“सोलमेट्स” aren’t just lovers – 7
Soulmates aren’t just lovers – 7
भाग – 7
पहली बार चाँदनी के लिए दीपक का गुस्सा फूटा और वो भी इसलिए क्योकि चाँदनी ने साँझ के लिए बहुत ही गलत शब्दों का इस्तेमाल किया लेकिन आज दीपक के थप्पड़ ने चाँदनी को उसकी अहमियत बता दी साथ ही दीपक की कठोर बातो ने चाँदनी को आईना दिखा दिया। रवि के प्यार में अंधी चाँदनी को ये कहा बर्दास्त होता। वह गुस्से से कमरे में गयी , खाली सूटकेस बिस्तर पर रखा और उसमे अपने कपडे और सामान भरने लगी। दीपक सोफे पर आ बैठा और अपना सर पकड़ लिया। उसे एक औरत पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था , गुस्से में ही सही उसे अपनी हदें नहीं भूलनी चाहिए थी ये सोचते हुए दीपक ने अपना
सर झुका लिया। चाँदनी गुस्से से भरी एक के बाद एक सामान उस बैग में ठुसे जा रही थी। उसने बैग बंद किया और उठाकर जैसे ही जाने लगी उसकी नजर बिस्तर के बगल वाली टेबल पर लेम्प के पास रखी फोटो फ्रेम पर चली गयी जिसमे उसकी और दीपक की शादी की तस्वीर थी। चाँदनी ने उसे उठाया और गुस्से से जमीन पर फेंका। फ्रेम टूट चुका था और शीशा कमरे में बिखर गया। कुछ टूटने की आवाज से दीपक उठा और जाने के लिए पलटा तो देखा चाँदनी अपना बैग हाथ में उठाये कमरे से बाहर आ रही थी। दीपक शायद जानता था की ऐसा ही कुछ होने वाला है इसलिए उसने कुछ नहीं कहा वह खामोश रहा। उसकी ख़ामोशी ने चाँदनी के गुस्से को ओर बढ़ा दिया तो चाँदनी ने कहा,”मैं ये घर हमेशा के लिए छोड़कर जा रही हूँ , मुझे रोकने की कोशिश भी मत करना”
दीपक ने सूना तो वह चाँदनी की तरफ आया , उसने चाँदनी के बैग का हेंडल पकड़ा , दूसरे हाथ से चाँदनी का हाथ पकड़ा और दोनों को घर से बाहर ले आया। चाँदनी कुछ समझ नहीं पायी वह अवाक् सी दीपक को देखे जा रही थी उसे लगा दीपक रोयेगा , गिड़गिड़ायेगा उसे रुकने को कहेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ उलटा दीपक ने वहा खड़े रिक्शा में चाँदनी का बैग रखा और उसका हाथ छोडकर कहा,”तुम जा सकती हो”
चाँदनी ने जैसे ही सूना उसका खून खोल गया दीपक का बदला हुआ रूप देखकर वह सकते में आ गयी। सीधे साधे दीपक से उसने इसकी उम्मीद बिल्कुल नहीं की थी। दीपक के चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं थे। आस पास के लोग घरो से बाहर निकल आये , चाँदनी गुस्से से आकर ऑटो में बैठी और उसने ऑटोवाले से चलने को कहा। ऑटो के जाते ही वहा खुसर फुसर होने लगी दीपक ने एक नजर सबको देखा और तेज आवाज में कहा,”यहाँ कोई तमाशा नहीं चल रहा है”
पहली बार सबने दीपक को गुस्से में देखा था। सब अपने अपने घर चले गए। दीपक भी अंदर चला आया । वह अपने कमरे में आया , वहा शीशा बिखरा पड़ा था। दीपक आगे नहीं गया उसने अपने पैरो के सामने पड़ी उस टूटी फूटी फ्रेम को उठाया जिसमे उसकी और चाँदनी की शादी की तस्वीर थी। दीपक ने खुद को रोकने की कोशिश की और आखिर में उसकी बांयी आँख से एक बूंद आँसू निकलकर तस्वीर पर आ पड़ा। दीपक ने उस टूटे हुए फ्रेम को कमरे के बाहर पड़ी टेबल पर रख दिया और खुद आकर सोफे पर बैठ गया। उसका मन अब भारी हो चला था , उसकी भूख मर चुकी थी। उसकी जिंदगी में आया ये तूफ़ान अपने साथ अब और क्या लेकर जाना चाहता था , यही सोचते सोचते दीपक को नींद आ गयी।
उसी रात साँझ के पापा की तबियत खराब होने लगी। अपने पापा की बिगड़ती तबियत को देखते हुए साँझ ने एक बड़ा फैसला लिया। सुबह होते ही उसने अपने मम्मी पापा को वापस गांव जाने को कह दिया। साँझ के मम्मी पापा चाहते थे साँझ भी उनके साथ जाये लेकिन साँझ ने कहा की वह अपने रिश्ते को सुधारेगी और अपनी लड़ाई अकेले लड़ेगी। वह नहीं चाहती थी इस माहौल में उसके घरवालों को तकलीफ हो या उन्हें कोई नुकसान पहुँचे। भारी मन से साँझ के माँ-बाप वापस अपने गाँव चले गए। साँझ अब अकेली थी क्योकि पुलिस स्टेशन से जाने के बाद रवि अब तक घर नहीं आया था , साँझ के मन में ढेरो सवाल थे जिनका जवाब सिर्फ रवि के पास था। सच्चाई जानने के बावजूद भी वह रवि का इन्तजार करने लगी।
“मैं साँझ से मिलने जा रही हूँ , अंकल आंटी गांव वापस जा चुके है उन्होंने सुबह ही मुझे फोन करके कहा की मैं उसका ध्यान रखू”,साँझ की बहन ज्योति ने कहा
“तुम कही नहीं जाओगी , तुम्हारी बहन को अपनी इज्जत की ज़रा भी परवाह नहीं है। उसके पति ने उसके साथ इतना बुरा बर्ताव किया और वह अभी भी उसके साथ रहना चाहती है,,,,,,,,,,नहीं तुम उस से मिलने नहीं जाओगी , वहां जाओगी तो उसके साथ साथ तुम्हारी भी बदनामी होगी”,ज्योति के पति ने कहा
“हाँ शायद,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन साँझ ऐसा क्यों कर रही है ? अभी उसकी उम्र ही क्या है वो रवि को छोड़ क्यों नहीं देती ? अच्छे लड़को की कमी नहीं है इस दुनिया में , मैं साँझ को समझाउंगी की वह रवि को छोड़ दे और मरने दे उसे उस लड़की के पीछे”,ज्योति ने कहा
“मुझे तो उसके पति पर तरस आ रहा है , बेचारा कैसे सामना करेगा लोगो का ?”,ज्योति के पति ने कहा
“भगवान उन दोनों को इस तकलीफ से उबरने की हिम्मत दे , बहन होने के नाते ना सही एक औरत होने के नाते क्या तुम मुझे साँझ से मिलने दोगे प्लीज ?”,ज्योति ने अपने पति से रिक्वेस्ट की
“माफ़ करना कुछ देर के लिए मैं भी ओरो जैसा सोचने लगा , तुम जा सकती हो इस वक्त उसे किसी अपने की जरूरत होगी , मैं शाम को तुम्हे लेने आ जाऊंगा”,ज्योति के पति ने कहा तो ज्योति साँझ से मिलने चली गयी।
दीपक और साँझ पूरी तरह अकेले पड़ चुके थे साँझ के साथ फिर भी उसकी बहन थी लेकिन दीपक वो तो एकदम से अकेला पड़ चुका था। उसकी नौकरी जा चुकी थी और फ़िलहाल के लिए उसके पास कोई नया काम भी नहीं था। वह घर से बाहर निकलता तो लोग उसका मजाक उड़ाते , दोस्त उस से मिलने से कतराते , रिश्तेदार जब भी फोन करते उसे समझाते लेकिन किसी ने ये जानने की कोशिश नहीं की के दीपक क्या चाहता है ? देखते ही देखते 1 हफ्ता गुजर गया और इस एक हफ्ते ने जहा दीपक को अंदर तक तोड़ दिया वही साँझ को थोड़ा मजबूत बना दिया। सुबह दूधवाले की आवाज सुनकर दीपक की नींद खुली , वह पिछले एक हफ्ते से बाहर सोफे पर ही सो रहा था। दीपक उठा और दरवाजा खोला दूधवाले से दूध लिया और जाने लगा तो दीपक की नजर घर की दिवार पर लगे लेटर बॉक्स की तरफ गयी जहा एक लेटर था। दीपक ने उसे निकाला और अंदर चला आया। दूध का पतीला डायनिंग पर रखा और लेटर खोलकर पढ़ने लगा। दीपक ने देखा ये दो दिन पहले आया था और आज उसे कोर्ट में हाजिर होना था , चाँदनी ने डायवोर्स केस फाइल किया था। दीपक का दिल एक बार फिर टूट गया , ऐसा होगा वो जानता था लेकिन इतनी जल्दी होगा इसकी उसे जरा कम ही उम्मीद थी। दीपक उठा और नहाने चला गया। दीपक ने साधारण कपडे पहने और कोर्ट जाने के लिए घर से निकल गया। वह कोर्ट के फर्स्ट फ्लोर पर वकील के चेंबर में पहुंचा उसे चाँदनी रवि के साथ वहा मिल गयी। दीपक ने जब चाँदनी को देखा तो चाँदनी ने जान बूझकर रवि के हाथ को थाम लिया। दीपक का दिल दुखाने के लिए इतना काफी था। चाँदनी का वकील भी वहा मौजूद था इसलिए वह दीपक के पास आया और कहा,”हेलो मिस्टर दीपक”
“हम्म्म”,दीपक ने धीरे से कहा
“आपकी पत्नी चाँदनी आपसे तलाक लेना चाहती है और इसलिए इन्होने ये केस फाइल किया है। अगर आपकी इसमें सहमति हो तो ये बहुत ही आसान होगा और अगर आप इन्हे तलाक देना नहीं चाहते है तो फिर आपको एक वकील हायर करना होगा जो आपके लिए केस लड़ेगा”,वकील ने दीपक को आगे का प्रोसीजर समझाते हुए कहा।
“अगर उसने फैसला कर ही लिया है तो मैं तैयार हूँ”,दीपक ने कहा तो चाँदनी के होंठो पर एक जहरीली मुस्कान तैर गयी।
“बहुत बढ़िया आप बैठिये मैं अभी पेपर तैयार करवा देता हूँ”,वकील ने कहा तो दीपक वही दिवार के पास खड़ा हो गया। चाँदनी इतना गिर जाएगी उसने सोचा नहीं था। चाँदनी मुस्कुराते हुए दीपक के पास आयी और कहा,”मैंने सोचा नहीं था तुम इतनी जल्दी मान जाओगे,,,,,,,,,,,,,,,कही तुम्हारा कोई चक्कर तो नहीं चल रहा ना,,,,,,,,,,,,,,,,,कोई रिश्ता हो किसी से”
“रिश्तो के बारे में तुम बात ना ही करो तो बेहतर हैं,,,,,,,,,,,,,,,,कपड़ो की तरह रिश्ते बदलने का शौक तुम्हे है मुझे नहीं”,दीपक ने शांत लहजे में लेकिन कठोर शब्द कहे जो की चाँदनी का दिल जलाने के लिए काफी थे
“बहुत जल्द तुम मुझे आसमान की उंचाईयों पर देखोगे,,,,,,,,,,,,,एक सच्चा रिश्ता क्या होता है ये मैं तुम्हे दिखाउंगी”,चाँदनी ने घमंडभरे शब्दों में कहा।
“आसमान की उंचाईयों पर उड़ने वाले जब औंधे मुँह नीचे गिरते है तब उन्हें अहसास होता है की जमीन को छोड़ना उनकी कितनी बड़ी भूल थी”,दीपक ने फिर कहा चाँदनी उसे घूरने लगी।
“स्वीटहार्ट तुम क्यों इस आदमी से बहस करके अपना खून जला रही हो ? हम साथ है इस से ज्यादा ख़ुशी की बात और क्या होगी ?”,रवि ने आकर चाँदनी की कमर में अपना हाथ डालते हुए कहा। दीपक ने देखा तो अपनी मुट्ठी भींच ली लेकिन इस वक्त चाँदनी उसके खिलाफ खड़ी थी।
दीपक जाने लगा तो रवि ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”बहुत जल्द मैं तुम्हे हमारी शादी में इन्वाइट करने वाला हूँ”
दीपक ने अपना कंधा झटका और वहा से दूसरी तरफ चला गया। कुछ देर बाद चाँदनी का वकील तलाक के पेपर लेकर आया लेकिन उसके हाथ में दो फाइल थी। दीपक कुछ समझ पाता इस से पहले ही साँझ वहा आयी। साँझ का चेहरा उतरा हुआ था और उसे देखकर लग रहा था जैसे वह अभी रो देगी। चाँदनी के साथ साथ रवि भी साँझ को तलाक दे रहा है सोचकर दीपक को बहुत बुरा लगा क्योकि वह जानता था की इसके बाद साँझ खुद को सम्हाल नहीं पायेगी। वकील अपनी कुर्सी पर आ बैठा। उसने चाँदनी को उन पेपर्स पर साइन करने को कहा। चाँदनी ने बिना किसी झिझक के तुरंत तलाकनामे पर साइन कर दिये।
“मिस्टर दीपक यहाँ साइन कीजिये”,वकील ने दीपक की तरफ पेन बढ़ाते हुए कहा
दीपक ने पेन लिया और साइन कर दिए हालाँकि उसके मन में काफी उथल पुथल मची थी जिसे उसने अपने चेहरे पर बिल्कुल आने नहीं दिया। दीपक साइड हो गया , चाँदनी जहा इस रिश्ते को तोड़कर खुश थी वही दीपक का मन काफी भारी हो चला था। रवि ने भी ख़ुशी ख़ुशी साइन कर दिए वकील ने साँझ को साइन करने को कहा। साँझ के हाथ काँप रहे थे , दर्द से उसका चेहरा लाल पड़ने लगा और आँखों में आँसू भर आये। वह पेन को हाथ में पकडे तलाक के उन कागजो को देखते रही।
“जल्दी करो मुझे और भी काम है”,रवि ने कहा
साँझ को लगा आखरी वक्त में ही सही रवि उसे रोक लेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साँझ ने काँपते हाथो से तलाकनामे पर साइन किये , ऐसा करते हुए उसकी आँख में ठहरा आँसू कागज पर आ गिरा। दीपक ने देखा तो उसे बहुत तकलीफ हुई उसने सामने खड़ी चाँदनी को देखा जो की रवि की किसी बात पर हंस रही थी। दीपक ने मन ही मन खुद से कहा,”काश तुम भी मुझे खोने से डरती”
साँझ अपने आप को रोक नहीं पायी उसने अपने आँसू पोछे और वहा से बाहर निकल गयी। वकील ने तलाकनामे की एक एक कॉपी रवि , चाँदनी और दीपक को दे दी। रवि और चाँदनी ने इस ख़ुशी के मोके पर एक दूसरे को गले लगाते हुए कॉंग्रेट्स कहा। दीपक वहा से जाने लगा तो वकील ने कहा,”मिस्टर दीपक क्या आप जाते वक्त ये पेपर साँझ को दे देंगे ?”
“बिल्कुल वकील साहब वैसे भी मेरे हस्बेंड को आजकल उनकी कुछ ज्यादा ही फ़िक्र होने लगी है,,,,,,,,,,,,,,ऊप्स मेरा मतलब मेरे एक्स हस्बेंड”,चाँदनी ने बेशर्मी भरे स्वर में कहा तो रवि हंस पड़ा। उसकी हंसी दीपक के सीने में किसी फ़ांस की तरह चुभ रही थी। उसने वकील के हाथ से वो पेपर लिया और वहा से निकल गया। दीपक कोर्ट के बाहर आया उसे ऑटो का इंतजार करते साँझ दिख गयी। दीपक ने वो पेपर साँझ को दे दिया , साँझ ने बिना कुछ कहे पेपर लिया और अपने बैग में रख लिया। दीपक जैसे ही जाने लगा , अचानक से वहा दंगा हो गया। कोर्ट के बाहर अनशन पर बैठे कुछ लोगो ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। लोगो ने यहाँ वहा भागना शुरू कर दिया वो भीड़ भाड़ वाला इलाका था। कौन सही था कौन गलत इस वक्त कुछ पता नहीं चल रहा था। साँझ अचानक हुए इस दंगे से घबरा गयी। कुछ ही देर में वहा पुलिस वाले भी आ गए और भीड़ को नियंत्रित करने लगे। एक पुलिस वाला भीड़ को पीछे करने जैसे साँझ की तरफ बढ़ा दीपक बीच में आ गया और अपने हाथो को साँझ के चारो ओर कर दिया जिस से उसे कोई नुकसान ना पहुंचे। भीड़ को धकियाने की वजह से साँझ दीपक की बांहो में आ गिरी। दीपक का ध्यान इस वक्त साँझ पर नहीं था बल्कि वह उसे बचाते हुए भीड़ से बाहर निकलने लगा। दीपक के चेहरे पर परेशानी के भाव थे साँझ दीपक के चेहरे को देखते रही , जिस तरह वह परेशान हो रहा था , लोगो को साइड होने को बोल रहा था , दीपक की आँखो में साँझ को अपने लिए परवाह साफ नजर आ रही थी। ना चाहते हुए भी उसकी आँखे भर आयी और जैसे ही दीपक ने उसकी तरफ देखा उसकी आँखों में भरे आँसू गालों पर लुढ़क आये।
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क्रमश – Soulmates aren’t just lovers – 8
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संजना किरोड़ीवाल
😥😥😥😥😥
Story bahut hi interesting hoti ja rahi 🔥👏👏❤️❤️
Muhja tho bs ab intzaar hai ki Deepak aur Sanchi ka indono ek hogya.