने चाय का एक घूंठ भरा और अपना फोन निकाला। काशी की बात उसे याद थी उसने अपने फोन से वंश का नंबर डॉयल किया और फ़ोन कान से लगा लिया। एक दो रिंग जाने के बाद वंश ने फोन उठाया और कहा,”हेलो”
“हेलो ! कैसे हो वंश ?”,शक्ति ने सधे हुए स्वर में कहा
शक्ति का फोन देखकर वंश हैरान था , वह नवीन के घर से निकला ही था और बाहर अपनी कैब का इंतजार कर रहा था उसने भी सधे हुए स्वर में कहा,”मैं ठीक हूँ पर आप कुछ ठीक नहीं लग रहे,,,,,,!!”
शक्ति समझ गया वंश से बात करना उसके लिए कितना मुश्किल होने वाला है उसने एक गहरी साँस ली और कहा,”हमे तुम्हारी मदद चाहिए,,,,,,,,,,,!!”
वंश ने सुना तो मुस्कुरा उठा और मन ही मन खुद से कहा,”अब आया ना ऊँट पहाड़ के नीचे
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संजना किरोड़ीवाल


किचन में खड़ा शक्ति अपने लिए चाय बना रहा था। रात का खाना वह अधिराज जी , अम्बिका और काशी के साथ उनके घर पर खाकर आया था। शक्ति ने मुन्ना को लेकर काशी से मदद मांगी लेकिन काशी ने तो शक्ति को वंश की मदद लेने का कहकर पहले से ज्यादा उलझन में डाल दिया। शक्ति ने चाय कप में छानी और घर की बालकनी में चला आया। आज मौसम काफी अच्छा था , आसमान में काले बादल छाये हुए थे , ठंडी हवाएं चल रही थी और किसी भी वक्त बारिश हो सकती थी।
किचन में खड़ा शक्ति अपने लिए चाय बना रहा था। रात का खाना वह अधिराज जी , अम्बिका और काशी के साथ उनके घर पर खाकर आया था। शक्ति ने मुन्ना को लेकर काशी से मदद मांगी लेकिन काशी ने तो शक्ति को वंश की मदद लेने का कहकर पहले से ज्यादा उलझन में डाल दिया। शक्ति ने चाय कप में छानी और घर की बालकनी में चला आया। आज मौसम काफी अच्छा था , आसमान में काले बादल छाये हुए थे , ठंडी हवाएं चल रही थी और किसी भी वक्त बारिश हो सकती थी।