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रांझणा – 23 

Ranjhana – 23

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Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

Ranjhana – 23

(अब तक आपने पढ़ा पंडित जी सारिका को शिवा की शादी के बारे में बताते है और सारिका का दिल टूट जाता है , शिवम् से सारिका की उदासी देखी नहीं जाती तो वह मुरारी के जरिये उसे घाट की बड़ी पूजा में लेकर जाता है l घाट पर मुरारी सारिका को अपनी भावनाओ के बारे में बताता है जहा सारिका को शिवम् और मुरारी की दोस्ती का,मतलब समझ आता है )

अब आगे -:

सारिका घाट के पानी के पास खड़ी मुरारी से बातें कर रही थी l मुरारी के कहने पर जैसे ही उसने मुड़कर देखा सीढ़ियों पर शिवम् आता दिखाई दिया l सारिका के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उसे मुस्कुराता देखकर मुरारी को सुकून l शिवम् अपने दोनों हाथो में दीपक वाला डोना उठाया हुआ था वह सारिका के सामने आया और एक दीपक उसकी और बढ़ा दिया l

सारिका ने शिवम् के हाथ से वह डोना लिया और वही सीढ़ियों पर बैठकर उसे पानी में बहाने लगी l सारिका का मन अब कुछ शांत था l शिवम् ने दूसरा दिया बहाते हुए मन ही मन कहा,”हे महादेव आज हमे आपसे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए बस सारिका जी का दर्द कम कर दीजिये”

शिवम् वहा से उठकर ऊपर जाकर एक खाली सीढ़ी पर आकर बैठ गया l मुरारी राधिका और सारिका भी आकर उसके पास बैठ गए l चारो खामोश बात की शुरुआत कौन करे ? कुछ देर बाद मुरारी ने ही कहा,”भैया तुमको वो शर्मा जी की लड़की याद है ?”

शिवम् – वो रमेश जी शर्मा

मुरारी – हां हां वही , तुमको पता है कल उ हमको मिली थी और बोल रही की हम तुमसे शादी करने के लिए तैयार है

शिवम् – उसने तुमको हां कैसे कर दी ? वो तुमरे नाम से भी गुस्सा हो जाती है l जाओ हम नहीं मानते

मुरारी – अरे अब का प्रूब दिखाए ? भरोसा नहीं ना है हमपे ,, उ कल खुद चलके हमरे पास आई दालमंडी मार्किट में प्यार से हमरा हाथ पकड़ा हमरी आँखों में देखा और कहा हम तैयार है

शिवम् – अच्छा वो खुद तुमरे पास आई तुमरा हाथ पकड़ा और कहा हम तैयार है ,,,,,,, का कुछ भी

(सारिका ख़ामोशी से इस बातचीत को सुने जा रही थी , शिवम् और मुरारी बहस कर रहे थे)

मुरारी – तुमको हमपे यकीं नहींन है न तो अपनी राधिका से पूछ लो

मुरारी ने राधिका की तरफ इशारा करके कहा तो राधिका आकर दोनों के बिल्कुल सामने बैठ गयी , यहा मुरारी ने अपने पांव पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली थी ये सच था की राधिका ने मुरारी और शर्मा जी की लड़की को मार्किट में साथ देखा था पर दोनों के बिच क्या बात हुई ये उसने नहीं सुना था l

पर शायद मुरारी ये नहीं जानता था की शर्मा जी लड़की कोई और नहीं बल्कि राधिका की दोस्त ही थी l राधिका ने एक नजर मुरारी को देखा और फिर बोलना शुरू किया , बोलना क्या यु कहिये अपने मन की भड़ास निकालनी शुरू की 

“मुरारी भैया तुम तो ना ही बोलो तो अच्छा है , बनारस में ऐसी कोई लड़की नहीं है जो तुमसे प्यार करेगी l शिवम् भैया का बताये तुमको इन्होने का किया l वो शर्मा जी की लड़की कोई और नहीं हमरी कॉलेज की दोस्त है उसने हमको सारी बात बता दी है”

“मर गए मुरारी , अब तो भांडा फूटने वाला है l शर्मा जी की लौंडिया को भी दोस्ती करने के लिए राधिका ही मिली थी पुर बनारस में”,मुरारी ने मन ही मन कहा l

राधिका ने मुरारी को घुरा और फिर कहने लगी,”जानते हो का किया इन्होने ? हमरी दोस्त को रेस्टोरेंट बुलाया और उस से कहा की हमसे प्यार कर लो , आप ही बताओ ऐसे होता है क्या कभी प्यार ? जबरदस्ती वाला ,, फिर कहते है प्यार नहीं तो थोड़ी सी शादी ही कर लो ,, थोड़ी सी से का मतबल है शादी तो शादी होती है l जब उ इंकार कर दी तो कट्टा निकाल के उसके सामने रख दिए और कहा इसमें से और हम में से किसी एक को चुन लो l

अब तूम हे बताओ उ का करती l उसने फिर भी न कहा तो जानते है इन्होने का किया ,, खाने पिने का सारा बिल उस से ही भरवाया l कितना रोइ उ बिचारी हमरे सामने ……………………….और वो मार्किट में हाथ पकड़ने वाली बात , वो हम बताते है सच का है वो इनको राखी बांधने आई थी

राधिका एक साँस में सब बोलते गयी l बिचारा मुरारी इधर उधर देखने लगा जैसे ही उसकी नजर शिवम् पड़ी तो शिवम् उसे ही देख रहा था शिवम् को देखते ही मुरारी बेशर्मी से मुस्कुरा उठा तो शिवम् ने कहा,”बाकि सब तो ठीक है लेकिन खाने का बिल उस से काहे भरवाया ?

जब हमको कछु मिले ही नहीं रहा तो हम फ़ोकट में अपनी जेब काहे जलाये”,मुरारी ने मुंह बनाकर कहा 

इतनी देर ख़ामोशी से बैठी सारिका सब सुन रही थी मुरारी की बात सुनते ही वह खिलखिलाकर हंस पड़ी l एक बार जो हंसी तो बस हंसते ही गयी उसे हँसता देखकर मुरारी और राधिका भी जोर जोर से हसने लगे l शिवम् सारिका को हँसता देखकर मुस्कुरा उठा l पुरे दिन के बाद अब जाकर उसके होंठो पर मुस्कान आई थी l सारिका हंसती रही हंसती रही और अचानक से उसे पंडित जी कही बात याद आ गयी और हँसते हँसते उसकी आँखों में आंसू भर आये l

शिवम ने उन आंसुओ को भांप लिया था लेकिन खामोश रहा l वो चाहता था की कब सारिका के सब्र का बांध टूटे और वो अपने दर्द को उजागर कर दे इतना तो शिवम् जान चूका था की सारिका एक बहुत ही समझदार और सुलझी हुई लड़की थी जो की परिस्थति के अनुसार खुद को ढालना जानती थी l आँखों में आंसू आ जाने से सारिका ने गर्दन घुमा ली l

“शिवम् भैया आपको बड़े पंडित जी ने बुलाया है , ऊपर बैठक में”,मंदिर में काम करने वाले लड़के ने आकर कहा l शिवम उठकर लड़के के साथ चला गया l मुरारी सारिका को घाट घुमाने लगा l रोजाना से आज यहाँ ज्यादा रौनक थी पर सारिका एक बार फिर उदास हो गयी l मुरारी और राधिका की उटपटांग बातो पर वह जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करती रही लेकिन अंदर ही अंदर एक तड़प उसे जलाये हुए थी जिसे सिर्फ वह महसूस कर सकती थी l

शिवम् ऊपर मंदिर में आया बड़े पंडित जी बैठक में बैठे थे शिवम् उनके पास आया और नमस्ते करके वहा पास खड़ा हो गया l पंडित ने उसे देखते ही पहचान लिया और कहा,”बड़े दिनों बाद आये शिवा , मैंने यहाँ सबसे तुम्हारे बारे में पूछा तो कोई तुम्हे इस नाम से जानता ही नहीं है पता चला तुम्हारा नाम अब शिवम है !! ये सब कैसे ?”

“पंडित जी हालात ऐसे हो गए की सब बुरे काम छोड़ने पड़े”,शिवम् ने धीरे से कहा

“अच्छा किया , महादेव भला करे l बुरी आदते त्यागकर आगे बढ़ना ही जीवन है”,पंडित जी ने कहा

“बाबा को वचन दिया है बस वही निभा रहे है”,शिवम् ने पंडित जी की और देखकर कहा

“बाबा कैसे है ? तुम्हारे ! भई उनकी बनाई जलेबियो का तो कोई जवाब नहीं l स्वाद अभी तक जबान पर ही है”,पंडित जी ने मुस्कुराकर कहा

“हां पंडित जी , वो बहुत मेहनत करते है अब वक्त आ गया है हम उनके इस भार को सम्हाले l कॉलेज की डिग्री है हमारे पास बस बनारस से बाहर कोई अच्छी नौकरी मिल जाये उसके बाद बाबा के उस सपने को जरूर पूरा करेंगे”,शिवम ने खोये हुए स्वर में कहा

“तुम्हारे बाबा का वैसे सपना है क्या ?”,पंडित जी ने हैरानी से कहा

“वो बनारस में एक बड़ा घर बनवाना चाहते है जिसमे बनारस का हर बेघर रह सकेगा”,शिवम् ने आँखों में चमक भरते हुए कहा

“ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा, कुछ मदद चाहिए तो हमे जरूर बताना ऐसे अच्छे काम में सहयोग करके हमे बहुत ख़ुशी मिलेगी”,पंडित जी मुस्कुरा कर कहा

“जरूर पंडित जी”,शिवम् ने कहा

“अच्छा तुम्हे एक जरुरी वजह से यहाँ बुलाया था पास के गांव में मेरे एक जानकर है उनके यहाँ शादी लायक लड़की है तुम कहो तो तुमरे बाबा से जिक्र करे इसका”,पंडित जी ने कहा

“पंडित जी हम अभी शादी करना नहीं चाहते”,शिवम् ने थोड़ा गंभीर होकर कहा l

“पहले पहले सब मना करते है , अब उह शिवा यादव को ही देख लो पहले कैसे इंकार करता था और अभी दो दिन पहले ही ओ की शादी से लौटे है हम और अब उ बहुते खुश है l शादी हमारे जीवन का अहम हिस्सा है और वक्त पर हो जाए तो जीवन का आनंद दुगना हो जाता है”,पंडित जी ने कहा

“आई ने फिर से आपके पास गुहार लगाई”,शिवम् ने कहा

“वो आये थे सुबह पर हमसे कुछ ना कहा , हम खुद से ही ये कह रहे है l सुन्दर सुशील लड़की है , तुमरे घर आएगी तो खुस रहेगी ऐसा हम जानते है”,पंडित जी ने कहा

“माफ़ कीजियेगा पंडित जी इसके लिए अभी हम तैयार नहीं है , आपकी इजाजत हो तो हम जाना चाहेगे l राधिका और मुरारी घाट पर इंतजार कर रहे होंगे”,शिवम् ने कहा

“हम्म्म्म , हमारी बात पर विचार जरूर करना”,पंडित जी ने कहा पर वो ये नहीं जानते थे की शिवम् की किस्मत पहले ही उसे किसी का बना चुकी है और इस वक्त वो भी उसके इंतजार में है l

शिवम् वहा से निकल गया तो छोटा पंडित आया और कहां,”आप खामखा परेशान हो रहे है शादी के नाम पर वह किसी की नहीं सुनेगा”

“ऐसा काहे ?”,बड़े पंडित जी ने हैरानी से पूछा

“अरे भूल गए आप , उ लड़की जिसका इंतजार करते करते उसने एक पूरा बनवास काट दिया है उ लड़की के लिए कर रहा है वो इह सब , नहीं तो हम तो खुद हे उसे अपने घर का दामाद बनाने वाले थे”,छोटे पंडित ने कमरे में सामान समेटते हुए कहा

“तो वो लड़की मिली के नहीं उसको ?”,पंडित जी अब भी हैरान थे

“कहा मिली ? मिलती तो इह ऐसे घूमता पुरे बनारस को सर पर ना उठा लेता”,पंडित जी ने चिढ़कर कहा l

“पंडित जी आज सुबह जो लड़की हमसे मिलने आई वो भी किसी लड़के के बारे में ही पूछ रही थी कही वो ही लड़की तो नहीं जिसका उसको इंतजार है”,बड़े पंडित जी ने सोचते हुए कहा

“का वो लड़की आपसे इसके बारे में पूछने आई थी ? पर उसने तो हम से ऐसा कछु नहीं कहा”,छोटे पंडित ने हैरान होकर कहा l

“अगर महादेव ने इन दोनों की किस्मत में मिलना लिखा है तो दोनों जरूर मिलेंगे”,बड़े पंडित जी ने आँखों में विश्वास भरते हुए कहा

“वैसे तो बहुते इंतजार किये है वो उसके आने का , अब बस दोनों मिल जाये तो इनका प्यार मुकमल हो”,छोटे पंडित ने शिवम् के प्रति फ़िक्र जताते हुए कहा

“जरुर मिलेंगे अगर प्रेम सच्चा हो तो वो जरूर मिलता है”,बड़े पंडित जी ने कहा l

कुछ देर बाद छोटे पंडित वहा से चले गए l 

दूसरी तरफ मुरारी राधिका और सारिका को घुमा रहा था l राधिका ने अपने लिए बहुत सारा सामान खरीदा सारिका का मन नहीं था इसलिए उसने कुछ नहीं लिया l तीनो घूमकर वापस घाट की सीढ़ियों पर आ गए वही सीढ़ियों पर बड़े से तख्त पर एक आदमी बड़े से कुछ मटके लिए बैठा था l उसके आस पास भीड़ भी खूब थी l मुरारी ने एक नजर उसको देखा और राधिका और सारिका के साथ आगे बढ़ गया

“ओह्ह मुरारी भैया आज भोलेनाथ का प्रशाद ना चखी हो”,वहा बैठे आदमी ने मुरारी को पीछे से आवाज लगाकर कहा

बेचारा मुरारी वहा जाना नहीं चाहता था लेकिन सारिका और राधिका को क्या कहता l

“भैया चलो ना भोलेनाथ का प्रशाद ले लेते है”,राधिका ने कहा और मुरारी के कुछ कहने से पहले ही उस तरफ बढ़ गयी l

“चलिए”,सारिका ने मुरारी से कहा और दोनों वहा आ गए l मन ही मन मुरारी उस आदमी को कोस रहा था लेकिन क्या करता सारिका के सामने सच भी तो नहीं बोल सकता l

आदमी ने डी ग्लासों में ठंडाई भरकर एक राधिका और दुसरा सारिका को थमा दिया l मुरारी के लिए उसने अलग से मटके से ग्लास में ठंडाई डाली और कहा,”ये लो भैया तुमरा स्पेशल वाला !”

“आपको स्पेशल क्यों ?”,सारिका ने मुरारी से पूछा l

“वो इसमें भोलेनाथ का प्रसाद ज्यादा है ना”,मुरारी ने बात टालते हुए कहा

“आज हमे इसकी ज्यादा जरूरत है”,कहकर सारिका ने अपना ग्लास साइड में रखा और मुरारी वाला ग्लास लेकर एक साँस में सारा पि गयी l मुरारी और आदमी तो बस सारिका को देखते रह गए l सारिका ने आदमी और मुरारी की तरफ देखा और हाथ जोड़कर कहा,”हर हर महादेव !!

“हर हर महादेव”,मुरारी ने हैरानी से कहा

सारिका वहा से सीढिया उतरती हुई निचे चली गयी l मुरारी समझ गया अब बनारस में भोकाल आने वाला है उसने घूमकर पीछे देखा तो ठंडाई बाटने वाला आदमी कबका रफूचक्कर हो चूका था l मुरारी ने सारिका वाला ठंडाई का ग्लास उठाया और पीते हुए कहा,”अब तो महादेव ही बचाये इन्हे”

“अरे का हो गया भैया ? इतना काहे घबरा रहे हो ?”,राधिका ने मुरारी के चेहरे के उड़े हुए रंग को देखते हुए कहा

“हुआ नहीं है राधिका अब होने वाला है , असर वो भी बहुते खतरनाक”,मुरारी ने बड़बड़ाते हुए कहा l

“का बड़बड़ाये जा रहे हो साफ साफ कहो ना”,राधिका ने झुंझलाकर कहा l

“सारिका जी ने ठंडाई पि है उमसे भांग मिली हुई थी , अब तो महादेव ही सम्हाले”,मुरारी ने डरते डरते कहा

“का……………………अगर शिवम् भैया को पता चला ना तो पिपटी बजा देंगे हमारी ……………….और ये सारिका जी कहा गयी ?”,राधिका ने सीढ़ियों पर देखा पर वो वहा नहीं थी

“मर गए राधिका , लगता है आज पक्का बैंड बजने वाली है हमारी…………इस से पहले की भैया आ जाये ढूंढो उनको”,मुरारी ने कहा

“किसको ढूंढने की बात करे हो मुरारी ?”,पीछे से शिवम् ने मुरारी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा

मुरारी को काटो तो खून नहीं वाली हालत हो गयी शिवम् को वहा देखकर , उसे चुप देखकर राधिका ने डरते डरते कहा,”भैया उ सारिका जी नहीं मिल रही है”

“हमको लगा ही था तुम दोनों जरूरे कोई न कोई गड़बड़ करोगे , अब यहाँ क्या खड़े हो चलकर उन्हें ढूंढने में हमारी मदद करो”,शिवम् ने दोनों को घूरते हुए कहा और खुद बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ गया,”आज का दिन कितना कठिन है , कही फिर से वो किसी मुसीबत में ना फस जाये , हे महादेव उनकी रक्षा करना”

मुरारी राधिका और शिवम् तीनो सारिका को ढूंढने लगे l रात के 11 बजने को आये पर सारिका का कोई ठिकाना नहीं था l वो नहीं मिली अब तो घाट से भीड़ भी छटने लगी थी l शिवम को मुरारी पर गुस्सा आ रहा था और साथ ही साथ सारिका की फ़िक्र भी हो रही थी l तीनो ढूंढते ढूंढते थक गए तो राधिका ने कहा,”भैया हो सकता है वो घर चली गयी हो , वैसे भी वे आज बहुत अपसेट थी”

“हम्म्म ! हमे एक बार घर चलकर देखना चाहिए”,शिवम् ने कहा और तीनो जाने के लिए जैसे ही मुड़े शिवम् के कानो में सारिका के गाने की आवाज पड़ी – “ओह्ह ठन्डे ठंडे पानी से नहाना चाहिए , गाना आये या ना आये गाना चाहिए”

“सारिका जी की आवाज”,कहकर शिवम् वापस पलटा और सीढ़ियों से निचे आया उसने इधर उधर नजरे दौड़ाई घाट की आखरी सीढ़ी पर पानी में पांव डाले सारिका बेपरवाह सी जोर जोर से गाना गा रही थी l शिवम् भागते हुए वहा पहुंचा , पीछे पीछे राधिका और मुरारी भी आ गए l

शिवम् को वहा देखते ही सारिका ने खिलखिलाकर कहा,”अरे तुम ? देखो कितनी मस्त जगह है……………..ये घाट कितना सुंदर है बिल्कुल हमारी तरह……………..और ये पानी कितना ठंडा है , तुम भी आओ हमे तो यहाँ बैठकर बहुत मजा आ रहा है”

शिवम् की जान में जान आई उसे लगा आज उसने सारिका को फिर मुसीबत में डाल दिया लेकिन सारिका सुरक्षित थी पर सारिका इस तरह बात क्यों कर रही है ये सोचकर वह परेशान हो गया उसने आवाज सख्त करके कहा,”सारिका जी पानी से बाहर आईये “

“नहीं हमे यहाँ बहुत अच्छा लग रहा है हम नहीं आएंगे”,सारिका ने बच्चो की तरह मुंह बनाते हुए कहा

“हमने कहा ना , पानी से बाहर आइये”,शिवम् ने उसी अंदाज में पर इस बार आवाज ऊँची करके कहा

सारिका उठी और शिवम् के सामने आ खड़ी हुयी l पानी में पैर डुबाने के कारण साड़ी का कुछ हिस्सा पानी से भीग गया था l सारिका के कदम लड़खड़ा रहे थे उस से ठीक से खड़े भी नहीं हुआ जा रहा था l शिवम् के कुछ बोलने से पहले ही उसने कहा,”कितने सडु हो न तुम , जब देखो तब गुस्सा तुम्हारी नाक पर रहता है l पता है गुस्से से तुम्हारी नाक लाल हो जाती है तब बिल्कुल बंदर नजर आते हो तुम l

और हसना मुस्कुराना तो जैसे क्राइम हो तुम्हारे लिए ,, इतनी सडु शक्ल लेके कैसे रहते हो तुम ? जब देखो तब चुप रहते हो ,,, किसी से ज्यादा बात नहीं करते और हमारी आँखों में तो ऐसे देखते हो जैसे डूब ही जाओगे उनमे …………………….और वो गोल गोल क्या बनाते हो ?………………. हां याद आया वो जलेबिया टेढ़ी मेढ़ी जलेबिया l एक जलेबी तो सीधी बनती नही तुमसे”

“जलेबिया हमेशा टेढ़ी ही बनती है , हमारे बाबा भी वैसे ही बनाते है “,शिवम् ने दोनों हाथ बांधे हुए बिना किसी भाव के सारिका से कहा l

“हां तो जो गलती तुम्हारे बाबा ने की जरुरी है तुम भी करो , तुम तो सीधी बना सकते हो ना”,सारिका ने शिवम् को ऊँगली दिखाकर घूरते हुए कहा

सारिका की बात से राधिका और मुरारी की हंसी निकल गयी l शिवम् ने घूरकर देखा तो दोनों चुप हो गए लेकिन उनकी हंसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी l सारिका ने बड़बड़ाना शुरू किया तो शिवम् समझ गया कुछ न कुछ तो गड़बड़ है उसने सारिका से पूछा,”आपने कुछ खाया या पीया है ?

“मुरारी ने हमको भोलेनाथ का प्रसाद पिलाया था ठंडाई , हहम बहुत अच्छी थी”,सारिका ने अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए कहा l अब शिवम् को सब समझ आ रहा था वह सारिका के सामने से हटा और मुरारी के सामने आया तो मुरारी ने हडबडाते हुए कहा,”वो भैया वो गलती से वो हम”

“सटाक”,एक थप्पड़ आकर मुरारी के गाल पर पड़ा जो की शिवम् ने मारा और गुस्से से कहा,”उनकी जिंदगी में पहले से मुसीबते कम है जो तुमने…………………………..मुरारी हम तुमको उनका ध्यान रखने के लिए कहे थे और ये ध्यान रखा तुमने”,कहते हुए शिवम् ने फिर से मारने के लिए हाथ उठाया लेकिन रुक गया और कहने लगा,”मुरारी वो नहीं समझती पर तुम तो समझते हो ना इह बात की वो इस शहर से नहीं है , यहाँ के बारे में उनको कुछ नहीं पता वो किसी भी मुसीबत में फस सकती है l उनकी हालत देखो इस वक्त उन्हें बिल्कुल होश नहीं है”

मुरारी चुपचाप सुनता रहा सारिका उन दोनों के पास आई और कहा,”तुम दोनों ये क्या करते रहते हो हमेशा ? ये थप्पड़ मारता रहता है तुम चुपचाप खाते रहते हो और कोई काम नहीं है तुम दोनों को”

सारिका की बात सुनकर भी मुरारी को गुस्सा नहीं आया बल्कि हंसी आ रही थी लेकिन शिवम् से कही फिर से थप्पड़ ना खाना पड़ जाये सोचकर वह जैसे ही जाने लगा सारिका ने कहा,” अबे ऐ मुरारी इधर आ , जाता कहा है ?”

“आज ये सबकी वाट लगाने वाली है”,कहकर मुरारी पलटा और मुसकराते हुए कहा,”जी !!

“क्या कहा था हमसे उस दिन ‘चाचा विधायक है हमारे’ अरे हमको क्या तुम्हारे चाचा विधायक हो या मिनिस्टर हमने कोनसा दिन उनके घर की खीर खाई है l और ये क्या जब देखो तुम सबपर धौंस जमाते रहते हो अपनी , तीली जितने से तो हो किसी दिन तेज हवा चली न उड़ जाओगे l (हसने लगती है)

और जब देखो तब इनसे चिपके रहते हो भैया भैया की जगह लड़की लड़की की माला जपते न तो अब तक 8-10 शादी हो जाती तुम्हारी फिर कहते हो लड़की नहीं मिलती कहा से मिलेगी संगत ही ख़राब है तुम्हारी तुमरी भाषा में कहे तो ‘बहुते ही ख़राब किस्मत है तुमरी”

भांग के नशे में सारिका कुछ भी बोले जा रही थी शिवम् ने अपना सर पकड़ लिया और मन ही मन कहा 

“पता नही और कितने रंग देखने को मिलेंगे इनके………………..!!!

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संजना किरोड़ीवाल

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