Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 72

Love You Zindagi – 72

Love you Zindagi
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अवि के कंधे पर सर रखे नैना बड़े आराम से सो रही थी। कुछ देर बाद अवि को भी नींद आ गयी और उसका सर नैना के सर से जा लगा। दोनों के कानो में ईयर फोन का एक एक सिरा दोनों के कानो में लगा हुआ था और उसमे बजता गाना उस पल के लिए अच्छा था। दोनों साथ भी थे और पास भी
रात 12.30 बस एक ढाबे पर रुकी। नैना और अवि की नींद खुली तो दोनों निचे उतरकर आये। ढाबे के बगल में लगी नल पर मुंह धोया तो दोनों की नींद उडी अवि ने जेब से रूमाल निकालकर नैना की और बढ़ा दिया और नैना ने मुंह पोछकर रुमाल वापस अवि को दे दिया। दोनों आकर कुर्सियों पर बैठे और अवि ने पूछा,”क्या खाओगी ?”
“दाल और मटर छोड़कर सब चलेगा”,नैना ने अंगड़ाई लेते हुए कहा
“हम्म्म ओके !”,कहकर अवि ने लड़के को आर्डर दिया और फिर सामने देखा नैना अकेली थी इस वक्त अवि को नैना से बात करना सही लगा। जैसे ही अवि ने नैना से बात करने के लिए मुंह खोला नैना का फोन बजा। नंबर देखकर नैना मुस्कुरा उठी और फोन उठाकर कहा,”हे मोंटी इतनी रात में फोन किया ,, आल गुड़ ?”
“कबाब में हड्डी , इसे भी अभी फोन करना था”,अवि ने मन ही मन खीजते हुए खुद से कहा और फिर उठकर चला गया
“यार नैना कुछ ठीक नहीं चल रहा , यार शर्मा जी लड़कियों पे लड़किया देखे जा रहे है समझ में नहीं आ रहा क्या करू ?”,मोंटी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“हां तो क्या प्रॉब्लम है पिछली बार तूने ही कहा था की तुझे अरेंज करनी है अब देख लड़की पसंद कर और कर ले शादी”,नैना ने कहा
“यार तू समझ नहीं रही है , तू लखनऊ कब आ रही है ?”,मोंटी ने सवाल किया
“अभी रास्ते में हु कल सुबह तक पहुँच जाउंगी”,नैना ने कहा
“ओके दो दिन बाद मैं भी चित्रकूट आ रहा हूँ , मुझे मिलना है तुमसे एंड बहुत कुछ बताना है”,मोंटी ने कहा
“हां मैं भी दिवाली के छुट्टियों में आयी हूँ”,नैना ने कहा
“वेट दिवाली में तो अभी टाइम है ना मे बी 18-19 दिन , इतनी जल्दी छुट्टी दे दी तेरे ऑफिस वाले पागल है क्या ?”,मोंटी ने हैरानी से कहा
“अरे नहीं ! एक्चुअली वो ऑफिस का न्यू सेटअप करवाना है बॉस को तो उन्होंने कहा ऑफिस कुछ दिन मेश अप रहेगा इसलिए पुरे स्टाफ को दिवाली के बाद ही जाना है”,नैना ने कहा
“ओह्ह्ह फिर तो अच्छा है तुझे भी अंकल आंटी के साथ थोड़ा टाइम मिल जाएगा , वैसे तू लखनऊ अकेले आ रही है ?”,मोंटी ने पूछा
“क्यों किसी और को भी लाना था साथ में ?”,नैना ने कहा
“न न नहीं मतलब जस्ट आस्किंग , अकेले आ रही इसलिए फ़िक्र हो रही”,मोंटी ने झिझकते हुए कहा
“अच्छा बेटा मेरी फ़िक्र कबसे ?”,नैना ने कहा
“तेरी फ़िक्र भी है और तुझसे प्यार भी है , बस यार तू आजा”,मोंटी ने थोड़ा उदास होकर कहा
“ऑन द वे ! चल खाना आ गया मैं खा लू सुबह कॉल करती हूँ !”,नैना ने कहा और फोन काट दिया।
नैना ने दूर खड़े अवि को आवाज दी,”ओह्ह पडोसी !”
अवि ने पलटकर देखा तो नैना ने उसे आकर खाना खाने का इशारा किया , अवि आकर नैना के सामने बैठ गया और दोनों चुपचाप खाने लगे ये सच था की अवि के सामने नैना चुप हो जाती थी लेकिन उस से भी बड़ा सच ये था की अवि भी नैना के सामने ज्यादा कुछ बोल नहीं पाता था। खाते खाते नैना ने ही पूछ लिया,”वैसे तुम पागल वागल हो क्या ?”
“अब क्या किया मैंने ?”,अवि ने हैरानी से पूछा
“इतनी दूर दिल्ली से बेवजह मेरे साथ चले आये , ऐसा कौन करता है ?”,नैना ने खाते हुए कहा
“वो मुझे लगा शीतल और रुचिका के साथ हुए झगडे की वजह से कही तुम स्ट्रेस लो और कुछ गलत ना कर लो इसलिए तुम्हारी सेफ्टी के लिए चला आया”,अवि ने कहा
नैना चौंकी और अवि की और झुककर अपनी ऊँगली से अपने ललाट को छूते हुए कहा,”मेरे यहाँ “C” नहीं लिखा हुआ है ,, स्ट्रेस और मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जोक ऑफ़ द डे मिस्टर अवि,,,,,,,,,,,,,मैं अपसेट थी इसलिए क्योकि मैं नहीं चाहती थी किसी भी गलतफहमी की वजह से मेरा बना बनाया प्लान बिगड़े , एंड आई ऍम डेम स्योर वही होगा जो मैंने सोचा है !”,नैना ने कहा
“तो क्या सोचा है तुमने ?”,अवि ने खाते हुए कहा
“अभी ये एक रोटी और सब्जी खत्म कर लू उसके बाद मीठे में दो कप चाय पीकर बस में चलकर आराम से सोयेंगे !”,नैना ने कहा
“व्हाट ? मैं तुम्हारे प्लान के बारे में पूछ रहा हूँ अब किस प्लान की बात कर रही हो तुम ?”,अवि ने कहा
“अच्छा वो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो बस में बैठकर बनाएंगे ना”,नैना ने कहा
“कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा , तुम्हारे दिमाग में इतनी खुराफातें क्यों चलती रहती है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब तुम कुछ देर के लिए शांत नहीं बैठ सकती बिना कुछ किये !”,अवि ने कहा
“जैसे की !”,नैना ने पानी पीते हुए सवाल किया
“जैसे की बिल्कुल शांत जैसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जैसे नदी होती है अ रिवर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बस कुछ देर के लिए वैसे ही शांत बैठ जाओ कुछ मत सोचो ये प्लानिंग प्लॉटिंग,,,,,,,,,,कुछ वक्त के लिए दिमाग को शांत छोड़ दो बिल्कुल खाली,,,,,,,,,,,,,,,,,,एंड यू फील बेटर”,अवि ने सहजता से कहा
“तुम्हारी बातें बड़ी उलझी उलझी लगती है मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर तुम्हारी मॉम कैसी है ?”,नैना ने सवाल किया
“मॉम ठीक है शी लाइक्स यू !”,अवि ने नैना की और देखते हुए कहा
“लाइक,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा क्या देख लिया मुझमे ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पूरा खानदान पागल है”,नैना ने सोचते हुए मन ही मन में कहा
“हे तुम फिर सोचने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,किसी दिन दिमाग ब्लास्ट हो जायेगा तुम्हारा”,अवि ने उठते हुए कहा और हाथ धोने चला गया। नैना भी उठी और उसके पीछे पीछे हाथ धोने चली आयी। हाथ धोते हुए नैना ने अवि से कहा,”आई डोंट नो उन्हें क्या पसंद आया है ? वैसे वो नहीं होती ना तो उस लौंडे की तो मैंने बैंड बजा देनी थी कल ,, चिरांद कही का”


नैना के मुंह से ये बात सुनकर अवि को एक झटका सा लगा उसने नैना के सामने आकर कहा,”मतलब तुमने मॉम के सामने किसी को गाली दी”
“गाली क्या मैं तो उस चू#ये का मुंह तोड़ने वाली थी , वो तो तुम्हारी मॉम बीच में आ गयी इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया।”,नैना ने कहा और काउंटर की और चली गयी। बेचारा अवि उसके पीछे पीछे आते हुए बस यही सोच रहा था की पता नहीं नैना ने उसकी मॉम के सामने क्या क्या बोला होगा ? नैना ने अपने लिए चाय ली और अवि से पूछा,”तुम्हे भी चाहिए”
“नहीं !”,अवि ने ना में गर्दन हिला दी कुछ देर बाद दोनों आकर बस में बैठ गए। ड्राइवर और बाकि लोग भी आये और बस चल पड़ी। नैना को फिर नींद आने लगी थी चाय और नींद दोनों ही नैना की कमजोरी रहे थे और ये अवि को देखने को भी मिल गया। कुछ देर बाद वह भी अलसाने लगा और सीट से सर लगाकर सो गया।सुबह के 4 बजे बस आकर लखनऊ बस स्टेण्ड पर रुकी। नैना और अवि निचे उतरे नैना ने विपिन जी को फोन कर दिया था और वे पहले से ही वहा मौजूद थे नैना ने उतरते हुए अवि से कहा,”डेड आये है मुझे लेने तुम अब वापस दिल्ली चले जाओ”
अवि ने हां में सर हिला दिया और वापस आकर उसी बस की सीट पर बैठ गया उसकी नजर बगल में गयी तो देखा नैना का फोन और ईयर फोन वही पड़ा था अवि ने उसे उठाया और वापस बस से निचे आकर नैना को देखने लगा। कुछ ही दूर नैना उसे दिखाई दे गयी अवि उसके पास आया और कहा,”अरे वो तुम अपना फोन भूल गयी थी।”
“थैंक्स”,नैना ने कहा
अवि जैसे ही जाने लगा सामने से आते विपिन जी ने खुश होकर कहा,”अरे अवि बेटा तुम भी आये हो , अरे वाह वाह मैं तो खामखा टेंशन ले रहा था की नैना अकेले आएगी। चलो घर चलते है बैठकर आराम से बातें करेंगे”
“अरे नहीं नहीं डेड इसे बहुत काम है दिल्ली मे”,नैना ने उन्हें रोकते हुए कहा
“कोई काम नहीं है , जब हम लोग गए थे दिल्ली तब इसने कितना ख्याल रखा था तुम्हारी मॉम का और मेरा और आज ये अपने लखनऊ आया है तो तुम चाहती हो मैं इसे यही से वापस भेज दू”,विपिन जी ने नैना को झिड़कते हुए कहा
“लेकिन डेड,,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने कहना चाहा
“कोई लेकिन वेकिन नहीं डेड तुम हो या मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और वैसे भी ये मेरा दोस्त है”,विपिन जी ने अवि के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो नैना और अवि दोनों ही हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे और फिर नैना ने अपनी कमर पर हाथ रख लगभग दोनों को घूरते हुए कहा,”ये आपका दोस्त कब बना ?”
“मैं आपका दोस्त कब बना ?”,अवि ने भी वही सवाल धीरे से उनकी और देखकर किया
“अरे उस दिन हमने साथ में सिगरेट पि थी याद होगा , जूठी सिगरेट पिने वाला दोस्त ही तो होता है”,विपिन जी ने फुसफुसाकर कहा
“क्या खुसर फुसर हो रही है दोनों के बीच ? डेड क्या है ये सब ?”,नैना ने झुंझलाकर कहा
“कुछ नहीं , चलो चलो घर चलते है ठण्ड बहुत है !”,कहते हुए विपिन जी गाड़ी की और बढ़ गए। नैना जहा अवि को बस से ही वापस भेज देना चाहती थी विपिन जी ने तो उसे डायरेक्ट घर आने को कह दिया। बेचारी नैना अब कौनसी नहीं मुसीबत आने वाली थी सोचकर विपिन जी के पीछे चल पड़ी। अवि भी उनके साथ चला आया और गाड़ी में पीछे जाकर बैठ गया। नैना आगे बैठी और विपिन जी गाड़ी घर की और घुमा दी यहाँ से आधे-पौन घंटे का रास्ता था और अवि नींद से त्रस्त था वह सर सीट से लगाकर सो गया नैना कुछ देर विपिन जी से बातें करती रही और फिर वह भी सो गयी। सुबह होने वाली थी गाड़ी घर के सामने पहुंची विपिन जी ने गाड़ी से उतरकर मेन गेट खोला और गाड़ी अंदर ले आये। गाड़ी साइड लगाकर नैना अवि को उठाया और सामान को गाड़ी में ही छोड़ दिया ! आराधना उठ चुकी थी गाड़ी की आवाज सुनकर ही उन्होंने चाय चढ़ा दी थी। अवि ने उन्हें नमस्ते कहा और विपिन जी के साथ सोफे पर आ बैठा। नैना सोने चली गयी विपिन जी ने अवि को बैठने को कहा और खुद किचन की और चले गए , कुछ देर बाद विपिन जी चाय लेकर आये तो मुस्कुरा उठे अवि वही सोफे पर ही लेट गया था और उसे नींद आ चुकी थी। विपिन जी ने चाय आराधना को दे दी और खुद अंदर से कम्बल ले आये और अवि को ओढ़ाकर हॉल की लाइट बंद कर दी।
सुबह अवि जब उठा तो देखा घडी में 9 बज रहे थे। आँखे मसलते हुए वह उठा और वाशरूम की और चला गया। नैना उठकर निचे आयी तभी दयाल काका आये और कोई लिफाफा नैना को पकड़ाकर कहा,”बिटिया ये कोई डाक आयी है तुम देख लो”
नैना उसे लेकर अंदर आयी और उलट पुलट कर देखते हुए कहा,”डेड ये क्या है ?”
विपिन जी ने उसके हाथ से वह लिफाफा लिया और देखते हुए कहा,”अरे ये वो जो हमारे पंडित जी है उन्होंने मोंटी के लिए रिश्ता भेजा है ,, इसमें शायद लड़की का फोटो और कुंडली होगी ,, तुम्हारे काम की चीज नहीं है लाओ मैं रख लेता हु चित्रकूट जाना होगा तब दे दूंगा शर्मा जी”
“ओह्ह तो हमाये दोस्त की जिंदगी में आग पंडित ने लगा रखी है”,नैना ने मन ही मना सोचते हुए कहा !

क्रमश – love-you-zindagi-73

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संजना किरोड़ीवाल

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