Love You Zindagi – 41
Love You Zindagi – 41

नैना फटी आँखों से निबी को देखते रही , अचानक से निबी को आखिर उस से इतनी नफरत क्यों हो गयी नैना समझ नहीं पा रही थी। निबी का ये रूप देखकर सौंदर्या का दिल टूट गया वे निबी के पास आयी और कहा,”ये क्या हरकत है निबी ?’
“आप बीच में मत बोलिये मॉम,,,,,,,,,,बहू के प्यार में आप अपनी ही बेटी का दर्द नहीं देख पा रही है,,,,,,,,,,आप जानती है इस नैना ने मुझे कितना बड़ा दर्द दिया है , सही कहा था अनुराग के डेड ने , ये शुरू से ही ऐसी थी मॉम,,,,,,,,,ये कभी दुसरो को खुश देख ही नहीं पाती,,,,,,,,,,
और इसकी ये बीमारी , ये भी झूठा नाटक है जिस से इसे आपकी और भाई की सिम्पथी मिल सके लेकिन मैं इसकी मीठी बातो में नहीं आउंगी,,,,,,,,मैं नफरत करती हूँ इस से,,,,,,!!”,निबी ने गुस्से में आकर नैना से बहुत ही कड़वे शब्द कहे और बेचारी नैना ख़ामोशी से सुनती रही।
उसने कभी सोचा नहीं था कि निबी से उसे ये सब सुनने को मिलेगा , बाहर से नैना शांत और खामोश थी लेकिन अंदर ही अंदर टूटते जा रही थी।
सीढ़ियों से उतरते अवि ने जब निबी की बाते सुनी तो वह नैना के आगे खड़ा हो गया निबी के ठीक सामने और गुस्से से कहा,”नैना को कुछ भी कहने से पहले मुझसे बात करो,,,,,,,,,,
उस घटिया अनुराग के झूठे प्यार में तुम्हारा दिमाग ख़राब हो चुका है निबी,,,,,,,,,,,,तुम नैना को गलत बोल रही हो , अरे उस अनुराग का सच तुम्हारे सामने लाने के लिए अब तक इस लड़की ने कितना अपमान झेला है इसका अंदाजा भी है तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,
आज से पहले मैंने इसे इतना खामोश और चुप नहीं देखा , किसी ने गलत किया या गलत कहा तो ये उसे समझाने के बजाय मुंह पर जवाब देती थी लेकिन आज तुम्हारी इतनी बदतमीजियों के बावजूद ये चुप है तो वो सिर्फ और सिर्फ इस घर की इज्जत के लिए,,,,,,,,,,,,,,और रही बात नैना की बीमारी की तो मेरी सिम्पथी पाने के लिए इसे कभी ऐसे किसी बहाने की जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,,,,,,,आज के बाद अगर तुमने नैना के लिए एक भी शब्द गलत कहा तो मैं भूल जाऊंगा तुम मेरी बहन हो,,,,,,,,,,,,,,,समझी तुम”
आखरी दो शब्द अवि ने इतनी जोर से कहे कि सामने खड़ी निबी सहमकर पीछे हट गयी। अवि को गुस्से में देखकर सौंदर्या भी खामोश रही उन्होंने ना निबी के लिए कुछ कहा ना ही नैना के लिए वे बस अपने बिखरते घर को नम आँखों से देख रही थी
निबी वहा से चली गयी , सौंदर्या भी अवि और नैना को अकेला छोड़कर वहा से चली गयी।
अवि पलटा और नैना के सामने आकर कहा,”और तुम नैना ! पूरी दुनिया को लेक्चर दे सकती हो लेकिन इस घर में कोई भी आकर तुम्हे कुछ कहता है और तुम चुपचाप सुन लेती हो , मैं जिस नैना को जानता हूँ वो नैना ऐसी नहीं थी , वो अपने हक़ के लिए बोलना और लड़ना दोनों जानती थी फिर तुम्हे अचानक ये क्या हो गया है ?”
नैना ने अवि को देखा और धीरे से कहा,”विहान हमारा इंतजार कर रहा होगा , हमे चलना चाहिए”
अवि ने सुना तो अफ़सोस में सर झटक दिया , वह नहीं समझ पा रहा था आखिर नैना ऐसा क्यों कर रही है ? क्यों वह सबकी बदतमीजियां सह रही है। अवि कुछ देर खामोश खड़ा नैना को देखता रहा और फिर उसके साथ घर से बाहर चला आया। उसने नैना के लिए गाडी का दरवाजा खोला।
“नैना,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या की आवाज नैना और अवि के कानो में पड़ी
सौंदर्या नैना के पास चली आयी और उसका हाथ पकड़कर उसकी बाँह पर एक काला धागा बांधकर कहा,”ये धागा आज सुबह मंदिर से मैं तुम्हारे लिए लेकर आयी थी। इस से तुम्हे हिम्मत मिलेगी और ये तुम्हे हर बुरी नजर से बचाएगा,,,,,,,,,,!!
“थैंक्यू मॉम”,नैना ने कहा
नैना का उदास चेहरा देखकर सौंदर्या ने उसके गाल को छूकर प्यार से कहा,”आई ऍम सो सॉरी नैना ! निबी ने तुम्हे जो कुछ कहा वो बहुत गलत था लेकिन मैं मजबूर हूँ नैना , मेरे लिए तुम दोनों ही अजीज हो,,,,,,,,,,,,,
मैं किसी को भी खोना नहीं चाहती और इस वक्त किसी एक का साथ देना दूसरे के मन में ग़लतफ़हमी पैदा ना कर दे सोचकर मैं बस,,,,,,,,,,,!!”
“मॉम , आपको ये सब कहने की जरूरत नहीं है , मैं समझ सकती हूँ निबी पर इस वक्त क्या गुजर रही है,,,,,,,,,आप मेरी फ़िक्र मत कीजिये निबी का ख्याल रखिये”,नैना ने कहा
“तुम भी अपना ख्याल रखना , मैं तुम्हारे साथ हूँ नैना खुद को अकेली मत समझना,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा और नैना के ललाट को अपने होंठो से छू लिया
अवि ने देखा तो उसे एक तसल्ली मिली और उसने कहा,”मॉम हो सकता है इस पुरे वीक हमे नैना के ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पिटल में ही रहना पड़े,,,,,,!!”
“हाँ मेरी विहान से बात हो चुकी थी उसने मुझे सब समझा दिया है , शाम में मैं और तुम्हारे डेड नैना से मिलने आएंगे,,,,,,,,,कुछ दिन नैना और निबी एक दूसरे तो हो सकता है ये कड़वाहट दूर हो जाये,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने बुझे स्वर में कहा
“हम लोग चलते है मॉम,,,,,,,,,निबी का ख्याल रखना”,अवि ने सौंदर्या से कहा और नैना से गाड़ी में बैठने का इशारा किया।
नैना गाड़ी में आ बैठी , अवि ने गाड़ी स्टार्ट की और दोनों हॉस्पिटल के लिए निकल गए।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
सुबह शीतल जल्दी उठ गयी और मिसेज शर्मा के साथ मिलकर घर के सारे काम भी निपटा लिए। आज उन दोनों को सोसायटी में वोट के लिए लोगो से बात करने जाना था। मिसेज शर्मा ने शीतल से तैयार होकर आने को कहा। शीतल अपने कमरे में आयी उसने सूट पहना और शीशे के सामने आकर बाल बनाने लगी। संडे होने की वजह से आज सार्थक की छुट्टी थी इसलिए वह देर तक सो रहा था। शीतल की चूड़ियों की आवाज से सार्थक की नींद में बार बार खलल पड़ रहा था।
सार्थक ने एक दो बार करवट लेकर उस आवाज को इग्नोर करने की कोशिश की लेकिन चूड़ियों की आवाज बंद हुई तो फिर दूसरी खटपट होने लगी। सार्थक उठा और चिढ़ते हुए कहा,”शीतू ! बंद करो ना ये सब मुझे सोने दो,,,,,,,,,,,,!!”
“उठ जाओ सार्थक 9 बज चुके है,,,,,,,,,!!”,शीतल ने अपने बाल बनाते हुए कहा
सार्थक की नींद उड़ चुकी थी इसलिए उसने अपनी आंखे मसली और सामने तैयार होती शीतल को देखकर कहा,”तुम इतनी सुबह सुबह तैयार हो रही हो , कही जा रही हो क्या ?”
शीतल सार्थक की तरफ पलटी और कहा,”भूल गए ना , आज मुझे मम्मी के साथ सोसायटी के लोगो से मिलने जाना है ,, आज सन्डे है तो मैं फ्री हूँ फिर कल से तो मुझे अपनी कत्थक कलासेज के लिए भी जाना होगा,,,,,,,,,,,तो सोचा क्यों न आज मम्मी की थोड़ी मदद कर दी जाए”
“क्या बात है आजकल मम्मी मुझसे भी ज्यादा ख़ास हो गयी है तुम्हारे लिए,,,,,,,,,,,,!!”,सार्थक ने कहा तो शीतल उसके पास चली आयी और कहा,”सार्थक तुम सबके अलावा मेरा है ही कौन ,, और मम्मी-पापा उन्होंने तो इस घर में मुझे कभी माँ बाप की कमी महसूस नहीं होने दी,,,,,,,,,,,
वो मेरे लिए हमेशा ख़ास रहेंगे और मम्मी ने मेरे लिए जो किया उसे मैं कभी नहीं भूलूंगी,,,,,,,,,,मेरा सपना पूरा करने के लिए वो सबसे लड़ गयी,,,,,,,,,,,आज उनके लिए कुछ करने की बारी मेरी है और मैं उन्हें निराश नहीं कर सकती,,,,,,,,,,,!!”
सार्थक ने सुना तो मुस्कुरा उठा और कहा,”फिर तो तुम्हे उन्हें पक्का निराश नहीं करना चाहिए और जल्दी से उन्हें खुशखबरी दे देनी चाहिए,,,,,,,,,,!!”
“खुशखबरी ?”,शीतल ने हैरानी से पूछा
सार्थक उठा और शीतल को अपनी बांहो में भरकर कहा,”मेरा मतलब जल्दी से उन्हें दादी बनाकर,,,,,,,,,,,!!”
“धत ! सुबह सुबह कैसी बाते कर रहे हो,,,,,,,,,,छोडो मुझे”,शीतल ने सार्थक की बांहो में कसमकसाते हुए कहा लेकिन सार्थक ने शीतल के गाल पर एक जबरदस्त पप्पी ले ही ली और शीतल हँसते हुए वहा से चली गयी।
शीतल हँसते हुए कमरे से बाहर आयी तो सामने से आती मिसेज शर्मा ने कहा,”ये खीं खीं खीं बंद करो और चलो”
“जी मम्मी,,,,,,,,,!!”,शीतल ने कहा और मिसेज शर्मा के साथ फ्लेट से बाहर चली आयी।
मिसेज शर्मा शीतल के साथ एक एक करे सबके फ्लेट का दरवाजा खटखटाने लगी जिस से कुछ लोग सुबह सुबह परेशान हुए और कुछ ने मिसेज शर्मा को ही वोट देने की बात की। 1st फ्लोर पर सबके दरवाजे खटखटाने के बाद मिसेज शर्मा जैसे ही सीढ़ियों की तरफ जाने लगी शीतल ने उन्हें रोकते हुए कहा,”रुकिए मम्मी”
“क्या हुआ शीतल ? चलो अभी हमे बहुत से लोगो से मिलना है,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने शीतल के पास आकर कहा
“मम्मी अगर हम लोग ऐसे सबको घरो में जायेंगे और दरवाजा खटखटाएंगे तो सब हमारी वजह से परेशान होंगे और हो सकता है वो लोग चिढ जाये इस से आपके वोट कम हो जायेंगे,,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने कहा
“तो अब हम क्या करे ?”,मिसेज शर्मा ने कहा
“मेरे पास एक आइडिआ है,,,,,,,,,,,,,नीचे गार्डन में चलिए”,शीतल ने कहा
“गार्डन में क्यों ?”,मिसेज शर्मा ने पूछा
“अरे आप चलिए तो मैं सब समझाती हूँ,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने मिसेज शर्मा का हाथ पकड़कर कहा और उन्हें अपने साथ नीचे गार्डन में ले आयी।
गार्डन में सुबह सुबह सोसायटी के काफी लोग टहल रहे थे , कुछ एक्सरसाइज कर रहे थे , कुछ बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे और बच्चे खेल रहे थे। शीतल मिसेज शर्मा के साथ गार्डन में आयी और अपनी चप्पल उतारकर बेंच पर चढ़ गयी। मिसेज शर्मा ने देखा तो घबराकर दबी आवाज में कहा,”तुम करने क्या वाली हो ?”
शीतल ने हाथ से उन्हें रुकने का इशारा किया और फिर ऊँची आवाज में कहने लगी,”सुनो सुनो सुनो ! मैं शीतल शर्मा वाइफ ऑफ़ सार्थक शर्मा आप सबके साथ इसी सोसायटी में रहती हूँ और आज मैं आप सब के लिए एक बहुत ही अच्छा ऑफर लेकर आयी हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तो क्या आप सब जानना चाहेंगे वो ऑफर क्या है ? अगर हाँ तो जल्दी से यहाँ आ जाईये,,,,,,,,,,,!!”
शीतल की आवाज वहा मौजूद सबके कानों में पड़ी मिसेज शर्मा ने सुना तो अपना सर पीट लिया।
“ये मिसेज शर्मा की बहू ड्रामा कर रही है ? कैसा ऑफर ?”,गार्डन में घूमती मिसेज बंसल ने साथ खड़ी मिसेज गुप्ता से कहा
“चलिए चलकर देखते है,,,,,,,,,,,,,वैसे भी आजकल सोसायटी ने रोज नए ड्रामे हो रहे है,,,,,,,,,,,,,!!”.मिसेज गुप्ता ने कहा और मिसेज बंसल के साथ शीतल के पास चली आयी।
शीतल ने देखा 4 महिलाओ और 2 लड़कियों के अलावा कोई नहीं आया था। शीतल एक पल को मायूस हुई और फिर अगले ही पल दुगने उत्साह के साथ कहा,”अरे अरे ये क्या ? आप सब सोच रहे है ये ऑफर सिर्फ महिलाओ के लिए है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है ये ऑफर सबके लिए है,,,,,,,,,,,,,!!”
शीतल अपनी बात पूरी करती इस से पहले एक बच्चे ने आकर कहा,”आंटी क्या ये ऑफर हमारे लिए भी है ?”
शीतल मुस्कुराई और ख़ुशी भरे स्वर में लड़के से कहा,”हाँ बिल्कुल,,,,,,,,,!!”
लड़के ने सुना तो खुश हो गया और अपने दोस्तों को आवाज दी,”हे ! मोंटी , शुभम , कार्तिक , उत्सव यहाँ आओ”
सभी बच्चे शीतल के सामने चले आये , लड़किया जो सुबह की मॉर्निंग वॉक पर आयी थी वे भी चली आयी। आदमी भी चले आये और सब शीतल के ऑफर के बारे में आपस में बात करने लगे। शीतल ने देखा वहा काफी भीड़ इकट्ठा हो चुकी है तो उसने मिसेज शर्मा की तरफ देखा और अपनी भँवे उचका दी। इसके बाद शीतल क्या करने वाली थी ये तो मिसेज शर्मा भी नहीं जानती थी।
बीकानेर , मोंटी का फ्लेट
मोंटी के जाने के बाद रुचिका फ्लेट की सफाई कर रही थी। उसने पूरा फ्लेट साफ कर दिया अब बारी थी किचन साफ़ करने की। रुचिका जैसे ही किचन में आयी उसे भूख का अहसास हुआ लेकिन किचन में तो बनाने के लिए कुछ भी नहीं था। एक आखरी पैकेट नूडल बचा था वो भी रुचिका ने मोंटी के लिए बना दिया।
रुचिका किचन से बाहर आयी और वाशबेसिन के सामने आकर हाथ मुंह धोकर अपना चेहरा पोछते हुए खुद से कहा,”एक काम करती हूँ कपडे चेंज करके पहले बाहर से ग्रोसरी का कुछ सामान ले आती हूँ किचन बाद में साफ़ कर लुंगी,,,,,,,,,,,,,!!”
रुचिका जैसे ही कमरे की तरफ जाने लगी डोरबेल बजी। रुचिका ने हाथ में पकड़ा तौलिया डायनिंग की कुर्सी पर डाला और दरवाजे की तरफ चली आयी। रुचिका ने दरवाजा खोला तो सामने खड़े डिलीवरी बॉय को देखकर कहा,”जी कहिये”
“मेम ! ये आपका आर्डर”,लड़के ने पार्सल रुचिका की तरफ बढाकर कहा
“लेकिन मैंने तो कुछ आर्डर नहीं किया,,,,,,,!!”,रुचिका ने पार्सल लेते हुए कहा
“मेम ये प्रीपेड आर्डर है,,,,,,!!”,लड़के ने कहा और वहा से चला गया
“थैंक्यू !”,रुचिका ने कहा और दरवाजा बंद कर अंदर चली आयी। रुचिका ने पार्सल टेबल पर रखा और खोलकर देखा तो पाया उसमे खाना था। वह ज्यादा सोचती इस से पहले उसका फोन बजा। रुचिका ने अपना फोन देखा उस पर मोंटी का एक मैसेज था। रुचिका ने मैसेज देखा और मुस्कुरा उठा।
“तुम्हारा फेवरेट शाही पनीर और नान आर्डर किया है टाइम से खा लेना ,, आई लव यू”
रुचिका ने फोन रखा और किचन से प्लेट ले आयी। उसने प्लेट में अपने लिए खाना निकाला और खाने लगी। रुचिका खुश थी धीरे धीरे ही सही मोंटी उसकी परवाह फिर से करने लगा था।
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आखरी दो शब्द अवि ने इतनी जोर से कहे कि सामने खड़ी निबी सहमकर पीछे हट गयी। अवि को गुस्से में देखकर सौंदर्या भी खामोश रही उन्होंने ना निबी के लिए कुछ कहा ना ही नैना के लिए वे बस अपने बिखरते घर को नम आँखों से देख रही थी
निबी वहा से चली गयी , सौंदर्या भी अवि और नैना को अकेला छोड़कर वहा से चली गयी। अवि पलटा और नैना के सामने आकर कहा,”और तुम नैना ! पूरी दुनिया को लेक्चर दे सकती हो लेकिन इस घर में कोई भी आकर तुम्हे कुछ कहता है और तुम चुपचाप सुन लेती हो , मैं जिस नैना को जानता हूँ वो नैना ऐसी नहीं थी , वो अपने हक़ के लिए बोलना और लड़ना दोनों जानती थी फिर तुम्हे अचानक ये क्या हो गया है ?”
आखरी दो शब्द अवि ने इतनी जोर से कहे कि सामने खड़ी निबी सहमकर पीछे हट गयी। अवि को गुस्से में देखकर सौंदर्या भी खामोश रही उन्होंने ना निबी के लिए कुछ कहा ना ही नैना के लिए वे बस अपने बिखरते घर को नम आँखों से देख रही थी
निबी वहा से चली गयी , सौंदर्या भी अवि और नैना को अकेला छोड़कर वहा से चली गयी। अवि पलटा और नैना के सामने आकर कहा,”और तुम नैना ! पूरी दुनिया को लेक्चर दे सकती हो लेकिन इस घर में कोई भी आकर तुम्हे कुछ कहता है और तुम चुपचाप सुन लेती हो , मैं जिस नैना को जानता हूँ वो नैना ऐसी नहीं थी , वो अपने हक़ के लिए बोलना और लड़ना दोनों जानती थी फिर तुम्हे अचानक ये क्या हो गया है ?”
Baki sab to thik hai…but yeh Chaudhary family m hee zyada dukho ka pahad tut gaya hai… phele Naina ki bimari aur ab Nibbi ki Naina k liye ki gai beijjati ne pure Ghar ka mahol kharab Kiya hua hai…na jane kab Nibbi k sar se Anurag ka bhoot uthega