“सोलमेट्स” aren’t just lovers – 6

Soulmates aren’t just lovers – 6

Soulmates
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दीपक ने साँझ को तो गलत करने से रोक लिया लेकिन खुद को नहीं सम्हाल पा रहा था। जिस चाँदनी से वह इतनी मोहब्बत करता था , जिसकी छोटी छोटी खुशियों का ख्याल रखता था उस चाँदनी ने उसका दिल और भरोसा दोनों तोड़ दिया। देर रात तक दीपक अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ा रहा और अपने और चाँदनी के रिश्ते के बारे सोचता रहा। कई बार उसके मन में ये ख्याल भी आया की क्या उसे चाँदनी को माफ़ कर देना चाहिए ? और अगले ही पल ये की जिस लड़की को अपने किये का पछतावा तक नहीं क्या उसमें माफ़ी के बाद भी कोई बदलाव आएगा ? दीपक इन्ही सब बातो में उलझा रहा और सुबह होने का इंतजार करने लगा।

अगली सुबह दीपक चाँदनी के बेल के पेपर लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचा। साँझ भी अपने पापा के साथ वहा आयी हुई थी उसने एक नजर दीपक को देखा और फिर इंस्पेक्टर के आने का इंताजर करने लगी। कुछ देर बाद इंस्पेक्टर आया और जमानत पर रवि और चाँदनी को छोड़ दिया। दीपक ने देखा एक रात में ही चाँदनी का चेहरा उतर गया है , वह चाँदनी को लेकर पुलिस स्टेशन से बाहर आ गया।
“तुमने मेरी बेल क्यों करवाई ?”,चाँदनी ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा
“क्योकि अभी तक तुम मेरी पत्नी हो”,दीपक ने गुस्से से लेकिन धीमी आवाज में कहा
“डोंट वरी मैं जल्दी ही तुम्हे डायवोर्स दे दूंगी”,कहते हुए चाँदनी सामने खड़े ऑटो में आकर बैठ गयी। डायवोर्स का नाम सुनकर दीपक कुछ देर के लिए वही जड़
हो गया। उसने सोचा नहीं था चाँदनी इतनी जल्दी ऐसा कोई फैलसा करेगी। दीपक को बाहर खड़े देखकर चाँदनी ने कहा,”तुम चलोगे या मैं जाऊ ?”
दीपक की तंद्रा टूटी उसके अंदर एक तूफान चल रहा था लेकिन इस वक्त वह कुछ समझ नहीं पा रहा था। वह ख़ामोशी से चाँदनी के बगल में आ बैठा और ऑटोवाले से चलने को कहा। ऑटोवाला आगे बढ़ गया

रवि के माँ-बाप उसकी इस हरकत से नाराज होकर कब का यहाँ से जा चुके थे लेकिन साँझ ने अपने पापा से रिक्वेस्ट की और रवि को वापस घर लाने को कहा तो उसके पापा रवि की जमानत करवाने साँझ के साथ पुलिस स्टेशन चले आये। रवि के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे उसने पेपर पर साईंन किया पुलिस स्टेशन से बाहर चला आया। साँझ और उसके पापा भी उसके पीछे पीछे चले आये। रवि ने ऑटो रुकवाया और जैसे ही जाने लगा साँझ ने कहा,”आप मेरे साथ घर नहीं आ रहे ?”
“किस हक़ से तुम मुझे ये सब कह रही हो हां ? कल रातभर मैं यहाँ पुलिस स्टेशन में रहा और तुम वहा उस घर में आराम से सो रही थी। अब मुझे लगता है की मैंने चाँदनी के साथ जाकर कोई गलती नहीं की है”,रवि ने नफरत भरे स्वर में कहा
“ये क्या कह रहे है आप ? मैं रातभर आपके लिए परेशान थी,,,,,,,,,,,आपकी गलती की वजह से आप यहाँ थे और आप मुझे ही दोष दे रहे है”,कहते हुए साँझ की आँखों में आँसू भर आये।
“तुम्हे देखकर लगता नहीं है की तुम्हे ज़रा भी परेशानी हुई होगी,,,,,,,,,,,,,!”,रवि ने कहा
“आप अपनी हद पार कर रहे है रवि जी , एक घटिया लड़की के साथ आप होटल में पकडे गए है,,,,,,,,,,,इस बात का अहसास भी है आपको ? अपनी गलती पर पछतावा होने के बजाय आप साँझ को गलत ठहरा रहे है। आप अच्छे इंसान है ये सोचना मेरी भूल थी ,,,,,,,!!”,इस बार साँझ के पापा ने रवि को फटकार लगाते हुए कहा
“तो आप भी एक बात कान खोलकर सुन लीजिये , ले जाईये अपनी बेटी को अपने घर और ब्याह दीजिये किसी अच्छे इंसान के साथ,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए रवि ऑटो में बैठा और वहा से चला गया। साँझ ने सूना तो अवाक् रह गयी , उसकी आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे। रवि एक के बाद एक उसे सदमे दिए जा रहा था। साँझ के पापा ने जब साँझ को देखा तो उसे सम्हालते हुए कहा,”तुम बिल्कुल चिंता मत करो बेटा , ऐसे इंसान के साथ रहने से अच्छा है की तुम मेरे साथ वापस अपने घर चलो,,,,,,,,,,रवि अपनी सारी हदें पार कर चुका है , उसने एक बार भी तुम्हारे बारे में नहीं सोचा,,,,,,,चलो घर चलो”
साँझ को होश नहीं था वह बस रोये जा रही थी , अपनी आँखों के सामने वह अपनी जिंदगी बर्बाद होते नहीं देख पा रही थी। साँझ के पापा उसे घर ले आये। साँझ को माँ ने जब साँझ को बदहवास हालत में देखा तो घबरा गयी और साँझ को सम्हाला। साँझ के पापा ने जब अपनी पत्नी को रवि के बर्ताव के बारे में बताया तो साँझ की माँ का दिल बैठ गया और उन्होंने गुस्से से कहा,”उस आदमी ने मेरी बेटी की जिंदगी खराब करने का सोच लिया है , उसे ज़रा भी शर्म नहीं है , वो ऐसा कैसे कर सकता है ? शादी ब्याह कोई गुड्डे गुड़िया का खेल है जो वह इस तरह की ओछी बातें करने लगा है। हमे उसके खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट करनी चाहिए और उसे अच्छा सबक सिखाना चाहिए ताकि वह जिंदगी में कभी ऐसा कुछ ना करे”
“तुम क्या चाहती हो मैं अपनी बेटी को मरने के लिए यहाँ छोड़ दू,,,,,,,,,,,,,,,बिल्कुल नहीं , साँझ हमारे साथ अपने घर जाएँगी। अब ये इस घर में रवि के साथ नहीं रहेगी”,साँझ के पापा ने गुस्से से भरकर कहा
“क्या गलती थी मेरी फूल सी बच्ची की जो दामाद जी ने ऐसा किया,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए साँझ की माँ रोने लगी
“जैसा रवि वैसे ही उसके माँ बाप,,,,,,,,,,,,उन्होंने एक बार भी अपने बेटे को समझाने की कोशिश नहीं की और मुंह छुपाकर भाग गए”,साँझ के पापा ने गुस्से से कहा

साँझ ख़ामोशी से सब बाते सुनती रही। जो रवि कभी उसके माँ-पापा की आँखों का तारा था आज उसी रवि के लिए उसे उनके मुंह से कठोर शब्द सुनने पड़ रहे है। साँझ ने कल रात से कुछ खाया नहीं था इसलिए उसकी मम्मी उठी और किचन में जाकर सब के लिए चाय ले आयी। चाय के साथ में कुछ बिस्किट भी थे। उन्होंने चाय का कप साँझ की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”कल रात से तुमने कुछ नहीं खाया है , ये चाय और बिस्किट खा लो।”
“मुझे भूख नहीं है मम्मी”,साँझ ने अपने गालों पर आये आँसुओ को पोछते हुए कहा।
“थोड़ा सा खा लो बेटा , जब पति ऐसा कुछ करे तो एक औरत पर क्या गुजरती है ये वही जान सकती है,,,,,,,,,,,,,,,,वो कभी ख़ुश नहीं रहेगा बेटा , उसने तेरे साथ बुरा किया है उसे उसके किये की सजा जरूर मिलेगी”,साँझ की माँ ने कहा
“रवि जी मुझे तलाक देना चाहते है मम्मी , वो ऐसा कैसे कर सकते है ?”,कहते हुए साँझ फिर रो पड़ी। साँझ के पापा ने देखा तो उनका दिल भर आया कितनी धूमधाम से उन्होंने अपनी बेटी की शादी की थी और आज वही बेटी उनके सामने बैठी अपनी शादी को टूटते देख रही थी। उन्होंने साँझ के सर पर अपना हाथ रखा और वहा से बाहर चले गए। साँझ अपनी माँ की गोद में सर रखकर रोने लगी। वह देर तक सिसकती रही और उसके बाद थककर उसने अपनी आँखे मूंद ली।

दीपक चाँदनी को लेकर अपने घर पहुँचा। चाँदनी जैसे ही घर में आयी उसकी मम्मी ने आकर उसे खींचकर तीन-चार तमाचे मारे और कहा,”बेशर्म , बेहया शर्म नहीं आयी तुझे एक गैर मर्द के साथ होटल में जाते। क्या कमी रखी हमने तेरी परवरिश में जो तुमने हमे ऐसा दिन दिखाया,,,,,,,,,इस से अच्छा तो तू पैदा होते ही मर जाती,,,,,,,,,,,,तूने एक बार भी दामाद जी के बारे में नहीं सोचा , उन पर क्या बीतेगी,,,,,,,,तू मर क्यों नहीं जाती ?”
“समधन जी ये क्या कर रही है आप ?”,दीपक की माँ ने चाँदनी की माँ को रोकते हुए कहा ;हालाँकि चाँदनी पर गुस्सा उन्हें भी था।
घर के बाहर मोहल्ले में ये खबर आग की तरह फ़ैल गयी लोग तरह तरह की बातें बनाने लगे किसी ने कहा चाँदनी में खोट है तो किसी ने दीपक को गलत बताया। चाँदनी गुस्से में अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया , आज पहली बार किसी ने उस पर हाथ उठाया था।
आस पड़ोस के लोग दीपक के घर में ताका झाकी करने लगे। ये देखकर दीपक आया और घर का गेट बंद कर अंदर आकर अपने और चाँदनी के माँ पापा से एक साथ कहा,”माँ-पापा आप लोग अब घर जाईये , मैं नहीं चाहता आप सब यहाँ रहे। चाँदनी ने जो किया है उसके लिए आप सबको शर्मिंदा होते मैं नहीं देख पाऊंगा। आप यहाँ रहे तो परेशानी और बढ़ेगी,,,,,,,,,,,,,,मैं जानता हूँ ये वक्त मेरे लिए बहुत मुश्किल है लेकिन मैं कुछ वक्त अकेले रहना चाहता हूँ। मैं इस रिश्ते को बचाने की पूरी कोशिश करूंगा आगे मेरी किस्मत,,,,,,,,,,,!!”
“मैंने पिछले जन्म में जरूर कोई पापा किये होंगे जो मुझे ऐसी बेटी मिली लेकिन मैं कुछ तो पुण्य का काम किया होगा जो मुझे तुम्हारे जैसा दामाद मिला। चाँदनी तुम्हे पहचान नहीं पाई”,चाँदनी के पापा ने आँखों में आँसू भरते हुए कहा। अपनी बेटी की वजह से उन्हें जो शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही थी इसका दर्द वही जानते थे। दीपक ने समझा बुझाकर शाम की ट्रेन से अपने सास-ससुर और अपने घरवालों को वापस भेज दिया। स्टेशन से वह पैदल ही घर की तरफ चल पड़ा
थके कदमो से दीपक फुटपाथ पर चला जा रहा था। आगे क्या होने वाला था इसका उसे ज़रा भी आभास नहीं था। उसका मन बहुत भारी था वह रोना चाहता था लेकिन किसके सामने ?
दीपक के दोस्तों को जब चाँदनी के बारे में पता चला तो सबने उस से दूरी बना ली , कुछ ने उसका मजाक उड़ाया की वह अपनी पत्नी को नहीं सम्हाल सका। मोहल्ले में दोपहर से ही चाँदनी और दीपक चर्चा का विषय बने हुए थे। लोगो ने बातों को और मसालेदार बनाकर पेश किया। इस वक्त ऐसा कोई नहीं था जिसके सामने दीपक रो सके , या अपनी भावनाये बाँट सके। देर रात सड़को पर घूमता रहा और फिर थककर घर चला आया। चाँदनी के कमरे का दरवाजा बंद था वह शायद अभी भी अंदर ही थी। दीपक अंदर आया और वाशबेसिन के सामने आकर मुंह धोने लगा। पुरे चार दिन बाद वह खुद को शीशे में देख रहा था। एक पल के लिए वह खुद को देखकर डर गया। वह काफी कमजोर लग रहा था , थकान से उसकी आँखे अंदर धंस सी गयी थी , उसके होंठो पर पपड़ी जम चुकी थी और चेहरे पर कोई तेज नहीं था। उसकी आँखों में एक खालीपन पसरा हुआ था और वह एकटक खुद को शीशे में देखे जा रहा था।

दीपक कुछ देर तक खुद को शीशे में देखता रहा और फिर किचन में चला आया। दो दिन से उसने ठीक से कुछ खाया तक नहीं था। इंसान कितना भी दुःख में क्यों ना हो उसे भूख लगती है और ये बात दीपक से बेहतर कोई नहीं जान सकता था। उसने पतीले में पानी उबाला और कुछ चावल डालकर उसमे पकने के लिए छोड़ दिए। दूसरी तरफ कुकर में दाल चढ़ा दी। वह काफी थका हुआ था इसलिए वापस बाहर चला आया और सोफे पर आ बैठा। इतनी थकान के बाद भी उसकी आँखों में नींद नहीं थी वह खाली आँखों से अपने सामने दिवार पर लगी अपनी और चाँदनी की तस्वीर को देख रहा था। जब कुकर की सीटी बजी तो उसकी तंद्रा टूटी और वह वापस किचन में चला आया। कुछ वक्त बाद दाल बन चुकी थी और चावल भी तैयार थे।

दीपक ने एक प्लेट में चावल रखे , कटोरी में दाल रखी और किचन से बाहर चला आया। वह अपने कमरे के सामने आया और दरवाजा खटखटाते हुए कहा,”चाँदनी,,,,,,,,,,खाना खा लो”
चाँदनी ने जो किया उसके बाद शायद कोई उसे मुँह ना लगाए लेकिन दीपक में अभी भी इतनी भावनाये तो थी की उसने चाँदनी को खाने के लिए पूछा। काफी देर तक कोई जवाब नहीं आया तो दीपक ने दरवाजा खटखटाते हुए फिर अपनी बात दोहराई। कुछ देर बाद ही चाँदनी ने दरवाजा खोला , उसने दीपक के हाथ से प्लेट ली और सारा खाना डस्टबिन में डालते हुए गुस्से से कहा,”मेरी परवाह दिखाना बंद करो तुम”
“मैं कोई परवाह नहीं दिखा रहा हूँ , इतना सब होने के बाद भी तुम में कोई बदलाव नहीं है चाँदनी ,, मैं तुमसे इस घर में रुक जाने को नहीं कहूंगा पर जरा उस लड़की के बारे में सोचो जो अपने पति से बहुत प्यार करती है”,दीपक ने बेचैनी से कहा
“तुम रवि की वाइफ की बात कर रहे हो ?”,चाँदनी ने पूछा
“हाँ मैं उसी की बात कर रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,हमारा रिश्ता कैसा है ये हम दोनों जानते है लेकिन उनके रिश्ते में वो लड़की पूरी तरह से समर्पित है , अपनी इस झूठी ख़ुशी और दिखावे के लिए कम से कम तुम दोनों उसकी जिंदगी खराब मत करो”,दीपक ने कहा
“ओह्ह रियली तुम्हे उसकी परवाह हो रही है,,,,,,,,,,,,वाओ दीपक मुझे तो लगा था तुम्हे मेरे अलावा कोई नहीं दिखता,,,,,,,,,,,,,,,,अगर रवि उसके साथ खुश होता तो वो मेरे पीछे क्यों आता ?,,,,,,,,,,,,,,,रवि मुझसे बहुत प्यार करता है और हम दोनों एक दूसरे के लिए परफेक्ट है,,,,,,,,,,,रही उसकी वाइफ की बात तो उसे भी कोई ना कोई मिल ही जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,,जैसे उसने रवि को फंसाया वैसे कोई दुसरा फंसा लेगी वो,,,,,,,,,,,,,,,,शी इज अ ब्लडी बिच , घटिया औरत जिसने आज तक रवि को ख़ुशी नहीं दी”,चाँदनी ने गुस्से भरे स्वर में कहा
“सटाक,,,,,,,,,,!!!”,अगले ही पल एक झन्नाटेदार थप्पड़ आकर चाँदनी के गाल पर पड़ा जो की दीपक ने मारा था। चाँदनी का चेहरा गुस्से से तिलमिलाने लगा और आँखों में आँसू भर आये , वह कुछ बोल ही नहीं पाई।
“घटिया वो नहीं घटिया तुम हो,,,,,,,,,,आज तक मैंने तुम्हारी हर बदतमीजी को बर्दास्त किया क्योकि मैं सोचता था की एक ना एक दिन तुम बदल जाओगी,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं गलत था। एक औरत होकर दूसरी औरत के लिए तुम इतने कठोर शब्दों का इस्तेमाल कैसे कर सकती हो ?,,,,,,,,,,,,,,,,तुम जानती भी हो एक औरत होकर तुम दूसरी औरत के दर्द और तकलीफ की वजह बन चुकी हो , तुमने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी है , उसे जिंदगीभर रोने के लिए मजबूर कर दिया है इसके बाद भी तुम उसे बुरा कह रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,घटिया तुम हो चाँदनी जो शादीशुदा होकर एक दूसरे मर्द के साथ चली गयी। घटिया तुम हो जिसने एक शादी जैसे पवित्र बंधन का मजाक बनाया है,,,,,,,,,,घटिया तुम हो जो ना एक अच्छी बेटी बन सकी और ना ही एक अच्छी पत्नी,,,,,,,,,,,,,!!”
इस से आगे दीपक कुछ बोल नहीं पाया उसका गला भर आया और आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे लेकिन वह रोया नहीं।

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क्रमश – Soulmates aren’t just lovers – 7

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संजना किरोड़ीवाल

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