“सोलमेट्स” aren’t just lovers – 11

Soulmates aren’t just lovers – 11

Soulmates
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अंतिम भाग

चाँदनी से झगड़ा करने के बाद रवि गुस्से में वहा से चला गया। चाँदनी को ये कहा बर्दास्त था उसने टेबल पर रखा फ्लावर पॉट उठाकर बंद दरवाजे की तरफ फेंककर गुस्से में कहा,”जाओ चले जाओ तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकती,,,,,,,,,,,,,,गो टू हेल”
चाँदनी कमरे में चली आयी और बेड पर उलटे गिरकर रोने लगी। आज रवि का असली चेहरा उसके सामने था। वह रोते रही उसे दीपक का ख्याल आने लगा। दीपक ने उस पर हाथ उठाना तो दूर कभी उस से ऊँची आवाज में बात तक नहीं की। दीपक हमेशा उसकी हर जरूरत का ख्याल रखता था। चाँदनी को आज दीपक की अहमियत समझ आ रही थी। रवि के लिए उसने दीपक का दिल तोड़ दिया। सच तो ये था की वह कभी दीपक के प्यार और परवाह को समझ नहीं पाई लेकिन आज उसे ये अहसास हो रहा था की वह गलत थी। रोने से चाँदनी लाल होने लगा उसे कुछ याद आया और उसने अपना फोन हाथ में लिया। उसने अपने फोन की गेलेरी खंगाली , उसे अपनी और दीपक की एक इकलौती तस्वीर मिली जिसमे चाँदनी ने शादी का भारी भरकम लहंगा पहना था और दीपक उस दुप्पट्टे को सम्हाले हुए था। ये तस्वीर चाँदनी के किसी कजिन ने चुपके से ली थी। चाँदनी ने उस तस्वीर को देखा तो उसकी आँखों से आँसू निकलकर फोन की स्क्रीन पर आ गिरे ,, दीपक उसकी कितनी परवाह करता था ये उसे आज समझ आ रहा था। चाँदनी को अपने किये पर पछतावा होने लगा। वह रोते हुए बिस्तर पर आ गिरी और सिसकने लगी।

अपार्टमेंट से बाहर निकला रवि सड़क पर पैदल ही चलने लगा। उसके कानो में अभी भी चाँदनी के कहे कड़वे शब्द गूंज रहे थे। रवि चाँदनी से बहुत गुस्सा था और इस वक्त वह खुद को कैसे सम्हाले नहीं समझ पा रहा था ? रवि की आँखों के आगे साँझ के साथ बिताया वक्त आने लगा। साँझ की बातें जिनमे रवि के लिए रिस्पेक्ट होती थी , साँझ का परवाह करना , उसका रवि के लिए अपना प्यार जाताना , सब किसी फिल्म की भांति रवि की आँखों के सामने चलने लगा। आज पहली बार रवि साँझ को दिल से याद कर रहा था। चाँदनी के व्यवहार से वह बहुत दुखी और अकेला हो चुका था। इस वक्त उसे किसी अपने की जरूरत थी और वो अपना साँझ से बेहतर भला कौन हो सकता था ? रवि ने पास से गुजरते ऑटो को रुकवाया और अंदर आ बैठा। रवि ने उसे अपने पुराने घर का पता बताया और चलने को कहा। ऑटोवाला चल पड़ा। रास्तेभर रवि साँझ के बारे में सोचता रहा और मन ही मन खुद से कहने लगा,”मैंने साँझ के साथ बहुत गलत किया , मैं उस से अपने किये की माफ़ी मांग लूंगा। वो इतनी अच्छी है की मुझे माफ़ कर देगी,,,,,,,,,हम फिर से साथ रहने लगेंगे और मैं साँझ को कही नहीं जाने दूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,चाँदनी के प्यार में अंधा होकर मैं कितनी बड़ी गलती कर बैठा। मैं सबसे माफ़ी मांग लूंगा,,,,,,,,,,,,मैं बहुत घटिया इंसान हूँ साँझ ने मुझ पर इतना भरोसा किया और मैंने उसे धोखा दिया,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन अब नहीं मैं जान चुका हूँ की चाँदनी का प्यार मेरे लिए सिर्फ एक भूख था और कुछ नहीं”
“भैया थोड़ा जल्दी चलिए ना”,रवि ने ऑटोवाले से कहा
“अरे भैया बारिश के कारण चारो तरफ पानी ही पानी है , रास्ते जाम है लम्बे रस्ते से जाना होगा”,ऑटोवाले ने कहा
रवि ने हाथ पर बंधी घड़ी में देखा इस वक्त रात के 2 बज रहे थे , वह 2 बजे सिर्फ साँझ से मिलने जा रहा था। रवि मुस्कुरा उठा ये पहली बार था जब साँझ से मिलने के लिए वह इतना बेताब था। उसने ऑटोवाले से कहा,”ठीक है भैया आपको जहा से चलना है चलिए , बस जल्दी चलिए”
ऑटोवाले ने ऑटो दूसरे रस्ते की तरफ मोड़ दिया। घंटेभर बाद रवि अपने घर के सामने खड़ा था। वह बहुत खुश था , अपने पुराने घर को देखकर उसे बहुत सुकून मिला वह ख़ुशी ख़ुशी अंदर चला आया लेकिन अंदर आकर देखा की घर के गेट पर ताला लगा है।
“साँझ इस वक्त कहा गयी होगी ? मैं उसे फोन करके देखता हूँ”,कहते हुए रवि ने अपना फोन निकाला और साँझ का नंबर डॉयल किया लेकिन फोन बंद मिला। रवि वही सीढ़ियों पर बैठ गया और साँझ के बारे में सोचने लगा। साँझ घर पर नहीं थी लेकिन इतनी रात में वह कहा गयी होगी यही बात रवि को परेशान करने लगी। साँझ शहर छोड़कर तो नहीं जा सकती थी क्योकि कुछ हफ्तों पहले ही रवि की उस से कम्पनी के बाहर मुलाकात हुई थी। रवि वही बैठकर साँझ एक आने का इंतजार करने लगा

सुबह 6 बजे साँझ की आँख खुली उसने पाया की वह सोफे पर ही सो गयी थी। वह उठी उसने देखा दीपक किचन में है , कुछ देर बाद दीपक दो कप चाय ले आया और एक कप साँझ की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”मैंने आपके लिए कैब मंगा दी है वो थोड़ी देर में आ जाएगी , तब तक आप चाय पीजिये”
“माफ़ करना वो मेरी आँख लग गयी थी”,साँझ ने चाय का कप लेते हुए कहा
“कोई बात नहीं आप इसे अपना घर समझ सकती है”,दीपक ने कहा
“आपका शुक्रिया”,साँझ ने मुस्कुरा कर कहा और चाय पिने लगी। दीपक साँझ को देखने लगा। चाय पीते हुए चाय के कप को फूंक मारते हुए साँझ किसी मासूम बच्ची सी नजर आ रही थी। उसके बालो की लट बार बार उसे परेशान कर रही थी। सुबह के वक्त साँझ और भी खूबसूरत नजर आ रही थी। उसका सांवला रंग चमक रहा था। साँझ ने जैसे ही दीपक की तरफ देखा दीपक ने अपनी नजरे झुका ली और चाय पीने लगा। साँझ ने अपनी चाय खत्म की और उठते हुए कहा,”अगर अनजाने में कभी मैंने आपके मन को ठेस पहुंचाई हो तो माफ़ी चाहती हूँ”
“ऐसा मत कहिये मुझे ख़ुशी हुई की आपने मुझ पर इतना भरोसा दिखाया मेरे लिए इतना ही काफी है,,,,,,,,,,,,,,शायद आपकी कैब आ चुकी है”,दीपक ने खिड़की के बाहर देखते हुए कहा
“हाँ मुझे अब चलना चाहिए”,कहते हुए साँझ ने टीवी के पास रखे अपने पर्स को जैसे ही उठाया पर्स के एक तरफ की हुक निकल गयी और वह नीचे जा गिरा। पर्स में रखे कुछ पेपर और सामान नीचे गिर गया। साँझ नीचे बैठी और जल्दी जल्दी उस सामान को बैग में रखने लगी। जल्दबाजी में उसने नीचे गिरी एक छोटी डायरी जो की शायद दीपक की थी उसे भी अपने बैग में रख लिया और उसे ध्यान नहीं रहा !
“ये आपके कपडे”,दीपक ने साँझ को बैग दिया जिसमे साँझ के कपडे थे जो बारिश की वजह से भीग चुके थे
“शुक्रिया , मैं ये कपडे जल्दी भिजवा दूंगी”,साँझ ने पहली हुई साड़ी की तरफ इशारा करके कहा।
“इन्हे आप मेरी तरफ से तोहफा समझकर रख सकती है , वैसे भी मेरी माँ कहती है की एक सही चीज सही इंसान के पास पहुचं ही जाती है”,दीपक ने कहा
दीपक की बात सुनकर साँझ उसके चेहरे की तरफ देखने लगी। उसका चेहरा देखकर लग रहा था जैसे वह साँझ से बहुत कुछ कहना चाहता हो लेकिन दीपक खामोश था
साँझ घर से बाहर चली आयी। उसने बीती रात के लिए दीपक को शुक्रिया कहा और चली गयी। दीपक जाती हुई कैब को देखता रहा। उसके चेहरे की ख़ुशी अचानक से उदासी में बदल गयी। ऐसा क्यों था ये सिर्फ वही जानता था। अंदर आकर दीपक अपना सामान पैक करने लगा। दीपक ने ये शहर छोड़कर जाने का मन बना लिया था। वो अब इस शहर में और नहीं रहना चाहता था। उसने अपने कपड़ो को सूटकेस मे डाला , जरुरी सामान को कार्टून्स में पैक करने लगा और बाकि सामान को कवर से ढकने लगा। उसने अपने लिए ट्रेन की टिकट बुक की , लेकिन उसकी किस्मत खराब थी उसे रात 11 बजे की ट्रेन मिली। दीपक के पास पूरा दिन था और ये वक्त बहुत मुश्किल से कटने वाला है ये बात दीपक जानता था

कैब साँझ के घर के सामने आकर रुकी। साँझ ने कैब ड्राइवर से पैसे पूछे तो ड्राइवर से कहा,” सर ने पेमेंट पहले ही कर दिया था मैडम”
“ठीक है”,कहकर साँझ अपना बैग लेकर नीचे उतर गयी। साँझ अंदर आयी सीढ़ियों पर बैठे रवि को देखा तो ठिठक गयी। रवि ने साँझ को देखा तो उठकर उसके पास आया और कहा,”तुम आ गयी , तुम तुम कहा चली गयी थी ? पता है मैं रातभर से यहाँ बैठा तुम्हारा इंतजार कर रहा था लेकिन तुम घर पर नहीं थी। तुम इतनी सुबह सुबह कहा से आ रही हो ? अपने घर गयी थी क्या ?”
रवि ने साँझ के सामने सवालो की झड़ी लगा दी।
“आप यहाँ क्या कर रहे है ?”,साँझ ने सवाल किया
“क्या कर रहा हूँ मतलब ? ये मेरा भी घर है तुम मेरी पत्नी हो”,रवि ने कहा
“पत्नी थी,,,,,,,,,,,,,अब मैं सिर्फ साँझ शर्मा हूँ”,साँझ ने कहा
“हां थी,,,,,,,,मेरी ही गलती की वजह से मैंने तुम्हे खो दिया,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मुझे तुमसे कुछ बात करनी है प्लीज मुझे कहने का एक मौका दो प्लीज”,रवि ने कहा तो साँझ दरवाजे की तरफ बढ़ गयी और ताला ,खोलकर दरवाजा खोलते हुए कहा,”अंदर आईये”
रवि ने सूना तो ख़ुशी ख़ुशी अंदर चला आया। साँझ पलटी और कहा,”कहिये क्या कहना है आपको ?”
“साँझ साँझ मुझे माफ़ कर दो , मैं जानता हूँ मैंने तुम्हे बहुत तकलीफ दी है , तुम्हरा दिल तोड़ा है , मैं कुत्ता कमीना घटिया इंसान हूँ जिसने तुम्हारी भावनाओ को नहीं समझा और तुम्हे छोड़ दिया। तुम्हे छोड़ने के बाद मुझे अहसास हुआ की तुम मेरी जिंदगी में क्या थी ? चाँदनी की बातो में आकर मैंने तुम्हारे साथ इतना गलत बर्ताव किया , तुम्हे रुलाया , मैं तुमसे माफ़ी चाहता हूँ साँझ मुझे माफ़ कर दो प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी”
“मैंने आपको माफ़ किया”,साँझ ने बिना किसी भाव के रवि की तरफ देखकर कहा
“क्या ? क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया , ओह्ह साँझ तुम कितनी अच्छी हो तुम्हारा दिल कितना बड़ा है , तुमने मुझे माफ़ कर दिया। मैं वादा करता हुआ आज के बाद तुम्हे कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा”,रवि ने खुश होकर कहा
“मैंने आपको माफ़ किया आपकी हर गलती के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब आप यहाँ से जा सकते है”,साँझ ने उसी भाव से फिर कहा
“साँझ मैं फिर से तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ , हम हम उस तलाक को रद्द कर देंगे,,,,,,,,,,,,,,हम फिर से पति पत्नी बनकर रहेंगे”,रवि ने साँझ के पास आकर कहा तो साँझ ने रवि को पीछे धकेलते हुए कहा,”अपनी हद में रहिये मिस्टर रवि शर्मा , आप जैसे लोगो के लिए शादी एक खेल होता होगा लेकिन मेरे लिए नही”
“साँझ साँझ क्यों कर रही हो ऐसा ? मैं माफ़ी मांग रहा हूँ ना तुम जैसा कहोगी मैं वैसा बनने के लिए तैयार हूँ , तुम जो कहोगी मैं वो करूंगा,,,,,,,,,,,!!”,रवि ने कहा
साँझ के मन में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था उसने रवि की तरफ देखा और कहा,”जो कहूँगी करोगे ?”
“हाँ जो तुम कहो , मैं तुम्हारी हर बात मानने के लिए तैयार हूँ”,रवि ने कहा
“ठीक है मैं तुम्हे एक मौका दूंगी “,साँझ ने कहा तो रवि खुश हो गया और कहा,”वैसे तुम रातभर कहा थी ?”
साँझ मुस्कुराई और कहा,”दीपक के साथ उसके घर में”
रवि ने जैसे ही सूना उसके चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी और भँवे तन गयी। उसने साँझ की तरफ देखा साँझ की मुस्कराहट में एक कटाक्ष था।
“तुम उस आदमी के घर में क्या कर रही थी ?”,रवि ने गुस्से से पूछा
“मैं मार्किट गयी थी , वहा बारिश शुरू हो गयी उसी रास्ते में दीपक मिल गया। बारिश बहुत तेज थी इसलिए उसने कहा की उसका घर पास में ही और मैं वहा चली गयी। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी इसलिए मुझे रातभर वही रुकना पड़ा”,साँझ ने सहजता से कहा
“तुम होश में तो हो , तुम एक गैर मर्द के साथ रात गुजारकर आयी हो इसका मतलब जानती हो तुम ?”,रवि ने गुस्से से तेज आवाज में कहा
“क्यों इसमें गलत क्या है ?”,साँझ ने कटाक्ष भरे स्वर में कहा
“गलत क्या है ? तुम रातभर उसके घर में उसके साथ रहकर आयी हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सोई हो क्या उसके साथ ?”,रवि ने नफरत भरे स्वर में कहा
“अपनी हद में रहकर बात करो रवि , किसी के घर रात गुजारने का मतलब उसके साथ सोना नहीं होता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन तुम जैसा घटिया आदमी इस बात को कैसे समझ पायेगा जिसके लिए किसी के साथ रात गुजारना सिर्फ सोना होता हो,,,,,,,,,,,,,,,,जैसे तुमने गुजारी है चाँदनी के साथ”,पहली बार साँझ का गुस्सा फूटा
“मैं मर्द हूँ और तुम औरत तुम ऐसा कैसे कर सकती हो ? वो दीपक उसे तो मैं छोडूंगा,,,,,,,,,,,,,,वो दोनों हस्बेंड वाइफ ही घटिया है उन्होंने मेरी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद कर दी,,,,,,,,,,,,,,और तुम तुम्हे शर्म नहीं आयी उसके साथ सोते हुये हां,,,,,,,,,,,तुम जैसी लड़की से मैं और उम्मीद भी क्या कर सकता हूँ ?”,रवि ने कहा
“सटाक !!”,एक तेज तर्रार थप्पड़ आकर रवि के गाल पर लगा जो की साँझ ने मारा था।
रवि ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी वह हैरानी से अपने गाल पर हाथ लगाए , फ़टी आँखों से साँझ को देख रहा था। साँझ का चेहरा गुस्से से तिलमिलाने लगा और उसने कहा,”खबरदार जो एक भी शब्द और कहा तुमने , तुम जानते क्या हो उस आदमी के बारे में वो कितना महान है ये तुम कभी समझ नहीं पाओगे , हां थी मैं रातभर उसके साथ उसके घर में लेकिन एक मर्द की मर्यादा क्या होती है ? ये मैंने उसके साथ रहकर जाना,,,,,,,,,,,,,तुमने और उसकी पत्नी ने मिलकर उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी , उसे उसकी नौकरी से हाथ धोना पड़ा , वो अपने परिवार अपने दोस्तों में मुंह दिखाने लायक नहीं रहा सिर्फ तुम दोनों की वजह से,,,,,,,,,,,,,,, और उस महान इंसान ने तुम दोनों ने से इसकी शिकायत तक नहीं की। अपनी हवस में तुम दोनों इतना अंधे हो गए की तुम्हे दो शादिया नहीं दिखी , दो परिवार नहीं दिखे , दो लोगो की बर्बाद होती जिंदगी नहीं दिखी,,,,,,,,,,,,,,,,तुम उसके और मेरे बारे में इतना गिरा हुआ सोचते हो , जानते हो वापस घर लौटने से पहले उसने मुझसे क्या कहा ?”
साँझ इतना कहकर रुक गयी तो रवि साँझ की तरफ देखने लगा। साँझ की आँखों में आँसू भर आये लेकिन उसने उन्हें बहने नहीं दिया और कहा,”उसने मुझसे कहा की अगर तुम मुझसे आकर माफ़ी मांगो तो मैं तुम्हे माफ़ कर दू,,,,,,,,,,,,तुम्हे एक मौका और दू ताकि चीजों को सही किया जा सके,,,,,,,,,,,क्योकि उसका मानना है की कुछ रिश्तो को जाने से रोकना हमारे बस में होता है। तुम क्या समझोगे वो कितना नेकदिल इंसान है !!”
रवि ने सूना तो उसे अहसास हुआ की गुस्से में आकर उसने साँझ और दीपक के बारे में बहुत गलत बातें बोल दी है। उसने जैसे ही साँझ से कहने को मुंह खोला साँझ ने गुस्से से अपना हाथ आगे कर उसे रोक दिया और कहा,”सिर्फ उसके कहने पर मैंने तुम्हे अभी कुछ देर पहले ही एक मौका दिया था लेकिन अफ़सोस की तुम उस पर खरे नहीं उतर पाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जिस इंसान को मुझ पर भरोसा नहीं वो मेरे साथ रहने लायक नहीं है। उस दिन तलाकनामे पर साइन करते हुए मैं रो रही थी लेकिन आज उसी तलाकनामे के लिए मैं तुम्हे कुछ कहना चाहती हूँ “तुम्हारा शुक्रिया रवि तुम मेरे प्यार और परवाह के लायक नहीं हो” तुम यहाँ से जा सकते हो”

रवि समझ गया की अब साँझ उस पर कभी भरोसा नहीं करेगी। सही मायनो में उसने आज हमेशा हमेशा के लिए साँझ को खो दिया था। मुंह लटकाये वह घर से निकल गया और वापस जाने के लिए लौट गया अपनी उसी दिखावटी और झूठी दुनिया में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
साँझ ने एक गहरी साँस ली उसके मन में दीपक के लिए आखरी जो कुछ बचा था वह आज उसने निकाल दिया। साँझ काफी हल्का महसूस कर रही थी , उसने अपने लिए चाय बनायीं और लेकर बालकनी की तरफ चली आयी। चाय पिने के बाद उसने एक अच्छा संगीत लगाया और सुनते हुए अपने घर की साफ सफाई करने लगी। रवि और उस से जुडी सभी चीजों को उसने एक बॉक्स में डालकर उसे स्टोर रूम में रख दिया। काम करते हुए साँझ शीशे के सामने से गुजरी तो रुककर खुद को देखने लगी। वो साड़ी उस पर बहुत अच्छी लग रही थी। साँझ मुस्कुरा उठी उसके कानो में दीपक के कहे शब्द गूंजे
“इन्हे आप मेरी तरफ से तोहफा समझकर रख सकती है , वैसे भी मेरी माँ कहती है की एक सही चीज सही इंसान के पास पहुचं ही जाती है”
साँझ ने उस साड़ी को छूकर देखा एक खूबसूरत अहसास उसके मन को छूकर गुजरा वह मुस्कुरा उठी। घर के काम के बाद साँझ ने अपना पसंदीदा खाना बनाया और खाने लगी। साँझ के मन में अब कोई बोझ नहीं था , ना ही किसी तरह की कोई चिंता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!

दीपक दिनभर सोफे पर बैठा साँझ के बारे में सोचता रहा। उसके साथ बिताये पल उसकी आँखों के सामने आने लगे। पुलिस स्टेशन से लेकर अब तक वह जितनी बार भी साँझ से मिला था वो सब पल किसी खूसबूरत याद की तरह उसकी आँखों के सामने चलने लगे। उसका मन भारी होने लगा। उसने अपनी घडी में देखा जो की शाम के 5 बजा रही थी। ट्रेन 11 बजे थी दीपक के पास अभी काफी टाइम था इसलिए वह घर से निकल गया। वह कुछ वक्त अकेले बिताना चाहता था इसलिए झील चला आया लेकिन यहाँ भी साँझ की यादो ने उसका पीछा नहीं छोड़ा।

उसी शाम साँझ ने वो बैग उठाया और उसमे से अपना फोन निकालने के लिए जैसे ही हाथ डाला उसके हाथ दीपक की डायरी लगी। उसने उस डायरी को उलट-पलट कर देखा और कहा,”ये तो दीपक की है , शायद उनकी पर्सनल हो मुझे उन्हें ये लौटानी चाहिए”
सोचकर साँझ तैयार हुई उसने आज कई दिनों बाद अपनी पसंदीदा हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहनी। लाइट मेकअप किया। उसके बाल लम्बे थे इसलिए उनकी छोटी गूंथ ली , उसने ललाट पर छोटी सी बिंदी लगाईं। साँझ ने अपना बैग और वो डायरी उठायी और घर से निकल गयी। साँझ ने ऑटो रुकवाया और उसमे आ बैठी। साँझ गुनगुना रही थी। आज वो दिल से खुश थी और ये ख़ुशी उसे दीपक से मिली थी,,,,,,,,,,,दीपक ही था जिसने हर बार साँझ को जीने की एक नयी वजह दी , हिम्मत दी लड़ने की , परेशानियो का सामना करने की,,,,,,,,,,,!!
कुछ देर बाद साँझ दीपक के घर पहुंची लेकिन घर पर ताला लगा देखकर वह हताश हो गयी। जाने के लिए जैसे ही पलटी पड़ोसी ने कहा,”आप दीपक से मिलने आयी है ?”
“जी क्या आपको पता है वो इस वक्त कहा होंगे ?”,साँझ ने सवाल किया
“दीपक आज अपने सामान की पैकिंग कर रहा था पूछने पर बताया की वो हमेशा हमेशा के लिए यहाँ से जा रहा है ,, शायद चला गया होगा”,पडोसी ने कहा और चला गया
साँझ ने जैसे ही सूना उसके दिल में एक टीस उठी। दीपक क्यों चला गया ? उसने साँझ को अपने शहर छोड़ने की बात क्यों नहीं बताई ? वो कहा गया होगा ? साँझ के मन में कई सवाल एक साथ आने लगे लेकिन जवाब नहीं था। वो नहीं समझ पा रही थी की उसका मन इतना भारी क्यों हो रहा है उसकी आँखो में आँसू भर आये। उसकी नजर अपने हाथ में पकड़ी दीपक की डायरी पर चली गयी। दीपक से जुडी कोई जानकारी शायद इस डायरी में मिल जाये सोचकर साँझ वही सीढ़ियों पर बैठ गयी उसने डायरी खोली उसमे कुछ लिखा था साँझ पढ़ने लगी

“पहली बार मैने उसे मार्किट में देखा , उसे देखकर लगा जैसे मैं उसे जानता हूँ या मेरा उस से कोई रिश्ता हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,कितनी अजीब बात है ! उसने मेरी मदद की और बदले में मैंने उसे बस शुक्रिया कहा , मैं उसका नाम तक नहीं पूछ पाया,,,,,,,,,,,,और उसके बाद हम दोनों विपरीत दिशाओ में बढ़ गए “
“उस से दूसरी बार मैं पुलिस स्टेशन में मिला वो अपने पति की मिसिंग रिपोर्ट लिखवाने आयी थी। उसे अपने पति की परवाह करते देखकर अच्छा लगा ,, उसकी आँखों में बेचैनी देखकर ही समझ आ रहा था की वो अपने पति से कितना प्यार करती होगी”
“एक बार फिर पुलिस स्टेशन में मेरा उस से सामना हुआ , यहाँ आकर उसने जो सूना वो उसका दिल तोड़ने के लिए काफी था। दिल मेरा भी टूटा था लेकिन मैने उस वक्त खुद को सम्हाल लिया लेकिन वो नहीं सम्हाल पायी ,, उसे पहली इस तरह रोते देखा और वो पल मेरा दिल टूटने से भी ज्यादा तकलीफदेह था”
“वो लड़की सच में पागल है एक ऐसे इंसान के लिए अपनी जान देने जा रही थी जिसने उसे धोखा दिया , जिसने उसका दिल तोड़ा पर मैं उसे ऐसा नहीं करने दूंगा , वो किसी के लिए ऐसे अपनी जान नहीं दे सकती,,,,,,,,,,,!!”
“आज तलाकनामे पर साइन करते हुए उसके चेहरे पर जो दर्द था वही दर्द मेरे दिल में था। वो सच में उस बुरे इंसान को इतना चाहती थी की उसे खोने का दुःख मैं उसके आंसुओ में देख पा रहा था और उस पल ना जाने क्यों मेरे मन में एक बात आयी की “काश कोई मुझे भी खोने से डरता”
“वो इस दुःख से उबर नहीं पा रही है पर वो ये नहीं जानती की वो एक अच्छी जिंदगी डिजर्व करती है। अगर आज मैं सही वक्त पर उसके घर नहीं पहुंचता तो शायद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाह वो अपने साथ ये क्या करने जा रही थी ?”
“मुझे जॉब मिली और उसके लिए मैंने साँझ को चुना , मुझे लगता है मुझसे ज्यादा उसे इस नौकरी की जरूरत है। मैं अपने दुःख को कम कर सकता हूँ लेकिन वो नहीं का पायेगी,,,,,,,,,,,उसकी आँखो में आँसू देखता हूँ तो अच्छा नहीं लगता। चाँदनी ने कभी मुझसे प्यार किया ही नहीं इसलिए मैं शायद उसे आसानी से भूल जाऊंगा लेकिन साँझ को तो धोखे के साथ साथ झूठ प्यार भी मिला है वो खुद को कैसे इन सब से निकाल पाएंगी , पर शायद ये नौकरी उसका सहारा बने और वो अपने पैरो पर खड़ी हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं नहीं जानता क्यों पर मैं उसे एक मजबूत औरत के रूप में देखना चाहता हूँ , रवि ने क्या खोया है उसे इस बात का अहसास होना चाहिए”
पढ़ते हुए साँझ की आँख में भरे आँसू डायरी के पन्नो पर आ गिरे। दीपक के मन में उसे लेकर कितनी भावनाये थी ये वो अब तक क्यों नहीं समझ पायी। उसने डायरी के आखरी पन्ने को पलटा और पढ़ने लगी
“वो आज पहली बार मेरे घर आयी है , बारिश की वजह से वो काफी भीग चुकी थी ऐसे में घर जाना मुश्किल था। मुझे लगा वो एक अजनबी के घर में ऐसे आना नहीं चाहेगी लेकिन फिर भी मैंने उसे पूछ लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसने कहा की वो मुझ पर भरोसा करती है। एक मर्द के लिए कहे गए सबसे खूबसूरत शब्द होते है ये जो एक औरत की जुबान से निकलते है , की वो उस पर भरोसा करती है। मैंने उसे वो साड़ी पहनने को दी जो चाँदनी के लिए खरीदी थी , जिसे चाँदनी ने कभी देखा तक नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर मेरी माँ हमेशा एक बात कहती थी की हर सही चीज सही इंसान के पास पहुँच ही जाती है। उस साड़ी में वो बहुत सुंदर लग रही थी। मेरी नजरे बार बार उसे देखना चाहती थी लेकिन मैं उसे असहज करना नहीं चाहता था।
उसने बहुत लजीज खाना बनाया बिल्कुल वैसा ही जैसा मेरी माँ बनाया करती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो सच में अन्नपूर्णा का रूप है।
वो सो चुकी है और मैं उसके सामने बैठकर उसे देखते हुए इस आखरी पन्ने खत्म करने जा रहा हूँ , मैं चाहता हूँ ये कहानी यही खत्म हो जाये,,,,,,,,,,,,,,,,कल सुबह मैं ये शहर छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चला जाऊंगा,,,,,,,,,,,अगर मैं यहाँ रहा तो मेरे मन में साँझ से बार बार मिलने का ख्याल आएगा,,,,,,,,,,,,,,ऐसे ख्याल इन दिनों मुझे रोज आते है,,,,,,,,,,,,,इस रात के बाद अगर मैं उसे फिर मिला तो शायद मैं उसके प्रेम में पड़ जाऊंगा और ये बहुत ही अजीब बात होगी,,,,,,,,,,!!! मेरा यहाँ से चले जाना ही सही रहेगा,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन साँझ के लिए मेरे मन में सम्मान हमेशा रहेगा। मैं जब जब उसे देखता हूँ मुझे उसके औरत होने पर नाज होता है,,,,,,,,,,,,,उसके मन में जो दुःख था वो शायद अब कम हो चुका है लेकिन मैं अपने मन को खाली करने कहा जाऊ,,,,,,,,,,,,जाने से पहले झील जाना चाहूंगा शायद वहा बैठकर मैं अपने दुःख को कुछ कम कर सकू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लगता है जैसे मैं सब कुछ खो रहा हूँ”

इसके आगे कुछ नहीं लिखा था साँझ की आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। एक अजनबी उस पर इतना भरोसा करता है , उसकी इतनी परवाह करता है , उसकी भावनाये समझता है ये जानकर साँझ का मन उदासी से भर गया। उसे दुःख था की वह रातभर दीपक के साथ थी लेकिन उसने एक बार भी उसका दुःख बाटने की कोशिश नहीं की। साँझ ने अपनी साड़ी के पल्लू से अपने आँसू पोछे , उस डायरी को बंद करके अपने बैग में रखा और खुद से कहा,”मुझे उसे रोकना चाहिए था , वो मर्द है और शायद इसलिए उसने अपने दुःख को कभी मेरे सामने जाहिर नहीं किया। मुझे उसे रोकना चाहिए था , रवि ने जो मेरे साथ किया वही चाँदनी ने भी किया,,,,,,,,,,,फिर मैं इतनी स्वार्थी कैसे हो गयी की मुझे उसका दुःख नजर ही नहीं आया,,,,,,,,,,,,,,,,,उसने अपनी डायरी में लिखा है की वो जाने से पहले झील जाना पसंद करेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,तो क्या इस वक्त उसे वहा होना चाहिए ?”
“मुझे वहा जाना चाहिए , शायद वो वहा हो और मैं उसे रोक पाऊ”,साँझ ने उठते हुए कहा और दीपक के घर से बाहर चली आयी।

साँझ झील किनारे पहुंची , शाम हो चुकी थी और सूरज अभी भी अपनी लालिमा आसमान में बिखेरे चमक रहा था। साँझ का मन काफी घबरा रहा था , वह दीपक को ढूंढते हुए सीढ़ियों की तरफ चली आयी। अचानक झील की सीढ़ियों पर अकेला बैठा दीपक उसे दिखाई दिया। साँझ के मन को तसल्ली मिली वह आकर दीपक से कुछ दूर बनाकर सीढ़ी पर बैठ गयी। दीपक किसी सोच में गुम था उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ की साँझ उसके बगल में बैठी है। कुछ देर बाद सूरज डूबने लगा और उसे डूबता देखकर दीपक ने कहा,”दीपक की जरूरत सिर्फ दिन ढलने के बाद पड़ती है और मैं ये कैसे भूल गया जहा चाँदनी हो वहा दीपक का कोई वजूद नहीं होता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,चाँदनी को भला दीपक की जरूरत कहा होती है वो सिर्फ अंधेरो को मिटाने बना होता है”
साँझ ने सूना तो उसका चेहरा उदासी से भर गया , दीपक ने अपने और चाँदनी के नाम का एक बहुत ही तकलीफदेह अर्थ अपनी बातो से जाहिर किया। साँझ ने उदासी से भरकर कहा,”हाँ बिल्कुल वैसे ही जैसे शाम ( साँझ ) होते ही सूरज ( रवि ) उसका साथ छोड़ देता है और डूब जाता है”
साँझ की आवाज सुनकर दीपक को हैरानी हुई उसने अपने बगल में देखा , वह अवाक् था साँझ कुछ ही दूर उसकी बगल में बैठी थी। दीपक के गले में एक चुभन महसूस हुई , उसका गला रुंध गया वह कुछ बोल ही नहीं पाया। साँझ ने दीपक की तरफ देखा और फिर सामने देखते हुए कहने लगी,”हम दोनों को ही हमारे नाम के विपरीत लोग मिले , जो बिल्कुल अपने नाम की तरह ही थे। मुझे लगता था की अब तक जो कुछ हुआ वो हम सबकी किस्मत थी या हमारे किसी बुरे कर्म का फल था लेकिन नहीं वो सब इसलिए हुआ ताकि हम जान सके कौन हमारे लायक है और कौन नहीं ? चाँदनी के रहते दीपक की मौजूदगी व्यर्थ है वैसे ही शाम के आने पर सूरज का ढल जाना भी नियति है लेकिन हमने कभी इस बात पर गौर नहीं किया की अगर दीपक चाहे वह शाम के लिए जल सकता है , उसके अँधेरे को दूर कर अपनी अहमियत बढ़ा सकता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“आप क्या कहना चाहती है,,,,,,,,,,,,,,,?”,दीपक ने धड़कते दिल के साथ कहा
“यही की जो कुछ हुआ उसमे दोष हमारा नहीं था ना ही हमारी किस्मत का बस गलत वक्त पर , गलत लोगो के साथ , हम गलत रिश्तो में शामिल हो गए। हमारा मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता , शायद हम इसलिए मिले थे क्योकि हमारे नाम आपस में मिलकर एक अर्थपूर्ण बात का निर्माण करते है। आपने मेरे साथ रहते हुए मेरे दुःख को तो बाँट लिया पर कभी अपना दुःख जाहिर नहीं किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मर्द हो या औरत जब दिल टूटता है तो दोनों को एक जैसा ही दर्द होता है,,,,,,,,,,,,,,,,ठेस पहुँचती है फिर आपने क्यों अपनी तकलीफ को अपने मन में रखा
कहते है की बाँटने से दुःख कम नहीं होते पर हाँ उनसे होने वाली तकलीफ को कम किया जा सकता है। आपसे मिलकर मैंने एक सबक सीखा और की इस दुनिया के सारे मर्द एक जैसे नहीं होते है। कुछ मर्द ऐसे भी होते है जिनके साथ रहते हुए एक औरत खुद को महफूज महसूस कर सकती है , जिनसे अपना दुःख बाटने के लिए एक औरत को सोचना नहीं पड़ता , जिन पर एक औरत खुलकर भरोसा कर सकती है और मेरी नजर में वो आप है,,,,,,,,,,,,,,,,,,बीती रात मैंने आपसे एक बात कही थी की “चाँदनी नहीं जानती उसने क्या खोया है ?” क्योकि इस दुनिया में कुछ लोग चाँदनी जैसे ही होते है जो पत्थर जमा करते करते हीरा गवा देते है।
लोग मेरे बारे में क्या सोचते है ये मैं नहीं जानती मैं बस इतना जानती हूँ की “इस दुनिया में हर शाम ( साँझ ) को एक दीपक की जरूरत है , जो उसकी जिंदगी को रौशनी से भर सके”

दीपक ने सूना तो उसकी आँखों में नमी उतर आयी , उसका गला रुंधने लगा उसने नम आंखो से साँझ की तरफ देखा तो साँझ ने दीपक की डायरी अपने बैग से निकालकर उसकी ओर करते हुए कहा,”ये आज सुबह गलती से मेरे साथ चली गयी थी , माफ़ी चाहती हूँ मैंने इसे पढ़ा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जिस नर्क से अब तक मैं गुजरी थी आप भी उसी बुरे दौर से गुजर रहे थे। आप चाहे तो अपना दुःख जाहिर कर सकते है”
साँझ की बात सुनकर दीपक का मन वेदना से भर उठा उसने साँझ से नजरें हटाकर सामने देखते हुए कहा,”क्या मैं रो सकता हूँ ?”
साँझ ने सूना तो उसकी आँखों में नमी उतर आयी उसे ये सुनकर बहुत तकलीफ हुई की एक मर्द उसके सामने अपना दुःख जाहिर करने की परमिशन माँग रहा था। वह दीपक के पास आयी और उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा,”हां आप रो सकते है और यकीन मानिये इस से आप कमजोर या बुजदिल नहीं कहलायेंगे”
साँझ के इतना कहते हुए दीपक की आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। वह बच्चो की तरह फूट फूट कर रोने लगा। उसका रूंदन इतना मार्मिक था की साँझ का मन भी भारी हो गया। दीपक को रोते देखकर वह थोड़ा सा उसके करीब खिसकी और अपना कंधा उसके सामने पेश कर कर दिया। दीपक ने रोते हुए अपना सर उसके कंधे पर टिका लिया और देर तक सिसकता रहा। साँझ ने देखा आसमान में चाँद चमक रहा था और उसकी रौशनी से झील का पानी और भी खूबसूरत नजर आ रहा था। साँझ अपने दूसरे हाथ से धीरे धीरे दीपक के कंधे को थपथपाने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसे ये अहसास दिलाने के लिए की वो उसके साथ है। वही थका हारा रवि वापस चाँदनी के पास चला आया अपनी उसी पुरानी दुनिया में ,, जो दिखावे और धोखे की जिंदगी अब तक उन्होंने साँझ और दीपक के साथ जी थी वही जिंदगी उन्हें अब एक दूसरे के साथ गुजारनी थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बिना किसी आत्मीयता के !!

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लेखिका की तरफ से सभी स्त्रियों के लिए एक सन्देश – Build your character in such a way की एक मर्द आपके सामने खुलकर अपना दुःख जाहिर कर सके और आप उसके सामने अपना कंधा पेश कर पाए !

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समाप्त

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संजना किरोड़ीवाल

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