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मैं तेरी हीर – 2

Main Teri Heer – 2

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 2

वंश और मुन्ना चौक पर खड़े इडली सांभर खा रहे थे और गौरी बड़े ही प्यार से उन दोनों को विडिओ कॉल पर देख रही थी। कुछ देर बाद ही काशी ने आकर गौरी के हाथ से उसका फोन लेकर कहा,”बनारस से निकले अभी तुम्हे एक घंटा भी नहीं हुआ और तुमने हमारे भाईयो को तंग करना शुरू कर दिया।”


“ए काशी मेरा फोन दो , मेरा फोन दो ना बाबा,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए गौरी ने काशी के हाथ से फोन लिया लेकिन छिना छपटी में कॉल कट गया। गौरी ने अपना फोन देखा और फिर काशी को घूरकर देखते हुए कहा,”मैडम तुम्हारे मिस्टर राईट तो तुम्हे इंदौर में ही मिलेंगे लेकिन मेरा क्या मैं तो वहा जाकर मान को बहुत मिस करने वाली हूँ न।”


“क्या बात है रिश्ता फिक्स होते ही इतना प्यार , वैसे मिस गौरी शर्मा आपकी जानकारी के लिए हम बता दे कि अगले हफ्ते हमारे मुन्ना भैया भी इंदौर आ रहे है तब आप जितनी बातें करनी है उनसे कर लेना।”,काशी ने कहा
गौरी ने सूना तो ख़ुशी से उछल पड़ी और कहा,”ये बात मान ने मुझे क्यों नहीं बताई ?”
“मेम प्लीज किप साइलेंस , और आप लोग अपनी सीट पर बैठ जाये प्लीज,,,,,,,,!!”,एयर होस्टेस ने आकर गौरी से कहा


“सॉरी वो ख़ुशी के मारे थोड़ा,,,,,,,,,,,,,काशी तुम मेरे साथ वाली सीट पर आ जाओ,,,,,!”,गौरी ने धीरे से कहा और अपनी सीट की तरफ आयी देखा गौरी के बगल वाली सीट पर बैठा जय बड़े ही आराम से विडिओ गेम खेल रहा था।
“ए जय चलो पीछे जाओ काशी को यहाँ बैठना है।”,गौरी ने कहा लेकिन मजाल है जय के कान पर जूं तक रेंगी हो। उसने एक नजर गौरी को देखा और वापस अपने फोन में लग गया ये देखकर काशी को हंसी आ गयी लेकिन जब गौरी ने उसे घुरा तो काशी दूसरी तरफ देखने लगी।


“जय के बच्चे मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ और तुम्हे मेरी बात माननी चाहिए , चुपचाप यहाँ से उठो और पीछे जाओ काशी की सीट पर,,,,,,,,,!!”,गौरी ने जय के हाथ से फोन छीनते हुए कहा
जय उठा और गौरी को देखकर कहा,”अगर आप मेरी बहन नहीं होती ना तो देख लेता मैं आपको,,,,,,!!”


“पहले अपना ये पेट देखो जिसे खा खा कर फुटबाल बना लिया है तुमने,,,,,,,,,,,अब जाओ यहाँ से,,,,,!”:,गौरी ने जय को साइड कर कहा
जय काशी की तरफ आया और कहा,”काशी दी , आपने अपने भाई से कहा होता ना इस पागल को वही रख लेते,,,,,,,,,,,!”


“जय तुझे तो मैं,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने दाँत पिसते हुए कहा
“हाँ हाँ जा रहा हूँ , वैसे भी कम से कम मुझे इंसानो के साथ बैठने का मौका तो मिलेगा,,,,,,,,,,,,,, वैसे मेरी सीट कहा है ऋतू के पास या प्रिया के पास”,जय ने शर्माने की एक्टिंग करते हुए कहा
“तुम्हारी सीट वहा है,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा और गौरी के बगल में आकर बैठ गयी।


ऋतू और प्रिया के पास बैठने का मौका मिलेगा सोचकर ही जय का दिल ख़ुशी से मचलने लगा वह ख़ुशी ख़ुशी पीछे आया लेकिन अगले ही पल उसका मुंह उतर गया क्योकि उसकी सीट अधिराज जी के बगल में थी।

जय आकर उनके बगल में बैठ गया और उसके बाद शुरू हुआ अधिराज जी के सवालों का सिलसिला जिनसे जय तो क्या कोई नहीं बच सकता था।

प्लेन की विंडो सीट पर बैठी निशि उदास नजरो से खिड़की के बाहर बादलों को देख रही थी। वंश एयरपोर्ट नहीं आया ये सोचकर ही निशि की आँखे नम हो जाती। बनारस में निशि और वंश दोनों ही एक दूसरे के काफी करीब आ चुके थे और दोनों के दिलों में भावनाओ के अंकुर फूटने लगे थे। निशि जहा इन खूबसूरत अहसासों से अनजान ना थी वही वंश इन अहसासों से भागने की कोशिश कर रहा था। निशि के लिए उसका गुस्सा और उसकी चिढ धीरे धीरे कम होने लगी थी ये उसने खुद भी महसूस किया लेकिन जब मुन्ना ने पूछा तो वंश साफ साफ मुकर गया।


खिड़की से बाहर देखते हुए निशि ने अपना सर सीट से लगा लिया और आँखे मूँद ली। बनारस में वंश के साथ बिताये पल एक एक करके उसकी आँखों के सामने आने लगे। वंश का उसे तंग करना , उसे प्यार से देखना , उसे देखकर चिढ़ना , गंगा आरती में उसे लेकर नाव पर जाना और उस रात घाट की सीढ़ियों पर किया गया वो पहला किस,,,,,,,,,,,,,,एकदम से निशि ने अपनी आँखे खोली और अपने दोनों गालों को थपथपाते हुए कहा,”नहीं नहीं नहीं नहीं बिल्कुल नहीं तुम्हे अपनी लाइफ का पहला किस उस चिरकुट को तो बिल्कुल नहीं करना था।

वो कितना रूड है , उसने मुझसे गुड बाय भी नहीं कहा और ना ही वो एयरपोर्ट आया,,,,,,,,,,,,ना आये मुंबई जाकर मैं भी उसे भूल जाउंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,पर क्या सच में होगा ? भूलना तो दूर मैं तो उसका ख्याल तक अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही हूँ , अह्ह्ह्ह ये मेरे साथ क्यों हो रहा है ? मुझे बनारस आना ही नहीं चाहिए था।”
अपने ही ख्यालो में उलझी निशि खुद से बातें किये जा रही थी ये देखकर पास बैठे पैसेंजर ने उस से कहा,”आर यू ओके ?”


“हाँ , हाँ मैं ठीक हूँ।”,निशि की तंद्रा टूटी और उसने कहा।
उसने अपने हाथ पर बंधी घडी में टाइम देखा मुंबई पहुँचने में बस थोड़ा ही वक्त था इसलिए वह अपने हाथो को बांधकर एक बार फिर खिड़की से बाहर देखने लगी।

निशि एयरपोर्ट से बाहर आयी तो देखा उसके डेड सामने ही खड़े थे। वे उसे लेने आये थे उन्हें देखते ही निशि दौड़कर उनके पास गयी और उन्हें गले लगाते हुए कहा,”ओह्ह्ह पापा ! क्या आप यहाँ मेरे लिए आये है ? मैंने आपको बहुत मिस किया,,,,,,,!!”
“मैंने भी तुम्हे बहुत याद किया,,,,,,,,,,कैसा रहा सब ?”,नविन ने निशि के बालों को सहलाते हुए कहा
“हम्म्म सब बहुत अच्छा था , वहा सब लोग बहुत अच्छे है और सारिका आंटी वो तो सबसे अच्छी है।”,निशि ने खुश होकर कहा


“अच्छा चलो चलकर गाड़ी में बैठो बाकि बातें रास्ते में कर लेंगे , बाहर बहुत धूप है आओ चलो,,,,,,,,,!”,कहते हुए नविन ने निशि के लिए गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और फिर खुद आकर ड्राइवर सीट पर बैठ गया।
नविन ने गाड़ी स्टार्ट की और निशि के साथ वहा से निकल गया। रास्ते में निशि को चुप देखकर नवीन ने कहा,”क्या बात है निशि आज बड़ी चुप हो तुम ?”
“अह्ह्ह कुछ नहीं पापा वो बस थोड़ा थकान लग रहा है। आप बताईये आपको कैसे पता मैं आ रही हूँ ?”,निशि ने नवीन की तरफ पलटकर बैठते हुए कहा


“सारिका मेडम का फोन आया था कि तुम आ रही हो , वैसे मैडम बता रही थी कि तुमने आने में जल्दी की कुछ दिन और रुक जाती वहा और फिर दो दिन बाद वंश तो आ ही रहा था उसके साथ आ जाती।”,नवीन ने कहा
वंश के मुंबई वापस आने की बात सुनकर ही निशि का दिल ख़ुशी से खिल उठा लेकिन उसने अपनी ख़ुशी को चेहरे पर नहीं आने दिया और अगले ही पल उसे वंश का आज सुबह वाला रवैया याद आ गया जब उसने निशि को देखकर तकिये में मुंह छुपा लिया था। निशि ने थोड़ा चिढ़कर कहा,”क्या ? क्या कहा आपने क्या चिरकुट वापस आ रहा है , तो क्या इस बार भी वो हमारे घर,,,,,,,,,,,,,,,!!”


निशि अपनी बात पूरी करती इस से पहले ही नवीन ने उसकी बात काटते हुए कहा,”नहीं बेटा इस बार वो हमारे साथ नहीं रहेगा , मैं नहीं चाहता तुम दोनों एक घर में रहो और झगडे हो क्योकि तुम दोनों ही एक दूसरे को बिल्कुल पसंद नहीं करते इसलिए सारिका मैडम के कहने पर मैंने उसके लिए पहले ही एक 1BHK फ्लेट बुक कर दिया है। अब उसे रहने में कोई परेशानी नहीं होगी और शायद तुम्हे भी,,,,,,,,,,,,,,मैंने ठीक किया ना।”
“हम्म्म्म,,,,,,,,,,,,!”,निशि ने उदासी भरे स्वर में कहा और दूसरी तरफ देखने लगी। नवीन अपनी गाड़ी चलाने में मग्न था और निशि मन ही मन खुद से कहने लगी


“ये आपने ठीक नहीं किया पापा , हाँ मैं पहले उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती थी लेकिन बनारस में मैंने देखा वो इतना बुरा भी नहीं है जितना मैं उसके बारे में सोचती थी। वो अच्छा लड़का है पापा बस थोड़ा रुड है लेकिन जैसा कि मुन्ना ने कहा उसे अच्छी बातें देर से समझ आती है। मुझे उसके लिए बुरा लगना नहीं चाहिए पर मुझे लग रहा है,,,,,,,,,,!!”


वंश के बारे में सोचते सोचते निशि की आँख लग गयी। कुछ देर बाद ही गाड़ी घर के सामने थी नवीन ने निशि को उठाया और कहा अंदर चलने को कहा। निशि उठी और गाड़ी से उतरकर अंदर चली आयी। पीछे पीछे नवीन भी निशि का सामान लेकर अंदर चला आया। निशि अपनी मम्मी से मिली और आकर सोफे पर बैठ गयी। थकान उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। नवीन भी आकर सोफे पर बैठा और अपनी पत्नी को आवाज लगायी,”महिमा , ज़रा एक ग्लास पानी दे देना प्लीज।”


“जी अभी लायी !”,महिमा ने कहा और दो ग्लास पानी लेकर किचन से हॉल में चली आयी उन्होंने एक ग्लास नवीन को दिया और दुसरा निशि की तरफ बढाकर कहा,”लगता है तुम बहुत थक गयी हो।”
“हाँ मॉम सफर काफी बोरिंग था।”,निशि ने पानी लेते हुए कहा
“इसलिए मैं कहता हूँ कि हमे नए दोस्त बनाने चाहिए और अपने आस पास के लोगो से जान पहचान बढ़ानी चाहिए।”,नवीन ने कहा
“आप रुकेंगे या वापस ऑफिस जायेंगे ?”,महिमा ने पूछा


“पहले मैं तुम्हारे हाथ से बनी एक कप चाय पीना चाहूंगा फिर ऑफिस के लिए निकलूंगा आज शाम मेरी एक जरुरी मीटिंग है।”,नवीन ने कहा
“ठीक है मैं बनाती हूँ निशि तुम्हारे लिए कॉफी लाऊ ?”,महिमा ने किचन की तरफ जाते हुए पूछा
“नहीं मम्मा मैं चाय लुंगी !”,निशि ने अपना सर पीछे सोफे के हत्थे से लगाकर कहा
निशि की बात सुनकर महिमा और नवीन ने हैरानी से उसे देखा जिसका अहसास कुछ देर बाद निशि को भी हो चुका था इसलिए उन दोनों की तरफ देखकर कहा,”क्या हुआ आप दोनों मुझे ऐसे क्यों देख रहे है ?”


“तुमने अभी अभी अपनी मॉम से चाय मांगी , क्या सच में ?”,नवीन ने उसी हैरानी के साथ कहा
“ओह्ह्ह कम ऑन डेड , वहा सारिका आंटी ने मुझे अपने हाथो से बनी इतनी चाय पिलाई कि अब तो मुझे चाय ही अच्छी लगती है।”,निशि ने कहा
महिमा ने सूना तो कहा,”लीजिये आपकी बेटी भी अब आपकी मैडम के रंग में रंग गयी है बनारस जाकर , भई अब तो फिर से मिलना पडेगा मुझे भी आपकी सारिका मैडम से,,,,,,,,,,,,!!”,महिमा ने कहा


“अरे क्यों नहीं ? इस बार हम सब साथ में बनारस चलेंगे। “,नवीन ने खुश होकर कहा
महिमा ने सूना तो मुस्कुरा कर किचन में चली गयी और निशि सोफे पर लेटे लेते बनारस और वहा रहने वाले वंश के बारे में सोचने लगी।  

अस्सी घाट के बाहर चाय की टपरी पर बैठा भूषण चाय की चुस्किया ले रहा था साथ ही वहा बैठे अपने कुछ चमचो के सामने बड़ी बड़ी फेंक रहा था। ये वो लड़के थे जो पहले राजन के लिए काम करते थे लेकिन राजन के कोमा में चले जाने के बाद से सब भूषण के साथ थे। अपने साथ घूमने और बनारस में थोड़ी बहुत धौंस ज़माने के चलते भूषण इन्हे खर्चा पानी दे दिया करता था।

भूषण अपनी बाइक पर बैठा चाय पी रहा था और एक लड़का उसके पीछे खड़ा उसका कंधा दबा रहा था तभी एक लड़का भागते हुए भूषण के पास आया और कहा,”ए भूषणवा तुम हिया का करे रहे हो ? तुमको पता भी है का हुआ है ?”
“का हो गया बे ? कौनसा धरती फट गयी के आसमान गिर पड़ा,,,,,,,,,जो इतना बौराये हुए हो।”,भूषण ने कंधा दबाने वाले लड़के को रुकने का इशारा करते हुए कहा


“अरे भैया तुम सुनोगे तो ख़ुशी से नाच उठोगे , अरे हमरे राजन भैया को होश आ गवा,,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने खुश होकर कहा तो बाकि सब लड़को के चेहरे भी ख़ुशी से खिल उठे और भूषण की ख़ुशी का तो कोई ठिकाना नहीं रहा वह बाइक से उतरा और लड़के के सामने आकर कहा,”का बे का सच कह रहे हो ? हमरे राजन भैया को होश आ गवा ?”
“अरे हाँ भैया गंगा मैया की कसम अभी अभी प्रताप चचा के घर से होकर आ रहे है। घर की महरिया बता रही थी कि आज सुबह ही डाक्टर साहब ने बताया कि उह अब बिल्कुल ठीक है।”,लड़के ने कहा


“अरे जिओ बिट्टुआ का खबर सुनाये हो , हम साला जानते ही थे कि राजन भैया ऐसे हमको अकेला छोड़कर नहीं जा सकते,,,,,,,,,,,,,,साला आज शाम को दारू और बिरयानी हमरी तरफ से,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए भूषण वहा से जाने लगा।
“ए भूषण भैया तुम कहा चले ?”,साथ वाले लड़को में से एक ने पूछा


“कहा चले मतबल , अरे हमरा जिगरी दोस्त इत्ते दिन बाद अस्पताल से बाहर आ रहा है उस से मिलने जा रहे है और कहा जा रहे है ? हम तो कहते है तुम सब भी चलो राजन भैया सबको देख के ना एकदम हे खुश हो जायेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने कहा

राजन के होश में आने की ख़ुशी उसके चेहरे से और बातो से साफ़ झलक रही थी
लड़का भूषण के पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख के कहा,”का भैया भूल गए , का कहे थे प्रताप चचा ?”
लड़के की बात सुनकर सहसा ही भूषण को प्रताप की कही बात याद आ गयी “”तुम्हरी वजह से आज रजनवा इस हालत में है , तुम्ही ने उसे बढ़ावा दिया है भूषणवा,,,,,,,,,,,,तुम का जानते हो हमको पता नहीं चलेगा।

शिवम् मुरारी हमरे दुश्मन जरूर थे लेकिन कभी पीठ पीछे वार नहीं किये थे उह पर तुम साला आस्तीन के सांप निकले,,,,,,,,,,,,,चले जाओ यहाँ से और आज के बाद रजनवा के आस पास भी दिखे तो बनारस में नहीं दिखोगे जे याद रखना तुम,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हम तो कहते है अभी रहने दो , जब राजन भैया एकदम ठीक हो जायेंगे तब खुद ही आपसे मिल लेंगे,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा तो भूषण की तंद्रा टूटी


भूषण एकदम से उदास हो गया और वापस अपनी बाइक पर आ बैठा। लड़का एक बार फिर उसके कंधो को दबाने लगा। राजन के ठीक होने की जितनी ख़ुशी उसे थी उतना ही दुःख अब उस से ना मिल पाने का भूषण को हो रहा था।

अस्पताल के बिस्तर पर बैठा राजन हैरानी से अपने आस पास खड़े डॉक्टर , नर्स और घरवालों को देख रहा था। घरवालों के नाम पर वहा सिर्फ प्रताप और उसका बड़ा भाई था इसके अलावा प्रताप के कुछ रिश्तेदार थे। राजन पिछले 5 मिनिट से अजनबी की तरह सबको देख रहा था और फिर उसकी नजरे प्रताप पर जाकर टिक गयी। राजन उन्हें देखता रहा और फिर अपना सर पकड़कर कुछ याद करने की कोशिश करते हुए कहा,”हम आपको जानते है , आप हमारे पापा है शायद,,,,,,,,,,,,,,लेकिन जे बाकि सब कौन है हमे याद नहीं आ रहा।”


राजन की बात सुनकर प्रताप की आँखों में आँसू भर आये। कितने दिनों बाद राजन होश में आया था। प्रताप राजन के पास आया और उसका हाथ थामकर कहने लगा,”हाँ हाँ हम हम तुम्हरे पापा है रजनवा , ए राजनवा का हो गया रे तुमको , तुम हमको पहिचानने में इतना वक्त काहे लगा दिए रे बिटवा,,,,,,,,,,,किते दिनों बाद तुमरी आवाज सुनी है , तुम जिन्दा हो सही सलामत हो महादेव की कृपा से कुछ नहीं हुआ तुमको,,,,,,,,,,,,!!”
“इन्हे साइड करो , हटाओ इन्हे यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,!!”,डॉक्टर ने पास खड़े मेल नर्स से कहा।

लड़के ने जैसे ही प्रताप की बांह पकड़ी प्रताप ने गुस्से से पलटकर डॉक्टर की कॉलर पकड़ते हुए कहा,”ए डाक्टरवा हमको हमरे बेटे से दूर करने की बात ना करना साला यही चीर के रख देंगे,,,,,,,,,,,का समझे हो !”
प्रताप को गुस्से में देखकर डॉक्टर भी घबरा गया। प्रताप के भाई ने प्रताप को समझा बुझाकर उनसे दूर किया और कहा,”माफ़ करना डाक्टर साहब जे राजन के पिताजी है थोड़ा परेशान थे,,,,,,,,,,,,,,,हमका जे बताईये जे रजनवा हम सबको पहिचान काहे नहीं रहा है ?”


“आप लोग मेरे साथ मेरे केबिन में आईये , पेशेंट के सामने ये सब बाते करना ठीक नहीं है।”,डॉक्टर ने कहा तो प्रताप और उसका भाई जगतराज डॉक्टर के साथ चले गए
नर्स ने राजन की ट्रीटमेंट फाइल चेक की और उसे इंजेक्शन लगाने लगी। राजन अब भी हैरान परेशान था कि वहा यहाँ क्यों है और ये लोग कौन है उसने नर्स से कहा,”सुनिए बहन जी ! का आप हमे बताएंगी हम हिया कब से है ?”


“2 महीने से , अब आप लेट जाईये आपको इंजेक्शन लगाना है।”,नर्स ने कहा
2 महीने का नाम सुनकर राजन का सर चकराया और वह एक बार फिर बेहोश हो गया।  

प्रताप और जगतराज दोनों डॉक्टर के केबिन में चले आये। डॉक्टर ने उन्हें बैठे को कहा और खुद अपनी कुर्सी पर बैठ गए।
“अब बताईये डाक्टर साहब राजन को का हुआ है ? उह होश में तो आ गवा है पर हम सबको पहिचान काहे नहीं रहा है ?”,जगतराज ने परेशानी भरे स्वर में कहा


“देखिये राजन के सर पर गहरी चोट लगी थी जिस वजह से इलाज के दौरान वह कोमा में चला गया। कोमा में जाने के बाद उसके 50 प्रतिशत दिमाग ने काम करना बिलकुल बंद कर दिया जिस वजह से उसकी 90 प्रतिशत यादास्त जा चुकी है।

उसे कुछ जरुरी बातो और जरुरी चेहरों को अलावा कुछ भी याद नहीं है। गनीमत है कि वह आपको पहचान गया।”,डॉक्टर ने प्रताप की तरफ देखते हुए कहा
ये सुनकर प्रताप की आँखों से आँसू बहने लगे जगत ने उसे दिलासा दिया और कहा,”अरे रोते काहे हो प्रताप हमारा राजन ज़िंदा है का इह बड़ी बात ना है। वैसे भी उह अपना अतीत भूल ही जाये तो अच्छा है।”
“हम्म्म पर हमरा रजनवा ठीक तो हो जाएगा ना डाक्टर ?”,प्रताप ने पूछा


“बिल्कुल ! राजन अब पूरी तरह ठीक है मैंने आज ही उसके रिपोर्ट्स देखे वो अब नार्मल है बस उसका MRI और CT SCANE करवाना है उनकी रिपोर्ट आ जाए   उसके बाद शाम में आप उसे घर ले जा सकते है।”,डॉक्टर ने कहा
प्रताप ने सूना तो ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठी उसने अपने भाई की तरफ देखा तो उन्होंने अपनी पलकें झपका दी।  

 नाश्ता करने के बाद वंश ने मुन्ना को घर छोड़ा और बाइक लेकर खुद घर जाने के लिए निकल गया। घर जाते हुए वंश की बाइक अस्सी घाट के सामने से गुजरी। सहसा ही उसका हाथ ब्रेक पर चला गया और उसने बाइक साइड में रोक दी। कभी घाट ना जाने वाला वंश आज अकेला ही अस्सी घाट चले आया। प्रवेश द्वार पर आकर उसके कदम ठिठके। उसका मन एक अजीब सी बेचैनी से घिर गया। वंश ने एक गहरी साँस ली। उसने अपने कदम आगे बढ़ाये और सीढ़ियों से नीचे चला आया।

सूरज आसमान में चमक रहा था और इस वक्त घाट पर भीड़ भी कम ही थी। नौकाए सब माँ गंगा के पानी पर तैर रही थी। वंश एकदम नीचें पानी के पास चला आया और सबसे आखरी सीढ़ी पर आकर बैठ गया। उदासी उसके चेहरे  से साफ झलक रही थी। वंश ने अपने चप्पल उतारे और अपने पैरो को पानी के अंदर डाल दिया। ठन्डे पानी ने जब उसके पैरो को छुआ तो उसे एक अलग ही सुकून का अहसास हुआ। गंगा की लहरे उसके पैरो को बड़े प्यार से सहलाने लगी। वह सामने पानी पर तैरती नावों को देखने लगा ,

उसका मन जो बैचैन था गंगा के पानी को देखकर अब धीरे धीरे शांत होने लगा। वंश कुछ देर ख़ामोशी से सामने देखता रहा और फिर खुद से ही कहने लगा,”ऐसा क्यों होता है जब हम किसी शहर से , किसी जगह से , किसी इंसान से और कुछ अहसासों से दूर भागने की कोशिश करते है तो और ज्यादा उनके पास आते है। वो शहर और ज्यादा अपना लगने लगता है , वो जगह एक अलग ही सुकून देने लगती है , ना चाहते हुए भी वो इंसान और ज्यादा याद आने लगता है और वो अहसास और ज्यादा बढ़ने लगते है।

यहाँ रहते हुए मुझे ये शहर हमेशा ही एक फिजूल शहर लगा , इस शहर के ये घाट मुझे घुटन का अहसास कराते थे लेकिन अब जब इस शहर को देखता हूँ तो लगता है ये शहर खुद में बहुत खास है , ये घाट अपने आप में ही जैसे कई गहरे राज समेटे हुए है। आह्ह ये आज मुझे क्या हो गया है ? आज से पहले तो मैं इतना  बैचैन कभी ना था,,,,,,,,,,,,,,,,क्या मेरी इस बेचैनी की वजह वो लड़की निशि है ?”

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संजना किरोड़ीवाल 

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