पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 3

Pakizah – 3

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 3

सुबह का समय -:
रूद्र अपनी स्टडी टेबल पर सर रखे सो रहा है l सूरज की सीधी रौशनी जब चेहरे पर आती है तो वह नींद से जागता है l उसे याद आया रात में पाकीजा की फाइल देखते देखते वह वही सो गया था l सर में हल्का सा दर्द था रूद्र उठकर वाशबेसिन की तरफ बढ़ गया , मुंह धोया और आईने में देखने लगा l रूद्र बड़े गौर से अपना चेहरा देख रहा था और पाकीजा के बारे में सोचने लगा l

कुछ देर बाद उसने अपने लिए चाय बनायीं और बालकनी में आकर खड़ा हो गया l चाय पीकर कुछ देर वही बैठा आते जाते लोगो को देखता रहा l फोन की घनघनाहट से उसक तंद्रा टूटी l रूद्र ने देखा कमिश्नर साहब का फोन है उसने फोन उठाया और कहा – जय हिन्द सर !
“जय हिन्द , रूद्र प्रताप इस वक्त आप जहा भी है तुरंत थाने पहुंचिये “,दूसरी तरफ से एक दमदार आवाज उभरी l
“जी , सर ! मैं अभी निकलता हु”,रूद्र ने कहा और फोन काट दिया l


रूद्र तुरंत तैयार हुआ और थाने पहुंचा l कमिश्नर पहले से वहा मौजूद था रूद्र को देखते ही उन्होंने गुस्से मे कहा ,”इंस्पेक्टर रूद्र किसकी परमिशन से तुमने पाकिजा की फाइल की फाइल को यहाँ से निकाला l “
“सर ! मैं सिर्फ उस केस के बारे में जानना चाह रहा था”,रूद्र ने सहज भाव से कहा l
“मिस्टर रूद्र प्रताप ! वो केस तुम्हारे यहाँ आने से पहले का है जो की क्लोज हो चूका है बेहतर होगा तुम इस से दूर रहो l

बिना मेरी इजाजत के तुम किसी केस को स्टडी करने की कोशिश नहीं करोगे”,कमिश्नर ने सख्त लहजे में कहा
“पर क्यों सर ? पाकीजा केस की फाइल मैं क्यों नही देख सकता ? “,रूद्र ने कहा
“क्योकि एक साल पहले वो केस बंद हो चूका है”,कमिशनर ने रूद्र को घूरते हुए कहा l
“केस वापस भी ओपन हो सकता है l”,इस बार रूद्र ने कमिशनर की आँखों में देखते हुए कहा l
“तुम्हारे कहने का मतलब क्या है ?”,कमीश्नर ने घबराई हुई आवाज में कहा l


“मैं क्या कहता हु ? और क्यों कहता हु ? आपको जल्द ही समझ आ जाएगा”,रूद्र ने लगभग आँखों में देखते हुए कहा l
कमिशनर के माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी l रूद्र ने जेब से रुमाल निकालकर उनकी तरफ बढाकर कहा,”पसीना पोछ लीजिये सर !
कमिशनर ने रूद्र के हाथ से रूमाल लिया और पसीना पोछ का वापस उसकी तरफ बढ़ा दिया तो रूद्र ने होंठो पर रहस्य्मयी मुस्कान लाकर कहा ,”रख लीजिये सर ! आगे इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है “


रूद्र की बात सुनकर कमिशनर सकपका गया l रूद्र वहा से अपने केबिन की तरफ बढ़ गया कमिशनर वहा से बाहर निकल आया और गाड़ी में बैठकर किसी को फ़ोन लगाकर कहा ,”इस नए इंस्पेक्टर का तुरंत तबादला करवाओ वरना सब के सब फसोगे”
“पहले ये बताओ की वो फाइल उसके हाथ लगी कैसे ? जबकि वो फाइल तो तेरी कस्टडी में थी”,दूसरी तरफ से किसी की सख्त आवाज उभरी


“मैंने सोचा केस ख़त्म हो चुका है और उसे उम्रकैद की सजा भी मिल चुकी है , मुझे नहीं पता था ऐसा कुछ भी हो जाएगा”,कमिशनर की आवाज से घबराहट साफ झलक रही थी
“सबसे पहले तुम उस फाइल को गायब करो उसके बाद कुछ सोचते है l लोगो के बिच बहुत इज्जत है मेरी अगर इस पर जरा भी आंच आयी तो मैं किसी को नहीं छोडूंगा l रही बात उस नए इंस्पेक्टर की तो उसका ऐसी जगह ट्रांसफर करूँगा की फैमिली के लिए तरस जाएगा वो”,दूसरी तरफ से वही रौबदार आवाज उभरी l


“कुछ भी कीजिये सर , एक बार ये केस रीओपन हो गया तो सब के सब फस जायेंगे”,कमिशनर ने डरते डरते कहा
“तुम डरते बहुत हो कमिशनर , जब एक साल पहले हमारा सच किसी के सामने नहीं आया तो अब क्या आएगा , तूम बेफिक्र रहो l नया इंस्पेक्टर है थोड़ा तो फड़फड़ायेगा ही फड़फड़ाने दो”,दूसरी तरफ से वही आवाज उभरी
“सर वो मेरे फंड का क्या हुआ ?”,कमिशनर ने गिड़गिड़ाते हुए कहा


“वो भी मिल जाएगा कमिशनर , वादा किया है तो निभाउंगा भी l आज शाम को फार्म हॉउस पर पार्टी है तुम आ रहे हो न”,उसने कहा
“हां हां बिल्कुल , गुप्ता जी भी आ रहे है l”,कमिशनर ने कहा
कुछ देर दोनों में बात हुयी और फिर कमिशनर ने फोन काट दिया l उन्होंने कार के शीशे से बाहर देखा सामने कुछ ही दूरी पर खड़ा रूद्र उन्हें ही देख रहा था l

कमिशनर ने जल्दी से ड्राइवर को वहा से चलने को कहा l धूल का गुब्बार उड़ाती कार तेजी से वहा से निकल गयी
रूद्र अपने केबिन में चला आया l केबिन में आकर रूद्र अपनी कुर्सी पर आ बैठा और सोच में पड़ गया l उसे समझ नहीं आया आखिर कमिशनर को उस फाइल के गायब होंने से फर्क क्यों पड़ा l कमिशनर कि बेचैनी से रूद्र ने इतना तो भांप लिया की पाकीजा के केस में उनका कही ना कंही हाथ जरूर है l

रूद्र की इस केस में अब और रूचि बढ़ने लगी लेकिन सच क्या है ये अभी उसे नहीं पता था l इस पूरी कहानी को वह बिच से समझ रहा था कहानी की शुरुआत सिर्फ एक इंसान को पता थी और वह थी “पाकीजा” l पाकीजा ही थी जो रूद्र को इस कहानी की तह तक लेकर जा सकती थी l
“मुझे पाकीजा से मिलना होगा”,रूद्र ने खुद से कहा l


अभी रूद्र इस बारे में सोच ही रहा था की तभी असलम केबिन में आया और कहा ,”सर ! अभी अभी खबर मिली है की शहर के बाहर बनी अंडरकंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में हर्षद पंवार और उसके आदमियो को देखा गया है इस बार वो कुछ बड़ा करने की सोच रहा है l पूरी तैयारी के साथ जाकर हम उन्हें पकड़ सकते है l
“हर्षद पंवार” एक मोस्ट वांटेड क्रिमिनल है जिसकी पुलिस को पिछले दो साल से तलाश है लेकिन सबके बिच रहकर भी वह खुलेआम अपने गैर क़ानूनी धंधे आराम से चला रहा है l

कहा जाता है की किसी बड़े पोलिटिकल लीडर का उसके सर पर हाथ होने की वजह से पुलिस भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रही है l
“ये तुमने अच्छी खबर सुनाई असलम , अगर बात पक्की है तो चलते है”,रूद्र ने उठते हुए कहा l
“मैं पुलिस की एक टीम तैयार करता हु सर “,असलम ने कहा
“नहीं असलम रुको ! तुम्हारे मुताबिक वहा कितने आदमी होंगे ?”,रूद्र ने कुछ सोचते हुए कहा l


“8-10 होंगे सर”,असलम ने कहा
“तो फिर हमे पुलिस फाॅर्स की जरूरत नहीं है , वहा सिर्फ तुम , मैं और प्रवीण चलेंगे”,रूद्र ने कहा
“सिर्फ हम तीन , पर सर वहा बहुत खतरा है “,असलम ने रूद्र की तरफ देखकर कहा
“असलम तुम समझे नहीं पुलिस के लोग जितने कम होंगे खतरा उतना ही कम होगा ! वैसे भी हर्षद मुझे जिन्दा चाहिए उसके जरिये हम इस दलदल की जड़ तक पहुँच सकते है l तुम प्रवीण क अंदर बुलाओ मैं समझाता हु प्लान क्या है ?”,रूद्र ने कहा


असलम बाहर गया और प्रवीण को अंदर आने को कहा l प्रवीण अंदर आया और रूद्र को सेल्यूट करके एक साइड खड़ा हो गया l रूद्र उन दोनों को प्लान समझाने लगा l अभी रूद्र उन्हें प्लान समझा ही रहा था की तभी रागिनी तनतनाती हुई केबिन में आयी और कहा ,”आई सॉरी सर पर मैं ये कहकर रहूंगी , मैं एक लड़की हु इसलिए आपने मुझे अपने साथ ले जाने लायक नहीं समझा l आई ऍम गोल्ड मेडलिस्ट शूटर सर हर्षद और उसके चमचो को तो मैं एक एक निशाने पर ठोक सकती हु”


“तुम बाहर छुपकर हमारी बातें सुन रही थी”,रूद्र ने सहज भाव से कहा
“सॉरी पर ! पर मैं भी आप सबके साथ इस प्लान में शामिल होना चाहती हु , प्लीज़ सर ना मत कहियेगा “,रागिनी ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा l
“अगर तुम आना चाहती हो मैं मना नहीं करूंगा l”,रूद्र ने कहा
रागिनी भी उन तीनो में शामिल हो गयी l

सबको प्लान समझाकर रूद्र ने कपडे चेंज करने को कहा l चारो अब नार्मल कपड़ो में थे l रूद्र ने हलके आसमानी रंग का शर्ट और गहरे रंग की जींस पहनी हुयी थी l आसमानी रंग उसका हमेशा से पसंदीदा रहा है रागिनी ने जब रूद्र को फॉर्मल कपड़ो मे देखा तो बस देखती ही रह गयी l चारो पुलिस स्टेशन से बाहर निकलकर गाड़ी में आ बैठे प्रवीण ड्राइवर सीट पर था रूद्र उसकी बगल में और रागिनी , असलम पीछे l असलम खुश था रागिनी उसके पास जो बैठी थी l


प्रवीण ने गाड़ी बिल्डिंग से कुछ दूर पहले ही रोक दी l दोपहर का वक्त था चारो और सन्नाटा l प्लान के मुताबिक रूद्र और असलम ऊपर गए l रागिनी और प्रवीण निचे अपनी पॉजिशन लेकर छुपकर खड़े हो गए l पहली मंजिल पर पहुंचकर रूद्र ने असलम से पोजीशन लेने को कहा l हर्षद और उसके आदमी सामने ही बैठे थे l मौका पाते ही रूद्र और असलम ने फायरिंग कर दी l वे लोग खुद को सम्हाल पाते इस से पहले ही रूद्र ने एक एक करके सबको शूट कर दिया l

सभी ढेर होकर वही गिर गए लेकिन इसी बिच हर्षद वहा से भाग निकला l फायरिंग के दौरान गोली असलम की बांह से हल्का सा छूकर निकल गयी जिससे उसके हाथ से खून बहने लगा l रूद्र जब उसकी तरफ आया तो असलम ने कहा – मैं ठीक हु सर आप जाईये हर्षद को पकड़िए प्लीज़ “
रूद्र तेजी से उस तरफ गया जिधर से हर्षद भागा था l

रूद्र को हर्षद निचे भागता हुआ दिखा तो वह पहली मंजिल से सीधा निचे कूद गया l जैसे ही हर्षद मेन गेट पर पहुंचा रागिनी ने पैर आगे करके उसे निचे गिरा दिया और तेजी से आगे बढ़कर बन्दुक उस पर तान दी l तब तक रूद्र भी वहा पहुँच गया उसने प्रवीण से ऊपर जाकर असलम को सम्हालने को कहा l प्रवीण वहा से चला गया l जमींन पर पड़ा हर्षद गुस्से में रूद्र को घूर रहा था l रागिनी उस पर पुरी नजर रखे हुए थी


“तू जानता नहीं है इंस्पेक्टर तूने किस से पन्गा लिया है दो दिन , सिर्फ दो दिन लगेंगे मुझे जेल से बाहर निकलने में”,हर्षद ने गुस्से से कहा
हर्षद की बात सुनकर रूद्र को बहुत गुस्सा आया उसने उसे दो तीन जमाकर घूंसे मारे l हर्षद निढाल सा जमीन पर गिरा धूल चाटने लगा l


“सर उड़ा देते है इसे भी बाकि सबकी तरह , कह देंगे इनकाउंटर में मारा गया”,रागिनी ने हर्षद को घूरते हुए कहा
“नहीं रागिनी , इसे मारकर हम इसके धंधे की जड़ तक नहीं पहुँच पाएंगे l इसका जिन्दा रहना हमारे लिए बहुत जरुरी है”,रूद्र ने कहा l
थोड़ी देर में प्रवीण असलम को ले आया उसके हाथ से खून बहना बंद हो चूका था l रागिनी का ध्यान हर्षद से हटकर अब असलम के हाथ पर था

हर्षद को इसी मोके का इंतजार था उसने अपने हाथ से रागिनी के हाथ पर वार किया रागिनी के हाथ से गन दूर जा गिरी l वह उसे उठा पाती इस से पहले ही हर्षद ने अपने पैर से लात मारकर उसे निचे गिरा दिया l
रूद्र ने देखा तो वह हर्षद की तरफ लपका और उसे पीटते हुए कहा – लड़की पे हाथ उठाता है नामर्द कही के !
असलम और प्रवीण रागिनी की तरफ लपके और उसे सम्हाला l

रूद्र ने हर्षद को मार मार कर अधमरा कर दिया और फिर हथकड़ी पहना कर प्रवीण को उसे लेजाकर गाड़ी में बैठाने को कहा l प्रवीण ने हथकड़ी पकड़ी और घसीटता हुआ उसे जीप की तरफ ले जाने लगा रास्ते मे प्रवीण ने भी हर्षद पर अपना हाथ साफ किया और ले जाकर उसे गाड़ी में बैठा दिया
“आर यु ओके ?”,रूद्र ने रागिनी से पूछा जो की निचे जमीन पर बैठी हुई थी l


“हां , सर ! मैं ठीक हु”,कहते हुए रागिनी ने उठने की कोशिश की लेकिन पांव में आयी मोंच की वजह से उठ नहीं पायी l रूद्र ने असलम से जाकर जीप में बैठने को कहा l रूद्र रागिनी के करीब आया उसे गोद में उठाकर जीप की तरफ बढ़ने लगा l रूद्र की नजरे बिल्कुल सामने थी उसने रागिनी को देखा तक नहीं l रागिनी को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही है अपने हाथो से रूद्र के कंधो को थामे उसके चेहरे को एकटक निहारे जा रही थी l

रागिनी के पेट में जैसे तितलियाँ उड़ने लगी मन रूपी मिटटी में प्यार का अंकुर पर रूद्र के चेहरे पर कोई भाव नही था वह ख़ामोशी से चला जा रहा था l जीप के पास आकर रूद्र ने रागिनी को सीट पर बैठाया और खुद आकर आगे सीट पर बैठ गया l
प्रवीण ने गाड़ी स्टार्ट की और पुलिस स्टेशन जाने के लिए आगे बढ़ा दी l स्टेशन पहुंचकर रूद्र ने हर्षद को हवालात में बंद किया और अपने केबिन की तरफ चला गया l

केबिन के बाहर रागिनी अपना पैर पकडे कुर्सी पर बैठी थी प्रवीण न पास पड़ी बोतल उठायी और पानी पिने लगा l असलम भी पास ही खड़ा था एक साथी कॉस्टेबल उसके हाथ की मरहम पट्टी कर रहा था l कुछ देर बाद रूद्र अपनी वर्दी पहने बाहर आया और प्रवीण से कहा ,” मैं किसी जरुरी काम से बाहर जा रहा हु , तब तक तूम लोग सरकारी मेहमान की खातिरदारी करो”
रूद्र वहा से बाहर चला गया तभी असलम ने कहा – अरे ! सर तो अपना फोन यही भूल गए l


“मैं देकर आती हु”,कहते हुए रागिनी ने टेबल पर पड़ा फ़ोन उठाया और दरवाजे की तरफ भागी l अभी उसने 2 कदम ही बढ़ाये थे की तभी प्रवीण ने कहा – रागिनी तुम्हारे तो पैर में चोट लगी थी ना ?
प्रवीण की बात सुनकर रागिनी रुक गयी और अपनी जीभ दांतो तले दबा ली l उसका झुठ पकड़ा गया उसका पैर बिल्कुल ठीक था प्रवीण उसके पास आया और कहा – तुमने ये सब नाटक क्यों किया ?
रागिनी प्रवीण की तरफ देखकर मुस्कुरायी और कहा

“तुम नहीं समझोगे !!

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