Sanjana Kirodiwal

Story with Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 29

Pakizah – 29

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 29


शिवेन ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने अपने पापा को देखकर चौंक गया l आज से पहले अविनाश कभी शिवेन से मिलने यहाँ नहीं आया था पर आज उनका यु अचानक से आना शिवेन को परेशान कर गया उसने अपने पापा की तरफ देखा और कहा,”आप ?”

अविनाश ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अंदर आ गया l शिवेन भी उनके पीछे पीछे चला आया l अविनाश जी को देखते ही राघव ने कहा,”अरे ! अंकल आप ? आईये ना बैठिये “

“मैं यहाँ कोई बैठने नहीं आया हु”,अविनाश जी ने गुस्से में कहा राघव सहम गया l

अविनाश जी शिवेन की तरफ मुड़े और कहा,”मैं पूछता हु आखिर ये सब हो क्या रहा है ? आखिर किस बात का बदला ले रहे हो तुम , जो मेरी इज्जत को मिटटी में मिलाने में तुले हो”

“पर मैंने ऐसा किया क्या है ?”,शिवेन ने पूछा

“क्या किया है ? एक बाजारू औरत को घर लेकर आये हो और पूछते हो क्या किया है ?”,अविनाश जी गुस्से से उबल पड़े l

“वो बाजारू नहीं है डेड ! उसके बारे में तमीज से बात कीजिये “,शिवेन ने चिल्लाकर कहा l

“तमीज और वो इस लड़की के लिए l अरे ऐसी लड़कियों का तो काम ही यही है बड़े घर के लड़को को फ़साना और उनसे पैसे ऐठना l इनकी औकात सिर्फ उन बंद कमरों जितनी ही है “,अविनाश जी ने गुस्से से भरकर कहा

“पाकीजा ऐसी लड़की नहीं है अंकल”,मयंक ने बिच में आकर कहा l

“माइंड योर ओन बिजनेस , तुम जैसे दोस्त कम थे जो अब ये लड़किया भी यहाँ लाने लगा”,अविनाश जी मयंक क घूरते हुए कहा

“डेड पाकीजा बहुत अच्छी लड़की है , मैं आपको सब बताता हु”,शिवेन ने उदास होकर कहा

“अच्छी लड़की माय फुट ! अच्छे घर की लड़किया कोठो पर नहीं जाती मैं , मुझे तो लगता है इसकी माँ भी ये ही काम करती हो l इनकी जगह यहाँ नहीं उन बदनाम गलियो में है जहा से तू इसे उठाकर लाया है”,अविनाश जी ने नफरत से पाकीजा की तरफ देखते हुए कहा l

पाकिजा गर्दन झुकाये ये सब सुन रही थी उसकी आँखो से बहकर आंसू निचे जमींन पर गिरने लगे l उसे बहुत बुरा लग रहा था पर वह क्या कर सकती थी सिवाय सुनने के l

“बस डेड ! बहुत हो गया पाकीजा के लिए एक और शब्द नहीं सुनुंगा मैं”,शिवेन ने चिल्लाकर कहा

“ओह तो एक बाजारू औरत के लिए तू अपने बाप से जबान लड़ायेगा”,अविनाश जी ने भी चिल्लाकर कहा l

“बार बार उसके लिए ये शब्द इस्तेमाल मत कीजिये”,शिवेन ने इस बार अविनाश जी की आँखों में देखते हुए कहा

अविनाश जी ने शिवेन की कॉलर पकड़ी और उसकी आँखों में देखते हुए गुस्से से पूछा ,”उस दो कौड़ी की लड़की को बाजारू कहने से तुम्हे इतना फर्क क्यों पड़ रहा है ?”

“क्योकि मैं प्यार करता हु उस से , और उसके खिलाफ मैं किसी के मुंह से एक शब्द भी नहीं सुन सकता”,शिवेन ने चिल्लाकर कहा

अविनाश ने शिवेन का कॉलर छोड़ दिया और बदहवास से उसकी और देखने लगे l राघव के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे वो सच जानता था पर मयंक ने जब सुना तो हैरानी से शिवेन की तरफ देखने लगा l पाकीजा के सूना तो उसने अपनी आंसुओ से भरी पलकों को उठाकर शिवेन की तरफ देखा l उसे अपने कानो पर यकींन नहीं हुआ वह बुझी आँखों से शिवेन की तरफ देखने लगी l

“हां मैं प्यार करता हु उस से ! बहुत प्यार करता हु l वो जिस दुनिया से है उसमे उसकी कोई गलती नहीं है और मैं उसे उस नर्क में तड़पता नहीं देख सकता , जब कोई उसे इन घटिया नामो पुकारता है तो तकलीफ होती है मुझे , खून खौल उठता है मेरा उसकी आँखों में आंसू आते हुए नहीं देख सकता मैं ! “,शिवेन ने धीमी आवाज में सर झुकाकर कहा l

“पूरी दुनिया में प्यार करने के लिए सिर्फ यही लड़की मिली तुम्हे !!”,अविनाश जी ने कहा

“प्यार कभी सोचकर नहीं किया जाता डेड , वो तो बस हो जाता है l”,शिवेन ने पाकीजा की तरफ देखते हुए कहा जो अभी भी गर्दन झुकाये निचे देख रही थी

“पागल हो गए हो तुम , दिमाग ख़राब हो गया है तुम्हारा l अभी के अभी अपना बैग पैक करो और घर चलो मेरे साथ”,अविनाश जी ने कहा l

“मैं घर नहीं जाऊंगा डेड ! “,शिवेन न कहां

“देखो शिवेन पहले ही तुम इतना तमाशा कर चुके हो , अब ये सब बर्दास्त नहीं होगा मुझसे समझे तुम”,अविनाश जी ने उसकी बांह पकड़कर झिंझोड़ते हुए कहा l

“चलूँगा , लेकिन पाकीजा भी मेरे साथ जाएगी”,शिवेन ने सहज भाव से कहा

“हेव यू लोस्टेड ? इसे मैं अपने घर लेकर जाऊंगा तुमने ये सोचा भी कैसे ? देखो शिवेन ऐसी लड़किया सिर्फ मौज मस्ती के लिए होती है , शादी करके जिंदगी बिताने के लिए नहीं l छोडो इसे इस से भी खूबसूरत लड़कियों की लाइन लगा दूंगा तेरे लिए “,अविनाश जी ने कहा l

“नहीं डेड मैंने पाकीजा को उस दलदल से निकालने का वादा किया है , मैं उसे बिच में छोड़कर नहीं जा सकता”,शिवेन ने कहा

“तो तोड़ दे वो वादे , वादे टूटने के लिए ही बने होते है l ये लड़की तेरे लायक नहीं , हमारे लायक नहीं है , हमारे घर के लायक नहीं है l ऐसी लड़कियों की कोई औकात नहीं होती बेटा”,कहते हुए अविनाश जी पाकीजा की तरफ बढे और उसकी बांह पकड़ कर कहा,”ए लड़की बोल कितना पैसा चाहिए तुझे ? एक लाख , पांच लाख, दस लाख बोल l तू जितना कहेगी उतना पैसा दूंगा तुझे शिवेन की जिंदगी से चली जा”

पाकीजा बेचारी क्या कहती ? बस खड़ी खड़ी आंसू बहाती रही इतना अपमान शायद आज से पहले कभी नहीं हुआ था उसका मयंक और राघव को अविनाश जी की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया लेकिन वे कुछ कर नहीं पाए l शिवेन आया और पाकीजा के आगे खड़े होकर अपने पापा से कहा ,”मेरे प्यार की कोई कीमत नहीं है पापा

“और अगर अपने बाप और प्यार मे से किसी एक को चुनना हो तो ?”,अविनाश जी ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा

“तो मैं अपने प्यार को चुनुँगा”,शिवेन ने चेहरे पर बिना कोई भाव लाये कहा

अविनाश जी झटके से पीछे हटे l शिवेन की आँखों में उन्हें बगावत की रोशनी दिखाई दे रही थी l अविनाश जी कुछ देर चुप रहे और फिर कहँने लगे ,”क्या अपने बाप के प्यार की तेरी नजरो में कोई इज्जत नहीं है ? क्या हमारा कोई रिश्ता नहीं है ?

“किस रिश्ते की बात कर रहे है आप डेड ? वो रिश्ता जो कोडियो के भाव बिकता है जो चंद पलो में बदल जाता है , बचपन से लेकर आज तक जब भी मुझे पिता की जरूरत पड़ी आप कभी मेरे साथ नहीं थे l मेरे ये दोस्त जो आपको घटिया लगते है इन्होने मेरा हमेशा अच्छे बुरे वक्त में साथ दिया l ये लड़की जो आपको बाजारू लगती है इसने मुझे जीना सिखाया , प्यार करना सिखाया !

क्या दिया है आपने मुझे सिवाय इन कागज के टुकड़ो के l हमेशा एक बेटा अपने बाप के प्यार को तरसता रहा लेकिन आप कभी मुझे अपना ही नहीं पाए ……………. तो फिर आज किस रिश्ते की बात कर रहे है आप ?”,शिवेन के दिल में दबा सारा दर्द उसके शब्दों के जरिये बाहर आ गया l

पाकीजा भीगी आँखों से शिवेन को देखती रही l

“फाइन , तुम्हे इस लड़की के साथ अपनी जिंदगी स्पोइल करनी है करो l लेकिन बाद में मेरे पास आकर मत पछताना”,अविनाश जी ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गए l

“जब आपको अपनाकर नहीं पछताया तो पाकीजा तो मेरा प्यार है , और मुझे फक्र है अपने प्यार पर”,शिवेन ने कहा

अविनाश जी रुके , पलटे और कहा ,”मैं केसे भूल सकता हु आखिर तुम्हारी रगो में भी तो वही गन्दा खून दौड़ रहा है”

कहते हुए अविनाश जी वहा से चले गए l

अविनाश जी की कही आखरी बात शिवेन के दिल में तीर की तरह चुभी पर वह चुपचाप खड़ा रहा l

अविनाश जी के जाने के बाद राघव ने शिवेन को सम्हाला l पाकीजा ने अपने आंसू पोछे और वहा से जाने लगी भला कौनसी लड़की इतने अपमान के बाद वहा रुकना पसंद करती जैसे ही पाक़िजा शिवेन के सामने से गुजरी शिवेन ने उसका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा,”तुम कहा जा रही हो पाकीजा ?

“अपने घर , अपनी दुनिया की उन्ही बदनाम गलियों में”,पाकीजा ने दर्दभरी आवाज में कहा l

“पाकीजा डेड ने जो कुछ भी कहा……………………..!!”,शिवेन आगे कहता उस से पहले ही पाकीजा मुस्कुराते हुए कहने लगी,”सच ही तो कहा आपके डेड ने , आखिर हमारी औकात ही क्या है ? सुबह बिस्तर पर कोई होता है शाम में कोई और l हमारे जैसी लड़किया प्यार करने या शादी करने के लिए नही होती बल्कि ये जिस्म नोचने और इस प्र अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए होती है l

सही कह रहे है आपके डेड हम आपके लायक नहीं है l आपकी कोई गलती नहीं है शिवेन जी आपने हमे सपने दिखाए , जीने की नयी उम्मीद दी बल्कि गलती हमारी थी जो हम अपनी औकात भूलकर ये सब सच मानने लगे l आपको चाहने लगे l सच ही कहती है अम्माजी एक बाजारू औरत को सपने देखने का कोई हक़ नहीं है “

पाकीजा की आँखों से आंसू बहने लगे l उसका दर्द उसके चेहरे से साफ झलक रहा था राघव और मयंक की आँखे भी नम हो गयी l शिवेन ने पाकिजा को अपनी और खिंचा और उसके चेहरे को अपने हाथो में थाम लिया l उसकी आँखों में नमी देखकर पाकीजा बैचैन हो उठी शिवेन ने अपना सर पाकीजा के सर से लगा लिया और कहने लगा ,”मैंने ये सब इसलिए किया क्योकि मैं तुमसे बहूत प्यार करता हु l

मुझे लगता था प्यार जैसी कोई भी चीज इस दुनिया में है ही नहीं पर जब तुमसे मिला तो मेरे सारे वहम दूर हो गए l मैं तुम्हे उस नर्क में नहीं देख सकता पाकीजा l मैं तुमसे शादी करना चाहता हु , तुम्हे एक नयी जिंदगी देना चाहता हु पाकीजा l ये सच है की मैं तुम्हे खुद से भी ज्यादा प्यार करता हु और इस सच को मैं बदल नहीं सकता पाकीजा हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत है ,

तुम भीड में रहकर अकेली हो मैं अपनों के होते हुए भी अकेला हु l मैं वादा करता हु जिंदगी भर तुम्हे ऐसे ही प्यार करूँगा , कभी तुम्हे खुद से दूर नहीं करूंगा l जब तुम 80 की और मैं 84 का हो जाऊंगा तब भी तुमसे इतना ही प्यार करूंगा l प्लीज़ प्लीज़ पाकीजा मत जाओ”

कहकर शिवेन चुप हो गया पाकीजा ने अपनी आँखे बंद कर ली आंसू बहकर गालो पर लुढ़क आये l वो शिवेन से दूर हुई और जाने लगी शिवेन की आँख से आंसू बहकर निचे गिर पड़ा l पाकिजा कुछ कदम चली और फिर रुक कर शिवेन की और पलटी नजर भर उसे देखा और कहा ,”हमेशा इतना ही प्यार करोगे ?

शिवेन – इतना की तुम खुद परेशान हो जाओगी

पाकीजा – जिंदगी भर साथ दोगे ?

शिवेन – तुम्हारे लिए सारी दुनिया के खिलाफ चला जाऊंगा

पाकिजा चलकर शिवेन के पास आयी और कहा – भरोसा करते हो मुझपर ?

शिवेन – तुम्हारे कहने से पहले तुम्हारी हर बात मान लूंगा

पाकीजा – धोखा तो नहीं दोगे ( आँखों में आंसू भरकर )

शिवेन – वो दिन मेरी जिंदगी का आखरी दिन होगा l

शिवेन के इतना कहते ही पाकीजा उसके गले लग गयी l शिवेन ने भी उसे अपनी बांहो में कस लिया l वो पल दोनों की जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल था l दोनों की आँखों में आंसू थे l कितनी तकलीफो से गुजरने के बाद पाकीजा की जिंदगी में ये खूबसूरत पल आया था जिसे दुनिया प्यार कहती है l शिवेन पाकीजा को अपनी मजबूत बांहो में कसे आँखे बंद किये खड़ा रहा l यही हाल पाकीजा का था l

मयंक और राघव ने आँखों के किनारे आये आंसुओ को पोछा और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे l

शिवेन और पाकीजा को गले लगे देखकर मयंक को शरारत सूझी तो उसने अपनी आवाज को थोड़ा ऊँचा करते हुए कहा,”अरे नालायको कुछ तो बड़े बुजुर्गो की शर्म कर लो “

मयंक की बात सुनकर राघव ठठाकर हंस पड़ा और पाकीजा शिवेन अलग हो गये l

मयंक पाकीजा के पास आया और उसके आंसू पोछते हुए कहा,”अरे मेरी प्यारी भाभी इन आंसुओ को विदाई के लिए बचाकर रखो l “

मयंक की बात सुनकर पाकीजा शरमाँ कर शिवेन के पीछे छुप गयी l मयंक और राघव हसने लगे l

“मैंने आज तक इतनी लव स्टोरीज लिखी है , पर तुम दोनों की कहानी जैसी कहानी ना मैंने कभी पढ़ी ना सुनी , अब तो मैं अपनी अगली लव स्टोरी तूम दोनों पर ही लिखूंगा पर नाम क्या रखुगा ? पाकीजा का शिवेन या फिर शिवेन की पाकीजा “,राघव ने मुस्कुराते हुए कहा

“क्यों ना इन दोनों से ही पूछ ले “,मयंक ने कहा

“नाम कोई भी रखो पाकीजा सिर्फ मेरी रहनी चाहिए”,शिवेन ने प्यार से पाकीजा की तरफ देखते हुए कहा

“अच्छा पाकीजा तुम बताओ क्या नाम रखा जाये तुम दोनो की कहानी का ?”,राघव ने पूछा

“मेरे हमसफ़र”,पाकीजा ने कहा

सबको पाकीजा का बताया नाम बहुत पसंद आया l

चारो बहुत खुश थे l शिवेन की तो नजरे आज पाकीजा के चेहरे से हटने का नाम नहीं ले रही थी कितने दिनों बाद आज दोनों की जिंदगी में खुशिया आयी थी l चारो सोफे पर आकर बैठ गए

“यार ! बहुत भूख लगी है ?”,मयंक ने कहा

“हां यार भूख तो मुझे भी लगी है”,राघव ने मयंक का साथ देते हुए कहा l

इन दोनों का पेट तो प्यार से भर जाएगा पर अपना क्या ? यहा तो पेट के चूहे गिल्ली डंडा खेलने लगे”,मयंक ने सोफे पर उछलते हुये कहा l

“अरे भाई शिवेन खाने को कुछ है घर मे या बाहर से आर्डर करे”,राघव ने कहा

“बाहर से ही आर्डर कर दे यार घर मे तो सिर्फ ब्रेड , बटर , जेम , फ्रूट है”,शिवेन ने कहा

मयंक ने फोन निकाला और पास ही के रेस्टोरेंट से खाना आर्डर किया l
शिवेन के लिए दाल चावल अपने पाकिजा ओर राघव के लिए पनीर , चपाती , पुलाव l
कुछ देर बाद खाना आ गया l पाकिजा ने सोफे के साइड में रखी टेबल बीच मे लगाई और सबके लिए खाना परोसने लगी l शिवेन ने अपने लिए प्लेट में दाल की कटोरी ओर साइड में चावल रखा और फिर चम्मच से खाने लगा l


पाकिजा को शिवेन का इस तरह खाना बड़ा अजीब लगा l उसने कहा,”आप दाल चावल ऐसे क्यों खा रहे है ?
“दाल चावल तो ऐसे ही खाते है”,शिवेन ने चम्मच से खाते खाते कहा
“जी नही , ये सही तरीका नही है लाइये प्लेट हमे दीजिये हम बताते है”,पाकिजा ने मुस्कुरा कर कहा l
शिवेन ने प्लेट पाकिजा की तरफ बढा दी पाकिजा ने चावलों को प्लेट में फैलाया ओर कटोरी की दाल उस पर उड़ेल दी l


अपनी नाजुक सी उँगलियो से दोनो चीजो को मिक्स किया और एक निवाला बनाकर शिवेन की तरफ बढ़ा दिया l शिवेन की आंखो में नमी आ गयी आज से पहले उसे किसी ने इतने प्यार से खाना नही खिलाया था l पाकिजा ने हाथ और आगे किया तो शिवेन ने उसके हाथ से निवाला खा लिया l


इस निवाले में रोजाना से बेहतर स्वाद था शायद पाकिजा सही कहती है दाल चावल खाने का सही तरीका यही था
शिवेन ने खुद से खाने के लिए हाथ बढ़ाया तो पाकिजा ने रोकते हुए कहा,”आप रहने दीजिए हम खिलाते है l
पाकिजा ने इतने प्यार से कहा कि शिवेन ना नही कह पाया l पाकिजा शिवेन को खिलाने लगी l ये नजारा देखकर मयंक ने कहा,”काश कोई हमे भी इतने प्यार से खिलाता ?


“ये लीजिये हम खिला देते है “,कहते हुए पाकिजा ने अगला निवाला मयंक की तरफ बढा दिया l
“उम्म बहुत टेस्टी है , तुम बहुत अच्छी हो पाकिजा”,मयंक ने कहा
“आप सब भी बहुत अच्छे है “,पाकिजा ने मुस्कुराकर कहा l
शिवेन ने प्लेट से एक निवाला उठाया और पाकिजा की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”तुमने तो खाया ही नही”

“मेरा पेट तो आपको देखकर ही भर गया”,पाकिजा ने प्यार से शिवेन की तरफ देखते हुए कहा l

शिवेन ने आगे बढ़कर निवाला पाकिजा को खिला दिया l

खाना खाकर सभी शिवेन के रूम में आ बैठे और बाते करने लगे शिवेन तो बाते करते करते ही सो गया l राघव ने देखा तो कहा,”ये लो ये महाशय तो सो गए , अब हमारा यहां क्या काम “,कहकर राघव उठा और मयंक को साथ लेकर कमरे से बाहर जाने लगा l

पाकिजा भी उठकर उन दोनों के साथ बाहर जाने लगी तो मयंक ने कहा,”अरे भाभी आप रूको यहां भाई के पास
पाकिजा रुक गयी l राघव ओर मयंक बाहर सोफे पर आ बैठे मयंक फोन में बिजी हो गया और राघव लेपटॉप पर अपनी मेल्स देखने लगा l

पाकिजा ने बेड पर पड़ा तकिया उठाया और शिवेन के सर के नीचे लगा दिया पाकिजा जैसे ही जाने लगी शिवेन ने नींद में उसका हाथ पकड़ा और बड़बड़ाने लगा,”पाकिजा तुम सिर्फ मेरी हो मैं तुम्हे कही नही जाने दूंगा l i love you

पाकिजा वही उसके पास बैठ गयी और उसका सर सहलाते हुए सोचने लगी,”कितनी ही राते आपने मेरी हिफ़ाजत में जागकर बिता दी l अब वक्त आया है आपकी उन रातो की नींद के हिसाब का l आपकी मेहनत यू जाया नही होगी शिवेन हम जिंदगीभर आपसे यू ही बेइंतहा प्यार करेंगे l

हम सिर्फ आपके है और जिंदगीभर आपके रहेंगे “
पाकिजा ने अपना सर दीवार से लगा दिया और शिवेन के हाथ को अपने हाथों में कैद कर लिया l शिवेन के होंठो पर प्यारी सी मुस्कुराहट उभर आई l

शाम को राघव के कहने पर सब बाहर घूमने निकल गए l मौसम बहुत सुहावना था गाड़ी राघव चला रहा था मयंक आगे बैठा था शिवेन ओर पाकिजा पीछे बैठे थे l शिवेन ने पाकिजा का हाथ अपने हाथ मे ले लिया पाकिजा ने अपना सर शिवेन के कंधे पर रख दिया l प्यार में ये पल अक्सर खूबसूरत लगते है पाकिजा को भी यही अहसास हो रहा था


राघव ने गाड़ी साइड में लगाई और सभी उतरकर सामने पार्क की तरफ बढ़ गए l राघव ओर मयंक दूसरी तरफ चले गए l शिवेन पाकिजा एक दूसरे का हाथ थामे घूमने लगे l

शाम गहराने लगी बादलो ने अपना रुख बदल लिया मौसम और भी खूबसूरत हो उठा l राघव मयंक , शिवेन पाकिजा के पास आये और चलने को कहा
जैसे ही चारो पार्क से बाहर आये पाकिजा की नजर सड़क किनारे बैठे उस आदमी पर गयी जिसके पास तीन चार पिंजरे थे और हर पिंजरे में बहुत ही खूबसूरत पक्षियों का जोड़ा था l


पाकिजा उस ओर जाने लगी वे तीनों भी पाकिजा के पीछे चल पड़े l पाकिजा ने पिंजरों को देखा बहुत ही खूबसूरत पक्षी थे पाकिजा ने शिवेन की तरफ देखकर कहा,”क्या हम एक पिंजरा खरीद सकते है ?
शिवेन मुस्कुराया ओर सहमति में सर हिला दिया पाकिजा ने सफेद कबूतरो के जोड़े वाला पिंजरा ले लिया l शिवेन ने उसकी कीमत चुकाई ओर चारो गाड़ी की तरफ चल दिये l


पकिजा ने पिंजरा गाड़ी के बोनट पर रख दिया
“इनका तुम क्या करोगी ? “,मयंक ने पूछा
“बताते है”,कहकर पाकिजा ने पिंजरे का दरवाजा खोला ओर एक एक करके दोनो कबूतरों को आसमान में उड़ा दिया l
“ये तुमने क्या किया ? पहले उन्हें कीमत देकर खरीदा ओर फिर आजाद कर दिया l ऐसा क्यों ?”,शिवेन ने आसमान में उड़ते कबूतरों को देखते हुए कहा


“कहते है इन्हें आजाद करने से खुदा की रहमत बरसती है ओर हम चाहते है वो रहमत आप पर बरसे”,पाकिजा ने प्यार से शिवेन की आंखो में देखते हुए कहा l
शिवेन ने महसूस किया कि पाकिजा भी पिंजरे में कैद उस पक्षी की तरह ही है जो आसमान में उड़ना चाहती है l उसने पाकिजा के चेहरे को अपने हाथो में लिया और प्यार से उसका सर चूमते हुए कहा


“आज की शाम उस दुनिया मे तुम्हारी आखरी शाम होगी पाकिजा l कल की सुबह तुम्हारी जिंदगी में एक नया सूरज लेकर आएगी”
पाकिजा ने अपना सर शिवेन के सीने से लगा लिया और आंखे मूंदकर कहा,”मुझे आप पर पूरा भरोसा है “


रुद्र ने डायरी बंद कर दी l घड़ी में देखा रात के 2 बीज रहे थे l रुद्र को बैचैनी होने लगी वह उठा और वाशबेशीन के सामने आकर मुंह धोने लगा l उसने शीशे में खुद को देखा आँखों मे पाकिजा का अक्स नजर आने लगा
“ये तू क्या कर रहा है रुद्र किसी ओर की अमानत को तू अपना कैसे मान सकता है l पाकिजा सिर्फ शिवेन है उस से प्यार तू कैसे कर सकता है”

रुद्र वहां से हटकर बालकनी में आकर खड़ा हो गया l बाहर ठंडी हवाएं चल रही थी रुद्र ने अपने हाथ फैला दिया आंखे बंद की तो पाकिजा का चेहरा नजर आने लगा l हवा के झोंके उसे छूकर गुजरने लगे l उसने आंखे खोली ओर मुंह से एक आह निकल गयी
रुद्र ने अपने धड़कते दिल पर हाथ रखा और कहा

“ये कैसी कशमकश है जिंदगी की तुम्हे पाने से पहले ही खो दिया”

Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29

Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29Pakizah – 29

Continue With Part Pakizah – 30

Read Previous Part Here पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 28

Follow Me On facebook

Sanjana Kirodiwal

One Comment

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!