Main Teri Heer – 23
Main Teri Heer – 23

शिवम् का घर , बनारस
मुन्ना राजनीती में आ रहा है ये सुनकर बाबा , शिवम् और सारिका तीनो हैरान थे और बेचारी आई उनके हाथ से तो अचार का मर्तबान ही गिर गया। आई फटी आँखों से मुन्ना को देखने लगी। सबको हैरान देखकर मुन्ना खुद खामोश था वह कुछ कहता इस से पहले मुरारी आई की तरफ आया और आई को ताने मारते हुए कहने लगा,”देखा , देखा ना कैसी भौकाल खबर सुनाये है हमहू तुम सबका,,,,,,,,,,,अरे हमसे पहिले चाचा विधायक थे , फिर हमहू बने और अब हमरे हमरे बाद हमरा बेटा मुन्ना जे काम को आगे बढ़ाएगा।
का कहती थी तुमहू आई कि मुन्ना कबो राजनीती मा ना आही है , अरे मुन्ना राजनीती मा भी आहे है , इलेक्शन भी लड़े है , इलेक्शन जीते भी है और ओह के बाद बनारस मा अगला विधायक भी बने है,,,,,,,,,,,,,जे खबर सुनकर अचार का मर्तबान छूटा ना तुम्हरे हाथ से,,,,,,,,,,साला जब हमहू कबो मर्तबान तोड़ दिया करते थे,,,,,,,,,,,,अनजाने मा,,,,,,,,,,,तब कैसे तुमहू माँ काली , दुर्गा का रूप धारण कर लेती थी,,,,,,,,,अबहु हम का बने भैरो बाबा कि काल भैरव,,,,,,,,हम गलती करे तो जूते खाये और खुद गलती करो खामोश , मुंह बंद , मुँह मा पान सुपारी गुटखा सब दबा लेंगी”
“मुरारी फिर मार खायेगा,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने धीमे स्वर में सारिका से कहा
सारिका भी मुरारी का ओवरकॉन्फिडेंस और आई की जलती नजरे देखकर समझ गयी कि शिवम् जो कह रहा है वो बिल्कुल सही है। सारिका और शिवम् दोनों पलट गए , ताकि इस उम्र में मुरारी को आई से मार खाते ना देखना पड़े
“का शिवम् भैया , भाभी का ? मुंह काहे घुमाय लिया ? हाँ हाँ समझ गए जे उम्र माँ आई को गलती करते देखकर शर्म आ रही होगी ना दोनों को,,,,,,,,,,अरे शर्म तो हमे भी,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने इतना ही कहा कि एक चांटा आकर पड़ा उसके गाल पर और आगे के शब्द उसके मुंह में ही रह गए।
अनु ने देखा तो मुरारी से नजरे हटाकर इधर उधर देखने लगी , वही बेचारे मुन्ना ने अफ़सोस से अपनी आँखे बंद कर ली और शिवम् सारिका तो पहले ही दूसरी तरफ घूम चुके थे। ये चाटा मारा था आई ने , बाबा भी ख़ामोशी से कावेरी को देखने लगे तो आई ने गरियाते हुए कहा,”का रे मुरारी ? तुमहू बके जा रहे और हमहू सुने जा रहे , कान खोलकर सुन ल्यो जे अचार का मर्तबान भी न तुम्हरी बात सुनकर गिरा है”
मुरारी भला कहा हार मानने वाला था , वह आई के सामने आया और सीना तानकर कहा,”ल्यो मतबल इह मा भी हमायी गलती है ?”
आई जो मुरारी को अपने सामने आज भी वह 24-25 वाला रंगबाज मुरारी समझती थी उन्होंने दूसरे गाल पर भी थप्पड़ लगाया और कहा,”जे पूछने के लिए हमायी छाती पर चढ़ने की जरूरत ना है,,,,,,,,,,,,अरे पूरा बनारस जानता है तुमहू अपन चाचा के दम पर विधायक बने रहे,,,,,,,,पर हमार मुन्ना इह कैसे तुम्हरी बातो में आ गवा,,,,,,,,,,,!!” कहते हुए आई मुन्ना की तरफ बढ़ी लेकिन रूककर मुरारी से कहा,”जे अचार और मर्तबान का पइसा ना हमहू तुमसे लेइ है”
बेचारा मुरारी लाचारी से बाबा की तरफ देखकर कहा,”बताओ हमहू कुछो किये भी नाही और भरपाई भी हम ही करे,,,,,,,,,,,!!”
“तुम्हरे और काबेरी के बीच मा हमहू कुछो ना कही है,,,,,,,,,,!!”,बाबा ने मुरारी के सामने हाथ जोड़कर कहा
“अरे आज तक कुछो कहे हो आप जो अब कहोगे,,,,,,,,साला ससुर बनने वाले है फिर भी इनकी नजर मा हमरी कोनो इज्जत नाही है , जब मन हुआ हाथ साफ कर दिया,,,,,,,,!!”,मुरारी ने पहले रोआँसा होकर खुद से कहा और फिर ऊँची आवाज में आई से कहा,”अरे बनारस मा इत्ते साल विधायक रह चुके है हम , आज भी अगर घर से बाहिर निकले न सब हमको देख के नमस्ते विधायक जी कहते है , कुछ दिनों बाद ससुर बन जायेंगे,,,,,,,,,,,तुम्हरी जे गुंडागर्दी कब तक चली है हमायी जिंदगी मा ?”
आई जो कि मुन्ना से बात करने उसकी तरफ आयी थी , मुरारी की बात सुनकर पलटी और कहा,”अरे तो सुधर काहे नहीं जाते मुरारी ? और ससुर बनने वाले हो तो का हुआ हमरे अचार का मर्तबान तोड़े ना तो तुम्हरी बहुरिया के सामने भी मारेंगे तुमको समझे,,,,,,,,,!!”
“हाँ हाँ समझ गए , जे अचार का मर्तबान ना हुआ हमरा सौत हो गवा,,,,,,,,,तोड़े कोई पिटे कोई,,,,,,,,,,अरे हमहू तुमका खुशखबरी देने आये रहय तुमहू हमे ही पेल दिहिस”,मुरारी ने उदास होकर कहा
“हमको तुम्हरी बात पर भरोसा नाही है मुरारी हमको मुन्ना से पूछन दयो,,,,,,,!!”,आई ने मुरारी से कहा और फिर मुन्ना की तरफ पलटकर पूछा,”ए मुन्ना ! सच सच बताओ बिटवा जे मुरारी जो कह रहा है उह सच है का ? तुमहू का सच मा राजनीती मा आ रहे हो ?”
मुन्ना ने आई के हाथो को थामा और प्यार से कहा,”पापा ने जो कहा सच है आई , हमने युवा नेता इलेक्शन के लिए फॉर्म भर दिया है , हमे टिकट भी मिल गया है और अगले हफ्ते हम बनारस के युवा नेता इलेक्शन में खड़े होने वाले है”
शिवम् सारिका भी वापस पलट चुके थे उन्होंने जब मुन्ना के मुंह से ये बात सुनी तो दोनों हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे क्योकि बचपन से वे जैसा वे लोग मुन्ना को देखते आये थे मुन्ना का राजनीती में आना सबके लिए किसी आश्चर्य से कम ना था।
आई ने जैसे ही सुना सोफे पर आ बैठी , वे यकीन ही नहीं कर पा रही थी कि मुन्ना राजनीती में आना चाहता है। वे बड़बड़ाने लगी,”
हमका मालूम है , हमका मालुम है जे पट्टी तुमको इह मुरारिया ही पढ़ाये रहय होंगे,,,,,,,,,का है कि खुद तो अब युवा नेता रहे नाही बुड्ढे हो चुके है,,,,,,,!!”
“हमहु कहा से आपको बूढ़े लग रहे है ?”,आई की बात सुनकर मुरारी ने चिढ़ते हुए कहा
आई ने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”हाँ हाँ तुम कहा से बूढ़े हो तुम्हरी तो अभी सादी की उम्र हुई है,,,,,,,,,,खुद तो कीचड़ मा लोटे सो लोटे बिटवा को भी उह मा उतरने का गियान दे दिए,,,,,,,,!!”
आई की बात सुनकर मुन्ना उनके घुटनो के पास जमीन पर बैठा और कहा,”हम राजनीती में अपनी मर्जी से आना चाहते है आई , पापा ने हमे फ़ोर्स नहीं किया उन्हें तो इस बारे में कुछ पता तक नहीं था। आई हम समझ सकते है हमारा ये फैसला आप सबके लिए उतना ही अचानक है जितना बाकि सबके लिए,,,,,,,लेकिन यकीन कीजिये इन सब में पापा की कोई गलती नहीं है हमने खुद ये रास्ता चुना है।”
आई ने मुन्ना की बात सुनी और कहा,”पर काहे मुन्ना ? तुमहू तो कबो राजनीती मा जाना ही नहीं जाते थे फिर काहे ? बचपन से जवानी तक तुमको कबो राजनीती पसंद ना आयी फिर अचानक जे फैसला काहे कर लिए ?”
“आई क्या आपको हमारा राजनीती में आना अच्छा नहीं लगा ?”,मुन्ना ने उदास होकर पूछा
आई ने मुन्ना को उदास देखा तो कहा,”ए बिटवा जे का ? उदास काहे होते हो ? अरे तुमहू राजनीती मा आये जे से हम परेशान नाही है बबुआ हमहू तो बस जे सोचकर डर रहे है तुमहू कैसे जे माहौल मा खुद को ढालोगे ? तुमहू ठहरे सीधे साधे , लड़ाई झगडे झूठ कपट से कोसो दूर फिर तुमहू जे सब कैसे सम्हाली हो ? राजनीती का दुसरा नाम ही बदनामी है मुन्ना,,,,,,,,,,अपने बाप को देखो का कुछो नहीं सही है जे इह राजनीती का चक्कर मा”
आई को अपनी परवाह करते देखकर मुरारी अपना गुस्सा भूल गया और आकर सोफे पर बैठते हुए कहा,”पर हमरा मुन्ना समझदार है आई हमहू जानते है जे अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाएगा”
मुन्ना ने मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी मुस्कुरा दिया , मुरारी को स्पोर्ट करते देखकर मुन्ना के दिल को एक तसल्ली मिली। शिवम् आकर मुन्ना के ठीक पास और मुरारी के बगल में आकर बैठा और कहा,”लेकिन तुमने अचानक से राजनीती में आने का फैसला क्यों किया मुन्ना ? तुम तो मुरारी के दोस्त के पास बंगलौर जाने वाले थे,,,,,,,,,!!”
मुन्ना वही जमीन पर आई के पैरो के पास बैठ गया और कहा,”दो वजह है बड़े पापा , पहली ये कि हम बनारस छोड़कर नहीं जाना चाहते और दूसरी,,,,,,,,,,,!!”
कहकर मुन्ना रुक गया।
शिवम् और मुरारी दोनों मुन्ना को देखने लगे और फिर शिवम् ने कहा,”और दूसरी वजह क्या है मुन्ना ?”
मुन्ना कुछ देर खामोश रहा , उसे जैसे कुछ याद आया जिस से उसके चेहरे के भाव बदल गए और फिर उसने गंभीरता से कहा,”हमे इसमें मौजूद कमियों को जड़ से उखाड़ फेंकना है शायद इसके बाद हमारा गिल्ट कुछ कम हो जाये”
मुन्ना की बात सुनकर शिवम् की आँखों के सामने उर्वशी का चेहरा आ गया वह समझ गया मुन्ना क्या कहना चाहता है , मुरारी ने मुन्ना की बात समझने की ज्यादा कोशिश नहीं कि वह तो बस ये जानकर ही खुश था कि मुन्ना राजनीती में आ रहा था।
सारिका सबके लिए चाय बनाने किचन में चली गयी , अनु भी उसकी मदद करने चली आयी। सारिका को मुन्ना की चिंता होने लगी उसे खामोश देखकर अनु ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”दी ! परेशान मत होईये हमारा मुन्ना बहुत समझदार है,,,,,,,,,वो भले ही हम सबसे अलग हो , शांत हो लेकिन इस मामले में मुरारी पर गया है,,,,,,,सब ठीक होगा”
“हम्म्म्म !”,सारिका ने कहा
“चलिए आप चाय बनाइये मैं चाय के साथ सबके लिए कचौड़िया बना लेती हूँ”,अनु ने अपनी साड़ी का पल्लू कमर में खोंसते हुए कहा
सारिका ने हाथ पकड़कर उसे रोका और कहा,”इसकी कोई जरूरत नहीं मुझे पता था तुम आ रही हो इसलिए मैंने सुबह ही भोला से कहकर कचौड़िया बनवा दी थी,,,,,,,,थोड़ी एक्सट्रा भी बनवाई है जाते वक्त घर ले जाना”
अनु सारिका के गले आ लगी और कहा,”ओह्ह्ह्ह दी आप कितनी अच्छी हो,,,,,,,,!”
सारिका मुस्कुरा दी और सबके लिए चाय बनाने लगी।
माहौल को गंभीर होते देखकर बाबा ने सोफे की तरफ आते हुए कहा,”अरे भई मुन्ना राजनीती में आना चाहता है तो क्या होगा ? अब शेर का बच्चा शिकार नहीं करेगा तो क्या घास खायेगा ?”
“वाह बाबा का बात कही हो तुमहू ? दिल कर रहा है तुम्हाये पैर चूम ले जे ही बात तो हम समझाए रहे सबका,,,,,,,,अब आखिर खून तो हमरा ही है ना”,मुरारी ने उठकर जोश से कहा। बाबा भी सोफे पर आ बैठे और इसके बाद मुरारी बढ़ चढ़कर बताने लगा कैसे मुन्ना ने पार्टी हॉउस से टिकट लिया , कैसे भूषण से सामना हुआ ? मुन्ना बस ख़ामोशी से सब सुन रहा था लेकिन मुरारी और बाकी सबको खुश देखकर खुश था
प्रताप का घर , बनारस
“नमस्ते ! आईये आईये हमहू बस आप लोगो की ही राह देख रहे थे,,,,,,,,,आने में कोनो तकलीफ तो नाही हुयी ?”,प्रताप ने हाथ जोड़कर सामने खड़े लोगो से कहा। सामने प्रताप के भाई और भाभी के साथ लड़की के माता-पिता , लड़की के चाचा , लड़की जो राजन के लिए पसंद की गयी थी और साथ में उनका एक नौकर खड़ा था।
“जी नमस्ते ! तकलीफ कैसी आपके भाईसाहब साथ थे ना ये बहुत आराम से हमे यहाँ तक ले आये,,,,,,,,,,,,अरे बिटिया तुम खड़ी काहे हो पैर छुओ इनके जे लड़के के पिता है,,,,,,!!”,लड़की के पिता बंसीधर ने कहा
लड़की जैसे ही प्रताप के पैर छूने लगी प्रताप ने उसे रोक दिया और अपने दोनों हाथ उसके सर पर रखकर कहा,”खुश रहो बिटिया , बंसीधर जी हमरे हिया बिटिया पैर नाही छूती है,,,,,,,,!!”
“बहुत अच्छे विचार है आपके भाईसाहब लेकिन अगर जे रिश्ता जम गया तो पूजा बिटिया आपकी बहू बनेगी , बहू पैर छुए तो का दिक्कत है ?”,पूजा के चाचा ने कहा
“अरे मालिक ! जे ना हो पायेगा , जे हमरे घर मा भले बहू बनकर आये , हमहू इनको अपनी बिटिया ही मानेंगे,,,,,,,,!!”,प्रताप ने हाथ जोड़कर कहा
“आप लोगो बाहर क्यों खड़े है चलिए अंदर चलते है,,,,,,,,,,!!”,प्रताप के बड़े भाई ने कहा और सभी को साथ लेकर अंदर चला आया
गाय घाट ,बनारस
घाट की सीढ़ियों पर लड़को के साथ बैठा भूषण सिगरेट के कश लगा रहा था। बगल में बैठा एक लड़का उसके हाथ दबा रहा था और बाकि दो लड़के वही बैठे
इधर उधर की बाते कर रहे थे। कल पार्टी हॉउस से गया रमेश लौटकर भूषण के पास वापस नहीं आया। लड़को में से एक ने कहा,”देखा भूषण भैया ! उह्ह साला रमेश्वा आज नहीं आया,,,,,,,,,,,,,,हमहू उसको समझाए रहे लेकिन अकड़ बहुत है उह्ह मा”
भूषण ने हाथ में पकड़ी सिगरेट का एक कश लेकर उसे साइड में फेंका और नफरत भरे स्वर में कहा,”एक बार हमहू युवा नेता इलेक्शन जीत जाए ओह के बाद सबसे पहिले रमेश की अकड़ निकालेंगे उसके बाद उस मुन्ना की,,,,,,,,,,,,,जब भी उसका चेहरा हमरी आँखों के सामने आता है न हमरा खून खौल जाता है,,,,,!!”
“अरे भैया जीतेंगे तो आप ही आज सुबह ही मैंने आपके फोटो के बाद बड़े पोस्टर बनवाने का काम दे दिया है बस जैसे ही उह आते है उनको सब जगह चिपका देंगे और BHU के कुछ लड़को से हमारी बात हो गयी है ,, आपके प्रचार प्रसार में कोनो कमी नाही रखेंगे,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा
“अरे जिओ राजा ! इलेक्शन जीतने के बाद शानदार पार्टी हमरी तरफ से,,,,,,!!”,भूषण ने खुश होकर कहा
भूषण के मुंह से पार्टी की बात सुनकर लड़के भी खुश हो गए। भूषण अपनी जीत के ख्याल की ख़ुशी महसूस कर पाता इस से पहले ही उसका एक लड़का वहा आया और कहा,”भूषण भैया ! भूषण भैया”
“का बे इत्ता जल्दबाजी में काहे हो ?”,भूषण ने सीढ़ियों पर सुस्ताते हुए कहा
लड़के ने अपनी सांसो को दुरुस्त किया और कहा,”उह ! राजन भैया को देखने लड़की वाले आये है,,,,,,,,,,,,!!”
भूषण को जैसे कोई फर्क ही ना पड़ा हो उसने आँखों पर धूप वाला चश्मा लगाया और कहा,”तो तुम का चाहते हो , मेहमानो के लिए चाय की ट्रे लेकर हम जाए ?”
भूषण की बात सुनकर बाकि सब हसने लगे और लड़का ख़ामोशी से उसे देखता रहा।
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संजना किरोड़ीवाल


भूषण ने हाथ में पकड़ी सिगरेट का एक कश लेकर उसे साइड में फेंका और नफरत भरे स्वर में कहा,”एक बार हमहू युवा नेता इलेक्शन जीत जाए ओह के बाद सबसे पहिले रमेश की अकड़ निकालेंगे उसके बाद उस मुन्ना की,,,,,,,,,,,,,जब भी उसका चेहरा हमरी आँखों के सामने आता है न हमरा खून खौल जाता है,,,,,!!”
“अरे भैया जीतेंगे तो आप ही आज सुबह ही मैंने आपके फोटो के बाद बड़े पोस्टर बनवाने का काम दे दिया है बस जैसे ही उह आते है उनको सब जगह चिपका देंगे और BHU के कुछ लड़को से हमारी बात हो गयी है ,, आपके प्रचार प्रसार में कोनो कमी नाही रखेंगे,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा
भूषण ने हाथ में पकड़ी सिगरेट का एक कश लेकर उसे साइड में फेंका और नफरत भरे स्वर में कहा,”एक बार हमहू युवा नेता इलेक्शन जीत जाए ओह के बाद सबसे पहिले रमेश की अकड़ निकालेंगे उसके बाद उस मुन्ना की,,,,,,,,,,,,,जब भी उसका चेहरा हमरी आँखों के सामने आता है न हमरा खून खौल जाता है,,,,,!!”
“अरे भैया जीतेंगे तो आप ही आज सुबह ही मैंने आपके फोटो के बाद बड़े पोस्टर बनवाने का काम दे दिया है बस जैसे ही उह आते है उनको सब जगह चिपका देंगे और BHU के कुछ लड़को से हमारी बात हो गयी है ,, आपके प्रचार प्रसार में कोनो कमी नाही रखेंगे,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा
Yeh matlabi log…jo apne matlab k liye phele to Rajan ko apna dost bolte aur uska use krte hai aur fir apna kaam bante hee chod date hai…khar ese logo ko samay bhi iena dikhata hai…bus thoda intezar karo Bhushan…tumhra bhi band bajega aur wo bhi zabardast wala Munna k hatho…lakin Shivam ko samaj aa gaya ki Munna kyu rajniti m aaya hai… umeed hai ki Munna ka guilt kam ho