Love You जिंदगी – 73

Love You Zindagi – 73

Love You Zindagi
Love You Zindagi

नैना के दिमाग में अब नयी खिचड़ी पकने लगी थी मोंटी के रिश्ते को लेकर वह विपिन जी की बगल में आ बैठी और उनसे लिफाफा लेकर कहा,”ये आप मुझे दे दीजिये , दो दिन बाद मोंटी आ रहा है तो उस से मिलने मुझे चित्रकूट जाना ही है। शर्मा जी से मिले हुए भी इतना टाइम हो गया इस बहाने उनसे भी मिलना हो जाएगा।”
“ये तो और भी अच्छा है , ये तुम ही लेकर जाना”,विपिन जी ने ख़ुशी ख़ुशी नैना को लिफाफा दे दिया


“गुड़ मॉर्निंग अंकल”,अवि ने सामने से आते हुए कहा
“गुड़ मॉर्निंग बेटा आओ बैठो , तुम सुबह यही सोफे पर ही सो गए थे। बैठो मैं आराधना से तुम्हारे लिए चाय बोलकर आता हूँ”,कहते हुए विपिन जी उठे और किचन की और चले गए। उनके जाते ही नैना ने अवि को घूरते हुए कहा,”ए पडोसी यहाँ क्या घर बसाने की सोच रहे हो तुम ? दील्ली नहीं जाना है वापस ?”
“दिल्ली नहीं मै यहाँ से सीधा चंडीगढ़ जाऊंगा”,अवि ने कहा


“चंडीगढ़ क्यों ? तुम्हारे मॉम डेड तो दिल्ली में है”,नैना ने बचकाना सवाल किया
“वो आज सुबह चंडीगढ़ के लिए निकल जायेंगे , चंडीगढ़ में मेरा घर है जहा मैं मेरी मॉम , मेरे डेड और मेरी बहन निबी रहती है”,अवि ने कहा
“निबी ये कैसा नाम है ?”,नैना ने सवाल किया
“निबेदिता नाम है उसका , कॉलेज फर्स्ट ईयर में है इस साल”,अवि ने कहा


“ओह्ह्ह ! तो तुम चंडीगढ़ जा रहे हो लेकिन तुम्हारा सामान तो दिल्ली में है”,नैना ने फिर सवाल किया
“नैना सामान मैं बाद में लेने आ जाऊंगा , अभी दिवाली पर अपने घर जा रहा हु ,, कैन यू शट योर माउथ नाउ ?”,अवि ने झुंझलाकर कहा तो नैना मुंह बनाकर बैठ गयी। आराधना अवि के लिए चाय ले आयी और अवि को चाय देकर कहा,”मुझे अच्छा लगा तुम नैना के साथ घर आये वरना ये लड़की तो किसी की सुनती नहीं है अकेले यहाँ वहा घूमना कहा सेफ है”


“मेरी मॉम भी यही कहती है”,अवि ने चाय पीते हुए कहा
“तुम्हारी मॉम आयी हुई है दिल्ली ? काश उनसे मिल पाती मैं”,आराधना ने कहा
इसकी मॉम से क्यों मिलना है आपको ?”,नैना ने तपाक से कहा
“उनसे मिलकर उन्हें बताती उन्होंने कितना लायक और होनहार बेटा पैदा किया है , साथ ही कितने अच्छे संस्कार दिए है अपने बेटे को”,आराधना ने नैना से कहा तो नैना ने अवि को देखते हुए मन ही मन कहा,”होनहार और ये,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप बड़े भोले हो मम्मा”


“बेटा तुम चाय पीकर नहा लो तब तक मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना देती हूँ”,आराधना ने कहा
“अरे नहीं आंटी वैसे भी मैं कपडे नहीं लेकर आया और मुझे चंडीगढ़ के लिए निकलना है तो आप परेशान मत होईये”,अवि ने चाय पीते हुए कहा
“कोई बात नहीं बेटा तुम नहा लो कपडे है यहाँ , और ऐसे बिना कुछ खाये जाओगे तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा”,आराधना ने कहा


“बिल्कुल सही कह रही है आराधना , ऐसे कैसे चले जाओगे ?”,पीछे से विपिन जी ने आते हुए कहा
“अंकल,,,,,,,,!”,अवि ने कहना चाहा तो विपिन जी ने कहा,”कुछ नहीं कहना है आराम से रहो अपना ही घर समझो”
अवि इसके बाद कुछ नहीं बोल पाया , चाय पिने के बाद अवि बरामदे में आया और सौंदर्या जी को फोन लगाया। कुछ देर बाद उधर से आवाज आयी,”और बेटा जी पहुँच गए ससुराल ?”
“क्या मॉम आप भी मेरी टाँग खींच रही है”,अवि ने कहा


“अच्छा बाबा सॉरी ! घर पहुंचे ?”,सौंदर्या ने कहा
“हां सुबह 4 बजे नैना के डेड आये थे अभी उसके घर पर ही हूँ आप और डेड निकल गए चंडीगढ़ ?”,अवि ने पूछा
“निकले नहीं बल्कि पहुँच भी चुके निबी अकेली थी ना और फिर तुम्हारे डेड की भी मीटिंग थी ,, तुम कब आ रहे हो ?”,सौंदर्या ने पूछा
“मैं तो अभी निकलने की सोच रहा था लेकिन अंकल आंटी आने ही नहीं दे रहे , हो सकता है आज शाम निकलू”,अवि ने कहा


“इट्स ओके कुछ देर रुको उनके साथ , उन्हें जानने का मौका मिलेगा”,सौंदर्या ने कहा
“मैं उनसे पहले भी दिल्ली में मिल चुका हूँ मॉम एंड सच में वो दोनों बहुत अच्छे है”,अवि ने मुस्कुरा कर कहा तभी पीछे से नैना आयी और कहा,”कौन अच्छे है ? किस से बातें हो रही है ?”
“हे अवि नैना है क्या ? बात करवाना ज़रा”,दूसरी और से सौंदर्या ने कहा


अवि ने फोन नैना की और बढ़ा दिया तो नैना ने फोन की स्क्रीन देखकर कहा,”ओह्ह लव (फोन कान से लगाकर कहती है) हे आंटी कैसे हो ?”
“मैं ठीक हूँ बेटा तुम कैसी हो ? इसने ज्यादा परेशान तो नहीं किया तुम्हे ?”,सौंदर्या ने कहा
नैना ने अवि की और देखा और फिर कहा,”परेशान और ये ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आंटी ये दुनिया का सबसे बोरिंग इंसान है मतलब पुरे रास्ते ये सिर्फ सोते हुए आया है ,, ढाबे पर बैठकर आलू गोभी कौन आर्डर करता है ?

आपने कुछ नहीं सिखाया इसको”,कहकर नैना ने फोन अवि को दिया और चली गयी अवि ने फोन कान से लगाया और कहा,”हम्म्म्म कर ली बात”
“अक्सर हम माए बहुओ से कहती है की तुम्हारी माँ ने तुम्हे कुछ नहीं सिखाया ये तो मुझे ही सूना कर चली गयी ,,, अवि बेटा एक बार और सोच ले तुझे सच में इस से प्यार हुआ है”,सौंदर्या ने कहा
“ओह्ह्ह मॉम ऐसा कुछ भी नहीं है वो बहुत अच्छी है बस कभी कभी मूड स्विंग हो जाता है उसका ,, अच्छा मैं आपसे बाद में बात करता हूँ ! बाय”,कहकर अवि ने फोन काट दिया और अंदर चला आया।

नहाने के बाद अवि गेस्ट रूम में आया आराधना ने वहा पहले से ही अवि के लिए कपडे रख दिए थे। अवि ने उन्हें पहना ऑरेंज कुर्ता और सफेद पजामा पहनकर अवि ने बाल बनाये और कुर्ते की बाजु फोल्ड करते हुए कमरे से बाहर आया आराधना ने देखा तो देखते ही रह गयी उन कपड़ो में अवि बिल्कुल वैसा ही लग रहा था जैसे जवानी में विपिन जी लगते थे।
आराधना को अपनी और देखते पाकर अवि ने कहा,”क्या हुआ आंटी आप मुझे ऐसे क्यों देख रही है ?”


“कुछ नहीं बेटा आओ बैठो”,कहकर आराधना ने विपिन जी और नैना को भी आवाज दी। विपिन जी आकर बैठ गए नैना आयी तो स्कूबी (नैना का कुत्ता) भी उसके साथ चला आया। अवि ने देखा तो कहा,”वाओ ये डॉग तुम्हारा है ?”
“स्कूबी नाम है इसका”,नैना ने कहा
“हे स्कूबी”,अवि ने कुत्ते की और हाथ हिलाकर कहा तो स्कूबी निचे बैठकर अपनी पूंछ हिलाने लगा। आराधना ने सबके लिए नाश्ता परोसा और सब खाने लगे।


नाश्ता करने के बाद नैना जाने लगी तो विपिन जी ने कहा,”नैना बेटा अवि घर आया है , क्या सुबह से तुम अपने कमरे में घुसी हो ? इसे अपना घर दिखाओ”
“हम्म्म्म चलो”,कहकर नैना अवि को लेकर वहा से चली गयी घर दिखाने के बाद नैना अवि को लेकर पीछे बरामदे की साइड आयी अवि ने देखा वो हिस्सा घर में सबसे खूबसूरत था। अवि ने कहा,”ये जगह काफी अच्छी है।”


“हां ये मेरी और डेड की फेवरेट जगह है , इस जगह की वजह से ही तो डेड ने ये घर बनवाया था”,नैना ने कहा
“नाइस ! इतनी अच्छी जगह छोड़कर तुम दिल्ली में क्यों रहती हो ?”,अवि ने सवाल किया
“वो तो बस जॉब की वजह से एक्चुअली जॉब तो बहाना है अपने रिश्तेदारों की वजह से मैं यहाँ नहीं रहती”,नैना ने कहा
“रिश्तेदार इतने भी बुरे नहीं होते है”,अवि ने कहा


“हैं सच में ? मेरे वालो से मिलके देखो ये वहम भी दूर हो जाएगा , वैसे ये कपडे अच्छे लग रहे है तुम पर”,नैना ने कहा अवि ने शायद पहली बार नैना के मुंह से अपनी तारीफ सुनी हो वह मुस्कुरा उठा और कहा,”अच्छा ऊपर क्या है ?”
“ऊपर , ऊपर मेरा रूम है , एक एक्स्ट्रा रूम है बाकि हॉल है और उस से ऊपर छत चलो दिखाती हूँ”,कहकर नैना आगे और अवि उसके पीछे चल पड़ा। नैना के रूम में आये तो अवि दीवारों को देखता रहा उसने आज से पहले इतना अलग कमरा तो कभी नहीं देखा था।

पेंटिंग्स , आर्ट वर्क और भी ना जाने क्या क्या था ? अवि काफी गौर से सब देख रहा था नैना अंदर आयी और खिड़की से परदे हटाकर कहा,”ये मेरा कमरा है , आई नो थोड़ा अजीब लगेगा तुम्हे”
“अजीब नहीं इंट्रस्टिंग है”,अवि ने पेंटिंग्स देखते हुए कहा
“वैसे आज तक मेरे दोस्तों और मोंटी के अलावा यहाँ कोई नहीं आया है”,नैना ने अवि की और देखकर कहा
“तो उस हिसाब से मैं क्या हुआ फ्रेंड या बेस्ट फ्रेंड ?”,अवि ने नैना की आँखो में देखते हुए कहा


नैना थोड़ा उसके पास आयी और कहा,”तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम दोनों ही नहीं हो !” और साइड हो गयी
अवि के पास फिर एक बार मौका था नैना से अपनी फीलिंग्स शेयर करने का लेकिन जैसे ही उसे कहने वह उसकी और बढ़ा नैना का फोन बजने लगा नैना ने फोन देखा और रिसीव करके कहा,”हां मोंटी ! हां हां आ गयी ना मैं लखनऊ तू कब आ रहा है ?”


“मोंटी ना हो गया मेरी सौतन हो गया , जब भी मैं नैना से कुछ कहने की सोचता हूँ ये कही ना कही से टपक पड़ता है”,अवि ने मन ही मन खीजते हुए कहा नैना ने मोंटी से बात करते हुए अवि को बैठने का इशारा किया और खुद कमरे से बाहर निकल गयी। बेचारा अवि खिड़की के पास आकर बाहर देखने लगा , नैना के रूम की खिड़की से बाहर का नजारा काफी अच्छा दिख रहा था जैसे ही अवि पलटा उसकी नजर टेबल पर रखी नैना की डायरी पर चली गयी जो की पहले से खुली हुई थी और खिड़की से आती हवा की वजह से उसके पन्ने फड़फड़ा रहे थे।

अवि ने डायरी उठायी तो उसमे लिखी लाइन्स पर नजर गयी और अवि खुद को उन्हें पढ़ने से रोक नहीं पाया और पढ़ने लगा
“एक शाम किसी झील किनारे तुम और मैं मिले
गुस्से में एक दूसरे से सब खत्म करने को
तुम गिनाओ मुझे मेरी सौ गलतिया और मैं ख़ामोशी से सुनू
गुस्से में तुम कह जाओ वो सब कुछ जो अब तलक तुम्हारे दिल में था


मैं तब भी खामोश रहू !
आखिर में हारकर मेरी ख़ामोशी से
तुम नम आँखों से मुझे देखकर पूछो की – अब मैं क्या करू ?
मैं कुछ कदम तुम्हारी और बढाकर अपने जलते लब रख दू
तुम्हारे ठंडे पड़ चुके लबो पर


और थाम लू अपनी मजबूत बांहो में तब तक जब
जब तक तुम्हारा गुस्सा फिर से मोहब्बत ना बन जाये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बस इतना सा ख्वाब है !

अवि ने जैसे ही लाइन्स पढ़ी एक पल को जैसे सब शांत हो गया। अपने दिल की धड़कनो को वह साफ सुन पा रहा था , नैना ये सब भी लिखती है अवि ने कभी सोचा नहीं था। उसकी लिखी हुई लाइन्स की फीलिंग में इतनी गहराईयाँ थी की एक पल को अवि भी सोच में डूब गया और सोचने लगा,”ये सब नैना ने किसके लिए लिखा होगा , खैर मुझे इस तरह उसकी डायरी उस से बिना पूछे नहीं पढ़नी चाहिए”
अवि डायरी हाथ में लिए ये सब सोच ही रहा था की तभी नैना वहा आयी और कहा,”वो मोंटी का फोन था थोड़ा परेशान है बेचारा”


नैना को वहा देखकर अवि थोड़ा सा घबरा गया उसने कुछ नहीं कहा नैना ने उसके हाथ में डायरी देखी तो कहा,”अरे इस डायरी के साथ क्या कर रहे हो तुम ?”
“क क कुछ नहीं ऐसे ही मैं इसे रख ही रहा था , तुम लिखती भी हो ?”,अवि ने सवाल किया
“बहुत साल पहले लिखती थी एक्चुअली कॉलेज टाइम में मुझे लगता था ख्वाब पुरे होते है लेकिन जैसे जैसे बड़े हुए समझ आने लगा सब बातें है।”,नैना ने कहा


“ख्वाब ? मैं कुछ समझा नहीं”,अवि ने कहा
“बैठो बताती हूँ !”,नैना ने अवि के हाथ से डायरी लेकर कहा। अवि आकर बिस्तर पर बैठ गया और नैना की तरफ देखने लगा तो नैना ने कहना शुरू किया,”कॉलेज के फर्स्ट ईयर में मैं और मेरी कुछ फ्रेंड्स थी हम सबने ऐसी सेम डायरी खरीदी थी ,, एक दिन मेरी दोस्त ने कहा की इन डायरीज में हम सब अपने अपने सपने लिखेंगे और उनके पुरे होने का इंतजार करेंगे , अब हर रोज मेरी सब फ्रेंड्स रात में कोई न कोई सपना देखती और उसे डायरी में लिखती ,,

लेकिन मुझे तो सपने आते ही नहीं थे और दोस्त चिढ़ाते थे उस से बचने के मैंने एक बार ऐसे ही इस डायरी में कुछ लाइन्स लिख दी और उनसे कहा की मैंने सपना देखा जबकि मैंने कोई सपना नहीं देखा था। उन लोगो ने सच मान लिया क्योकि मेरे लिखे सपने सबसे ज्यादा ब्यूटीफुल थे। फिर कुछ सालो बाद सभी अपनी अपनी लाइफ में बिजी हो गए और मैं भी ये सब भूल गयी। रुको तुम्हे इस डायरी में लिखा एक सपना सुनाती हु”


अवि ने नैना की कहानी सुनी तो उसे नैना में मासूम टीनएज की लड़की नजर आयी जो स्कूल कॉलेज में दोस्तों के साथ ऐसी अफवाहों को सच मान लेती थी। नैना ने उसे सपना सुनाने की बात की तो अवि ने कहा,”हम्म्म सुनाओ !”
नैना ने डायरी का पहला पन्ना खोला और पढ़ने लगी
“बस में खिड़की वाली सीट हो
तुम और मैं साथ हो,,,,,,,,,,ईयर फोन का एक सिरा तुम्हारे कान में
दूसरा मेरे कान में हो और गाना हो – तुम हो पास मेरे साथ मेरे हो तुम यू


खूबसूरत लम्हो में डूबे मेरा सर तुम्हारे मजबूत कंधो पर हो
मेरी नाजुक उंगलिया तुम्हारे सख्त हाथो को थामे हो
बाहर तेज बारिश हो और अंदर फैली हो खामोशिया
इतना खामोश जिन में सुन सकू मैं तुम्हारी धड़कने और उन धड़कनो में अपना नाम
बस इतना सा ख्वाब है !!”
कहकर नैना ने अवि की और देखा और कहा,”देखा कितना अजीब सपना लिखा है ना मैंने , कॉलेज टाइम में सब पागल होते है।”


नैना ने जो कुछ सुनाया था वो सुनकर अवि अवाक् था क्योकि वो कुछ घंटो पहले घट चुका था और नैना उस से अनजान थी। अवि नैना की और देखता रहा तो नैना ने डायरी टेबल पर रखी और कहा,”चलो छत पर चलते है यहाँ ठण्ड है , ये सब ख्वाब ख्वाब ही अच्छे लगते है असल में तो ऐसा कुछ नहीं होता”
कहकर नैना दरवाजे की और बढ़ गयी अवि उठा और चलते चलते पलटकर डायरी को देखकर मन ही मन कहा,”कुछ ख्वाब ख्वाब नहीं होते नैना वो सच होते है ,,,,, और तुमसे मिलना इस डायरी को पढ़ना सच में बहुत खूबसूरत है !

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संजना किरोड़ीवाल

अवि ने जैसे ही लाइन्स पढ़ी एक पल को जैसे सब शांत हो गया। अपने दिल की धड़कनो को वह साफ सुन पा रहा था , नैना ये सब भी लिखती है अवि ने कभी सोचा नहीं था। उसकी लिखी हुई लाइन्स की फीलिंग में इतनी गहराईयाँ थी की एक पल को अवि भी सोच में डूब गया और सोचने लगा,”ये सब नैना ने किसके लिए लिखा होगा , खैर मुझे इस तरह उसकी डायरी उस से बिना पूछे नहीं पढ़नी चाहिए”अवि डायरी हाथ में लिए ये सब सोच ही रहा था की तभी नैना वहा आयी और कहा,”वो मोंटी का फोन था थोड़ा परेशान है बेचारा”

अवि ने जैसे ही लाइन्स पढ़ी एक पल को जैसे सब शांत हो गया। अपने दिल की धड़कनो को वह साफ सुन पा रहा था , नैना ये सब भी लिखती है अवि ने कभी सोचा नहीं था। उसकी लिखी हुई लाइन्स की फीलिंग में इतनी गहराईयाँ थी की एक पल को अवि भी सोच में डूब गया और सोचने लगा,”ये सब नैना ने किसके लिए लिखा होगा , खैर मुझे इस तरह उसकी डायरी उस से बिना पूछे नहीं पढ़नी चाहिए”
अवि डायरी हाथ में लिए ये सब सोच ही रहा था की तभी नैना वहा आयी और कहा,”वो मोंटी का फोन था थोड़ा परेशान है बेचारा”

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A Woman
A Woman by Sanjana Kirodiwal

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