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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 4

Pakizah – 4

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 4

सेंट्रल जेल -:

रूद्र इन्वेस्टिगेशन रूम में बैठा था l कुछ देर बाद जेलर पाकीजा को लेकर कमरे में दाखिल हुआ l हरे रंग के लिबास में लिपटी पाकिजा हाथ बंाधे रूद्र के सामने खड़ी थी l चेहरे पर वही उदासी थी पलके झुकी हुयी थी l रूद्र ने सर से लेकर पांव तक पाकीजा को देखा और सोचने लगा “कौन कम्बख्त कहता है खूबसूरती लिबास में कैद नहीं होती l “

“रूद्र ! तुम्हारे पास सिर्फ 30 मिनिट है , मुजरिमो का इस तरह मिलना जेल के खिलाफ है l लेकिन आपके नेक इरादे को देखते हुए अपने रिस्क पर ये कर रहा हु “,जेलर ने कहा l

“डोंट वरी जेलर , आप पर कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी”,रूद्र ने सहजता से कहा l

पाकीजा को वहा छोड़कर जेलर वहा से चला गया l रूद्र ने पाकीजा से बैठने को कहा l पाकीजा टेबल के दूसरी तरफ रूद्र के बिलकुल सामने आकर बैठ गयी l

रूद्र – महेश (जेलर) ने तुम्हे बताया होगा मैंने तुम्हे यहाँ क्यों बुलाया है ?

पाकीजा – जी नहीं , मैं आपसे सुनना चाहूंगी l एक मुजरिम से भला आपको क्या काम पड़ गया ? (कटाक्ष करते हुए)

रूद्र मुस्कुराया और कहा – तुमसे घुमा फिरा कर बात करना आग में हाथ डालने जैसा है l खैर ! मैंने तुम्हारे केस की फाइल पढ़ी लिखा बहुत कुछ लिखा था उसमे लेकिन ना जाने क्यों वो फाइल पढ़कर मुझे लगा की तुम्हारे साथ कही न कही नाइंसाफी हुयी है , तुम बेगुनाह हो l जिस गुनाह की सजा तुम काट रही हो वो तुमने किया ही नहीं है l सच क्या है मैं तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हु l

पाकीजा – सच आपके सामने है सर ! मुझे अपने किये की सजा मिल चुकी है और वैसे भी एक साल पहले वो फाइल बंद हो चुकी है l

रूद्र – मैं तुम्हारी फाइल रीओपन करना चाहता हु पाकीजा , कानून से अनजाने में जो गलती हुई है उस गलती का अहसास दिलाना चाहता हु कानून को और ये सब करने के लिए मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है पाकीजा , जब तक मैं तुम्हारी कहानी ना जान लू मैं कुछ नहीं कर सकता

पाकीजा – मेरी कहानी जानकर क्या करेंगे आप ?

रूद्र – तुम्हे कानून से इंसाफ दिलाऊंगा

पाकीजा मुस्कुराने लगी उसकी मुस्कराहट में दर्द झलक रहा था अतीत का दर्द , उसने एक नजर रूद्र को देखा और फिर दुसरी तरफ देखकर कहने लगी – किस कानून की बात कर रहे है आप ? वह कानून जो आजकल चंद रुपयों में ख़रीदा और बेचा जा सकता है l

या वह कानून जिसके सामने सिर्फ गरीब की कोई औकात नहीं होती , या फिर वह कानून जो गुनहगार की औकात देखकर उसके गुनाह का फैसला करता है l छोड़िये सर आपके इस कानून से मुझे कोई उम्मीद नहीं है

पाकीजा की आवाज में मौजूद दर्द रूद्र साफ महसूस कर सकता था कुछ देर खामोश रहने के बाद रूद्र ने कहा – कानून सबके लिए बराबर का अधिकार देता है l मैं तुम्हे इंसाफ दिलाऊंगा , कानून पर विश्वास दिलाऊंगा l

पाकीजा – ना मुझे आपके कानून पर भरोसा है न ही कानून की बातो पर (सख्ती से)

रूद्र – और मुझ पर ? (रूद्र ने पाकीजा की आँखों में देखते हुए पूछा)

पाकीजा – आप भी तो उसी कानून का हिस्सा है l मेरी मदद करने के पीछे आपका भी तो कोई ना कोई मकसद जरूर होगा

रूद्र – बिलकुल है , मेरा मकसद तुम्हे इन चार दीवारों से बाहर निकालना है मैं तुम्हे यह पल पल मरता नहीं देख सकता

पाकीजा – मरने के लिए मेरे पास कई वजह है लेकिन जीने की कोई वजह नहीं है

रूद्र – यहां से बाहर निकलने के बाद जीने की वजह भी मिल ही जाएगी l

रूद्र की बात सुनकर पाकीजा चुप हो गयी उसे चुप देखकर रूद्र ने कहा – मैं समझ सकता हु इस वक्त तुम्हे मेरी किसी भी बात पर विश्वास नहीं होगा l तुम्हारा अतीत जो भी रहा हो मैं वादा करता हु आने वाला कल अतीत के सारे जख्म भर देगा l

पाकीजा – एक मुजरिम से भला आपको इतनी हमदर्दी क्यों ? इस दरियादिली को मैं क्या समझू जरूरत या हसरत

रूद्र – ना मुझे तुम्हारी हसरत है ना ही जरूरत

पाकीजा – पर मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है , सिवाय इस बेजान जिस्म के (रूद्र को अजीब नजरो से घूरते हुए)

रूद्र – पाकीजा ऐसी बातें मत करो प्लीज़ (नजरे झुकाकर टेबल को देखने लगता है)

पाकीजा – आप तो शर्मिंदा हो गए , माफ़ कीजियेगा पर यहाँ मदद के नाम पर एक औरत से यही उम्मीद रखते है ,, मेरा ये रूप , ये जिस्म यही मेरा सबसे बड़ा दुश्मन बन गया और इसी रूप ने मुझे इन चार दीवारों के बिच लाकर खड़ा कर दिया l मुजरिम बना दिया मुझे …………

रूद्र – खुद को बार बार मुजरिम कहना बंद करो पाकीजा l आखिर कानून से इतनी नफरत क्यों है तुम्हे ? ( तेज आवाज मे)

पाकीजा – आप सच में जानना चाहते है ऐसा क्यों है ? तो सुनिये एक वक्त था जब आपके ही इस कानून ने मुझे कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया , वो कानून ही था जिसने सबके सामने अपने बयानों से मुझे नंगा कर दिया , वह कानून ही था जिसके सामने मैं इंसाफ की भीख मांगती रही लेकिन किसी ने मेरी एक ना सुनी l अजी छोड़िये ! जिस क़ानून के बल पर आप इतना दम भर रहे है वो कानून चंद कागज के टुकड़ो में बिकता नजर आता है

पाकीजा की बात सुनकर रूद्र एक बार फिर निशब्द हो गया l कुछ देर दोनों के बिच ख़ामोशी रही और फिर पाकीजा ने उठते हुए कहा – मुझे अब चलना चाहिए सर , मेरी नमाज का वक्त हो गया है

पाकीजा बिना रूद्र के जवाब का इंतजार किये वहा से आगे बढ़ गयी l जैसे ही वह दरवाजे पर पहुंची

रूद्र ने कहा – पाकीजा

पाकीजा पलटी खिड़की से आती धुप की हलकी किरणे सीधा उसके मुंह पर आकर गिर रही थी उसका गोरा रंग दूध की तरह चमक रहा था सच कहा था पाकिजा ने की उसका रूप ही उसका दुश्मन है इस वक्त वो बला की खूबसूरत लग रही थी l रूद्र भी एक पल के लिए उसके चेहरे में खोकर रह गया रूद्र को चुप देखकर पाकिजा ने कहा – आप कुछ कहना चाहते है

रूद्र – क्या तुम खुदा को मानती हो ?

पाकीजा – मानती हु

रूद्र – मैं उस खुदा की कसम खाकर कहता हु , तुम्हे इंसाफ दिलाना ही अब मेरी जिंदगी का मकसद होगा l

पाकीजा रूद्र के चेहरे की तरफ देखने लगी उन आँखों मे एक अपनापन नजर आ रहा था l पाकीजा ने कुछ नहीं कहा और वहा से चली गयी l
रुद्र महेश के केबिन में आया महेश ने उसे बैठने को कहा और चपरासी को चाय लाने का कहकर रुद्र की तरफ देखने लगा रुद्र को परेशान देखकर कहा – क्या बात है बड़े परेशान दिख रहे हो ?


रुद्र – नही सर ऐसी कोई बात नही है
महेश – पाकीजा के बारे में सोच रहे हो ?
रुद्र – ह्म्म्म उसने मुझे कुछ भी बताने से साफ इंकार कर दिया l
महेश – वो बहुत जिद्दी है रुद्र


रुद्र – सर आप उसके बारे में ओर क्या जानते है ? उसका अतीत ? उसकी कानून को , पुलिसवालों को लेकर नफरत ? ये सब जानने में क्या आप मेरी कोई मदद कर सकते है ?
महेश – आई एम सॉरी रुद्र ! मैं पाकीजा के बारे में ज्यादा नही जानता 4 महीने पहले ही मेरी यहां पोस्टिंग हुई है l पर हा इन 4 महीनो में जितना देखा है उस हिसाब से तो ये ही लगता है कि इस लड़की का अतीत कुछ अच्छा नही रहा l उसका दर्द उसकी तकलीफे अब नफरत का रूप ले चुकी है l

वो ज्यादा किसी से बात नही करती है ना ही किसी के साथ उसका उठना बैठना है वह अकेले अपनी जेल में बैठी रहती है l कभी अकेले में घंटो आंसू बहाती है तो कभी खुद से ही बाते करने लगती है l उसने अपने अकेलेपन को ही अपना साथी बना लिया है l
रुद्र – उसे इस दर्द से बाहर निकालने का कोई तरीका


महेश – उपाय है पर बहुत मुश्किल है
रुद्र – कैसे ( हैरानी से )
महेश – उसके साथ जो कुछ हुआ है उसके बाद उसका किसी पर भरोसा करना बहुत मुश्किल होगा शायद पर तुम चाहो तो कोशिश कर सकते हो उसे भरोसा दिलाओ खुद पर हो सकता है वो तुम्हे सब बता दे l


रुद्र – सर अगर वो बेगुनाह है तो मैं उसे यहां से बाहर निकाल कर ही दम लूंगा ओर जिन्होंने उसके साथ ये सब किया है उनको इन सलाखों के पीछे जरूर लाऊंगा l
महेश – ऑल द बेस्ट रुद्र ! मेरी किसी भी मदद की जरूरत हो तो तुम मुझे बेझिझक कह सकते हो
रुद्र – थेँकयू सर फिलहाल तो एक कप चाय पीना चाहूंगा सर


महेश – ये लो चाय भी आ गयी
चपरासी चाय से भरे कप टेबल पर रखकर बाहर चला गया l रुद्र ने कप उठाया और चाय पीने लगा l
“चाय बहुत अच्छी बनी है सर”,रुद्र ने कहा
रुद्र की बात सुनकर महेश मुस्कुरा दिया चाय पीकर रुद्र ने उठते हुए कहा – ठीक है सर अभी चलता हूं वैसे आपकी एक परमिशन चाहिए


महेश – क्या रुद्र कहो ?
रुद्र – पाकीजा से मिलने आ सकता हु यहां ?
महेश – बिल्कुल ! सरकारी अफसर हो तुम्हे भला कौन रोकेगा l
रुद्र – पर सर मैं यहां पाकीजा के लिए आ रहा हु ये बात सिर्फ आपके ओर मेरे बीच रहनी चाहिए


महेश – चिंता मत करो रुद्र मैं इसे अपने तक ही सीमित रखूंगा l
रुद्र – थेँकयू सर l अब मैं चलता हूं थाने में भी कुछ काम है l

रुद्र ओर महेश दोनो बाते करते हुए केबिन से बाहर आ गए l महेश वहां से चला गया और रुद्र गेट की तरफ जाने लगा उसकी नजर जेल में नमाज अदा करती पाकीजा पर गयी l कुछ पल के लिए रुद्र को नजर उसी पर ठहर गयी

पुलिस स्टेशन

असलम ओर प्रवीण ने हर्षद को रिमांड पर ले रखा है लेकिन हर्षद है कि कुछ उगलने को तैयार ही नही है l थककर दोनो हवालात से बाहर आ गए l
“इतना मारा उसे फिर भी कुछ उगलने को तैयार नही है”,असलम ने बोतल से पानी पीते हुए कहा
“हा यार पता नही किस मिट्टी का बना है”,प्रवीण पास रखी कुर्सी पर बैठकर सुस्ताने लगा l
रागिनी सामने अपनी डेस्क पर बैठी कंप्यूटर में कुछ काम कर रही थी l

बाकी स्टाफ भी अपने अपने काम मे लगा हुआ था तभी रुद्र वहां आया और असलम से कहा – असलम कुछ उगला उसने ?
“नही सर , बहुत कोशिश की लेकिन वह कुछ बताने को तैयार ही नही है”,असलम ने कहा
“डोंट वरी जल्दी ही सब उगल देगा , तुम इसके खिलाफ मजबूत फ़ाइल तैयार करो और मेरे केबिन में भेजो l

इसके पास से जो भी मिला है उसे वेरिफाई करो l कही न कही इसका कनेक्शन बहुत स्ट्रांग है”,रुद्र ने कहा और अपने केबिन की तरफ जाने लगा
जाते जाते रुद्र रुका ओर रागिनी की तरफ देखकर कहा – रागिनी तुम्हारा पैर ठीक है !!
“जी सर अभी ठीक है”,रागिनी ने हड़बड़ाते हुए कहा l


“गुड़ “,कहकर रुद्र अपने केबिन में चला गया
प्रवीण रागिनी की तरफ देखकर हंस रहा था l रागिनी ने प्रवीण की तरफ देखा और मुस्कुरा कर फिर अपने काम मे बिजी हो गयी l असलम ने हर्षद के खिलाफ एक फ़ाइल तैयार की ओर से रुद्र के केबिन में रखकर आ गया बाहर आकर अपनी डेस्क पर बैठ गया और रागिनी को देखने लगा l


प्रवीण ने जब ये नजारा देखा तो उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ,”यार तू उसे बोल क्यों नहो देता ?
असलम – हिम्मत नही होती यार ओर फिर उसकी फीलिंग्स के बारे में भी तो नही जानता ना कैसे बोल दु ?
प्रवीण – उसकी फीलिंग्स का तो पता ही है वो तो अपने सर पर फिदा है तेरा पता तो बस कटने वाला है ये समझ ले
प्रवीण की बात सुनकर असलम ने उसे घूरा प्रवीण उठकर बाहर चला गया l

शाम को प्रवीण असलम को मनाने के लिए उसे बिरयानी खिलाने बाहर ले गया 9 बज चुके थे रागिनी आज जान बूझकर देर तक रुकी हुई थी रुद्र अपने केबिन से बाहर आया रागिनी को देखा तो हैरान होकर कहा – रागिनी तुम इतनी देर तक यहां , आज घर नही जाना ?
“9 बज गए , काम करते हुए धयान नही रहा सर”रागिनी ने टेबल पर बिखरी फ़ाइल उठाते हुए कहा
“इस वक्त अकेले कैसे जाओगी , चलो तुम्हे घर तक छोड़ देता हूं”,रुद्र ने कहा


“आप चलिए सर मैं आती हु”,रागिनी ने अपनी खुशी छुपाते हुए कहा l
रुद्र बाहर आ गया उसने पाटिल से गाड़ी की चाबी ली ओर कहा की आज वह खुद ही चला जायेगा l गाड़ी में बैठकर रुद्र रागिनी का इंतजार करने लगा l रागिनी अपना पर्स उठाये बाहर आई और आकर गाड़ी में बैठ गयी खुशी उसकी आँखों से साफ झलक रही थी l


रुद्र ने गाड़ी स्टार्ट की ओर रास्ते पर दौड़ा दी l दोनो खामोश थे फिर रागिनी ने बात की शुरुआत करते हुए कहा – सर आप कहा से है ?
रुद्र – मेरठ से , मम्मी पापा ओर छोटी बहन मेरठ ही रहते है l बाकी मेरा हर 6 महीने से ट्रांसफर होता रहता है
रागिनी – 6 महीने से क्यों सर ?


रुद्र – मेरे स्वभाव की वजह से अक्सर बड़े अफसरों को परेशानी हो जाती है , वो कुछ कर नही पाते तो ट्रांसफर कर देते है
रागिनी – आप इतने भी स्ट्रिक्ट नही हो सर
रुद्र – हम्म्म्म शायद ! काम ही ऐसा है कि स्ट्रिक्ट रहना पड़ता है l वैसे तुम्हारी फैमिली ?
रागिनी – मम्मी पापा up में रहते है यहां दिल्ली में दीदी ओर जीजाजी रहते है उन्ही के साथ रहती हूं l


रुद्र – हम्म ! जीजाजी क्या करते है ?
रागिनी – बैंक में मैनेजर है
रुद्र – अच्छा है l वैसे तुम इस लाइन में कैसे ?
रागिनी – बचपन से ही मुझमे पुलिस बनने का जुनून सवार था बस इसी के चलते आ गयी इस लाइन में


रुद्र – गुड़ ! लड़कियों को हर फील्ड में आगे आना चाहिए , मुझे बहुत खुशी होती है जब मैं लड़कियों को पुलिस , सेना , डॉक्टर , इंजीनियर , ओर भी अन्य फील्ड में देखता हूं
रागिनी – मर्द के मुंह से लड़कियों के लिए इतना अच्छा सुनना थोड़ा अजीब लगता है
रुद्र – मर्द भी तो औरत से इस दुनिया मे आता है , मेरे लिए औरत मर्द दोनो बराबर हैं l


रागिनी – सर आप बहुत अच्छे है , आपकी शादी हो गयी
रुद्र – नही !
रागिनी – कोई गर्लफ्रेंड ?
रागिनी की बात सुनकर रुद्र ने भौंहे चढ़ाकर उसकी तरफ देखा तो रागिनी ने धीरे से कहा – सॉरी सर
रुद्र मुस्कुराने लगा और कहा – its ok

कुछ ही दूर चलने पर रुद्र की नजर सड़क के दूसरी तरफ फुटपाथ पर खड़े असलम ओर प्रवीण दिख गए रुद्र ने गाड़ी रोककर रागिनी से कहा – वे दोनों असलम ओर प्रवीण है ना ?
“हा सर , पर इस वक्त ये दोनों यहां क्या कर रहे है ?”,रागिनी ने उन दोनों को देखते हुए कहा
“चलो चलकर उन्ही से पुछ लेते है”,कहकर रुद्र गाड़ी से उतरा और उन दोनों की तरफ बढ़ गया l रागिनी भी पीछे पीछे चली आयी


रुद्र को वहां देखते ही दोनो ने उसे सेल्यूट किया तो रुद्र ने कहा – रिलेक्स गाइज ! तुम लोग ड्यूटी पर नही हो , यहां क्या कर रहे हों ?
“सर बिरयानी खाने आये है , आप भी लीजिए ना”,प्रवीण ने एक प्लेट रुद्र की तरफ बढा दी l रागिनी भी उन तीनों के साथ शामिल हो गयी चारो मजे से बातें करते हुए बिरयानी खाने लगे l इस वक्त कोई जूनियर सीनियर नही था चारो में एक रिश्ता बन चुका था

“दोस्ती का रिश्ता”

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