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रांझणा – 13

Ranjhana – 13

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Ranjhana – 13

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

घाट से निकलकर सारिका बाहर आ गयी l उसका दिल अब भी तेजी से धड़क रहा था l मुंबई जैसे बड़े शहर में रहकर उसे कभी डर का अहसास नहीं हुआ पर आज वह घबराई हुई थी l आज पहली बार उसने किसी को इस तरह थप्पड़ मारा था l प्रताप सारिका को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा l उसका व्यवहार , उसकी गन्दी नजर , अश्लील सोच से सारिका को घिन से होने लगी थी l सारिका चलते चलते शिवम् के दुकान के सामने पहुंची l

शिवम् उस वक्त वहा नहीं था उसके बाबा ही थे सारिका आकर अंदर बैठ गयी l
‘हां बेटाजी क्या लेंगी आप ?”,बाबा ने खुद आकर सारिका से पूछा
“जी कुछ भी”,सारिका ने खोये हुए स्वर में कहा
सारिका को परेशान देखकर बाबा ने प्यार से कहा,”का बात है बिटिया ? परेशान नजर आय रही हो l यहां के नाही लगते आप बाहर से आये हो का ?


“जी हा , हम मुंबई से है l शहर के बारे ज्यादा नहीं जानते इसलिए कुछ सोच रहे थे “,सारिका ने बात टालते हुए कहा
“अरे बिटिया इसे अपना ही शहर समझो , पहले हम आपके लिए कुछ खाने को ले आते है”,कहकर बाबा वहा से चले गए


सारिका वही बैठे बैठे सोचने लगी,”अपना शहर , क्या वास्तव में ये अपने शहर जैसा है l बनारस आज भी हमे अपना नहीं पाया है , जितना हम इसे समझने की कोशिश कर रहे है ये उतना ही उलझता जा रहा है l

ना हम उनसे मिल पा रहे है ना उनके बारे में कुछ पता लगा पा रहे है l ऐसा शहर जिसमे एक तरफ शिवम् जी और मुरारी जैसे लोग है तो दूसरी तरफ प्रताप जैसे ,, कैसे इस शहर को अपना समझ ले हम ?


“ये बिटिया गर्म गर्म कचोरिया खाओ , हम आपके लिए अभी चाय भिजवाते है”,बाबा ने टेबल पर प्लेट रखते हुए कहा तो सारिका अपने खयालो से बाहर आयी और कहा,”जी शुक्रिया पर हम चाय नहीं पीते”
“कोई बात नहीं कुछ और चाहिए हो तो वो बता दो हम बनवा देते है”,बाबा ने बड़े प्यार से कहा l


सारिका चुपचाप धीरे धीरे खाने लगी पर आज उन कचोरियों में कोई खास स्वाद नहीं था l बार बार उसकी नजर ना चाहते हुए भी दुकान के साइड में बने घर के दरवाजे की और चली जाती l काउंटर पर बैठे बाबा की नजर सारिका पर पड़ी तो उन्हें वह बहुत ही सीधी साधी और प्यारी लगी l छोटू को टेबल पर पानी रखने का बोलकर बाबा अपने काम में बिजी हो गए l सारिका अभी खा ही रही थी की तभी आई वहा आ धमकी और सारिका से कहां,”तुम कल हमको बोले रही की घर आओगी तो फिर हिया बैठकर खाना काहे खाय रही हो ?


“वो हम………………………!!”,सारिका कुछ बोल ही नहीं पाई
“चलो हमरे साथ , हम कबसे तुमरी राह देख रहे”,आई ने लगभग सारिका का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा
“अरे अरे क्या कर रही हो कावेरी ? ऐसे बिच में उन्हें काहे उठा दिया ?”,बाबा ने आई को डांटते हु कहा l
“सर इट्स ओके कल हमने ही कहा था इनसे घर आने के लिए”,सारिका ने सहज भाव से बाबा से कहा


आई सारिका को अपने साथ ले गयी l सारिका भी तो यही चाहती थी लेकिन सीधे मुंह आई से शिवम् के बारे में कैसे पूछे इसलिए चुपचाप उनके साथ चलती रही l

आँगन से आकर बरामदे में आई रुक गयी और वहा पड़े तख़्त पर सारिका को बैठने को कहा l सारिका ख़ामोशी से वहा बैठ गयी और घर देखने लगी l घर का आगन काफी बड़ा था जिसके बीचो बिच कपडे सुखाने की तार बंधी हुई थी और जिसपर कपडे भी सुख रहे थे l एक तरफ बड़े से पलंग पर रोटी जैसा गोल गोल कुछ सुख रहा था l सारिका को ये सब काफी रोमांचक लग रहा था l

मुंबई में जहा घर एक दूसरे से सटे होते है वही शिवम् का घर काफी बड़ा और खुला खुला था l सारिका उठी और बरामदे में घूमने लगी l घर काफी पुराना था जैसी पहले के जमाने में राजा महाराजा के समय में हुआ करते थे लेकिन उसे भी काफी व्यवस्तिथ किया हुआ था l सारिका नजर दिवार पर लगी एक तस्वीर पर पड़ी जिसमे आई बाबा के साथ 12-13 साल का एक लड़का भी था जैसे ही सारिका उसे देखने आगे बढ़ी एक प्यारी सी आवाज उसके कानो में पड़ी,”अरे आप कब आयी ?


सारिका बिना उस तस्वीर को देखे ही पलट गयी l पीछे राधिका होंठो पर बड़ी सी मुस्कान लिए खड़ी थी l सारिका उसके पास आई और कहा,”जी हम अभी आये है , वो आपकी आई हमे यहाँ ले आई l
“हमारी आई ऐसी ही है , एक बार कोई उनके मन को भा जाता है ना तो फिर वो उन पर अपना सब कुछ न्योछावर कर देती है “,राधिका ने चहकते हुए कहा
“सो स्वीट , वो बहुत अच्छी है”,सारिका ने कहा


“आप खड़ी क्यों है आईये ना”,कहकर राधिका सारिका का हाथ पकड़कर उसे वापस तख़्त के पास ले गयी सारिका को बैठने को कहा और खुद भी उसके सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी l सारिका उस तस्वीर को चाहकर भी नहीं देख पाई उस तस्वीर में खड़ा लड़का कोई और नहीं शिवम् ही था l

उसके बचपन वाला प्यार पर भोलेनाथ को ये कहा मंजूर था की दो प्रेमी इतनी जल्दी एक दूसरे को पहचान ले अभी तो उनकी बहुत सी परीक्षाएं लेनी बाकि थी
“भाई अंदर सो रहे है आप कहे तो उन्हें जगा दू”,राधिका ने कहा


“नहीं उन्हें सोने दीजिये”,सारिका ने कह तो दिया पर वह चाहती थी एक बार शिवम् को देख ले l
राधिका को सारिका बहुत पसंद आई वह तो बस उसके चेहरे की और देखे जा रही थी और फिर कहा,”आप बुरा ना माने तो आपसे एक बात पूछे ?
“हां पूछिए”,सारिका ने कहा
“आप इतनी सुंदर है आपकी शादी हो गयी ?”,राधिका ने डरते डरते कहा


सारिका मुस्कुराई और कहा,”नहीं अभी नहीं हुई”
“अरे वाह ये तो अच्छा हुआ , अब तो ये ही मेरी भाभी बनेंगी l”,राधिका ने मन ही मन कहा
तब तक आई वहा आ पहुंची उनके हाथ में प्लेटे थी l आई ने राधिका से टेबल लगाने को कहा राधिका दिवार के पास रखी छोटी टेबल ले आई और उसे सारिका के सामने रख दिया l आई ने प्लेटे टेबल पर सजा दी l

सारिका ने देखा तो उसकी आँखे टेबल पर ही जम गयी l इतना सारा खाना वो भी एक साथ सारिका ने देखा तो मन ही मन सोचने लगी,”इतना खाना तो हम पूरे हफ्ते नही खाते”
“का सोचने लगी , खाना शुरू करो इह सब हम तुमरे लिए ही बनाये है”,आई ने पास रखी कुर्सी पर बैठते हुए कहा


सारिका ने एक बार फिर खाने की तरफ देखा एक प्लेट में आलू के पराठे , एक बड़े कटोरे में सूजी का हलवा , एक कटोरे में खीर , सफ़ेद लड्डू , कुछ ड्राय फ्रूट्स , जलेबिया और भी ना जाने क्या क्या जिनका सारिका नाम तक नहीं जानती थी l

उसने इस से पहले नाश्ते में ये सब कभी नहीं खाया था , नाश्ते में क्या उसने कभी लंच या डिनर में भी ये सब नहीं खाया था l सारिका ने एक खाली प्लेट उठायी और उसमे एक पराठा रख लिया , थोड़ा सा हलवा रखा और खाने लगी l आई ने घी की कटोरी उठायी और दो चम्मच भर भर कर पराठे पर डाल दिए


“अरे ये क्या कर रही है आप , इतना बटर हम नहीं खाते”,सारिका ने उन्हें रोकते हुए कहा
“खाती नहीं ना हो तब हे तो इतनी दुबली पतली हो”,आई ने सारिका को देखते हुए कहा


“आई इसे फिटनेस कहते है दुबला पतला नही”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा l
“का कहते है फेटनास ? देखो उह हम नहीं जानते पर तुमको एक बात बताये जब हम तुमरी उम्र के थे तब 8-8 परांठे अकेले खाय जाते थे वो भी सबेर के नाश्ते में”,आई ने अपनी गोल गोल आँखे बड़ी करते हुए कहा
सारिका मुस्कुराते हुए खाने लगी l कुछ देर बाद सारिका ने कहा,”बस हमारा पेट भर गया”
“अरे ऐसे कैसे पेट भर गया हम इतना सब तुमरे लिए ही तो बनाये थे , अब इसे कौन खायेगा ?”,आई ने कहा


“अरे हम है न”,मुरारी ने आकर कहा
मुरारी को वहा देखते ही सारिका की जान में जान आई l उसने तुरंत पराठो वाली प्लेट उसकी और बढाकर कहा,”ये लीजिये आप भी खाइये”
मुरारी भी वही पास ही रखी कुर्सी पर बैठ गया और खाने लगा l आई तो उसे खा जाने वाली नजरो से देख रही थी लेकिन सारिका के सामने भला उसे क्या कहती l आज तो मुरारी की चांदी ही चांदी थी l

सबसे पहले उसने प्लेट में रखे तीन पराठो पर हाथ साफ किया , फिर खीर , फिर लड्डू और आखिर में जलेबी खाकर उसने अच्छी वाली डकार मारी l सारिका तो उसे देखते ही रह गयी वो इतना सारा खाना एक साथ खा गया l आई ने राधिका से बर्तन उठाने को कहा और मुरारी के हाथ से प्लेट छीनते हुए कहा,”बस कर , अब का इसे भी खा जाएगा”
मुरारी मुस्कुरा दिया l

आई की बात से सारिका भी मंद मंद मुस्कुराने लगी l आई पानी लेने अंदर चली गयी l सारिका और मुरारी अकेले थे मुरारी के पास यही एक अच्छा मौका था सारिका से बात करने का उसने गला साफ करते हुए कहा,”और बताईये सारिका जी आज सुबह सुबह यहाँ ?
सारिका – जी वो बस ऐसे ही (सारिका ने असली वजह छुपाते हुए कहा , दरअसल वो शिवम् से ही मिलने आयी थी लेकिन मुरारी से सीधा सीधा कहने में हिचकिचा रही थी)


मुरारी – हां हां सही है वैसे आपका ही घर है कभी भी आ जा सकती है आप
सारिका – जी
मुरारी – वैसे बनारस में कोनो परेशानी तो नाही है ना आपको ? अगर हो तो हमे बता सकती है आप
सारिका ने सोचा मुरारी को प्रताप वाली बात बता देनी चाहिए , लेकिन वह किसी तरह की कोई परेशानी नहीं चाहती थी उसे अभी यहाँ 4 दिन और जो रुकना था सारिका ने धीरे से कहा,”नहीं ऐसी कोई बात नहीं है”


मुरारी – अच्छा वो सब छोड़िये ये बताईये आपको हमरे शिवम् भैया कैसे लगे ? (मुरारी अब सीधा मुद्दे पर आया , वह जानता था शिवम् तो खुद से कुछ कहेगा नहीं इसलिए खुद ही पहल कर बैठा)
शिवम् का नाम सुनते ही सारिका का दिल धड़क उठा उसने मुरारी की तरफ देखे बिना ही कहा,”अच्छे है”
मुरारी – अच्छे या बहुते अच्छे ? (मुरारी आज रिश्ता पक्का करवा के जाने वाला था)
सारिका – बहुत अच्छे है , उन्होंने हमारी बहुत मदद की है


मुरारी – वही तो , हम ओ बताय रहे है भैया जैसा कोई पुरे बनारस में ना है , अरे बचपन से ओके साथ ही तो रहे है l आह का परसानालेटी है बन्दे की एक दम कंटाप l
सारिका – पर्सनालिटी होता है (अपनी हंसी छुपाते हुए)
मुरारी – मतलब तो दोनों का सेम ही है ना
सारिका – जी हां


मुरारी – हां हम उ कह रहे थे की हमरे भैया बनारस की शान है और आप भी बाय गॉड इतनी खूबसूरत दिखती है हम सोचे रहे आप और भैया………………………….!!”,कहते हुए मुरारी ने जैसे ही गर्दन उठायी सामने शिवम् खड़ा था l शिवम् को वहा देखते ही मुरारी ने बात पलट दी और कहा,”अरे वो हम कह रहे थे आप भैया से नहीं मिली”
“राधिका ने बताय वो अभी सो रहे है”,सारिका ने अपने पीछे खड़े शिवम् को देखा नहीं था


“अरे सोये कहा है उह खड़े है तुमरे पीछे”,कहते हुए मुरारी शिवम् की और देखकर मुस्कुराने लगा l
शिवम् आकर सारिका के सामने बैठ गया और कहा,”आप कब आई ?
“बस कुछ देर पहले ही”,सारिका ने धीरे से कहा


मुरारी उठकर वहा से चला गया तो शिवम् ने कहा,”कुछ लेंगी आप ? चाय/कॉफी “
“अभी कुछ देर पहले ही आपकी आई ने इतना कुछ खिला दिया की अब पेट में जगह नहीं है”,सारिका ने मुस्कुराकर कहा


शिवम् ने पीछे मुड़कर देखा तो पाया राधिका , आई और मुरारी उनकी ही बातें सुनने की कोशिश कर रहे थे पर जैसे ही शिवम् ने उनकी और देखा तीन इधर उधर देखते हुए तीन अलग दिशाओ में चले गए l शिवम् वापस सारिका की तरफ पलटा और कहा,”वो आई को ना ज्यादा बात करना पसंद है , अगर उन्होंने कुछ कहा हो तो आप बुरा मत मानियेगा”


“आपकी आई बहुत अच्छी है , और वे वैसा ही हलवा बनाती है जैसा हमारी माँ बनाया करती थी”,सारिका ने कहा
“फिर तो ठीक है , बाकि आई का कुछ पता नहीं वो कब किसको क्या कह दे ?”,शिवम् ने कहा


“उनका मन बहुत साफ है न इसलिए”,सरिका ने कहा
“आप चेहरे भी पढ़ लेती है ?”,शिवम् ने सारिका की आँखों में देखते हुए पूछा
“ऐसा कुछ नहीं है पर जब वे बात करती है तो उनका मन उनकी आँखों में नजर आता है”,सारिका ने कहा
“आपसे एक बात कहे ?”,शिवम् ने बड़े प्यार से कहा
“जी !!
“आप जब बात करती है ना तो आपकी पलके बहुत झपकती है ऐसा क्यों ?”,शिवम् ने सधी हुई आवाज में कहा


“हम नहीं जानते”,सारिका ने झूठ कह दिया ताकि वह शिवम के मुंह से सच सुन सके
“हम बताये क्यों ? ताकि सामने वाला आपकी आँखों में वो ना देख पाए जो आप छुपाना चाहती है”,शिवम् ने कहा
सारिका ने सूना तो हैरान थी सच वही था जो शिवम् ने कहा था l सारिका को खामोश देखकर शिवम् ने कहा,”आपको पसंद नहीं है कोई आपकी आँखों में देखे ?


सारिका ने धीरे से ना में अपनी गर्दन हिला दी l शिवम् सारिका को अपसेट करना नहीं चाहता था इसलिए बात बदलते हुए कहा,”आपका वो काम हुआ जिसके लिए आप यहाँ आई थी ?
“जी नहीं उसके लिए अभी 3-4 दिन और ला जायेंगे”,सारिका ने कहा


“मतलब आप तब तक यही है , अगर आप कहे तो हम आपकी मदद कर देते है”,शिवम् ने कहा
“नहीं शिवम् जी पहले ही आप हमारी इतनी मदद कर चुके है हम आपको और परेशान नहीं कर सकते , आपने इतना सब किया वो ही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है”,सारिका ने कहा


“कैसी बात कर रही है आप ? हमने आपकी मदद करके आप पर कोई अहसान थोड़े किया है”,शिवम् ने कहा
“आपने जो किया है उसे हम अहसान का नाम नहीं देंगे , एक अनजान शहर में कोई किसी के लिए शायद ही इतना करता होगा जितना आपने किया l सच बताये तो आप बहुत अच्छे इंसान है l”,सारिका ने शिवम् की आँखों में देखते हुए कहा l


इस बार सारिका ने उसकी आँखों में देखा तो शिवम खो सा गया दोनों ही एक दूसरे की आँखों में देखते हुए न जाने क्या ढूंढने लगे l

दूर खड़ी आई , राधिका और मुरारी ये सब देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहे थे l तभी बाबा छोटू के साथ वहा बड़ा सा बर्तन लेकर आये जिसमे बूंदी थी l बाबा ने बर्तन बरामदे में रखवाया और आई से कहा,”कावेरी दुकान में भीड़ बहुते ज्यादा है तो हम सोचे वो आर्डर वाले लड्डू यही बना ले तो”
“हां बाबा , हम कर लेंगे आप परेशान मत होईये”,शिवम ने उठकर बाबा के पास आकर कहां


“ठीक है बेटा अभी हम जाते है , आज बहुत काम है”,शिवम् से कहकर बाबा सारिका की तरफ आये और उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा,”आपका पैर बहुत शुभ है बिटिया , हमेशा खुश रहो’


बाबा वहा से चले गए l शिवम् , राधिका और मुरारी तीनो आर्डर के लड्डू बनाने के लिए बैठ गए l सारिका पास ही बैठे उन्हें देख रही थी और फिर कुछ देर बाद कहा,”हम भी बनाये !
“अरे हां बिल्कुल , आजाओ”,राधिका ने कहा


सारिका भी आकर राधिका के पास बैठ गयी l सारिका ने लड्डू बनाने की कोशिश की लेकिन उस से बन ही नहीं पा रहा था l आखिर कोशिश करके उसने एक लड्डू बना ही लिया लेकिन जब उसने सबको दिखाया तो सब हसने लगे सारिका ने बहुत छोटा सा लड्डू बनाया था और वो भी टेढ़ा मेढ़ा l सारिका ने देखा तो उसे भी हंसी आ गई

फिर शिवम् ने उसे सिखाया कैसे बनाते है l दो चार बनाने के बाद सारिका ने आख़िरकार गोल लड्डू बना ही लिया l वो इतनी खुश हुई उसकी ख़ुशी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी l
करोडो की कम्पनी की इकलौती मालकिन जिसके सामने कितने ही बड़े लोग हाथ बंाधे खड़े रहते थे l

वह लड़की आज इनके बिच बैठकर एक लड्डू बनाकर ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी l सच ही कहा है किसी ने खुशिया पेसो की मोहताज नहीं होती है l सारिका ने भी यही महसूस किया बनारस आकर वह अपनी जिंदगी भूल चुकी थी ,

मुंबई , अपनी लग्जरी लाइफ , सब कुछ बस कुछ याद था तो वो था बनारस l शिवम् , मुरारी , राधिका और आई के बिच रहकर उसने देखा कम पेसो में भी उनकी जिंदगी में कितनी खुशिया , अपनापन और प्यार था l सारिका के पास 4 दिन थे और इन चार दिनों में वो ये जिंदगी जीना चाहती थी l एक ऐसी जिंदगी जिसमे उसका स्टेटस ,

उसकी रेपुटेशन बिच में ना आये l बाकि सबकी तरह वह भी एक आम जिंदगी जीना चाहती थी l
सारिका को खोया हुआ देखकर मुरारी ने शिवम् को साइड में धक्का देते हुए कहा,”उधर खिसक ना , कितनी गर्मी हो रखी है”


शिवम् साइड खिसक गया लेकिन उसे ये नहीं पता था की इस से वो सारिका के पास जा रहा है l सारिका की तंद्रा टूटी तो वह फिर से लड्डू बनाने में लग गयी l मुरारी को शिवम् और सारिका को साथ देखकर अच्छा लग रहा था l वह तो चाहता था की दोनों जिंदगी भर यु ही साथ रहे l

लड्डू बनाते हुए सारिका के बालो की लट बार उसके गालो पर आ रही थी l शिवम् की नजर बार बार सारिका पर चली जाती जब उस से नहीं देखा गया तो उसने अपनी ऊँगली से उसे साइड कर दिया l

सारिका देखती ही रह गयी l शिवम ने मुंह घुमा लिया लेकिन मुरारी और राधिका मन ही मन इस नजारे का मजा ले रहे थे l बातें करते हुए चारो लड्डू बनाते रहे और चारो में एक रिश्ता बन चूका था दोस्ती का रिश्ता l लड्डू बनाते बनाते शाम हो चुकी थी l आर्डर पूरा होने के बाद मुरारी और शिवम् ने मिलकर उन्हें डिब्बों में पैक किया l

चारो बहुत ज्यादा थक चुके तह राधिका सारिका को अपने कमरे मे ले गयी l सारिका कुछ देर के लिए लेट गयी थकान की वजह से उसकी आँख लग गयी l

राधिका किसी काम से बाहर चली गयी l शिवम् जैसे ही राधिका के कमरे की खिड़की के सामने से गुजरा उसकी नजर पलभर के लिए सारिका पर ठहर गयी l शिवम् वही खड़ा प्यार से उसके चेहरे को निहारता रहा और फिर अपने कमरे की और चला गया l

कमरे में आकर शिवम् बेड के एक कोने पर बैठकर सोचने लगा
“ये कैसा अहसास है जो मैं उनकी तरफ खींचता ही चला जा रहा हु , जितना उनसे दूर जाता हु मेरी किस्मत उन्हें मेरे उतना ही करीब ले आती है l

उनकी आँखों में जो दर्द है वो सिर्फ मुझे ही दिखाई देता है या कोई और भी है जो इन आँखों में देख पाता होगा l वो कहती है की उन्हें पसंद नहीं कोई उनकी आँखों में देखे फिर जब भी हम उनकी आँखों में देखते है तो वो खामोश क्यों हो जाती है ? वो वैसी बिल्कुल नहीं रही जैसी मैं उन्हें आगरा में छोड़कर आया था l

उनकी ख़ामोशी क्यों अक्सर मेरी बेचैनी बढ़ा देती है l मेरी मोहब्बत मुझसे दूर जा रही है या फिर सारिका जी मेरे करीब आ रही है l अब तक ना जाने कितनी लड़किया मेरे आस पास रही है फिर उनके करीब आते ही हमे ऐसा क्या हो जाता है जो हम सब कुछ भूल जाते है”


शिवम् बिस्तर पर लेट गया l घडी की तरफ देखा जो की शाम के 4.30 बजा रही थी उसने अपनी आँखे मूंद ली लेकिन नींद आँखों से गायब थी l पहली बार शिवम् के विचार नींद पर हावी थे l

शाम 6 बजे जब सारिका की आँख खुली तो वह उठी , उसने शीशे में देखकर अपने बालो को सही किया और बेग उठाकर कमरे से बाहर निकल गयी l बरामदे में ही आई और बाबा मिल गए सारिका उनके पास आई और कहा,”माफ़ कीजियेगा वो हमारी आँख लग गयी थी , हमे अब चलना चाहिए”
“अरे बिटिया आप माफ़ी क्यों मांग रही है ? क्या हुआ जो आँख लग गयी इस अपना ही घर समझे l”,बाबा ने प्यार से सारिका से कहा


शिवम् और राधिका भी वहा आ पहुंचे तो बाबा ने शिवम् से कहा,”शिवम् बेटा वो त्रिपाठी जी के यहाँ से न्योता आया है , हंमे और तुमरी अम्मा को तो आज बड़े भाईसाहब के घर जाना है उनसे मिलने तो हम कह रहे की तुम और राधिका वहा चले जाना , उनकी बिटिया की शादी है तो शगुन भी दे आना l उनका आर्डर तो हम पहले ही भिजवा दिए है बस वो 100 स्पेशल डिब्बे है वो साथ ले जाना l”


“बाबा हम का करेंगे शादी में जाकर हम आर्डर देकर आजायेंगे , शगुन राधिका के हाथ भिजवाय देगे , त्रिपाठी जी की बेटी दोस्त है न इसकी”,शिवम् ने कहा
“नाही बेटा त्रिपाठी जी बहुते अच्छे दोस्त है हमारे एक तो हमहो जा नहीं पा रहे ऊपर से तुम भी नहीं गए तो उ बुरा मान जायेंगे”,बाबा ने कहा


शिवम् बेचारा जाना नहीं चाहता था और ना जाने की वजह सिर्फ वो और उसका दोस्त मुरारी जानता था l मजबूरन शिवम् को हाँ करना पड़ा l शिवम् के हां करने के बाद बाबा ने सारिका से कहां,”बिटिया आप भी इन लोगो के साथ क्यों नहीं चली जाती , हमारे बनारस में कुछ नया देखने को मिल जाएगा आपको”


“हम पर हम कैसे जा सकते है ?”,सारिका ने हिचकिचाते हुए कहा
“चलिए ना बहुते मजा आएगा , आप बनारस की शादी देखना आपके शहर में भी नहीं होती होंगी ऐसी शादिया होती है हमारे बनारस में”,राधिका ने चहकते हुए कहा


आई बाबा और राधिका बार बार उसे कहने लगे तो सारिका ने शिवम् की तरफ देखा शिवम् ने अपनी पलके झपकाकर सहमति दी तो सारिका ने कहा,”ठीक है पर इन कपड़ो में , हम होटल जाकर चेंज करके आते है”
“अरे आप आईये ना , हमारे पास बहुत है आप उनमे से कुछ पहन लीजियेगा”,राधिका ने सारिका का हाथ पकड़कर उसे ले जाते हुए कहा l


“शिवम् तू भी जाकर तैयार हो जा और हां मुरारी को भी बुला लेना”,आई ने कहा और फिर वहा से चली गयी l
शिवम् अपने कमरे में आया और अलमारी खोली अपने पहनने के लिए उसने सफ़ेद रंग का कुरता पजामा निकाला और तैयार होने लगा l तैयार होने के बाद खुद को शीशे में देखा आज तो वह कहर ढा रहा था मुरारी की भाषा में कहे तो बहुते ही कंटाप लग रहा था
उधर राधिका सारिका को एक के बाद एक ड्रेसेस दिखाए जा रही थी कोई छोटी तो कोई लूज l

सारिका थककर बैठ गयी l शिवम् कुछ देर बाद राधिका के कमरे में आया l सारिका पहले वाले कपड़ो में देखकर कहा,”आप तैयार नहीं हुई ?
“राधिका के कपडे हमे फिट नहीं आएंगे”,सारिका ने धीरे से कहा
शिवम् ने सारिका को वही रुकने को कहा और खुद अपने कमरे में आ गया

उसने अपनी अलमारी खोली और उसमे से वो बनारसी साड़ी निकाली जो उसने अपनी मैडम जी के लिए खरीदी थी l उन्हें तो वह दे नहीं पाया था शिवम् ने वह साड़ी लाकर सारिका को दे दी l

सारिका ने जब वह साड़ी देखी तो उसका चेहरा खिल उठा बनारसी साड़ी उसे हमेशा से पसंद थी उसने शिवम से कहा,”आप हमे 5 मिनिट दीजिये हम अभी आते है”
शिवम् और राधिका कमरे से बाहर चले गए , अब तक मुरारी भी आ चूका था l तीनो बाहर खड़े सारिका का ही इंतजार कर रहे थे l सारिका ने वह बनारसी साड़ी पहनी बालो को उसने पहले की तरह ही चोटी बनाकर रखा l साड़ी पर लम्बे बाल ऐसे ही ज्यादा अच्छे लगते है l

पल्लू को पिन अप किया l इसके अलावा कोई मेकअप नहीं पर सादगी में भी वह बहु सुंदर दिख रही थी l सारिका जैसे ही कमरे से बाहर आई राधिका , मुरारी और शिवम् की नजरे उस पर ठहर सी गयी l खूबसूरत तो वो पहले से ही थी पर इस साड़ी ने उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा दिए l

राधिका आई के आवाज देने पर वहा से चली गयी l सारिका धीरे धीरे आ रही थी जैसे जैसे सारिका के कदम बढ़ रहे थे शिवम् की धड़कने बढ़ रही थी l सारिका को देखकर उसने मुरारी से कहा,”हमारी मैडम जी भी इस साड़ी में इतनी ही सुंदर लगती ना”


“गुरु मैडम जी को छोडो , मैं तो कहता हु इनको अपना बना लो , बनारस में भौकाल ला देना है इन्होने”,मुरारी ने सारिका को देखते हुए कहा
शिवम् की नजरे भी सारिका से हटने का नाम नहीं ले रही थी l सारिका उन दोनों के पास आई और कहा,”चले !!
“हम्म्म”,कहकर शिवम् सारिका के साथ गेट की तरफ बढ़ गया
राधिका भागती हुई आई हाथ में उसके शगुन का लिफाफा था l

जैसे ही वह जाने लगी मुरारी ने उसे रोक लिया और सामने देखने का इशारा की l सारिका ने लाल बॉर्डर वाली सफ़ेद साड़ी पहनी हुई थी शिवम् ने सफ़ेद रंग का कुरता पजामा l

इत्तेफाक से या यु कहे हमारी (लिखने वाले) वजह से उनके कपड़ो के रंग एक जैसे थे l राधिका ने देखा तो मुरारी से कहा,”कितने अच्छे लग रहे है ना दोनों”
मुरारी मुस्कुराया और कहा,
” हां उन दोनों को देखकर लग रहा है जैसे शादी त्रिपाठी की लड़की की नहीं इन दोनों की है”

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संजना किरोड़ीवाल

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