Main Teri Heer – 10

Main Teri Heer – 10

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

बनारस , मुरारी का घर
आज मुरारी की आँखे ज़रा से खुली , आँखे मसलते हुए उसने घडी की तरफ देखा तो पाया सुबह के 8 बज रहे है। मुरारी बिस्तर से नीचे आया और अंगड़ाई ली , धरती माता को प्रणाम किया और अपने महादेव को याद करके कमरे से बाहर चला आया।
“अरे मैग्गी ! हमको उठाया काहे नहीं ? देखो सूरज भगवान सर चढ़ आये है”,मुरारी ने हॉल में आते हुए कहा
अनु मुरारी के लिए चाय लेकर आयी और कप मुरारी की तरफ बढाकर कहा,”तुम काफी थके हुए थे तो सोचा तुम्हे सोने दू,,,,,,,,,चाय”


मुरारी ने चाय का कप लिया और दूसरे हाथ से जाती हुई अनु का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”आजकल तुम हमरा कुछो जियादा ही ख्याल रखने लगी हो,,,,,,,कुछो चाहिए तुमका ?”
अनु मुरारी की तरफ पलटी और मुस्कुरा कर कहा,”मुरारी कभी कभी बेवजह भी हमे एक दूसरे की परवाह कर लेनी चाहिए , और मुझे कुछ नहीं चाहिए उलटा तुमने हमेशा जरूरत से ज्यादा ही दिया है मुझे,,,,,,,,,,,!!”
अनु की बात सुनकर मुरारी मुस्कुराये बिना न रह सका। वह ख़ामोशी से अनु की तरफ देखता रहा और चाय का एक घूंठ भरकर कहा,”आज चाय से ज्यादा मीठी तुम्हरी बाते लग रही है”


“मुरारी , क्या आज मैं सारिका दी से मिलने उनके घर जाऊ , उन्होंने मुझे बुलाया है”,अनु ने प्यार से पूछा
“ल्यो इह मा पूछने की का बात है ? कल रात में शिवम् भैया का फोन आया था , हमे भी शुगर मील जाना है,,,,,,,,,,,,,का है कि राजनीती तो अब रही नहीं,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“तुम्हे राजनीती से बहुत प्यार है मुरारी ?”,अनु ने पूछा
“हाँ प्रेम तो है पर उह राजनीती से जो बनारस के लोगो का भला करे , किसी को परेशान नहीं,,,,,,,,,अब तो साला ना राजनीती साफ रही ना राजनेताओ की नियत,,,,,,,अब तो बनारस के महादेव ही मालिक है,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा


“चाहे जैसी भी हो पर तुम्हारी इस राजनीती ने इस घर को और मुझे पुराना मुरारी लौटा दिया,,,,,,,,,कम से कम तुम्हारा थोड़ा वक्त मिलेगा हम सबको”,अनु ने हँसते हुए कहा और वहा से चली गयी
”अरे तुम्हरे लिए तो बख्त ही बख्त है मैग्गी”,मुरारी ने कहा तभी उसकी नजर सामने से आते किशना पर पड़ी जो कि सुबह का अख़बार हाथ में लिए परेशान सा चला आ रहा था।  

“का हाल बाबू ? सुबह सुबह तुम्हरे चेहरे पर 12 काहे बजे है ?”,मुरारी ने पूछा
“जे देखिये मुरारी भैया,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए किशना ने अख़बार मुरारी की तरफ बढ़ा दिया। मुरारी ने अख़बार के पहले पन्ने पर छपी खबर देखी “”बनारस के उभरते सितारे ‘भूषण यादव’ पहली युवा नेता के रूप में””
मुरारी के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये उसने किशना की तरफ देखा तो किशना ने कहा,”जे का मुरारी भैया ? आप राजनीती में नहीं है  इह का मतलब अब कोई भी ऐरा गैरा युवा नेता बनेगा,,,,,,,,,,,,आप कुछो करते काहे नहीं ?”


“हम इसमें का करेंगे ?”,मुरारी ने कहा
“अरे आप इते साल राजनीती में रहे आपका कोनो फर्ज बनता है कि नाही ?”,किशना ने गुस्सा होकर कहा
“हम अब भी तुम्हारी बात नहीं समझे है किशना , ज़रा खुलकर बताओगे”,मुरारी ने कहा


“मुरारी भैया हम जे कहना चाह रहे , जैसे बनिया अपनी दुकान का गल्ला अपने बेटे को , किसान अपना हल अपने बेटे को और जोहरी अपना कारोबार अपने बेटे को सम्हला देता है , वैसे आप अपनी राजनीती मुन्ना बाबा को काहे नहीं दे देते,,,,,,,,,,आपके बाद उह भी तो युवा नेता के लिए इलेक्शन में खड़े हो सकते है ना और हमका पूरा यकीन है बनारस के लोग उन्हें ही अपना युवा नेता चुनेंगे , का है कि मुन्ना भैया में राजनीती के सारे गुण भी है और सब्र भी,,,,,,,,,जे भूषण जैसे लोग राजनीती में हमको ठीक नहीं लगते”,किशना ने अपने मन की बात मुरारी के सामने रख दी।


किशना की बात सुनकर मुरारी मुस्कुराया और कहा,”तू बड़ा भोला है रे किशना ! मुन्ना हम से बहुते बिपरीत है , उनको हमरी राजनीती में कोनो इंट्रेस्ट नहीं है उह जे सब से बहुते दूर रहा है , अरे उसको तो राजनीती का रा तक नहीं मालूम उह का युवा नेता का इलेक्शन लड़ेगा ?”
“जे तो आप गलत कह रहे है मुरारी भैया , अगर मुन्ना बाबा को राजनीती के बारे में पता नहीं होता तो उह 5 साल अपने कॉलेज मा इलेक्शन कैसे लड़े ? आज तक मुन्ना भैया के पोस्टर उनके कालेज में लगे है,,,,,,!!”,किशना ने कहा


मुरारी ने सुना तो सोच में पड़ गया , सच ही तो कह रहा था किशना अगर मुन्ना को राजनीती से इतनी ही नफरत थी तो फिर वह हर साल कॉलेज इलेक्शन में हिस्सा क्यों लेता था ? कैसे उसने मुरारी को राजनीती के इस दलदल से इतनी आसानी से निकाल दिया ? इंदौर में उसने शक्ति की मदद क्यों की ? मुरारी को सोच में डूबा देखकर किशना ने कहा,”सोचिये मुरारी भैया जैसे आपने अपने चाचा कि दी हुई राजनीती को इतने अच्छे से सम्हाला , वैसे मुन्ना बाबा काहे नहीं सम्हाल सकते ? हमे पूरा यकीन है मुन्ना बाबा अपनी जिम्मेदारियों को बहुते अच्छे से सम्हालेंगे और फिर बनारस के लिए उनका प्यार उनके व्यवहार में दिखता है”


मुरारी मुस्कुराया और किशना के कंधे पर हाथ रखकर कहा,”तुम्हरी बात सही है किशना पर मुन्ना कभी राजनीती में कदम नहीं रखेगा ,, जब हमरे चाचा राजनीती में थे तो हम बनारस में उनके नाम की धौंस दिखाया करते थे कि “चाचा विधायक है हमारे” और हमरा काम हो जाता था पर जब हम खुद राजनीती में आये तब बचपन में एक बार मुन्ना के मुंह से सुने थे कि “पापा विधायक है हमारे” बस वो पहली और आखरी बार था उसके बाद कभी नहीं सुना , जब तक राजनीती में रहे बस एक ही ख्वाहिश रही कि एक बार मुन्ना हमरे सामने फिर से जे बात कहे लेकिन उसको राजनीती से इतनी नफरत है कि उह कभी नहीं कहेगा,,,,,,,

,तुम्हरी बात सही है किशना पर मुन्ना को इह दलदल में उतारना हम खुद नहीं चाहेंगे , राजनीती की कालिख में हम अपने हाथ काले कर चुके है लेकिन मुन्ना के हाथो पर कालिख नहीं लगने देंगे,,,,,,,,,,,,,!!”
मुरारी की बात सुनकर किशना खामोश हो गया , मुरारी ने उसका कंधा थपथपाया और वहा से चला गया। मुरारी के जाने के बाद किशना ने सामने देखा तो सीढ़ियों पर खड़े मुन्ना को अपनी ओर देखता पाया। किशना चुपचाप वहा से चला गया।

मुन्ना हॉल में आया और टेबल पर रखा अख़बार उठाकर देखा।  पहले पन्ने पर छपी भूषण की तस्वीर देखकर मुन्ना के चेहरे पर कोई भाव नहीं आये , उसने अख़बार नीचे रखा और सोफे पर आ बैठा। किशना उसके लिए सुबह का चाय नाश्ता रखकर चला गया। मुन्ना ने चुपचाप नाश्ता करने लगा।

शिवम् का घर , बनारस
आई बाबा को चाय नाश्ता देने के बाद सारिका साड़ी बदलने के लिए कमरे में चली आयी आज उसे मुंबई वाले ऑफिस के किसी काम से बैंक जाना था। शीशे के सामने खड़ी सारिका अपनी साड़ी पहन रही थी। साड़ी की सलवटों को सही करने के लिए वह जैसे ही झुकी शिवम् ने उसे आकर रोक दिया और नीचे बैठते हुए कहा,”हम कर देते है”


सारिका मुस्कुरा उठी , ये कुछ हक़ शिवम् शादी के बाद खुद ले चुका था। उसे झुककर सारिका की साड़ी सही करने में ज़रा भी शर्म महसूस नहीं हुई। उसने सलवटे सही की और सारिका के सामने आकर कहा,”बैंक जा रही हो ?”
“हाँ सुबह नवीन का फोन आया था , कुछ ट्रांजेक्शन करने है और उसके लिए हमे बैंक जाना होगा,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने पल्लू पर पिन लगाते हुए कहा लेकिन लगा नहीं पायी। शिवम् ने देखा तो सारिका के पीछे आया और उसके हाथ से पिन लेकर पल्लू में लगाते हुए कहा,”हम साथ चले ?”


“आप भूल गए आपको आज मुरारी भैया के साथ शुगर मील जाना है,,,,,,,,,,,हम मैनेज कर लेंगे”,सारिका ने प्यार से कहा
शिवम् ने कुछ नहीं कहा बस सारिका के खुले बालों को समेटा और उनकी चोटी बनाने लगा , सारिका मुस्कुरा उठी और कहा,”आज ये इतना प्यार जताने की वजह,,,,,,,,,,!!”
“इस उम्र में अक्सर एक दूसरे को खो देने का डर बढ़ जाता है , शायद इसलिए”,शिवम् ने सारिका की चोटी बनाते हुए कहा


सारिका ने सुना तो सहसा ही उसकी आँखों में आँसू भर आये , उसे याद आया कुछ दिन बाद वह मुंबई चली जाएगी। सारिका शिवम् की तरफ पलटी और शिवम् की आँखों में झांकते हुए कहा,”इन आँखों में हमारे लिए मोहब्बत होनी चाहिए , हमे खो देने का डर नहीं,,,,,,,,,!!”
“पर अब से इन आँखों में मोहब्बत के साथ साथ आपके लौट आने का इंतजार भी होगा,,,,,,,,,,,मैडम जी”,शिवम् ने नम आँखों के साथ कहा


सारिका ने अपनी आँखों में आये आंसुओ को रोक लिया , उसे गले में तेज कुछ चुभता महसूस हुआ और उसने पलटकर कहा,”हमे अब निकलना चाहिए”  
“हम्म्म्म,,,,,,,,,,हम भी चलते है , मुरारी हमारा इंतजार कर रहा होगा”,कहकर शिवम् तेज कदमो से वहा से निकल गया।

शिवम् घर से बाहर आया तो देखा मुरारी अपनी जीप में बैठा उसी का इंतजार कर रहा है। शिवम् जीप की तरफ बढ़ गया , मुरारी उसकी आँखों में आयी नमी को ना देख ले सोचकर शिवम् ने जेब से चश्मा निकाला और आँखों पर लगा लिया। सफ़ेद कुर्ता पजामा , कुर्ते की बाजू फोल्ड की हुई , एक हाथ में घड़ी और दूसरे हाथ में सारिका का दिया पहला तोहफा “चांदी का कडा” ,  काले घने बालो में से झाँकते सफ़ेद बाद , सलीके से बढ़ी दाढ़ी जिसमे से झांकते सफ़ेद बाल शिवम की बढ़ती उम्र का अहसास दिला रहे थे।

शिवम् जीप के पास आया और मुरारी के बगल में आ बैठा। मुरारी की नजरे शिवम् पर टिकी हुई थी उसने कहा,”का बात है भैया ? आज किसपे बिजली गिराने का इरादा है ? और जे चश्मे के साथ तो का लग रहे हो मतलब का ही बताये,,,,,,,,,,,!!”
“मक्खन लगाना बंद करो और चलो,,,,,,,,हमने तुमसे जल्दी आने को कहा था और तुमहू अब आ रहे हो ,, हमरी बात को आजकल सीरयस नहीं लेते हो तुम मुरारी,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा


“अगर हम जल्दी आ जाते तो आपको भाभी के पल्लू का पिन लगाने का मौका नहीं मिलता भैया”,मुरारी ने दबी आवाज में कहा
शिवम् ने सुना तो आँखों से चश्मा हटाकर हैरानी से मुरारी की तरफ देखा , मुरारी ने जीप स्टार्ट की और आगे बढ़ाते हुए कहा,”अब हमरी जीप आपके कमरे की  खिड़की के सामने आकर रुकी तो इसमें हमारी का गलती है।”
” दुसरो के कमरे की खिड़कियों में झांकना का सही बात है मुरारी ?”,शिवम् ने कहा


“सही तो नहीं है भैया पर का है ना कि बीते कुछ सालों से आपका उह रोमांटिक वाला साइड देखे नही थे आज देख लिए अब दिल को तसल्ली है,,,,,,!!”,मुरारी ने खुश होकर कहा तो शिवम् भी मुस्कुरा उठा और कहा,”पगलेट हो तुम भी , प्रेम का उम्र से कोनो लेना देना नहीं है मुरारी , जैसे जैसे उम्र बढ़ेगी तुमको समझ आएगा असल में प्रेम होता का है,,,,,,!!”
“धीरे धीरे समझ आ रहा है भैया,,,,,!!”,मुरारी ने अनु के बारे में सोचते हुए कहा और मुस्कुरा उठा

 
वंश का फ्लैट , मुंबई
सुबह सुबह वंश गहरी नींद में सोया हुआ था और कोई प्यारा सा सपना देख रहा था।
रात का समय था उस पर चांदनी रात में वंश निशि का हाथ थामे सड़क पर चल रहा था। धीमी बारिश हो रही थी जिसमे भीगते हुए वंश कुछ गुनगुनाते हुए निशि के साथ आगे बढ़ रहा था। चलते चलते निशि रुकी तो वंश ने उसकी तरफ देखकर भँवे उचकाई और निशि ने अपने पैरो की तरफ इशारा कर दिया। वंश ने देखा निशि के जूतों के लेस खुल गए है और निशि को झुकने में ऐतराज था ये देखकर वंश निशि के सामने आया और नीचे बैठकर निशि के जूतों के लेस बांधने लगा।  

लेस बांधकर वंश जैसे ही उठा निशि ने कहा,”तुमने ये क्यों किया ?”
“कभी कभी कुछ हक़ मांगे नहीं जाते , हमे खुद ही दे देने चाहिए,,,,,,,,,,अब चले ?”,वंश ने कहा और जैसे ही आगे बढ़ा निशि ने कहा,”अगर मैं कहू मेरे पैर बहुत दुःख रहे है तो,,,,,,,,,!!”
वंश वापस निशि के पास आया और कहा,”तो मैं तुम्हे अपनी पीठ पर उठा लूंगा” कहकर वंश फिर से आगे बढ़ गया तो निशि ने कहा,”वंश ! मेरे पैर बहुत दुःख रहे है,,,,,,!!”


वंश मुस्कुराया और वापस निशि के पास आकर नीचे बैठ गया उसने निशि से अपनी पीठ पर चढ़ने का इशारा किया , निशि वंश की पीठ पर चढ़ गयी और वंश आगे बढ़ गया।

वंश ये सपना देखकर नींद में मुस्कुरा ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा और वंश का सपना टूट गया।  फोन को इग्नोर करने के लिए वंश ने करवट बदली और तकिया उठाकर कान पर रख लिया। कुछ देर बजने के बाद फ़ोन फिर बजा और इस बार वंश को फोन उठाना पड़ा। उसने आँखे मूंदे मूंदे फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो ! इतनी सुबह सुबह फोन कौन करता है ?”
“तुम्हारा सूरज शायद देर से निकलता है , बेटा घडी में वक्त देखो सुबह के 10 बज रहे है,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन की आवाज वंश के कानो में पड़ी।


वंश ने अधखुली आंखों से स्क्रीन देखी , स्क्रीन पर हिटलर नाम देखकर वंश को यकीन हुआ कि ये नवीन का फोन है उसने फोन कान से लगाया और कहा,”हम्म्म्म गुड मॉर्निंग अंकल”
“गुड मॉर्निंग बाद में पहले मेरी बात सुनो , 10 समोसे , 1 किलो इमरती , 1 किलो गुलाब जामुन और कुछ जूस के डिब्बे लेकर जल्दी घर पहुंचो,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने वंश की गुड मॉर्निंग को साइड में करके कहा
“अह्ह्ह्ह ठीक है लेकिन बात क्या है ? आपको सुबह सुबह ये सब क्यों चाहिए ?”,वंश ने बिस्तर से उठकर टीशर्ट पहनते हुए कहा


“वो सब मैं तुम्हे घर आने पर बताऊंगा,,,,,,,!!”,कहकर नवीन ने फोन काट दिया
वंश ने एक बार फिर स्क्रीन पर लिखे नाम हिटलर को देखा,”अह्ह्ह्ह सच में हिटलर ही है ये बन्दा,,,,,,,,,,,,सुबह सुबह मेरी नींद खराब कर दी और मेरा सपना भी,,,,,,,,,,,,,!!

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संजना किरोड़ीवाल

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
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वंश ने अधखुली आंखों से स्क्रीन देखी , स्क्रीन पर हिटलर नाम देखकर वंश को यकीन हुआ कि ये नवीन का फोन है उसने फोन कान से लगाया और कहा,”हम्म्म्म गुड मॉर्निंग अंकल”
“गुड मॉर्निंग बाद में पहले मेरी बात सुनो , 10 समोसे , 1 किलो इमरती , 1 किलो गुलाब जामुन और कुछ जूस के डिब्बे लेकर जल्दी घर पहुंचो,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने वंश की गुड मॉर्निंग को साइड में करके कहा
“अह्ह्ह्ह ठीक है लेकिन बात क्या है ? आपको सुबह सुबह ये सब क्यों चाहिए ?”,वंश ने बिस्तर से उठकर टीशर्ट पहनते हुए कहा

वंश ने अधखुली आंखों से स्क्रीन देखी , स्क्रीन पर हिटलर नाम देखकर वंश को यकीन हुआ कि ये नवीन का फोन है उसने फोन कान से लगाया और कहा,”हम्म्म्म गुड मॉर्निंग अंकल”
“गुड मॉर्निंग बाद में पहले मेरी बात सुनो , 10 समोसे , 1 किलो इमरती , 1 किलो गुलाब जामुन और कुछ जूस के डिब्बे लेकर जल्दी घर पहुंचो,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने वंश की गुड मॉर्निंग को साइड में करके कहा
“अह्ह्ह्ह ठीक है लेकिन बात क्या है ? आपको सुबह सुबह ये सब क्यों चाहिए ?”,वंश ने बिस्तर से उठकर टीशर्ट पहनते हुए कहा

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