रांझणा – 19
Ranjhana – 19
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Ranjhana – 19
मुरारी ने जैसे ही शिवम् का कन्धा पकड कर अपनी तरफ किया शिवम् की आँखों में आंसू देखकर हैरान रह गया और कहा,”भैया ये सब , आपकी आँखों में आंसू ?”
“हमको माफ़ कर दे मुरारी , हमे तुम सबके साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था l पहली बार सारिका जी पर इस तरह चिल्लाये थे हम लेकिन हम मजबूर थे मुरारी l”,शिवम् ने आँखों में आंसू भरकर कहा l
मुरारी – ऐ भैया ! तुम माफ़ी न मांगो हमसे , इतना तो जानते है हम की तुम कोई भी काम बेवजह नहीं करोगे l
पर सारिका जी पर गुस्सा करना सही नहीं था और कैसी मज़बूरी भैया ? हमे तो बता ही सकते हो ना
शिवम् – ये सब हमे करना पड़ा क्योकि हम , क्योकि हम उनके करीब नहीं आना चाहते l हम नहीं चाहते जाने अनजाने में उन्हें हमसे कोई भी लगाव हो , जब मंदिर में वो आकर हमारे गले लगी उसी पल हमे अहसास हुआ जैसे को हमारा अपना हमारे गले लगा है ,, ये अहसास बहुत बुरे होते है रे मुरारी कब हमे रिश्तो में बांध ले पता नहीं चलता और अब हम किसी रिश्ते में बंधना नहीं चाहते ( तड़प उठता है )
मुरारी – पर इसमें गलत का है भैया ? सारिका जी अच्छी लड़की है
शिवम् – गलत है मुरारी , आज अगर इनको अपना लिए तो गलत होगा उस लड़की के साथ जिनका इतने साल इंतजार किया है हमने l वो भले हमारे साथ न थी हमारे पास ना थी पर अपनी जिंदगी का एक एक लम्हा उन्हें महसूस करते हुए जिया है हमने l कैसे भूल जाये उनको ?
मुरारी – तुम फिर से गलती कर रहे हो भैया !
शिवम् – नहीं मुरारी हम गलती नहीं कर रहे , तू तो जानता है न हमारा अतीत फिर तू ऐसा कैसे बोल सकता है ? हमारी दुश्मनी की वजह से प्रताप ने सारिका जी के साथ जो किया , आज अगर उन्हें कुछ हो जाता तो हम कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाते मुरारी l हम नहीं जानते हमारा उनसे क्या रिश्ता है लेकिन जब प्रताप ने उन्हें छुआ तो बर्दास्त नहीं कर पाए l सारिका जी जिस काम से यहाँ आई है जब तक उनका वो काम पूरा नहीं हो जाता तब तक हम उन्हें कुछ नहीं होने देंगे
मुरारी – चिंता न करो प्रताप का इंतजाम हम करवा देंगे l हमने जरा सी शराफत क्या अपना ली बच्चे आंख दिखाने लगे
शिवम् – इसकी जरूर नहीं है मुरारी हमारी इंस्पेक्टर से बात हो गयी थी , प्रताप अब कुछ दिनों के लिए जेल में होगा
मुरारी – वो सब तो ठीक है भैया लेकिन सारिका जी
शिवम् – सारिका जी क्या ?
मुरारी – उन्हें तुम्हारी जरूरत है , इस वक्त वो जिस दर्द से गुजर रही है वो तुमसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता l
शिवम – मुरारी उनका सामना करने की हिम्मत हम मे नहीं है
मुरारी – भैया तुमने जो किया है उसके लिए माफ़ी तो मांगनी पड़ेगी ना l वैसे भी प्रताप से ज्यादा दिल तो तुमने दुखाया है उनका , आज पहली बार उनकी आँखों में आंसू देखे है बहुते बुरा लग रहा है , महादेव की कसम
शिवम् – हम जानते है मुरारी इसलिए तो उनके सामने ज्यादा देर नही रुके l उन्हें आँखे पढ़ना आता है और हम नहीं चाहते वो ये आँखे पढ़े l उन्हें आज आंसू दिए ताकि कल उन्हें हमारी वजह से रोना ना पड़े !!
मुरारी – ये सब क्या है भैया ? काहे तुम खुद को तकलीफ पहुंचा रहे हो ये सब करके , जानते है तुमको बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा फिर भी ( उदास हो जाता है )
शिवम् सीढ़ियों पर बैठ जाता है मुरारी भी कुछ दूरी बनाकर बैठ जाता है और शिवम् के जवाब के इंतजार में उसकी और देखने लगता है l
शिवम् – जानते हो मुरारी इस दुनिया में दो चीजे है जो हमारे बस की बिल्कुल नहीं है एक है मौत और दुसरा है प्यार l
मौत जब आती है तो इंसान कुछ देर तड़पता है और फिर सब खत्म लेकिन अगर प्यार हो जाये तो हम जीते जी मरने लगते है l सारिका जी की आँखे भी कुछ ऐसी है उनके प्यार में पड़ने से कोई खुद को भला कब तक रोक पायेगा l
मुरारी – ये प्यार भी कितनी अजीबे चीज है ना भैया कब कहा किस से हो जाये कुछ कह नहीं सकते
शिवम् – प्यार दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास है मुरारी
मुरारी – वो तो ठीक है भैया , पर तुमरे और सारिका जी के बिच का रिश्ता हम अभी भी समझ ना पाए है
शिवम् – कुछ रिश्तो का कोई नाम नहीं होता मुरारी ,
मुरारी – तुमरी ये उलझी उलझी बातें हमारे समझ मे नहीं आती है
शिवम् – वो भी यही कहती है की हम काफी उलझे हुए है , कभी कभी तो लगता है तुमसे ज्यादा हमे वो जानने लगी है
मुरारी – कभी कहते हो कोई रिश्ता नहीं , कभी कहते हो वो ज्यादा जानती है …………. भैया चल का रहा है तुमरे दिमाग में ?
शिवम् – वही तो समझ नहीं पा रहे है मुरारी , कभी लगता है सब सही है कभी सब गलत लगने लगता है , जब उनकी आँखो में देखते है तो लगता है की बनारस की सारी चमक उनमे समा गयी है , जब नजर हटती है अन्धकार के अलावा कुछ नहीं l उनके साथ बिताये अभी कुछ वक्त ही हुआ है पर लगता है जैसे कुछ बहुत गहरा रिश्ता है हमारा उनसे l
जब उनकी आँखों में आंसू देखे तो एक पल को हमारा कलेजा कट सा गया l जब वो हमारे सीने से लगी तो एक सुखद अहसास जो आज से पहले शायद कभी ना हुआ l वो हमारी मैडम जी से भी ज्यादा खुशनसीब है मुरारी जानते हो क्यों क्योकि आज तक उनके लिए भी हमारी आँखों में आंसू नहीं आये होंगे l ये सब किस्मत का खेल है मुरारी जो तोहफा हम अपनी मैडम जी के लिए खरीदे थे वो सारिका जी को नसीब हुआ l l
मुरारी – तोहफा अपनी सही जगह पहुँच गया था , अब तुमको भी सब भूलकर आगे बढ़ना चाहिए
शिवम् – मुरारी तुम न कभी बच्चो की तरह बात करते हो , मैडम जी को नहीं भूल सकते यार 14 साल इंतजार किया है उनका ऐसे कैसे भूल जाये उन्हें ? और उन्होंने भी तो कहा था वो हमारा इंतजार कर रही है
मुरारी – देखो भैया ऐसा है इस इंतजार में न तुम आज भी वही हो पर दुनिया आगे निकल चुकी है , ये बनारस आगे निकल चुका है ,
अरे हम तो महादेव से दुआ करेंगे की तुम्हारी मैडम जी तुमको कभी ना मिले और सारिका जी तुम्हारी जिंदगी में आजाये ” (गुस्से से)
“सटाक”,एक थप्पड़ आकर मुरारी के गाल पर लगा जो की शिवम् ने मारा था और कहा,”ऐसा मत बोल , तू नहीं जानता कितना सह रहे है सिर्फ उनके लिए , तुझे जितनी गाली देनी है हमे दे सकता है , चाहे जितने ताने मार सकता है , हमे पिट सकता है तुझे सारे हक़ है पर वो ना मिले ऐसी महादेव से दुआ ना करना” (आँखे एक बार फिर भर आती है)
मुरारी बस शिवम् के चेहरे की तरफ देखते हुए सोचने लगता है,”ये प्रेम किस चक्की में पीस रहे हो तुम भैया , भले मोहब्बत तुम्हारी मैडम जी ने की हो पर दर्द सिर्फ तुमरे हिस्से में आया है , काहे तुम आज भी अपने कल पर अटके हो जबकि तुमरे आज तुमरे कल से कितना ही ज्यादा खूबसूरत है l सारिका जी तुमरे लिए परफेक्ट है ये हमको दीखता है , आई और राधिका को भी दिखता है फिर तुमको काहे नहीं दिख रहा ,, या फिर देखना ही नहीं चाह रहे तुम “
शिवम को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने मुरारी के कंधे पर हाथ रखकर कहा,”हमका माफ़ कर दे
मुरारी तुम पर हाथ उठाना नहीं चाहते थे पर……………………….हमका माफ़ कर दे यार !! (आँखे नम है)
मुरारी अपने ख्याल से बाहर आता है और कहता हैं,”हमारी किस्मत में चाहे किसी का प्यार हो न हो पर महादेव से एक चीज जरूर मांगेंगे की हर जन्म में वो हमको तुमरे जैसा दोस्त दे , फिर चाहे जिंदगी भर हमे थप्पड़ खाने पड़े कोई गम नहीं”,मुरारी ने आँखे नम करके कहा l
शिवम् की आँख से आंसू बह निकला उसने मुरारी को अपनी तरफ खींचकर कसके गले लगा लिया और कहा,”खुशनसीब तो हम है मुरारी जो हमे तुम जैसा दोस्त मिला l और आज कहते है मैडम जी के लिए हम सब कुछ छोड़ सकते है और तुमरे लिए मैडम जी को भी l मोहब्बत और मिल जाएगी पर तुम जैसा भाई नहीं l “
मुरारी की आँखों से आंसू बहने लगे आज उसने जाना की शिवम् उस से कितना प्यार करता है l वो शिवम् के गले लगे सुबकते रहा और फिर दूर होकर कहा,” तो फिर हमरी एक बात मान लो ना भैया
“ह्म्म्मम्म”,शिवम् ने अपनी आँखे पोछते हुए कहा
“सारिका जी से माफ़ी मांग लो , आज उनका बहुत दिल दुखा है तुम माफ़ी मांग लोगे तो उन्हें अच्छा लगेगा l बस इतना ही इस से ज्यादा कुछ नहीं”,मुरारी ने अपने आंसू पोछकर कहा
“ठीक है कल सुबह हम उनसे माफ़ी मांग लेंगे , तुम्हे उनकी परवाह करते देख अच्छा भी लग रहा है और हैरानी भी हो रही है”,शिवम् ने कहा
“वो काहे ?”,मुरारी ने कहा
“वो का है न आज से पहले तुमको किसी लड़की के लिए इतना परेशान नहीं देखा …………………. कही तुमको सारिका जी से………?”,शिवम् ने मुरारी को छेड़ते हुए कहा
“छी छी कैसी बातें करते हो ? अगर तुम ना होते तो शायद कुछ सोचते पर अब वो सिर्फ भाभी है हमारी”,मुरारी ने कहा
“भाभी…………..?”,शिवम् ने आँखे दिखाते हुए कहा
“हां हां भाभी ,, और अब इह हक़ नहीं छीन सकते तुम हमसे………….तुमने हां करी तो ठीक ना ही और कोई भैया ढूंढ लेंगे हम अपने लिए”,मुरारी ने भी आँखे दिखाते हुए कहा
शिवम् मुस्कुराने लगा और फिर कहा,”चलो घर चलते है बाकि नौटंकी घर पर करना”
“अरे नहीं भैया आज हमको चाचा के घर ही जाना पडेगा”,मुरारी ने उठते हुए कहा
“वो क्यों ?”,शिवम् भी उठा और दोनों साथ साथ चलने लगे
“अरे भूल गए ना , परसो उनकी शादी की सालगिरह है और सारा बंदोबस्त हमको ही देखना है तो बिजी रहेंगे ना कल पूरा दिन”,मुरारी ने कहा
”हम तो भूल ही गए थे l वैसे कल हमको भी कॉलेज जाना है”,शिवम् ने कहा
“ठीक है फिर चलो घर छोड़ देते है तुमको , और हां उनसे माफ़ी मांगना ना भूलना”,मुरारी ने कहा
दोनों घाट से बाहर आ गए l मुरारी ने जीप स्टार्ट की और शिवम् के साथ घर के लिए निकल गया l शिवम् ने सर सीट से लगा लिया उसका मन अब शांत था लेकिन दिमाग में अब भी सारिका ही घुम रही थी वही पल घूम रहा था जब सारिका आकर उसके सीने से लगी थी l कुछ देर बाद गाड़ी घर के सामने थी शिवम् उतरा और मुरारी को अपना ध्यान रखने को कहकर चला गया l शिवम् अंदर आया तो देखा आई बाबा बाहर आँगन में बैठे है l
शिवम् ने घडी में समय देखा जो की रात के 11 बजा रही थी l वह चुपचाप उनके पास आया और धीरे से कहा,”आई बाबा आप लोग सोये नहीं अभी तक”
“जिन माँ बाप का इकलौता बेटा इतनी मुसीबतो से घिरा हो उन्हें भला नींद आएगी”,बाबा ने उदास होकर शिवम् की और देखते हुए कहा l
“कुछ बात हुई क्या बाबा ?”,शिवम् अंदर ही अंदर घबरा गया कही आई बाबा को आज के झगडे के बारे में पता चला तो
“तू नहीं बताएगा तो क्या हमे पता नहीं चलेगा ?”,आई ने गुस्से से कहा
“मैं कुछ समझा नहीं”,शिवम् ने आई की और देखकर कहा
आई उठकर शिवम् के सामने आई और कहने लगी,”तूने सारिका को बाइक से कैसे गिराया ? , अगर चलानी नहीं आती तो उसे लेकर क्यों गया घाट घुमाने ? सुबह से उस बच्ची ने कुछ खाया भी नहीं ऊपर से उसके सर पर , हाथ पर चोट लगी है l उसका ख्याल रखने के बजाय तू उसे छोडकर चला गया l कैसा नालायक लड़का है रे तू ?”
शिवम् को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह बस अवाक् सा खड़ा आई का मुंह ताक रहा था l
उसे चुप देखकर आई ने फिर से डांट लगाते हुए कहा,”अब कान खोलकर मेरी बात सुन , वो अब यही रहेगी जब तक वो चाहे कही नहीं जाएगी !!”
“हम्म्म्म”,शिवम् ने हां में सर हिला दिया
“अरे क्या करती है कावेरी आते ही शुरू हो गयी , सुबह से इसने भी तो कुछ नहीं खाया जा अंदर जाकर पहले खाना खिला इसको”,बाबा ने कहा
शिवम् ने बाबा की तरफ देखकर आँखों ही आँखों में उनका धन्यवाद किया l
आई शिवम् के साथ बरामदे मे आ गयी l आई ने शिवम् को बैठने को कहा और खुद उसके लिए खाना लेने चली गयी l कुछ देर बाद आई खाना ले आई और शिवम् के सामने रख दिया l आज शायद वे शिवम् से नाराज थी l शिवम ने जैसे ही एक निवाला तोडा से सारिका की याद आई और उसने आई से कहा,”आई उनको खिला दिया”
“नहीं उसने नहीं खाया , जब आई थी तबसे बस रोये जा रही थी l तूने कुछ कहा क्या उसको ?”,आई ने चिंता जताते हुए कहा
“अभी वो कहा है ?”,शिवम् ने कहा
“राधिका के कमरे में सुलाये है उसको , बहुते परेशान नजर आय रही थी l कुछ बात हुई का तुमरे बिच ?”,आई ने फिर पूछा
शिवम् जानता था जब तक बताएगा नहीं आई उसका पीछा नहीं छोड़ने वाली उसने कहा,”आई वो हमरी गलती की वजह से चोट आ गयी उनको , अकेले छोड़ नहीं सकते थे घर वो आना नहीं चाहती थी इसलिए थोड़ा डांट दिया उनको”
“सही किया जो उस यहाँ ले आया , देखना दो दिन में अच्छी हो जाएगी “,आई ने चैन की साँस लेकर कहा
“हम जरा उन्हें देखकर आते है”,शिवम् ने उठते हुए कहा
“पर खाना’,आई ने कहा
“बाद में खा लेंगे आई”,शिवम् ने कहा और वहा से राधिका के कमरे की और चला गया l भूख से ज्यादा इस वक्त उसे सारिका की परवाह थी l राधिका के कमरे में आकर देखा सारिका गहरी नींद में थी शिवम् अंदर आया l
उसने देखा चाँद की रौशनी में सारिका का चेहरा और भी मासूम नजर आ रहा था शिवम् ने जमीन पर गिरी चददर को उठाया और सारिका को ओढ़ा दिया l सहसा ही उसका हाथ सारिका के हाथ से छू गया l सारिका का शरीर गर्म भट्टी की तरह तप रहा था l शिवम् ने उसके सर को छूकर देखा सारिका बुखार में तप रही थी l शिवम् घबरा गया इस सब के लिए अब वह खुद को जिम्मेदार मानने लगा ना वह सारिका पर इस तरह चिल्लाता और ना ये सब होता l
शिवम् ने सबसे पहले सारिका को चददर अच्छे से ओढ़ा दी और फिर कमरे से निकल कर किचन की तरफ चला गया l उसने एक बर्तन में ठंडा पानी लिया और उसे लेकर वापस कमरे में आया l पानी उसने छोटी टेबल पर रखा और खुद कुर्सी लेकर वही सारिका की बगल में बैठ गया l उसने जेब से रुमाल निकाला और उसे ठन्डे पानी में भिगोकर उसकी पट्टियां सारिका के सर पर रखने लगा l
बुखार इतना तेज की उतरने का नाम नहीं ले रहा था l शिवम् बार बार पट्टी पानी में भिगोता और उसे सारिका के सर पर रखता जाता l ये सब करते हुए शिवम् के चेहरे पर परेशानी और झुंझलाहट के कोई भाव नहीं थे l
दरवाजे पर खड़े शिवम् के आई बाबा ने शिवम् को देखा और मुस्कुराकर वहा से चले गए l उन्हें सारिका पसंद थी बस इंतजार था शिवम् की हां का , और इस बार शायद शिवम् जल्दी ही हाँ कहने वाला था l
रात भर बिना एक झपकी लिए शिवम् सारिका के सर की पट्टिया बदलता रहा l
सुबह 5 बजे तक सारिका का बुखार कुछ कुछ कम हो गया था l सारिका के जागने से पहले ही शिवम उठा और अपने कमरे की और चला आया l थकान से उसका बदन टूट रहा था l वह आते ही बिस्तर पर लेट गया जैसे ही लेटा उसकी पीठ पर दर्द का अहसास हुआ l शिवम् को याद आया मंदिर में जब शिवम् सारिका के साथ गिरा था तब वहा पड़ा नुकीला पत्थर उसकी पीठ में चुभा था पर शिवम् को अपने दर्द का अहसास ही नहीं था l वह पेट के बल लेट गया l कुछ देर बाद वह नींद के आगोश में था ………………………………….!!”
सुबह जब सारिका उठी तो काफी कमजोर महसूस कर रही थी l वह उठकर बिस्तर पर बैठ गयी सर हल्का हल्का दर्द कर रहा था l आई उसके लिए कॉफी ले आई और उसे थमाते हुए कहा,”अब कैसी तबियत है तुमरी ?
“हम ठीक है”,सारिका ने धीरे से कहा
“तुम ये पिओ और फिर नहा लो तुम्हे अच्छा लगेगा तब तक हम तुमरे लिए नाश्ता बना देते है”,आई ने कहा और जैसे ही जाने लगी सारिका ने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें वापस बैठा लिया और कहा,”आप हमसे नाराज नहीं है न ?”
“नाराज , अरे हम तुमसे काहे नाराज होंगे ?”,आई ने हैरानी से पूछा
“कल रात हम ठीक तरह से पेश नही आये ना इसलिए”,सारिका ने नजरे झुकाकर कहा
“हम जानते है कल रात तुम बहुते परेशान थी इसलिए हमे तुमरी किसी बात का बिलकुल बुरा नहीं लगा , लेकिन शिवम् को हमने बहुत डांट लगायी है कल रात अब वो तुमको बिल्कुले नहीं परेशान करेगा”,आई ने कहा
“हम्म्म्म”,शिवम् का नाम सुनकर सारिका को बीती रात वाली सारी बातें याद आ जाती है और वो खामोश हो जाती है l
सारिका को खामोश देखकर आई कहती है,”अब तू जल्दी से कॉफी पि और नहाकर आजा”
सारिका कॉफी पीकर बेग से कपडे निकालती है और नहाने चली जाती है l नहाकर उसने सूट पहना और गीले बालो को तोलिये में लपेट लिया l हाथ में हल्का हल्का दर्द अब भी हो रहा था l कमरे से बाहर निकलकर सारिका आंगन में आई और बाल सूखाने लगी l उसके बालो को देखकर राधिका ने कहा,”आपके बाल कितने सुंदर है और कितने घने भी है”
जवाब में सारिका सिर्फ मुस्कुरा दी और बालो को सूखाने लगी l राधिका आँगन में ही पलंग पर बैठी थी l सारिका भी वही आकर बैठ गयी आई उसके लिए नाश्ता ले आई लेकिन चोट की वजह से हाथ में हलकी सी सूजन आ गयी थी l सारिका से खाया नहीं गया तो आई ने कहा,”अरे तुम काहे परेशान होती हो हम खिलाते है ना तुमको”
आई एक एक निवाला तोड़कर बड़े प्यार से सारिका को खिला रही थी सारिका की नम आँखे देखकर आई ने कहा,”अरे का हुआ तुमको ?
“जब हम छोटे थे तब हमारी माँ भी हमे हमेशा ऐसे ही अपने हाथ से खाना खिलाया करती थी”,सारिका ने कहा
“हम उनकी जगह तो नहीं ले सकते पर हां उनकी तरह खिला तो सकते है ना”,कहते हुए आई ने एक और निवाला सारिका की तरफ बढ़ा दिया l सारिका ने बिच में ही उनका हाथ पकड़ कर उन्हें रोकते हुए कहा,”क्या हम आपको माँ कहकर बुला सकते है ?”
इस बार आँखे नम होने की बारी आई की थी उन्होंने आँखे नम करके मुस्कुराते हुए कहा,”तुमरा जो मन करे हमे कहकर बुला सकती हो”
सारिका मुस्कुरा दी और आई के खाने लगी l नाश्ता करवाकर आई वहा से चली गयी l सारिका वही बैठकर राधिका से बातें करने लगी l तभी बाबा वहा आये और आकर सारिका से कहा,”अब कैसी तबियत है आपकी बिटिया ?
“हम ठीक है”,सारिका ने कहा l
“अपना ध्यान रखना और हां किसी चीज की जरूरत हो तो कावेरी से कह देना या मुझसे कह देना”,बाबा ने सारिका के सर पर हाथ रखते हुए कहा
सारिका ने हां में गर्दन हिला दी l बाबा वहा से दुकान की तरफ चले गए l कुछ देर बाद मुरारी भी वहा आ गया l सारिका को आँगन में बैठा देखकर मुरारी सीधा उसी तरफ चला आया और सारिका के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”अरे वाह आज तो चाँद दिन में निकला है”
“अरे आप यहाँ ?”,सारिका ने मुरारी को देखकर मुस्कुराते हुए कहा
“हां इधर से गुजर रहा था सोचा आपसे मिलता चलू , कैसी है आप ?”,मुरारी ने कहा
“हम ठीक है , थैंक्यू कल आपने हमारी बहुत मदद की और हम आपका शुक्रिया अदा भी नहीं कर पाए”,सारिका ने सहजता से कहा
“ये लो कर दिया ना एक पल में पराया , अपना भी समझती है और थैंक्यू भी बोलती है”,मुरारी ने चिढ़कर कहा
“मुरारी तू आज सुबह सुबह आ गया ?”,आई ने पास आकर कहा उनके हाथ में एक छोटी कटोरी थी l
“बस तुमरी याद आई तो तो तुमसे मिलने चले आये”,मुरारी ने कहां
“महादेव !! सूबह सुबह मुंह भरके झूंठ बुलवा लो बस तुमसे”,आई ने सारिका के सामने बैठते हुए कहा
आई ने सारिका के सर पर लगी बैंडेज को धीरे से निकाल दिया तो सारिका ने कहा,”ये आप क्या कर रही है ?
“अरे तुमको नहीं पता ये डाक्टर वाकटर ना सब ऐसे ही कुछ भी लगा देते है , घाव को जितना खुला छोड़ोगी उतने जल्दी ठीक होगा , हम अभी ये हल्दी वाला लेप लगाय देते है l दो दिन ठीक हो जाएगा”,आई ने लेप सारिका के सर के घाव पर लगाते हुए कहा
“हां आई वो डॉक्टर ऐसा ही था बिना डिग्री वाला डाक्टर , है ना सारिका जी”,मुरारी सारिका की और देखकर शरारत से मुस्कुरा दिया l
सारिका को याद आया ये बैंडेज शिवम् ने किया था तो पहले तो वो मुस्कुराई लेकिन अगले ही पल चेहरे पर गुस्सा दिखाई देने लगा शायद शिवम् का बर्ताव उसे फिर से याद आ गया l
“तभी मैं कहु ऐसे पट्टी कौन करता है ? मुआ डाक्टर हमे मिल जाये तो ये कंटाप लगाए उसकी सारी डाक्टरी निकल जाये”,आई ने कहा तो सारिका जोर जोर से हंस पड़ी l हंसती हुई वह इतनी प्यारी लग रही थी मुरारी और राधिका तो बस उसकी हंसी मे ही खो गए l
“अरे ! हमने कछु गलत कहा क्या जो ऐसे हसे जा रही हो”,आई ने हैरानी से कहा
सारिका ने आई के मोटे मोटे गाल पकड़कर कहा,”आप बहुत स्वीट हो !!”
आई मुस्कुरा दी और फिर मुरारी से कहा,”रे मुरारी तेरे चाचा से कहकर इस साल लग्न कर ले , कब तक यु खुले सांड की तरह घूमता रहेगा “
“आई सजना की शादी में मुरारी भैया को एको लड़की पसंद आई थी”,राधिका ने बिच में कूदते हुए कहा
“कौन लड़की रे मुरारी हमको बता ? , बनारस की है का ? , हमे बता हम बात करते है तोहरे लिए , राधिका बताय रही है तो अच्छी ही होगी ? वो तैयार तो है न शादी के लिए ? कही तुमरे कारनामे सुन के भाग खड़ी होये”,आई ने बस सवालों की झड़ी लगा दी l
“हां पसंद है हमको , और उ शादी के लिए भी तैयार है”,मुरारी ने कहा
“अरे वाह फिर तो हम कल ही तुमरे चच्चा से बात करके उनके घर शगुन भिजवाय देते है , शिवम् की ना सही कम से कम तुमरी शादी का जश्न तो मनाये”,आई ने आँखे चमकाते हुए कहा
“पर एक्को परेशानी है”,मुरारी ने धीमी आवाज में कहा
“परेशानी , का परेशानी है l अरे तुम बताओ तो हमरे पास हर परेशानी का जवाब है”,आई ने विश्वास से भरकर कहा
“उसके घरवाले नहीं मान रहे”,मुरारी ने कुछ उदास होकर कहा
“घरवालो को तो हम मनाय लेंगे , कौन कौन है ओके घर मा ?”,आई ने पूछा
“उसका पति और तीन बच्चे”,मुरारी ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा
“सत्यानाश जाये तेरा मुरारी , काहे खानदान की नाक कटवाने पर तुले हो”,कहकर आई उठी और गुस्से से बड़बड़ाती हुई वहा से चली गयी l
सारिका और राधिका ने सुना तो अवाक् रह गयी और मुरारी का चेहरा ताकने लगी l उन्हें अपनी और देखता पाकर मुरारी ने पीठ कुर्सी से लगायी और हाथ पीछे सर पर रखकर ऊपर आसमान में देखते हुए कहा,”हम तो कहे तो ओ को की ऊ चाहे तो दहेज़ में चारो को साथ ला सकती है l पता नहीं फिर भी काहे मुकर गयी वो ” l
मुरारी की बात सुनकर सारिका और राधिका दोनों जोर जोर से हसने लगी l इस बार सारिका जो हंसी तो बस हंसती ही गयी मुरारी ने देखा जैसे -:
बनारस की सारी खूबसूरती सारिका की आँखों में समा गयी हो l बीती रात जिन आँखों में आंसू थे उनमे अब ढेर सारी ख़ुशी समायी थी l
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