Sanjana Kirodiwal

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A Broken Heart – 53

A Broken Heart – 53

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A Broken Heart
A Broken Heart

A Broken Heart – 53

जिया ने ईशान के लिए सोफी से झूठ कह दिया लेकिन ईशान के बारे में सोचकर ही उसकी आँखों में आँसू भर आये। सोफी ने जब जिया की नम आँखों को देखा तो कहा,”क्या हुआ जिया तुम रो क्यों रही हो ?”
“अह्ह्ह्ह वो दर्द हो रहा है ना इसलिए,,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने अपने आँसू पोछते हुए कहा


“हाँ ये छील गया है न तो थोड़ा जलेगा , मैं लिली आंटी से तुम्हारे लिए पेन किलर ले आती हूँ तुम उसे खाकर आराम करना ये शाम तक ठीक हो जाएगा।”,सोफी ने कहा और जैसे ही उठने को हुई जिया ने उसका हाथ पकड़कर उसे वापस अपने पास बैठा लिया और कहा,”नहीं रहने दो अगर सोफी आंटी को पता चला तो वो मुझे और डांट लगाएंगी,,,,,,,,,,,,!!”


“हम्म्म ठीक है वैसे वो गधा था कौन जिसने तुम्हे टक्कर मारी क्या उसे इतनी बड़ी लड़की दिखाई नहीं दी ? मुझे अगर वो मिला ना तो मैं उसका मुंह तोड़ दूंगी। उसने मेरी प्यारी सी दोस्त को कितना दर्द दिया,,,,,,,,मैं उसे छोडूंगी नहीं वो बस मुझे मिल जाये एक बार,,,,,,,,,!”,सोफी ने गुस्सा होते हुए कहा
“रहने दो सोफी उस बेचारे की क्या गलती मैं ही ध्यान से नहीं चल रही थी , खैर छोडो मिस्टर दयाल वापस कब आएंगे ?”,जिया ने कहा


“वो कल सुबह आ जायेंगे और शायद रेस्त्रो भी कल खुल जाएगा। तुम बैठो मैं नाश्ता बना लेती हूँ,,,,,,,,,,,,,,पहले मैं जाकर दूध और ब्रेड ले आती हूँ।”,सोफी ने अपना स्कार्फ गले में डालते हुए कहा और पैसे लेकर कमरे से बाहर निकल गयी।


सोफी के जाने के बाद जिया ने एक गहरी साँस ली और अपना सर पीछे सोफे पर टीकाकार ईशान के बारे में सोचने लगी। ईशान जिया के साथ ऐसा क्यों कर रहा था जिया समझ नहीं पा रही थी। उसकी आँखों में फिर आँसू भर आये और उसने अपनी आँखे मूँद ली।

देवांश अपनी गाड़ी लेकर ऑफिस के लिए निकल गया। गाड़ी चलाते हुए उसकी आँखों के सामने जिया का चेहरा आया और वह बड़बड़ाने लगा,”ये वही लड़की थी जो कम्पनी में फ़ूड ऑर्डर्स लेकर आती है लेकिन ये सुबह सुबह यहाँ क्या कर रही थी ? उसे चोट लगी थी फिर भी उसने हॉस्पिटल जाने से मना कर दिया , ये बात थोड़ी अजीब है।

वैसे मुझे देखकर वो इतना घबरा क्यों रही थी ? खैर जो भी हो इस बार वो ऑफिस आएगी तो मैं उस से पूछूंगा कि वो मुझे देखकर इतना परेशान क्यों थी ?”
देवांश की गाड़ी ऑफिस के बाहर आ रुकी , आज वह जल्दी ऑफिस चला आया। देवांश ने गाड़ी की चाबी गार्ड को दी और खुद अंदर चला आया।


देवांश माया को ऑफिस से निकाल चुका था और अब माया के हिस्से का काम उसे ही सम्हालना था। कुछ नए एड्स थे जिन्हे लेकर देवांश को काम करना था। वह अपने चेंबर में आया और स्क्रीन के सामने बैठकर काम करने लगा। धीरे धीरे ऑफिस में काम करने वाले सभी लोग आने लगे। देवांश को पहले से वहा देखकर सब हैरान थे।

नोटिस बोर्ड पर माया के नौकरी छोड़ने की खबर देखकर सब और ज्यादा हैरान थे और हर कोई इन बातो को माया और देवांश के रिश्ते से जोड़कर देखने लगा था लेकिन देवांश को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा और उसने कम्पनी होल्डर्स के साथ नयी मीटिंग रख दी।

नाश्ता करने के बाद सोफी और जिया मार्किट चली गयी। सोफी को अपने लिए सेल से कुछ कपडे खरीदने थे। हर वक्त चहकने वाली जिया आज चुप चुप थी ये देखकर सोफी ने कहा,”क्या हुआ जिया आज तुम इतनी शांत क्यों हो ?”
“बस ऐसे ही आज मेरा बात करने का मन नहीं है , मैं बस कुछ देर अकेले रहना चाहती हूँ।”,जिया ने उदासी भरे स्वर में कहा


“और ऐसा क्यों ?”,सोफी ने बड़े प्यार से पूछा जिसे सुनकर जिया खामोश हो गयी। सोफी एकटक जिया को देखने लगी और फिर एकदम से कहा,”अपनी आँखे बंद करो।”
“हाँ , पर क्यों ?”,जिया ने हैरानी से कहा
“ओफ्फो जिया करो ना मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है।”,सोफी ने बच्चो की तरह मचलते हुए कहा


जिया ने अपनी आँखे बंद कर ली तो सोफी ने अपनी जेब से कुछ निकाला और जिया के सामने करके कहा,”टाडा,,,,,,,,,,,,!!!”
जिया ने अपनी आँखे खोली तो देखा सोफी के हाथ में एक बहुत सुन्दर ब्लैक कलर का नेक बेंड है जिसमे एक छोटी सी घंटी है साथ में कुछ स्टार्स और मून भी है। अमूमन ऐसे नेक बेंड पिल्लो को पहनाये जाते है। जिया ने देखा तो सोफी से कहा,”ये तुम्हे कहा से मिला ?”


“वो पीछे दुकान से , तुमने इसे देखा था लेकिन वापस रख दिया। तुम शायद इसे डेस्टिनी के लिए लेना चाहती थी है ना , पर तुमने इसे वही छोड़ दिया तो मैं इसे ले आयी। ये लो तुम्हारे डेस्टिनी के लिए।”,सोफी ने वो बेंड जिया की तरफ बढ़ाकर कहा
“तुम्हारा शुक्रिया। !”,जिया ने उसे अपने हाथ में लेकर मुस्कुराते हुए कहा
“मैंने देखा इन दिनों तुम डेस्टिनी से मिलने नहीं गयी। क्या वो अब वहा नहीं रहता ?”,सोफी ने जिया के साथ चलते हुए कहा


“वो वही रहता है , लेकिन इन दिनों मैं उस से नहीं मिल पाई ,, वो बहुत क्यूट है और अब तो एक अमीर पिल्ली उसकी एक दोस्त भी है।”,जिया ने कहा
“अच्छा तुम्हे कैसे पता ?”,सोफी ने हँसते हुए कहा
“क्योकि अब वो मुझ पर इतना ध्यान नहीं देता , बस जब देखो तब उस पिल्ली के पीछे भागता रहता है।”,जिया ने मुंह बनाकर कहा

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“जैसे तुम अपने ईशान के पीछे,,,,,,,,,,!”,सोफी ने कहा तो जिया का दिल फिर उदास हो गया लेकिन उसने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा,”अगर लड़का हेंडसम हो तो उसके पीछे भागने में कोई बुराई नहीं है।”
“पागल हो तुम , चलो चलकर कुछ खाते है मुझे बहुत भूख लगी है और हां तुम ये बेंड डेस्टिनी को जरूर पहनाना , तुम चाहो तो आज शाम उस से मिलने भी जा सकती हो।”,सोफी ने जिया के साथ फ़ूड स्टॉल की तरफ आते हुए कहा


“क्यों क्या तुम नहीं चलोगी ?”,जिया ने पूछा
“नहीं , मुझे वो पिल्ला आई मीन डेस्टिनी इतना भी पसंद नहीं है कि मैं उसके लिए अपनी शाम बर्बाद करू ,, मैं आज शाम अपने सभी गंदे कपडे धोने वाली हूँ इसलिए तुम जाकर उस से मिल लेना।”,सोफी ने कुर्सी खिसककर बैठते हुए कहा
“क्या मैं उसे अपने साथ घर ले आउ ?”,जिया ने पूछा


“अगर तुमने उसे घर लाने का सोचा भी तो लिली आंटी हम दोनों को उस पिल्लै के साथ घर से बाहर निकाल देगी और हमारे पास रहने को कोई दुसरा घर भी नहीं है।”,सोफी ने जिया की तरफ देखकर कहा
“हम्म्म्म लिली आंटी इतने प्यारे पिल्लै से नफरत कैसे कर सकती है ? खैर तुम क्या खाने वाली हो मैं चीज बॉल्स खाना पसंद करुँगी , साथ में चॉकलेट शेक भी ।”,जिया ने कुर्सी पर पसरते हुए कहा क्योकि कैसी भी सिचुएशन हो खाने के लिए जिया का प्यार कभी भी नहीं बदलता था।


सोफी ने दोनों के लिए आर्डर दिया और फिर बैठकर जिया से बाते करने लगी। दोनों ने खाना खाया कुछ और शॉपिंग की और घर के निकल गयी। घर आकर जिया सीधा बिस्तर पर आ गिरी क्योकि वह बहुत थक चुकी थी और सोफी लिली आंटी की मदद करने नीचे चली आयी।

अब जैसा की तय था शाम में जिया डेस्टिनी से मिलने घर से निकल गयी। उसने अपने साथ वो नेक बेंड भी रख लिया जो डेस्टिनी के लिए था। जिया ने अपनी साइकिल फुटपाथ किनारे रोकी और डेस्टिनी को आवाज देते हुए कहा,”डेस्टिनी,,,,,,,,,,,,,,कहा हो मेरे प्यारे पिल्लै ?”


आज पहली बार ऐसा हुआ कि जिया की आवाज सुनकर डेस्टिनी नहीं बाहर नहीं आया। जिया ने एक बार और आवाज दी लेकिन डेस्टिनी उसे कही दिखाई नहीं दिया। वह फुटपाथ पर चलकर कुछ आगे गमले के पास आयी तो देखा डेस्टिनी दूसरी तरफ मुंह किये गमले के पास बैठा है। जिया की एक आवाज पर दौड़े चले आना वाला डेस्टिनी आज चुपचाप बैठा था।


“हे डेस्टिनी ! क्या हुआ है तुम्हे ? तुम मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रहे ? डेस्टिनी मैं तुमसे बात कर रही हूँ।”,जिया ने कहा
डेस्टिनी सुन सब रहा था लेकिन जिया को कोई रिस्पॉन्स नहीं दे रहा था। जिया को अपने पीछे देखकर डेस्टिनी वहा से उठा और थोड़ी दूर जाकर फिर बैठ गया। जिया ने देखा तो उसे हैरानी हुई वह डेस्टिनी के पास आयी और कहा,””हे डेस्टिनी ! क्या तुम मुझे इग्नोर कर रहे हो ? देखो मैं यहाँ तुम से मिलने आयी हूँ और तुम हो कि भाव खा रहे हो। चलो अब गुस्सा छोडो और मेरे पास आओ,,,,,,,,,,!”


मजाल है डेस्टिनी आज जिया की बात सुन ले उसने जिया को देखा तक नहीं और ये देखकर जिया उदास हो गयी। ना ईशान उस से बात कर रहा था ना आज डेस्टिनी उसकी बात का जवाब दे रहा था। डेस्टिनी को देखकर जिया उदासी से कहने लगी,”हम्म्म ये अच्छा है डेस्टिनी सबकी तरह तुम भी मतलबी हो गए , तुमने भी मुझसे मुंह मोड़ लिया। मुझे लगा इतने दिनों बाद मुझे यहाँ देखकर तुम खुश हो जाओगे पर शायद मैं गलत थी या हो सकता है मैं गलत वक्त पर आयी हूँ। तुम्हारा शुक्रिया डेस्टिनी मैं चलती हूँ,,,,,,,,,,,!”


कहकर जिया जाने लगी और इस बार डेस्टिनी ने अपनी गर्दन घुमाकर जिया को देखा। दो कदम चलकर जिया रुकी और डेस्टिनी की तरफ वापस आकर अपनी जेब से नेक बेंड निकालते हुए कहा,”ये सोफी ने तुम्हारे लिए खरीदा था , उसने कहा ये तुम पर अच्छा लगेगा। मैं तुम्हे ये अपने हाथो से पहनाना चाहती थी लेकिन तुम मुझसे बात नहीं करना चाहते तो कोई बात नहीं मैं इसे यहाँ रख देती हूँ। तुम बाद में इसे ले लेना,,,,,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखना प्यारे पिल्ले हम फिर मिलेंगे।”


आखरी शब्द कहते हुए ना जाने क्यों जिया की आँखों में आँसू भर आये। जिया ने नेक बेंड डेस्टिनी के पास रखा और धीमे कदमो से वापस आगे बढ़ गयी। चलते चलते जिया ने अपनी आँखों के किनारे पोछे,,,,,,,,,,,,,उसका मन भारी हो रहा था। सोफी से जिया अपने हालात बयां नहीं कर सकती थी , ईशान दिल्ली में था नहीं ना ही उसका फोन लग रहा था। एक डेस्टिनी था जिसके सामने जिया बेझिझक अपने दिल की बात कह दिया करती थी लेकिन आज डेस्टिनी भी जिया से नाराज था।

जिया अभी कुछ कदम ही चली थी कि उसे अपने पैरो पर कुछ महसूस हुआ। जिया ने देखा तो पाया कि वो डेस्टिनी था जो उसकी पेंट को मुँह में दबाये उसे रोक रहा था। जिया के रुकने पर डेस्टिनी ने उसकी पेंट छोड़ दी। जिया घुटनो के बल नीचे आ बैठी उसकी आँखों में अभी भी नमी थी। डेस्टिनी जिया के सामने चला आया और नेक बेंड को अपने मुँह में दबाये एकटक जिया को देखता रहा।

जिया को खामोश देखकर डेस्टिनी अपने पाँव से जिया के हाथ को छू दिया। जिया समझ गयी डेस्टिनी उस से क्या चाहता है इसलिए उसने डेस्टिनी के हाथ से वो नेक बेंड लिया और उसके गले में पहनाते हुए कहा,”ये तुम पर अच्छा लग रहा है डेस्टिनी,,,,,,,,,,,,,,!”
डेस्टिनी ने देखा जिया का प्यार उसके लिए अब भी नहीं बदला है तो वह जिया की गोद में चला आया जैसे जिया से माफ़ी मांग रहा हो। जिया ने भी डेस्टिनी को माफ़ कर गले लगाते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह डेस्टिनी मैंने तुम्हे बहुत मिस किया।”


डेस्टिनी भी जिया की बांहो में दुबका रहा। कुछ देर बाद दोनों फुटपाथ पर बने डिवाइडर पर आ बैठे। डेस्टिनी जिया के बगल में ही बैठ गया। जिया धीरे धीरे उसका सर सहलाने लगी और कहा,”तुमने आज मुझे इग्नोर क्यों किया डेस्टिनी क्या तुम भी मुझसे नाराज थे ?”


डेस्टिनी धीरे से भोंका तो जिया ने कहा,”हम्म्म्म शायद तुम मुझसे इसलिए नाराज थे कि इन दिनों मैं तुम से मिलने नहीं आयी है ना , सच बताऊ तो मैं आना चाहती थी लेकिन कुछ दिनों से मैं थोड़ा बिजी थी और इधर आना नहीं हुआ। मैं तो तुम्हे घर भी ले जा ना चाहती हूँ लेकिन सोफी ने कहा कि लिली आंटी तुम्हे पसंद नहीं करेगी। वैसे तुम्हारी जायज है जब हम किसी को अपना मानने लगते है तो उस से मिलना हमारे लिए कितना जरुरी हो जाता है ये हम ही जानते है। वैसे क्या आज तुमने खाना खाया ? मैं तुम्हारे लिए कुछ ले आती हूँ।”


जिया जैसे ही उठने को हुई डेस्टिनी ने उसे वापस बैठा लिया। जिया उसके बगल में आ बैठी और फिर उसका सर सहलाने लगी।

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संजना किरोड़ीवाल

डेस्टिनी धीरे से भोंका तो जिया ने कहा,”हम्म्म्म शायद तुम मुझसे इसलिए नाराज थे कि इन दिनों मैं तुम से मिलने नहीं आयी है ना , सच बताऊ तो मैं आना चाहती थी लेकिन कुछ दिनों से मैं थोड़ा बिजी थी और इधर आना नहीं हुआ। मैं तो तुम्हे घर भी ले जा ना चाहती हूँ लेकिन सोफी ने कहा कि लिली आंटी तुम्हे पसंद नहीं करेगी। वैसे तुम्हारी जायज है जब हम किसी को अपना मानने लगते है तो उस से मिलना हमारे लिए कितना जरुरी हो जाता है ये हम ही जानते है। वैसे क्या आज तुमने खाना खाया ? मैं तुम्हारे लिए कुछ ले आती हूँ।”

डेस्टिनी धीरे से भोंका तो जिया ने कहा,”हम्म्म्म शायद तुम मुझसे इसलिए नाराज थे कि इन दिनों मैं तुम से मिलने नहीं आयी है ना , सच बताऊ तो मैं आना चाहती थी लेकिन कुछ दिनों से मैं थोड़ा बिजी थी और इधर आना नहीं हुआ। मैं तो तुम्हे घर भी ले जा ना चाहती हूँ लेकिन सोफी ने कहा कि लिली आंटी तुम्हे पसंद नहीं करेगी। वैसे तुम्हारी जायज है जब हम किसी को अपना मानने लगते है तो उस से मिलना हमारे लिए कितना जरुरी हो जाता है ये हम ही जानते है। वैसे क्या आज तुमने खाना खाया ? मैं तुम्हारे लिए कुछ ले आती हूँ।”

डेस्टिनी धीरे से भोंका तो जिया ने कहा,”हम्म्म्म शायद तुम मुझसे इसलिए नाराज थे कि इन दिनों मैं तुम से मिलने नहीं आयी है ना , सच बताऊ तो मैं आना चाहती थी लेकिन कुछ दिनों से मैं थोड़ा बिजी थी और इधर आना नहीं हुआ। मैं तो तुम्हे घर भी ले जा ना चाहती हूँ लेकिन सोफी ने कहा कि लिली आंटी तुम्हे पसंद नहीं करेगी। वैसे तुम्हारी जायज है जब हम किसी को अपना मानने लगते है तो उस से मिलना हमारे लिए कितना जरुरी हो जाता है ये हम ही जानते है। वैसे क्या आज तुमने खाना खाया ? मैं तुम्हारे लिए कुछ ले आती हूँ।”

डेस्टिनी धीरे से भोंका तो जिया ने कहा,”हम्म्म्म शायद तुम मुझसे इसलिए नाराज थे कि इन दिनों मैं तुम से मिलने नहीं आयी है ना , सच बताऊ तो मैं आना चाहती थी लेकिन कुछ दिनों से मैं थोड़ा बिजी थी और इधर आना नहीं हुआ। मैं तो तुम्हे घर भी ले जा ना चाहती हूँ लेकिन सोफी ने कहा कि लिली आंटी तुम्हे पसंद नहीं करेगी। वैसे तुम्हारी जायज है जब हम किसी को अपना मानने लगते है तो उस से मिलना हमारे लिए कितना जरुरी हो जाता है ये हम ही जानते है। वैसे क्या आज तुमने खाना खाया ? मैं तुम्हारे लिए कुछ ले आती हूँ।”

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