Main Teri Heer Season 5 – 17

Main Teri Heer Season 5 – 17

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

जीप में बैठा गुस्से से भरा भूषण सामने खड़े रमेश को देख रहा था। रमेश ने भूषण को देखा और एक तीखी मुस्कान के साथ वहा से चला गया , जैसे रमेश भूषण के गुस्से की वजह जानता हो। भूषण ने भी गाड़ी आगे बढ़ाई और वहा से चला गया। रमेश बगल में चाय की टपरी पर चला आया और एक चाय देने का कहकर वही खाली पड़ी बेंच पर आ बैठा। रमेश के अलावा भी वहा कुछ लोग और बैठे थे जो चाय पीते हुए किसी जरुरी विषय पर बात कर रहे थे।


ना चाहते हुए भी रमेश का ध्यान उनकी बातो पर चला गया जब एक ने कहा,”अरे रजुआ ! हमहू सुने बनारस मा फिर से युवा नेता के लिए इलेक्शन हो रहे ?”


“हां सुने तो सही हो पर इह चर्चा का बिसय नहीं है , चर्चा का बिसय तो इह है कि इह बार युवा नेता कौन बने है ? का है कि अपने मुरारी भैया ने तो राजनीती से इस्तीफा दे दिया वरना पिछले इत्ते सालो से वही बनते आ रहे थे कोई और उनके सामने खड़े होने की हिम्मत ही नाही करता था,,,,,,,,,,!!”,रजुआ ने कहा
“हमर महतारी बताय रही कि इह बार टिकट राजदुलारी के बेटा को मिलने वाला है,,,,,,सच है का ?”,चाय के पतीले में अपनी करछी घुमाते हुए शंकर चायवाले ने कहा


“अरे का संकर भैया ! आप भी कहा औरतो की बातों को सच मान रहे है,,,,,,,,इलेक्शन का टिकट लेना इतना आसान है का ?”,मोहन ने चाय का घूंठ भरते हुए कहा।
“मुश्किल का है ? राजदुलारी का लड़का प्रताप भैया के लड़के का खास दोस्त है और प्रताप भैया के बड़े भाईसाहब राजनीती में है , उनके लिए टिकट लेना कौनसी बड़ी बात है,,,,,,,!!”,शंकर ने कहा
“भैया चाय,,,,,,,!!”,रमेश उन सबकी बात सुन ही रहा था कि तभी दुकान पर काम करने वाले लड़के ने उसके सामने चाय का गिलास बढ़ाकर कहा


“शुक्रिया,,,,,,,!!”,रमेश ने कहा और चाय लेकर फूंक मारते हुए उसे पीने लगा
“अरे उह ससुरा तो बहुते धूर्त लड़का है , ओह्ह को टिकट दिलवाकर बहुते गलत किये है प्रताप भैया ,, उह साला राजनीती के बिना इतनी गुंडई करता है बनारस मा राजनीती में आ गवा तो कितना गलत होगा,,,,,,,,,,!!”,मोहन ने कहा
“राजनीती और गुंडई का तो चोली-दामन का साथ है मोहन भैया,,,,,,,!!”,शंकर ने कहा


“मुरारी भैया ने राजनीती काहे छोड़ दी ? उनके रहते किसी की मजाल नहीं थी इलेक्शन मा खड़े होने की,,,,,,,,,और खुद छोड़े तो छोड़े अपने बाद अपने घर से किसी को तो खड़े करते,,,,,,,,अरे जैसे उनके चाचा ने विधायकी विरासत में मुरारी भैया को सौंपी वैसे ही मुरारी भैया की भी तो जिम्मेदारी बनती है ना इसे अपने बेटे को सौपने की,,,,,,,,,,,!!”,रजुआ ने नाराजगी भरे स्वर में कहा
“कौन मानवेन्द्र मिश्रा ? अरे उह तो राजनीती से कोसो दूर रहत है उह कबो ना आही है जे राजनीती मा,,,,,,!”,मोहन ने कहा


“लेकिन ज़रा सोचो अगर राजनीती मा मानवेन्द्र मिश्रा जैसे युवा नेता आ जाही तो का हो ?”,शंकर ने कहा
“अरे का हो ? सम्पूर्ण बनारस का कल्याण हो जाही , मुन्ना भैया ईमानदार है , समझदार है , शांत ऐसे जैसे प्रभु का “सदाशिव” रूप और क्रोधित हो तो “भैरव” , अरे बनारस को उह अपना घर मानते है और यहाँ बसने वाले हर शख्स को अपना परिवार , घाट उनके दोस्त है तो बनारस की गलिया उनके साथी ,, जो अमीर गरीब में कोनो भेद ना करे , जो हर किसी की मदद करने को तैयार रहे ,

छोटे इतने कि हमरे तुमरे साथ जमीन पर बैठने में न सरमाये और अमीर इतने की मांगने पर अपना सब कुछ दे,,,,,,,,,,,,ऐसा इंसान अगर बनारस की राजनीती में आये तो का बनारस का कल्याण नाही होगा,,,,,,,,,,,,,!!”,रमेश ने एकदम से उठकर गर्व से कहा
वहा बैठे सब उसे देखने लगे , शंकर ने भी पतीले में करछी छोड़ दी और रमेश के भाषण पर धीरे धीरे ताली बजाने लगा।

“का बात है ? बात तो बहुते बढ़िया कही तुम्हे ,, तो का तुमको भी लगता है मानवेन्द्र मिश्रा को यह साल चुनाव मा खड़े होना चाहिए ?”,रजुआ ने रमेश से पूछा  
“होना चाहिए ? मुन्ना भैया को युवा नेता इलेक्शन का टिकट मिल चुका है अब बस उनके जीतने की तैयारी कीजिये,,,,,,,,,,,,!!”,रमेश ने कहा
“अरे तैयारी का समझ ल्यो मुन्ना भैया ही जीतेंगे,,,,,,,,,,!!”,मोहन ने कहा तो रजुआ और शंकर ने भी उसकी हाँ में हाँ मिला दी।


“आपकी चाय के पैसे”,रमेश ने चाय के पैसे शंकर की तरफ बढाकर कहा
“अरे रहन दयो भैया इत्ती अच्छी खबर सुनाये हो , तुम्हरी चाह फ्री मा पैसा देने की कोनो जरूरत नाही”,शंकर ने खुश होकर कहा
“वैसे तुमहू मिश्रा जी के लड़के के का लगते हो ?”,रजुआ ने पूछा
“हम भूषण भैया के आदमी है उनके लिए काम करते है,,,,,,,,,,!!”,कहकर रमेश वहा से चला गया


रमेश के मुंह से भूषण का नाम सुनकर तीनो उसका मुंह देखने लगे। रमेश के जाने के बाद मोहन ने बाकि दोनों से कहा,”उह भूषण का आदमी होकर मुन्ना की तारीफ काहे कर रहा था ?”
शंकर मुस्कुराया और कहा,”अरे मोहनवा जब विपक्ष के मुँह से भी तारीफ सुनने को मिले ना तब समझो बहुते सही इंसान राजनीती मा कदम रखने जा रहा है”


“लगता है इह बार बनारस मा कुछो भौकाल देखन का मिली है इह चुनाव मा,,,,,,,,,,!!”,रजुआ ने कहा
“हमरा और हमरी मेहरारू का बोट तो मुन्ना को ही जायेगा”,शंकर ने फिर से करछी पतीले में घुमाते हुए कहा और दूसरे ग्राहकों को चाय देने लगा। शंकर और रजुआ भी घर के लिए निकल गए।  

मुरारी का घर , बनारस
घर पहुँचते पहुँचते शाम हो चुकी थी। मुन्ना और मुरारी रास्तेभर खामोश रहे। युवा लेता इलेक्शन टिकट लेकर मुन्ना ने मुरारी को सदमा जो दे दिया था। रास्तेभर मुरारी खुद को ये यकीन दिलाने की कोशिश कर रहा था कि मुन्ना राजनीती में कदम रखने जा रहा है। वही मुन्ना भूषण के बारे में सोचते हुए गाडी चला रहा था ,

भूषण कितना बुरा इंसान था ये मुन्ना बहुत अच्छे से जानता था और वह नहीं चाहता था कि भूषण जैसे लोग राजनीती में आये। मुन्ना का राजनीती में आने का ये फैसला सही था या गलत ये तो वह भी नहीं जानता था लेकिन जब उसने भूषण को मुरारी से बदतमीजी करते देखा तो एक पल में ये फैसला कर लिया कि वह राजनीती में आएगा,,,,,,,,,,,,,,!!”


जीप घर के सामने पहुंची गार्ड ने मुरारी की जीप देखते ही घर का मेन गेट खोल दिया और जीप अंदर चली आयी। घर आते ही मुरारी अपने ख्यालो से बाहर आया और उसके चेहरे से ख़ुशी झलकने लगी। मुन्ना ने जीप साइड में लगाई और नीचे उतर गया , मुरारी भी मुन्ना के साथ जीप से नीचे आ उतरा , ख़ुशी उसकी आँखों से उसके चेहरे से साफ़ दिखाई दे रही थी। दोनों अंदर जाने के लिए साथ साथ चलने लगे , दरवाजे पर आकर मुन्ना रुका और अपना हाथ आगे करके मुरारी से पहले अंदर जाने को कहा जैसा कि वह हमेशा किया करता था।


“जे है हमरे दिए संस्कार , मुन्ना राजनीती में आ रहा है लेकिन आज भी हमरी इज्जत करता है,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने मुन्ना को देखकर मन ही मन कहा और अंदर चला गया। पीछे पीछे मुन्ना भी चला आया। मुन्ना मुंह धोने सीधा वाशबेसिन की तरफ चला आया लेकिन हॉल में खड़ा मुरारी तो अपने-आप से बाते करते हुए खुश हो रहा था। मुन्ना मुँह धोते हुए बस सही गलत में उलझा था एक तरफ थे उसके उसूल और दूसरी तरफ समाज की कड़वी सच्चाई,,,,,,,,,,,,!!


मुरारी खुद से बात करते हुए कहने लगा,”लास्ट बॉल पर का छक्का मारे हो तुमहू मुन्ना , साला उह भूषणवा का मुँह तो देखने लायक था कैसे तोते , कबूतर , मोर उड़ गए थे उसके,,,,,,,,,हमरे सामने बहुते फड़फड़ा रहा था साला तुमहू तो उसके पर ही काट दिए,,,,,,,,,,

,इलेक्शन जीतने के बाद उसका चिकन बिरयानी हम बना देंगे और साला चावल भी ओह्ह से मंगवाएंगे जॉन उनको टिकट दिलवाये है,,,,,,,,,आज चचा हिया होते तो जे सुनकर बहुते खुश होते कि हमने उनकी दी विरासत को सम्हाल कर रखा है,,,,,,,,जैसे हम कहते फिरते थे पुरे बनारस मा हर बात पर कि “चाचा विधायक है हमारे” वैसे हमरे मुन्ना के बच्चे कहेंगे कि “पापा विधायक है हमारे”


कितना ही मजा आएगा हमे जे देखकर,,,,,,,,,,हमहू तो खामखा टेंशनियाय रहे थे कि बुढ़ापा कैसा जाही है पर महादेव तुमहू सुन ली हमायी,,,,,,,,,अब बुढ़ापा आराम से कटी है”
“मुरारी तुम ठीक हो न ?”,मुरारी के लिए चाय का कप लेकर अनु ने पूछा
“अरे अनु तुम हो,,,,,,,,,,,,,अरे आज हम बहुते खुश है मतलब जितना अपनी शादी के दिन हुए थे ना समझ ल्यो उतना आज खुश है,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने खुश होकर कहा।


मुन्ना हॉल में चला आया तो मुरारी ख़ुशी भरी आँखों के साथ मुन्ना को देखने लगा। मुन्ना मुरारी के दिल का हाल बखूबी समझ रहा था। एक बस अनु ही थी जो ये समझ नहीं पा रही थी कि आखिर मुरारी इतना खुश क्यों है ? उसने हाथ में पकडे कप को पास खड़े टेबल पर रख दिया। किशना भी मुरारी की ख़ुशी की वजह जानने के लिये वही खड़ा था। अनु ने मुरारी को देखा और कहा,”मुरारी ऐसी क्या बात है मुझे भी बताओ ?”


“अरे मुन्ना राजनीती में खड़े हो रहे है अनु,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने चहकते हुए कहा और पलटकर खुद में ही खुश होते हुए कहने लगा,”सोचो मुन्ना और राजनीती,,,,,,,,का गजब का कॉम्बिनेशन होगा बनारस मा , उह मुन्ना जो राजनीती के नाम से भी चिढ जाता था अब हमरी जगह बनारस का नेता बनेगा , जो मान सम्मान हमे मिलता था उह अब मुन्ना को मिलेगा,,,,,,,,बनारस के लोग जैसे हमे देखते ही “नमस्ते विधायक जी , प्रणाम विधायक जी , हर हर महादेव विधायक जी” कहते थे अब मुन्ना से भी कहा करेंगे,,,,,,,,का ही रंग होगा ?

साला हमहू सपने में कबो नहीं सोचे थे कि मुन्ना , हमरा मुन्ना राजनीती मा कदम रखेगा। शिवम् भैया सुनेंगे तो ख़ुशी से फूले नहीं समायेंगे,,,,,,,,,आखिर भतीजे ने इतना बड़ा काम जो किया है,,,,,,,,,,,कल सुबह ही मुन्ना के साथ जाकर उनको जे खुशखबरी सुनाएंगे,,,,,,,,,,!!”

कहते कहते मुरारी मुन्ना की तरफ पलटा और कहा,”इह सब ना हमरी होने वाली बहू के आने का शुभ संकेत , अरे अभी तो तुम्हरी सगाई हुई है गौरी के साथ और ओह्ह के साथ ही जे शुभ समाचार मिल गवा,,,,,,,,आगे पता नहीं का का होगा ?”

“लगता है पापा को गहरा सदमा लगा है”,मुन्ना मन ही मन बड़बड़ाया
मुरारी मुन्ना को देखकर कुछ बोल ही नहीं पाया वह बस अपने चेहरे पर ख़ुशी और आँखों में नमी लिए मुन्ना को देखता रहा और अनु अभी तक सदमे में थी। वह यकींन ही नहीं कर पा रही थी कि मुन्ना खुद राजनीती में आना चाहता है।
“आप शायद हमे गले लगाना चाहते है”,मुन्ना ने मुरारी की आँखे पढ़कर धीमे स्वर में कहा


मुरारी ने वही खड़े खड़े नम आँखों के साथ हामी में गर्दन हिला दी लेकिन आगे बढ़कर मुन्ना को गले नहीं लगा पाया। मुन्ना मुरारी की तरफ बढ़ा और उसे गले लगाकर कहा,”हमने ये बस सिर्फ आपके लिए किया है पापा , इंदौर में जब बड़े अफसरों के सामने आपको सर झुकाते , हाथ जोड़ते देखा तब हमे अहसास हुआ कि आपका राजनीती में रहना क्यों जरुरी था ? उस वक्त हम आपके लिए कुछ नहीं कर पाए , वो पल हमारे लिए मर जाने जैसा था,,,,,,,,,

हमारी ख़ुशी के लिए अपने हँसते हँसते राजनीती छोड़ दी लेकिन उसकी कमी आपको अपने जीवन में हमेशा खलती रही,,,,,,,,,,हम आपको राजनीती तो वापस नहीं दे पाए पर उसके बदले में आपका सपना जरूर पूरा कर सकते है। आप चाहते थे आपके बाद राजनीती हम सम्हाले , हम सम्हालेंगे पापा  

मुरारी ने सुना तो आँखों में आये आँसू बह गए उसने मुन्ना को कसकर गले लगा लिया। मुन्ना ख़ामोशी से मुरारी की पीठ सहलाता रहा। मुरारी ने अपने आँसू पोछे ताकि मुन्ना ना देख ले और फिर से अपने होंठो पर बड़ी मुस्कान लाकर मुन्ना के कंधो को थामकर कहा,”राजनीती गन्दी नहीं है मुन्ना , इसमें शामिल कुछ लोग गंदे है जिन्होंने इसे गंदा कर दिया है पर अब हमका पूरा बिस्वास है कि तुमहू कुछो अच्छा करोगे , बनारस की राजनीती का तख्ता पलट दोगे,,,,,!!”


“हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे पापा,,,,,,,,,,,हमारे नियम अलग है और वो हम किसी के लिए नहीं तोड़ेंगे,,,,,!!”,मुन्ना ने एक रहस्य्मयी मुस्कान के साथ कहा
मुरारी ने सुना तो कुछ देर खामोश रहा और फिर मुस्कुरा कर कहा,”अरे तुमहू जो भी करोगे बेस्ट ही करोगे मुन्ना,,,,,,,,!!”

अनु अभी तक ख़ामोशी से सब देख रही थी , बेचारी बोलना चाहती थी लेकिन मुन्ना राजनीती में आ रहा है ये सुनकर ही उसके होश उड़े हुए थे। मुन्ना से बात करते हुए मुरारी की नजर अनु पर पड़ी तो उसने अनु को हाथ लगाकर कहा,”ए मैग्गी का हुआ तुमको ऐसे पुतला बने काहे खड़ी हो ?”
मुरारी ने जैसे ही कहा अनु धड़ाम से नीचे जा गिरी , मुन्ना परेशान सा अनु के पास आया और उसे सम्हालते हुए कहा,”माँ माँ क्या हुआ आपको ? आप ठीक तो है न ?”


“मुन्ना राजनीती में आ रहा है जे सुनकर अनु का जे हाल है तो फिर आई बाबा और शिवम् भैया सारिका भाभी का का होगा ? और गौरी उह कही जे सुनकर शादी से इंकार ना कर दे,,,,,,,,,,,,,अरे मुरारी अपनी ख़ुशी देखी इन सब का काहे नहीं सोचे ?”,मुरारी ने मन ही मन खुद से कहा

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संजना किरोड़ीवाल  

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
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Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

लेकिन ज़रा सोचो अगर राजनीती मा मानवेन्द्र मिश्रा जैसे युवा नेता आ जाही तो का हो ?”,शंकर ने कहा
“अरे का हो ? सम्पूर्ण बनारस का कल्याण हो जाही , मुन्ना भैया ईमानदार है , समझदार है , शांत ऐसे जैसे प्रभु का “सदाशिव” रूप और क्रोधित हो तो “भैरव” , अरे बनारस को उह अपना घर मानते है और यहाँ बसने वाले हर शख्स को अपना परिवार , घाट उनके दोस्त है तो बनारस की गलिया उनके साथी ,, जो अमीर गरीब में कोनो भेद ना करे , जो हर किसी की मदद करने को तैयार रहे ,

लेकिन ज़रा सोचो अगर राजनीती मा मानवेन्द्र मिश्रा जैसे युवा नेता आ जाही तो का हो ?”,शंकर ने कहा
“अरे का हो ? सम्पूर्ण बनारस का कल्याण हो जाही , मुन्ना भैया ईमानदार है , समझदार है , शांत ऐसे जैसे प्रभु का “सदाशिव” रूप और क्रोधित हो तो “भैरव” , अरे बनारस को उह अपना घर मानते है और यहाँ बसने वाले हर शख्स को अपना परिवार , घाट उनके दोस्त है तो बनारस की गलिया उनके साथी ,, जो अमीर गरीब में कोनो भेद ना करे , जो हर किसी की मदद करने को तैयार रहे ,

लेकिन ज़रा सोचो अगर राजनीती मा मानवेन्द्र मिश्रा जैसे युवा नेता आ जाही तो का हो ?”,शंकर ने कहा
“अरे का हो ? सम्पूर्ण बनारस का कल्याण हो जाही , मुन्ना भैया ईमानदार है , समझदार है , शांत ऐसे जैसे प्रभु का “सदाशिव” रूप और क्रोधित हो तो “भैरव” , अरे बनारस को उह अपना घर मानते है और यहाँ बसने वाले हर शख्स को अपना परिवार , घाट उनके दोस्त है तो बनारस की गलिया उनके साथी ,, जो अमीर गरीब में कोनो भेद ना करे , जो हर किसी की मदद करने को तैयार रहे ,

लेकिन ज़रा सोचो अगर राजनीती मा मानवेन्द्र मिश्रा जैसे युवा नेता आ जाही तो का हो ?”,शंकर ने कहा
“अरे का हो ? सम्पूर्ण बनारस का कल्याण हो जाही , मुन्ना भैया ईमानदार है , समझदार है , शांत ऐसे जैसे प्रभु का “सदाशिव” रूप और क्रोधित हो तो “भैरव” , अरे बनारस को उह अपना घर मानते है और यहाँ बसने वाले हर शख्स को अपना परिवार , घाट उनके दोस्त है तो बनारस की गलिया उनके साथी ,, जो अमीर गरीब में कोनो भेद ना करे , जो हर किसी की मदद करने को तैयार रहे ,

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