Haan Ye Mohabbat Hai – 103
Haan Ye Mohabbat Hai – 103
सचिन और चित्रा अक्षत के घर पहुंचे। सचिन अक्षत से मिला तो अक्षत ने उसे सब सच बता दिया।
“आपने मेरी भावनाये कैसे जान ली सर ? मैंने तो कभी आपसे इसका जिक्र भी नहीं किया था।”,सचिन ने अक्षत से कहा
“तुम्हारे साथ रहकर अगर मैं इतना नहीं समझ पाया तो फिर मेरा मोहब्बत करना बेकार है। आओ अंदर आओ , आज घर में पूजा है तुम लोग भी ज्वाइन करो”,अक्षत ने कहा
सचिन ने सुना तो उसे अच्छा लगा , अक्षत उसे और चित्रा को अपने परिवार का हिस्सा मानने लगा था। अक्षत उन दोनों के साथ घर के अंदर चला आया।
“सर ! जिनके लिये आपने मेरी मोहब्बत को ठुकरा दिया उनसे तो मिलवा दीजिये,,,,,,,,,,,!!”,चित्रा ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,,,,,,मीरा , ज़रा यहाँ आना”,अक्षत ने चित्रा से कहा और फिर मीरा को आवाज दी जो कि दादी माँ के साथ थी
मीरा अक्षत की तरफ चली आयी , चित्रा ने मीरा को देखा तो बस देखते ही रह गयी। आज उसे समझ आ रहा था आखिर क्यों अक्षत ऐसा था ? वह मीरा के चेहरे से अपनी नजरे हटा ही नहीं पायी।
“मीरा , ये दोनों मेरे जूनियर है। सचिन और चित्रा,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने मीरा को उन दोनों का परिचय देते हुए कहा
“नमस्ते,,,,,,,,,,आप दोनों भी पूजा में आईये ना,,,,,,!!”,मीरा ने हाथ जोड़कर दोनों को नमस्ते किया
“अब समझ आया आपके होंठो पर हमेशा इनका नाम क्यों रहता था ? आप बहुत लकी है मीरा जी,,,,,,,,,,,,!!”,चित्रा ने कहा
“हाँ लकी तो है,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहते हुए अक्षत की तरफ देखा तो अक्षत का दिल धड़क उठा
“अरे सचिन वहा क्या कर रहे हो यहाँ आओ ?”, बालकनी में खड़े अर्जुन ने कहा तो सचिन उसकी तरफ चला गया। अक्षत और मीरा को अकेला छोड़कर चित्रा भी वहा से चली गयी
अक्षत और मीरा के बीच एक बार फिर खामोशियाँ थी अक्षत मीरा के थोड़ा करीब आया ,, मीरा ने देखा आस पास कई लोग थे लेकिन अक्षत को फर्क नहीं पड़ा उसने मीरा की आँख के किनारे से काजल निकाला और कान के पीछे लगाते हुए कहा,”तुम बहुत सुन्दर लग रही हो , इतनी कि मैं खुद को तुम्हे देखने से रोक नहीं पा रहा हूँ ,, कही तुम्हे मेरी नजर ना लग जाये”
मीरा ने सुना तो उसका दिल धड़कने लगा आज कई सालो बाद वह अक्षत में उस पुराने अक्षत को देख रही थी जो शादी से पहले हुआ करता था।
वो अक्षत जो बेफिक्र और गंभीर हुआ करता था। मीरा एकटक अक्षत को देखते रही ,, अक्षत वहा से चला गया और मीरा भी दादी माँ की तरफ चली आयी। पूजा शुरू हुई पंडित जी ने सबको आने को कहा। सभी आकर बैठ गए और कथा सुनने लगे। अक्षत और मीरा साथ बैठे थे बाकि सब भी अपने अपने जोड़े के साथ बैठे थे। सोमित जीजू और अर्जुन नीता तनु के साथ अक्षत मीरा के ठीक पीछे ही बैठे थे और अक्षत को छेड़ने का एक मौका नहीं छोड़ रहे थे।
रघु अमर जी की व्हील चेयर के पास जमीन पर बैठा था। अक्षत की नजरे बार बार अमर जी की तरफ चली जाती। सभी बहुत खुश थे और आज व्यास फॅमिली में सुकून के पल थे।
दोपहर बाद से ही छवि की तबियत खराब थी। माधवी जी अपना गुस्सा भूलकर छवि के साथ हॉस्पिटल चली आयी। डॉक्टर ने छवि का चेकअप किया और उसे अपने केबिन में आने को कहा। छवि माधवी के साथ केबिन में चली आयी। डॉक्टर ने छवि की फाइल देखी और कहा,”घबराने की कोई बात नहीं है माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ है। नवा महीना शुरू होने वाला है ना तो थोड़ी थकान और बुखार रहेगा शुरूआती दिनों में,,,,,,,,,,,,आपको बिल्कुल स्ट्रेस नहीं लेना है और खूब अच्छे से खाना पीना,,,,,,,,,,,!!”
डॉक्टर अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी इतने में केबिन का दरवाजा खुला और विक्की ने तेजी से अंदर छवि की तरफ आते हुए कहा,”छवि , छवि क्या हुआ तुम्हे ? मैं घर गया था तुम से मिलने तुम्हारे मामाजी ने बताया तुम हॉस्पिटल हो,,,,,,,,तुम ठीक हो न ?”
“आप कौन है ?”,डॉक्टर ने हैरानी से कहा
“मैं इस बच्चे का फादर हूँ डॉक्टर , छवि को क्या हुआ है ?”,विक्की ने डॉक्टर से कहा
“छवि बिल्कुल ठीक है बस रूटीन चेकअप के लिये हॉस्पिटल आयी है। माधवी जी आप बहुत किस्मत वाली है जो आपकी बेटी का इतना ख्याल रखने वाला दामाद मिला है आपको”,डॉक्टर ने खुश होकर कहा
माधवी ने सुना तो गुस्से के घूंठ पीकर रह गयी उन्होंने विक्की से कुछ नहीं कहा बस उसे देखते रही। विक्की को वहा देखकर छवि खुश हुई लेकिन मन ही मन घबरा भी रही थी कि माधवी जी कही फिर से विक्की पर गुस्सा ना कर बैठे।
डॉक्टर ने छवि की फाइल में कुछ दवाईया लिखी और फाइल विक्की की तरफ बढ़ाकर कहा,”ये कुछ दवाईया है , वक्त से इन्हे देते रहिये और इनका ख्याल रखे ,, ध्यान रखे कि ये रोज वॉक करे , वक्त पर खाना खाये और अपनी दवा ले”
“मैं ध्यान रखूंगा डॉक्टर,,,,,,,,,,थैंक्यू !”,विक्की ने कहा और फाइल लेकर छवि और माधवी जी से कहा,”चले ?”
छवि अपने पेट पर हाथ लगाए उठी और माधवी जी के साथ केबिन से बाहर निकल गयी। विक्की भी उनके पीछे पीछे चला आया। बाहर आकर विक्की ने माधवी जी से कहा,”आप बैठिये मैं दवा ले आता हूँ,,,,,,,!!”
विक्की इतना कहकर जैसे ही जाने लगा माधवी जी ने गुस्से से दबे स्वर में कहा,”तुम ये सब क्यों कर रहे हो ?”
विक्की रुक गया और पलटकर माधवी से कहा,”क्योकि छवि मेरी पत्नी है और उसके बच्चे का ख्याल रखना मेरी जिम्मेदारी है।”
“ये जानते हुए भी कि ये बच्चा तुम्हारा नहीं है फिर भी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,माधवी जी ने गुस्से से कहा
“कुमार मेरा भाई था उसकी रगों में मेरे पापा का खून है और वही खून मेरी रगों में भी,,,,,,,,,,,,उसने जो किया वो तो मैं नहीं बदल सकता लेकिन इस बच्चे को अपना नाम देकर मैं उसकी इस गलती को सुधारने की एक कोशिश कर सकता हूँ। इस बच्चे का पिता मैं हूँ और छवि के साथ साथ मैं इसे भी अपना चूका हूँ।”,विक्की ने सहजता से कहा
विक्की की बात सुनकर माधवी जी खामोश हो गयी उनके पास विक्की को कहने के लिए अब कुछ नहीं था। वे ख़ामोशी से विक्की को देखने लगी। माधवी जी को खामोश देखकर विक्की ने कहा,”मैं दवाईया ले आता हूँ।”
विक्की वहा से चला गया। माधवी जी ने अपने बगल में खड़ी छवि को देखा तो पाया छवि की आँखों में आँसू भरे थे जो किसी भी वक्त बाहर आने को बेताब थे। माधवी जी छवि के साथ पास ही पड़ी बेंच पर आकर बैठ गयी।
छवि ने माधवी जी कुछ नहीं कहा वह बस नम आँखों से मेडिकल स्टोर पर खड़े विक्की को देख रही थी जो कि बहुत ही तसल्ली से लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। हमेशा घमंड में चूर रहने वाले विक्की के चेहरे पर आज घमंड का नामों निशान तक नहीं था। वह बदल चुका था और इतना बदल चूका था कि छवि भी खुद को उस से मोहब्बत करने से रोक नहीं पायी थी। कुछ देर बाद विक्की दवाईया लेकर आया और छवि माधवी से चलने को कहा। दोनों विक्की के साथ हॉस्पिटल से बाहर चली आयी।
विक्की जानता था कि माधवी जी उसे इतनी जल्दी माफ़ नहीं करेगी ना ही उसे अपनायेगी इसलिए उसने सामने से गुजरते ऑटो को रुकवाया और उन्हें बैठने को कहा। माधवी और छवि ऑटो में आ बैठी। विक्की ने डॉक्टर की फाइल और दवाईया छवि को दे दी और ऑटोवाले से सम्हलकर जाने को कहा। ऑटो वहा से चला गया छवि ने पलटकर विक्की को देखा तो पाया विक्की वही खड़ा उन्हें जाते देख रहा है।
छवि और माधवी जी के जाने के बाद विक्की भी अपनी गाड़ी लेकर वहा से निकल गया।
पूजा के बाद सबने साथ बैठकर प्रशाद खाया। रात होते होते ज्यादातर रिश्तेदार अपने घर चले गए। चित्रा और सचिन भी घर के लिये निकल गए। बाकि सबने खाना खाया और सब साथ बैठकर बाते करने लगे। दादू-दादी , विजय जी-राधा , तनु , सोमित जीजू , अर्जुन , निधि , हनी और अमर जी हॉल में साथ साथ बैठे थे। मीरा नीता की मदद कर रही थी और अक्षत वह घर से बाहर लॉन में फोन पर किसी से बात करने में व्यस्त था। उसके चेहरे के भाव बता रहे थे जैसे वह किसी गंभीर चीज पर बात कर रहा है।
नीता की मदद करने के बाद मीरा सबके लिये चाय ले आयी। राधा ने देखा तो उठकर उसके हाथ से ट्रे लेते हुए कहा,”मीरा ! तुम ज़रा भी नहीं बदली , बीमार हो लेकिन फिर भी तुम्हे ये सब करना है। घर में इतने सब लोग है ये काम कोई भी कर लेगा,,,,,,,,,,,!!”
“माँ ! हम ठीक है और फिर अपने घर में काम करने में कैसी झिझक , हमे आप लोगो के लिये ये सब करके अच्छा लगता है।”,मीरा ने प्यार से कहा
“ठीक है , आशु शायद बाहर है ये चाय तुम उसे देकर आओ”,राधा ने कहा तो मीरा ने चाय का एक कप उठाया और लेकर बाहर चली आयी। अक्षत घर के लॉन में फोन पर बात कर रहा था जब उसने मीरा को आते देखा तो फोन काटकर जेब में रख लिया।
मीरा ने अक्षत के सामने आकर चाय का कप उसकी तरफ बढ़ा दिया। अक्षत ने कप लिया और कहा,”तुम्हारा बुखार कैसा है अब ?”
“हम ठीक है,,,,,,,!!”,मीरा ने नजरे झुकाकर कहा
“हम्म्म !”,अक्षत ने कहा उसके पास मीरा से कहने के लिये बहुत कुछ था लेकिन इस वक्त शब्दों ने उसका साथ नहीं दिया। वह चाहता था मीरा कुछ देर उसके साथ यही रुके लेकिन मीरा चाय देकर जाने लगी तो अक्षत ने कहा,”मीरा !”
“जी,,,,,,,!!”,मीरा ने पलटकर कहा
“तुम से कुछ पुछु ?”,अक्षत ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने अक्षत की तरफ देखकर कहा
“क्या कभी ऐसा हुआ था कि तुम घर तक आयी थी और घर में ना आकर बाहर से वापस चली गयी ,, उन दिनों जब मैं बहुत परेशान था इसी जगह खड़े होकर मुझे लगा जैसे तुम आस पास हो और मुझे देख रही हो,,,,,,,,,,क्या कभी ऐसा हुआ है ?”,अक्षत ने धड़कते दिल के साथ कहा
मीरा ने जैसे ही सुना उसकी आँखों में आँसू भर आये , उसे वो पल याद आ गया जब वो वरुण के साथ अक्षत को देखने घर के बाहर आयी थी और अक्षत से बिना मिले ही चली गयी थी।
मीरा का दिल भर आया जब उसे पता चला कि अक्षत की भावनाये उसे लेकर कितनी मजबूत थी।
“शायद मैं कुछ ज्यादा सोच रहा हूँ हो सकता है वो मेरा वहम हो,,,,,,,,,तुम अंदर जाओ बाहर ठण्ड है।”,अक्षत ने मीरा को खामोश देखकर कहा
“हम आये थे अक्षत जी,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने नम आँखों से अक्षत की तरफ देखकर कहा
अक्षत ने सुना तो अब पलकें भीगने की बारी उसकी थी , आँखों में आयी नमी को मीरा ना देख ले इसलिए अक्षत पलट गया , उसके दिल में चुभन का अहसास हो रहा था उसने अपने निचले होंठ को दाँतो तले दबा लिया।
“हम आये थे पर जब आपको दर्द में देखा तो आपके सामने आने की हिम्मत नहीं हुई , आपको वो दर्द देने वाले भी हम ही थे फिर किस मुंह से आपके सामने आते,,,,,,,,,,हम जानते है हमने आपका बहुत दिल दुखाया है , आपको दर्द दिया है और इसके लिये आप हमे जो सजा दे हमे मंजूर है।”,मीरा ने उदासी भरे स्वर में कहा
अक्षत ने अपनी आँखों के किनारे साफ किये और मीरा की तरफ पलटकर कहा,”पक्का ?”
“हम्म्म !”,मीरा ने धीरे से कहा
अक्षत ने अपना हाथ मीरा के सामने किया और कहा,”तो फिर मुझसे वादा करो मीरा आज के बाद तुम मुझे छोड़कर नहीं जाओगी,,,,,,,,,मैं जाने के लिये कहू तब भी नहीं,,,,,,,,वादा करो”
मीरा की आँखों में फिर नमी तैर गयी अक्षत की आवाज से ही वह उसके दर्द का अंदाजा लगा पा रही थी उसने अक्षत के हाथ पर अपना हाथ रखा और हामी में गर्दन हिला दी।
अक्षत का दिल किया वह अभी मीरा को सीने से लगा ले लेकिन आस पास कुछ मेहमान थे इसलिए खुद को रोक लिया और कहा,”मुझे तुम से बहुत कुछ कहना है मीरा है , आज रात मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा।”
कहकर अक्षत वहा से चला गया और मीरा अक्षत को जाते हुए देखते रही।
कुछ देर बाद मीरा अंदर चली आयी। रात के खाने के बाद सभी अपने अपने कमरों में चले गए। मीरा जैसे ही राधा के कमरे की तरफ जाने लगी राधा ने कहा,”मीरा वहा कहा जा रही हो ? अपने कमरे में जाओ बेटा,,,,,,,,,,,,,!!”
मीरा को अहसास हुआ कि वह व्यास फैमिली में वापस आ चुकी है और सभी घरवालों का उसके साथ बर्ताव वैसा ही है जैसा पहले था। मीरा सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी। जैसे ही अक्षत के कमरे की तरफ जाने लगी उसका दिल धड़क उठा।
कितना कुछ था जो उसे अक्षत से कहना था और कितना ही कुछ था जो अक्षत उस से कहना चाहता था। मीरा कमरे के पास आयी तो देखा अक्षत हाथ बांधे कमरे की चौखट से पीठ लगाए खड़ा है। मीरा जैसे ही उसके सामने आयी अक्षत ने उसे कलाई पर बंधी घडी दिखाते हुए कहा,”तुम पुरे 45 मिनिट लेट हो मीरा,,,,,,,,,,!!”
“वो हम,,,,,,,,,,हम नीचे , हम नीचे भाभी की मदद कर रहे थे।”,मीरा ने हिचकिचाते हुए कहा
“तुम्हे देर से आने के लिये सजा भी मिल सकती है याद है ना,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने मीरा को देखते हुए कहा
“मंजूर है,,,,,,,,!!”,मीरा ने अक्षत की तरफ देखकर कहा
अक्षत दरवाजे से हटा और मीरा से अंदर आने का इशारा किया। मीरा अंदर चली आयी लेकिन अक्षत दरवाजा बंद करता इस से पहले ही अर्जुन अपने हाथ में तकिया लिये कमरे मे चला आया। अक्षत ने देखा तो कहा,”आप यहाँ किसलिए ?”
“मीरा इतने दिनों बाद घर आयी है उस से बात करने के लिये , इसलिए मैं आज यही सोने वाला हूँ”,अर्जुन ने अक्षत को साइड करते हुए कहा
अक्षत कुछ समझ पाता इस से पहले नीता भी हाथ में तकिया लिये अर्जुन के पीछे पीछे चली आयी
“अब आप यहाँ किसलिए ?”,अक्षत ने चिढ़ते हुए कहा
“वो मुझे न अर्जुन के बिना नींद नहीं आती और फिर मीरा भी यहाँ है तो सब बैठकर बाते करेंगे,,,,,,, क्यों अर्जुन ?”,नीता ने कहा
“हाँ हाँ नीता आ जाओ , बहुत जगह है यहाँ,,,,,,,!!”,अर्जुन ने अक्षत के बिस्तर पर नीता के लिये जगह बनाते हुए कहा
अक्षत ने देखा तो उसे अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा आया लेकिन कुछ बोल नहीं सकता था। तभी उसे साइड कर तनु दी और सोमित जीजू भी कमरे में चले आये। उन्हें देखकर अक्षत समझ गया कि ये सब उसे आज मीरा से बात करने नहीं देंगे
“अरे वाह सब पहले से यहाँ जमा है , चलो अच्छा है आज तो पूरी रात सब मिलकर बातें करेंगे,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने अक्षत के कमरे में पड़े सिंगल सोफे पर अपनी जगह बनाते हुए कहा
“आप सब लोग अपने कमरे में जाईये , मीरा को सोना है वो बीमार है”,अक्षत ने आकर कहा
“हाँ क्या सच में ? पर मैंने तो देखा कल रात ही उसके सर पर पट्टिया रखी जा रही थी,,,,,,,,,,उसके बाद तो बुखार नहीं रहना चाहिए , क्यों मीरा ?”,सोमित जीजू ने अक्षत को छेड़ते हुए कहा
“हम ठीक है जीजू , आप सब लोग यहाँ रुक सकते है।”,मीरा ने धीरे से कहा
अक्षत ने सुना तो मन ही मन अपना सर पीट लिया , कहा वो सब को यहाँ से भगाना चाहता था और कहा मीरा ने उन्हें वहा रुकने का न्योता दे दिया। सोमित जीजू और अर्जुन को अक्षत की हालत पर मन ही मन बहुत हंसी भी आ रही थी लेकिन दोनों वहा से हिले नहीं और बैठकर मीरा से बात करने लगे। रही सही कसार हनी और निधि ने पूरी कर दी जब वो दोनों भी वहा चले आये।
अक्षत का वो कमरा जिस से मीरा और राधा के अलावा किसी को आने की इजाजत नहीं थी उसमे आज व्यास फॅमिली के आधे से ज्यादा लोग बैठे थे। थककर अक्षत भी कुर्सी लेकर बैठ गया और सबकी बाते सुनने लगा। सब मिलकर अक्षत की टाँग खींच रहे थे और मीरा को बता रहे थे कैसे मीरा के ना होने से अक्षत कितना गुस्से में रहता था और उसे याद करके रोया करता था।
मीरा मुस्कुराते हुए सब सुन रही थी। बातें करते हुए उसने भी बताया कि कैसे एक खूबूसरत रिश्ता इतनी सारी गलतफहमियों का शिकार हो गया। अक्षत ध्यान से मीरा की बात सुन रहा था मीरा की बातों में से वो दर्द झलक रहा था जिस से अक्षत गुजर चुका था।
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Sanjana Kirodiwal
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Sanjana Kirodiwal
मैं कोई Writer नहीं , बल्कि एक चोर हु जो लोगो का समय चुराती है !
Wha….kitni achchi aur pyari see hai Vyas Family….Pooja m sath aaye Sachin aur Chitra ko bhi pta chal gaya hai ki kyu Akshat Meera ka diwana hai…bechara Akshat kaha to aaj Meera se dil khol kar baate krne wala tha….lakin sab ghar walo Akshat k armano pe pani gira diya
Chitra aur Sachin Akshat se milne uske ghar agaye toh Akshat unse kaha ki ghar me pooja ho rahi hai toh bi join karre Chitra ko accha laga Meera se milkar…Akshat ko pata chal gaya ki usdin uska sochna sahi tha ki Meera yaha ayi thi…Akshat ko Meera ke saath bahut saari baate karni hai per sabme uske plan per pani pher diya aur uske Kamre me agaye Meera ke saath time spent karne ke liye isliye Akshat ab bait kar sabki baate sunne laga….Vicky apna farz nibha raha i hope Madhvi ji Chavi ke kushi ke liye Vicky ko apnale…interesting part Maam♥♥♥♥
Very nice part
Excellent💯💯💯👍👍👍👍👍👍💯
Ma’am please next part release kar dijeye plzzZz
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