Sanjana Kirodiwal

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रांझणा – 2

Ranjhana – 2

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 2


सारिका गाड़ी में बैठी उदास आँखों से पीछे छूटते समंदर को देखती रही l पानी की लहरों के साथ ही उसका मन भी यहाँ से वहा भटकता रहा l 14 सालो से सारिका एक ऐसे अहसास में बंधी हुई थी जिसे ना वह जानती थी न ही उसे दोबारा देखा था बस आखरी बार देखा हुआ वो मुस्कुराता चेहरा याद था l अब तक तो सारिका उसका नाम तक भूल चुकी थी पर उस अहसास को कुछ तो नाम देना ही था उसे इसलिए उसने उस सख्स का नाम “रांझणा” रखा l

अब तक ना जाने कितनी ही गजले और नज्मे उसने उस अनजाने अहसास के साथ लिखी थी अपनी डायरी में l वो अहसास ही इतना खूबसूरत था की सारिका को उसके होने से भी मोहब्बत थी और ऐसी मोहब्बत जो सब भुला चुकी थी l

गाड़ी आकर घर के सामने रुकी l सारिका उतरी और गेट के सामने आकर बेल बजा दी l घर के गेट पर लगी नेम प्लेट “शर्मा हॉउस” और निचे लिखा था “मिस्टर अधिराज शर्मा” पर सारिका की नजर कुछ देर के लिए ठहर गयी l सारिका के घर में काम करने के लिए बाई आती थी उसने आकर दरवाजा खोला और सारिका को खोये हुए देखकर कहा,”दीदी कहा खो गयी , भीतर नहीं आनो तुमको ?

मीना की आवाज सुनकर सारिका जैसे नींद से जागी और अंदर चली गयी l

“इनको का हो गया ? पहले तो कभो ना देखे इनको ऐसे”,मीना ने दरवाजा बंद करते हुए कहा और अंदर चली आई

सारिका ने बेग टेबल पर रखा और खुद किचन में आकर पानी लेने लगी l मीना भी उसके पीछे पीछे किचन में चली आई और सारिका को पानी लेते देखकर कहा,”अरे दीदी , तुम काहे पानी लेय रही हो हम है ना देय देते है”

“कोई बात नहीं मीना हम ले लेंगे , आप एक कप कॉफी बना दीजिये”,सारिका ने पानी पीकर बोतल वापस फ्रीज़ में रखते हुए कहा l

“जे बात ठीक है दीदी , तुम हुआ बेईठो हम अभी तुमरे लिए एक्को फंटास्टिक कॉफी बना के लाते है”,मीना ने कहा

“फंटास्टिक नहीं फैंटास्टिक”,मीना के मुंह से गलत उच्चारण सुनकर सारिका ने हँसते हुए कहा

“हा हा जो भी हओ तुम समझ गयी ना”,मीना ने कहा

“हम्म्म”,सारिका मुस्कुरा उठी

“दीदी तुमको एक्को बात कहे , तुम ना अईसन मुस्कुराते हुए अच्छी लगती हो l”,मीना न चहकते हुए कहा

सारिका मुस्कुराते हुए बाहर आकर बैठ गयी और फोन पर आये नोटिफकेशन देखने लगी l कुछ देर बाद मीना सारिका के लिए कॉफी ले आई और कॉफी देकर खुद उसके सामने बैठ गयी l

“मीना आपके इस महीने की तनख्वाह के लिए कल सुबह हमे याद दिला देना”,सारिका ने कॉफी पीते हुए कहा

“दीदी हमने कभो कहा तुमसे पेसो के लिए , तुम खुद ही तो दे देत हो टाइम पे”,मीना ने कहा

“हां पर आपको भी तो पेसो की जरूरत होती होगी , आपका भी परिवार है”,सारिका ने प्यार से कहा

“दीदी तुमसे एक बात कहे , मुंबई जैसे शहर में आप जैसे बहुते कम देखे है हमने ,, आपसे पहले और भी बहुत जगहे काम किये है पर तुम्हरे जइसन तो कोई भी ना है , तुम कितना प्यार से बात करती हो, कितना ख्याल रखती हो हमरा तो हमे पैसे काहे याद रहेंगे”,मीना ने भाव विभोर होकर कहा

“अरे ये तो कुछ ज्यादा ही तारीफ हो गयी हमारी”,सारिका हसने लगी

“दीदी बुरा ना माने तो एक्को बात पूछे आपसे ?”,मीना ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों को और बड़ा करते हुए कहा

“हां पूछो बुरा क्यों मानेंगे ?”, सारिका ने सहजता से कहा

“हम जे जानना चाहते है की तुम सबको ही काहे ऐसे आप आप करके बात करती हो , अजीब ना न लगता”,मीना ने हैरानी से कहा

सारिका हसने लगी और कहा,”इसके पीछे कोई खास वजह है आप नही समझेंगी “

“अच्छा एक्को और सवाल पूछ सकते है तुमसे ?”,मीना ने डरते डरते कहा

“हम्म्म !!”सारिका ने कहा

“तुम हिया रहती हो और तुमरे अम्मा बाउजी उधर इंदौर में रहते है , वो हिया आकर क्यों नहीं रहते तुम्हरे साथ , तुमको अकेले इतने बड़े शहर में डर नहीं लगता l देखो दीदी बुरा लगे तो हमको पहले ही बता देना”,मीना ने हिचकिचाते

मीना के इस सवाल पर सारिका खामोश हो गयी तो मीना ने कहा,”हमका माफ कर दो दीदी हम इह सवाल तुमार दिल दुखान वास्ते नहीं पूछे थे हम”

“कोई बात नहीं मीना , आपने नहीं तो किसी ना किसी ने तो मुझसे ये सवाल पूछना ही था l पहले हम भी पापा और माँ के साथ रहते थे , पर कभी कभी हमारे बड़ो का ईगो और खुदगर्जी रिश्तो में दूरिया पैदा कर देते है और फिर इंसान ना चाहते हुए भी बगावत पर उतर आता है l”,सारिका ने उदास स्वर में कहा

“दीदी हम ज्यादा नहीं पूछेंगे पर पूरा भरोसा है तुम पर की आखिर में तुम सब ठीक करि दोगी और तुमरी अम्मा और बाउजी आकर तुमरे साथ हिया रहन लगेंगे”,मीना ने चहकते हुए कहा l

“ठीक है , हम अपने कमरे में जा रहे है आप खाना बनाकर रख दीजियेगा हम बाद में खा लेंगे”,सारिका ने सोफे से उठते हुए कहा और अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l मीना ने सारिका के लिए खाना बनाया और फिर अपने घर के लिए निकल गयी l सारिका फ्रेश होने के बाद कुछ देर लेपटॉप ऑन करके बैठ गयी l काम करते करते कब रात के 1 बज गए सारिका को ध्यान ही नहीं रहा l

उसने लेपटॉप साइड रखा और किचन से खाना ले आई l कुछ गले से उतरा और कुछ जबरदस्ती उतार कर उसने पानी पीया l इंसान जिंदगी में कितनी भी तरक्की हासिल कर ले , पैसा कमा ले लेकिन अगर दो वक्त का खाना उसे अकेले बैठकर खाना पड़े तो इस से बुरा और कुछ नहीं हो सकता l

नींद सारिका की आँखों से कोसो दूर थी उसने अपनी डायरी उठायी और उसमे कुछ लिखने लगी l लिखते लिखते जब आँखे मूंदने लगी तो वह लेट गयी और फिर नींद ने उसे अपने आगोश में ले ही लिया l रात में चाहे सारिका कितनी ही देर से सोये सुबह वह हमेशा अपने तय समय पर उठ जाया करती थी l

अगले दिन सारिका अपने रोजमर्रा के कामो से निपट कर ऑफिस के लिए निकल गयी l ऑफिस आकर वह अपने केबिन की और जाने लगी तभी उसकी नजर सामने बैठी महिमा और पूजा पर गयी जो की एक दूसरे से खुसर फुसर करने में लगी हुई थी l

“महिमा और पूजा मेरे केबिन में आईये जरा”,सारिका ने सख्त लहजे से कहा और आगे बढ़ गयी l

“मर गए यार आज तो ये पक्का सुनाने वाली है , तू भी ना थोड़ी देर के लिए चुप नहीं बैठ सकती अब लगवा दी ना वाट”,पूजा ने महिमा को डांटते हुए कहा

“अरे तो मुझे क्या पता था वो महारानी यही खड़ी है l”,महिमा ने मुंह बनाकर कहा

“वो सब छोड़ चल उनके केबिन में जल्दी चलते है और चलकर माफ़ी मांग लेते है l वरना बाहर ही सबके सामने क्लास लग जाएगी”,पूजा ने बेबसी से कहा l

“हां, हां जल्दी चल”,कहते हुए महिमा पूजा का हाथ थामे सारिका के केबिन की और बढ़ गयी

दोनों को डरा हुआ देखकर नवीन को हंसी आ गयी पर उसने खुद को रोक लिया क्योकि वह जानता था जब सारिका गुस्से में होती है तो सबके साथ साथ उसकी भी क्लास लगा देती है

“मे आई कम इन मेम ?”,पूजा ने डरते डरते धीरे से कहा

“यस प्लीज़”,सारिका ने कहा

दोनों के अंदर आते ही सारिका ने उन्हें सामने पड़ी खाली कुर्सियों पर बैठने को कहा दोनों ख़ामोशी से सारिका के सामने आकर बैठ गयी l सारिका कुछ देर चुप रही और फिर सहजता से कहने लगी,”आप दोनों इस कम्पनी की एम्प्लॉय है महिमा को यहाँ आये कुछ ही दिन हुए है और पूजा आप , आप काफी समय से यहाँ है अगर पूजा आपके साथ कम्फर्टेबल है तो आपका फर्ज बनता है उन्हें यहां के रूल्स और डिसिप्लीन के बारे में बताये , उनकी काम में हेल्प करे ना की साथ बैठकर कम्पनी की एम.डी. के बारे में विचार विमर्श करे”

“क्या नवीन सर ने आपको सब बता दिया ?”,पूजा ने डरते डरते पूछा

“पूजा नवीन ने हमे कुछ नहीं बताया , पर मेरी नजरो से कुछ छुपा भी नहीं l एम्प्लॉय को लगता है बॉस बेवकूफ है और बॉस को लगता है एम्प्लॉय बेवकूफ है l जितना वक्त आप लोग दुसरो के बारे में बातें करके बर्बाद करती है उस वक्त में काम करके, कुछ नया सीखकर आप आगे बढ़ सकती है l”,सारिका ने सहजता से कहा l

“आई ऍम सो सॉरी मेम”,महिमा ओर पूजा दोनो ने साथ साथ कहा

“आप लोग जानती है मैं आप दोनो से ये क्यों कह रही हु ? क्योंकि मैं चाहती हु आप अपनी जिंदगी में आगे बढ़े l लोगो के सामने गर्व से अपना सर उठाकर चल सके “,सारिका ने धीरे से कहा
“हमे कुछ समझ नही आया मेम”,महिमा ने असमझ की स्तिथि में कहा l


“एक बहुत बड़े आदमी ने एक दिन मुझसे कहा था कि एक लड़की कभी एक लड़के की बराबरी नही कर सकती है उसकी तरह नही बन सकती है , न ही समाज मे अपना कोई अस्तित्व बनाये रख सकती है l उनकी बात मुझे बहुत गहरे तक चुभी थी और उसके बाद मैंने कभी मुड़कर नही देखा l जिंदगी एक मौका सबको देती है खुद को साबित करने का ओर मोके में हमारी मेहनत ही तय करती है हमे बॉस बनकर जिंदगी जीनी है या एम्प्लॉय बनकर !”,सारिका के शब्दो मे इस बार कठोरता थी l


महिमा ओर पूजा दोनो सर झुकाए खड़ी सारिका की बाते सुनती रही
“आप दोनों को कोई परेशानी है तो आप बेझिझक आकर हमसे कह सकती है लेकिन इस तरह कंपनी के बारे में गलत बाते हम बर्दास्त नही कर पाएंगे , यहां तक पहुचने में जो सफर हमने देखा है वो आप नही जानती इसलिए दोबारा मुझे ऐसा कुछ सुनने को न मिले”,सारिका ने उठते हुए कहा


“आगे से ऐसा नही होगा मेम i am sorry ”,पूजा ने कहा
“its ok आप दोनों जा सकती है , गुड़ डे”,कहकर सारिका अपने काम मे लग गयी l

पूजा और महिमा जल्दी से केबिन से बाहर निकली और दोनो ने चैन की सांस ली l दोनो आकर अपने अपने काउंटर के सामने बैठ गयी l
“यार सारिका मेम कितनी अच्छी है उन्हें अपने एम्प्लाइज की कितनी फिक्र है”,माहिमा ने इम्प्रेस होते हुए कहा l

“कोई फ़िक्र विकर नहीं है , उनको तो बस रौब झाड़ने से मतलब है l मुझे तो ये नहीं समझ आ रहा आज ये शेरनी चुहिया कैसे बनी हुई थी”,पूजा ने सोचते हुए कहा

“तू भी ना सारिका मेम इतनी भी बुरी नहीं है जितना हम कल बात कर रहे थे , वैसे भी अकेले इस मुकाम पर पहुंचना कोई आसान काम नही है l”,महिमा ने सारिका का साथ देते हुए कहा l

“कौनसा मुकाम अरे बहुत पैसा है इनके बाप के पास , इकलौती बेटी है इसपे नही लुटायेगा तो किसपे लुटायेगा l तू अभी इसे अच्छे से जानती नही है ना इसलिए इसकी मीठी मीठी बातों में फंस गई l ये क्या बला है ये मैं अच्छे से जानती हूं”,पूजा ने नफरत से कहा


“लेकिन आज मेम की बातों से मुझे ऐसा बिल्कुल नही लगा कि वो रौब झाड़ रही है बल्कि वो तो कितनी शालीनता से हम दोनों से बात कर रही थी l वो चाहती तो अकेले में बुलाकर भी हमे डांट सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नही किया उल्टा हमे समझाया l ऐसी बॉस तो मैंने पहली बार देखी है जो अपने एम्प्लॉय को आप कहकर बात करती है”,महिमा ने कहा


“तो तू करती रह उनका गुणगान मैं चली”,कहते हुए पूजा उठी और केंटीन की ओर जाने लगी
महिमा उठकर उसके पीछे आई ओर उसे रोकते हुए कहा ,”कहा जा रही हो ?
“कॉफी पीने तुम्हारी बातों से सर दुखने लगा है मेरा”,पूजा ने गुस्से से कहा

“आजकल सच्ची बाते सुनकर भी लोगो के सर में दर्द होंने लगता है”,पास से गुजरते हुए नवीन ने कहा

पूजा पर पटकते हुए वहां से चली गयी l महिमा पूजा को छोड़ नवीन के पीछे आई और फिर किसी फ़ाइल को लेकर डिसकस करने लगी


सारिका को लेकर पूजा की ये नफरत आज की नही थी बल्कि पिछले कुछ महीनों से थी जब नवीन ने पूजा का प्रपोज़ल ये कहकर ठुकरा दिया था कि वह सारिका के अलावा और किसी लड़की के बारे में सोचना नही चाहता l पूजा इस रिजेक्शन को बर्दाश्त नही कर पाई और तबसे वह सारिका की दुश्मन बन बैठी लेकिन सारिका इन सब बातों से अनजान थीं l

ऑफिस का काम निपटा कर सारिका आज फिर जल्दी निकल गयी पर आज उसे समंदर किनारे नही जाना था बल्कि शाम को रश्मि के घर जाना था l घर आकर उसने मीना से खाना न बनाने को कहा और खुद तैयार होने चली गयी l ऑफिस मे अक्सर सारिका सिंपल तरीके से जाया करती थी l आज उसने कबर्ड में रखा पीले रंग का चूड़ीदार सूट निकाला ओर पहनकर तैयार होने लगी l

कंधे के एक तरफ दुपट्टा लगाया , आंखो मे काजल लगाया , बालो को गूंथकर छोटी बना ली l सारिका को ज्यादा सजने सवरने का शौक नही था l उसने अपने सारे शौक सारी ख्वाहिशें दिल के किसी कोने में दफन कर दी थी ऐसा क्यों था वो खुद नही जानती थी l

शाम 7 बजे सारिका रश्मि के घर पहुंची l सारिका को देखते ही रश्मि खुशी से झूम उठी ओर उसके गले लगते हुए कहा,”मुझे तो लगा था हर बार की तरह तुम इस बार भी नही आओगी”
“अच्छा , पर हम यहां अंकल आंटी से मिलने आये है तुमसे नही”,सारिका ने कहा
“हा हा कोई ना उनसे मिल लो अच्छे से पर आज मैं तुझे वापस नही जाने दूँगी , आज तू यही रुकेगी मेरे पास”,रश्मि ने उसके गले मे बांहे डालते हुए कहा l


“अरे हम यहां रुककर क्या करेंगे ?”,सारिका ने हैरानी से कहा
“तुमसे ढेर सारी बाते करनी है और क्या करेंगे ? वैसे भी कितना टाइम हो गया तुमसे ढंग से बात तक नही हो पाई मेरी ओर तुम्हे कुछ बताना भी है जो कि बहुत खास है”,रश्मि ने थोड़ा सीरियस होकर कहा
“क्या बताना है ? “,सारिका ने सहजता से कहा


“रात में बताऊंगी अभी चल मम्मी पापा कबसे तेरा ही वैट कर रहे है”,कहते हुए रश्मि सारिका का हाथ पकड़े उसे अंदर ले गयी l
रश्मि के मम्मी पापा अरुण जी और ममता हॉल में बैठे थी l सारिका को देखते ही उनके चेहरे पर खुशी आ गई l दोनो सारिका को बहुत पसंद करते थे और जब भी वो आती दोनो का चेहरा खिल जाता l

सारिका ने अपने साथ लाये तोहफे दोनो की तरफ बढा दिये l अरुण जी के लिए घड़ी ओर ममता के लिए खूबसूरत कंगन लेकर आई थी वो l दोनो को तोहफे बहुत पसंद आये l उन चारों के अलावा घर मे सिर्फ कुछ रिश्तेदार थे और कुछ पड़ोसी l सभी एक जगह इक्कठा हो गए ममता ओर अरुण ने साथ साथ केक काटा l उन्होंने रश्मि ओर सारिका को केक खिलाया और फिर सबने खूब मस्ती की l

अरुण जी और ममता ने रोमांटिक गानों पर डांस भी किया l उन्हें साथ देखकर सारिका मुस्कुराती हुई गुनगुनाने लगी सारिका को खुश देखकर रश्मि भी बहुत खुश थी वह उसके पास आई और उसका हाथ पकड़कर उसके साथ कपल डांस करने लगी l अब दोनो ही सिंगल थी तो किसी ओर का साथ ढूंढने से अच्छा रश्मि ने एक दूसरे के साथ डांस करना सही समझा l


सबने साथ मिलकर खाना खाया l सभी मेहमानों के जाने के बाद सारिका ने अरुण ओर ममता से जाने की इजाजत मांगी l
“आज आज यही रुक जाओ बेटा , वैसे भी बहुत रात हो चुकी है !”,अरुण ने कहा
“अरुण जी सही कह रहे है आज रात यही रुक जाओ हमे भी तुम्हारे साथ थोड़ा वक़्त बिताने का मौका मिल जाएगा “,ममता ने प्यार से सारिका का हाथ पकड़ कर कहा

सारिका की आंखो में नमी तैर गयी लेकिन उसने उन्हें बाहर आने से रोक लिया l ओर रुकने के लिए अपनी सहमति दे दी l रश्मि तो यही चाहती थी l देर रात तक चारो बैठकर बाते करते रहे और फिर रश्मि ओर सारिका रश्मि के कमरे में चले आये l रात के 12:30 बज रहे थे l सारिका ने दुपट्टा हटा कर साइड में रखा और चद्दर ओढकर सो गई l
“ये क्या है ? मैंने तुम्हें यहां सोने के लिए नही रोका है”,रश्मि ने सारिका की चद्दर खींचकर उसे उठाते हुए कहा l
“सोने दे ना यार”,सारिका चादर छीनते हुए कहा


रश्मि ने मुंह फुला लिया ओर आल्थी पालथी मारकर बैठ गयी l उसने सोई हुई सारिका की तरफ देखा और कहने लगी ,”मेरा है ही कौन जिसे मैं अपना कहु l कोई नही है मेरा दुख सुनने वाला इस से तो अच्छा होता भगवान मुझे उठा लेता l मेरी बुरी किस्मत एक दोस्त थी वो भी बेवफा निकली उसे भी सोने की पड़ी है l अब अपना दर्द सुनाने आधी रात को कहा जाऊ मैं l”

रश्मि की नोटंकी भरी बातें सुनकर सारिका को हंसी आने लगी और वह उठकर बैठ गयी l उसने रश्मि को देखा और कहा,”अच्छा बता क्या हुआ ?

रश्मि – यार अभी तो मेरा कॉलेज खत्म हुआ है और पापा ने मेरे लिए नोएडा में लड़का भी देख लिया l
सारिका – ये तो अच्छी बात है
रश्मि – क्या खाक अच्छी बात है , मैं अपने सपने कब पूरे करूँगी यार मैंने बताया था न तुम्हे मुझे एक फैशन डिजाइनर बनना है और शादी के बाद तो ये पॉसिबल नही होगा यू नो कितनी सारी रिस्पांसबलिटी आ जाती है हम पर


सारिका – पर एक दिन तो शादी करनी है ना
रश्मि – करनी है लेकिन अरेंज नहीं
सारिक – तो ?
रश्मि – तो क्या ? लव मैरिज करनी है जैसे सब करते है
सारिका – लव मैरिज करने के लिए किसी से लव होना भी जरूरी है


रश्मि – हा तो हो जाएगा न लव ! पर तब तक पापा को कैसे समझाऊ l वो तो मेरी बात ही नही सुन रहे यार , तू बात कर न उनसे क्या पता तेरी सुन ले
सारिका – बिल्कुल नही हम बात नही करेंगे पर हा आईडिया दे सकते है
रश्मि – जल्दी बता जल्दी बता
सारिका – बड़ी बेसब्र हो यार


रश्मि – ओर बेशर्म भी तू जल्दी से आईडिया बता यार
सारिका – अंकल ने जो लड़का देखा है एक बार उस से मिल लो और फिर कह देना पसन्द नही आया l उसके कुछ दिन बाद कहना कि तुम्हे फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करना है l 2 साल उसमे लग जाएंगे तब तक तुम्हे भी किसी ना किसी से प्यार हो ही जायेगा l


रश्मि – कमाल का आईडिया है , पर ये मेरे दिमाग मे क्यों नही आया
सारिका – मोटी बुद्धि हैं ना तुम्हारी इसलिए
रश्मि – हां , क्या क्या कहा तूमने ?

रश्मि सारिका पर टूट पड़ी और कुछ देर बाद दोनों लेट गयी रश्मि ने अपना हाथ सारिका के हाथ पर रखते हुए कहा,”यार तुम न होती तो मेरा क्या होता l
सारिका – कुछ नही होता तुम पगलखाने होती और क्या l
रश्मि – अच्छा सुनो एक बात तो बताना ही भुल गयी तुम्हे
अचानक से उठकर बैठ जाती है दोनो l


सारिका – कौनसी बात ?
रश्मि – कल रात फिर एक ग़ज़ल आयी है रूको सुनाते है
सारिका – नो प्लीज़ हमे नही सुननी आधी रात को गजले
रश्मि – अरे सुनो तो सही बहुत खूबसूरत लिखा है

सारिका गोद मे तकिया रखकर ठोड़ी हाथो पर टिकाकर बैठ गयी l वह जानती थी बिना सुनाए रश्मि मानेगी नही l

रश्मि ने अपना फोन लिया और पढ़कर सुनाने लगी

“”सर्द मौसम की तन्हा कंपकपाती रातों में ,
एक अनसुना सा मेरे भीतर कुछ शोर बहुत करता है
जब छू के गुजरती है ये हवाएं मेरे गालो को
जब ओस की बूंदे ठहर जाती हैं मेरे होंठो पर किसी मोती की तरह
जब रात का वो पहर महसूस कराता है मेरे जहन में तेरी मौजूदगी


तब मैं , मैं नही रहती मैं घुल जाती हूं तुम में कही
सर्दी की ठिठुरन पर तुम्हारी गर्म यादों का कम्बल अकसर ही लपेट लिया करती हूं मैं
तुम्हारे ना होंकर भी होने के अहसास के अलाव पर
सेक लेती हूं मैं अपनी हथेलियां ओर छू लेती हूं उनसे अपने ठंडे गालो को ये जानकर की तुमने ही छुआ है इन्हें अनजाने में कभी l


रात के वो पहर गुजरकर भी गुजरते नही है l
ओर फिर तुम्हारी यादों की भूलभुलैया में खोकर सुबह हो जाती है l
पर मुझे इंतजार है उस सुबह का जो एक रोज तुम्हे अपने साथ लेकर आये l
तुमसे मिलो की ये दूरिया ना जाने क्यों अब सजा सी लगती है l
तुम्हारे बिना कटी रातों की सुबह अब बेवजह सी लगती है l


ये राज काजल से भी काली उन रातों में लिखा है
जिन रातों में तुम सिर्फ याद बनकर मेरे साथ रहे हो !!
हा तुम मुझमे मेरे बाद रहे हो !
हा तुम ! “”

रश्मि चुप हो गयी l सारिका एक बार फिर खामोश हो गयी l रश्मि ने इतनी शिद्दत से पढ़ा कि वो खो सी गयी l रश्मि ने देखा तो उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाते हुए कहा,”क्या हुआ ?
“क क कुछ नही “,सारिका ने आंखो में आई नमी छुपाते हुए कहा
रश्मि – पता नही यार कौन है ये पर इतना गहराई से लिखती है ना कि पढ़ने वाले को प्यार हो जाये l

ऐसा लगता है जैसे इन्होंने किसी को बहुत टूट के चाहा है तभी इतना डूबकर लिखती है l इन फ्यूचर अगर कभी भी इनसे मिलने का मौका मिला न तो मैं उनका ऑटोग्राफ जरूर लुंगी l”
सारिका – ह्म्म्म
रश्मि – वैसे तो मुझे कुछ बताने वाली थी
सारिका – दो दिन बाद इंदौर जा रही हूं कुछ दिनों के लिए
रश्मि – ये तो अच्छा है अंकल आंटी से भी मिल लेगी कितने दिन हो गए उनसे मिले हुए l


सारिका – हम बनारस जाना चाहते है
रश्मि – क्या ? अभी तक तेरे सर से वो बनारस का भूत उतरा नही क्या ?
सारिका – जीते जी मैं उसे नही भूल पाऊंगी , वो चेहरा हर वक्त मेरी आँखों के सामने रहता है l
रश्मि – सारिका 14 साल हो चुके है उस बात को कौन जानता है वो कहा होगा l उसका नाम , पता चेहरा सब बदल चुका होगा l वो बनारस में है भी या नही किसे पता कैसे ढूंढोगी उसे


सारिका – उसने कहा था बनारस उसका घर है उसके किसी ना किसी घाट पर मिल जाएगा
रश्मि – वो बचपन की बाते है अब तक तो वो भी भूल चुका होगा ये सब
सारिका – नही पता पर हमारा दिल कहता है बनारस के किसी कोने में आज भी वो मासूम इश्क़ जिंदा है
रश्मि – तुम पागल हो गयी हो
सारिका – इश्क़ जो ना कराए वो कम है , हमे बनारस जाना है रश्मि

रश्मि सारिका की बातों में विश्वास और आखो मे कुछ पाने की तड़प देख रही थी l रश्मि ने जब कुछ नही कहा तो सारिका उठकर खिड़की के पास आ गयी ओर बाहर खुले आसमान को देखते हुये कहने लगी

“इस पर जो है इंतजार वो उस पार भी होगा !
मेरे ख्यालो मे उलझकर वो भी सोया ना होगा”

“अरे वाह तू तो शायरी भी करने लगी कही इश्क़ तो नही हो गया”,रश्मि ने छेड़ते हुए कहा तो सारिका मुस्कुरा दी पर उस मुस्कुराहट मे सुकून कम और दर्द ज्यादा था ll

1485 किलोमीटर दूर

बनारस के अस्सी घाट की सीढियो पर बैठा वह लड़का उदास आंखो से शांत पड़े पानी में ना जाने क्या देखने की कोशिश कर रहा था l चांदनी सर्द रात रात में भी उसे ठंड का आभास नही था l उसने गर्दन उठाकर आसमान की ओर देखा और फिर सामने खाली पड़ी सीढियो को देखने लगा l कितनी भीड़ भरा माहौल होता है दिनभर यहां ओर रात होते ही सब शांत लेकिन उसके मन मे एक शोर अक्सर चलता रहा है l
लड़के ने एक ठंडी आंह भरी ओर वही लेट गया और गुनगुनाने लगा

“”सर्द मौसम की तन्हा कंपकपाती रातों में ,
एक अनसुना सा मेरे भीतर कुछ शोर बहुत करता है
जब छू के गुजरती है ये हवाएं मेरे गालो को
जब ओस की बूंदे ठहर जाती हैं मेरे होंठो पर किसी मोती की तरह
जब रात का वो पहर महसूस कराता है मेरे जहन में तेरी मौजूदगी


तब मैं , मैं नही रहती मैं घुल जाती हूं तुम में कही
सर्दी की ठिठुरन पर तुम्हारी गर्म यादों का कम्बल अकसर ही लपेट लिया करती हूं मैं
तुम्हारे ना होंकर भी होने के अहसास के अलाव पर
सेक लेती हूं मैं अपनी हथेलियां ओर छू लेती हूं उनसे अपने ठंडे गालो को ये जानकर की तुमने ही छुआ है इन्हें अनजाने में कभी l


रात के वो पहर गुजरकर भी गुजरते नही है l
ओर फिर तुम्हारी यादों की भूलभुलैया में खोकर सुबह हो जाती है l
पर मुझे इंतजार है उस सुबह का जो एक रोज तुम्हे अपने साथ लेकर आये l
तुमसे मिलो की ये दूरिया ना जाने क्यों अब सजा सी लगती है l
तुम्हारे बिना कटी रातों की सुबह अब बेवजह सी लगती है l


ये राज काजल से भी काली उन रातों में लिखा है
जिन रातों में तुम सिर्फ याद बनकर मेरे साथ रहे हो !!
हा तुम मुझमे मेरे बाद रहे हो !
हा तुम ! “”

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संजना किरोड़ीवाल

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