“सोलमेट्स” aren’t just lovers – 5

Soulmates aren’t just lovers – 5

Soulmates
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रवि की बात सुनकर दीपक को एकदम से गुस्सा आ गया और उसने वही सबके सामने रवि को पीटना शुरू कर दिया। साँझ ने अपने पति को पीटते देखा तो उस से रहा नहीं गया और वह बीच में आ गयी। दीपक का हाथ हवा में ही रुक गया उसने अपना हाथ नीचे किया और रवि की तरफ देखते हुए कहा,”सबको अपने जैसा समझना बंद करो तुम दोनों”
कोई कुछ कहता इस से पहले ही दीपक गुस्से में वहा से बाहर चला आया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था की चाँदनी उसके साथ शादी का इतना बड़ा ढोंग कर सकती है। बाहर चाँदनी के मम्मी पापा भी थे। चाँदनी के पापा ने जब दीपक को देखा तो उसके पास आये कहा,”मुझे माफ़ कर दो बेटा मैंने अपनी बेटी की परवरिश ढंग से की होती तो आज हम सबको ये दिन देखना नहीं पड़ता। उसने हमे कही सर उठाने लायक नहीं छोड़ो। उसने तुम्हारी भी जिंदगी बर्बाद कर दी”
“नहीं पापा ये कैसी बातें कर रहे है आप ? चाँदनी ने जो किया उसमे आपकी परवरिश कैसे गलत हुई ? वो नासमझ है उसे अभी रिश्तो की परख नहीं है , आज उसे जो चकाचौंध दिख रही है , कल जब यही चकाचौंध उसकी आँखों में चुभेगी तब उसे अहसास होगा। इन सब के लिए आप और माँ खुद को जिम्मेदार मत समझिये”,दीपक ने अपने ससुर को सम्हालते हुए कहा
“उसने हमे कही मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा बेटा”,कहते हुए चाँदनी के पापा रो पड़े।
“मिस्टर दीपक आपको अंदर बुलाया है”,कॉन्स्टेबल ने आकर दीपक से कहा तो दीपक वापस चेंबर की और बढ़ गया। उसके साथ साथ चाँदनी के पापा भी चले आये। दीपक अंदर आया तो इंस्पेक्टर ने कहा,”मिस्टर दीपक आज की रात तो इन्हे नहीं छोड़ सकते , कल सुबह आप इनके बेल के पेपर ले आईये उसके बाद इन्हे छोड़ देंगे,,,,,,,,,,इन्होने अपने बयान में ये कहा है की ये वहा अपनी मर्जी से गए थे और ऐसे में इनके खिलाफ कोई केस नहीं बनता है लेकिन रातभर इन्हे यही रहना पड़ेगा”
दीपक ख़ामोशी से सुनता रहा इसंपेक्टर ने उन सबसे कुछ पेपर्स पर साइन करवाए। रवि चाँदनी को उन्होंने वही रोक लिया और बाकि सबको घर जाने को कहा। दीपक अपने पापा और ससुर के साथ चेंबर से बाहर जाने लगा। साँझ अभी भी बोझिल आँखों से रवि को देख रही थी। जाने से पहले वह रवि के पास आई और कहा,”मैं आपसे ये नहीं पूछूँगी क्यों ? बस मैं ये जानना चाहती हूँ क्या ये सब सच है ?”
“साँझ मैं तुम्हे इस बारे में बताने ही वाला था , तुम बहुत अच्छी हो एक परफेक्ट वाइफ की तरह लेकिन मैं तुमसे , तुम्हारी इस सिंपल लाइफ से बोर होने लगा था। मुझे एक स्टाइलिश लड़की चाहिए थी जो मेरे साथ पार्टीज में जा सके , जिसे मैं अपने दोस्तों से मिलवा सकू , मैं अपनी लाइफ खुलकर जीना चाहता था और इसके लिए चाँदनी परफेक्ट है”,रवि ने बेशर्मी से कहा , उसे अपने किये का जरा भी पछतावा नहीं हो रहा था।
साँझ ने जब रवि की बात सुनी तो उसे बहुत बड़ा धक्का लगा। अब तक रवि का उसके लिए प्यार और परवाह सब झूठ था। रवि का असली चेहरा और उसके इरादे आज साँझ के सामने थे और वह रो पड़ी। वह उस दर्द को बर्दास्त ही नहीं कर पायी। वह रोते हुए पुलिस स्टेशन से बाहर निकल गयी। दीपक ने जब साँझ को बाहर जाते हुए देखा तो किसी अनहोनी के डर से वह उसके पीछे गया। साँझ रोते हुए सड़क पर चली आयी। रवि का कहा गया एक एक शब्द उसके दिल को चीरते जा रहा था। उसके बालों की लटे चेहरे पर झूलने लगी , वह रोते हुए लगातार हिचकिया लिए जा रही थी। उसकी साड़ी का पल्लू कंधे से लेकर हाथ पर झूल रहा था। बदहवास सी रोते हुए वह सड़क किनारे चली आयी उसे दूर से एक ट्रक आता दिखा। साँझ ने एक बहुत मुश्किल फैसला लिया और सड़क के बीचोबीच आकर खड़ी हो गयी। ट्रक तेज स्पीड में आ रहा लेकिन साँझ को इसकी परवाह नहीं थी आज जैसे उसने खुद को खत्म करने का फैसला कर लिया था

दीपक साँझ का पीछा करते हुए बाहर आया उसने जब साँझ सड़क बीचोंबीच देखा तो घबरा गया। अगले ही पल उसकी घबराहट और बढ़ गयी जब उसने दूसरी ओर से आते ट्रक को देखा। दीपक दौड़कर गया और साँझ की बाँह पकड़कर उसे साइड में किया। ट्रक बिल्कुल उनके बगल से निकल गया।
“मुझे मर जाने दीजिये,,,,,,,,,,,,मैं अब जी कर क्या करुँगी ? मुझे मर जाने दीजिये”,साँझ ने रोते हुए अपनी बाँह छुड़ाकर कहा
“ये क्या कर रही है आप ? क्या मर जाना किसी समस्या का हल है ?”,दीपक ने गुस्से से कहा
“आप नहीं जानते है मेरे साथ क्या हुआ है ? वो मेरे पति है और उन्होंने मुझे,,,,,,,,,,,,,,धोखा दिया है।”,कहते हुए साँझ फिर रो पड़ी
दीपक के लिए इस वक्त साँझ को सम्हालना बहुत मुश्किल था लेकिन उसे करना पड़ा। उसने साँझ की दोनों बाजु पकडे और उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगा,”आपके साथ जो हुआ है वही मेरे साथ भी हुआ है , बस फर्क ये है की मैं आपकी तरह रो नहीं सकता”
कहते हुए दीपक साँझ से थोड़ा पीछे हट गया , दीपक को गुस्से में देखकर साँझ थोड़ा सा सहम गयी , उसकी आँखों में आँसू थे और डर भी। दीपक ने एक नजर साँझ को देखा और कहने लगा,”उन दोनों हमारे साथ जो किया वो गलत है , शर्मनाक है लेकिन जब उन दोनों ने हमारे बारे में नहीं सोचा तो हम उनके लिए जान क्यों दे ?”
“तो मैं और क्या करू ? मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ , मैंने कभी उनके अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचा। मैंने हमेशा उनकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी देखी और उन्होंने मेरे साथ धोखा किया,,,,,,,,,,,,,,वो तुम्हारी पत्नी के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते साँझ रुक गयी और सिसकने लगी। दीपक को ये देखकर अच्छा नहीं लग रहा था। दो लोगो के स्वार्थ की वजह से दो लोगो को कितनी तकलीफ हो रही थी ये वह महसूस कर सकता था। दीपक ने साँझ का हाथ पकड़ा और उसे सड़क के बीचोंबीच वापस ले आया और कहा,”तो फिर हमे साथ मरना चाहिए क्योकि आपके पति ने आपको धोखा दिया और मुझे मेरी पत्नी ने,,,,,,,,चलो साथ साथ मर जाते है ताकि उनके रस्ते आसान हो जाये और वो अपनी जिंदगी ख़ुशी ख़ुशी एक दूसरे के साथ जी सके”

दीपक की बातों से साँझ को अहसास हुआ की सिर्फ उसका ही दिल नहीं टूटा है बल्कि दीपक को भी इस सच्चाई से उतनी ही ठेस पहुंची। वह नम आँखों से दीपक को देखने लगी तो दीपक दूसरी ओर देखते हुए कहने लगा,”धोखा हम दोनों के साथ हुआ है , मन को ठेस पहुंची है लेकिन मरना कोई हल नहीं है। वो दोनों तो यही चाहते है की हम उनके रास्ते से हट जाये लेकिन हमे लड़ना होगा , अपने रिश्ते को बचाने के लिए , शादी शब्द की इम्पोर्टेंस को बचाने के लिए,,,,,,,उन्हें सबक सीखना होगा की उनके इस शर्मनाक फैसले की वजह से दो लोगो की जिंदगी बर्बाद होने वाली है,,,,,,,,,,,,,और ये सब करने के लिए जीना पडेगा , ऐसे हार मान लेना हमे सिर्फ और सिर्फ कायर बनायेगा”
दीपक की बात सुनकर साँझ अहसास हुआ की वह कितनी बड़ी गलती करने जा रही थी। साँझ को खामोश देखकर दीपक ने वहा से गुजरते ऑटो को रोका और साँझ से कहा,”अभी और तमाशा करना है आपको या इतना काफी है ?”,दीपक ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा। साँझ चुपचाप आकर ऑटो में बैठ गयी। दीपक ने अपने ससुर को फोन कर दिया और कहा की सब घर आ जाये। वह साँझ से कुछ दूरी बनाकर ऑटो में बैठ गया और ऑटोवाले से चलने को कहा। दीपक इस वक्त अंदर ही अंदर बहुत टूटा हुआ था और बाहर से गुस्सा,,,,,,,,,,,,,चाँदनी ने जो किया उस से दीपक के मन को एक बहुत ही गहरी ठेस पहुंची थी। वह खामोश बैठा रहा कुछ देर बाद उसे महसूस हुआ की साँझ की आँखों से अभी भी आँसू बह रहे है तो उसने अपनी जेब से रुमाल निकाला और बिना साँझ की तरफ देखे उसकी ओर बढ़ा दिया। साँझ ने रुमाल लिया और अपने आँसू पोछ लिए। साँझ के घर से कुछ कदम पहले आकर रिक्शा रुका लेकिन साँझ बैठी रही वो किसी गहरी सोच में डूबी थी।
“आपका घर आ गया है”,दीपक ने कहा तो साँझ की तंद्रा टूटी वह रिक्शा से उतरी और कहा,”मुझे माफ़ करना”
“हम्म्म घर जाईये , और दोबारा मरने का ख्याल अपने मन में मत लाइयेगा,,,,,,,,,,,,,!!”,दीपक ने बिना किसी भाव के कहा
साँझ वहा से अपने घर चली गयी। जब तक वह अंदर नहीं गयी दीपक ऑटोवाले के साथ वही रुका रहा और फिर वहा से चला गया।
साँझ जैसे ही घर आयी घर में अपने और रवि के घरवालों को देखा तो हैरान हो गयी साथ ही उसकी आँखों से आँसू निकले।
“इन्हे यहाँ मैंने बुलाया है”,साँझ की बहन ने कहा तो साँझ अपनी माँ के गले लगकर रो पड़ी। उसने अपने और रवि के घरवालो को जब सब बातें बताई तो माहौल गरमा गया। रवि की माँ इन सब के लिए साँझ को ही गलत ठहराने लगी और ताने मारने लगी। रवि के पापा और साँझ के पिताजी भी आपस में उलझ गए। मुश्किल से उन्हें अलग किया गया। साँझ ये सब देखकर अपने कमरे में चली गयी और बिस्तर पर गिरकर रोने लगी। उसकी हंसती खेलती जिंदगी में एक ऐसा तूफान आ चुका था जिसने सब तबाह कर दिया। रवि के पापा अपनी पत्नी के साथ उसी वक्त वहा से निकल गए।

दीपक भी एक हारे हुए सिपाही की तरह अपने घर चला आया। उसके पापा और चाँदनी के मम्मी-पापा भी घर आ चुके थे। दीपक जैसे ही घर में आया उसकी माँ उसके पास आयी और उसकी बाँह पकड़कर रोते हुए कहा,”ये सब क्या हो गया बेटा ? बहू ने ऐसा क्यों किया ? उसने हमे कही मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा,,,,,,,,,,,,,,,क्या कमी रह गयी थी उसे जो उसने ऐसा कदम उठाया”
“छोटी माँ को अंदर लेकर जा , मम्मी जी आप भी अंदर जाकर आराम कीजिये”,दीपक ने कहा और खुद आकर अपने और चाँदनी के पापा के सामने बैठ गया।
“बेटा चाँदनी ऐसा कुछ करेगी हम में से किसी ने सोचा नहीं था। उसने जो किया उसके लिए शायद तुम उसे कभी माफ़ ना कर पाओ,,,,,,,फिर भी मैं चाहूंगा की उसे एक मौका दिया जाये। वो नादान है उस लड़के की बातो में आ गयी होगी और ये सब,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे कल सुबह उसे घर लाना चाहिए हम सब बैठकर समझाएगे उसे और कहेंगे की वो अपनी शादीशुदा जिंदगी को इस तरह बर्बाद ना करे”,दीपक के पापा ने दीपक को समझाते हुए कहा
“आपके पापा ठीक कह रहे है बेटा चाँदनी से जरूर गलती हुई है , मैं उसे समझाऊंगा”,चाँदनी के पापा ने कहा
दीपक उनकी बाते सुनकर थोड़ा भावुक हो गया और कहा,”आपने शायद ठीक से सूना नहीं उसने क्या कहा था ? वो मुझसे बोर हो चुकी है , ऐसे में उसे मनाकर मैं घर ले भी आता हूँ तो वो कभी नहीं बदलेगी। वो अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहती है उसे जीने दीजिये,,,,,,,,,,,,,,,,जिस ख्वाबगाह के सपने वो देख रही है उस ख्वाबगाह की हकीकत जब उसके सामने आएगी तब शायद उसे अहसास हो की उसने कितना गलत फैसला किया है।”
“लेकिन तब तक बहुत देर हो जाएगी बेटा , तुम सब खो दोगे”,चाँदनी के पापा ने कहा
“मैं बचा भी क्या लूंगा पापा ?”,दीपक ने कहा और उठकर वहा से चला गया। दीपक अपने कमरे में चला आया , उस रात किसी ने खाना नहीं खाया। सब सो चुके थे बस दीपक जाग रहा था। अपने बिस्तर पर बैठा वह खाली आँखो से साइड टेबल पर रखी अपनी शादी की फोटो को देख रहा था। उस तस्वीर को देखते हुए दीपक को पुलिस स्टेशन वाली बातें याद आने लगी लेकिन अजीब ये था की उसे सिर्फ साँझ रोना , साँझ का रवि के बचाव में आगे आना , उसका रोना , मरने के लिए उसका सड़क किनारे आना और दीपक का उसे समझाना , सब दीपक की आँखों के सामने किसी फिल्म सा चल रहा था। ये सब ख्याल उसके दिमाग में क्यों आ रहे थे ? वह नहीं जान पाया। दीपक उठा और कमरे की खिड़की खोलकर वहा खड़े होकर बाहर देखने लगा और मन ही मन कहा,”रवि के मुँह से निकले शब्द कितने खतरनाक थे शायद वो ये बात जान पाता”

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संजना किरोड़ीवाल

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