Sanjana Kirodiwal

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A Broken Heart – 37

A Broken Heart
A Broken Heart

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जिया ईशान का सामान लेकर उसके घर पहुंची। मेन गेट खोलकर वह अंदर आयी देखा घर का दरवाजा बंद था। जिया बरामदे की सीढ़ियों पर आकर बैठ गयी और बंद दरवाजे को देखकर खुद से कहा,”लगता है वो कही बाहर गया है ? लेकिन इस वक्त उसे यहाँ होना चाहिए था जब वो इस बॉक्स में रखे सामान को देखता तो ख़ुशी से उछल पड़ता,,,,,,,,,,,,,,,जब तक वो नहीं आता क्या मुझे उसका इंतजार करना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,

हाहहहहह वैसे भी मेरे पास आज कोई काम नहीं है मैं यहाँ बैठकर उसका कर सकती हूँ। उसका इंतजार करते हुए मैं वैसी ही लगूंगी जैसे एक वाइफ करती है अपने हस्बेंड का जब वो शाम में ऑफिस से घर आता है। हाह मैं ये सब क्या बोल रही हूँ ? पर कितना अच्छा हो अगर मैं किसी रोज ऐसे ही उसका इंतजार करू तो,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह्हह्ह मुझे अब शर्म आ रही है।”


खुद से बातें करते हुए जिया ने अपने चेहरे को अपने हाथो में छुपा लिया और शर्माने का नाटक करने लगी। जिया वही बैठे ईशान के बारे में सोचते हुए उसका इंतजार करने लगी लेकिन ईशान नहीं आया। दोपहर से शाम हो गयी और जिया वही बैठी रही पर ईशान की कोई खबर नहीं थी ना ही जिया जानती थी ईशान कहा है।

जिया ने अपनी घडी में वक्त देखा जो कि शाम के 5 बजा रही थी। जिया ने दरवाजे की तरफ देखा और फिर अपने बैग से एक नोटबुक और पेन निकाला उसने पेपर पर कुछ लिखा और फिर उसे बॉक्स और ऊपर रखकर वहा से चली गयी।

माया की बाते सुनने के बाद ईशान काफी हर्ट हो गया। वह उसी कैफे के बाहर चला आया जहा वह और माया अक्सर मिला करते थे। ईशान अंदर ना जाकर बाहर पड़ी बेंच पर आ बैठा और उस कैफे को देखने लगा। उस कैफे को देखते हुए ईशान की आँखों के सामने माया के साथ बिताये पल घूमने लगे। ईशान काफी उदास हो गया और उसे काफी लो फील हो रहा था। ईशान खामोश सा वही बैठा रहा। दोपहर से शाम हो गयी ईशान को घर जाने का ख्याल आया तो वह उठा और घर चला आया।

घर पहुँचते पहुँचते हल्का अँधेरा हो चूका था। आज बार बंद था इसलिए ईशान को कोई काम भी नहीं था। हताश सा थके कदमो से चलकर वह में गेट खोलकर अंदर आया। लाइट्स जल रही थी। ईशान जैसे ही बरामदे की सीढ़ियों के पास पहुंचा वहा रखा बड़ा सा बॉक्स देखकर हैरान रह गया। ईशान उस डिब्बे के आस पास घूमकर उसे देखने लगा। उसने बॉक्स पर रखा कागज उठाया और पढ़ने लगा

“हे मेरे प्यारे दोस्त !  
मैं तुमसे मिलने आयी थी लेकिन तुम ना जाने कहा गायब थे। मैंने बहुत इंतजार किया लेकिन तुम नहीं आये। ये बॉक्स तुम्हारे लिए है मैं चाहूंगी तुम जल्दी से इसे खोलो और खुश हो जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,काश मैं उस वक्त तुम्हारे चेहरे के एक्सप्रेशन देख पाती ? पर मुझे यकीन है ये तुम्हे पसंद आएगा। इसके लिए शुक्रिया तुम मुझे बाद में कह सकते हो।
– जिया  

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ईशान ने जिया का खत पढ़ा तो मुस्कुरा उठा। थोड़ी देर पहले ही वह माया की वजह से उदास था लेकिन जिया के शब्दों ने उसकी उदासी को पल में गायब कर दिया। ईशान ने उस खत को मोड़कर अपने शर्ट की जेब में रख लिया। उसने घर का गेट खोला और बॉक्स लेकर अंदर चला आया। बॉक्स सच में काफी भारी था। ईशान ने उस बॉक्स को नहीं खोला बल्कि पहले वह जिया से मिलना चाहता था इसलिए उसने घर को लॉक किया और वहा से निकल गया।

ईशान के घर से निकलकर जिया विंग रेस्त्रो के सामने बने फुटपाथ पर चली आयी आज वह काफी खुश थी। उसने देखा डेस्टिनी वहा नहीं है तो उसने अपने हाथो को मुँह से लगाया और अपने प्यारे से पिल्ले को आवाज देते हुए कहा,”डेस्टिनी कहा हो तूम ? देखो मैं तुम से मिलने आयी हूँ , जल्दी बाहर आ जाओ डेस्टिनी,,,,,,,,,,,,,,!!”
जिया की आवाज सुनते ही डेस्टिनी दौड़ा चला आया।

उसे देखकर जिया घुटनो के बल आ बैठी और अपनी बाँहे फैलाते हुए कहा,”ओह्ह्ह तुम कितने अच्छे हो डेस्टिनी तुम मेरी एक आवाज पर दौड़े चले आये। इस शहर में तुम से ज्यादा प्यार मुझे कोई नहीं कर सकता। आओ मेरे पास आ जाओ।”
जिया ने जैसे ही कहा डेस्टिनी उसकी गोद में चढ़ गया और जिया उसे प्यार करने लगी।
कुछ देर बाद जिया उसके साथ डिवाइडर पर आ बैठी और कहा,”क्या तुम जानना चाहोगे मैं यहाँ क्यों आयी हूँ ?”


डेस्टिनी भला क्या कहता वह ज्यादा से ज्यादा भौंक सकता था इसलिए जिया के इस सवाल पर वह हल्का सा भौंका , जिया मुस्कुरा दी और कहने लगी,”आज मैं थोड़ा खुश हूँ , थोड़ा नहीं थोड़ा ज्यादा ही खुश हूँ जानते हो क्यों ? क्योकि आज मैंने वो किया जो मैंने कभी करने का सोचा भी नहीं था। वो लड़का ईशान जिसके बारे में एक बार मैंने तुम्हे बताया था अब वो मेरा दोस्त बन चुका है।

पता है उसकी एक गर्लफ्रेंड थी और उसने उसका दिल तोड़ दिया और एक अमीर पैसेवाले लड़के से सगाई कर ली,,,,,,,,,,,,,,उस शाम मिस्टर दयाल के क्लब में मैंने उसे देखा था वहा उसने ईशान के सपने का मजाक उड़ाया था। हाह वो सच में कितनी बुरी लड़की है।”


डेस्टिनी ने सूना तो वही जिया के बगल में पसर कर अंगड़ाई लेने लगा क्योकि सेम ऐसी ही मिलती जुलती कहानी वह ईशान के मुंह से सुन चुका था। जिया ने डेस्टिनी पर ध्यान नहीं दिया और आगे कहने लगी,उसके बाद वो बहुत उदास हो गया , मुझे उसे उदास देखकर बिल्कुल अच्छा नहीं लगा , उसे अपसेट देखकर मैं भी अपसेट हो गयी अमूमन ऐसा होता नहीं है लेकिन उस दिन मैंने सच में उसकी तकलीफ को महसूस किया।

कितना बुरा लगता है ना डेस्टिनी जब दूसरे लोग हमारे सपनो का मजाक बनाते है। उस दिन मैंने फैसला किया कि मैं अपने दोस्त का सपना जरूर पूरा करुँगी और उस माया को दिखा दूंगी कि वो कितनी गलत थी,,,,,,,,,,,,,पता है मैंने क्या किया ? मैंने सोच लिया है कि मैं उसका सपना पूरा करने में उसकी मदद करुँगी ये कितना अच्छा होगा ना डेस्टिनी,,,,,,,,,,,,!! आज दोपहर मैं उस से मिलने भी गयी थी लेकिन वो घर पर नहीं था , मैंने उसका इंतजार भी किया लेकिन वो नहीं आया शायद वो कही बिजी होगा।”


डेस्टिनी अब जिया की कहानी सुनकर ऊँघने लगा था इसलिए वही जमीन पर लौटने लगा। जिया ने देखा तो मुँह बनाकर कहा,”लगता है तुम सीरियस नहीं हो , क्या तुम्हे भूख लगी है ? तुम चाहो तो मैं तुम्हे चीज ब्रेड खिला सकती हूँ इतने पैसे है मेरे पास,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्हह लेकिन अभी मुझे वापस रेस्त्रो भी जाना होगा क्योकि मुझे ओवर शिफ्ट भी करना है।”


जिया की बात सुनकर डेस्टिनी फिर पसर गया क्योकि उसे आज भूख तो बिल्कुल नहीं थी ना ही वो जिया की बातें सुनने में इंटेस्टेड था। जिया ने देखा तो कहा,”तुम्हे क्या हुआ है डेस्टिनी ? एक मिनिट क्या तुम उस क्यूट पिल्ली से फिर मिले थे,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह डेस्टिनी मुझे लगता है तुम उस अमीर पिल्ले के प्यार में पड़ गए हो ,

क्या तुम जानते हो ये बहुत गलत बात है,,,,,,,,,,,,,तुम अभी बेरोजगार भी हो , तुम्हे पहले अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए समझे तुम,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह लगता है मैं पागल हो गयी हूँ , तुम कौनसा बैंक में इंटरव्यू देने जाओगे , तुम तो एक पिल्ले हो तुम्हे तो यही रहना है,,,,,,,,,,,,,

वैसे तुम चाहो तो उस पिल्ली से दोस्ती कर सकते हो जैसे मैंने की है ईशान से,,,,,,,,,,,,,,लेकिन सिर्फ दोस्ती हाँ , इस से ज्यादा कुछ नहीं,,,,,,,,,,,,कही ऐसा न हो तुम कुत्तो की तरह उसके पीछे घूमते रहो।”
जिया की इस बात पर डेस्टिनी उस पर भोंका तो जिया ने कहा,”ओह्ह्ह माफ़ करना मैं भूल गयी तुम भी तो एक,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं चलती हूँ हम फिर मिलेंगे,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखना।”
जिया उठी और अपनी साइकिल लेकर वापस रेस्त्रो जाने के लिए निकल गयी।    

जिया का खत पढ़ने के बाद ईशान उस से मिलने सीधा रेस्त्रो पहुंचा। सोफी काउंटर के उस तरफ खड़ी किसी का आर्डर तैयार कर रही थी। ईशान उसके पास आया और कहा,”हे सोफी ! जिया कहा है ?”
“जिया तो आज दोपहर से बाहर ही है , तुम्हारा कोई पार्सल आया था वो उसे देने शायद तुम्हारे घर गयी हो , क्या वो तुम्हे वहा नहीं मिली ?”,सोफी ने पूछा


“नहीं दरअसल मैं किसी काम से बाहर गया था , शाम में ही वापस आया तो मुझे पार्सल मिला , वो शायद जिया ने ही वहा रखा होगा मुझे जानना था उसमे ऐसा क्या है ? क्या तुम बता सकती हो जिया इस वक्त कहा मिलेगी ?”,ईशान ने कहा
“क्या तुम्हे नहीं पता उस पार्सल में क्या है ?”,सोफी ने हैरानी से पूछा
“अह्ह्ह नहीं ! उसे शायद जिया ने आर्डर किया है , मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता,,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने जिया का भांडा फोड़ते हुए कहा


सोफी ने सूना तो एकदम से जिया का झूठ समझ गयी और मन ही मन खुद से कहा,”उस जिया की बच्ची को तो मैं बताती हूँ , वो आजकल बहुत झूठ बोलने लगी है और मुझसे बाते भी छुपाने लगी है। उसने कहा पार्सल ईशान का है लेकिन ईशान को तो इस बारे में कुछ पता भी नहीं,,,,,,,,,,,,,,वो ऐसा कैसे कर सकती है ?”
“सोफी,,,,,,,,,,,,,सोफी,,,,,,,,,,,,,क्या तुम मुझे बताओगी जिया कहा मिलेगी ?”,ईशान ने सोफी को खोये हुए देखा तो उसका हाथ थपथपाकर कहा


“हाँ,,,,,,,,,हाँ आई ऍम सॉरी , मुझे नहीं पता वो इस वक्त कहा है लेकिन जाने से पहले उसने कहा था वो रेस्त्रो वापस आएगी , हो सकता है वो यहाँ वापस आये , तुम चाहो तो यहाँ बैठकर उसका इंतजार कर सकते हो।”,सोफी ने कहा
“तुम्हारा शुक्रिया,,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने कहा और जाकर वेटिंग एरिया के सोफे पर बैठकर जिया का इंतजार करने लगा। ईशान बार बार दरवाजे की तरफ देखता और सोफी की नजरे भी बीच बीच में ईशान पर चली जाती। उसकी आँखों में जिया के लिए इंतजार साफ दिखाई दे रहा था। 

ईशान काफी देर तक जिया का इंतजार किया और फिर उठकर सोफी के पास चला आया।
“मुझे लगता है वो नहीं आएगी , मुझे कुछ जरुरी काम है इसलिए मुझे जाना होगा , अगर जिया आये तो उस से कहना कल सुबह मुझसे मिले।”,ईशान ने कहा
“हम्म्म ठीक है मैं उसे कह दूंगी।”,सोफी ने कहा और वापस अपने काम में लग गयी।
ईशान रेस्त्रो से बाहर निकल गया। ईशान के जाने के कुछ देर बाद जिया रेस्त्रो आयी।

ईशान से ना मिल पाने की वजह से वो थोड़ा उदास भी थी। उसने देखा रेस्त्रो में ज्यादा लोग नहीं है तो वह आकर काउंटर के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी। सोफी काऊंटर पर नहीं थी लेकिन वहा एक कोल्ड कॉफी से भरा मग रखा था उसे देखते ही जिया ने उसे दोनों हाथो में उठा लिया और एक बड़ा सा घूंठ जैसे ही भरा सोफी वहा आ गयी और कहा,”और क्या क्या छुपाया है तुमने मुझसे ?”
जिया के मुंह में कॉफी भरी थी वह कुछ बोल नहीं सकती थी इसलिए अपनी भँवे उचकाई।


सोफी ने जिया को घुरा और कहा,”तुमने कहा वो पार्सल ईशान ने आर्डर किया है।”
सोफी की पूरी बात सुने बिना ही जिया ने जल्दी से हाँ में गर्दन हिलायी तो सोफी ने कहा,”अभी कुछ देर पहले ही ईशान यहाँ आया था और उसने कहा कि उसे इस बारे में कुछ नहीं पता,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब तुम मुझे बताओ कि ये सब क्या चल रहा है ?”
जिया ने जैसे ही सूना मुँह में भरी कॉफी फंवारे के साथ सामने खड़े मिस्टर दयाल पर उगल दी। मिस्टर दयाल की शक्ल देखने लायक थी।

उनके चेहरे से लेकर उनके कपड़ो तक पर कॉफी ही कॉफी थी। सोफी ने देखा तो अपना हाथ अपने मुंह पर रख लिया। जिया जल्दी से कुर्सी से नीचे उतरी और घबराकर कहा,”माफ़ करना मिस्टर दयाल मैंने आपको देखा नहीं , मैं अभी इसे साफ़ कर देती हूँ।”
कहकर जिया ने बिना ध्यान दिए काउंटर पर पड़ा गंदा कपडा उठाया और उस से मिस्टर दयाल के कोट पर गिरी कॉफी साफ करने लगी। कॉफी तो साफ नहीं हुई उलटा उस गंदे कपड़े से मिस्टर दयाल का कोट जरूर खराब हो गया और वे गुस्से से आग बबूला हो गए।


“बेवकूफ लड़की ये तुमने क्या किया ? पहले कॉफी गिरा दी और अब मेरे कोट पर कालिख पोत दी , एक काम करो मेरे मुँह पर कालिख पोत दो।”,मिस्टर दयाल ने गुस्से से कहा
घबराहट में अक्सर जिया का दिमाग काम करना बंद कर देता था इसलिए जैसे ही मिस्टर दयाल ने कहा जिया को लगा वे उसे मुँह साफ करने को कह रहे है बस फिर क्या था जिया ने उसी कपडे को मिस्टर दयाल के मुँह पर भी घुमा दिया जिस से कोट के साथ साथ उनका मुँह भी काला हो गया और ये देखकर वहा बैठे कस्टमर हसने लगे।

मिस्टर दयाल का गुस्सा इस से और बढ़ गया और उन्होंने गुस्से से कहा,”दफा हो जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,!!
“मुझे माफ करना मिस्टर दयाल मैं आपसे कल मिलती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए जिया अपना बैग लेकर वहा से चली गयी
मिस्टर दयाल भी गुस्से से अपने पैर पटकते हुए वहा से चले गए।

अगली सुबह जिया ईशान से मिलने उसके घर पहुंची। ईशान उसे बरामदे में बैठा ही मिल गया जिया को देखते ही वह उठकर उसके पास आया और कहा,”हाय !!”
“हेलो गुड मॉर्निंग , क्या तुम मेरा ही इंतजार कर रहे थे ?”,जिया ने आँखों में चमक भरके ईशान को देखते हुए कहा
“कल तुम घर आयी थी ?”,ईशान ने जिया के सवाल का जवाब ना देकर सामने से सवाल किया
“हाँ ! क्या तुम्हे वो पार्सल मिला ? क्या तुमने उसे खोलकर देखा ?”,जिया ने फिर चमकती आँखों से ईशान को देखते हुए कहा  

A Broken Heart – 37 A Broken Heart – 37 A Broken Heart – 37


“नहीं !!”,ईशान ने कहा
“पर क्यों ? वो तुम्हारे लिए था !”,जिया ने मायूस होकर कहा।
“तुम मेरा रिएक्शन देखना चाहती थी ना तो चलो उसे साथ ही खोलते है।”,ईशान ने जिया के कंधो पर हाथ रखकर उसे अपने साथ अंदर ले जाते हुए कहा।
अंदर आकर जिया एक तरफ खड़ी हो गयी और ईशान उस बॉक्स को खोलने लगा। ईशान ने जैसे ही उस बॉक्स को खोला उसका दिल धड़कने लगा। आँखों में नमी उतर आयी और मन भारी होने लगा। बॉक्स में एक नया लेपटॉप , माइक और कुछ स्पीकर्स थे। ईशान उठा और जिया की तरफ देखा।


“क्या तुम्हे ये पसंद आया ? देखो मुझे इन सब की ज्यादा नॉलेज नहीं है पर ये सब लेटेस्ट है।”,जिया ने मुस्कुराते हुए कहा
ईशान ने सूना तो कुछ नहीं कहा बस आकर जिया को गले लगा लिया और आँखे बंद कर ली। उसकी आँखों में ठहरे आँसू गालों से बहकर नीचे जा गिरे। जिया कुछ बोल ही नहीं पायी उसके लिए जैसे वक्त थम सा गया था।

क्रमश – A Broken Heart – 37

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संजना किरोड़ीवाल 

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जिया ईशान का सामान लेकर उसके घर पहुंची। मेन गेट खोलकर वह अंदर आयी देखा घर का दरवाजा बंद था। जिया बरामदे की सीढ़ियों पर आकर बैठ गयी और बंद दरवाजे को देखकर खुद से कहा,”लगता है वो कही बाहर गया है ? लेकिन इस वक्त उसे यहाँ होना चाहिए था जब वो इस बॉक्स में रखे सामान को देखता तो ख़ुशी से उछल पड़ता,,,,,,,,,,,,,,,जब तक वो नहीं आता क्या मुझे उसका इंतजार करना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,

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