Category: Short Story

“तेरे शहर में”

Tere shahar me आख़िरकार हाथ जोड़कर पैर पड़कर मैंने घरवालों से अपनी दोस्त के शहर जाकर उस से मिलने की परमिशन ले ही ली ! ‘कोमल गुप्ता’ मेरी दोस्त जो की दूसरे शहर नहीं बल्कि दूसरे राज्य से है – कानपूर...

मेरा पहला और आखरी सावन

Mera Pahla Or Aakhri Sawan मेघा की शादी के दो दिन बाद ही विक्रम उसे छोड़कर चला गया। ऐसा नहीं था की वह अपनी नयी नवेली दुल्हन से प्यार नहीं करता था या उसके साथ वक्त नहीं बिताना चाहता था लेकिन...

मेरे पापा – बचपन की नांव

Mere Papa-Bachpan Ki Naw 30 साल के अभिमन्यु को उस वक्त गुस्सा आ गया जब उसके पापा ने अपना नजर वाला चश्मा तीसरी बार तोड़ दिया था। वह टूटा हुआ चश्मा लेकर अपने पापा के कमरे में आया और गुस्से से...

‘एक लड़की भीगी-भागी सी’

Ik Ladki Bhigi Bhagi Si ‘फालतू बातें मत करो चित्रा , एक ना एक दिन तो बेटी को शादी करके ससुराल जाना ही होता है। ये लोग अभी अभी आये है तू जल्दी से आजा वरना तेरे पापा को अच्छा नहीं...
error: Content is protected !!