मैं तेरी हीर – 6

Main Teri Heer – 6

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 6

राजन ने जब अपने दोस्त भूषण को पहचानने से इंकार कर दिया तो भूषण दुःखी होकर घाट चला आया और सीढ़ियों पर बैठकर आँसू बहाने लगा। उसे रह रह कर राजन की कही बात याद आ रही थी। भूषण खुद को राजन का सबसे करीबी और खास दोस्त मानता था और उसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था लेकिन आज उसके ही खास दोस्त ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया। भूषण शर्ट के बाजू से अपनी आँखे पोछता और आँसू फिर उसके गालों पर लुढ़क आते।

सामने बहते गंगा के पानी को देखते हुए भूषण की आँखों के सामने कितने ही खूबसूरत पल आये और गए जो उसने राजन और दूसरे दोस्तों के साथ बिताये थे। वो दिनभर राजन के साथ उसकी गाड़ी में घूमना , उसके लिए लोगो से झगडे करना , उसका ख्याल करना सब किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने चल रहा था। बीते वक्त के बारे में सोचते हुए भूषण को ख्याल ही नहीं रहा कि कब उसके साथ का एक लड़का आकर उसके बगल में बैठ गया। तंद्रा तब टूटी जब उसने कहा,”अरे भूषण भैया ! जे का आप रो रहे है ?”


“नहीं , हम हम कहा रो रहे है ? वो तो बस ऐसे ही आँख में कुछो चला गया। तुम हिया का कर रहे हो ?”,भूषण ने अपनी आँखे पोछते हुए कहा
“उह्ह भैया जब राजन भैया सबके सामने आपको पहिचानने से मना कर दिये तो आपका चेहरा देखे हम , कैसे उतर गया था। आपको ऐसे देख के ना हमको बिल्कुल अच्छा नहीं लगा,,,,,,,,,,,,राजन भैया के बाद आप ही तो हम सबको सम्हाले हो तो आपके प्रति कोनो फर्ज बनता है हमारा बस इहलीये चले आये पर कुछ भी कहो भैया भूषण भैया अब पहिले जैसे बिल्कुल नाही रहे।”,लड़के ने कहा जिसका नाम रमेश था 

“जे तो हम भी ना समझ पा रहे है रमेशवा , आखिर भूषण भैया ने हमे पहिचानने से इंकार काहे कर दिया ? उस पर प्रताप चचा , उह्ह तो हमे उनसे मिलने तक ना दे रहे।”,भूषण ने सोच में डूबकर कहा
“अरे भैया आप चिंता न करो राजन भैया जब नहीं थे तब कौन था हमारा लीडर ? आप थे न तो अब भी आप ही रहेंगे,,,,,,,,,,,,जे सब चिंता छोडो और चलो।”,रमेश ने कहा


“कहा ?”,भूषण ने पूछा
“अरे भैया आपकी इस टेंशन का तगड़ा इंतजाम है हमरे पास आप चलो,,,,,,,!!”,कहते हुए रमेश ने भूषण को उठाया और अपने साथ लेकर वहा से चला गया।

घाट से बाहर आते हुए भूषण ने ध्यान नहीं दिया और सामने से आते मुन्ना से टकरा गया। मुन्ना इस वक्त फोन कान से लगाए हुए था उसने भी ध्यान नहीं दिया सामने भूषण है और बिना देखे ही सॉरी बोलकर आगे बढ़ गया। भूषण वही रुककर नफरत से मुन्ना को घूरने लगा।
“भूषण भैया का हुआ रुक काहे गए ?”,रमेश ने कहा


“हमसे राजन भैया को छीनने वाले इन दोनों भाईयो को एक दिन हम उह मजा चखाएंगे की जे लोग हमेशा याद रखेंगे।”,भूषण ने गुस्से और नफरत भरे स्वर में कहा
“अरे भैया छोडो उन्हें , जे सब कांड राजन भैया और मुन्ना भैया की दुश्मनी की वजह से ही तो हुआ है , ना राजन भैया इनकी बहन को छेड़ते और ना जे झगड़ा होता। छोडो जे सब और चलो।”,रमेश ने कहा


मुन्ना को देखकर भूषण का मूड खराब हो चुका था इसलिए उसने रमेश को साइड करते हुए कहा,”छोडो हमे कही नहीं जाना हम घर जा रहे है। कल सुबह राजहंस वाली टपरी पर मिलते है।”
“भूषण भैया , अरे भूषण भैया सुनिए तो,,,,,,,,!!”,रमेश ने आवाज दी लेकिन भूषण तब तक वहा से चला गया
“लगता है आज सूखा ही रहना पडेगा,,,,,,!”,खुद में बड़बड़ा कर रमेश भी वहा से चला गया

सीढिया उतरकर मुन्ना नीचे आया और पानी से कुछ ऊपर सीढ़ी पर आकर बैठ गया। मुन्ना ने कान से लगाए फोन को हटाकर स्क्रीन को देखा एक लाल दिल के पहले हिंदी में गौरी लिखा हुआ था। मुरारी के कहने पर मुन्ना ने गौरीशंकर को आख़िरकार गौरी में बदल ही लिया। उसने एक बार फिर गौरी का नंबर डॉयल किया और फोन कान से लगा लिया।

रात का वक्त था ठंडी हवाएं चल रही थी जो कि मुन्ना को सुकून पहुंचा रही थी। हवा से उसके बाल भी उड़कर माथे पर आते और मुन्ना बड़ी ही सहजता से उन्हें वापस सही कर लेता। रिंग जा रही थी लेकिन गौरी ने फोन नहीं उठा रही थी और जैसे जैसे रिंग जा रही थी मुन्ना बैचैन हो रहा था।

इंदौर , गौरी का घर
गौरी अपने कमरे में बिस्तर पर पेट के बल तकिये में मुँह छुपाये लेटी थी। नंदिता की बात से वह थोड़ा दुःखी थी शायद,,,,,,,,,,!! नंदिता ने उसे खाने के लिए बुलाया लेकिन उसने मना कर दिया और वैसे ही बिस्तर पर पड़ी रही। गौरी को दुःखी देखकर नंदिता ने भी उसे ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया। कुछ देर बाद ही गौरी का फोन बजा और बजता रहा। गौरी ने पहली बार में फोन नहीं उठाया और एक लम्बी रिंग के बाद फोन कट गया।


फोन एक बार फिर बजा गौरी ने फ़ोन उठाया और स्क्रीन पर मान का नाम देखकर एकदम से उठकर बैठ गयी। मुन्ना का फोन देखकर उसे शाम वाली बात एकदम से याद आ गयी। वह हड़बड़ाते हुए बिस्तर से नीचे उतरी और फोन को हाथ में थामे कमरे में यहाँ वहा पैर पटकते हुए खुद से कहने लगी,”ओह्ह्ह ये इस वक्त मुझे फोन क्यों कर रहा है ?”
अगले ही पल गौरी को अपना और मान का रिश्ता याद आया साथ ही ऊँगली में पहनी अंगूठी पर भी नजर चली गयी।

उसने फोन अपने सर पर मारा और कहा,”स्टुपिड वो तुम्हारा होने वाला पति है तुम्हे फोन नहीं करेगा तो किसे करेगा ? हह लेकिन इसे अभी फोन नहीं करना चाहिए , उस कांड के बाद तो बिल्कुल नहीं क्या पता ये मुझे डाटने के लिए फोन कर रहा हो ? एक काम करती हूँ मैं इसका फोन उठाती ही नहीं हूँ इसे लगेगा मैं सो चुकी हूँ और सुबह तक ये उस बात को भी भूल जाएगा,,,,,,,,,,,,,,हाँ ये सही रहेगा , ओह्ह गौरी मुहहहा तुम कितनी स्मार्ट हो गयी हो।”


गौरी ने अपने ही होंठो को उंगलियों से छूकर हवा में चुम्मा देते हुए कहा और तब तक मुन्ना का दुसरा फोन भी कट गया।
गौरी ने राहत की साँस ली और आकर बिस्तर पर बैठ गयी लेकिन अगले ही पल फोन फिर बजा और गौरी ने रोआँसा होकर अपने नाख़ून चबाते हुए कहा,”अरे बाप रे ये तो पीछे ही पड़ गया , अगर मैंने फोन बंद किया तो इसे पता चल जाएगा मैं जाग रही हूँ , क्या करू ? क्या करू ? क्या करू , हाँ आइडिआ एक काम करती हूँ फोन जय को दे देती हूँ और उस से कहूँगी वो मान से बात करे,,,,,,,,,,!!”


गौरी ने अपना फोन उठाया और लेकर जय के कमरे में आयी जय उस वक्त कोई विडिओ गेम खेलने में बिजी था।
“जय मान का फोन है इस से बात करो”,गौरी ने फोन जय को देकर कहा
“अरे लेकिन मैं क्या बात करू ?”,जय ने कहा
जैसा की गौरी जय को बहुत अच्छे से जानती थी इसलिए उसने 500 का नोट जय के सामने कर दिया।  
500 का नोट देखते ही जय की आँखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान आ गयी उसने नोट लिया और फोन रिसीव कर कान से लगाकर बड़े ही प्यार से कहा,”हेलो ,,,,,!!”


गौरी के फोन पर जय की आवाज सुनकर मुन्ना को थोड़ी हैरानी हुयी और उसने कहा,”गौरी का फोन तुम्हारे पास क्या कर रहा है ?”
“फॉर योर काइंड इन्फॉर्मेशन मिस्टर जी जा जी गौरी मेरी बहन है और मैं उसके साथ इसी घर में रहता हूँ।”,जय ने कहा
गौरी ने सूना तो उसने जय के सर पर चपत लगाकर उसे घुरा तो जय ने बात सम्हालते हुए कहा,”आपने इस वक्त फोन क्यों किया है ?”


“गौरी कहा है ? उसे फोन दो हमे उस से बात करनी है।”,मुन्ना ने सहजता से कहा
जय को चुप देखकर गौरी ने इशारे से पूछा जय ने फोन के स्पीकर पर हाथ रखा और फुसफुसाते हुए कहा,”वो आपके बारे में पूछ रहा है और आपसे बात करवाने को बोल रहा है।”


“उस से कह दो मैं यहाँ नहीं हूँ,,,,,,,,,,,,,,,नहीं ये तो झूठ हो जाएगा उस से कहो मैं कही चली गयी हूँ और मेरा फोन घर पर रह गया है , अह्ह्ह नहीं ऐसा कहा तो वो और ज्यादा परेशान हो जाएगा , तूम , तुम उस से कह दो मैं मर गयी,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे मैं क्या करू ? तुम तुम उस से कहो मैं सो गयी हूँ।”,गौरी ने कमरे में यहाँ वहा अपने पैर पटकते हुए कहा
“लेकिन मैं झूठ क्यों बोलू आप तो मेरे सामने हो ?”,जय ने कहा 


गौरी समझ गयी जय क्या चाहता है उसने अपने माथे पर आये बालों को फूंक मारी और एक 500 का नोट फिर से जय के सामने कर दिया। जय ने बड़ी सी स्माइल के साथ अपने दांत दिखाए और फोन कान से लगाकर कहा,”दी सो गयी है , मेरा मतलब वो घर पर नहीं है।”
“हम्म्म , ज़रा गौरी के फोन का स्पीकर ऑन करना।”,मुन्ना ने फिर सहजता से कहा
जय ने चुपचाप स्पीकर ऑन कर दिया और दूसरी तरफ से मुन्ना ने कहा,”मिस गौरी शर्मा क्या हम जान सकते है हमारा फोन न उठाने की वजह क्या है ?

तुम्हारे पास 10 मिनिट है अपना फोन लो , अपने कमरे में जाओ और हमे फोन करो,,,,,,,,,,और अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो हम सीधा तुम्हारी मॉम को फोन करेंगे और आज शाम जो तुमने किया है वो,,,,,,,,,,,,!!”
“तुम मुझे ऐसे ब्लैकमेल नहीं कर सकते ?”,गौरी ने एकदम से कहा और फिर खुद ही अपना सर पीट लिया क्योकि कुछ देर पहले उसी ने जय से कहलवाया था कि वो घर पर नहीं है।
मुन्ना ने सूना तो वो मुस्कुराये बिना ना रह सका और कहा,”तो तुम घर पर ही हो गुड़ , अब 10 मिनिट के अंदर हमे फोन करो और ये नाख़ून चबाना बंद करो।”


मुन्ना की बात सुनकर गौरी ने ध्यान दिया की टेंशन के चलते वह अपने नाख़ून चबा रही है फोन कट चुका था और गौरी हैरान परेशान सी वही खड़ी थी। उसने जय के सर पर एक चपत मारी और कहा,”जय के बच्चे एक काम तुम से ठीक से नहीं होता”
गौरी ने जय के हाथ से अपना फोन लिया और साथ में 500 वाले दोनों नोट भी छीनकर ले गयी।
“अरे मेरे पैसे तो दो,,,,,,,,,,,,,!”,जय चिल्लाते ही रह गया और गौरी चली गयी। जय ने अपना निचला होंठ बाहर निकाला और वापस अपना विडिओ गेम खेलने लगा

गौरी अपना फोन लेकर कमरे में आयी उसने फोन बिस्तर पर रखा और एक बार फिर कमरे में घूमने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था वो मुन्ना से क्या कहे , जो गलती आज उसने की थी उसके लिए लेक्चर तो उसे सुनने ही थे। गौरी ने हिम्मत की और मुन्ना का नंबर डॉयल किया। एक रिंग के बाद ही मुन्ना ने फोन उठा लिया वह कुछ कहता इस से पहले ही गौरी कहने लगी,”सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी , आई ऍम रियली सॉरी ,

मुझे सच में नहीं पता था फोन अंकल ने उठाया है और मैंने ऐसी हरकत कर दी , मुझे माफ़ कर दो मान मैं सच में बहुत शर्मिन्दा हूँ ,, शर्म से पानी पानी हो चुकी हूँ। मैं सच में पागल हूँ , गधी हूँ , मुझे एटलीस्ट पूछना चाहिए था सामने कॉल पर कौन है ? सॉरी आई हॉप कि अंकल भी मुझसे नाराज नहीं होंगे , अगर वो नाराज है भी तो मैं उनसे माफ़ी मांग लुंगी और उन्हें मना लुंगी,,,,,,,,,,,,,,बट पहले तुम,,,,,,,,,,,,,!!”
“आई लव यू,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अपनी सर्द आवाज में गौरी की बात बीच में काटकर कहा


मुन्ना की बात सुनकर गौरी के आगे के शब्द उसके गले में ही अटक गए और उसने अपनी बड़ी बड़ी पलकों को झपकाते हुए कहा,”तुमने अभी क्या कहा ?”
“आई लव यू,,,,,,,!!”,मुन्ना ने एक बार फिर उतने ही प्यार से कहा तो गौरी अपना फोन लेकर बिस्तर पर आ बैठी और एक गहरी साँस लेकर कहा,”तो क्या तुमने
ये कहने के लिए मुझे फोन किया है ?”


“हम अभी घाट की सीढ़ियों पर है , तुम्हारी याद आयी तो तुम्हे फोन लगा दिया और तुम पर प्यार आया तो तुम्हे आई लव यू कह दिया।”,मुन्ना ने कहा
“तो क्या तुम मुझसे नाराज नहीं हो ?”,गौरी ने जल्दी से पूछा
“हाँ थोड़ा सा था पर अब नहीं हूँ,,,,,,,,,,!”,मुन्ना ने कहा
“ओह्ह्ह मान ! थैंक्यू सो मच , पता है मैं कितना परेशान हो गयी थी , एंड शाम के लिए आई ऍम सॉरी,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने बड़े प्यार से कहा


“इट्स ओके ! बस आगे से ध्यान रखना हमारा फोन हमारे अलावा घर में बाकि सब भी उठा सकते है,,,,,हमने तुम्हे माफ़ किया।”,मुन्ना ने कहा
“तुम अच्छे हो,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह नहीं तुम बहुत अच्छे हो।”,गौरी ने खुश होकर कहा
“सच में ?”,मुन्ना ने पूछा जिसे आजकल गौरी के मुंह से अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगने लगा था।
“हाँ सच में तुम बहुत अच्छे हो,,,,,,,,,,,,,और मेरा दिल कर रहा है मैं अभी आकर तुम्हे जोर से हग कर लू”,गौरी ने कहा
गौरी की बात सुनकर मुन्ना हसने लगा। उसकी हंसी की खनक इतनी प्यारी थी कि गौरी उसी में खोकर रह गयी।

शिवम् का घर , बनारस
वंश अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ा निशि के बारे में सोच रहा था और चिढ भी रहा था आखिर निशि ने मुंबई जाकर एक बार भी उसे फोन क्यों नहीं किया ? दीना भैया वंश का खाना कमरे में रखकर गए थे उसे भी वंश ने नहीं छूआ और वैसे ही लेटे रहा। उसके दोस्तों ने पार्टी के लिए उसे फोन किया लेकिन उसने सबको मना कर दिया आज ना उसका बाहर जाने का मन था ना ही कोई विडिओ गेम खेलने का मन था।

लेटे लेटे वंश बिस्तर पर करवट बदलने लगा और फिर एकदम से उठकर बैठते हुए कहा,”अगर वो मुझे फोन नहीं कर रही तो क्या हुआ मैं तो उसे फोन कर सकता हूँ ना , और क्या पता उस बेचारी के पास मेरा नंबर ही ना हो ? बेचारी और वो,,,,,,,,,,,,,,मुंबई की लड़किया बेचारी नहीं हो सकती , वो बस मुझे परेशान करने के लिये मुझे इग्नोर कर रही होगी,,,,,,,,,,लेकिन मैं जब तक उस से ये पूछ नहीं लेता कि वो मुझसे बिना मिले क्यों चली गयी तब तक मुझे चैन नहीं आएगा और ये बेचैनी ऐसे ही बनी रहेगी,,,,,,,,,,,तो अब मैं क्या करू ?

क्या मुझे उसे फोन करना चाहिए ? अह्ह्ह कर ही लेता हूँ वैसे भी एक लड़की के लिए थोड़ा सा ऐटिटूड कम कर दूंगा तो क्या बिगड़ जाएगा मेरा,,,,,,,,!!”
कहते हुए वंश बिस्तर से कूदकर टेबल की तरफ आया और अपना फोन लेकर निशि का नंबर ढूंढ़ने लगा। कमाल की बात ये थी कि निशि का नंबर भी उसने छिपकली नाम से सेव किया हुआ था जिसे देखते ही वंश के चेहरे पर स्माइल आ गयी।


वंश ने जैसे ही नंबर डॉयल करना चाहा एकदम से उसे ख्याल आया और वह फोन होंठो से लगाकर बड़बड़ाने लगा,”उस छिपकली को फोन करने से अच्छा है मैं नवीन अंकल को फोन करू , इस से वो खुश भी हो जायेंगे और उन्हें लगेगा मुझे उनकी परवाह है बातो बातो में मैं उनसे निशि के बारे में भी पूछ लूंगा। हाँ यही सही रहेगा , अगर मैंने डायरेक्ट उसे फोन किया तो कही वो ये ही ना समझ ले कि मैं उसमे इंट्रेस्टेड हूँ और उस पर लाइन मार रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,एक काम करता हूँ नवीन अंकल को ही फोन लगाता हूँ।”


वंश ने निशि का नंबर हटाया और नवीन का नंबर डॉयल किया एक दो रिंग जाने के बाद नवीन ने फोन उठाकर कहा,”हेलो ! हाँ वंश कैसे हो बेटा ? इस वक्त फोन किया सब खैरियत ?”
नवीन के मुंह से इस वक्त सुनकर वंश ने अपना फोन देखा जिस में रात के 11 बज रहे थे उसने फोन अपने सर पर मारा और वापस कान से लगाते हुए कहा,”मैं ठीक हूँ अंकल वो मैंने बस ऐसे ही आपके और आंटी के हाल चाल जानने के लिये कॉल कर दिया बस , सॉरी मैंने टाइम नहीं देखा एक्चुली वो मैं आंटी के हाथ से बनी कॉफी को मिस कर रहा था बस इसलिए,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी।”


“अरे इट्स ओके बेटा , वैसे भी दो दिन बाद तुम आ ही रहे हो तो सबसे पहले तुम महिमा के हाथ से बनी कॉफी ही पीना,,,,,,,!”,नवीन ने हँसते हुए कहा
“जी अंकल , बाकि सब ठीक है आंटी ठीक है ?”,वंश ने अटकते हुए पूछा हालाँकि पूछना वो निशि के बारे में चाहता था लेकिन एक बाप से डायरेक्ट उसकी बेटी के बारे में कैसे पूछ सकता था
“हाँ सब ठीक है,,,,,,,,,!!”,नवीन ने भी एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहा


“तो मैं फोन रखता हूँ,,,,,,,,,,!!”,मजबूरन वंश को कहना पड़ा
“हाँ ठीक है,,,,,,,,,गुड नाईट बेटा !”,नवीन ने कहा
“गुड नाईट अंकल,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा और कुछ देर खामोश रहने के बाद एकदम से कहा,”वो मैं बस ये जानना चाहता था क्या निशि घर,,,,,,,,,,,,,हेलो हेलो,,,,,,,,,,,,हेलो अंकल,,,,,,,,,हेलो,,,,,,,,,,,,,,शायद उन्होंने फोन रख दिया , आई होप उन्होंने गुड नाईट के बाद कुछ सूना ना हो।”


वंश ने मायूस होकर अपना फोन वापस टेबल पर रख दिया और खिड़की के पास चला आया। वंश खिड़की के बाहर खुले पड़े मैदान को देखने लगा जहा बस चारो और शांति थी और उस शांति से विपरीत था उसके मन में चलता तूफ़ान,,,,,,,,,,,,,,,!!

मुंबई , नवीन का घर
“किसका फोन था ?”,महिमा ने नींद से भरे स्वर में कहा
“वंश था , उसने कहा कि वो तुम्हारे हाथो से बनी कॉफी को बहुत मिस कर रहा था इसलिए फोन कर दिया।”,नवीन ने कहा
“अरे वाह ! पर आपने मेरी बात क्यों नहीं करवाई ?”,महिमा ने उठकर बैठते हुए कहा


“तुम सो रही थी इसलिए उठाया नहीं , तुम चाहो तो कल सुबह उस से बात कर लेना या दो दिन बाद वो यहाँ आ ही रहा है तब ढेर सारी बाते कर लेना और अपने हाथो से बनाकर कॉफी भी पीला देना,,,,,,,,,,,,तुमसे पूछे बिना ही मैं उस से वादा कर चुका हूँ।”,नवीन ने हँसते हुए कहा
“अरे हाँ जरूर,,,,,इस में पूछना क्या है वो मेरे बेटे जैसा है।”,महिमा ने कहा 
“पानी नहीं रखा तुमने ?”,नवीन ने साइड टेबल पर रखे पानी के जार को देखते हुए पूछा


“मैं शायद रखना भूल गयी , मैं अभी ला देती हूँ।”,महिमा ने उठना चाहा तो नवीन ने उसे रोक दिया और कहा,”तुम आराम करो मैं ले लेता हूँ।”
नवीन खाली जग लेकर कमरे से बाहर निकल गया। वह किचन में आया और जग में पानी भरने लगा। किचन में खड़े नवीन की नजर गेस्ट रूम की तरफ पड़ी तो उसने देखा गेस्ट रूम की लाइट ऑन थी। नवीन ने जग प्लेटफॉर्म पर रखा और गेस्ट रूम की तरफ आया। दरवाजा लॉक नहीं था नवीन ने धीरे से दरवाजा खोला और अंदर आया तो देखा गेस्ट रूम में निशि सो रही थी।

निशि को वहा सोया देखकर नवीन को अजीब लगा वह बिस्तर के पास आया और देखा निशि गहरी नींद में थी ये देखकर नवीन ने उसे जगाना सही नहीं समझा। उसने कमरे की लाइट बंद की और दरवाजा धीरे से वापस बंद करके बाहर आ गया।
नवीन वापस किचन में आया और जग लेकर अपने कमरे की तरफ चला आया।

चलते चलते उसने पलटकर एक बार फिर गेस्ट रूम की तरफ देखा और मन ही मन खुद से कहा,”ये निशि को क्या हुआ है जब से बनारस से आयी है कुछ खोयी खोयी नजर आ रही है। ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ फिर अचानक इसमें ये बदलाव की वजह क्या हो सकती है ? मुझे निशि से इस बारे में बात करनी चाहिए,,,,,,,,,,,,,आखिर ऐसा क्या है जो उसे अंदर ही अंदर परेशान कर रहा है ?”
नवीन का सोचना सही था एक पिता होने के नाते अपनी इकलौती बेटी की चिंता करना उसका फर्ज था।

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संजना किरोड़ीवाल 

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