“तेरे शहर में”
Tere shahar me
आख़िरकार हाथ जोड़कर पैर पड़कर मैंने घरवालों से अपनी दोस्त के शहर जाकर उस से मिलने की परमिशन ले ही ली ! ‘कोमल गुप्ता’ मेरी दोस्त जो की दूसरे शहर नहीं बल्कि दूसरे राज्य से है – कानपूर , उत्तर प्रदेश ! आप सोच रहे होंगे इतनी दूर दोस्त कैसे ? सोशल मीडिया ने मुझे दो बहुत ही प्यारी चीजे दी है , एक बहुत ही प्यारे दोस्त और दूसरे आप सभी पाठक जो मेरी रचनाओं को अपना ढेर सारा प्यार देते है ! मैं राजस्थान से हु और वो उत्तर प्रदेश से ऐसे में घरवालों की मंजूरी मिलना कितना मुश्किल होता है ये आप सब जानते ही है ! हालांकि मेरी दोस्त मुझसे मिलने दो बार आ चुकी थी बस मैं ही नहीं जा पा रही थी ! कुछ वक्त बाद उसकी शादी होने वाली है जब पता चला तो बस मैंने उस से मिलने का मन बना लिया ! घटवालो की परमिशन तो मिल गयी पर यहाँ एक समस्या और थी वह थी साथ में कौन जाएगा ? आख़िरकार मामा जी के बड़े बेटे ने साथ चलने की हांमी भर दी ! जब उन्होंने हां कहा तो पहली बार मुझे अहसास हुआ की रिश्तेदार इतने बुरे भी नहीं होते जितना मैंने अपने आर्टिकल्स में लिखा है ! ( पर होते जरूर है ! )
शनिवार की शाम हमे निकलना था क्योकि अगले दिन रविवार था और मेरी ऑफिस की छुट्टी भी ! ख़ुशी ख़ुशी में बैग जमाया कुछ कपडे रखे ! दोस्त के लिए एक तोहफा और लड़कियों वाला सामान रख लिया ( वही लाली पाऊडर ) ! दोपहर में भैया घर आ गए और शाम 5 बजे हम घर से निकल गए ! मैंने अपनी दोस्त को बताया नहीं था की मैं उसके शहर आ रही हु वो क्या कहते है अंग्रेजी में ‘सरप्राइज’ वही देना चाहती थी उसको लेकिन कुछ हरामी लोग होते है हम सबकी जिंदगी में ! मेरे एक कजिन भाई ने पहले ही उसे मेरे वहा आने के बारे में जानकारी दे दी ! ख़ुशी ख़ुशी मैं बस चली जा रही थी ! अपने शहर से जयपुर जाने में लगभग दो से तीन घंटे लग जाते है ! बस मुझे इसलिए पसंद है की उसमे खिड़की वाली सीट पर बैठकर बाहर के नजारे देखने का एक अलग ही सुकून है ! लेकिन मेरे साथ थे बड़े भैया और उनके होते खिड़की वाली सीट हासिल करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! ऊपर से उनका बहाना देखो – खिड़की के पास बैठने दे मुझे उलटी आती है !” मतलब कौनसी दुनिया से आते है ये लोग सोचकर मैंने उन्हें बैठने दिया ! बस चल पड़ी भीड़ से बस खचाखच भरी हुई थी किसी को किसी से मतलब नहीं ! सब अपने अपने फोन में घुसे हुए थे मुझे छोड़कर !! मतलब बसो में बैठकर किसी से जान पहचान करते हुए उसे मूंगफली ऑफर करने वाली प्रजाति अब शायद विलुप्त ही हो चुकी है ! खैर भाईसाहब को कोसते हुए हमने वो 3 घंटे का सफर आखिर तय कर ही लिया ! जयपुर पहुंचकर बस से उतरे घडी में समय देखा तो रात के 8 बज रहे थे ! दोस्त के शहर जाने के लिए हमे जयपुर के ईदगाह चौराहे से पकड़नी थी बस जिसका समय था 9 बजे ! वक्त की नजाकत समझते हुए भैया ने कहा की पहले वहा चलकर टिकट बुक करवा लेते है फिर वही खाना खा लेंगे ! बस स्टेण्ड से ऑटो लिया और सवार होकर चल पड़े ! जयपुर जिसे पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है ये शहर मुझे कभी पसंद नहीं आया वजह मैं आज तक नहीं जान पाई लेकिन एक अजीब सी घुटन महसूस होती है मुझे यहाँ आकर ! मुझे भीड़भाड़ वाली जगह बहुत कम अच्छी लगती है और यही वजह है की मैं बहुत कम बाहर जाती हु ! ! जयपुर बहुत खूबसूरत शहर है यहाँ बहुत सारे दार्शनिक स्थल है और यहाँ की शामे भी बहुत प्यारी होती है ! ऑटो में बैठी मैं ख़ामोशी से जयपुर की शाम देख रही थी ! भीड़ भरी सड़के , चमचमाती दुकाने , गाड़ियों-बाईको के हार्न सबको पहले जाने की जल्दी थी ! कोई काम से लौटकर आ रहा था ! कोई महबूबा के साथ बाइक पर सवार अपनी ही मस्ती में डूबा चला जा रहा था ! हाथ रिक्शा वाले अपना खाली तो कुछ सामान से भरा रिक्शा धकेलते हुए लेकर जा रहे थे ! भैया मेरे बिल्कुल सामने ही बैठे थे और हर 5 मिनिट से वो मुझसे टाइम पूछ रहे थे ! अभी थोड़ी ही दूर पहुंचे थे की बगल वाली सीट पर एक वर्दी पहने दरोगा आ बैठा ! वह लगातार अपने फोन पर उंगलिया चलाये जा रहा था ! मेरी नजर ना चाहते हुए भी उसके फोन की स्क्रीन पर चली जाती ! वहा से ध्यान हटाकर मैं एक बार फिर बाहर देखने लगी थी ! कुछ देर बाद दरोगा ने किसी को फोन किया और बड़े ही प्यार से , इज्जत से बोला,”मैडम प्लीज एक बार अनब्लॉक कर दीजिये ! दूसरी और से किसी ने कुछ कहा तो ये सर फिर से उसी शालीनता से बोले,”अरे आप अनब्लॉक तो कीजिये मैं समझाता हु ना सारा मेटर आपको , आप अनब्लॉक करो पहले प्लीज़”
दूसरी वाली पार्टी ने शायद मना कर दिया की दरोगा जी भड़क उठे,”तुझे बोला ना एक बार , अनब्लॉक कर तबसे बकवास किये जा रही है !”
मेरी गर्दन अपने आप उस और घूम गयी मतलब कुछ देर पहले वो शख्स इतने अच्छे से बोल रहा था और अचानक से बद्तमीज हो गया ! अब उसका कोनसा रूप सच्चा था मालूम नहीं ! मैं और भैया ख़ामोशी से एक दूसरे को तो कभी भड़के हुए उस आदमी को देख रहे थे ! मैं तो मन ही मन कह रही थी,”व्हाट्सप्प पर नहीं तुम जैसो को तो जिंदगी से ही ब्लॉक मार देना चाहिए ! दोहरे चरित्र वाले”
आगे जाकर वह उतर गया और कुछ देर बाद हम भी अपनी लोकेशन पर पहुंचे भैया ने टिकट बुक करवाई गनीमत था की हमे पहले नंबर पर ही सीट मिल गयी अब बस मेरी नजर थी खिड़की वाली सीट पर लेकिन यहाँ भी भैया ने बाजी मार ली ! बस की स्तिथि वैसी ही थी जैसे शादीशुदा आदमी की होती है , कही से थुलथुल तो कही से जर्जर ! खैर बाहर कुछ खा पीकर मैं और भैया सीट पर आकर बैठ गए ! सफर लंबा था और पूरी रात चलना था ! भैया ने खिड़की वाली सीट पर कब्जा किया और बैठ गए ! मैने सर सीट से लगाकर पाँव सामने केबिन के गेट से लगा लिए ! दिनभर की भागमभाग से मैं थक चुकी थी ! कुछ देर बाद बस चली और ठंडी हवा के थपेड़े मुझे सुलाने में कामयाब रहे ! भैया को नींद नहीं आई शायद इसलिए वो फोन चलाने में बिजी थे ! बस में सिर्फ मैं और भैया ही थे जो राजस्थान से थे ! बाकि बचे सारे ना जाने कौन कौन से शहरो से आये थे ! ना उनकी बाते समझ आ रही थी ना ही उनकी शक्ले ! शोर शराबे से आख़िरकार मेरी नींद खुल ही गयी और जब आँखे खुली तो मैंने पाया की बस एक ढाबे के सामने आकर रुकी है ! बस से उतरकर निचे आये ! सामने बड़ा सा ढाबा जिसमे कुर्सी टेबल लगे थे ! बस में सवार कुछ लोग उतरकर वहा आकर बैठ गए ! भैया भी मुझे वाशरूम जाकर आने का बोलकर खुद चाय का आर्डर देने निकल गए ! आँखों में नींद भरे , उबासियाँ लेते हुए मैं उस चालू वाशरूम की और बढ़ी जो ढाबे से कुछ ही दूरी पर बना था ! धीरे धीरे बेजान सी मैं उस और चल रही थी की महसूस किया मेरे साथ कोई और भी कदम से कदम मिलाकर चल रहा है ! मैंने अपनी दांयी और देखा एक भूरा झबरीला कुत्ता मेरे साथ साथ चल रहा था ! वाशरूम के बाहर जाकर मैं जैसे ही रुकी वो भी रुक गया ! आँखे नींद के कारण भारी हो चली थी मैं रुकी रही लेकिन कुत्ता अपनी जगह से नहीं हिला ! मैंने उसकी और देखकर कहा,”जा भाई तू कर ले पहले !”
कुत्ता भी स्मार्ट निकला जाकर घुस गया और कुछ देर बाद पूछ हिलाते हुए वहा से निकल गया ! नेचर कॉलिंग से फ्री होकर मैं पानी के नल के पास आयी मुंह धोया तब जाकर नींद थोड़ी खुली ! भैया तब तक चाय लेकर आ चुके थे चाय पि तो होश आया की मैं कहा हु ! कुछ देर वही रुकने के बाद भैया ने खाने का पूछा लेकिन भूख नहीं थी ! वही कुर्सी पर बैठकर मैं वहा बैठे लोगो को देख रही थी ! वहा मौजूद अधिकतर लोग कानपूर और उसके आस पास की जगहों से थे इसलिए उनकी भाषा भी वैसी ही थी ! खैर ड्राइवर और कंडक्टर ने खाना खाया और उसके बाद सभी वापस बस में सवार हो गयी इस बार मैंने भाईसाहब से बोलकर खिड़की वाली सीट हासिल कर ही ली पर क्या फायदा अँधेरे की वजह से कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था ! अह्ह्ह मेरी फूटी किस्मत ,, बस एक बार फिर चली पर नींद आँखों से कोसो दूर भैया अपनी फिल्म देखने में व्यस्त ! पीछे कुछ लोग बतिया रहे थे जो मेरे बिल्कुल पल्ले नहीं पड़ा ! इन सबके बिच ही एक दुबला पतला लड़का जिसने शायद पि रखी थी बिलकुल मेरे सामने आकर बैठ गया दोनों के बिच एक शीशा जिसमे से सब साफ दिखाई दे रहा था ! वह अपनी भाषा में ना जाने क्या क्या बोले जा रहा था और उसके आस पास मौजूद लोगो में से कुछ उसकी बातो पर हंस रहे थे और कुछ चिल्ला रहे थे ! मैंने इग्नोर करना बेहतर समझा ! वहा मौजूद लोगो की भाषा भले मुझे समझ में ना आये लेकिन गालियाँ एकदम साफ समझ आ रही थी ! इतनी ब्रांडेड गालियाँ मतलब आदमी सोचने पर मजबूर हो जाये ! अगर किसी को गालियों का नया आविष्कार देखना हो तो कानपूर की बसों में सफर जरूर करे ! धीरे धीरे शोर शराबा कम होने लगा था लेकिन उन पतले भाईसाहब को चैन नहीं था ! उसने अपने फोन में तेज आवाज में 90’s के हिंदी गाने चलाये आधी रात को ये कहर कम था की वह साथ साथ खुद भी गाने लगा था ! आँखे मूंदे खिड़की के शीशे से सर लगाए मैं मन ही मन उसे कोस रही थी ! आख़िरकार मेरे पीछे वाली सीट पर बैठे एक आदमी से उसे लताड़ दिया ! वही कनपुरिया भाषा में ! कुछ देर के लिए लड़का शांत हुआ और उसका नौटंकी करना शुरू ! अब तो कोई चारा भी नहीं था भैया सो रहे थे मैंने भी सोने में ही भलाई समझी ! बस फिर चल पड़ी सीट पर बैठे बैठे सोना कितना मुश्किल होता है ये मुझे उस रात पता चला था ! अब आप सोच रहे होंगे मैंने स्लीपर सीट क्यों नहीं ली ? वही खिड़की वाली सीट की वजह से !! खैर बस फिर चल पड़ी और रात 2 बजे बस एक बार फिर एक ढाबे पर रुकी ! वह अजीब ही शोरगुल मचा हुआ था ! मैं और भैया उतरे फिर एक बार चाय पि और वापस आकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए ! आधे घंटे के लम्बे ब्रेक के बाद बस चली लेकिन इस बार ड्राइवर चेंज था ! दुबला लंबा आकर सीट पर बैठा अभी गाड़ी स्टार्ट भी नहीं की के उसने जला ली बीड़ी , उसकी बदबू को सहन करना मेरे बस में नहीं था लेकिन कहने का कोई फायदा नहीं ! मैंने एक बार कहा भी की ये सब मत पीओ तो कहा की अपनी खिड़की का शीशा बंद कर लो ! अखंड बद्तमीज ड्राइवर मन तो किया मुंह तोड़ दू ,,सभी सावरिया आकर बस में बैठ गयी ! ड्राइवर से खीजी हुई मैं खिड़की के बाहर देखने लगी तभी मेरी नजर गयी एक आदमी पर जिसने चमचमाता नीले रंग का कुर्ता और सफेद पजामा पहना हुआ था ! बिल्कुल भोजपुरी फिल्मो के रवि किशन जैसा दिख रहा था ! मुंह में गुटखा चबाते हुए वह कोई गाना गा रहा था ! उसे देखने के बाद ड्राइवर पर जो गुस्सा था वो जाता रहा ! इस सफर में उस कुत्ते के बाद ये पहला इंसान था जो थोड़ा अलग था ! गाते गाते ही उसकी किसी से झड़प हो गयी और जैसे ही ड्राइवर ने ब्रेक लगाया बस का टायर पंचर ! मैंने अफ़सोस के साथ सर पीछे सीट पर दे मारा ! जो एक्टिव थे या यु कहो जिनको फट्टे में टाँग अडानी थी वो उतर गए बाकी बचे मेरे जैसे लोग वो अपनी अपनी सीट पर पसरे पड़े थे ! भैया भी देखने निचे चले गए जिसका फायदा ये हुआ की कुछ वक्त के लिए उस पूरी सीट पर मेरा अधिकार था ! मैंने पैर फैला लिए और आँखे मूंद ली ! बस कब ठीक हुई मुझे इसका कुछ नहीं पता ! भैया ने आकर उठाया तब जाकर आँख खुली लेकिन नींद इतनी हावी थी आँखों पर की बैठे बैठे भी सो गयी ! बस एक बार फिर चल पड़ी ! सुबह 5 बजे बस फिर एक ढाबे के सामने रुकी ! सुबह हो चुकी थी , भैया और मैं बस से निचे उतरे भैया फ्रेश होने चले गए मैं वही घूमकर आस पास की जगह देख रही थी ! इस इलाके में कुछ ठण्ड का माहौल था ! खैर नित्यकर्म से निपट कर भैया और मैं वही पास पड़ी कुर्सियों पर आ बैठे ! भैया ने चाय आर्डर की और साथ में खाने का पूछा लेकिन इतनी सुबह मन नहीं था ! भैया ने चाय बिस्किट खाया और फिर वापस बस में लौट आये इस बार फिर भैया खिड़की वाली सीट पर थे !
ड्राइवर अपनी सीट पर आ बैठा और बीड़ी जला ली ! मुंह में बीड़ी रखकर शान से उसका धुँआ छोड़ते हुए उसने बस स्टार्ट की और स्टार्ट करके छोड़ दी ! बस के बार बार रुकने और वक्त बर्बाद होंने से पीछे दो सीट छोड़कर बैठा वो आदमी झल्ला उठा और चिल्लाकर कहा,”अबे ओह्ह डरेवर चले हो नहीं चले हो ! “
बस फिर क्या था ड्राइवर का पारा चढ़ गया मुंह से बीड़ी निकालकर खिड़की से बाहर फेंकी और गुस्से में बस बंद करके चाबी को डेस बोर्ड पर फेंकते हुए कहा,”इह ल्यो तुम आयके चलाय ल्यो , हमसे नाही चलाय जाये ! इज्जत से बात करो नहीं तो अभी कट्टा डाल दी तुमारी खोपडिया में !”
बस फिर एक जोरदार झंडप के साथ ड्राइवर बस से निचे उतर गया ! बड़ी मुश्किल से उसे मनाकर लाया गया और उसके आने के बाद बस आगे बढ़ी ! मेरी एक बार फिर आँख लग गयी ! दो घंटे बाद जब आँख खुली तो सामने लगा बोर्ड देखकर चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी ! सामने एक बड़ा सा बैनर लगा था जिस पर अजय देवगन की तस्वीर थी और उनके हाथ में था विमल पान मसाला का पैकेट और साइड में लिखा “बोलो जुबान केसरी’ !
“कहा पहुंचे ?”,भैया ने उँघते हुए कहा !
“कानपूर !”,कहते हुए मैंने बोर्ड की और इशारा कर दिया जिसे कुछ देर पहले मैंने देखा था जिसके निचे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था – कानपूर , उत्तर प्रदेश
सवेरा हो चुका था ! सब बस अपनी अपनी सीटों पर बैठे उघ रहे थे ! कानपूर से दोस्त का घर अभी भी 4 घंटे की दूरी पर था ! घडी में देखा जो की सुबह के 6 बजा रही थी ! रास्ते देखते देखते थक चुकी थी लेकिन एक ख़ुशी का अहसास भी था ! पहली बार शहर से बाहर जो निकली थी ! बड़े गौर से रास्तो को देखते हुए मैं खामोश बैठी थी ! कानपूर से कुछ दूर मैनपुरी शहर आता है वहा मेरा एक दोस्त “रतन” जो की मेरा और कोमल का कॉमन फ्रेंड था उसी शहर से था ! उसने फोन करके बस का नम्बर , सीट नंबर पूछा , मैंने बताया लेकिन समझ नहीं आया वो ये सब क्यों पूछ रहा है ! खैर उसके फोन रखने जब बस मैनपुरी चौराहे पर पहुंची तो रतन हाथ हिलाते हुए खिड़की के उस तरफ खड़ा था मुझे अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हुआ , मतलब उसे भी पता था की मैं आने वाली हु और वो मेरा वेलकम करने के लिए अपने शहर में मेरे सामने खड़ा था ! मैं उस से कुछ कह पाती इस से पहले बस चल चुकी थी हम मुस्कुराते हुए हाथ हिलाते ही रह गए ! मैं खुश बहुत थी 2012 में हम सब दोस्त बने थे कभी बात होती थी कभी कभी सालो तक बात नहीं होती थी , अब तक सबने एक दूसरे को तस्वीरों में ही देखा था आज उन्हें सामने देखकर एक अलग ही सुकून महसूस हो रहा था ! मैनपुरी से दोस्त अभी भी 2 घंटे की दूरी पर था ! दोस्त के शहर पहुँच चुके थे लेकिन उतरना कहा है मालूम नहीं उसने फोन पर कहा,”तुम्हारे पास कोई है तो बात करवाओ उसको बताते है कहा उतरना है ?”
फोन हाथ में लेकर मैं जैसे ही पलटी मेरे पीछे बैठे आदमी ने लपककर कहा,”लाईये मैं बता देता हु” दोस्त से बात करके उसने मुझसे कहा,”परेशान मत होईये मैं भी वही जा रहा हु !” उस से फोन लेकर मैं फिर से खिड़की से बाहर देखने लगी ! आख़िरकार 10 बजे हम उस शहर पहुंचे ! कमर अकड़ चुकी थी , मैंने और भैया ने अपना अपना बैग उठाया और निचे उतर आये ! सामने दोस्त खड़ी थी मुझे लगा ख़ुशी के मारे आकर गले लगेगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ ! भरे बाजार लड़की गले लगेगी क्या ? उसने रिक्शा किया और मुझे भैया और अपने छोटे भाई श्रेयांश को बैठने को कहा रिख्शा आगे बढ़ गया ! मैंने पलटकर देखा तो मेरी दोस्त लूना पर आ रही थी ! लूना अरे वो छोटी बाइक बिकी , मोपेड बोलते है जिसे हां हां वही ! लूना पर बिल्कुल दबंग लग रही थी वो और मैं उसे और उसके शहर की सड़को को देखते हुए मुस्कुरा रही थी ! एक के बाद एक सटी हुयी दुकाने , नए चेहरे , नए लोग , नयी भाषा सब काफी रोमांचक था ! श्रेयस बहुत मस्तीखोर है इसलिए भैया को अपने शहर के बारे में बता रहा था ! रिक्शा घर के सामने आकर रुका ! घर नहीं वो एक बड़ा रेस्टोरेंट था घर उसके ऊपर था ! सामने ही कोमल के मम्मी पापा खड़े थे ! मैंने जैसे ही जाकर उनके पैर छूने चाहे उन्होंने रोकते हुए कहा,”अरे नहीं नहीं बिटिया हमारे यहाँ बेटियां पैर नहीं छूती !” मुझे बड़ी हैरानी हुई मैंने मन ही मन कहा,”क्या बात कर रहे हो आंटी हमारे यहाँ पैर ना छूने पर रिश्तेदार मुंह फुला लेते है !” खैर अंकल आंटी से मिलकर लगा अपने ही लोगो से मिल रही हु !!
खैर ! सफर अभी बाकि है
PART – 2
सोचा क्यों ना अंदर चला जाये ? अंदर आये कुर्सियों पर बैठे आंटी ने वहा काम कर रहे छोटू को पानी ले आने को कहा ! पानी पिने के बाद आंटी ने सफर के बारे में पूछा तो भैया ने बताया ,, आंटी से बात की तो महसूस हुआ वो बहुत प्यारी है ! अभी बाते कर ही रहे थे की दोस्त दो प्लेट नाश्ता ले आयी ! भैया ने और मैंने एक साथ मना कर दिया और कहा,”नहा धोकर आराम से खाएंगे !
“अच्छा ठीक है चाय तो पिओगे ना ?”, अंकल जी ने कहा !
चाय का नाम सुनते ही आँखे चमक उठी और दिल धड़क उठा ! मैंने भैया की और देखा और फिर झट से कह दिया,”हां हां चाय पि लेंगे , है ना भैया (भैया की और पलटकर) मेरी इस हरकत पर भैया को भी अजीब लग रहा था पर वो कुछ कहते तब तक अंकल चाय बनाने जा चुके थे ! ज्यादा मत सोचिये दोस्त के पापा हलवाई है और वो रेस्टोरेंट भी उन्ही का है ! अच्छा मैं एक बात बताऊ दुनिया की सबसे अच्छी फीलिंग आती है जब आपकी दोस्त के पापा आपके लिए चाय बनाये ! थोड़ी देर में चाय आ गयी और साथ में गर्मागर्म पकोड़े ! आह्ह इतने लजीज पकोड़े मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं खाये थे सच में अंकल के हाथो में जादू था ! मेरे और भैया के साथ साथ कोमल उसकी बहने कामना और महिमा भी शामिल हो गयी ! सभी चाय और पकोड़ो का आनंद ले रहे थे ! चाय पकोड़े ख़त्म कर हम नहाने चले गए ! भैया को ऋषि (दोस्त का भाई) कमरे में ठहराया और मैं कोमल के रूम में ! नहाने के बाद भैया ने नाश्ता किया और सोने चले गए ! उधर मैं नहाकर निकली तैयार हुयी ! अच्छा तैयार होने के मामले में मैं दुनिया की सबसे आलसी लड़की हु ! मेक अप के नाम पर मैं घरवालों के बहुत से पैसे बचा लेती हु क्योकि मुझे कुछ लगाना ही नहीं आता सिवाय लिपस्टिक के और वो भी मैं इसलिए नहीं लगाती क्योकि एक वक्त के बाद मैं खुद ही उसे खा जाती हु ! खैर दोस्त मेरे लिए नाश्ता ले आयी एक पलेट में दो बड़े रसगुल्ले ! एक रसगुल्ला था दुसरा अमीर रसगुल्ला था ! दुसरा वाला अमीर इसलिए क्योकि उस पर ना क्रीम लगी हुई थी और चाँदी के वर्क के साथ केसर लगा हुआ था ! मैंने अमीर रसगुल्ला खाया लेकिन वो एक खाते ही पेट भर गया दूसरा वाला नहीं खाया गया ! वो क्या है ना मीठे में मुझे सिर्फ चाय पसंद है ! ! दोस्त अच्छी है इसलिए मेरा जूठा उसने खा लिया ! नाश्ता करके दोस्त से कुछ देर बाते की बहुत अच्छा लगता है जब आपका लॉन्ग डिस्टेंस वाला दोस्त आपके सामने हो ! कोमल से मिलना मेरी जिंदगी की पहली विश थी जो वहा जाकर पूरी हो गयी ! कुछ देर बाते करने के बाद वह मुझे अपने साथ निचे ले आयी ! निचे रेस्टोरेंट था इसलिए कुछ लड़के लड़किया वहा खाने पिने आये थे ! हम दोनों कोउन्टर के पास चले आये ! वहा बैठकर वो मुझे सामने बैठे लोगो के किस्से सूना रही थी ! कोमल जब दूसरी बार राजस्थान आयी थी तब अपनी छोटी बहन और चाचा के साथ आयी थी ! श्रेयस उन्ही का बेटा है कोमल मुझे चाचा के घर ले गयी ! उनकी वाइफ को देखा तो बिपाशा की याद आ गयी ! सच में वो बहुत प्रिटी थी उनका सांवला रंग अच्छा लग रहा था मुझे ! उन्होंने हम दोनों को अंदर बैठाया चाचा टीवी देख रहे थे कुछ देर हमसे बाते की और फिर बाहर निकल गए ! कुछ देर बाद चाचा आये तो उनके हाथ में थैली थी उन्होंने उसे चाची को दिया और खुद वही बैठकर मुझसे राजस्थान आ हाल जानने लगे ! मैंने उन्हें एक बार फिर से राजस्थान आने को कहा लेकिन चाची के साथ ! कुछ ही देर में चाची ट्रे में प्लेटे रखकर ले आयी ! और हमारे सामने रख दी ! छोटे छोटे समोसे और छोटी छोटी कचोरिया थी ! साथ में लाल मीठी चटनी , हरी चटनी , छोले देखते ही मुंह में पानी आ गया लेकिन पेट पहले से भरा हुआ था कैसे खाते ? चाचा चाची के बार बार कहने पर हम दोनों ने एक एक कचोरी उठायी और गपागप खा गए ! बहुत टेस्टी थी सच में और खाते लेकिन आंटी जी का फोन आ गया वो हमे खाने के लिए बुला रही थी ! चाचा चाची को बाय बोलकर हम लोग वापस घर आ गए ! भैया ऊपर सो रहे थे और जब उनको फोन किया तो उन्होंने खाने से मना कर दिया ! कोमल ने मेरे और अपने लिए खाना लगवाया ! दाल , चावल , रायता , भिंडी की सब्जी , रोटी और सलाद सब था ! यहाँ सबसे खूबसूरत बात ये थी की मेरी दोस्त मेरे साथ थी ! मैंने एक निवाला तोड़ा और उसकी और बढ़ा दिया बड़े प्यार से उसने खाया लेकिन इसके बाद आगे के सारे निवाले भी उसे हमे ही खिलाने पड़े हां वो मेरी दोस्त जरूर है पर मेरे सामने उसने कभी दोस्तों वाला व्यवहार नहीं किया बल्कि वो मेरे सामने बच्ची बन जाती ! उसने मेरे एक हाथ को अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और दूसरे से मैं उसे खाना खिला रही थी ! खाना खाकर एक बार फिर हम लोग ऊपर रूम में चले आये ! कोमल की छोटी बहन महिमा बहुत बाते करती है लेकिन मुझे आधी समझ आती आधी ऊपर से जाती ! रूम में बैठे हुए मुझे एक नयी बात पता चली की आंटीजी ने बी.ए. किया है ! मुझे बहुत हैरानी हुई क्योकि वो इतनी स्वीट और सिंपल थी की मुझे यकीन नहीं हुआ ! पर जानकर अच्छा लगा की मैं एक अच्छे परिवार का हिस्सा हु ! दोपहर बाद को घूमने का सोचा लेकिन बारिश होने के कारण नहीं जा पाए ! शाम को भैया मैं और कोमल की फॅमिली सभी निचे बैठे चाय का मजा ले रहे थे की सामने से रतन और आलोक आते दिखाई दिए ! आलोक भी मेरा और कोमल का कॉमन फ्रेंड है जो की मैनपुरी में ही रहता है ! रतन से मैं सुबह मिल चुकी थी लेकिन आलोक को पहली बार देखा था उसे हेलो बोलकर मैंने उन दोनों को बैठने को कहा ! एक टेबल के चारो और मैं आलोक कोमल रतन और भैया बैठे थे ! वो तीनो बोले जा रहे थे और मैं बस हां हूँ में जवाब दे रही थी क्योकि सामने भैया बैठे थे ! मैंने मन ही मन सबको गालिया दी की इनको भी अभी आना था ! खैर मुश्किल से उनके सामने कुछ शब्द फूटे मेरे मुंह से ! उन दोनों के घर जाने का वक्त हो गया तो मैं और कोमल उन्हें दरवाजे तक छोड़ने आये ! दोनों चले गए ! अंदर आये तो कोमल ने कहा घूमकर आते है ! हां ये बात और थी वहा दूर दूर तक घूमने जैसी कोई जगह नहीं थी !
हम सब मार्किट घूमने निकल गए ! उस शहर की एक खास बात ये थी की वहा की गलिया काफी तंग थी ! पैदल चलते हुए हम सभी मार्किट पहुंचे जो की पास में ही था ! श्रेयस भैया को लेकर मंदिर चला गया मैं कामना और कोमल कपडे देखने लगे ! खरीदारी करके वहा से एक रिक्शा किया और सभी उसमे सवार हो गए ! बारिश के बाद मौसम काफी खुशनुमा हो चला था ! कोमल ने रिक्शा वाले को किसी जगह का नाम बताया और रिक्शा चल पड़ा ! यु पी वालो बुरा मत मानना लेकिन गंदगी बहुत है यारो तुम्हारे उधर ! तंग गलियों से निकलकर रिक्शा खुली सड़को पर दौड़ रहा था कोमल हमे वहा के बारे में बताती जा रही थी ! भैया और कामना देश की व्यवस्था पर बाते कर रहे थे ! उफ़ ये पढ़े लिखे लोग !
रिक्शा एक शांत जगह आकर रुका ! वह एक मंदिर था सच में वो जगह बहुत शांत थी , ठंडी हवाएं चारो और हरियाली और घने पेड़ दिल किया यही रुक जाऊ ! दर्शन किये और तब जाकर याद आया की मेरे पास फोन भी है मैंने उसे निकाला और कुछ तस्वीरें ली दोस्त के साथ ! कुछ देर वहा रूककर हम लोग वापस लौट आये ! भैया और कामना की बहस जारी थी ! घर आकर भैया , कामना और श्रेयस अंदर चले गए और कोमल मुझे लेकर पड़ोस वाली आंटी के घर लेकर चली गयी ! वो आंटी भी बहुत मस्त थी एकदम गोल मटोल उस शहर में पहला इंसान मुझे मेरे जैसा दिखा था ! दिल को थोड़ी तसल्ली मिली ! खुदा की एक देन है की मैं हर माहौल में ढल जाती हु ! आंटी ने बाते की लेकिन घर से फोन शुरू हो गए ! वापस आये तो कोमल की छोटी बहन महिमा ने कहा,”दीदी पिज़्ज़ा खाने का मन कर रहा है !” हलाकि उनके खुद के रेस्टोरेंट काफी अच्छी डिशेज थी पर उसे पिज़्ज़ा खाना था ! एक बार फिर मैं कोमल महिमा भैया और हमारे छोटू श्रेयस जाने को तैयार हो गए ! हम पांचो पहुंचे पिज़्ज़ा सेंटर ! कॉम्बो आर्डर किया तो चार अलग अलग स्वाद के पिज़्ज़ा सामने आये खाने वाले 5 पिज़्ज़ा 4 थे ! लगा ज्यादा हो जाएगा तभी हमारी दोस्त बोल उठी तीन रख लेते है ये चौथा पैक करवा लेते है !
पिज़्ज़ा खाया पेप्सी पी मजा आ गया ! वहा से बाहर आये लेकिन यहाँ हुआ छोटा सा हादसा बाहर निकलते ही पैर किसी पत्थर पर टिका और हम निचे जा गिरे फोन की स्क्रीन टूटी और हलकी सी पांव में मोच भी लेकिन दोस्त को परेशांन करना नहीं चाहते थे इसलिए तुरंत सम्हाल गए और कहा,”मैं ठीक हु ! पर नहीं हमारी मेडम जी तो ठहरी दबंग उलझ पड़ी दुकान वाले से और कहने लगी,”अरे किती बार कहे है इसको हटवाते काहे नहीं हो ! यार कोई गिर जाता है इधर उलझकर ! “
बेचारा लड़का चुपचाप सुनता रहा बस मैं ही कोमल का हाथ पकड़ उसे खिंच लायी और कहा,”अरे बाबा चल , ठीक हु मैं !
“मालूम है , लगी ना तेरे पैर में ! ये साले है ही ऐसे , तू सच बता दर्द हो रहा है”,उसने परेशानी भरे शब्दों में कहा ! उसे परेशान देखकर अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसे रिलेक्स करने के लिए कह दिया की मैं बिल्कुल ठीक हु , जरा भी दर्द नहीं हो रहा है !” पर अंदर से चिल्ला चिल्ला कर रोने का मन कर रहां था बहुत दर्द हो रहा था यार ! ! घर आये मैं सबके सामने बिल्कुल नार्मल रहने का दिखावा कर रही थी ! कुछ देर इधर उधर की बातो के बाद आंटी में खाना लगा दिया लेकिन भूख किसे थी ?लेकिन आंटी ने इतने प्यार से सब बनाया था ! उनकी भावनाओ को ठेस पहुंचाना अच्छा नहीं लगा ! भैया पहले ही खाना खाकर ऊपर जा चुके थे मतलब ऊपर कमरे में ! आंटी ने खाना लगाया दाल चावल रोटी सलाद और शाही पनीर ! कोमल मेरी बगल में ही बैठी थी और चाहती थी मैं उसे खिलाऊ ! आंटी दाल में ऊपर से घी डालती है इतना घी तो राजस्थान वाले ही खाते है लेकिन मैं नहीं खाती मुझे दाल खाना बिल्कुल पसंद नहीं था ऊपर से घी लेकिन वहा खाया ! अच्छा बना था सब ! ! जब थक गए तब महसूस हुआ की पैर में मोच भी आयी है लेकिन इस बार वो दर्द मेरी दोस्त को मेरे चेहरे पर दिख गया था ! मुझे बिना बताये वह निचे जाकर तेल ले आयी और पांव पर लगाते हुए कहा,”इस से दर्द कम हो जाएगा !” कुछ देर रेस्ट किया फिर उसने कहा की छत पर चलते है ! ऊपर दूसरे माले की छत पर गए ! छत के किनारे पर दोनों पांव लटकाकर बैठे हम बाते करने में मशरूफ थे की रतन का मेसेज आया,”यार तुमसे मिले और एक सिंगल फोटो तक नहीं ली तुम्हारे साथ !”
मेसेज पढ़कर एक स्माइल आ गयी चेहरे पर की आज भी ऐसे लोग है जिनके साथ रहते हुए फोन से दूर रहा जा सकता है ! तस्वीर ना लेने का अफ़सोस तो मुझे भी था इसलिए जवाब में लिख दिया,”कोई बात नहीं अगली बार मिलेंगे तब लेंगे !”
“वैसे तुम बड़ी शर्मीली हो , कुछ बोलती ही नहीं बस स्माइल करते रहती हो !”,रतन का दुसरा मेसेज आया !
उसके इस मेसेज पर मुझे बहुत हंसी आयी ! अकसर फेसबुक पर मेरे बोल्ड स्टेटमेंट पढ़कर लोग समझते है की मैं बहुत फ्रेंक हु पर असल में मैं बहुत कम बात करती हु ! रतन को भी उसी दिन पता चला था शायद ! कुछ देर उसके मेसेज का जवाब देने के बाद देखा रात के 10 बज रहे है ! चारो और टिमटिमाते बल्बों की रौशनी , ऊपर खुला आसमान , ठंडी हवाएं और उस पर दोस्त का साथ ! जिंदगी अगर थी तो बस यही थी ! दोस्त के साथ देर रात तक खुले आसमान के निचे बैठकर बाते करना सच में बहुत खूबसूरत होता है ! उसने मुझसे उस रात बहुत सारी बाते की , मैंने भी उस से कुछ बाते शेयर की बीते सालो के किस्से दोहराये , दोस्तों के बारे में चर्चा चली और ये सब करते हुए मेरा हाथ उसने मजबूती से अपने हाथ में थाम रखा था ! उसका ये लॉजिक मुझे आज तक समझ नहीं आया की वह जब मेरे साथ होती है तो मेरा हाथ क्यों थाम लेती है ? शायद मुझे खोने से डरती हो या फिर मेरा साथ उसे अच्छा लगता था ! मेरे सामने वह हर बात खुलकर बोल सकती थी , गाली देना , पर्सनल बाते सब दिल खोलकर ! मेरे सामने उसे कोई झिझक नहीं थी और यही वजह थी की वह मेरी दोस्त कम एक बहन ज्यादा थी !
छिबरामऊ की वो रात बहुत हसींन थी और वो पल मेरी जिंदगी के खूबसूरत पलो में से थे !
तेरे शहर में – 3
सफर की थकान इतनी थी की बिस्तर पर गिरते ही नींद आ गयी ! सुबह आँख खुली तो कोमल फोन पर किसी से बात कर रही थी फोन पर मेरी और कोमल की कॉमन फ्रेंड जो की मेरे ही शहर में मेरी बचपन की दोस्त है “बेबी” ! कोमल ने जब उसे बताया की संजू यहाँ आयी है तो मुंह फुला बैठी वो क्योकि मैंने किसी को नहीं बताया था की मैं कोमल से मिलने वाली हु ! बेबी से कुछ वक्त पहले पूछा भी था तो उसने मना कर दिया लेकिन अब वो सुना रही थी खैर मेरा तो जन्म ही प्रवचन सुनने के लिए हुआ है ! उसे नेक्स्ट टाइम साथ लेकर आने का वादा किया तब वो मानी ! चाय पी अच्छी बनी थी लेकिन मीठा कम था ! चाय पिने के बाद कुछ देर बाते की और फिर नहाने चली गयी ! पैर का दर्द अब ठीक था दोस्तों के हाथ में जादू होता है ये आज देख भी लिया था ! नहाकर जींस टीशर्ट डाल लिया और रूम से बाहर आ गयी ! कोमल भी नहाकर तैयार थी वो मुझे ऊपर छत पर बने कमरे में ले गयी जहा मिठाईया बनाई जाती थी ! दो आदमी वहा सोहन पपड़ी बनाने का काम कर रहे थे ,, न न ये वो सोहन पपड़ी नहीं है जो अपने रिश्तेदार दिवाली पर लेकर आते है ! ये देशी घी और बेसन से बनी अच्छी वाली सोहन पपड़ी थी ! कोमल भी जाकर उनकी मदद में लग गयी और मैं बड़े गौर से ये सब बनते देख रही थी ! सच में यार बहुत मेहनत करनी पड़ती है ! भैया भी आ पहुंचे , कोमल ने टेस्ट करने को कहा तो भैया ने मना कर दिया क्योकि उनके मुंह में थी रजनीगंधा ,,, अब बन्दा सोहनपपड़ी चखने के लिए गुटखा थोड़े थूकेगा ! मैंने चखी जबरदस्त थी लेकिन ताजा ताजा बनी थी ना इसलिए घी की महक ज्यादा थी ! मिठाई बनाकर कोमल और मैं निचे चले आये आंटी ने नाश्ता लगा दिया था ! नाश्ते में नारियल और मेवे के लड्डू थे , रसमलाई थी , नमकीन थी चाय थी और कुछ स्पेशल था जो की सामने किचन में बन रहा था ! चाय ख़त्म की ही थी की वहा काम करने वाले भैया एक बड़ा सा उत्पम ले आएं साथ में सांभर और सॉस ! जिनको पता नहीं है उन्हें बता दू उत्पम सूजी और चावल के घोल से बना चिल्ला होता है जिसपर कच्ची सब्जिया डालकर सेका जाता है ! आम भाषा में कहे तो देसी पिज्जा ! जिस पर प्याज , टमाटर , हरी मिर्च , पत्ता गोभी सजाया हुआ था ! कोमल भी पास ही बैठी थी पर कुछ परेशान था ! इस परेशानी में उसने नाश्ता नहीं किया हुआ और शायद आगे भी नहीं करेगी सोचकर मैंने ही उसे दो चार निवाले खिलाये ! नाश्ता अच्छा था ! नाश्ता करने के बाद भैया अंकल के साथ बैठकर बाते करने लगे और फिर सोने ऊपर चले गए ! मैं किसी काम से ऊपर चली आयी थोड़ी देर जब निचे आयी तो माहोल कुछ चेंज था ! अंकल जी ने सबकी क्लास लगा रखी थी वैसे वो बहुत क्यूट है लेकिन उनका गुस्सा देखकर मैं थोड़ा सा सहम गयी ! गब्बो (कामना) हाथ में झाड़ू लिए छोटू को काम बता रही थी ! छोटू उनका बड़ा आलसी बड़ा धीरे धीरे काम कर रहा था ! महिमा अंदर किचन में आंटीजी की हेल्प कर रही थी ! कोमल गुस्सा की कोल्ड्रिंक्स का आर्डर आया हुआ है तो इनको रॉ में जमाया क्यों नहीं ? माहौल थोड़ा गर्माता देखकर मैंने भी मदद करना सही समझा ! मैंने कोल्डड्रिक्स की दो बड़ी बॉटल्स उठायी और कहा चलो हम रख देते है ! “अरे तू रहने दे !”,उसने कहा
“चल ना , तू लेकर आ मैं ऊपर रखती हु !”,मैंने कहा और सामने रॉ की और बढ़ गयी जो की मेरी हाइट से बहुत ऊपर थी ! मैंने पास पड़ी कुर्सी खिसकायी और उस पर खड़े होकर रखना शुरू किया !
कोमल एक एक करके बोतल मुझे पकड़ा रही थी और मैं उन्हें लाइन से रखते जा रही थी ! वैसे दोस्त की मदद करके अच्छा भी लग रहा था ! हमने काफी सारे बॉटल्स रखे थे ! जगह कम होने की वजह से मैंने कुछ को पीछे खिसका दिया जिस से नयी बॉटल्स रख सकू ! बॉटल्स जमाकर निचे उतरी तो कोमल मुझे काउंटर पर ले आयी ! बहुत बड़ा काऊंटर था शायद 15 से 20 फुट तक का जिसमें बहुत सारी मिठाईया रखी थी ! और पीछे छोटे छोटे बॉक्स में और भी खाने का सामान ! अब अंकल जी ने सबकी क्लास ली हुई थी इसलिए सब काम में लगे थे मुझे लगा मुझे भी कुछ करना चाहिए तो मैंने पीछे बने बॉक्स को साफ करना शुरू किया ! अच्छा ऐसे मामलों में मैं बहुत क्रिएटिव इंसान हु मुझे चीजों को नए ढंग से जमाना बहुत पसंद है या यु कहो आदत है ! वहा भी मैंने वही किया कुछ चीजों के बॉक्स बदल दिए ! एक लड़का कुछ सामान लेने आया काफी देर से बॉक्स ढूंढ रहा था लेकिन नहीं मिला मैं समझ गयी मेरा ही किया धरा है मैंने कोमल को इशारे से दुसरा बॉक्स बताया ,, वहा से निपटकर कोमल मुझे किचन में ले आयी जहा हमारी स्वीट सी महिमा कुछ बना रही थी और उसकी स्मेल बहुत अच्छी थी ! कोमल ने दो टिफिन पैक किये और कहा चलो चलते है ! मैंने पूछा कैसे जायेंगे ? तो वो बोली बाइक से ! देखो मेरी दोस्त कितनी टेलेंटेड है उसे बाइक चलाना भी आता है ! मैंने कहा नहीं लूना से से जायेंगे ! “पर लूना से क्यों ?”,वो चौंकी !
“क्योकि मुझे लूना चलानी है ! प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ !”,मैंने कहा !
लूना लेकर हम निकल गए ! टिफिन मेरे हाथ में और लूना चला रही थी वो क्योकि उन गलियों में चलाना मेरे बस की बात नहीं थी ! लूना को मैंने इसलिए पसंद किया क्योकि इसके सामने की हेड लाइट बिल्कुल रॉयल इन्फिल्ड की तरह दिखती है हां थोड़ी गरीब दिखती है पर फील कुछ कुछ वैसा ही आता है उस पर बैठकर ! रॉयल इन्फिल्ड मेरी फेवरेट है और कुछ ही महीनो पहले कबीर सिंह देखी थी तो बस फितूर चढ़ गया की रॉयल इन्फिल्ड पर फोटो चाहिए ! वो तो मिली नहीं तो लूना से ही काम चला लिया ! छिबरामऊ की सड़को पर हमारी लूना दौड़े जा रही थी और फिर रुकी एक शॉप के सामने आकर जहा कोमल को वो एक टिफिन पहुँचाना था ! अगला टिफिन देना था बैंक में काम करने वाली दीदी को ! उस से मिलकर उसे राजस्थान आने का कहकर हम लोग वहा से निकल लिए ! गलियों की खाक छानते हुए बढे जा रहे थे ! कोई मंजिल नहीं बस गलिया ही गलिया तभी सामने से एक रिक्शा गुजरा जिसके पीछे लिखा था – हंस मत पगली प्यार हो जाएगा ! हम दोनों ही हंस पड़े हां ये गनीमत थी उन भैया जी से प्यार नहीं हुआ ! आगे बढे तो कोमल ने कहा चलो अपनी एक दोस्त से मिलवाते है ! उनके घर पहुंचे बरामदे में दो आंटी और एक उसकी दोस्त थी ! दोनों आकर बैठे तो पास बैठी आंटी से परिचय करवाया कोमल ने की ये मेरी राजस्थान वाली दोस्त है ! राजस्थान नाम सुनते ही आंटी बताने लगी की कुछ दिन पहले ही वो मेरे शहर के पास ही जाकर आयी थी जहा कोई जगराते का फंक्शन था और उन लोगो ने स्पेशली राजस्थानी खाने का बंदोबस्त किया था ! अब आपको बता दू की राजस्थानी खाने में यु तो बहुत आइटम होते है लेकिन वो जगराते का फंक्शन था इसलिए वहा बना था दाल , चूरमा , बाटी और गट्टे की सब्जी ! अब कानपूर साइड वालो को आदत है चावल खाने की तो उनका बच्चा रह गया भूखा ! उन्हें ये भी नहीं पता था की दाल चूरमा खाते कैसे है ? बेचारे चम्मच से खाकर भूखे रह गए होंगे ! दाल चूरमा खाया जाता है हाथ की पांचो उंगलियों से और उसका जो स्वाद होता है वो कभी ना भूलने वाला स्वाद होता है ! खैर कुछ देर इधर उधर की बातो के बाद आंटी ने पूछा छिबरामऊ कैसा लगा ?”
“बहुत अच्छा है आंटी , और यहाँ के लोग इस से भी ज्यादा अच्छे है !”,मैंने कहा
“फिर तो इधर ही करा देते है तुम्हारी शादी !”,आंटी ने कहा !
अरे रे ये क्या कह दिया आंटी ने कश्मीर के सेव भी इतने लाल नहीं होंगे जितने उस वक्त मेरे गाल थे ! अब तक मैं सख्त थी लेकिन अब पिघल गयी मैंने शरमाते हुए निचे देखते हुए कहा,”क्या आंटी आप भी ! “
“अरे क्या क्या ? फिर इधर ही रहना अपनी दोस्त के घर !”,आंटी ने कहा कोमल को बैठे बैठे हंसी आ रही थी ! जल्दी आने का वादा करके हम लोग वहां से निकल गए ! उसके बाद शुरू हुई हमारी लॉन्ग ड्राइव ! यहाँ लड़कियों को मैं एक बताना चाहूंगी की आप बॉयफ्रेंड के साथ कितनी भी बार बाइक पर बैठे होंगे , लॉन्ग ड्राइव गए होंगे लेकिन बेस्ट फ्रेंड के साथ ड्राइव पर जाने का जो मजा है ना कसम से वर्ल्ड की सबसे बेस्ट फीलिंग है ! हम गए थे एक मंदिर जहा का वातावरण काफी शांत था ! कुछ तस्वीरें खींची कुछ बाते हुयी और फिर मैंने लूना चलायी जिसका बहुत ही अटपटा विडिओ बनाया हमारी दोस्त ने !! खैर बहुत मजा आया वहा घूमकर ! घर से फोन आने लगे थे इसलिए लौटना पड़ा ! घर आये और आते ही आंटी ने खाना लगा दिया भूख भी जोरो से लगी थी तो खाने बैठ गए ! आज भी मैंने ही उसे अपने हाथ से खिलाया ! खैर खाना खत्म हुआ अब हमारे वापस जाने का समय धीरे धीरे नजदीक आ रहा था ! उसी शाम निकलना था भैया ने टिकट बुक करवाने को कहा तो एक बार फिर मैं और कोमल निकल गए लेकिन इस बार बाइक से ! मुझे चलानी आती है लेकिन ज्यादा नहीं इसलिए कोमल ने ही चलाई ! गलियों से घुमाते हुए पहुंचे टिकट बुक करवाने टिकट बुक करवाई और उसके बाद वो मुझे लेकर आयी अपनी डांस टीचर के घर ! शी इज सो ब्यूटीफुल एंड सच अ स्वीट पर्सन ! वह रूके कुछ देर बात की और निकल गए क्योकि वक्त हो रहा था ! शाम के 5 बज रहे थे और 7 बजे हमारी बस थी ! घर आये तो गब्बो के सुंदर सुंदर हाथ देखकर मेहँदी लगाने का मन किया और मैंने लगा दी ! आंटी ने देखा तो उन्हें बहुत पसंद आयी और कहा शादी में सबको मेहँदी अब तुम ही लगाना ! सबसे इतना प्यार मिल रहा था ना की वहा से आने का मन नहीं कर रहा था ! लेकिन आना तो था ही , घूमने फिरने के चक्कर में शाम की चाय नही पि पाए तो कोमल से कहा उसने श्रेयस से कहा वो पागल ठंडी चाय ले आया ! खैर उसके बाद दोस्त ने अपने हाथ से बनाकर पिलाई ! वक्त निकलता जा रहा था और चेहरे की ख़ुशी अब उदासी में बदलने लगी थी ! मैंने कोमल के हाथ पर भी अपने और हमारे जय जीजू के नाम का टेंटू बना दिया ! बैग पैक किया और सबके साथ निचे चले आये लेकिन कोमल मेरा हाथ छोड़ने को बिल्कुल तैयार नहीं थी !
सब निचे आये आंटी ने जाने से पहले मिठाई और रास्ते में खाने के लिए कुछ सामान पैक करके रख दिया ! जाने से पहले उन्होंने हमारे लिए डोसा बनवाया और खाने को कहा ! जाने से पहले आखरी बार उसे अपने हाथ से खिला रही थी उसकी आँखों में जो नमी थी वो साफ महसूस हो रही थी ! कोई मुझसे इतना प्यार कर सकता है ये जानकर दिल बहुत खुश था ! डोसा जल्दी जल्दी ख़तम किया क्योकि बस का समय हो गया था ! दादी से मिले आंटी से भी मिली उन्हें थैंक्यू कहा और राजस्थान आने के लिए भी कहा ! ! बाहर आकर अंकल से मिली उन्हें कोमल की शादी के बाद राजस्थान आने को कहा ! मैंने उनको बहुत करीब से देखा वो सच में बहुत क्यूट है यार और हँसते है तब उनकी आंखे छोटी छोटी हो जाती है ! !
रिक्शा में बैग रखकर हम सब बैठ गए ! मेरा हाथ थामे कोमल मेरे साथ श्रेयस महिमा और भैया हमारे सामने ! बस स्टेण्ड पहुंचे मैं कोमल महिमा एक साइड खड़े थे चाचा पहले से वहा मौजूद थे सीट के जुगाड़ में ! टिकट लेकर सारे के सारे बस के पास खड़े हो गए ! दोस्त की आँखे नम फिर भी कोशिश कर रही थी मुस्कुराने की ताकी मैं ना देख लू ! कुछ देर खड़े रहने के बाद कोमल ने कहा की जाने से पहले तस्वीर ले लू” उसने हम सबकी साथ में तस्वीरें ली ,, उस वक्त मैं ये सब भूल चुकी थी ध्यान सिर्फ अपनी दोस्त पर था ! उसकी आँखों पर था ! सीट मिल चुकी थी बैग लेकर मैं और भैया बस में चढ़ गए ! इस बार मैंने खिड़की वाली सीट नहीं ली क्योकि मैं कोमल को खुद से दूर होते हुए नहीं देख सकती थी ! उसका उदास चेहरा और नम आँखे मुझे वापस जाने नहीं देता ! (ये लिखते हुए भी मेरी आँखों में आंसू आ रहे है , किसी का साथ मुझे इतना भावुक बना देगा मैंने सोचा नहीं था) तभी श्रेयस खिड़की पर दिखा उसे दोस्त ने उठाया हुआ था ! श्रेयस ने अपनी और आने का इशारा किया जब मैं आयी तो उसने मेरे गाल पर किस किया ! सो स्वीट बदले में मैंने दोनों गालो पर किया ! बस चल पड़ी और मैं उदास आँखों से उन सबको खुद से दूर जाते देखती रही !!
बस वहा से रवाना हो चुकी थी भैया कोमल और उसके परिवार वालो की तारीफ करते नहीं थक रहे थे ! कोमल से तो वो बहुत ज्यादा इम्प्रेस थे ! गलत मत समझियेगा दरअसल भैया को कोमल का सरल व्यवहार और उसकी सोच बहुत पसंद आया ! आखिर दोस्त किसकी थी हमारी , तो पसंद तो आनी ही थी सबको ! खैर बस अभी कुछ ही दूर चलकर स्टेण्ड पर रूक गयी ! भैया कानो में ईयर फोन लगाकर मोबाइल में बीजी थे और मैं ख़ामोशी से बैठकर फोन में अपनी और कोमल की तस्वीरें देख रही थी ! तभी नजर सामने गयी मेरी दांयी और वाली सीट से आगे वाली सीट पर बैठा वो सख्स काफी देर से मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था मैंने गौर से देखा तो याद आया ये वही आदमी था जो आते समय मेरे पीछे वाली सीट पर था ! फॉर्मेलिटी के लिए मैंने भी हेलो कह दिया ! उसके बाद बंदा शुरू हो गया और कहने लगा,”तबसे आपको देख के लग रहा था आप तो वही है जो साथ में आये थे ! अभी वापस जा रहे हो क्या ?”
“हम्म !”,मैंने हां में गर्दन हिला दी !
“अच्छा अच्छा , मैं भी वापस जा रहा हु ! शनिवार को आता हु सोमवार को वापस चला जाता हु ! फैमिली तो यही है ना इसलिए आना पड़ता है ! आप जयपुर जा रही है !”,वह नॉनस्टाप बोलता गया !
“जी !”,मैंने फिर संछिप्त उतर दिया जिस से वो समझ गया की मैं आगे बात करने के मूड में नहीं हु ! वह अपनी जगह से उठा और आगे वाली सीट पर जाकर कुछ लोगो के बिच बैठकर बतियाने लगा ! ये उन्ही लोगो में से था जो होते है ना बसों और ट्रेनों में घर वाला माहौल बना लेते है ! इन्हे सबसे कोई ना कोई रिश्ता जोड़ना होता है ! खैर बस ने रफ़्तार पकड़ ली ! रात का सफर एक बार फिर शुरू हो चुका था ! खाली सड़को पर बस एक बार फिर दौड़े जा रही थी और पीछे छुट्ता जा रहा था छिबरामऊ ! यहाँ आने के वक्त जो ख़ुशी थी वो अब उदासी और पीड़ा में बदल चुकी थी ! लेकिन मैं फिर भी खुश थी क्योकि दो महीने बाद मुझे वापस यही आना था ! घंटे भर बाद बस रुकी और कंडक्टर ने कहा,”जिसको पिशाब पानी करना हो कर ले बस आगे नहीं रुकेगी !”
भैया उठे और निचे उतर गए अब मैंने खिड़की वाली सीट पर कब्जा जमा लिया ! ये बस काफी अच्छी थी क्योकि खिड़की के जस्ट निचे ही चार्जिंग प्लग था ! अब हम जैसे लोगो को और क्या चाहिए भला ! मैंने चार्जर लगाया और फोन लेकर नोटिफिकेशन चेक करने लगी ! फेसबुक , व्हाट्सप्प , प्रतिलिपि नोटिफिकेशन से भरे पड़े थे ! एक एक करके सबको चेक किया ! तीन दिन से फोन को बहुत कम वक्त दे पायी थी जिससे एक बात समझ आयी की फोन के बिना भी जिंदगी बेहतर नहीं बल्कि बहुत खूबसूरत भी होती है ! अगर कोमल जैसी दोस्त साथ में हो तो ! 10 बजने को थे लेकिन नींद आँखों ने बिल्कुल नहीं हालाँकि भैया अपनी आँखे मूँद चुके थे ! तभी कोमल का मेसेज आया वो एक वॉइस मेसेज था ऑन किया तो उधर से हमारे श्रेयस बाबू की आवाज उभरी ,”अरे दीदी वापस आजाओ , बिल्कुल मन नहीं लग रहा !” मेरे होंठो पर प्यारी सी मुस्कराहट आ गयी और मैंने लिखकर भेज दिया,”मिस यू बाबू , जल्दी ही आएंगे कोमल की शादी में !”
उसके बाद कोमल ने कुछ तस्वीरें भेजी जिसमे श्रेयस उदास दिख रहा था बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था उसे ऐसे देखकर ! कोमल से बाते करते हुए भी आँखों में बार बार आंसू आ रहे थे जिन्हे रोक पाना बहुत मुश्किल था ! ! कोमल के साथ साथ बेबी और मेरी एक और दोस्त निशा भी ऑनलाइन आ गयी ! निशा की शादी सूरत हुयी है लेकिन इन दोनों वो मेरे शहर ही थी वो भी बेबी की तरह मेरी स्कूल फ्रेंड है ! अच्छा वो दोस्त ही क्या जो आपको ताने ना दे ! निशा ने ऑनलाइन देखा और मेसेज कर दिया,”कमीनी (वो मुझे हमेशा इसी नाम से गाली देती है) कोमल से मिलने तो इतनी दूर चली गयी मैं घर के इतने पास हु लेकिन मुझसे मिलने नहीं आयी !”
सही बात थी लेकिन मैंने कहा,”तुम लोगो के साथ पूरा बचपन , जवानी गुजार दी उस से तो आज मिली हु ! चिंता मत कर तुझसे मिलने भी आउंगी !”
खैर सबके साथ बाते लम्बी चली 12 बजने को आ गए ! कोमल के बारे में सोचकर मैंने उसे सोने के लिए कह दिया ! सब ऑफलाइन जा चुकी थी ! भैया भी सो चुके थे इसलिए मैंने फोन में अपने पसंदीदा गाने लगाए और कानो में ईयर फोन लगाकर सीट से सर लगा लिया ! आह कितना सुकून मिलता है यार जब रात का वक्त हो , खिड़की वाली सीट हो , कानो में ईयर फोन और उसमे आपका पसंदीदा गाना बज रहा हो ! वैसे गाने मुझे हमेशा से पसंद रहे है ! मैं कोर्स की किताबो से ज्यादा गानो के लिरिक्स याद रखती थी हालाँकि मेरी आवाज बिल्कुल अच्छी नहीं है फिर भी मैं हर वक्त गुनगुनाती रहती हु ! गाने सुनते हुए सफ़र काफी अच्छा लग रहा था ! कुछ देर बाद गाड़ी आगरा हाईवे से होकर गुजरी और मैंने जो नजारा देखा वो अब भी मेरी आँखों में बसा हुआ है ! इतना खूबसूरत की मेरी पलको ने झपकने से इंकार कर दिया ! साफ सुथरी चौड़ी घुमावदार सड़के ! पानी की झील , लाईटे और ठंडी हवाएं ! जो लोग मरने के बाद स्वर्ग देखने की बाते करते है उन्हें मैं बताना चाहूंगी की मरने से पहले एक बार भारत घूमिये आप जीते जी स्वर्ग देख सकेंगे ! हां सच में वो जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं थी ! हालाँकि वो एक हाइवे ही था पर वो भारत का हिस्सा था और उस वक्त बहुत खूबसूरत दिखाई दे रहा था ! सीट से सर लगाए गाने सुनते हुए मैं बस उस नज़ारे को देखती रही ! कुछ देर बाद आँख लग गयी खुली तो रात के एक बजे एक ढाबे के सामने थे ! भैया और मैं निचे उतरे फ्रेश हुए ! मेरी आँखे हालाँकि अभी भी भारी लग रही थी मैंने मुंह धोया ! भैया और मैं कुर्सी लेकर टेबल के सामने बैठ गए ! भैया ने एक प्लेट खाना आर्डर किया क्योकि दोनों को ही भूख कम थी ! दाल , पानी वाली आलू की सब्जी जिसमे सिर्फ पानी ही था आलू ढूंढना पड रहा था ! चावल और तंदूरी नान थे ! सलाद के नाम पर दो प्याज के टुकड़े जो मुंह टेढ़ा करके पड़े थे और एक दुबली पतली हरी मिर्च जिसे देखकर मन कर रहा था उस से पुछु की तुम्हारी मम्मी ने तुम्हे कभी कॉम्प्लान नहीं पिलाया ! खैर चार नान थे जो की सख्त थे हां हां मुझसे भी ज्यादा भैया आराम से खा रहे थे उन्हें खाता देखकर मैंने भी खाना शुरू किया ! दाल अच्छी थी और अब तक कोमल के घर दाल चावल खाने की आदत भी हो चुकी थी इसलिए मैंने वहा भी वही खाया ! हमरे आस पास मौजूद लोगो में से कोई सब्जी के लिए चिल्ला रहा था तो कोई रोटी के लिए और कोई चावल मांग रहा था ! मेरे सामने बैठा बंदा काफी देर से परेशान हो रहा था की उसका आर्डर नहीं आया था और आखिर में वह लड़के पर गुस्सा भी कर बैठा ! खैर कुछ देर बाद उसका आर्डर आया चार सख्त रोटी और एक कटोरी पानी वाली सब्जी ! मैंने मन ही मन सोचा साला इस सब्जी के लिए इतना गुस्सा हो रहा था ! ये पानी तो सामने वाले नल से ही भर लेता !” खैर हमारी चार रोटियां ख़त्म और थोड़ी भूख बाकी थी भैया ने देखा उनकी साइड में बैठा बंदा पनीर खा रहा है तो उन्होंने कहा,”एक प्लेट पनीर मंगवा ले !”
“आपको खाना हो तो मंगवा लो , मुझे इतनी भूख नहीं है !”,मैंने कहा
“अब तुम भी खाओ तो मंगवा लूंगा वरना अकेले तो रहने दो !”,भैया ने मायूसी से कहा !
हाय ऐसा तो कभी मेरे वाले बन्दे ने भी नहीं कहा था की बाबू तुम नहीं खाओगी तो मैं भी नहीं खाऊंगा ! बात पनीर की थी इसलिए मैंने कहा,”मंगवा लो !”
एक प्लेट शाही पनीर और चार नान फिर आये ! खाया और आकर बस में बैठ गए ! इस बार फिर भैया खिड़की वाली साइड थे ! खैर कोई नहीं मुझे बुरा नहीं लगा आदत हो चुकी थी ! मैं सीट पर बैठी ! यहाँ से कुछ वेटिंग वाले यात्री भी हमारी बस में सवार हो गए ! सीट वोटिंग में होने की वजह से वो लोग निचे गेलेरी में ही बैठ गए ! बस चल पड़ी मैंने आँखे मुंदी और सीट से लगा ली ! नींद आ गयी ! एक लम्बे सफर के बाद बस सुबह के 4 बजे फिर से एक ढाबे पर रुकी और मेरी आँख खुल गयी ! मैंने देखा एक 26-27 साल का लड़का फ़ैल के सोया हुआ है और उसका सर बिल्कुल मेरे पैरो के पास है वो भी ऐसे की मैं अपना पांव नहीं हिला सकती ! पीछे से कुछ लोग उतर रहे थे जब उन्होंने लड़के को निचे फैले हुए देखा तो लगे भुनभुनाने ! लेकिन मजाल है बन्दा अपनी जगह छोड़ दे ! उसने करवट ली और जाने के लिए लोगो को रास्ता दे दिया उसके कपडे मिटटी में हो चुके थे ! मैंने भी अपना पैर निकाला और भैया से चाय का पूछा ! वो नींद से ग्रस्त मोटा इंसान उसने कहा तुम जाकर पि लो मैं सोऊंगा ! मेरे उठते ही वो सर खिड़की से लगाकर अपने पैरो को सीट पर पसारकर सो गए ! आँखे मसलते हुए मैं निचे उतरी ! वहा और भी बसे रुकी हुई थी ! ढाबा काफी दूर में फैला हुआ था जिसमे दो चार दुकाने थी ! मैंने एक दुकानवाले से वाशरूम के बारे में पूछा फ्रेश होकर आयी ! मुंह धोया तो नींद उडी और आकर एक दुकानवाले से पूछा,”भैया चाय मिलेगी !” उसने मुझे देखा जैसे मैं दूसरी दुनिया से आयी हु और कहा,”दूध ख़त्म हो गया कुछ देर रुको फिर बनवा देंगे !”
“नो थेंक्स , मैं कही और से पि लुंगी !”,कहकर मैंने कुछ ही कदम बढ़ाये की मेरे कानो में एक तेज आवाज पड़ी जो की हाल ही में चर्चित गाने की थी ! “ओह्ह मुझे छोड़कर जो तुम जाओगे , बड़ा पछताओगे , बड़ा पछताओगे !” मैंने पलटकर देखा तो पाया की दुकानवाले की इसमें कोई गलती नहीं थी उसने जो टीवी लगाया हुआ था उसमे इस वक्त यही गाना बज रहा था ! मैं आगे बढ़ गयी सामने दुकान पर चाय बन रही थी उसे एक कप चाय बोलकर मैं वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी ! मेरे बगल वाली सीट पर बैठा लड़का बस के पास खड़ा काफी देर से देखा जा रहा था ! खैर चाय आयी मैंने जैसे ही एक घूंट लिया वो गाना याद् आ गया – पछताओगे ! सही कहा था उसने चाय बिल्कुल फीकी और अजीब ! बड़ी मुश्किल से वो गले से निचे उतरी मैंने चाय वाले को पैसे देते हुए कहा,”आपके पास गर्म पानी है क्या ?”
“है ना मैडम”,आदमी ने कहा
“हां तो फिर उसी का नाम चाय रख दो ना , ये दूध क्यों वेस्ट कर रहे हो ?”,मैंने खीजते हुए कहा और निकल गयी वो शायद मेरी बात नहीं समझा होगा ! बस के पास आकर पूछा तो उसने कहा की बस 15 मिनिट बाद चलेगी ! सोचा भैया 15 मिनिट और सो ले इसलिए निचे ही रुक गयी और वही फुटपाथ पर घूमने लगी ! चाय पीकर मूड तो पहले ही ख़राब हो चुका था ! इधर उधर घूमते हुए वक्त भी बहुत धीरे गुजर रहा था ! मैं बस के पास आखिर छोर पर जाकर खड़ी हो गयी ! घूमते घामते वही लड़का आया जो पिछले कुछ मिनटों से मुझे किसी ना बहाने देख रहा था ! वह आकर कुछ ही दूरी पर खड़ा हो गया और कहा,”हाय !”
“हम्म हाय”,मैंने बिना उसकी और देखे कहां !
“चाय !”,उसने बात आगे बढ़ाने के लिए कहा !
“नहीं !”,अब भी मेरी नजरे सामने खड़ी बस पर लिखे शब्दों पर थी
“कॉफी !’,उसने फिर कोशिश की
“नहीं !”,मेरी नजर अभी भी सामने ही थी !
“ठंडा !”,उसने थोड़ा प्यार से कहा !
“जी नहीं !”,मैंने थोड़ी खीजता से कहा लेकिन नजर अब भी सामने ही थी ! लेकिन उस बन्दे को बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था की मैं आधी रात को उस से बात करने के मूड में नहीं हु ! उसने एक इतनी गहरी साँस ली और कहा,”दारू !”
इस बार मेरा माथा ठनका मैंने उसकी और देखा और कहा,”है क्या ?” उसे शायद अंदाजा नहीं था की मैं ऐसा कुछ बोलूंगी उसके बाद वो कुछ बोलता इस से पहले ही बस स्टार्ट हो चुकी थी ! मैं आकर अपनी सीट पर बैठ गयी और कानो में ईयर फोन लगाकर आंखे मूंद ली ! अपने पसंदीदा गानो के साथ मैं खुश थी ! गाने सुनते सुनते आँख लग गयी ! इस बार आँख खुली तो बस जयपुर में थे ! बस ईदगाह चौराहे पर आकर रुकी ! मैं और भैया अपने अपने बैग के साथ निचे उतर गए ! रिक्शा किया अपना सामान रखा और वहा से बस स्टेण्ड के लिए निकल गए ! बस स्टेण्ड आकर भैया ने शहर के लिए दो टिकट ली और सामने लगे चाय के स्टाल के पास आकर दो चाय आर्डर की ! ये चाय अच्छी थी ! चाय पीकर बस में बैठे भैया को भी खिड़की वाली सीट चाहिए थी और मुझे भी इसलिए हम दोनों ही अलग अलग सीटों पर बैठ गए ! मेरे साथ वाली सीट पर एक 10-12 साल की बच्ची बैठी थी बहुत प्यारी थी और हमारे आगे वाली सीट पर उसके मम्मी पापा और उसके दो छोटे भाई थे ! हमारे साइड वाली सीट पर एक लेडी अपने पति और बेटे के साथ थी ! लड़की रास्ते भर मुझसे कुछ ना कुछ पूछते जा रही थी ! मेरी नजर साइड में उस आंटी पर गयी जो की बार बार अपने बैग से निकालकर चॉकलेट्स खा रही थी ! हां हां वही जो आप लोग सोच रहे है , मेरा भी मन कर रहा था खाने का लेकिन ऐसे किसी से मांग थोड़े सकते है ! मैंने गर्दन घुमा ली सोचा उस तरफ देखना ही नहीं है लेकिन मेरी गर्दन उस और बार बार घूम ही जाती ! फिर याद आया मेरे पास तो बच्ची है ना मैंने उसे आंटी की और देखने का इशारा कीया तो उसने कहा,”लेकिन मम्मी ने तो बोला है कोई कुछ खाने को दे तो कभी नहीं लेना !”
“अरे वो सब बेकार की बाते है ! तुम उनकी तरफ देखती रहो अगर वो तुम्हे दे तो मेरे लिए भी ले लेना !”,मैंने कहा
वो मान गयी अब चॉकलेट का लालच भला कोई छोड़ सकता है ! उस वक्त मैं भी उसके साथ बच्ची बन चुकी थी ! प्लान सक्सेस हुआ दोनों को चॉकलेट मिल चुकी थी ! खाने के बाद मुझे खुद पर ही हंसी आ रही थी ! मैं ऐसी कोई हरकत करुँगी मुझे यकीं नहीं हुआ ! खैर वो बच्ची और उसके मम्मी पापा मेरे शहर से कुछ दूर पहले ही उत्तर गए और जाने से पहले बच्ची ने मेरे गाल पर किस करके कहा,”आप बहुत स्वीट हो दीदी ! बाय”
एक गुदगुदाने वाला अहसास था उस वक्त ! कुछ देर बाद मैं अपने शहर में थी ढेर सारी यादो के साथ ! कोमल से मिलने का मेरा सपना पूरा हो चुका था ! साल 2019 का ये मेरे लिए सबसे खूबसूरत तोहफा था जिसके लिए मम्मी और भैया को दिल से शुक्रिया कहा ! अब कुछ बाते मेरी दोस्त के बारे में – कोमल सिर्फ मेरी दोस्त ही नहीं है बल्कि कभी कभी हमारा रिश्ता बहनो तो कभी माँ बेटी में बदल जाता है ! उसे जब कुछ समझाने बैठो तो कहेगी ठीक है माँ ! और मुझे सुनकर अच्छा भी लगता है ! वो अपने पापा का बेटा है ! बहुत कम उम्र में उसने खुद को मेच्योर बना लिया है ! सारे काम करती है , बाइक चलाना , मार्केटिंग , हिसाब किताब , अकेले सफर सब कर लेती है कुल मिलाकर वो हमारी गेंग की सबसे जिम्मेदार और समझदार लड़की है ! मुझे उस पर गर्व है और हमेशा रहेगा ! मैं ये रिश्ता जिंदगीभर रखना चाहती हु और चाहती हु की हर जन्म में मुझे वो ही दोस्त के रूप में मिले ! मेरे अच्छे बुरे वक्त में उसने मुझे बहुत सपोर्ट किया है ! साला इतना प्यार कौन करता है किसी से ? खैर मैं खुश हु की वो मेरे साथ है ! मेरी फ्रस्ट्रेशन , मेरा गुस्सा , मेरी नाराजगी और सबसे ज्यादा मेरी गालिया ,, सब उसने हसते हसते मंजूर कर लिया ! उसी की वजह से आज मैं प्रतिलिपि पर हु उसी के लिए मैंने यहाँ लिखना शुरू किया था और आज मैं जो कुछ भी हु आपके सामने हु ! मैंने कही पढ़ा था जब सब आपका हाथ और साथ छोड़ देते है तब कुदरत किसी को भेजती है ! कोमल मेरे लिए कुदरत का भेजा फरिस्ता ही तो है ! इसके बारे में जितना भी लिखू कम ही होगा ! ईश्वर से प्रार्थना है की उसे दुनिया की सारी खुशिया मिले और वो हमेशा हसती मुस्कुराती रहे !
सफर ख़त्म हो चुका है लेकिन मुझे इंतजार है फिर से इस सफर का !
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समाप्त
संजना किरोड़ीवाल
Aap sach kaha tha apni dosth ke sath uski sher mei long drive par jaana sach mei ek koobsurat ehsas hai meri zindagi mei bhi aisa hua tha…kidki ke pass wala seat mei baitthe apni mann pasand ka gaane sunne ke majha aur who kushi shabdom mei bata nahi sakthi..aaj bhi me who purane aadat nahi chod diya 😍😍😍😍 thank u aapki wajse muje who Sare pal yaad aagayi sath sath muskarane bhi lagi😊😊