“सोलमेट्स” aren’t just lovers
Soulmates aren’t just lovers
भाग – 1
“साँझ मेरा वॉलेट कहा है ? मुझे मिल नहीं रहा ज़रा ढूंढ दोगी प्लीज”,रवि ने अपने कमरे में अपना वॉलेट ढूंढते हुए अपनी पत्नी साँझ को आवाज दी।
“ये रहा आपका वॉलेट , ये आपका रूमाल और ये आपका फोन”,साँझ ने रवि के सामने आकर उसे उसका जरुरी सामान देते हुए कहा
“थैंक्यू स्वीटहार्ट तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो , आई लव यू”,रवि ने अपने हाथ पर बंधी घडी को बंद करते हुए कहा लेकिन वह उस से बंद नहीं हो रही थी
“लाईये मैं कर देती हूँ”,साँझ ने कहा और रवि के हाथ पर घडी बांध दी।
“आप कब तक वापस आ जायेंगे , घर में अकेले मेरा बिल्कुल मन नहीं लगेगा”,साँझ ने थोड़ा सा उदास होते हुए कहा
“कम्पनी की एक मीटिंग है इसमें दो दिन तो लग ही जायेंगे पर मैं जल्दी आऊंगा और तुम बिल्कुल भी परेशान मत होना , जब मैं ना रहू तो घर से बाहर निकलो कॉलोनी के लोगो से मेल-जोल बढ़ाओ हम्म्म्म”,रवि ने अपना सूटकेस सम्हालते हुए कहा
साँझ ने रवि की बाँह को थामा और उसे घर के गेट तक छोड़ने चली आयी। रवि ने एयरपोर्ट जाने के लिए कैब बुक की थी और वो आ चुकी थी। रवि ने साँझ के माथे को चूमा और कहा,”मैं जल्दी आ जाऊंगा , अपना ख्याल रखना बाय”
“बाय , ध्यान से जाना”,साँझ ने मुश्किल से मुस्कुराते हुए रवि को अलविदा कहा। रवि ने अपना सामान रखा और साँझ को देख हाथ हिलाते हुए वहा से चला गया।
उदास मन से साँझ वापस अंदर चली आयी। साँझ और रवि की 2 साल पहले ही अरेंज मैरिज हुई थी। दोनों में बहुत प्यार था , रवि साँझ की हर जरूरत का ख्याल रखता तो साँझ भी उसे कभी शिकायत का मौका नहीं देती। रवि उदयपुर की एक कम्पनी में काम करता है। हफ्ते में एक बार उसे मीटिंग्स के लिए शहर से बाहर जाना ही पड़ता है लेकिन इस बार वह पुरे दो दिन के लिए जा रहा था और यही बात साँझ को उदास कर रही थी। रवि के जाने के बाद साँझ अंदर आकर बिखरे हुए घर को समेटने लगी। उसने हॉल और किचन साफ किया और उन बाद अपने बैडरूम में चली आयी। बिस्तर पर रवि की शर्ट पड़ी थी साँझ ने उसे उठाया और उसे दोनों हाथो में थामकर अपनी नाक से लगा लिया। रवि की महक उसे आज भी उतनी ही पसंद थी। वह मुस्कुरा उठी और शर्ट को अपने सीने से लगा लिया। घर की साफ सफाई के बाद वह नहाने चली गयी। उसने सिंपल कुरता पजामा पहन लिया और शीशे के सामने आकर बालों को बांधने लगी। रवि के ना होने से उसे सजने सवरने का मन भी नहीं था। वह हॉल में चली आयी और टीवी देखने लगी लेकिन कुछ देर बाद ही उसे बोरियत होने लगी। उसे याद आया घर में सब्जिया और राशन खत्म हो चुका है इसलिए वह उठी , अपना पर्स और बैग उठाया , गले में दुपट्टा डाला और मार्किट के लिए निकल गयी।
“मैं कल रात तुम्हारे लिए ये ड्रेस लेकर आया था , तुम सो गयी थी इसलिए तुम्हे दे नहीं पाया। तुम इसे साथ लेकर क्यों नहीं जाती ?”,दीपक ने चाँदनी की तरफ अपने हाथ में पकड़ा केरी बैग बढ़ाते हुए कहा
चाँदनी ने दीपक को घूरते हुए केरी बैग लिया और उसमे रखा ड्रेस देखा तो उसका मुँह बन गया और उसने उसे बाहर निकालकर दीपक को दिखाते हुए कहा,”तुम चाहते हो मैं इसे पहनकर बहनजी टाइप दिखू ?”
“मैंने तुम्हारे लिए ये बहुत प्यार से खरीदा है”,दीपक ने उदास होकर कहा तो चाँदनी उस ड्रेस को लेकर बाथरूम में गयी थोड़ी देर बाद वापस आयी तो उसे देखकर दीपक की आँखे फ़ैल गयी। उस ड्रेस की बाजु और कंधे गायब थे , साथ ही कमर वाले हिस्से से भी कपड़ा गायब था जिस से चाँदनी की पतली दूधिया कमर नजर आ रही थी। चाँदनी अदा के साथ अपने दोनों पैरो को क्रॉस करके खड़ी थी। उसने एक हाथ को कमर पर रखा और दूसरे हाथ के नाखूनों को लिपस्टिक से पुते अपने होंठो से हवा करते हुए कहा,”ऍम आई लुकिंग हॉट ?”
“ये तुमने क्या किया अच्छी खासी ड्रेस को बिगाड़ दिया ?”,दीपक ने कहा
चाँदनी दीपक के पास आयी और उसके गाल को ऊँगली से छूते हुए कहा,”माय पूअर हसबेंड , इसे फैशन कहते है जो तुम नहीं जानते,,,,,,,,,,,अब मैं लेट हो रही हूँ सो प्लीज मुझे और लेट मत करो”
“तुम वापस कब आओगी ?”,दीपक ने पूछा
“दो दिन लग जायेंगे”,चाँदनी ने अपने कपडे बैग में रखते हुए कहा
“क्या मैं तुम्हारे साथ चलू ?”,दीपक ने उम्मीदभरे स्वर में कहा तो चाँदनी ने जोर से सूटकेस बंद किया और घूरते हुए दीपक को देखने लगी तो दीपक को देखने लगी।
“मैं बस,,,,,,,,,,,,!”,दीपक ने इतना ही कहा की चाँदनी बरस पड़ी और कहा,”तुम्हे क्या लगता है मैं वहा पिकनिक पर जा रही हूँ , मैं वहा कम्पनी की मीटिंग्स के लिए जा रही हूँ मौज मस्ती करने नहीं,,,,,,,,,,,,,,,एंड नाउ प्लीज तुम मेरा मूड खराब मत करो , मुझे आने में दो दिन लग जायेंगे और प्लीज तब तक मुझे कोई फोन मैसेज करके डिस्टर्ब मत करना,,,,,,,,,मैं चलती हूँ बाय”,कहकर चाँदनी बिना दीपक की बात सुने अपना सूटकेस सम्हाले वहा से चली गयी
“मैं बस ये कह रहा था की मैं कुछ वक्त तुम्हारे साथ गुजरना चाहता हूँ,,,,,,,,!”,चाँदनी के जाने के बाद दीपक धीरे से बड़बड़ाया लेकिन चाँदनी उसे नहीं सुन पाई और वहा से चली गयी।
दीपक और चाँदनी की शादी को पुरे दो साल हो चुके थे लेकिन दोनों में पति पत्नी जैसा रिश्ता बिल्कुल भी नहीं था। दोनों की अरेंज मैरिज हुयी , चाँदनी एक ख्यालात वाली लड़की थी और दीपक एक सीधा साधा लड़का जो किसी से ज्यादा बात तक नहीं करता था। दीपक की सादगी के चलते चाँदनी ने कभी उसे प्यारभरी नजरो से देखा ही नहीं , दोनों एक घर में साथ तो रहते थे लेकिन अजनबियों की तरह,,,,,,,दीपक अगर चाँदनी के सामने कभी अपना प्यार जाहिर भी करना चाहता तो चाँदनी किसी न किसी बहाने उस से झगड़ पड़ती
हालाँकि बिस्तर पर वह कभी दीपक को ना नहीं कहती लेकिन दीपक का मानना था जहा दो प्यार नहीं लोगो में प्यार नहीं है वहा जिस्मानी रिश्ते किस काम के,,,,,,,,,,,वह बस दिन रात चाँदनी का दिल जीतने की कोशिश में लगा रहता।
आज दीपक के ऑफिस की छुट्टी थी। चाँदनी के जाने के बाद उसे काफी बोरियत महसूस होने लगी। उसने कमरे में बिखरे सामान को जमाना शुरू किया। चाँदनी के बिखरे कपडे उठाकर उन्हें कबर्ड में रखने लगा तो नजर कबर्ड में टँगी साड़ी पर चली गई जो उसने चाँदनी के लिए बड़े प्यार से खरीदी थी लेकिन उसने इसे पहनना तो दूर छुआ तक नहीं। दीपक ने उस साड़ी को छूकर देखा और कबर्ड बंद कर दिया। आज छुट्टी थी और दीपक के पास करने को कुछ नहीं था इसलिए वह अख़बार लेकर घर के बाहर वाले बरामदे में चला आया। दीपक बाहर आया ही था की उसके बगल वाली मिसेज माथुर ने दिवार के उस ओर से आवाज दी,”दीपक ज़रा यहाँ आना”
“जी कहिये”,दीपक ने उनकी ओर आते हुए कहा
“वो घर में अचानक से मेहमान चले आये है , उनके लिए खाने का इंतजाम करना है घर में ताजा सब्जिया भी नहीं है। तुम अगर फ्री हो तो मार्किट जाकर थोड़ी सब्जी ला दोगे प्लीज ?”,मिसेज माथुर ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“हाँ मैं ला दूंगा”,दीपक ने कहा
“तुम रुको मैं अभी थैला और पैसे लेकर आती हूँ”,कहकर मिसेज माथुर चली गयी। कुछ देर बाद वे वापस आयी , उन्होंने कुछ रूपये और थैला लाकर दीपक दे दिया। दीपक सब्जिया लाने पैदल ही चल पड़ा। हालाँकि आज से पहले कभी उसने सब्जी नहीं खरीदी थी लेकिन अपने सीधेपन की वजह से वह अपने पड़ोसियों को कभी किसी काम के लिए मना नहीं करता था।
मार्किट आकर दीपक सब्जिया खरीदने लगा। इत्तेफाक से साँझ भी वहा सब्जी खरीद रही थी लेकिन दीपक और साँझ दोनों ही एक दूसरे से अनजान थे। सब्जी वाले को सब्जियों के पैसे देते वक्त साँझ की नजर दीपक पर पड़ी वह खरीदी हुए सब्जिया थैले में रख रहा रहा था। थैले में रखने के लिए सबसे पहले उसने टमाटर उठाये और जैसे ही उन्हें रखने वाला था साँझ बोल पड़ी,”अरे ! ये आप क्या कर रहे है ? टमाटर सबसे नीचे रखेंगे तो वो पिचक जायेंगे”
दीपक का हाथ रुक गया उसने पलटकर साँझ की तरफ देखा , सांवला रंग , सुन्दर नैन-नक्श , गहरी आँखे , गुलाबी होंठ उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे लेकिन जैसे ही नजर मांग में भरे सिंदूर पर गयी दीपक ने होश में आया और साँझ के चेहरे से नजरे हटा ली।
“लगता है भैया पहली बार सब्जी खरीद रहे है”,सब्जी वाले ने हँसते हुए कहा तो दीपक झेंप गया। सब्जीवाले की बात सुनकर साँझ मुस्कुरा उठी और अपनी सब्जियों के पैसे देकर आगे बढ़ गयी। दीपक ने खरीदी हुयी सब्जिया अपने थैले में रखी और जाती हुई साँझ से कहा,”आपका शुक्रिया”
साँझ पलटी और कहा,”कोई बात नहीं”
दीपक मुस्कुराया और अपना थैला उठाकर साँझ से विपरीत दिशा में चला गया।
रात 10 बजे दीपक डायनिंग टेबल पर रखे खाने के सामने बैठा था। चाँदनी और उसके रिश्ते में 100 कमियाँ सही लेकिन रात का खाना अक्सर दोनों साथ ही खाया करते थे और पुरे दिन में यही एक वक्त होता था जब दीपक चाँदनी को इत्मीनान से देखता था क्योकि दिनभर तो दोनों ऑफिस और दूसरे कामो में बिजी रहते थे। आज चाँदनी नहीं थी इसलिए दीपक का भी खाने का मन नहीं था उसने बेमन से एक निवाला तोड़ा और जैसे ही खाने के लिए हाथ बढ़ाया नजर फोन पर चली गयी और उसने निवाला वापस रखते हुए खुद से कहा,”एक बार उसे फोन करके पूछ लेता हूँ उसने खाया या नहीं ?”
दीपक ने फोन लगाया लेकिन रिंग जाती रही , उसने एक बार फिर फोन लगाया लेकिन इस बार फोन स्विच ऑफ आया। दीपक ने प्लेट को खिसकाया और उठकर अपने कमरे की तरफ चला आया। दीपक का मन उदास हो गया जितना वह चाँदनी के करीब आने की कोशिश कर रहा था चाँदनी उस से उतना ही दूर जा रही थी। वह आकर करवट लेकर बिस्तर पर लेट गया। उसकी नजर साइड टेबल पर रखी अपनी और चाँदनी की तस्वीर पर चली गयी। ये तस्वीर उनकी शादी की थी लेकिन दीपक जानता था उसकी जिंदगी में इस शादी का कोई वजूद नहीं है। उसने हाथ बढाकर तस्वीर को उलटा करके टेबल पर रख दिया और आँखे मूँद ली लेकिन नींद आँखों से कोसो दूर थी।
रात 10 बजे साँझ अपने बिस्तर पर लेटी रवि के बारे में सोच रही थी। सुबह से रवि का कोई फोन नहीं आया था ना ही कोई मैसेज। जब उस से रहा नहीं गया तो वह उठकर बैठ गयी और उसने मुस्कुराते हुए अपने फोन से रवि का नंबर डॉयल कर दिया। एक दो रिंग जाने के बाद दूसरी तरफ से रवि ने फोन उठाया और थके हुए स्वर में कहा,”हेलो साँझ इस वक्त फोन किया ?”
“आप सो रहे थे क्या ? सॉरी मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया ?”,साँझ ने कहा
“नहीं बस सोने ही जा रहा था , सॉरी वो बिजी होने की वजह से तुम्हे फोन नहीं कर पाया,,,,,,,,,,मीटिंग काफी लम्बी थी”,रवि ने कहा
“कोई बात नहीं आप आराम कीजिये मैं आपको सुबह फोन करती हूँ”,साँझ ने कहा
“बाय ! आई लव यू”,रवि ने प्यार से कहा
“आई लव यू टू , गुड नाईट”,कहकर साँझ ने फोन काट दिया और फोन रख दिया। रवि से बात कर अब उसे अच्छा लग रहा था। उसने बिस्तर के बगल में पड़ी रवि की तस्वीर को उठाया और उसे अपने दुपट्टे से पोछते हुए कहा,”जल्दी आना”
होटल रूम के बिस्तर पर लेटे रवि ने फोन साइड टेबल पर रखा तो उसके सामने खड़ी चाँदनी ने हाथ में पकड़ा वाईन का ग्लास रवि की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”तुम्हारी बीवी तुम्हे बहुत फोन करती है”
“बेचारी मुझसे बहुत प्यार जो करती है”,रवि ने ग्लास से एक घूँट पीते हुए कहा
“अच्छा मुझसे भी ज्यादा सुंदर है क्या ?”,चाँदनी ने अपने नाईट सूट के फीते को नजाकत से खींचते हुए कहा तो रवि ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने बगल में बैठाकर , अपने ग्लास से उसे वाईन पिलाते हुए कहा,”ऐसी बातें करके अच्छा ख़ासा मूड क्यों खराब कर रही हो ? तुम्हारी बराबरी वो कभी नहीं कर पायेगी कहा तुम और कहा वो ? उसके साथ उस घर में कैसे रहता हूँ ये मैं ही जानता हूँ ?”
“और मेरे साथ ?”,चाँदनी ने मदहोश होकर रवि की आँखों में देखते हुए पूछा
“तुम्हारे साथ तो मैं पूरी जिंदगी बिता सकता हूँ , तुम्हे प्यार करते हुए”,कहते हुए रवि ने उसके होंठो को अपने होंठो की गिरफ्त में ले लिया। कुछ वक्त बाद कमरे की लाइट धीमी हो गयी।
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क्रमश – “सोलमेट्स” aren’t just lovers – 2
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संजना किरोड़ीवाल
“साँझ मेरा वॉलेट कहा है ? मुझे मिल नहीं रहा ज़रा ढूंढ दोगी प्लीज”,रवि ने अपने कमरे में अपना वॉलेट ढूंढते हुए अपनी पत्नी साँझ को आवाज दी।
“ये रहा आपका वॉलेट , ये आपका रूमाल और ये आपका फोन”,साँझ ने रवि के सामने आकर उसे उसका जरुरी सामान देते हुए कहा
“थैंक्यू स्वीटहार्ट तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो , आई लव यू”,रवि ने अपने हाथ पर बंधी घडी को बंद करते हुए कहा लेकिन वह उस से बंद नहीं हो रही थी
“लाईये मैं कर देती हूँ”,साँझ ने कहा और रवि के हाथ पर घडी बांध दी।
“आप कब तक वापस आ जायेंगे , घर में अकेले मेरा बिल्कुल मन नहीं लगेगा”,साँझ ने थोड़ा सा उदास होते हुए कहा
“कम्पनी की एक मीटिंग है इसमें दो दिन तो लग ही जायेंगे पर मैं जल्दी आऊंगा और तुम बिल्कुल भी परेशान मत होना , जब मैं ना रहू तो घर से बाहर निकलो कॉलोनी के लोगो से मेल-जोल बढ़ाओ हम्म्म्म”,रवि ने अपना सूटकेस सम्हालते हुए कहा
साँझ ने रवि की बाँह को थामा और उसे घर के गेट तक छोड़ने चली आयी। रवि ने एयरपोर्ट जाने के लिए कैब बुक की थी और वो आ चुकी थी। रवि ने साँझ के माथे को चूमा और कहा,”मैं जल्दी आ जाऊंगा , अपना ख्याल रखना बाय”
“बाय , ध्यान से जाना”,साँझ ने मुश्किल से मुस्कुराते हुए रवि को अलविदा कहा। रवि ने अपना सामान रखा और साँझ को देख हाथ हिलाते हुए वहा से चला गया।
उदास मन से साँझ वापस अंदर चली आयी। साँझ और रवि की 2 साल पहले ही अरेंज मैरिज हुई थी। दोनों में बहुत प्यार था , रवि साँझ की हर जरूरत का ख्याल रखता तो साँझ भी उसे कभी शिकायत का मौका नहीं देती। रवि उदयपुर की एक कम्पनी में काम करता है। हफ्ते में एक बार उसे मीटिंग्स के लिए शहर से बाहर जाना ही पड़ता है लेकिन इस बार वह पुरे दो दिन के लिए जा रहा था और यही बात साँझ को उदास कर रही थी। रवि के जाने के बाद साँझ अंदर आकर बिखरे हुए घर को समेटने लगी। उसने हॉल और किचन साफ किया और उन बाद अपने बैडरूम में चली आयी। बिस्तर पर रवि की शर्ट पड़ी थी साँझ ने उसे उठाया और उसे दोनों हाथो में थामकर अपनी नाक से लगा लिया। रवि की महक उसे आज भी उतनी ही पसंद थी। वह मुस्कुरा उठी और शर्ट को अपने सीने से लगा लिया। घर की साफ सफाई के बाद वह नहाने चली गयी। उसने सिंपल कुरता पजामा पहन लिया और शीशे के सामने आकर बालों को बांधने लगी। रवि के ना होने से उसे सजने सवरने का मन भी नहीं था। वह हॉल में चली आयी और टीवी देखने लगी लेकिन कुछ देर बाद ही उसे बोरियत होने लगी। उसे याद आया घर में सब्जिया और राशन खत्म हो चुका है इसलिए वह उठी , अपना पर्स और बैग उठाया , गले में दुपट्टा डाला और मार्किट के लिए निकल गयी।
Har Sunday ayega na?? Rahi baat story ki life mai bhi yahi hota jo pyar karta log usse nafrat karte hai..
continue ak week
Asa kyun hota h pyaar k badle dhoka kyun milta h next part kb aayega maam
Soo saddd