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मैं तेरी हीर – 25

Main Teri Heer – 25

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 25

मुरारी अपनी बाइक लेकर घर से निकल गया गया। वह सीधा कोर्ट पहुंचा । उसने बाइक को पार्किंग में लगाया और साथ लाया सामान लेकर मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस पहुंचा । मुन्ना के हाथो में मिठाई का बड़ा डिब्बा और दूसरे हाथ में वरमाला थी साथ ही वह अपने दोस्त को देने के लिए एक बहुत ही प्यारा सा बुके भी लेकर आया था । मुन्ना अंदर आया तो उसका दोस्त विनय उसके पास आया और कहा,”थैंक गॉड तुम आ गए मुन्ना,,,,,,,,,हम सब कब से तेरा वेट कर रहे थे चल अब जल्दी आ”


“तुम्हारी शादी हो और हम न आये ऐसा भले कैसे हो सकता है ?”,मुन्ना ने विनय की तरफ गुलाब का बुके बढाकर कहा । 
“थैंक्स यार !”,विनय ने कहा और फिर मुन्ना को लेकर अपनी दुल्हन की तरफ आया और उसे मुन्ना से मिलवाया । मुन्ना के अलावा विनय के 2 दोस्त और आये थे लड़की की तरफ से ना कोई दोस्त आया था न ही उसके परिवार से कोई आया था । वकील ने दोनों की शादी करवाई और दोनों को रजिस्टर में साइन करने को कहा कहा ।

दूल्हा-दुल्हन के साइन कारण के बाद साथ आये गवाहों को साइन करने थे । विनय की तरफ से उसके दो दोस्तों ने साइन कर दिया लेकिन लड़की की तरफ से साइन कारण वाला कोई नहीं था ये देखकर वकील ने कहा,”क्या हुआ तुम्हारे साथ कोई नहीं है ?”
वकील की बात सुनकर लड़की विनय की तरफ देखने लगी । मुन्ना ने देखा तो वह समझ गया वह लड़की की तरफ आया और टेबल पर रखा पेन उठाकर साइन कर दिया ।

“आप लड़की के क्या लगते है ?”,वकील ने मुन्ना से पूछा 
“हमारा इनसे कोई रिश्ता तो नहीं है पर आप हमे इनका बड़ा भाई मान सकते है ।”,मुन्ना ने कहा तो लड़की नम आँखों से मुन्ना को देखने लगी । 
मुन्ना की बात सुनका वकील भी मुस्कुरा दिया और विनय ने भी मुन्ना का कन्धा थपथपा दिया दिया । शादी सम्पन्न हुई और सभी ऑफिस से बाहर चले आये ।

विनय ने सबको अपनी शादी की ख़ुशी में पार्टी देनी चाही तो सभी दोस्त मिलकर एक बढ़िया रेस्त्रो में चले आये । विनय ने एक फॅमिली टेबल बुक किया और सभी उसके इर्द गिर्द आ बैठे । विनय और मुन्ना के कुछ कॉलेज दोस्त भी चले आये सबने विनय और उसकी पत्नी को शादी की बधाईया दी और बैठकर खाना खाने लगे । खाना खाने के बाद सबने उन दोनों को तोहफे दिए और एक एक करके वहा से निकलने लगे ।

सबसे आखिर में मुन्ना विनय और उसकी पत्नी के पास आया और उन दोनों की तरफ एक लिफाफा बढाकर कहा,”ये तुम दोनों की शादी का तोहफा ।”
विनय ने लिफाफा खोलकर देखा तो उसमे हनीमून पैकेज के साथ साथ फ्लाइट की टिकट्स भी थी विनय ने मुन्ना की तरफ देखा और कहा,”इसकी क्या जरूरत थी मुन्ना ?” 


“तुम दोनों अपनी नयी जिंदगी की शुरुआत करने जा रहे हो , इसकी जरूरत है । अब ज्यादा मत सोचो और ख़ुशी ख़ुशी जाओ”,मुन्ना ने कहा
“थैंक्यू मुन्ना , परिवार ने जो हम लोगो के लिये नही किया वो तुम दोस्तों ने किया किया, थैंक्यू सो मच।”,विनय ने मुन्ना के हाथो को थामकर कहा
“बस अब ये थैंक्यू कहना बंद करो , दोनों एक दूसरे पर भरोसा रखना और एक दूसरे का साथ निभाना देखना एक दिन घरवाले भी मान जायेंगे ।”,मुन्ना ने कहा


“थैंक्यू भैया , और मुझे थैंक्यू बोलने से मना नहीं का सकते आप ,, आपने मेरे लिए अंदर जो किया वो मैं हमेशा याद रखूंगी ।”,इस बार विनय की पत्नी ने कहा
“हमने कुछ नहीं किया किया, महादेव ने हमे इस काम के लिये चुना और ये हो गया। खुश रहो और हाँ वापस आने के बाद विनय के साथ घर जरूर आना ।”,मुन्ना ने कहा


“हाँ जरूर ! अच्छा मुन्ना तुम कब शादी कर रहे हो ? वैसे मैं तुम से नाराज हूँ तुमने होने वाली भाभी से भी नहीं मिलवाया और न अपनी सगाई में बुलाया।”,विनय ने शिकायती लहजे में कहा
“सब इतनी जल्दी हुआ कि हम किसी को बुला नहीं पाये , वैसे सिर्फ रिश्ता पक्का हुआ है सगाई और शादी में अभी टाइम है।”,मुन्ना ने कहा


“चल ठीक है , पर शादी में बुलाना मत भूलना।”,विनय ने हँसते हुए कहा
“हाँ शादी में तुम दोनों को आना है , अभी हम चलते है हमे किसी काम से बाहर जाना है ।”,मुन्ना ने विनय से हाथ मिलाते हुए कहा और वहा से चला गया ।


इंदौर , शिव-गौरी मंदिर
“काशी तुमने तो कहा था शक्ति हमे यहाँ मिलेगा लेकिन शक्ति तो यहाँ नहीं है। उसे फोन करके पूछो बेटा वो कहा है ?”,मंदिर में खड़े अधिराज जी ने कहा
“हाँ नानू मैं उसे कॉल करती हूँ।”,काशी ने कहा और अपने फोन में शक्ति का नंबर डायल कर साइड चली गयी
काशी ने साइड में आकर शक्ति को फोन लगाया। इस वक्त शक्ति किसी जरुरी काम से बाहर आया था।

एक बंद पड़े घर के सामने खड़ा शक्ति इधर उधर देख ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। शक्ति ने जेब से फोन निकाला और फोन कान से लगाकर कहा,”हाँ काशी !”
“शक्ति कहा हो तुम ? हम सब यहाँ मंदिर में तुम्हारा इंतजार कर रहे है।”,काशी ने पूछा
“आई ऍम सो सॉरी काशी हम भूल गए थे और अभी भी हम किसी जरुरी काम से बाहर आये है। हम नहीं आ पाएंगे तुम सब दर्शन कर लो,,,,,,,,,!”,शक्ति ने कहा


काशी ने सूना तो थोड़ा सा अपसेट हो गया और उसने कहा,”दिस इज नॉट फेयर ना शक्ति तुमने कहा था हम साथ साथ मंदिर जायेंगे अब और तुम कह रहे हो तुम नहीं आ सकते। प्लीज आ जाओ नानू और नानी भी आये है उन्हें पता चला तुम नहीं आ रहे तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा।”
“काशी समझो ! अभी हम किसी जरुरी काम से बाहर है। हम नहीं आ पाएंगे,,,,,,,,,,अभी हम फोन रखते है तुम से बाद में बात करेंगे। बाय”,शक्ति ने कहा और काशी की बात सुने बिना ही फोन काट दिया


पहली बार काशी को शक्ति पर गुस्सा आया उसने फोन नीचे किया और मन ही मन कहने लगी,”ये शक्ति भी ना , जब से इंदौर आया है कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया है। अभी तो शादी भी नहीं हुई है और उसके लिये काम हम से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट हो गया है।”
काशी वहा से अधिराज जी की तरफ चली गयी।

काशी से बात करके शक्ति ने फोन वापस जेब में रखा और बंद पड़े घर की तरफ आया। दरवाजे पर लगा ताला शक्ति ने हाथ में लेकर देखा और कहा,”एड्रेस तो यही है लेकिन यहाँ तो ताला लगा है।”
“ए भाई क्या कर रहे हो ?”,सामने वाले घर के दरवाजे पर खड़ा आदमी चिल्लाया
“विश्वास गर्ग ?”,शक्ति ने पूछा


“वो तो अब यहाँ नहीं रहता , हफ्ते भर पहले ही ये घर खाली करके यहाँ से चला गया। तुम कौन हो ?”,आदमी ने शक्ति से सवाल किया
“मैं विश्वास का रिश्तेदार हूँ। वो कहा गया है आप कुछ बता सकते है ?”,शक्ति ने पूछा
“नहीं ये तो नहीं पता वो कहा गया है। वैसे वो कह रहा था कि उसकी पढाई पूरी हो चुकी अब वो अपने घर जाएगा। उसने बताया था एक बार उसका घर भोपाल में है।”,आदमी ने कुछ सोचते हुए कहा


शक्ति ने सूना तो सोच में पड़ गया। अभी दो दिन पहले ही उस पर गोली चली है जो उसके हिसाब से विश्वास ने चलाई है और ये आदमी कह रहा है कि विश्वास एक हफ्ते पहले ही यहाँ से चला गया। ये कैसे मुमकिन हो सकता है ? सुलझने के बजाय ये गुत्थी और उलझती जा रही थी जिसने शक्ति को और परेशान कर दिया।


मुंबई , फिल्म सिटी
पूर्वी के जाने के बाद वंश वही बेंच पर बैठा निशि के बारे में सोचने लगा। वंश जब भी परेशान होता था या तो वह विडिओ गेम खेलता या फिर मुन्ना से बात करता था था। मुन्ना से आज वंश सुबह सुबह ही नाराज हो चूका था और यहाँ बैठकर विडिओ गेम खेलना मुमकिन नहीं था था। वह और ज्यादा उदास हो गया उसने फोन में मुन्ना का नंबर डॉयल किया और रिंग जाने से पहले ही उसे कट का दिया और कहा,”नहीं मैं मुन्ना को फोन नहीं करूंगा , वो मुझसे इतनी दूर है छोटी छोटी बातो के लिये मुझे उस परेशान करना नहीं चाहिए।

वैसे भी अब मैं बड़ा हो चूका हूँ मुझे अपनी प्रॉब्लम्स खुद सॉल्व करनी चाहिए। अह्ह्ह्ह लेकिन अभी मैं बहुत उदास हूँ तो मैं की से अपनी फीलिंग्स शेयर करू ?”
कुछ देर बाद कैब आ गयी वंश उठा और अपना बैग लेकर कैब में आ बैठा। जिस ख़ुशी और एक्साइटमेंट के साथ वंश यहाँ आया था अब उतना ही उदास और परेशान था। वंश पीछे बैठा अपना फोन अपने होंठो से लगाये सोच में डूबा हुआ था कि उसे गौरी का ख्याल आया।

मुन्ना के बाद गौरी भी तो उसकी दोस्त थी। वंश ने गौरी का नंबर डॉयल किया एक दो रिंग जाने के बाद ही गौरी ने फोन उठा लिया और कहा,”हेलो !”
“हाय भाभी !”,वंश ने एकदम से गौरी को भाभी कहकर पुकारा
“वंश मान मेरे साथ नहीं है तो तुम मुझे गौरी कहकर बुला सकते हो।”,गौरी ने हँसते हुए कहा कहा
“अह्ह्ह थैंक्स ! अच्छा गौरी ये बताओ अभी तुम कहा हो ?”,वंश ने पूछा 


“मैं काशी और नानू नानी के साथ मंदिर आयी हूँ , तुम बताओ तुम कैसे हो ?”,गौरी ने पूछा 
“ठीक है फिर मैं तुम्हे बाद में फोन करता हूँ।”,वंश ने कहा
वंश की आवाज से गौरी समझ गयी कि वंश उदास है और इस वक्त उसे किसी से अपनी फीलिंग शेयर करनी है इसलिये गौरी ने कहा,”अरे इट्स ओके , अभी मंदिर बंद है खुलने में टाइम लगेगा,,,,,,,,,, तुम बताओ क्या हुआ इतना अपसेट क्यों हो ?”


गौरी ने वंश को प्रायोरिटी दी जानकर वंश को अच्छा लगा लगा। उसने गौरी को निशि के बारे में बताया गौरी ने पूरी बात ध्यान से सुनी और कहा,”देखो वंश गलती तो तुम से हुई है , और मेरे ख्याल से तुम्हे ये सब के लिये निशि से माफ़ी भी मांगनी चाहिए।”
गौरी की बात सुनका वंश ने कहा,”अरे लेकिन वो छिपकली कुछ सुने तब न , उसने तो मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया और तुम कह रही हो मैं उस से माफ़ी मांगू ,, ये कैसे पॉसिबल है गौरी ?”


“उसके लिये तुम्हे थोड़ा पोलाइट होना पड़ेगा पडेगा , गलती तुम्हारी है तो माफ़ी भी तुम्हे ही मांगनी होगी। लड़किया तभी गुस्सा होती है जब वो चाहती है कि तुम उसे सॉरी कहो,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“तुम तो उस निशी की साइड ले रही हो गौरी , छोडो मुझे मुन्ना से ही इस बारे में बात करनी पड़ेगी”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा


गौरी ने सुना तो वह हसने लगी और कहा,”और तुम्हे लगता है मान तुम्हे अच्छी एडवाइस देगा देगा , वो खुद मुझ से दिन में दस बार सॉरी बोलता है वो क्या तुम्हे एडवाइज देगा देगा?”
वंश ने सुना तो हक्का बक्का रह गया ये जानकर कि सगाई के बाद उसके भाई को क्या क्या करना पड़ रहा है है ? खैर वंश ने गौरी से थोड़ी देर बात की और फिर फोन काट दिया।  

निशि कैब के बाहर पहुंची जहा उसकी स्कूटी खड़ी थी। वंश पर गुस्सा उतारने के बाद भी निशि का गुस्सा शांत नहीं हुआ था। गुस्से में वह एक बार फिर उसी रेस्त्रो में चली आयी जहा सुबह उसने और पूर्वी ने कॉफी पी थी निशि ने अपने लिये एक कॉफी आर्डर की और बैठकर इंतजार करने लगी। उसकी आँखों के सामने वंश का चेहरा आने लगा जब वो वंश को डांट रही थी उस पर गुस्सा का रही थी तब वंश खामोश था।

वंश ने निशी को एक बार भी सॉरी नहीं बोला ना ही वो अपने किये पर शर्मिन्दा था। निशि यही सब सोच सोच कर अपना खून जला रही थी।  

वेटर कॉफी रखकर चला गया। निशि वंश के बारे में सोचते हुए मन ही मन कहने लगी,”मैंने उसे इतना सब कहा लेकिन मजाल है उसे फर्क पड़ा हो ? उसने एक बार भी ये नहीं कहा कि उस से गलती हुई है या उसने जो किया वो गलत किया। वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है ? क्या उसके सीने में दिल नहीं है ? क्या उसे जरा सा भी फर्क नहीं पड़ता,,,,?”

“अह्ह्ह,,,,,,,,,,,,इश्श्श्श !”,निशि के मुंह से आह निकल गयी। वंश के बारे में सोचते हुए निशि ने गर्म कॉफी के कप को उठा लिया था और कुछ कॉफी उसके हाथ पर आ गिरी  

वेटर ने देखा तो उसने निशि की ओर टिशू पेपर बढाकर कहा,”मैडम,,,,,,,,,,,!”
“थैंक्यू !”,निशि ने कहा और टिशू लेकर अपना हाथ पोछने लगी। उसे अब खुद पर भी गुस्सा आ रहा था कि वह इतना हायपर क्यों है ? निशि ने अपना हाथ पोछा और एक गहरी साँस लेकर खुद को आराम देने की कोशिश की। निशि को अब कुछ ठीक लग रहा था इसलिए उसने कप उठाया और शीशे के बाहर देखते हुए कॉफी पीने लगी। कॉफी पीते हुए भी निशि के दिमाग में वंश का ख्याल चल रहा था।

बनारस में वंश ने जैसे निशि का ख्याल रखा , उसे स्पेशल फील करवाया सब यादें एक एक करके उसके जहन में आ जा रही थी। कॉफी पीते पीते निशि खो सी गयी। उसके चेहरे पर उदासी के भाव तैरने लगे और आँखों में नमी उतर आयी।
“ओह्ह्ह तुम यहाँ बैठकर कॉफी पी रही हो , पता है मुझे कितनी टेंशन हो गयी थी।”,पूर्वी की आवाज से निशि की तंद्रा टूटी और वह अपने ख्यालो से बाहर आयी। उसने देखा पूर्वी उसके सामने खड़ी है और अगले ही पल पूर्वी ने कुर्सी खिसकाई और उस पर बैठते हुए कहा,”तुम वहा से अकेले क्यों चली आयी ?”


“आई ऍम सॉरी मुझे तुम्हे बिना बताये नहीं आना चाहिए था लेकिन वहा मेरा मूड एकदम से बहुत ज्यादा खराब हो गया और फिर मैं चली आयी।”,निशि ने पूर्वी के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा।
“इट्स ओके ! क्या तुम वहा वंश से मिली थी ? मुझे फिल्म सिटी के बाहर वंश मिला था उसने बताया कि तुम्हारा उस से झगड़ा हुआ है।”,पूर्वी ने पूछा
“पूर्वी मुझे उस लड़के के बारे में कोई बात नहीं करनी”,निशि ने सीरियस होकर कहा


“अह्ह्ह ओके लेकिन तुम इतना परेशान मत हो यार मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा।”,पूर्वी ने कहा
“हम्म्म मैं ठीक हूँ , तुम कुछ लोगी ?”,निशि ने पूछा
“नहीं मैं बस अब घर जाउंगी,,,,,,,,,,,,,,,निशि एक काम क्यों नहीं करती तुम मेरे साथ घर चलो तुम्हारा मूड भी ठीक हो जाएगा और तुम्हे अच्छा भी लगेगा एक हफ्ते पहले ही मेरे घर में नया डॉग आया है। तुम्हे उस से मिलकर अच्छा लगेगा।”,पूर्वी ने कहा


“नहीं यार मेरा मन नहीं है,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“ओह्ह्ह कम ऑन निशि , वैसे भी ऐसे तुम घर जाओगी तो अंकल आंटी तुम्हे देखकर परेशान हो जायेंगे इस से अच्छा तुम मेरे घर चलो फिर घर चली जाना।”,पूर्वी ने निशि को मनाते हुए कहा
निशि ने घडी में टाइम देखा जिसमे शाम के 4 बज रहे थे इसलिए उसने हामी भर दी और पूर्वी के साथ चल पड़ी। दोनों रेस्त्रो से बाहर आकर स्कूटी पर बैठी और वहा से निकल गयी।

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