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रांझणा – 7 

Ranjhana – 7

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 7

स्टूडियो से निकलकर सारिका वापस होटल आ गयी l कल सुबह उसे बनारस के लिए निकलना था इसलिए वह अपना बैग पैक करने लगी l पर्स की जेब में रखे चैन की निकाला और उसे देखते हुए सोचने लगी ,”कितने सालो से इंतजार था मुझे इस दिन का l आपसे मिलने के लिए मैंने कितना इंतजार किया है ये शब्दों में बयां करना मुश्किल है l एक एक पल एक साल की तरह निकला है l पर अब वो इंतजार खत्म हुआ एक लम्बे अरसे के बाद हमने पापा से बगावत कर ली l मोहब्बत में बगावत तो लाजमी है न फिर हम मजबूर थे

अपने दिल के हाथो , इन 14 सालो में बहुत कुछ खोया और वो सब पा भी लिया जो जीने के लिए जरुरी था पर आपकी कमी हमेशा खलती रही l हम वो कमी पूरी करना चाहते है बनारस आकर , आपसे मिलकर , और उसके बाद हमेशा हमेशा के लिए आपके हो जायेंगे l बहुत सी बाते बतानी है आपको , 14 सालो में जो जो घटा वो सब बताना है आपको l बस आज शाम और फिर उसके बाद कल हमारी शाम आपके…………………..हमारे बनारस में होगी और तब ये आपका तोहफा हम आपके हाथो से पहनेंगे l कल की शाम बनारस की सबसे खूबसूरत शाम होने वाली है !!”

दरवाजे पर आहट हुई तो सारिका की तंद्रा टूटी उसने मुस्कुरा कर वह चैन वापस अपने पर्स के जेब में रख दी l वह उठी और दरवाजा खोला सामने वेटर कॉफी लिए खड़ा था l सारिका ने कॉफी ली और दरवाजा बंद करके वापस आकर बैठ गयी और इत्मीनान से कॉफी पीने लगी l खाली समय में वो , कॉफी और उसके रांझणा की यादें l ये कुछ पल उसकी जिंदगी के सबसे सुकूनभरे पलो में से हुआ करते थे l 

स्टूडियो से निकाले जाने के बाद कुछ देर तक शिवम् नम आँखों से अपने तोहफे को देखता रहा और फिर उसे उठाया और वहा से बाहर निकल गया l मंजिल के इतने करीब आकर भी वह अपनी मैडम जी से मिल नहीं पाया इस बात का उसे बहुत मलाल था l शिवम् ने आँख के किनारे आये आंसुओ को पोछा और सामने खाली पड़ी बेंच पर आकर बैठ गया और शून्य मे तांकते हुए सोचने लगा,”क्या हम कभी आपसे मिल पाएंगे l 14 सालो का इंतजार चंद पलो में सिमटकर रह गया l

अनदेखी मोहब्बत फिर से अनदेखी रह गयी l आपके इतना करीब होकर भी मैं आपको देख नहीं पाया , आपसे मिल नहीं पाया l ये किस्मत मुझसे क्या चाहती है मैं नहीं जानता बस जानता हु तो इतना की ये इंतजार शायद अब कभी ख़त्म नहीं होगा l आज आपसे मिल सकता था पर देखिये ना मेरी ये किस्मत…………….मेरी किस्मत फिर से आड़े आ गयी और ………………… मैं नहीं जानता आपसे कब मिलूंगा लेकिन मैं जिंदगीभर ये इंतजार करने के लिए तैयार हु l आई बाबा को भी मैं समझा दूंगा वो समझ जायेंगे l

पिछले 5 सालो से यही तो समझा रहा हु उन्हें , बस एक बार आपको देख लू , ये जान लू की आप अपनी जिंदगी में खुश है बस इस से ज्यादा इस इंतजार का कोई सिला नहीं चाहिए l कल सुबह वापस चला जाऊंगा अगर हमारा इश्क़ सच्चा है तो बनारस खुद लेकर आएगा आपको l हमने इंतजार किया अब आपकी बारी है मैडम जी !!! हमे यकीन है आप जरूर आएँगी …………………………..!!

आपका ये शहर हमे रास नहीं आया , यहाँ के लोगो में न इंसानियत है ना ही अपनापन , हमारा बनारस ही अच्छा है देखियेगा जब आप आएँगी ना तो जाने का मन नहीं करेगा आपका l” सोचते सोचते शिवम दर्द में भी मुस्कुरा उठा l

हल्का अँधेरा होने लगा तो वह वहा से उठा और वापस होटल आ गया l अपनी बदहाल हालत देखकर उसे खुद पर ही हंसी आ गयी और उसने मुस्कुराते हुए खुद से बुदबुदाया,”वो इश्क़ ही क्या जिसमे आशिक़ की हालत मजनू जैसी ना हुई हो , और उन्होंने तो हमारा नाम भी रांझणा रखा है”

शिवम् अपने कमरे में आया उसने बुझे मन से तोहफा टेबल पर रखा और नहाने चला गया l नहाकर बाहर आया और बालकनी में आकर खड़ा होकर निचे आते जाते लोगो को देखने लगा l तभी उसकी नजर रेलिंग से कुछ निचे लगे पाइप पर गयी जहा एक जख्मी कबूतर बैठा था और उड़ने की नाकाम कोशिश कर रहा था दरअसल उसका पांव पाइप के किसी पतले तार में फंस गया था l

शिवम् निचे झुका और निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसका हाथ कबूतर तक नहीं पहुँच पा रहा था l शिवम् ने हर कोशिश की लेकिन नाकाम रहा l वह उठा और रेलिंग के जरिये निचे लगे छज्जे पर उतरने की कोशिश करने लगा l

“ऐ ! क्या कर रहे हो तुम ? गिर जाओगे निचे ,, कही तुम , कही तुम सुसाइड तो नहीं कर रहे न , देखो ऐसा मत करना सुसाइड ना कमजोर लोग करते है l तुम मुझे बताओ तुम्हे क्या प्रॉब्लम है बैठकर बात करते है ना …………. अरे सुनो मैं तुमसे बात कर रही हु…………ओह्ह हेलो सुनाई नहीं दे रहा तुम्हे”,पास वाली बालकनी में खड़ी सारिका ने कहा l 

शिवम् अब भी रेलिंग से होकर छज्जे तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था , वह ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे उनसे सारिका की बात सुनी ही ना हो l सुनता भी कैसे सारिका और उसके कमरे की बालकनी के बीचो बिच शीशे की दिवार जो थी l शिवम् को और से कोई रेस्पॉन्स न मिलने पर जैसे ही सारिका उसे रोकने के लिए आगे बढ़ी उसका सर शीशे की दिवार से जा टकराया l

“आउच !! यहा तो दिवार है तो फिर कल इसका फोन यहाँ कैसे गिर सकता है ? इसका मतलब इसने मुझसे झूठ कहा , हुंह ये तो शक्ल से ही जालसाझ लगा था मुझे………………पर जैसा भी हो अभी तो इसे बचाना होगा न”,सारिका ने बड़बड़ाते हुए कहा l 

शिवम् अब रेलिंग को पकडे हुए बालकनी के उस पार था l 4th फ्लोर से निचे देखा तो चक्कर आने लगे यहाँ से गिरता है तो उसकी हड्डियों का कचूमर बन जाएगा l शिवम् ने अपने भोलेनाथ को याद किया और एक हाथ से मजबूती से रेलिंग को पकड़ा l थोड़ा सा झुका और दूसरे हाथ से कबूतर को निकालने की कोशिश करने लगा l उसने कबूतर को वहा से निकाला निकलने के बाद अगले ही पल कबूतर हवा में था l शिवम् के दिल को राहत महसूस हुई l

वापस जाने के लिए जैसे ही वह उठकर रेलिंग पकड़ने लगा उसका पैर फिसला और वह एक हाथ से रेलिंग की पाइप पकडे लटक गया l उसका तो कलेजा ही मुंह को आ गया उसने निचे देखा और और भी डर गया लेकिन मदद किस से मांगे वहा कोई नहीं था l 

शिवम् ने सोचा आज तो वह बस मर ही जाएगा तभी सारिका वहा आई और डांटते हुए कहा,”तुम निचे क्या कर रहे हो ?

शिवम् के लिए ना चाहते हुए भी ‘तुम’ शब्द का ही इस्तेमाल होता था l 

“हवा खा रहा हु , रूम में ac नहीं है ना”,शिवमं ने कहा

“क्या ?”,सारिका को कुछ समझ नहीं आया तो उसने हैरानी से कहा l

“क्या ? क्या ? मेरी मदद करो “,शिवम् ने कहा

“मदद , तुमसे किसने कहा था यहाँ लटकने को , और करने क्या वाले हो तुम , सुसाइड ?…………………..कही तुम सुसाइड करने का तो नहीं सोच रहे ना देखो ऐसा कुछ मत करना , अभी उम्र ही क्या तुम्हारी है ना ,, इंसान से अकसर गलतिया हो जाती है पर कोई इस तरह सुसाइड तो नहीं ना करता l कही तुम्हारे खून के इल्जाम में पुलिस हमे पकड़कर ले गयी तो “,सारिका ने उसे समझाते हुए कहा

“शट अप , मैं यहाँ तुमसे मदद मांग रहा हु और तुम हो के कबसे लेक्चर दिए जा रही हो ! लगता है तुमसे मदद मांगकर ही गलती कर दी”,शिवम् ने चिल्लाकर कहा तो सारिका चुप हो गयी l

“लेकिन तुम यहाँ पहुंचे कैसे ?”

तुम पुलिस वाली हो ?

“नहीं !”

आर्मी से हो ?

“नहीं !”

कोई वकील , जज या टीचर हो ?

“नहीं , पर तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो ?”

तो फिर खड़े खड़े सवाल क्या कर रही हो , बचाओ मुझे चक्कर आ रहे है”,शिवम् ने जोर से कहां 

“हां हां तो चिल्ला क्यों रहे हो कर रहे है न मदद तुम्हारी , अपना हाथ दो”,सारिका ने अपना हाथ शिवम् की तरफ बढाकर कहा l

“कही खुनस के चक्कर में धक्का मत दे देना हमे”,शिवम् ने अपना हाथ सारिका की और बढाकर कहा

एक जाना पहचाना अहसास दोनों को हुआ लेकिन किसी ने भी उस अहसास को अपने चेहरे पर आने नहीं दिया l सारिका ने पूरी ताकत से शिवम् को खींचना शुरू किया l शिवम् ने भी अपनी तरफ से कोशिश की और खुद को सम्हालता हुआ बालकनी में आ गया l

“बचा लिया वरना मर ही गए होते हम तो”, शिवम ने अपने सीने पर हाथ रखते हुये कहा 

“मार तो तुम्हे हम डालेंगे , कल तुमने झूठ क्यों कहा की तुम्हारा हमारे कमरे की बालकनी में गिर गया है जबकि ये तो पॉसिबल ही नहीं था ना फिर झूठ क्यों कहा तुमने ? तुम जासूसी कर रहे हो हमारी ,,, बताओ किसने भेजा है तुम्हे ?”,सारिका ने ऊँगली दिखाते शिवम् की और बढ़ते हुए कहा l

“वेट ! कितना बोलती हो तुम यार , अरे अभी अभी हमे बचाया है कमसे कम सांस तो लेने दो”,शिवम् ने कहा

“देखो हम मजाक के मूड में नहीं है कौन हो तुम ? और और हमारी जासूसी क्यों कर रहे हो ?”, सारिका ने कहा

“अरे यार हम तुम्हारी जासूसी क्यों करेंगे ? लगता है भांग पि रखी है तुमने”,कहते हुए शिवम जैसे ही जाने लगा सारिका ने पीछे से उसका शर्ट पकड़कर उसे वापस खींचते हुए कहा,”अच्छा तो तुमको लगता है तुम कहोगे और हम मान लेंगे”

“जानते है नहीं मानोगे नकचढ़ी और अकड़ू जो हो”,कहकर शिवम् जाने लगा तो सारिका उसे जवाब देने के लिए उसके पीछे पीछे आई लेकिन अचानक से उसका पैर फिसला l उसे सम्हालने के चक्कर में शिवम् उसे लेकर धड़ाम से निचे फर्श पर जा गिरा जहा टीवी का रिमोट पड़ा था l बटन दबने से टीवी चालू हो गया l सारिका निचे और शिवम्…………………… शिवम् काजल से सनी उसकी गहरी काली आँखों में देखता ही जा रहा था l एक पल के लिए सारिका भी उन भूरी आँखों में डूब गयी l

वो छुअन दोनों के लिए ही अजनबी नहीं थी l एक अपनेपन का अहसास था उसमे जिसे उस वक्त दोनों महसूस कर रहे थे l टीवी में चलता गाना भी उस वक्त की सारी फीलिंग्स को बया कर रहा रहा था l शिवम् उसकी आँखों में डूबा था और पीछे गाना चल रहा था l

“तेरी काली अँखियो से जींद मेरी जागे 

धड़कन से तेज दौडू , सपनो से आगे 

अब जान लूट जाये , ये जहाँ रूठ जाये 

संग प्यार रहे मैं रहु ना रहु ………………… सजदा 

तेरा सजदा , करु मैं तेरा सजदा ………….”

सारिका को शिवम् की आँखों में अपना अक्स साफ नजर आ रहा था और फिर अचानक अपनी स्तिथि का अहसास हुआ उसने जैसे ही उठने की कोशिश की शिवम् को लेकर फिर से गिर पड़ी l शिवम् ने खुद को सम्हाला और उठते हुए कहा,”माफ़ करना वो गलती से !!

“गलती से ! तुम लड़को को तो ना सिर्फ मौका चाहिए लड़कियों के करीब आने का”,सारिका ने उठते हुए कहा

“ओह्ह मैडम जी हम कोई मौका नहीं देख रहे थे वो तो तुम जब गिरने वाली थी तब तुम्हे सम्हालने के लिये”,शिवम् ने कहा

“हम अच्छे से जानते है मुंबई में तुम जैसे बहुत लोग है खुद क शरीफ बताने वाले , जहा लड़की देखी नहीं वहा लाइन मारना चालू “,सारिका ने अहम् से भरकर कहा

शिवम् को ये बात बहुत नागवार गुजरी l उसने सारिका की आँखों में देखते हुए कहा,”एक ही दिल है हमारे पास और उसमे भी पहले से कोई है तो आप पर चांस मारने का तो सवाल ही नहीं उठता l भोलेनाथ के भक्त है एक को अपना मान लिए काफी है बाकि किसी को देखना पसंद नहीं है l वो और लड़के होंगे जो ऐसी छिछोरी हरकते करते है l हमारे लिए हमारी मैडम जी बहुत है”

शिवम् की बात सुनकर सारिका ने झेंपते हुए कहा,”तुम्हारी मैडम जी ?

“जी हां हमारी मेडम जी जिन्हे हम बहुत चाहते है उनकी जगह दुनिया की कोई भी लड़की नहीं ले सकती”,शिवम ने कहा

“अच्छा इतनी सुंदर है क्या ?”, सारिका ने चिढ़ते हुए कहा

“सुंदर बोल के इंसल्ट मत करो हमारी मैडम जी की , अरे वो तो ऐसी है की पूछो मत जब पलके उठाती होंगी तो सवेरा होता होगा , जब पलके झुकाती होगी तो दिन ढलता होगा , समंदर से भी गहरी आँखे होगी , गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ , नागिन से लहराते बाल , उफ़ क्या तारीफ करू उनकी दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की होंगी वो”,शिवम् ने खोये हुए अंदाज में कहा l

“होंगी ? मतलब”,सारिका ने सोचते हुए कहा

“होगी क्या ? है इसी दुनिया में है , मेरे दिल में है , मेरी आँखों में है”,शिवम् ने कहा

“तुम पागल हो गए हो , अगर यहाँ रुकी ना तो मैं भी हो जाउंगी”,सारिका ने कहा और जाने लगी

“हमारी मैडम जी की तारीफ सुनी नहीं जा रही ना आपसे”,शिवम् ने सारिका को छेड़ते हुए कहा

सारिका पलटी और उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा,”ओह्ह्ह हेलो , तुम्हारी मेडम जी है क्या मेरे सामने हां !!

“जैसी भी है आप जैसी तो बिल्कुल नहीं होगी , नकचढ़ी”,शिवम् ने शांत भाव से कहा

“आह्ह्ह्हह्ह , तुम्हे तो मैं……………………!!”,सारिका ने गुस्से से शिवम् को देखते हुए कहा

“क्या ? हमे थैंक्यू बोलने का मन कर रहा है , तो बोल दो ना”,शिवम् ने मुस्कुराते हुए कहा l

“थैंक्यू माय फुट ! तुम तुम न सच में एक टॉर्चर हो , पता नहीं तुम्हारी वो मेडम जी कैसे झेलती होगी तुम्हे ? आई विश की वो तुम्हे कभी ना मिले”,सारिका ने झुंझलाते हुए कहा l

सारिका की बात सुनकर शिवम् उदास हो गया l उसने आगे कुछ नहीं कहा सारिका जैसे ही जाने लगी अचानक से लाईट चली गयी l 

“इस लाइट को अभी जाना था”,सारिका ने परेशान होकर कहा l

शिवम् ने जेब से फोन निकाला और उसकी टोर्च जलाते हुए कहा,”इस दुनिया में ऐसा कुछ है जिस से तुम्हे शिकायत ना हो ?

शिवम् की बात सुनकर सारिका को अहसास हुआ की आजकल वह छोटी छोटी बातो पर बहुत ओवर रियेक्ट करने लगी है l 26 साल की एक मेच्योर लड़की ऐसी बाते करे तो अजीब ही लगती है सारिका को अपनी गलती का अहसास हुआ पर उसने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से खड़ी शिवम को देखती रही l सारिका को देखकर शिवम् कहने लगा,”जानती हो जिंदगी के ये पल एक बार जाये तो लौटकर दोबारा नहीं आते l

तुमसे पहली बार मिलकर लगा जैसे तुम्हे पहले से जानता हु इसलिए तुम्हे थोड़ा सा परेशान किया पर तुमने तो बिना कुछ जाने ही कह दिया की वो मुझे कभी ना मिले !! आपने शायद कभी किसी से प्यार नहीं किया ना इसलिए आपको नहीं पता l पर मैं उनसे बहुत प्यार करता हु वो मुझे कभी ना भी मिली तो उनके ना मिलने अफ़सोस नहीं रहेगा जानती है क्यों ? क्योकि मैं उनसे इतना प्यार करता हु की सारी जिंदगी उन्हें अपनी यादो में रखकर गुजार लूंगा l”

शिवम् की उदासी देखकर सारिका को अहसास हुआ की उनसे अनजाने में बहुत गलत बात कह दी l लाइट आते ही सारिका बिना कुछ कहे वहा से चली गयी और अपने कमरे में आ गयी l l शिवम का मन फिर उदासी से घिर गया वह आकर बेड पर बैठ गया और एक बार फिर अपने दिल को समझाने लगा l कुछ देर बाद कीसी ने दरवाजा खटखटाया

“खुला है , अंदर आ जाओ”,शिवम् ने वही बैठे बैठे आवाज दी l

“सर यॉर कॉफी”,वेटर ने आकर कहा l

शिवम् ने देखा सामने ट्रे लिए वेटर खड़ा है लेकिन उसने तो कोई कॉफी आर्डर नहीं की थी वह कुछ बोलता इस से पहले ही वेटर उसके साइड में ट्रे रखकर चला गया l शिवम् ने देखा ट्रे में कॉफी के कप के साथ साथ एक चिट भी रखी हुई है शिवम् ने उसे उठाया और पढ़ने लगा

“अंजनाने में आपसे जो कहा उसके लिए दिल से माफ़ी चाहते है , दुआ करेंगे आपको आपकी मैडम जी जल्दी से मिल जाये हमने बहुत कड़वी बातें कही ना इसलिए मीठी कॉफी भिजवाई है इसे पीकर उन कड़वी बातो को भूल जाईयेगा ,, आप बहुत अच्छे इंसान है !!”

आपकी नकचढ़ी पड़ोसन 

रूम नंबर 207 

शिवम् मुस्कुरा उठा और चिट रखकर कॉफी पिने लगा l कॉफी में घुली मिठास ने शिवम् के चेहरे पर एक बार फिर सुकून के भाव ला दिए l कॉफी पीकर उसने टीवी ऑन किया और देखने लगा l रात का खाना उसने अपने कमरे में ही मंगवा लिया और टीवी देखते हुए खाने लगा l दिनभर से थका हुआ था इसलिए खाना खाने के कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी l सुबह शिवम् जल्दी उठ गया और अपना बैग पैक करने लगा 5 बजे उसकी बनारस के लिए बस जो थी l

दूसरी और सारिका भी जल्दी उठ चुकी थी उसने टाइम टेबल चेक किया तो बनारस के लिए पहली बस 5 बजे की थी सारिका को अब जल्द से जल्द बनारस पहुंचना था उसने अपने बैग्स उठाये और होटल का बिल चुकाकर बाहर निकल गयी ll बाहर आकर उसने ऑटो लिया और बस स्टेण्ड चलने को कहा l जल्दी जल्दी में उसे शिवम् याद ही नहीं रहा l ऑटो में बैठे बैठे उसे उसका ख्याल आया तो वह मन ही मन कहने लगी,”अरे उसे तो बताना भूल ही गए की हम जा रहे है , धत तेरे की इतनी बातें हुई लेकिन हमने उनसे उनका नाम तक नही पूछा ना ही ये पूछा की वो है कहा से ?

हम भी न कभी कभी हम सच में पगला ही जाते है !! उनके बाद वो पहले शख्स है जिनसे खुद को जुड़ा हुआ महसूस किया हमने , ये हमारा वहम है या सच पर कल जिस तरह से वो हमारी आँखों में देख रहे थे एक अलग आकर्षण था उन भूरी आँखों में जो हमे ना जाने क्यों हमे उनकी तरफ खिंच रहा था l नहीं हम ये सब क्यों सोच रहे है ? हम जल्द से जल्द से बनारस पहुंचना है ताकि उनसे मिल सके l 

सारिका के निकलने के कुछ देर बाद हु शिवम भी वहां से निकल गया और बस स्टैंड पहुंचा l उसने बनारस के लिए टिकट कन्फर्म की ओर जाकर बस मे बैठ गया यहां भी उसकी किस्मत अच्छी थी कि उसे खिड़की वाली सीट मिली l सीट पर बैठा वह उदास नजरो से बाहर देखने लगा अपनी मैडम जी से ना मिल पाने का जो दर्द था वह इस वक्त वही संमझ सकता था l उसने सर सीट से लगाया ओर बाहर देखने लगा l  बस के वहा से निकलने में अभी वक्त था बस के बगल में एक दूसरी बस खड़ी थी वो बस भी दूसरे रास्ते से बनारस जाने वाली थी l

सारिका उसी बस में खिड़की वाली सीट की ओर बैठी थी l उसने सफेद रंग का सूट पहना हुआ था जिसका दुपट्टा भी सफेद ही था l सारिका खामोश बैठी उदास आंखो से बाहर देख रही थी कुछ देर बाद एक फ़क़ीर दो लड़को के साथ हरे रंग का झोला लेकर आये l उसे मन्नत का झोला कहते है जैसे ही वह सारिका के पास आया उसने सारिका की तरफ देखते हुए कहा,”जा तुझे तेरे बिछड़े हुए मिल जाएंगे ” 

सारिका ने सुना तो उसके चेहरे पर सुकून लौट आया उसने झोली की तरफ देखके मन ही मन मे मन्नत मांगी l फ़क़ीर वहां से हटकर दूसरी बस की ओर चला गया l एक एक करके सबको दुआएं देता वह आगे बढ़ने लगा l जैसे ही शिव के पास आया उसके चेहरे को देखने लगा l जो बैचैनी शिवम की आखो में थी वही बैचैनी वह आदमी सारिका की आंख में देखकर आया था l

उसने शिवम को दुआ दी और आगे बढ़ l कुछ देर बाद दोनों बस साथ साथ विपरीत दिशाओं में बढ गयी l जैसे ही बस चली हवा से सारिका का दुपट्टा उड़कर दूसरी बस की खिड़की पर बैठे शिवम के चेहरे से जा लगा l सारिक कुछ कर पाती उस से पहले ही बस तेजी से वहां से निकल गयी l 

शिवम ने चेहरे पर आए दुपट्टे को हटाकर देखा सफेद दुपट्टा जिसमे से आती महक जानी पहचानी सी लग रही थी l शिवम ने उसे अपनी गोद मे रख लिया और फिर अपनी आंखें मूंद ली बस अपनी गति से चल पड़ी l 

एक सफर के दो साथ दो अलग अलग रास्तो से होकर जा रहे थे लेकिन उनकी मंजिल एक ही थी l मिलना तो दोनो को था ही फिर क्यों ना वही बनारस के घाट पर मिलते l शाम 7 बजे बसे बनारस बस स्टैंड पहुंची l सारिका ने अपना बैग उठाया और नीचे उतर आई उसने रिक्शा वाले से अस्सी घाट चलने को कहा जहा वह आखरी बार अपने रांझणा से मिली थी l l 

दूसरी तरफ शिवम बस से उतर कर आया उसने दुप्पटा अपने बैग में रख लिया और घर जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ गया l l 

“महादेव की आरती का समय हो गया है क्यों पहले घाट पर चला जाये , बाद में सीधे घर चले जायेंगे”,शिवम ने सोचा ओर यकायक ही उसके कदम अस्सी घाट की ओर बढ गए l दोनो एक ही जगह जा रहे थे l सारिका ने अपना सामान घाट के पास की ही एक धर्मशाला में रखा और खुद सीढ़िया उतरकर घाट किनारे आकर खड़ी हो गयी 

“उन्होंने कहा था बनारस उनका घर है , इसके किसी ना किसी घाट पर मिल जाएंगे l तो क्यों ना शुरुवात यही से की जाए”,सारिका ने मन ही कहा और आंखे बंध करके हाथ जोड़कर महादेव की आरती में ध्यान लगाने लगी l 

अपना बैग शिवम ने एक बच्चे को देकर घर पहुचाने को कहा ओर खुद घाट पर आ गया l सारिका से वह बहुत दूर घाट की सीढियो पर उस पार खड़ा था l दोनो एक दुसरे से विपरीत ही खड़े थे l आरती के बाद सारिका वही सीढियो पर बैठकर घाट के पानी को निहारने लगी l कितने सालो बाद उसके दिल में कोई बैचैनी कोई तकलीफ नही थी l एक सुकून था l शिवम जो कि आरती के बाद घर जाने वाला था ना जाने क्यू वह भी घाट की उन्ही सीढियो पर बैठ गया और उदास आंखो से घाट के पानी को निहारने लगा l 

धीरे धीरे घाट से भिड़ छटने लगी थीं l रात के तीसरे पहर तक वे दोनों बैठे रहे l नींद उनकी आंखो से कोसो दूर थी l ना जाने कैसा सुकून था घाट के उस पानी में कई दोनो अपनी नजर नही हटा पाए l बैठे बैठे कब वक्त गुजर गया सारिका को पता ही नही चला वह जाने के लिए उठी और सीढियां चढ़ती हुई जाने लगी l दूसरी तरफ शिवम भी उठा और जाने लगा l एक मोड़ ऐसा आया कि दोनों एक दूसरे के सामने थे l

शिवम को अपने सामने देखकर सारिका हैरान हो गयी वह जैसे ही पीछे हटी उसका पैर फिसला वह जैसे ही गिरने वाली थी शिवम ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खिंचा l एक बार फिर सारिका उसकी आँखों मे डूब गई सुबह के 5 बज रहे थे भोलेनाथ के मंदिर में एक बार फिर अर्चना शुरू हो चुकी l मंदिर का वो शंखनाद उन दोनों के मिलन की पवित्र गवाही दे रहा था l 

बनारस की वो सुबह बहुत खूबसूरत थी l 

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संजना किरोड़ीवाल

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