शाह उमैर की परी -23
Shah Umair Ki Pari -23
शहर धनबाद में :-
”हम्म्म” बहुत ज्यादा चोटे आयी है परी के पापा को खैर मौत और ज़िन्दगी तो उस पाक परवरदिगार के हाथों है मैं बस आप को बचाने की छोटी सी कोशिश कर सकता हूँ! उमैर खुद से ही कहता है फिर अपने हाथों को हसन जी के पुरे जिस्म पर फेरता है ! जिससे एक हलकी रौशनी निकलती है ! उमैर के हाथ हटाते ही हसन जी फ़ौरन होश में आजाते है उनकी पल्स और दिल की धड़कने सब नार्मल हो जाती है ! उमैर उन्हें होश में आता देख धीमे से मुस्कुराता है उसके बाद इत्मीनान से बाहर आकर परी के पास खामोश खड़ा होजाता है !
जहा खामोश खड़ी परी को आसिफ कहता है !”परी don’t worry तुम बस अपने पापा का अच्छे से इलाज करवाओ बिल की चिंता बिलकुल भी मत करना मैं सारे बिल pay करदूंगा ! ”
”बड़ा ही बेशर्म है यह आसिफ ना जाने कितनी चालें चलेगा यह परी को पाने के लिए इसके इरादे सही नहीं लगते मुझे ! खुद के जेब में तो फूटी कौड़ी नहीं है चला मेरी परी की मदद करने ना जाने क्यों मगर मैं इसके दिल में क्या है ? समझ क्यों नहीं पारहा हूँ कुछ तो अजीब है यह इंसान !” परी के पास खड़ा उमैर अपने ख्यालों में कहता है !
”थैंक यू आसिफ मगर पापा के इलाज के लिए मेरे पास रुपयों की कोई कमी नहीं है ! तुम बस दुआ करो के मेरे पापा जल्दी होश में आजाये !”परी ने कहा !
”मगर परी तुम्हारा जॉब छूटे काफी दिन हो गए है और काम भी हमने कुछ दिन पहले ही तो शुरू किया है फिर तुम्हारे पास इलाज के लिए इतने रूपए कहा से आएंगे ?”आसिफ ने सवालिया नज़रों से परी की तरफ देखते हुए कहा !
”तुम्हारे कहने का क्या मतलब है आसिफ ? देखो आसिफ चाहे मैं जॉब करूँ या ना करूँ मेरे माँ बाप के लिए मेरे पास कुछ सेविंग्स है जो मैंने बचा रखे है !” परी ने कहा !
”ठीक है परी जब भी तुम्हे मेरे मदद की जरुरत हो बता देना मैं जाता हूँ आंटी के पास ! ” आसिफ ने कहा फिर नदिया जी के पास बेंच पर बैठ कर उनसे बातें करने लगा !
उमैर की खुश्बू जब परी को महसूस होती है तो वो कहती है !”आगये तुम, तुम ने अंदर जाकर देखा ना मेरे पापा को कैसे है वो ठीक तो होजाएंगे ना !
परी तुम इस तरह सब के सामने मुझसे बातें करोगी तो लोग तुम्हे पागल समझेंगे , मैंने कहा ना थोड़ा वक़्त लगेगा तुम्हारे पापा की तबीयत सुधरने में मगर वो होश में आगये है ! तुम देखना एक से दो दिन लगेंगे और तुम्हारे पापा अपने पैरों पे चलते हुए घर जाएंगे ! अभी थोड़ी ही देर में तुम्हे यह खबर भी मिल जाएगी मैं अगर उन्हें अचानक से ठीक करदूंगा तो लोग समझ जायेंगे के यह किसी जिन का काम है फिर क्या होगा ? मेरे साथ तुम समझ सकती हो !”उमैर ने परी को समझाते हुए कहा !
मुझे माफ़ करदो उमैर मैं यह कभी नहीं चाहूंगी के मेरी वजह से तुम्हे कोई तकलीफ पहुंचे !”परी उमैर से आँखों ही आँखों में कहती है !
नहीं परी तुम्हे माफ़ी मांगने की कोई जरुरत नहीं है , तुम रो क्यों रही हो बस अब नहीं अब इन आँखों में आँसूं चुभते है मुझे !” उमैर परी के आँखों में देखते हुए उसके कांधो को प्यार से अपने हाथो से पकड़ कर कहता है ! परी रोते हुए उसके गले लग जाती है जिससे उमैर की दिल की धड़कने तेज़ तेज़ धड़कने लगती है !उसके कानो में खुद की धड़कनो के साथ साथ परी के धड़कनो की भी आवाज़ गूंजने लगती है उमैर परी को गले से लगाए हुए कहता है ! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ परी अपनी जान से भी ज्यादा ! उमैर खुद के अंदर उठ रहे जज़्बातों को दिल दबाते हुए परी को खुद से अलग करता है !
”मैं भी तुम से प्यार करती हूँ उमैर !” परी ने उमैर की आँखों में देखते हुए कहा फिर दुबारा उसके गले से लग जाती है !
एक सुकून वा मोहब्बत भरा माहौल बना हुआ रहता है दोनों के दरमियान तभी आसिफ परी के पास दौड़ता हुआ आता है और कहता है !”परी जल्दी चलो तुम्हारे पापा को होश आगया है वो अब बिलकुल ठीक है ! डॉक्टर भी हैरान है के इतनी चोटे लगने के बावजूद वो अचानक से होश में कैसे आगये अब बस दोबारा सारे टेस्ट होंगे उनके !
आसिफ को देख परी और उमैर अलग अलग खड़े होजाते है !
परी उमैर की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए नज़रों से शुक्रिया अदा करती है !
”मुझे अब इजाजत दो मैं चलता हूँ कुछ काम निपटा कर तुम्हारे पास वापस आता हूँ अब तुम्हारे पापा भी ठीक है कहता हुआ उमैर परी की नज़रों से गायब हो जाता है ! सामने खड़े आसिफ को परी के साथ उमैर भी दिख रहा होता है मगर वो अनजान बना रहता है ! इस बात से बेखबर परी और उमैर दोनों ही रहते है !
चलो परी अब तुम अपने पापा से मिल सकती हो !” आसिफ कहता है और परी का हाथ पकड़े वो उसे इमरजेंसी रूम में लेजाता है जहाँ हसन जी बेड से टेक लगाए बैठे हुए रहते है !
इधर परी के कमरे में उमैर पहुँचता है जहाँ नफीसा परी को दि हुई ड्रेस पहन कर आईने में खुद को देख रही होती है !
तुम नहीं सुधरोगी नफिशा उमैर पीछे से उसके सर पर हाथ से मारते हुए कहता है !
आह… उमैर भाई आप बहुत बुरे हो एक तो मैंने सारा काम करदिया और आप मुझे मार रहे हो !” नफिशा सर सहलाते हुए कहती है !
यह परी का लिबास है तुमने इसे क्यों पहना है ?”उमैर ने कहा !
आप भूल रहे है तो मैं याद दिला दूँ यह मेरा है और आप ने इसे चुराया था मैं तो नहीं दूंगी वापस !”नफीसा ने कहा !
फिर मैं हनीफ को मना करदेता हूँ के तेरे लिए जो शाही लिबास वो बना रहा है मेरे कहने पर उसे ना बनाये !” उमैर ने कहा ! उसे पता रहता है के नफीसा नए कपड़े के बारे में सुन कर जरूर मान जाएगी और होता भी ऐसा ही है ! चाहे इंसान हो या जिन छोटी बहन हर दुनिया में मासूम ही होती है !
लो रख दिया परी के कपड़े !” नफीसा ने मासूमियत से कपड़े बदलकर परी के अलमीरा में रखते हुए कहा !
”मेरी प्यारी छोटी बहना तुम इन कपड़ो में भी किसी शहजादी से कम नहीं लगती शाही लिबास तो बस नाम के होते है अपनी शख़्सियत शाही होनी चाहिए समझी तुम !” उमैर ने फिर एक बार मज़ाक में नफिशा को सर पर मारते हुए कहा !
उमैर भाई मैं आप को मार दूँगी आप बार बार मुझे क्यों मारते हो !” नफिशा ने चिढ़ते हुए कहा !
”हा हा …. तुम मरोगी मुझे चलो पहले घर फिर देखते है ! चले अब अपनी दुनिया में !” उमैर कहता है
तभी दूसरी तरफ से अमाइरा कहती है !”रुको भाई कुछ फल और मेवे है इन्हे परी के बावरची खाने में रख दो उनके खाने के काम आएंगे !
”नफिशा तुम रख दो इनको परी के बावर्ची खाने में मैं थोड़ा आराम करूँगा ! ” उमैर कहता है और आईने से वापस आकर अंगड़ाइयाँ लेते हुए अपने पलंग पर लेट जाता है !
जी तो चाहता है कभी कभी उमैर भाई के गले को दबा दूँ !लाओ आपी दो टोकरियाँ ! नफिशा ने गुस्से में नाक फुंकाते हुए कहा !
नफिशा ऐसे नहीं बोलते चलो लो !” अमाइरा ने कहा फिर वो एक टोकरी फलों से भरा हुआ और दूसरा मेवों से भरा नफीसा को आईने के जरिये देती है !
नफिशा टोकरी रख कर जैसे ही हॉल में आती है उसे फ्रीज दिखता वो फ्रीज खोल कर देखती है जिसमे अंडे , कुछ बचे हुए खाने और एक अमावट की बड़ी पैकेट रहती है ! नफीसा उसे खोल कर चखती है ! अरे वाह यह क्या चीज़ है ? खाने में बड़ी ज़ायकेदार है ! फिर वही पे टहलते हुए अमावट खाने लगती है !
इधर हॉस्पिटल में परी , आसिफ , नदिया जी , हसन जी की पास खड़े होते है
परी हसन जी पास जाती है पहले खामोश खड़ी देखती रही है !
यह ताजूब की बात है कुछ देर पहले तक आप बहुत सीरियस थे मगर अभी आप को देख कर कोई भी नहीं कह सकता के आप का एक्सीडेंट भी हुआ था !”डॉक्टर ने कहा !
यह तो अच्छी बात है ना डॉक्टर के मैं ठीक हूँ अब !” हसन जी ने कहा !
हाँ बिलकुल, ब्लड प्रेसर , हार्ट बीट सब नार्मल है आप की यह बताये के pain तो नहीं है ना कही भी !” डॉक्टर ने पूछा !
हाँ pain तो पुरे बॉडी और सर में होरहा डॉक्टर , बाकी मैं ठीक हूँ ! हसन जी ने कहा !
ठीक है फिर कुछ टेस्ट करवाते है अगर वो सब नार्मल रहा तो हम आप को कल सुबह डिस्चार्ज करदेंगे !” डॉक्टर ने कहा !
फिर जब डॉक्टर उनको चेक कर के चले जाते है वो रोती हुई उनसे जा के लिपट जाती है !
”रोते नहीं मेरे बच्चे देखो मैं ठीक हूँ !” हसन जी ने प्यार से परी के पेसानी को चूमते हुए कहा !
पापा एक पल के लिए तो ऐसा लग रहा था जैसे मैंने आप को हमेशा के लिए खोदिया है !”परी ने आँसू पोछते हुए कहा !
अरे ऐसे कैसे चला जाता अपनी अपनी गुड़िया को छोड़ कर , बेगम तुम भी अब रोना बंद करो अभी कुछ साल और हूँ मैं यहाँ तुम्हे सताने के लिए !”हसन जी ने हल्का सा मुस्कुराकर कर कहा !
आप भी ना कभी नहीं सुधरोगे !” नदिया जी कहती है फिर वो भी हसन जी के गले लग कर रोने लगती है !
अरे अरे क्या यहा रोने का प्रोग्राम चल रहा है चुप हो जाओ भाई तुम दोनों !” हसन जी ने कहा !
आसिफ चेहरे पर झूठी मुस्कान सजाये उमैर और परी के बारे में सोच रहा होता है ! ”आखिर वो लड़का कौन था जो जिसके गले लग कर परी रो रही थी !”
दूसरी दुनियाँ ” ज़ाफ़रान कबीला :-
शाह ज़ैद घर पर आते है तो उन्हें उमैर के कमरे से तीनों बच्चो की आवाज़ आरही होती है वो ख़ामोशी से उमैर के कमरे की तरफ बढ़ते है! जहाँ उन्हें अपने तीनो बच्चों की आवाज़ें आरही होती है ! उनको अपने कमरे में आता देख उमैर हड़बड़ा कर उठ बैठता है !
”अब्बा आप कब आए !” अमाइरा ने उन्हें देखते हुए कहा !
बस अभी अभी ,तुमने उमैर को महल से क्यों बुला कर लाया कोई खास वजह और यह नफिशा कहा है अभी तो उसकी भी आवाज़ आरही थी कमरे से !” शाह ज़ैद ने उमैर के कमरे में आते हुए कहा !
जी जी वो वो ! उमैर हकलाता है !
वो घर पर नहीं है बाहर बागों में घूमने गयी है और वो शहजादी की साल गिरह है ना उसी सिलसिले में उमैर भाई से कुछ बातें करनी थी ! ”अमाइरा ने बातों को सँभालते हुए कहा !
”बेटा अगर बातें ही करनी थी तो उसके घर आने का इंतज़ार कर लेती इस तरह से महल में जाने की क्या जरुरत थी !” शाह ज़ैद ने कहा !
अब्बा उमैर भाई कभी घर आते है और कभी नहीं इसलिए मैं वहां चली गयी थी !” अमाइरा ने कहा !
अच्छा ठीक है फिर , अगर तुम्हारी बातें हो चुकी है तो इस कम्बख्त को महल वापस जाने के लिए बोलो !”शाह ज़ैद ने कहा !
”या अल्लाह कही यह नफिशा की बच्ची आईने से अब्बा के सामने ना निकल आये वरना हम तीनों के साथ साथ यह आईने भी गया ! नफिशा तो परी के किचन की तरफ गयी है उसे अब्बा के आने का कैसे बताऊँ !”उमैर ख्यालों में खुद से कहता है डर के मारे उसे पसीने आरहे होते है !”
”वैसे नफिशा बागों में क्यों गयी है ? मैंने तुम सब को ज्यादा घर से बाहर जाने मना किया है ना ?” शाह ज़ैद ने थोड़ा गुस्से में कहा !
”वो अब्बा उसका मन घर पर रह रह कर घबरा रहा था तो मैंने ही उसे इजाजत दी थी बाहर घूम आने की !” उमैर ने डरते हुए कहा !
तुम ने इजाजत दी ? मगर किस हैसियत से ?, जिसे खुद इजाजत नहीं मिलती मटर गस्ती के लिए ! वो अपनी छोटी बहन को बागों में घूमने की इजाजत दे रहा है !” शाह ज़ैद ने गरजते हुए कहा !
”एक बड़े भाई की हैसियत से और अब्बा आप हर वक़्त इतने गुस्से में क्यों रहते है ? ऐसा कौनसा गुनाह कर दिया है हमने !” अमाइरा ने हिम्मत जुटाते हुए कहा !
” लो अब यह क्या पूछ लिया तुम ने अमाइरा अब तो पक्का हम तीनो की खैर नहीं ! तुम्हे पता है ना नफिशा अभी उस तरफ है आईने के देखो वो इधर ही आरही है अगर वो अब्बा के सामने आगयी तो” उमैर ने धीमें से डरते हुए फुस फुसाया !
”अमाइरा की बात सुन कर शाह ज़ैद खामोश हो जाते है ! और अपने कमरे की तरफ चले जाने लगते है तभी वो उमैर और नफिशा की तरफ वापस आते है और शर्मिन्दा होते हुए कहते है !” बच्चो माफ़ कर दो मैं बहुत ज्यादा शख्त बन जाता हूँ कभी कभी मगर मेरा यक़ीन करो इसमें तुम सब की ही भलाई है !” शाह ज़ैद अपने बात अभी खतम करते उससे पहले आईने के उधर सब बातों से अनजान नफिशा मज़े से अमावट खाते हुए उनके सामने आईने से निकलती है !
जिसे देख कर अमाइरा और उमैर की आवाज़ें हलक में अटक गयी और शाह ज़ैद हैरत से देखते है !
आपी , उमैर भाई इसे खा कर देखो बड़ी लज़ीज़ी चीज़ है इंसानी दुनिया की !” नफिशा ने कहा तो उमैर उसे आँखों से शाह ज़ैद की तरफ इशारा करता है !
क्या उमैर भाई आपी आप दोनों एक जगह जमे हुए क्यों हो कुछ बोलो भी !” नफिशा कहते हुए अमावट जैसे ही अपने मुँह में रख कर दरवाज़े की तरफ पलटती है सामने खड़े शाह ज़ैद को देख कर उसके मुँह से अमावट गिर जाता है !
नफिशा अब्बा सामने है उमैर ने खौफ्फ़ से कहा !
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Written By – शमा खान
”तुम हो तो मैं हूँ इस जहाँ में सब से ख़ूबसूरत ,
Shama Khan
तेरी आँखों में मैंने खुद को हसीन देखा है !
बात मान लेती हूँ तुमहारी जो भी कहते हो तुम
तेरी बातों में अपना पन छुपा होता है !”
Aasif ko umair dikh rha tha par kaise