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रांझणा – 8

Ranjhana – 8

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 8

बनारस की वो सुबह बहुत खूबसूरत थी जब 14 साल बाद वो दोनों एक दूसरे के सामने थे , बनारस के उसी घाट पर जहा कभी बिछड़े थे l ऊपर महादेव के मंदिर में होता शंखनाद दोनों के पवित्र मिलन की पुष्टि कर रहा था l शिवम् सारिका को अपनी बांहो में थामे एकटक देखे जा रहा था l पहली बार वो किसी लड़की के इतना करीब था लेकिन मन बिल्कुल शांत और धड़कने एक लय में थी l शिवम् को वहा देखकर सारिका भी हैरान थी l शिवम् की तंद्रा टूटी तो उसने सारिका को छोड़ दिया l

सारिका अब भी हैरानी से उसके चेहरे की तरफ देखे जा रही थी l एक दूसरे के सामने होकर भी दोनों एक दूसरे को नहीं ढूंढ पाए l l
“आप यहाँ क्या कर रही है ?”,शिवम् ने बात की शुरुआत करते हुए कहा l
“आप यहाँ क्या कर रहे है ?”,सारिका ने सामने से सवाल किया
“हम तो यही रहते है बनारस में , अब आप ये मत कहने लगना की हम आपका पीछा कर रहे है”,शिवम् ने मासूम सी शक्ल बनाते हुए कहा l


सारिका मुस्कुराने लगी और कहा,”नहीं इस बार हम ऐसा नहीं कहेगे बल्कि शुक्रिया आपने हमे गिरने से बचाया l”
“इसमें शुक्रिया कैसा ? पर आप यहा ?”,शिवम् ने अपना सवाल दोहराया
“जी किसी खास काम से आये है”,सारिका ने घाट के पानी को निहारते हुए कहा
“आप जिस भी काम से आयी है महादेव जल्दी से आपके उस काम को पूरा कर दे”,शिवम् ने मंदिर की और देखते हुए कहा


“वैसे आपने अपना नाम नहीं बताया ?”,सारिका ने शिवम के चेहरे की और देखते हुए कहा
“हमारा नाम शिवम् है शिवम् गुप्ता , यही रहते है पास में l आप कहा से ?”,शिवम् ने कहा
“हमारा नाम सारिका शर्मा है , हम मुंबई से आये है”,सारिका ने शिवम् की तरफ हाथ बढाकर कहा l l
“आपको यहाँ देखकर ख़ुशी हुई , वो आगरा में जो कुछ भी हुआ उसे बुरा खवाब समझकर भूल जाईयेगा”,शिवम ने कहा


“वो तो हम कबका भूल चुके”,सारिका मुस्कुरा उठी
“आप बहुत अच्छी है , हम दुआ करेंगे आप जिस काम के लिए आयी है वो जल्दी ही पूरा हो जाये l वैसे कहा रुकी है आप ?”,शिवम् ने कहा
“क्यों पूछ रहे है ?”,सारिका ने कहा
“कभी आपसे झगड़ने का मन हुआ तो आ जाया करेंगे”,शिवम् ने मुस्कुराते हुए कहा


सारिका हसने लगी और कहा,”अरे हम नहीं करते झगड़ा पता नहीं आपसे ही इतनी बहस क्यों हो गयी हमारी ?”
“अच्छा कोई बात नहीं , लेकिन बनारस आई है आप यहाँ किसी न किसी गली , घाट पर मिल ही जायेंगे हम आपको”,शिवम् ने कहा
शिवम् की बात सुनकर सारिका को एक पल के लिए लगा जैसे ये ही उसका ‘रांझणा’ है वह उसकी आँखों में देखते हुए सोचने लगी,”नहीं अगर ये होते तो अब तक मुझे पहचान लिया होता , ये वो नहीं हो सकते l”


“अरे ! कहा खो गयी आप ?”,शिवम् ने पूछा l
“आई थिंक अब हमे चलना चाहिए”,सारिका ने कहा
“जाने से पहले आप महादेव के मंदिर चलकर जोत देख लीजिये , सुबह की शुरुआत उनकी जोत से करेंगी तो आपका दिन अच्छा गुजरेगा”,शिवम् ने मंदिर की और देखते हुए कहा l
“हम नहाकर आते है कुछ समय बाद आपसे यही मिलेंगे , इंतजार कीजियेगा”,कहकर सारिका वहा से चली गयी l
शिवम् को कही जाने की जरूरत नहीं थी वह वापस पीछे गया और वही घाट में छलांग लगा दी l

नहाने के बाद वापस आया और खुद को सुखाते हुए सारिका का इंतजार करने लगा उसे खुद समझ नहीं आ रहा था वह ऐसा क्यों कर रहा है ? कुछ देर बाद सारिका वहा आ गयी l शिवम् ने देखा तो बस देखता ही रह गया l गहरे हरे रंग का सूट उस पर लाल दुपट्टा , कानो में झुमके , खुले गीले बाल जिनसे अभी भी पानी टपक रहा था l सारिका शिवम् के सामने आयी और कहा,”चले !!
सीढिया चढ़ते हुए दोनों खामोशी से मंदिर पहुंचे l पुजारी शिवम् को जानता था इसलिए उसे देखते ही कहा,”अरे बिटवा कहा गायब थे दो दिन से , महादेव नाराज है तुमसे बहुत आये काहे नहीं तुम”


“अरे पंडित जी गए थे किसी जरुरी काम से बाहर , पर ये बनारस है न ये हमको कही जाने ही नहीं देता वापस खिंच लाता है अपने पास , रही बात भोलेनाथ की तो वो ज्यादा देर नाराज नहीं रहते हमसे हम मना लेंगे उन्हें l लाईये अब जल्दी से जोत के दर्शन करवा दीजिये ताकि घर की राह ले वरना आई पुरे बनारस को सर पर उठा लेंगी”,शिवम् ने कहा
“इसका मतलब कल रात फिर तुम घाट पर ही थे”,पंडित जी ने जोत की थाली उनकी और बढ़ाते हुए कहा


शिवम् ने जोत ली और फिर सारिका से जोत लेने का इशारा करते हुए पंडित जी से कहा,”हां पंडित जी यही थे हम , अब अगर आई आपसे पूछे तो आप मना कर देना”
“तुमरे कहने का मतलब है झूठ कह दे उनसे”,पंडित जी ने प्यार से आँखे दिखाते हुए कहा l
“ये झूठ थोड़े है पंडित जी”,शिवम् ने थाली से प्रशाद का टुकड़ा उठाते हुए कहा l
“अच्छा ठीक है नहीं कहेंगे , पर ये आपके साथ में कौन है ? कही आपकी मैडम जी तो नहीं जिन्हे तुम ढूंढ रहे थे”,पंडित जी ने फुसफुसाते हुए शिवम् क नजदीक आकर कहा l


उस वक्त सारिका का ध्यान मंदिर परिसर में लगी मूर्तियों ओर तस्वीरों पर था , सारिका ने पंडित जी की बात नहीं सुनी l
“श्श्श्श धीरे बोलिये क्या कर रहे है आप ? कही उन्होंने सुन लिया होता तो , अरे ये वो नहीं है जो आप समझ रहे हो , इनका नाम सारिका जी है ये मुंबई से आई है किसी काम से”,शिवम् ने भी फुसफुसाते हुए कहा
“माफ़ करना हमे मालूम नहीं था, तुम्हारे साथ देखा तो लगा वो ही होंगी l वैसे तुम गए थे ना बाहर , क्या हुआ तुम्हारी मैडम जी मिली तुम्हे “,पंडित जी ने कहा


“नहीं ना कहा मिली , वो भी लुका छुपी खेलने में लगी है हमसे”,शिवम् ने उदास होकर कहा
“तो फिर मैं अपनी छोटी बेटी से तुम्हारे रिश्ते चलाऊ ?”,पंडित जी ने ख़ुशी से भरकर कहा
“पंडित जी इस उम्र में मुझसे पीटते अच्छे लगेंगे आप , कभी कभी तो लगता है आप ही शनि है मेरी कुंडली में जो मुझे उनसे मिलने नहीं दे रहे”,शिवम् ने चिढ़ते हुए कहा l
“अच्छा अच्छा ठीक है , जाओ जाकर परिक्रमा कर लो”,पंडित जी ने कहा और वहा से चले गए l
सारिका शिवम् की बगल में आई और कहा,”क्या कह रहे थे वो ?


“वो अरे वो उनका और हमारा बहुत पुराना हिसाब है , आप महादेव के दर्शन कीजिये”,कहकर शिवम् ने सामने शिवलिंग को देखते हुए हाथ जोड़ लिए और आँख मूंदकर कहने लगा,”हे ! महादेव अब तुम ही हो जो हमे हमारी मैडम जी से मिला सकते हो , हम कसम खाते है रोज आकर तुम्हारा शुक्रिया अदा करेंगे बस एक बार उनसे मिला दो ,, उन्हें देख ले तो इस बैचैन मन को तसल्ली हो”
पास खड़ी सारिका ने भी हाथ जोड़े और आँखे बंद करके मन ही मन कहने लगी,”हे ! महादेव बनारस तो हम आ चुके है अब बस उन्हें ढूंढना बाकि है ,

कैसे भी करके उन्हें हमारे सामने ले आईये l आज तक हमने आपसे कुछ भी नहीं मांगा हमारे मांगने से पहले ही आपने हमे सब कुछ दिया है l बस एक आखरी बार ये अहसान कर दीजिये , उन्हें हमारे नाम कर दीजिये l’
ये सब सोचते हुए सारिका के चेहरे पर एक दर्द उभर आया जब शिवम् ने उसके चेहरे की और देखा तो बस देखता ही रह गया l सांवला सा रंग , सांचे में ढले होंठ , पतली गर्दन , कानो में झूमते झुमके , लम्बे घने बाल जो कमर से निचे जा रहे थे , सारिका बंद पलकों में भी बहुत खूबसूरत दिख रही थी l

लेकिन जैसे ही उसकी नजर चेहरे से झलकते हुए दर्द पर पड़ी तो वह सोचने लगा,”आखिर ऐसा कोनसा काम होगा जिसके लिए ये यहां इतनी दूर चली आई है l इनके चेहरे से झलकते दर्द को देखकर तो लगता है जैसे कुछ तो है जो इन्हे अंदर ही अंदर बहुत तकलीफ पहुंचा रहा है , पर हमे इनसे पूछने का कोई हक़ भी तो नहीं है l लेकिन हम महादेव से इनके लिए प्रार्थना तो कर ही सकते है”


शिवम् ने एक बार फिर से हाथ जोड़कर खुली आँखों से सामने देखते हुए मन ही मन कहा,”महादेव जी हमने जो कहा वो चाहे थोड़ा देर से करेंगे तब भी हमे बुरा नहीं लगेगा , अरे हम इंतजार कर लेंगे हमे आदत है बस आप सारिका जी की प्रार्थना पहले सुन लीजियेगा l

मानते है उनके साथ हमारा कोई रिश्ता नहीं लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों हमे उन्हे दर्द में देखना अच्छा नहीं लग रहा है l वो आपसे जो भी मांगे अदा कर दीजियेगा महादेव आपका हम पर ये दुसरा अहसान रहेगा l पहला तो मैडम जी को हमारी जिंदगी में लाकर आप कर ही चुके है”
“अरे इतना क्या मांग रहे है आप इनसे ?”,सारिका ने शिवम् की तरफ देखकर हैरानी से कहा
“क्या ? आपने आपने सुन लिया , हमने उनसे जो कहा वो आपने सुन लिया क्या ?”,शिवम ने कहा l


” नहीं हमने कुछ नहीं सुना , अब कहा जाना है ?”,सारिका ने कहा
शिवम् ने अपने दिल पर हाथ रखा और मन ही मन कहा,”अच्छा हुआ इन्होने कुछ नहीं सूना वरना इनको लगता हम फिर से चांस मार रहे है”
“चले”,सारिका ने अपने दुपट्टा सम्हालते हुए कहा l
“जी मंदिर परिसर में दो परिक्रमा करनी है आपको”,शिवम ने कहा l
“आप नहीं आएंगे ?”,सारिका ने इतने प्यार से पूछा की शिवम् ना नहीं कर पाया और कहा,”आप चलिए हम आते है”


सारिका आगे बढ़ गयी अब इसे इत्तेफाक कहे या महादेव की मर्जी एक बार जो दोनों जुड़े तो बस जुड़ते ही जा रहे थे सारिका जब शिवम् के सामने से निकली तो उसके दुप्पटे का कोना शिवम् के हाथ में पहने कड़े में उलझ गया l दुपट्टे के साथ साथ शिवम् भी खींचता हुआ सारिका के पीछे पीछे चल पड़ा l

उसने अपना हाथ जिसमे पहने कड़े में दुपट्टा टिका था अपने चेहरे के सामने किया हुआ था l सारिका आगे और वह अपना हाथ उठाये खोया हुआ सा पीछे पीछे चल रहा है l ये सब पहली बार हो रहा था उसके साथ न ऐसा पहले कभी हुआ था ना ही उसने सोचा था l

पर कौन जानता था ये बंधन सालो पुराना है जो सही मायनो में आज जुड़ा है l सारिका और शिवम् ने दो परिक्रमा पूरी की और मंदिर के बाहर सीढ़ियों पर आकर खड़े हो गए
“अब हम चलते है”,कहकर सारिका जाने के लिए मुड़ी तो शिवम् भी उसके साथ साथ चल पड़ा l


“अरे ! आप हमारे पीछे क्यों आ रहे है ?”,सारिका ने शिवम् को अपने पीछे आता देखकर हैरानी से कहा
शिवम् ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से अपना हाथ आगे कर दिया l सारिका ने देखा तो उसने कड़े से अपना दुपट्टा निकालते हुए कहा,”ये कब हुआ ? माफ़ कीजियेगा हमे ध्यान नहीं रहा l “


शिवम् ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से सारिका के चेहरे को देखे जा रहा था l
“ये लीजिये हो गया , आपका बहुत बहुत शुक्रिया यहाँ आकर सच में हमारा मन शांत हो गया l कुछ दिन यही है आपके बनारस में l “,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा l

शिवम् अभी भी खामोश था की तभी पीछे से आते लोगो की भीड़ की वजह से सारिका को धक्का लगा और वह शिवम् के अंदर आ गिरी l शिवम् ने उसकी कमर को अपने मजबूत हाथो से थाम रखा था l हवा की वजह से उसके बाल उड़कर उसके चेहरे पर आने लगे l काजल से सनी उसकी गहरी काली आँखों में शिवम् डूबता सा चला गया l कानो में मधुर संगीत गूंजने लगा जो दूर कही चाय की टपरी पर बज रहा था


तेरी काली अँखियो से जींद मेरी जागे
धड़कन से तेज दौडु सपनो से आगे
अब जान लूट जाये , ये जहाँ छूट जाये
संग प्यार रहे , मैं रहु ना रहु
सजदा……….. तेरा सजदा , करू मैं तेरा सजदा
दिन रैन करू !!”


जब भी शिवम् सारिका की आँखों में गहराई तक देखता ये संगीत कही ना कही से उसके कानो में गूंजने लगता l सारिका ने खुद को सम्हाला और वहा से चली गयी l शिवम् की तरह वो भी हैरान थी आखिर की शिवम् के इतना नजदीक आकर भी उसे अजनबी महसूस नहीं हुआ l जिस तरह से शिवम् उसकी आँखों में देख रहा था वह आँखे चुभन का अहसास ना देकर दिल को सुकून और आँखों को ठंडक पहुंचा रही थी l चलते चलते सारिका ने मुड़कर देखा शिवम् बुत बना अभी भी वही खड़ा था l

सारिका वहा से चली गयी l सारिका जब आँखो से ओझल हो गयी तो शिवम् की तंद्रा टूटी वह तेजी से उतर कर निचे आया और इधर उधर सारिका को देखा लेकिन वह भीड़ में कही दिखाई नहीं दी l घर जाने के लिए शिवम् जैसे ही मुड़ा सामने आँखे तरेरते हुए मुरारी खड़ा था l शिवेन को देखते ही पहला सवाल किया,”कौन थी वो लड़की ?
शिवम् – कौन लड़की ? (अनजान बनते हुए)


मुरारी – वही लड़की जिसके साथ मंदिर में चक्कर लगाए जा रहे थे
शिवम् – अच्छा वो , वो हमे क्या पता कौन थी ? मंदिर में दर्शन के लिए इतने लोग आते जाते है हम क्या सबको जानते है ( शिवम् बात को बढ़ाना नहीं चाहता था इसलिए झूठ कह दिया)
मुरारी – देखो गुरु हम इतने भी अंधे नहीं हुए है की कुछ देख ना सके , जिस तरह से साथ थे ना दोनों हमको सब पता है
शिवम् – अच्छा चलो रस्ते में बताते है


मुरारी शिवम के साथ आकर अपनी जीप में बैठा और स्टार्ट करते हुए कहा,”चलो अब शुरू हो जाओ !!
शिवम् – उनका नाम सारिका है , जब आगरा गए थे तभी वे हमे वही मिली थी
मुरारी – मतबल तुमरी मैडम जी (अचानक ब्रेक लगाकर शिवम् की तरफ देखते हुए उछल पड़ा)
शिवम् – तूम ना यार मरवाओगे हमे किसी दिन , हमारी मैडम जी से तो हम मिल ही नहीं पाए l (इतना कहकर शिवम् ने सारी बाते मुरारी को बता दी )


मुरारी – मतलब तुम उनसे नहीं मिल पाए , तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता भैया एक काम करो सन्यास लेकर पहाड़ो पर चले जाओ ,, साला तुमरे चक्कर में हमको भी कोई अपनी लड़की देने को तैयार नहीं है l लगता है इस जन्म में तो……………..वो का कहते है अंग्रेजी में ? ………………हां सिंगल ,, सिंगल ही मरेंगे l
शिवम् – तुमको मजाक सूझ रहा है , अरे यहाँ हम परेशान है और तुम……………………!!


मुरारी – तो क्या अब तुम्हारे साथ मिलकर मातम मनाये ,, देखो भैया ऐसा है वो तो तुमको मिलने से रही तो तुम अपनी आगे की जिदंगी के बारे में सोचो ,,,,, वो अभी क्या नाम बताया था तुमने सारिका जी ………….. हां सारिका जी उनको इम्प्रेस करो और शादी के लिए मना लो l तुम्हारा घर बसे तो हमारे दिल को भी थोड़ी तसल्ली मिले , साला हमरी जिंदगी में तो पिछले 10 सालो से सूखा ही पड़ा है l


शिवम् – मुरारी वो भी हमसे उतना ही प्यार करती है जितना हम उनसे l हमसे मिलने के लिए वो भी उतना ही बेताब है जितना हम , सालो का ये इन्तजार सिर्फ हमने ही नहीं बल्कि उन्होंने भी किया ,

आँखे अगर यहाँ नम हुई है तो आंसू वहा भी बहे है l अब तक मैं ये नहीं जानता था की वो हमसे प्यार करती है या नहीं पर उस शाम जब उन्होंने हजारो लोगो के सामने हमसे मोहब्बत करने का और जिंदगीभर करते रहने की बात कही तो उसी पल मैं हमेशा के लिए उनका हो गया l उनकी मोहब्बत को इस तरह से जाया नहीं होने दे सकता l हम जरूर मिलेंगे , इसी बनारस में मिलेंगे , इसी घाट पर मिलेंगे l हां थोड़ा वक्त लग सकता है पर हम मिलेंगे जरूर , भले ही हम उनसे मिल नहीं पाये लेकिन उनकी आवाज में जो दर्द था वो महसूस करके आये है हम l


मुरारी – सॉरी यार , कुछ ज्यादा ही बोल गए हम ! तुमरा प्यार सच्चा है ऐसे बहुत कम आशिक़ होंगे इस दुनिया में जो इस कदर इंतजार करते है और शिकायत भी नहीं करते !! पर एक बात खटक रही है हमको
शिवम् – वो क्या ?
मुरारी – वो इह की एक दूसरे के इतना पास होकर भी तुम दोनों मिल क्यों नहीं पाए ? काहे भोलेनाथ तुमरे प्यार की अग्नि परीक्षा ले रहे है ?
शिवम् – ताकि बनारस के घाट पर बिछड़ी मोहब्बत फिर से बनारस के घाट पर मिल सके !!


मुरारी – ओह्ह्ह तेरी मतबल हमरे दिमाग में तो इह बात आई ही नहीं , सही बात कही है बिल्कुल तुमने
शिवम् – अच्छा अब जल्दी से घर चलो , आई राह देख रही होगी l
मुरारी – राह नहीं , जूतों से स्वागत होने वाला है तुम्हारा
शिवम् – वो काहे ?
मुरारी – कल रात फिर घर से गायब थे तुम इसलिए
शिवम् – कोई न यार तू सम्हाल लेना , आखिर दोस्त है मेरा (सर सीट से लगाते हुए)


मुरारी – हां हां साला ब्रोकर समझ लिए हो हमको , कांड तुम करो सम्हाले हम …… साला कभी कभी तो लगता है हमरी जिंदगी तुमरे कांड सम्हालने में ही निकल जानी है , ऊपर से कोई है भी नहीं तोतापरी जो हमारा ख्याल रखे , लड़की मिलती नहीं , दारू पीने नहीं देते , शादी घरवाले करते नहीं , नौकरी कोई दे नहीं रहा साला ऐसी जिंदगी का करेंगे भी क्या ? तुम्हारे कांड सम्हालने में ही खर्च करेंगे !!
शिवम् मुस्कुराते हुए उसकी बात सुनता रहा l


कुछ देर बाद दोनों घर पहुंचे l मुरारी के बताये अनुसार शिवम् का स्वागत जूतों से ही होने वाला था लेकिन ऐन मौके पर उसने खुद ही बात सम्हाल ली और फिर आई के गुस्से का मटका फूटा मुरारी के सर आई ने जो कहना शुरू किया तो फिर चुप होने का नाम नहीं लिया


“का रे मुरारी तुम्ही तो हमको आइडिआ देकर गए की अम्मा आते ही उसकी जूतों से धुनाई कर देना और अभी तुम ही ओ की सिफारिश कर रहे हो l कइसन मर्द हो तुम तुमरी कोई जुबान है की नहीं ll सच बताये तो हमारे बेटे को बिगाड़ने में तुमरा ही हाथ है l

कितना सीधा साधा था हमारा बेटा तुमने ही इसको ऐसा बना दिया l खुद तो निकम्मे . नाकारा थे ही इसे भी अपने जैसा बना लिया l 28 साल के घोड़े जइसन हो गए हो लेकिन अक्ल अक्ल गधे जैसी है तुम में ,, अरे कोनो बाप तुमको अपनी बेटी देगा , तुमरी हरकते ही ऐसी है की लड़की दूर से ही भाग जाइ …………….टुकुर टुकुर का देख रहे हो अरे हम नहीं डरते तुमरी इन मेंढक जैसी आँखों से इह जाकर मोहल्ले के बच्चो को दिखाना , वो भी 7 गुना अच्छे है तुमसे l

दिनभर अपनी इस खटारा जीप को लेकर घूमते हो ,, अरे चच्चा विधायक है तुमरे तो का जिंदगीभर अइसन खुले सांड की तरह घूमते रहोगे l अरे हम जबसे बके जा रहे है और तुम सुने जा रहे हो , कोनो लाज शर्म है की नाही …………………..!!

बेचारा मुरारी दोस्ती में ना जाने क्या क्या सुने जा रहा था l जितना बुरा भला उसे आई कह रही थी उस से तीन गुना ज्यादा गालिया वो मन ही मन शिवम् को दिए जा रहा था l शिवम् ने गुस्से से भरे मुरारी के चेहरे को देखा तो बात सम्हालते हुए कहा,”जाने दे ना आई दोस्त है मेरा , मैं समझा दूंगा l पहले खाना दे बहुत भूख लगी है “
“हां अंदर चल मैंने तेरी पसंद का राजमा चावल बनाया है”,आई ने कहा


“हां हां चलो खाना खाते है”,मुरारी ने ख़ुशी से आगे बढ़ते हुए कहा
“तुम कहा जा रहे हो , तुम जाकर खाओ अपनी अम्मा के हिया”,कहते हुए आई ने शिवम् का हाथ पकड़ा और उसके साथ अंदर चली गई l

“आई ये अच्छा नहीं किया तूने पहले तो बेचारे को इतना कुछ सूना दिया , ऊपर से खाने के लिए भी रोक दिया”,शिवम् ने उदास होने का नाटक करते हुए कहा l


“अच्छा ठीक है लाते है बुलाकर वरना फिर से तुम्हारा इमोशनल ड्रामा शुरू हो जाएगा”,कहते हुए आई वापस दरवाजे पर आई जैसा की हमेशा होता है इतना जलील होने के बाद भी मुरारी वही खड़ा था उसे देखते ही आई ने कहा,”आओ मरो , ठूस लो तुम भी ?”
मुस्कुराते हुए मुरारी अंदर आ गया l

मंदिर से निकलकर सारिका धर्मशाला में आई वहा के ऑफिस से उसने अपना सामान लिया और वहा काम करने वाले से आस पास किसी होटल के बारे में पूछा l लड़के ने सारिका को नदी के किनारे एक होटल का पता दिया जो की घाट से कुछ ही दूर था l होटल का नाम था “बृज राम पैलेस” ,, जितना खूबसूरत नाम था ये जगह भी उतनी ही खूबसूरत थी होटल गंगा नदी के किनारे था l साथ ही इस होटल से कुछ ही दूर बनारस का सबसे पवित्र और धार्मिक घाट दशाश्वमेध बसा था l

सारिका को वो जगह बहुत पसंद आयी उसने वहा अपने लिए एक रूम लिया और अपने कमरे में आ गयी सामान को साइड में रखकर वह खिड़की की तरफ गयी उसने खिड़की से लगे बड़े बड़े पर्दो को हटाया l सामने दूर तक विशाल नदी फैली हुई थी उसे देखते ही सारिका की आँखों में एक सुकून समा गया l कुछ देर तक वही खड़े सारिका नदी के पानी को निहारती रही l सारिका ने अपने बैग से डायरी निकाली और वही खिड़की के पास बैठकर लिखने लगी

तेरे शहर में आये है इक अरसे बाद ,
और अरसे बाद ये देखा हमने की हमारे जाने के बाद यहाँ कुछ नहीं बदला
महादेव के मंदिर में शंखनाद अब भी उतना ही सुहावना लगता है
घाट का पानी अब भी आँखों को उतना ही भाता है


चहकते पक्षी , कल कल करती नदीया और घाट की वो सीढिया अब भी वैसी है
मैंने देखा है अब भी उस इंतजार को उन सीढ़ियों पर बैठे जो
एक अरसे से करते आ रहे हो तुम !!


हाँ वही इंतजार जो अपने शहर में समंदर किनारे बैठकर कभी किया है हमने !!
उस इंतजार को खत्म करने की एक छोटी सी ख्वाहिश लेकर
आज फिर आए है हम तेरे शहर बनारस में
संकरी सी , पतली लम्बी गलियों से गुजरते हुए हमने महसूस किया है


तुम्हारे और मेरे बिच के उन संकरे धागो को जिनमे उलझा है तुम्हारा और मेरा मन कही
तुम्हारी यादो का नशा अब भी महादेव की भांग सा चढ़ता है मुझपर
जो उतरने का नाम नहीं लेता


और उस नशे में डूबकर फिर बहुत गहरे तक उतरती जाती हु मैं तुम में घुलने के लिए ………….
वही नशा एक बार फिर चाहते है हम
पर इस बार भांग नहीं तेरी आँखों में डूबने फिर आये है हम
तेरे शहर बनारस में ll


घाट दर घाट , गली दर गली भटकना है अब तुम से तुम तक के सफर में
अपने अधूरे इश्क़ को मुक़्क़मल करने आये है हम तेरे शहर में
इस बार तो तू हमे मिल ही जाना


कही ऐसा ना हो जान चली जाये मेरी इंतजार के इस कहर में
फिर से मुझे रखकर तेरे कांधे पर सर तुझे अपनी दास्ताँ सुनानी है
फिर से थाम के तेरा हाथ अपने हाथो में मुझे वो कविताये गुनगुनानी है
इस बार पा ही लेना है तुझे हमेशा के लिए
और फिर रह जाना है साथ मुझे तेरे शहर बनारस में !!

इतना लिखकर सारिका एक बार फिर खिड़की के बाहर देखने लगी खिड़की से आती हवा के झोंके से पन्ने आवाज करते हुए पलटने लगे सारिका ने खिड़की बंद कर दी और पलटकर जब डायरी की और देखा तो उसका पहला पन्ना खुला हुआ था जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था

“रांझणा”

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संजना किरोड़ीवाल

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