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Main Teri Heer – 65

Main Teri Heer – 65

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

गौरी ने मुन्ना को वहा बुलाकर सबको मुसीबत में डाल दिया। 

“आप तीनो हमारी तरफ पलटेंगे ?”,मुन्ना की कड़कदार आवाज तीनो के कानो में पड़ी तो तीनो अपने अपने हाथो को बांधे और गर्दन झुकाये मुन्ना की तरफ पलट गए
गौरी और वंश को वहा देखकर मुन्ना को इतनी हैरानी नहीं हुई जितनी अपने पापा को देखकर हुई। मुन्ना ने वंश की तरफ देखा और कहा,”तुम खुद को समझते क्या हो ?”
“कौन मैं ?”,वंश ने सर उठाकर मुन्ना की तरफ देखकर कहा


“हाँ तुम ! जरूर इतनी रात में यहाँ आने का ये बेकार आईडिया तुम्हारा ही होगा,,,,,,,,,,,,,यहाँ आने तक ठीक है लेकिन ये झगड़ा , वंश ये बनारस नहीं है जहा तुम किसी से भी उलझ जाते हो। क्या जरूरत थी उन लड़को के साथ झगड़ा करने की ? हम देख रहे है वंश मुंबई जाकर भी तुम्हारी हरकतों में कोई सुधार नहीं है,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने वंश को डाँटते हुए कहा बेचारा वंश ख़ामोशी से सब सुनता रहा मुन्ना इस वक्त गुस्से में था और उसे जवाब देकर वंश आग में घी डालना नहीं चाहता था , उसने चुप रहना ही बेहतर समझा।


वंश को खामोश देखकर मुन्ना ने गौरी से कहा,”और गौरी शर्मा तुम ,, बहुत बड़ी गुंडी हो तुम ? हमने तुम्हे सीधा घर जाने को कहा था फिर इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो तुम ?”
गौरी को तो जैसे सांप ही सूंघ गया आज से पहले मुन्ना ने उसे ऐसे नहीं डांटा था। गौरी को खामोश देखकर मुन्ना मुरारी की तरफ पलटा। बेचारा मुरारी पहली बार बाप होकर बेटे से डर रहा था। उसने नजरे उठाकर एक बार मुन्ना को देखा लेकिन मुन्ना को गुस्से में देखकर अगले ही पल अपनी नजरे नीची कर ली।


मुन्ना ने मुरारी को देखा और कहा,”और आप ? इन दोनों के साथ साथ आप भी यहाँ चले आये और तो और लड़को के साथ मार-पीट कर रहे है ,, आपको अपनी उम्र का ख्याल करना चाहिए , उन लड़को का क्या भरोसा वो कुछ भी उलटा सीधा,,,,,,,,,,,,हमे आपसे तो ये उम्मीद नहीं थी”
“अगर तुम्हारे सामने कोई गौरी के लिए गलत बोले तो तुम क्या करोगे ?”,मुरारी ने पूछा
“मुंह तोड़ देंगे उसका,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने गुस्से से कहा


मुरारी ने फिर अपनी नजरे झुका ली और धीमे स्वर में कहा,”वही तो हमने किया,,,,,,,,!!”
“मान तुम पापा से इस तरह से बात नहीं कर सकते,,,,,,,,,,,,,,,,अरे तुम यहाँ होते ना तो देखते क्या मस्त थप्पड़ मारा था पापा ने उस लड़के को उसका तो पूरा
सिस्टम ही हिल गया था,,,,,,,,!!”,गौरी ने आगे आकर कहा
मुन्ना आज गुस्से में था इसलिए गौरी की बात सुनकर कहा,”शट-अप”


बेचारी गौरी सहमकर वापस पीछे हट गयी तो मुन्ना ने आगे कहा,”अब आप तीनो चुपचाप घर चलेंगे या और तमाशा करना है ? वंश तुम पापा के साथ घर जाओ हम गौरी को घर छोड़कर आते है।”
“अरे मैं खुद चली जाउंगी,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा तो मुन्ना ने उसकी बाँह पकड़ी और उसे वहा से ले जाते हुए कहा,”हमने तुम्हारी सलाह नहीं मांगी है,,,,,,,,,,,!!”
“पर मान,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा लेकिन मुन्ना ने जैसे ही उसे घूरकर देखा गौरी चुप हो गयी और मुन्ना के साथ आगे बढ़ गयी।

“बाल बाल बच गए , मुन्ना का गुस्सा देखा आज तुमने कैसे आग बबूला हो रहा था ?”,मुन्ना के वहा से जाने के बाद मुरारी ने अपने सीने पर हाथ रखकर कहा  
वंश ने बालों में से हाथ घुमाया और कहा,”इस से तो बच गए पर वह घर पर अनु मौसी आपका इंतजार कर रही है , उनसे आपको कौन बचाएगा ?”
“मतलब ?”,मुरारी ने असमझ की स्तिथि में कहा


“अरे वो आप घर के लॉन में उदास बैठे थे ना तो मैंने ही अनु मौसी को बोला था आपसे बात करने को , डेढ़ घंटा हो चुका है वो लॉन में ही आपका इंतजार कर रही होगी,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
मुरारी ने सुना तो उसका सर चकराने लगा और आँखों के सामने चाँद-तारे घूमने लगे। उर्वशी को लेकर अनु पहले ही उस से अच्छा खास नाराज थी और अब वंश ने उस आग में घी डाल दिया। मुरारी को खोया हुआ देखकर वंश ने कहा,”क्या हुआ परेशान काहे है ?”


मुरारी ने वंश को देखा और रोआँसा होकर कहा,”  

तुम साले हमरे भतीजे नहीं पिछली जन्म की हमरी कोई सौत रहे होंगे,,,,,,,,,,,,,,जो अनु के रूप में हमरी चिता सजाकर आये हो,,,,,,,,,,ज़िंदा रहे तो कल सुबह मिलेंगे”
कहकर मुरारी वहा से चला गया।
“चाचा , अरे सुनो तो,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने आवाज दी लेकिन मुरारी वहा से चला गया और वंश भी अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया।मुन्ना गौरी को लेकर गाड़ी के पास आया और गौरी के लिए दरवाजा खोलकर कहा,”बैठो,,,,,,,,!!”


मुन्ना के सामने हमेशा क्यूट हरकते करने वाली गौरी आज मुन्ना का गुस्सा देखकर चुप थी। वह चुपचाप आकर अंदर बैठ गयी। मुन्ना ने दरवाजा बंद किया और खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा। मुन्ना का गुस्सा अब कुछ कम हो चुका था इसलिए उसने शांत लहजे में कहा,”क्या तुम हमे बताओगी इतनी रात में तुम पापा और वंश के साथ यहाँ क्या कर रही थी ?”


“हाहहहहह क्या तुम्हे अपने पापा और वंश पर भरोसा नहीं है , क्या तुम्हे लगता है वो मेरा फायदा उठा लेंगे?”,गौरी ने मासूम बनने की एक्टिंग करते हुए कहा
मुन्ना ने सुना तो अपने ही सर पर एक चपत मारी और कहा,”कुछ नहीं घर चलो,,,,,,,,,रात बहुत हो चुकी है हम तुम्हे घर छोड़ देते है।”
“तुम्हारे घर या मेरे घर ?”,गौरी ने शरारत से अपनी आँखे मिचमिचाते हुए कहा
“तुम्हारे घर , हमारे घर आने में अभी थोड़ा वक्त है।”,मुन्ना ने कहा और गाड़ी आगे बढ़ा दी


मुन्ना को नाराज देखकर गौरी ने मुँह बनाया और अपने हाथो को बांधकर खिड़की से बाहर देखने लगी। मुन्ना बहुत ध्यान से गाडी चला रहा था। गौरी का शांत रहना अब उसे पसंद नहीं आ रहा था इसलिए उसने कहा,”गौरी,,,,,,,,!!”
गौरी ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि पहले से ज्यादा मुंह बनाया और बाहर देखने लगी
“गौरी,,,,,,,,,,,हम तुम से बात कर रहे है”,मुन्ना ने फिर कहा
“क्या है ? क्यों बात करनी है तुम्हे मुझसे , तुम तो टिपिकल हस्बेंड्स की तरह गुस्सा करो मुझ पर”,गौरी ने मुन्ना की तरफ देखकर चिढ़ते हुए कहा


मुन्ना बेचारा असमझ में पड़ गया एक तो गौरी ने गलती की ऊपर से वह मुन्ना पर गुस्सा भी कर रही थी लेकिन वो कहते है “दुनिया के सामने अकड़कर चलने वाले लड़के , महबूबा के सामने झुककर चलते है।”
मुन्ना ने देखा गौरी उस से कुछ ज्यादा ही नाराज है तो उसने गौरी का हाथ अपने हाथ में ले लिया लेकिन गौरी ने अपना हाथ छुड़ाया और दूसरी तरफ देखने लगी।

“लगता है हमने कुछ ज्यादा ही गुस्सा कर दिया,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने मन ही मन खुद से कहा और फिर चुपचाप गाडी चलाने लगा
ये देखकर गौरी और ज्यादा खीज गयी। रास्तेभर दोनों में कोई बात नहीं हुई , गाड़ी गौरी के घर के सामने आकर रुकी मुन्ना ने जैसे ही कुछ कहना चाहा गौरी ने गाडी का दरवाजा खोला और उतरकर घर की तरफ चली गयी। मुन्ना गाड़ी से नीचे उतरा और दरवाजे के पास ही रुक गया। गौरी चलते चलते रुकी और गुस्से से पैर पटकते हुए वापस मुन्ना की तरफ आयी।  

मुन्ना ने गौरी को देखकर भँवे उचकाई तो गौरी ने मुन्ना को मारते हुए कहा,”अह्ह्ह्ह तुम कितने बुरे हो , अगर मैं नाराज हूँ तो क्या तुम मुझे मना नहीं सकते थे,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुराते हुए गौरी की बाँह पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और सीने से लगाकर कहा,”ये गुंडई तुम बनारस में करना यहाँ नहीं,,,,,,,,,!!”


मुन्ना के सीने से लगते ही गौरी का गुस्सा शांत हो गया। मुन्ना ने उसके माथे को अपने होंठो से छूआ और कहा,”जाओ अंदर जाओ हम तुम से कल सुबह मिलते है,,,,,,,,,!!”
गौरी ने हामी में अपनी गर्दन हिलाई और फिर एकदम से मुन्ना के गाल पर किस करके वहा से चली गयी। मुन्ना ने अपना हाथ अपने गाल से लगा लिया और ऐसा करते हुए वह बहुत ही प्यारा लग रहा था। गौरी के जाने के बाद मुन्ना वापस गाड़ी में आकर बैठा और वहा से निकल गया।

मुन्ना से डांट खाकर वंश अपनी बाइक के पास चला आया। वंश को आते देखकर निशि ने अपना फोन बंद किया और कहा,”तुम मुझे अकेला छोड़कर कहा चले गए थे ?”
वंश ने निशि को सब बातें बताई तो निशि ने कहा,”अब क्या होगा ?”
“होना क्या है मेरी और मुरारी चाचा की पीपटी बजेगी”,वंश ने कहा और बाइक पर आ बैठा। उसके पीछे बैठी निशि उस “पीपटी” शब्द का मतलब समझने की कोशिश कर रही थी।

गौरी जाते जाते अपनी स्कूटी की चाबी मुरारी को थमाकर चली गयी थी , मुरारी स्कूटी के पास आया और वहा से निकल गया। उसके पीछे अपनी बाइक पर निशि को साथ लिए वंश आ रहा था। गनीमत था मुरारी , गौरी और मुन्ना में से किसी ने निशि को वंश के साथ नहीं देखा वरना यहाँ अलग कहानी बन जाती। घर के बाहर मुरारी अपनी स्कूटी रोके खड़ा था। वंश ने उसके बगल में आकर बाइक रोकी और कहा,”क्या हुआ आप अंदर क्यों नहीं जा रहे ?”


“अनु साक्षात् मौत बनकर हमरे सामने खड़ी है,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने लॉन में घूमती अनु को देखकर कहा
वंश अनु को मुरारी से बात करने के लिए लॉन में छोड़कर गया था और अनु अभी तक लॉन में ही थी। वंश ने मुरारी को देखा और कहा,”लगता है आपका ही इंतजार कर रही है”
“जे सब तुम्हरा किया धरा है , का जरूरत थी अनु से कुछ भी कहने की , अब लगवा दी ना हमरी लंका”,मुरारी ने कहा


 वंश ने कुछ सोचा और कहा,”अरे आप क्यों परेशान होते है , मैं जैसा कहता हूँ वैसे कीजिये,,,,,,,,,,,मेरे साथ आईये”
मुरारी वंश पर अंधा विश्वास करके उसके साथ अंदर चला आया।

लॉन में घूमती अनु की नजर जब सामने से आते मुरारी पर पड़ी तो वह परेशान हो गयी। मुरारी अकेला नहीं आ रहा था बल्कि निशि और वंश उसे सहारा देकर अंदर ला रहे थे। अनु घबराई हुई सी उनके पास आयी और कहा,”इन्हे क्या हुआ है ?”
“वो आप मुरारी चाचा से नाराज थी ना तो ये बहुत दुखी थे और इन्होने शराब पी ली,,,,,,,,,,,,,वहा बाहर थे मैंने देखा तो निशि की मदद से इन्हे अंदर ले आया। अनु मौसी प्लीज इस वक्त इन्हे कुछ मत बोलना ये बहुत अपसेट है,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने अपनी तरफ से कोई कहानी सुनाते हुए कहा


“क्या ? इन्होने शराब पी है ?”,अनु ने हैरानी से कहा जैसे उसे विश्वास ना हुआ हो
मुरारी ने सुना तो लड़खड़ाती आवाज में कहा,”कौन कम्बख्त शराब मजे के लिए पीता है ? अरे हम तो पीते है ताकि अपनी मैग्गी को मना सके,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“मुझे मनाने का ये तरिका सही लगा तुम्हे मुरारी,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह मेरी तो किस्मत ही ख़राब है जो इस उम्र में भी तुम्हारे ये रंग देखने पड़ रहे है। सारा घर मेहमानो से भरा पड़ा है अगर उन्होंने तुम्हे इस हाल में देखा तो क्या इज्जत रह जाएगी पापा की,,,,,,,,,,,,,!!”


वंश ने देखा मुरारी से हमदर्दी दिखाने के बजाय अनु उस पर और ज्यादा गुस्सा कर रही है तो उसने कहा,”अनु मौसी ये वक्त गुस्सा करने का नहीं है , अभी ये नशे में है आप कुछ भी कहेंगी इन्हे कहा समझ आएगा,,,,,,,,,,,आप इनकी क्लास सुबह लेना , अभी मैं इन्हे अंदर ले जाता हूँ,,,,,,!!”
“अंदर नहीं इन्हे मेरे कमरे में लेकर आओ,,,,,,,,,खामखा किसी ने देखा तो जवाब देना मुश्किल हो जायेगा”,अनु ने कहा और घर के पिछले दरवाजे की तरफ इशारा कर दिया।


अनु आगे चल पड़ी और वंश निशि मुरारी को सम्हाले उसके पीछे चल पड़े चलते चलते मुरारी ने वंश से कहा,”देखा आज भी बहुते प्यार करती है मुझसे , अपने कमरे में बुला रही है,,,,,,,,,,,,!!”
वंश ने सुना तो मुरारी को देखा और कहा,”आपकी ही बीवी है,,,,,,,,,,,,!!”
मुरारी ने सुना तो झेंप गया और फिर चुपचाप चलने लगा। वंश ने मुरारी को पिछले दरवाजे से अनु के कमरे में छोड़ा और निशि के साथ वहा से निकल गया।

अनु कमरे का दरवाजा बंद करने आयी और दरवाजा बंद करते हुए सहसा ही उसके दिमाग में ख्याल आया और वह खुद में बड़बड़ाई  “”बाकि सब ठीक है पर ये वंश और निशि इतनी रात में एक साथ क्या कर रहे है ? कुछ तो गड़बड़ है”
अनु ने दरवाजा बंद किया और जैसे ही बिस्तर की तरफ आयी मुरारी ने अनु के सवाल जवाब से बचने के लिए अपनी आँखे बंद कर ली और खर्राटे लेने लगा।

वंश निशि से बाते करते हुए जैसे ही अंदर आया सामने से आते नवीन को देखकर उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी वह तुरंत पलट गया लेकिन नवीन ने उसे वहा देख लिया और दोनों के पास आकर कहा,”तुम , तुम दोनों एक साथ यहाँ क्या कर रहे हो ?”
निशि को काटो तो खून नहीं क्या कहे क्या नहीं ,उसे कुछ नहीं सुझा तो उसने कहा,”अह्ह्ह्हह मैं तो पानी लेने आयी थी डेड,,,,,,,,!!”
“अच्छा और ये यहाँ क्या कर रहा है ये भी पानी लेने आया होगा ?”,नवीन ने सवाल किया


निशि कही उलटा सीधा बोलकर वंश को ना फंसा दे सोचकर वंश ने अपनी आँखे बंद की और पलटकर नींद में चलने की एक्टिंग करने लगा और नवीन से टकरा गया।
“डेड लगता है इसे नींद में चलने की आदत है और ये गलती से यहाँ आ गया हो , मैं इसे इसके कमरे तक छोड़ आती हूँ।”,निशि ने कहा


“तुम अपने कमरे में जाओ इसे मैं लेकर जाता हूँ,,,,,,,,,!”,कहते हुए नवीन ने वंश का हाथ पकड़ा और उसे लेकर चला गया। चलते चलते वंश ने पलटकर निशि को देखा तो निशि ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ हिला दिया।
एक खूबसूरत अहसास जो वंश और निशि दोनों के दिल को छूकर गुजरा,,,,,,,,,,कुछ तो था जो उन दोनों के दिलो में पनप रहा था।

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