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शाह उमैर की परी -10

Shah Umair Ki Pari -10

Shah Umair Ki Pari
Shah Umair Ki Pari

शहर धनबाद में :-
”परी मैम आप को बॉस अपने केबिन में बुला रहे है !” ऑफिस बॉय छोटू कहता है!
परी को अच्छे से पता रहता है कि जिस तरह उसने दोपहर में अपने बॉस को सुनाया था वो जरूर उससे बदला लेगा। परी सोचती हुई बॉस के केबिन की तरफ चल पड़ती है !
”आओ मिस परी। मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था बताओ मैं तुम्हारी खातिर दारी कैसे करू?” परी को अपने केबिन में आता देख सुमित कुमार कहते है !
”बॉस आप ने मुझे बुलाया है? कुछ जरूरी काम?” परी कहती है !
”हाँ मैंने सोचा है कि आज तुम्हे सारे झमेलों से आजाद कर ही दूँ ।जो भी कहना है क्लियर कह दू। पहला यह कि अगर तुम चाहो तो तुम्हे मुँह मांगी सैलरी मिलेगी और साथ में सारे ऐशो आराम भी। लेकिन, अगर तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बन जाओ और मेरे सारे अरमानो को पूरा कर दो। तुम्हारा ये हुस्न, गोरा बदन। मेरा मन जो तुम्हे हर रोज देख कर मचल जाता है! या तो फिर दूसरी बात यह के अपना हिसाब किताब क्लियर करो और यहां से दफा हो जाओ !” परी का बॉस सुमित कुमार चेहरे पर तंजिया मुस्कराहट लिए परी से कहता है !
”मैं आप के जाल में नहीं फँसी तो आप मुझे जॉब से निकाल दोगे? आप ने मुझे यहां काम करने के लिए रखा है? या खुद की हवस पूरी करने के लिए? ” परी कहती है !
”देखो मैं तुम्हारा नौकर नहीं हूँ, बॉस हूँ। तमीज में रहकर बात करना। तुम्हारी ये बकवास बातें नहीं सुनूंगा ! मेरी मनो तो मेरे प्यार को क़ुबूल कर लो, रानी बना कर रखूँगा तुम्हे। नाम की ही तरह एक दम परियों की सी जिंदगी कर दूंगा !” परी के बॉस सुमित कुमार कहते है !
”आप जो भी कह रहे है न,उसे रानी बना कर रखना नहीं कहते बॉस। उसे रखेल कहते है, आप एक शादीशुदा इंसान होकर ऐसी नीच बातें कैसे कर सकते हो ? मैं भी आप की नौकर नहीं हूँ। ना ही आप ने मुझे खरीद रखा है, जिसे आप जब चाहे जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकते है। मैं यहां इज्जत से काम करने आयी हूँ, खुद को बेच कर कमाने नहीं ! मेहनत करती हूँ तब आप सैलरी देते हो ! चलो ये छोड़ो यह बताओ पंकज सर हो या मनोज सर आप उनसे भी यही सब करने को कहते हो क्या ? जो अभी मुझसे कहा है, नहीं ना? औरतों की इज्जत करना सीखे और इज्जत से उन्हें अपना काम करने दे !” परी कहती है !
“बतमीज़ लड़की तुम्हे तमीज नहीं है, बड़ो से बातें करने की !” परी के बॉस गुस्से में भड़कते हुए कहते है !
”जैसे आप को बहुत तमीज है अपने छोटो से बातें करनी की? ज्यादा चिल्लाये मत आप वरना मुझे भी चिल्लाना आता है ! चिल्ला कर सब को बता दू कि आप ने दोपहर में मेरे साथ कैसी नीच हरकतें की? मैं मजबूर जरूर हु मगर इतना गिरी हुई नहीं के चंद रुपयों के लिए अपनी इज्जत, अपना ज़मीर, क़ुर्बान कर दूँ। खुद को बेचना होता तोबहुत खरीददार मिले हैं मुझे। सोचा था कि बूढ़े हो, बुजुर्ग हो थोड़ी तमीज होगी आपमे। शायद यंहा वो सब नही झेलना पड़ेगा। पर नहीं सारे मर्द एक से ही होते हैं। !” परी गुस्से में कहती है तो उसका बॉस खामोश हो जाता है !
”बस! बहुत हुआ। तुम्हारी बकवास नहीं सुननी मुझे।निकलो यंहा से। तुम यहां से जा सकती हो और बाहर अगर किसी से कुछ कहने की जुर्रत की, तो अच्छा नही होगा !” परी का बॉस सुमित कुमार कहता है !
”जब इतना ही इज्जत का डर है, तो ऐसी नीच हरकतें क्यों करते हो आप ? अभी के अभी आप मेरा हिसाब क्लियर कर दो।मैं अब यंहा एक पल भी नही रुक सकती, जॉब करना तो दूर की बात है। रेसिग्नशन लेटर की जरूरत तो नही होगी आपको? !” परी कहती है
परी का बॉस उसे दो महीने की सैलरी थमा देता है और कहता है !
” ये लो अपने पैसे और दफा हो जाओ यहां से। जब जॉब के लिए दर- दर भटकोगी और जॉब नहीं मिलेगा, तब तुम्हे जॉब की अहमियत समझ आएगी, मेरा ऑफर तब भी यही होगा। बन जाना मेरी गर्लफ्रैंड और रानी भी।!”
‘’मैं चाहे भूखी ही क्यों ना मर जाऊ, मगर आप जैसे नीच इंसान, बेग़ैरत बूढ़े के यहां कभी जॉब नहीं करुँगी। जहा एक लड़की की इज्जत को पैसो से तोला जाता है !” परी आँखों में आंसू भरे कहती है! और अपना सारा सामान समेट कर ऑफिस से निकल जाती है !
बेचारी परी उसकी ज़िन्दगी भी हर मोड़ पर उसका इम्तेहान ले रही होती है ! एक तो पहले से ही घर में गरीबी है, ऊपर से जो भी दाल रोटी चलाने का जरिया एक जॉब थी उसकी, आज वो भी उसके हाथों से चली गई !
परी सड़क किनारे बनी बेंच पर जाकर बैठ जाती है और आसमान की तरफ नज़र उठा कर चाँद को ताकती रहती है ! फिर वो उठ घर की तरफ चल देती है !
”मम्मी चाय बना दो, सर बहुत दर्द हो रहा। मैं चेंज कर के आती हूँ !” परी ऑफिस से आते ही नदिया जी से कहती है और अपने कमरे में चले जाती है !
”मम्मी पापा को बता दूँ कि मैंने जॉब छोड़ दी? मगर उन्हें वजह क्या बताउंगी ? बॉस की हरकतें अगर बताती हूँ, तो पापा मुझे फिर जॉब करने ही नहीं देंगे। मुश्किलात पहले ही कम नही है और भी ज्यादा बढ़ जाएँगी। क्या करू मैं ?” परी कमरे में टहलते हुए सोचती है !
”परी बेटा तुमने आज फिर अपना टिफ़िन नहीं खाया? क्या बात है बेटा ? ‘’नदिया जी चाय का कप परी को देते हुए कहती है !
”वो मम्मी आज कल काम ही कुछ जयादा बढ़ गया है, इसलिए टाइम नहीं मिलता। अच्छा पापा नहीं दिख रहे !” परी ने कहा !
”जब से आईपीएल शुरू हुआ है घर पर उनका दिल कहा लगता है? रफ़ीक भाई के घर पर टीवी देख रहे है !” परी की मम्मी कहती है !
”आ बैठ मेरे पास तेरे बालों में तेल लगा देती हूँ। ज्यादा काम के बोझ की वजह से सर दर्द हो रहा होगा, खाना भी नही खाया,दर्द तो होगा ही।” नदिया जी तेल की शीशी उठा कर परी के बेड पर बैठते हुए कहती है !
”मम्मी आप ने तो मेरे दिल की बात कह दी, लो मसाज करदो !” परी कहते हुए अपनी मम्मी की गोद में सर रख कर लेट जाती है !
”पहले जरा मैं अपनी इस नन्ही परी को प्यार तो कर लु !” नदिया जी मोहब्बत से परी के पेसानी को चूमती है !
परी के आँखों से बे इन्तेहाँ आँसू निकलने लगते है और वो अपने चेहरे को अपनी मम्मी की गोद में छुपा लेती है !
”मम्मी मुझे बस आप का और पापा का साथ चाहिए, फिर तो मैं किसी भी मुश्किल से लड़ सकती हु !” परी कहती है!
‘’बेटा मौत का तो कह नहीं सकते, कब आ जाए। मगर हाँ जब तक ज़िंदा रहेंगे मेरी बच्ची तेरा साथ देंगे!” नदिया जी मोहब्बत से परी के बालो में तेल डालती हुई कहती है !
परी को आराम मिलते ही वो नींद की वादियों में गुम हो जाती है ! तब तक हसन जी भी आजाते है और परी को सोता देख प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते है !

दुसरी दुनियाँ ”ज़ाफ़रान क़बीला ”:-
”शाह उमैर बदतमीज़ खड़ा-खड़ा मुँह क्या तक रहा है? शाहजादे इरफ़ान को सलाम और उनके अदब में झुक कर अपनी अकड़ कम करो !” शाह ज़ैद उमैर के बगल में आकर खड़े होकर कहते है !
”अरे! अब्बा आप बहुत जल्दी आ गये तो यही है शहशांह के बेटे !” उमैर थोड़ा चौंकता हुआ कहता है !
”हाँ यही है। शहजादे साहब जाओ बेटा तुम जा कर उनकी खिदमत करो। जरा देखो उनको किसी चीज़ की जरुरत तो नहीं !” शाह ज़ैद उमैर को प्यार से कहते है तो उमैर ख्यालो में फिर खुद से कहता है!” आज ये अब्बा के अल्फ़ाज़ शहद जैसे टपक रहे, पता नहीं अब कौन सा फन्दा मेरे सर बाधेंगे ये।”
उमैर शहंशा के कमरे में जाता है जहां शहजादी मरयम ,शहजादा इरफ़ान और शंहशाह आपस में बात कर रहे होते है !
”शाह उमैर अभी हम कुछ जरुरी बातें कर रहे है, तुम बाहर इंतज़ार करो !” शंहशाह उमैर को कमरे में आता देख कर कहते है !
“इंसानी दुनियाँ का कुत्ता बना दिया है मुझे सब ने। अब्बा कहते है जाओ खिदमत करो इनकी और ये लोग कहते है, बाहर इंतजार करो। कोई मुझसे भी पूछे कि आखिर मैं क्या चाहता हूँ? ” उमैर गुस्से में खुद में कहता हुआ महल से निकल कर बाहरी सीढ़ियों पे आकर बैठ कर आसमान में चाँद को देखने लगता है !
“उमैर मेरे दोस्त कहा गायब है तू इतने दिनों से? अब तो तू मुझ से मिलने भी नहीं आता ! !” उमैर का दोस्त हनीफ कहता है !
“हनीफ तुम इस वक़्त महल में क्या कर रहे हो ? ” उमैर हनीफ को कहता है !
”मैं तो शहज़ादे इरफ़ान के लिए नए कपड़े लेकर आया हूँ। तू भूल गया क्या कि मेरे अब्बा कपड़े बनाते है !” हनीफ कहता है !
”हनीफ मेरे भाई, मेरे अब्बा ने जिस काम में मुझे लगाया है ना मुझे तो लगता है। एक दिन मैं खुद को ही भूल जाऊंगा !” उमैर कहता है !
”देख भाई हमारी दुनियाँ का यही उसूल है हम आम जिनो को शाही जिन के खानदान की मुलाजमत करनी पड़ती है और यह सब सदियों से चला आ रहा है। कल हमारे बाप दादा ने इनकी खिदमत की आज हम कर रहे आने वाले दिनों में हमारे बच्चे करेंगे। बस समझ लो क़यामत तक यह सिलसिला चलेगा !” हनीफ उमैर को समझाते हुए कहता है !
”मेरा तो पता नहीं मगर मेरे बच्चे यक़ीनन किसी की गुलामी नहीं करेंगे। मैं उनपर कोई बंदिशें नहीं लगाऊंगा। वो जैसे चाहे अपनी ज़िन्दगी जी सकते है !” उमैर ने कहा !
”अच्छा ठीक है मैं अंदर कपड़े देकर आता हूँ। फिर कही घूमने चलते है !”हनीफ कहता हुआ महल में चला जाता है !
उमैर कुछ वक़्त तक आसमान में रौशन चाँद को देखता रहता है फिर उठ कर अपने घर की सिमत चल देता है रास्ते में उसे अपने अब्बा महल की तरफ आते दिख जाते है। फ़ौरन वो खुद की शकल को हसन की शकल में बदल लेता है और ख़ामोशी से अपने अब्बा के सामने से नज़र नीची किये हुए गुज़रता है !
”हनीफ बेटे तुमने शहजादे इरफ़ान को कपड़े दे दिए !” शाह ज़ैद, उमैर को रोकते हुए कहते है जो अभी हनीफ बना हुआ रहता है !
”जी हाँ दे दिये है ! ” उमैर कहता है !
”अभी जब मैं तुम्हारे घर पर कपड़े के लिए कहने गया था, तो तुमने कोई और कपड़े पहने हुए थे और अभी तुम वही कपड़े पहने हो, जो उमैर ने आज पहने है !” शाह ज़ैद सवालिया नज़रों से उमैर की तरफ देखते हुए कहते है, जो उन्हें हनीफ नज़र आ रहा होता है !
”हाहा चाचा जान, आप भी ना बहुत गौर करते हो हर चीज़ पर। असल में उमैर के कपड़े मुझे पसंद आये इसलिए मैंने उससे लेकर पहन लिये और अपने कपड़े उसे दे दिए !’’ उमैर हँसते हुए कहता है !
”अच्छा चलो ठीक है जाओ घर !’’ शाह ज़ैद कहते है !
”अगर आप बुरा ना माने तो आप को एक बात कहना चाहता हूँ चाचा जान ! ” उमैर ने हनीफ की आवाज़ में कहा !
”हाँ बोलो क्या बात है?” शाह ज़ैद ने कहा !
”आप को ऐसा नहीं लगता के आप ने उमैर के साथ ज्यादती की है, उसे महल का गुलाम बना कर। उसके भी तो कुछ शौक़ ओ अरमान होंगे, जिनको पूरा करने के लिए अब उसके पास फुर्सत नहीं ! क्योंकी आप ने उसे दिन रात महल के कामों में जो फसा रखा है ! मेरी बस यही गुज़ारिश है कि आप कम से कम उसे घर जाने की इजाजत दे दे। कम से कम वो कुछ पल अपनी बहनो और दोस्तों के साथ गुज़ार सके !” उमैर अभी अपने दिल की बात हनीफ बन कर शाह ज़ैद को सुना ही रहा होता है, कि शाह ज़ैद को सामने से आता हुआ हनीफ दिख जाता है !
‘’तुम बिलकुल सही कह रहे हो बेटा मैं कुछ ज्यादा ही उमैर पर जुल्म करता हूँ। मगर तुम्हे ऐसा नहीं लगता के उमैर पिटने के लायक ही है !” शाह ज़ैद कहते हुए अपने पैर से जूता निकाल कर उसकी पिटाई करना शुरू कर देते है !
”नालायक अपने बाप को बेवक़ूफ़ बनाता है, चल जल्दी से अपनी असल सूरत में आ !” शाह ज़ैद उमैर की पिटाई करते हुए कहते है !
”अब्बा माफ़ कर दो मैं तो बस ऐसे ही मज़ाक कर रहा था, अब से नहीं करूँगा !” उमैर खुद को बचाता हुआ अपनी असली शक्ल में आकर कहता है !
‘’ज़ैद चाचा, आप उमैर को क्यों मार रहे हैं? छोड़ दे इसे !”हनीफ दौड़ते हुए आकर उमैर को बचाता है !
”इस शैतान की हरकतें ही मार खाने लायक है। अपने बाप से मज़ाक करता है!” फिर शाह ज़ैद उमैर की सारी हरकतें हनीफ को बताते है !
हनीफ बेचारा अपनी हँसी को दबाये ख़ामोशी से सारी बातें सुनता रहता है ! उमैर दोनों को बातों में मसगूल देख गायब हो जाता है !
”देखा तुमने हनीफ बेटा यह सारी हरकतें इसकी मुझे परेशान कर देती है ! मुझे तो बस इस बात का डर रहता है कि कंही ये कम्बख्त किसी बड़ी परेशानी में ना फस जाये।” शाह ज़ैद फिक्र मंद होकर हनीफ से कहते है और महल की तरफ चल देते है !

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Wrriten By – Shama Khan

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कुछ शरारते , कुछ समझदारी, दिलों में है उसके बेशुमार प्यार ,
खुद के ख्यालों में उलझा सा वो जिनो का राजकुमार !

SHAMA KHAN

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