Sanjana Kirodiwal

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शाह उमैर की परी -9

Shah Umair Ki Pari – 9

Shah Umair Ki Pari

शहर धनबाद में :-
”इतना बड़ा और खूबसूरत लाल गुलाब मेरे आईने के पास कैसे आया? आज से पहले तो मैंने ऐसा गुलाब का फूल पहले कभी नहीं देखा है, इस एक फूल से ऐसी खुश्बू फैली है कमरे में मानो कमरा ना हो कोई फूलों का बगीचा हो। ” परी गुलाब के फूल हाथ से उठाते हुए उसकी खुश्बू को महसूस करते हुए कहती है !
“कही ये उस आसिफ की शरारत तो नहीं है? मगर वो कमरे में कैसे आएगा? हो सकता है जब मैं गार्डन से वापस अंदर आयी तो दरवाज़ा खुला रह गया हो और जब मैं मम्मी पापा को चाय देने गयी थी तब अंदर आकर आसिफ गुलाब रख कर चला गया हो? मगर वो मुझे गुलाब क्यों देगा? वो भी इस तरह ? खैर उसकी खबर लेती हूँ अभी !” परी खुद में बड़बड़ाती है और गुस्से में गुलाब हाथ में लिए घर से निकलती है और गार्डन में आसिफ की तरफ जाती है जहा वो exercise कर रहा था।
”ये क्या बदतमीज़ी है आसिफ? तुम्हें कल ही समझाया न मैंने? समझ नही आता तुम्हें?”
“क्या हुआ? परी।”
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे कमरे में आने की और ये गुलाब रखने की? मैंने तुम्हे कल रात में ही मना कर दिया था के मुझे तुमसे किसी तरह का रिश्ता नहीं रखना और ना मैं तुम्हे पसंद करती हूँ। मैंने तुम्हे अपना एक अच्छा दोस्त समझा है बस !” परी उसे गुलाब फ़ेंक कर मारते हुए कहती है !
”इज़हारे मोहब्बत? वो भी इतने तीखे अंदाज़ में?हम तो वैसे ही घायल हैं चांद। फेंक कर देने की क्या जरुरत है? तुम आराम से भी गुलाब दे सकती हो। तुम मुझे हर हाल में क़ुबूल हो और किसने कहा है कि दोस्त से इश्क़ नहीं हो सकता? तुम मौक़ा तो दो मेरी चांद। मेरी तरह प्यार करने वाला दोस्त तुम्हे कही नहीं मिलेगा। ” आसिफ इश्क़िया अंदाज़ में कहता है !
”मोहब्बत? वो भी तुमसे? पहले जाओ खुद को आईने में देखो। एक जॉब तो ढंग से करते नहीं हो और मुझसे वादे किये जा रहे हो। पहले जिम्मेदार बनो फिर वादे करना। फिर मोहब्बत जताना। फिर अपने इश्क का इजहार करना। ” परी गुस्से में कहती है।
‘’मोहतरमा इतना गुस्सा करने की जरूरत क्या है? लीजिये पकड़िये अपना गुलाब। ना मैं आप के घर के अंदर गया हूँ और ना ही ये गुलाब मैंने आपके कमरे में रखा है। हिम्मत है कि सामने आकर कह सकूं अपनी बात। ऐसा बुज़दिल नही मैं। कोई और रख कर गया होगा जा कर उसे ढूंढो आप, अपना गुस्सा उतारने को। मुझे अगर कभी कुछ ऐसा करना हुआ, कुछ देना होगा तो सामने दूंगा, यूँ छुप कर नहीं। और वैसे भी, आप जहाँ रहती हो वो मेरा ही घर है। मैं जब चाहे अंदर आ सकता हूँ अगर आपको याद हो तो।” आसिफ परी को कहता है और वापस अपनी exercise करने में लग जाता है।
बेचारी परी मुँह बनाए जैसे घर की तरफ पलटती है आसिफ उसे आवाज़ देता है और कहता है ! “परी सुनो एक कप तुम्हारे हाथ की बनी चाय मिलेगी? मूड थोड़ा खराब हो गया है।मूड फ्रेश हो जाएगा चाय से और सुनो न चाय अदरक वाली बनाना !”
“जाकर खुद बना कर पी लो अदरक वाली चाय तुम्हारा ही घर है ना? वैसे भी चाय ज्यादा अच्छी तुम ही बनाते हो।” परी कहती हुई घर में चली जाती है !
“तारीफ़ भी करनी है और नाटक भी उतने ही करने हैं। पागल लड़की।” आसिफ उसके चिढ़ने पर जोर-जोर से हसंता है और वापस अपने कामो में लग जाता है।
इन सब बातों में उसे याद ही नहीं रहा के उसे आज ऑफिस भी जाना है और फिर से बॉस का सामना करना है ! वो हाथ में गुलाब लिए अपने कमरे में आकर बेड पर लेट जाती है और सोचती है, कि आज ऑफिस जाये या ना जाये? इन्ही सोचों में परी गुम थी कि उसे रात के मोतियों का ख्याल आता है। परी बेड से उठ कर मोतियों को देखती है फिर एक धागे में सब को पिरो कर एक ब्रेस्लेट की तरह बना लेती है। उसे पहन लेती है ! उसके खूबसूरत हाथ मे वो मोतियों की ब्रासलेट बेहद खूबसूरत लगता है ! परी ब्रासलेट को अपने हाथ से उतार कर आईने के क़रीब रख देती है ! अपना मोबाइल उठा कर नागेंद्र को कॉल लगाती है!
”हेल्लो नागेंद्र कहा हो तुम ? इतने दिनों से कोई खबर नहीं है तुम्हारी? सब ठीक है ना ? ” परी कॉल पर पूछती है !
”हाँ। मैं बिलकुल ठीक हूँ परी, बस कुछ कामो में बिजी रहता हूँ। तुम बताओ इतनी सुबह-सुबह कैसे याद किया ?” दूसरी तरफ से नागेंद्र कहता है !
”यही जानने के लिए के मदन सर ने जॉब से रिलेटेड कुछ बताया के नहीं ? कोई बात बढ़ी? कोई जॉब?” परी कहती है !
”नहीं परी अभी उन्होंने कुछ भी इनफार्मेशन नहीं दी है, जॉब से रिलेटेड मैंने कल ही कॉल किया था। मदन सर ने कहा अभी हमें रुकना पड़ेगा। उन्हें थोड़ा टाइम और लगेगा !” नागेंद्र ने कहा।
”ठीक है कोई अच्छी जॉब मिले तो प्लीज मुझे जरूर बताना ओके बाय।” कहते हुए परी कॉल कट कर देती है!
”पता नहीं मेरी किस्मत में क्या लिखा है? कोई भी काम नहीं बनता मेरा , कभी कभी तो ऐसा लगता है, जैसे मैं ठोकर ही खाने के लिए इस दुनिया में आयी हूँ ! दूसरी तरफ अगर कुछ करना चाहो तो लोग लड़कियों को इज्जत से कमाने भी नहीं देते !” परी खुद से कहते हुए अपने कमरे से निकल कर घर के कामों में अपनी मम्मी का हाथ बटाती है। फिर वो घर के सारे काम निपटाने के बाद तैयार हो कर ऑफिस के लिए निकल जाती है। उसे समझ नहीं आ रहा होता कि वो क्या करे? इन सब परेशानियों से कैसे बचा जाये? एक तरफ उसके घर के बुरे हालात, दूसरी तरफ उसके बॉस का गलत रवैया उसके साथ !
”परी तुम्हे बॉस ने अपने केबिन में बुला रहे है !” पंकज गुप्ता परी के पास आकर कहता है !
‘मुझे बुला रहे? मगर किस लिए ? ” परी घबरा कर कहती है !
”अरे वो बॉस है हमारे, खाना खाने या गाना गाने तो नहीं बुलाएंगे न? उन्हें कोई काम होगा इसलिए बुला रहे होंगे। तुम भी ना? बेतुके से सवाल करती हो जाओ जल्दी।” पंकज गुप्ता हंसकर कहते हुए चले जाते है !
“जी बॉस, आप ने मुझे बुलाया?” परी बॉस के केबिन में जाकर पूछती है !
“हाँ! तुम ऐसा करो कि लास्ट दो साल के सब पार्टीज के सेल और परचेस की एक रिपोर्ट फ़ाइल मुझे बना कर दो, वो अभी के अभी। तुरंत ही !” बॉस कहता है
“मगर बॉस उसमे थोड़ा टाइम लगेगा। मैं बना देती हूँ।” परी कहती है
”देखो, मुझे कोई एक्सक्यूज़ नहीं चाहिए मुझे अभी थोड़ी देर में सारी रिपोर्ट बना कर मेरी डेस्क पर चाहिए। अगर पूरी सैलरी चाहिए तो जल्दी काम पर लगो !” बॉस आर्डर देते हुए कहता है, तो परी वापस अपने केबिन में आ जाती है और जल्दी से कंप्यूटर में सारी शीट ओपन कर के रिपोर्ट बनाने लग जाती है !
”लगता है, आज फिर तुम्हारा टिफ़िन रखा रह जायेगा। अगर तुम इसी तरह काम करती रही तो!” पंकज सर लंच टाइम में परी से कहते है !
”सर क्या बताऊ आप को? मेरी ज़िन्दगी कैसे- कैसे इम्तेहान ले रही है। हर रोज कोई ना कोई नया काम मिल ही जाता है करने को और बाकी सारे काम पेंडिंग रह जाते है ! इन सब झमेलों में भूख भी कंहा यर्ड रहती है, खतम हो मर जाती है !” परी कंप्यूटर में एंट्री करते हुए कहती है !
”देखो परी, ऑफिस है काम तो होता रहेगा। तुम टाइम पर खाना खाया करो और ऑफिस में सब जानते है, कि तुम मेहनती हो ! अपना टिफिन ले आओ, बैठो, चलो साथ में खाते
है। ”पंकज सर कहते है !
”तुम दोनो को कोई काम नहीं है क्या ? बातें ही करनी है तो पार्क में चले जाओ? इस तरह ऑफिस का माहौल खराब मत करो !” अपने केबिन से आते हुए परी के बॉस सुमित कुमार कहते है !
”वो बॉस, ये काम मे लगी थी तो मैं परी को लंच करने के लिए कह रहा था बस !” पंकज गुप्ता कहता हुआ वहा से चला जाता है !
”कहा तक काम पहुंचा तुम्हारा? जरा दिखाओ?” कहते हुए परी के बॉस सुमित कुमार उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर कंप्यूटर के माउस को चलाने लगते है और धीरे-धीरे उसके हाथों को अपने हाथो से दबाते है।
”देखिए बॉस मैं आप का दिया हुआ काम ही कर रही हूँ। आप प्लीज इस तरह से मेरे साथ बीहेव ना करे ! पहले मैं आप को समझा दूँ, कि मैं ऐसी-वैसी लड़की नहीं हूं। मेरे लिए मेरी इज्जत सब से पहले है। अगर आप ने दुबारा इस तरह की हरकत मेरे साथ की, तो आप का सच सब के सामने लाने में मुझे जरा भी देर नहीं लगेगी ! आप से रिक्वेस्ट है कि आप मुझसे दूर से ही बात करे इस तरह करीब आकर मुझे गलत तरह से छू कर आप क्या जताना चाहते है? मैं कमज़ोर हूँ। न लाचार। मुझे ये समझने की गलती बिलकुल भी मत कीजियेगा।”
”क्या बकवास कर रही हो तुम? दिमाग तो ठीक है ना तुम्हारा ? ” परी के बॉस सुमित कुमार कहते है !
”मैं कोई बकवास नहीं कर रही बॉस। सच आप अच्छी तरह जानते है और हाँ मुझे मेरी सैलरी चाहिए आज के आज ही !” परी कहती है ।
“तुम शाम को मेरी केबिन में आओ, वही तुमसे बात होगी !” परी के बॉस सुमित कुमार गुस्से में कहते हुए चले जाते है !

दुसरी दुनियाँ ज़ाफ़रान क़बीला :
आज उमैर बहुत खुश रहता है, उमैर हवेली में पहुँच कर शहंशाह जिन की खिदमत में हाज़िर होने से पहले महल के बागों के चक्कर लगाता हुआ, महल में दाखिल होता है। जहाँ सिढ़ियों पे मरयम उसका रास्ता रोकती हुई कहती है ! ”कहाँ थे तुम सारी रात ?”
”आप को इससे क्या मतलब ? क्या मुझे आप को अपनी रातों का भी हिसाब देना होगा ? और आप मेरे रास्ते से हटे मुझे शहंशाह के पास जाना है !” उमैर कहता है !
”जी हाँ। मुझे मतलब है, मगर इससे नहीं के तुमने रात कहा गुज़ारी। बल्कि इससे कि जब तुम्हे अब्बा की खिदमत के लिए रखा गया है तो तुम उनकी खिदमत करने के बजाय गायब थे ?” मरयम थोड़ा गुस्सा होकर कहती है !
‘’शहजादी मरयम, पहले तो मैं आप को साफ़- साफ़ बता दू मैं किसी का गुलाम नहीं हूँ।अपने अब्बा की ज़िद पे यहां हूँ और मैं अपने अब्बा की बहुत इज्जत करता हूँ। दूसरी बात अपने घर जाने के लिए मुझे किसी की इजाजत की जरुरत नहीं, मैं जब चाहे जा सकता हूँ अपने घर !’’ उमैर कहता है!
‘’रात में अब्बा की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गयी थी। सब उनकी खिदमत में हाज़िर थे सिवाय तुम्हारे। जाओ अब अब्बा के पास। बेकार में बहस करना सही नहीं समझती मैं !” कहते हुए मरयम उमैर के सामने से हट जाती है !
उमैर शहंशा फरहान अब्बास के कमरे पे पहुँचता है, तो वहा पहले से ही बहुत सारे लोग शहंशाह की खिदमत में लगे होते है। कोई उनको पंखे की हवा दे रहा , कोई उनके हाथ पैर दबा रहा , तो कोई उनके लिए काढ़े त्यार कर रहा ! उमैर खामोश खड़ा शहंशाह की ओर देखता है।
”शाह उमैर मेरा बेटा इरफ़ान अब्बासी इंसानी दुनिया में कई सालों से सजा के तौर पर रह रहा है। मैं चाहता हूँ कि तुम किसी के जरिए मेरे बेटे तक मेरी खराब तबीयत की खबर पहुंचा दो। साथ में यह भी कि मैंने उसे माफ़ किया है। अब वो अपनी दुनिया में वापस आ सकता है !” शहंशाह ने उमैर को देखते हुए कहा !
”आप अगर इजाजत दे, तो मैं खुद ही जाकर आप के बेटे शहजादे इरफान को खबर दे देता हूँ !” उमैर शहंशाह से कहता है !
”हाँ तुम जा सकते हो मगर कुछ शर्ते है मेरी और बिना मेरी शर्तों के मैं तुम्हे इंसानी दुनियाँ में जाने की इजाजत नहीं दूंगा फिलहाल !” शहंशाह फरहान अब्बासी उमैर से कहते है !
”जी हुज़ूर, कैसी शर्ते मैं समझा नहीं ?”‘ उमैर कहता है
”तुम इंसानी दुनिया में जाओगे जरूर, मगर सीधा वापस आओगे, अपना काम कर के।वहा तुम्हे कही भटकना नहीं है, दूसरी दुनिया है, देख कर मन करेगा कुछ देर रुकने का। घूमने का। पर तुम्हें जरा भी देर नहीं करनी है। ! ” शहंशाह फरहान अब्बासी उमैर से कहते है!
”शहंशाह आप उमैर को यही अपने खिदमत में रखे, मैं जाता हूँ। शहजादे इरफ़ान के पास आप का पैगाम लेकर ! ” शाह ज़ैद शहंशाह के कमरे में दाखिल होते हुए कहते है !
“अब्बा, उफ्फ…इसी बहाने मैं परी को करीब से देख आऊंगा। एक अच्छा मौका हाथ आया है इंसानी दुनियाँ में जाने का। लेकिन अब्बा बीच में आकर सारी बात बिगाड़ देंगे।” उमैर खुद में सोचता है।
उमैर कहता है “अब्बा आप क्यों परेशान हो रहे? आप यहा रुकिए मैं लेकर आता हूँ शहजादे ,इरफ़ान को !”
” नहीं उमैर। तुम फ़िलहाल अभी यहा रह कर शहंशाह की खिदमत अच्छे से करो। तुम्हे कही जाने की जरूरत नहीं है !” शाह ज़ैद गुस्से में घूरते हुए उमैर की तरफ देखते है, तो बेचारा उमैर डर से अपनी नज़रे झुका लेता है !
”तुम दोनों में से कोई भी जाओ मगर फ़ौरन मेरे बेटे को बुला कर लाओ। आज उसे देखने का बहुत दिल कर रहा है ! ” शहंशाह बेचैन होते हुए कहते है !
”आप परेशान ना हो मेरे मालिक। मैं अभी जाता हूँ, आप के बेटे को लाने और आप से गुज़ारिश है कि आप उमैर से ज्यादा से ज्यादा अपना काम करवाया करे। इसे अभी बहुत कुछ सीखना है !” कहते हुए शाह ज़ैद सब की नज़रो से गायब हो जाते है !
”ज्यादा से ज्यादा काम से क्या मतलब? मैं दिन भर इनके महल में झाड़ू पोछा मारता रहूँ क्या ? कितने दिन हो गए है अपने दोस्त हनीफ से मुलाक़ात नहीं की है मैंने। अब तो मुझे परी के लिए भी वक़्त निकालना है ! अब्बा ने मुझे फसा कर रख दिया है यंहा।क्या करू मैं ? ” उमैर परेशान होकर सोचता है !
खैर वो कर भी क्या सकता है? उमैर बेचारा शहंशाह के दिए सरे काम ख़ामोशी से करता है उसके ख्यालों में बस परी की आँखों के आँसू और उसका सारा दर्द चल रहा होता है !
”एक दिन में कोई इतना सुधर सकता है क्या? सारे काम अगर हो गये है तो मेरे साथ चलो मुझे क़बिले में ही कही जाना है !” शहज़ादी मरयम कहती है !
”आप ने क्या कसम खायी है मुझे परेशान करने की ? मैं आप के साथ कही नहीं जाऊंगा समझी आप? जाइये अपना काम खुद करे। ख्वामख्वाह मुझे परेशान न किया करें। ” उमैर चिढ़ कर जवाब देता है !
”इतना चिढ़ने की क्या जरुरत है उमैर? नहीं जाना तो आराम से मना कर दो। वैसे तुमने मुझे बागों में घुमाने वाला वादा अधूरा ही छोड़ दिया है !” मरयम हल्की मुस्कान होंठो पे सजाये कहती है !
”मैं ने कोई वादा नहीं किया है आप से। आप खुद ही मेरे गले पड़ रही है मोहतरमा मरयम!” उमैर कहता है !
‘’बहुत ही बद्तमीज़ हो तुम उमैर। तुम्हे ये भी नहीं पता के लड़कियों से कैसे बातें करते है? सलीका लिहाज़ कुछ नही आपमे?” मरयम कहती है।
उमैर कुछ कहता या बोल पाता , तभी महल में शाह ज़ैद के साथ एक नौजवान जिन ज़ादा दाखिल होता है। सभी लोग खड़े हो कर अदब से झुक कर सलाम करते है ,मगर उमैर अपनी जगह पर खामोश खड़ा देखता रहता है !

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Written By – Shama Khan

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मौका दे खुदा मुझे भर के नज़र देख आऊँ उसे ,
दो दुनियाँ के लोगों की मोहब्बत में फ़ासलें बहुत है अभी !

SHAMA KHAN

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