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पाकिजा – एक नापाक जिंदगी 35

Pakizah – 35

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 35

“एक वेश्या के बेटे से आखिर इस से ज्यादा ओर क्या उम्मीद की जा सकती है”,अविनाश जी ने शिवेन से ये कड़वे शब्द कहे ओर वहां से चले गए

“वेश्या का बेटा”

शिवेन को छोड़कर सबके दिमाग में बस यही तीन शब्द चल रहे थे l शिवेन की आंख से आंसू निकलकर जमीन पर गिर पड़ा l पिता के कहे शब्द उसके सीने में तीर की भांति चुभने लगे l वह खामोश खड़ा अविनाश जी को जाते हुए देखता रहा l
शिवेन की आँखों मे आँसू देखकर पाकिजा ने उसका हाथ थाम लिया l

शिवेन पाकिजा की तरफ देखने लगा पाकिजा ने अपनी पलके झपकाकर शिवेन को आश्वस्त किया l
राघव ने गाड़ी स्टार्ट की सब आकर गाड़ी में बैठ गए l सब खामोश थे राघव ओर मयंक के चेहरे से गुस्सा साफ झलक रहा था आखिर शिवेन ने जिसे दोनो भाई मानते थे दोस्त होकर उसने दोनो से इतनी बड़ी बात छुपाई l


शिवेन जानता था मयंक ओर राघव उस से गुस्सा है उसने राघव से गाड़ी रोकने को कहा l राघव ने गाड़ी सड़क किनारे रोक दी l शिवेन ने सबसे गाड़ी से उतरने को कहा l सामने ही रेस्टोरेंट था शिवेन सबको लेकर वहां गया l
सब आकर बैठ गए शिवेन ने सबके लिए कॉफी आर्डर की ओर आकर सबके बीच बैठ गया l l शिवेन ने सबके चेहरों की तरफ देखा और फिर कहने लगा

“मैं जानता हूं तुम सब इस वक्त मुझसे बहुत खफा हो और होना भी चाहिए मैने तुम लोगो से इतनी बड़ी बात जो छुपाई l मैंने नही सोचा था कि ये बात इस तरह तुम सबके सामने आएगी l
मेरी माँ का नाम वसुधा था , वो एक लड़के से बहुत प्यार करती थी शादी के नाम पर वह लड़का उन्हें इस शहर में ले आया और कुछ दिन साथ गुजार कर उन्हें कोठे पर बेच दिया l

वहां उनकी जिंदगी बद से बदतर होती चली गयी l माँ की जिंदगी में कोई खुशी कोई उम्मीद नहीं बची थी l ओर फिर उनकी जिंदगी में मेरे डेड आये अविनाश जी ,,
उनकी मुलाकात माँ से कोठे पर ही हुई l धीरे धीरे मुलाकाते बढ़ने लगी और प्यार में बदल गयी l माँ एक बार फिर से मुस्कुराने लगी , जीने लगी , सपने देखने लगी l अविनाश जी पहले से शादीशुदा थे पर ये बात उन्होंने कभी माँ को नही बताई l


उनकी मोहब्बत थी या माँ का वहम माँ उनपर खुद से ज्यादा भरोसा करने लगी और एक दिन माँ ने उन्हें बताया कि वे पेट से है l
डेड ने ये कहकर उन्हें छोड़ दिया की वह किसी ओर के पाप को उनका बच्चा बता रही है पर सच क्या था ये दोनों ही जानते थे l माँ एक बार फिर धोखे का शिकार हुई उस दिन के बाद माँ ने रोज़ इंतजार किया पर डेड नही आये l माँ ने बिस्तर पकड़ लिया ऐसी स्तिथी में मैं उनके पेट मे था l


9 महीने बाद माँ ने मुझे जन्म दिया और मेरा नाम रखा शिव l वे वही रहकर मुझे पालने लगी देखते देखते 7 साल गुजर गए पर डेड नही आये और एक शाम वो आये और माँ से मुझे ले जाने की बात कहने लगे l
ये उनका प्यार नही था बल्कि अपना वंश चलाने की चाह उन्हें एक बार फिर उन बदनाम गलियों में खींच लाई l एक एक्सीडेंट ने उनसे उनके पिता बनने का हक छीन लिया l उस वक्त उनकी कोई औलाद नही थी शिवाय मेरे l

माँ ने साफ इंकार कर दिया डेड ने उनसे माफी मांगी , प्यार का वास्ता दिया , कितनी ही मिन्नते की लेकिन माँ ने मना कर दिया l कैसे भला एक माँ अपने बच्चे को किसी ओर को सौंप सकती है l ओर फिर एक दिन माँ मुझे छोड़कर चली गयी हमेशा हमेशा के लिए l पर जाते जाते उन्होंने मुझसे एक वादा लिया कि मैं कभी अपने पिता जैसा ना बनू ओर उनके जैसी किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद होने से बचा लू l


माँ के गुजर जाने के बाद डेड मुझे अपने साथ ले आये l उनके घर मे मुझे सब कुछ मिला बस नही मिला तो उनका प्यार वो मुझे कभी अपने बेटे के रूप में अपना ही नही पाए l पाकिजा को जब मैंने पहली बार देखा तो न जाने क्यों खुद को उस से जुड़ा हुआ महसूस किया l धीरे धीरे जब इसे जानने लगा इसकी कहानी जानने लगा तो मेरा अतीत एक बार फिर मेरी आँखों के सामने आ गया l

मेरी माँ और पाकिजा की कहानी एक जैसी थी पर मेरे डेड ने जो माँ के साथ किया वो मैं कभी पाकिजा के साथ नही करना चाहता था l मैं अपने डेड जैसा नही बनना चाहता था l


मैं पाकिजा को वो सब देना चाहता था जो माँ को नही मिला लेकिन पाकिजा को अपने अतीत के रूप में देखकर डेड ये सह नही पाए l वो मुझसे हारना नही चाहते थे l
सालो पहले माँ छोड़कर चली गयी और आज डेड एक बार फिर मुझे अनाथ करके चले गए”

कहते कहते शिवेन की आंखो से आंसू बहने लगे l

राघव उठा और शिवेन को गले लगाकर कहा,”किसने कहा तू अनाथ है हमारे होते तू अनाथ नही हो सकता l”
शिवेन ने राघव को गले लगाए रखा और फिर कुछ देर बाद अलग होकर पाकिजा के सामने जाकर कहा,”मुझे माफ़ कर दो पाकिजा”
“ऐसा मत कहिये आपने कुछ गलत नही किया l

जिस बात से आपको तकलीफ हो हम नही चाहेंगे वो बात आप हमें कभी बताये l आपकी माँ बहुत खुशनसीब होगी जिन्हें आप जैसा बेटा मिला और उनसे भी ज्यादा खुशनसीब है हम जो हमे आप जैसा शौहर मिला l

जो इंसान अपनी अम्मी से इतना प्यार करता है कि उनके एक वादे को निभाने के लिए हम जैसी लड़की से शादी कर ली वो इंसान हमे कितना प्यार करेगा”,पाकिजा ने शिवेन के हाथों को अपने हाथों में थामकर नम आंखों के साथ कहा l


शिवेन को पाकिजा की आंखो में अपने लिए बेइंतहा प्यार और भरोसा नजर आ रहा था l

वेटर सबके लिए टेबल पर कॉफी रखकर चला गया l सारे साथ बैठकर कॉफी पीने लगे l

“शिवेन अब आगे का क्या सोचा है”,मयंक ने कॉफी पीते हुए पूछा

“कुछ समझ नही आ रहा यार क्या करूँ ?”,शिवेन ने उदास होकर कहा

“आज सुबह मेरी इंस्पेक्टर से बात हुई थी उन्होंने बताया कि उन्होंने अम्माजी को अरेस्ट कर लिया है और उनके खिलाफ चार्जशीट भी तैयार कर ली है l जल्दी ही वे उसे कोर्ट में पेश करेंगे l जब तक ये मामला सुलझ नही जाता तब तक तुम ओर पाकिजा शहर से बाहर नहीं जा सकते”,राघव ने कहा
“तो फिर क्या करे ?”,शिवेन के चेहरे से परेशानी साफ झलक रही थी l


“तुम दोनों मेरे घर रुकोगे l”,राघव ने कहा
“नही राघव तुम्हारे घर कैसे ? हम फ्लेट पर रुक जाएंगे”,शिवेन ने कहा
“शिवेन तुम लोगो का वहा रुकना इस वक्त बिल्कुल सेफ नही है l घर मे सिर्फ मैं ओर मोम है डेड तो वैसे भी अपने टूर से एक वीक के लिए बाहर गए हुए हैं l”,राघव ने कहा


“लेकिन पाकिजा को लेकर मैं तुम्हारे घर”,शिवेन ने फ़ीर कहा
“शिवेन पाकिजा मेरी बहन की तरह है उसे वहां कोई तकलीफ नही होगी “,राघव ने शिवेन के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा
“राघव सही कह रहा है , भले तुम दोनों की शादी हो गयी हो पर हालात अभी भी सही नही है l तुम्हे राघव की बात मान लेनी चाहिए”,मयंक ने कहा l


“ठीक है लेकिन एक बार पाकिजा से पूछ लो”,शिवेन ने पाकिजा की तरफ देखकर कहा
“जहा शिव रहेंगे वही हमारा ठिकाना होगा”,पाकिजा ने धीरे से कहा l

सबको राघव की बात सही लगी l इसलिए शिवेन ओर पाकिजा ने राघव के घर जाना सही समझा l
“सोंनाली आप भी हमारे साथ चलो हमारे घर”,राघव ने सोच में डूबी हुई सोंनाली से कहा l
“नही राघव मैं आप लोगो के साथ नही आ सकती l मेरा साथ बस यही तक का था पाकिजा ओर शिवेन मिल जाये इसके बाद मैं चली जाउंगी”,सोंनाली ने कहा


“पर आप कहा जाएंगी बाजी ?”,पाकिजा ने चिंता जताते हुए पूछा l
“राजसमन्द ! अपने घर अपने माँ बाबूजी के पास ! तुम सब लोगो की तरह हमारा भी घर है , परिवार है मैं वहां जाउंगी इतने सालों बाद उनसे मिलूंगी l हो सकता है पहले पहल वो मुझे न अपनाए पर यकीन है कि जरूर अपना लेंगे”,सोंनाली ने आंखो में चमक भरते हुए कहा l


“ये तो बहुत अच्छी बात है सोंनाली , तुम्हे कभी भी किसी भी तरह की मदद चाहिए तो मुझसे जरूर करना l तुम्हारा बहूत बड़ा अहसान है मुझ पर”,शिवेन ने प्यार से कहा
“हमारे प्यार को अहसान का नाम मत दीजिये l बस मीठी प्यारी सी पाकिजा को हमेशा ऐसे ही प्यार करना और हमेशा इसका यू ही साथ निभाना l

ओर हमे आप लोगो से कुछ नही चाहिए”,सोंनाली ने मुस्कुराकर कहा l
पाकिजा ने सुना तो उठकर सोंनाली के गले लग गयी

थोड़ी देर बाद सोंनाली ने वहां से जाने की इजाजत मांगी l शिवेन ने मयंक से सोंनाली को स्टेशन तक छोड़ने के लिए कहा ओर खुद पाकिजा ओर राघव के साथ उनके घर के लिए निकल गया l

कमिश्नर का घर

डायनिंग टेबल पर बैठे कमिश्नर साहब खाना खा रहे थे कि तभी उनका मोबाइल बजा l कमिश्नर साहब ने फोन उठाया दूसरी तरफ से एक रौबदार आवाज आई
“ये मैं क्या सुन रहा हु कमिश्नर ? तुम्हारे पुलिस वालों ने अम्माजी को गिरफ्तार कर लिया है l देख कमिश्नर अगर इस सब मे मेरा नाम कही आया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा”

कमिश्नर – ये आप क्या कह रहै है पाटिल साहब ! मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है

तूने मुझे बेवकूफ समझा है क्या कमिश्नर ? अगर आज ही तूने अम्माजी को रिहा नही करवाया तो मेरे साथ साथ तू ओर शर्मा भी जेल जाएगा l

कमिश्नर – ऐसा कुछ नही होगा आप शांत हो जाइए l अम्माजी को मैं देख लूंगा

तेरे उस इंस्पेक्टर ने मेरे धंधों पर ताला जड़ दिया है और वो अम्माजी वो दो चार डंडे पड़ते ही सब उगल देगी l मुझे उस पर भरोसा नही है उसे जेल से बाहर निकालो ओर खत्म कर दो

कमिश्नर – ये सब इतना भी आसान नही है l मुझे ऊपर जवाब देना पड़ता है

ये मत भूल कमिश्नर तेरी सरकारी तनख्वाह से ज्यादा कीमत मैं तुझे अपने लिए काम करने की देता हूं 12 घंटो के अंदर अंदर मुझे ये केस रफा दफा चाहिए l पाटिल , पाटिल नाम हैं मेरा अगर मैं तेरा फ्यूचर बना सकता हु तो याद रख तेरा प्रजेंट बिगाड़ भी सकता हु l” ,कहकर आदमी ने फोन काट दिया l

कमिश्नर के माथे से पसीने कु बूंदे टपकने लगी l
खाना छोड़कर वह उसी वक्त थाने के लिए निकल गए थाने पहुचकर वह सीधा उस इंस्पेक्टर के पास पहुंचे जिसने अम्माजी को गिरफ्तार किया है l
“किसकी इजाजत से तुमने अम्माजी को गिरफ्तार किया है ? “,कमिश्नर ने चिल्लाकर कहा l

इंस्पेक्टर ने उन्हें सेल्यूट किया ओर कहा,”सर मेरे पास अम्माजी के खिलाफ सबूत है l कोठे की आड़ में वह गैर कानूनी धंधे कर रही है और खबर मिली है कि इसमें कुछ बड़े लोगो का भी हाथ है सर”

“व्हाट रबिश ! अम्माजी के पास कोठे का लाइसेंस है l ओर तुमने बिना मेरी परमिशन के वहा की तलाशी कैसे ली ?”,कमिश्नर ने कहा

“सर मुझे खबर मिली थी”,इंस्पेक्टर ने साधी हुई आवाज में कहा

“खबर मिली हो लेकिन तुमने पूछना भी जरूरी नही समझा”,कमिश्नर चिल्लाते हुये बोला

“सॉरी सर “,इंस्पेक्टर ने कहा

“अभी इसी वक्त अम्माजी को रिहा करो , मूव इट”,कमिश्नर ने आदेश दिया l

“सॉरी सर मैं ऐसा नही कर सकता l उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार हो चुकी है l'”,इंस्पेक्टर ने कहा

“चार्जशीट बदली जा सकती है l तुम अभी के अभी उन्हें रिहा करो”,कमिश्नर ने झुंझलाते हुए कहा

“सर मुझे समझ नही आ रहा अम्माजी जैसी गुनहगार को छुड़ाने के लिए आप इतना जोर क्यों दे रहे है”,इंस्पेक्टर ने कमिश्नर की आंखो में झांकते हुये कहा l
“व्हाट डू यू मीन ?”,कमिश्नर ने कहा

“आई मीन टू से सर की कही उन बडे लोगो की लिस्ट में आपका नाम तो शामिल नही जो अम्माजी के साथ मिले हुए है”,इंस्पेक्टर ने अपने एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहा

इंस्पेक्टर की बात सुनकर कमिश्नर सकपका गया और इधर उधर देखने लगा l इंस्पेक्टर ने उनका चेहरा भांप लिया लेकिन खामोश रहा l

“अम्माजी को रिहा करो ये मेरा आर्डर है”,कमिश्नर ने चिल्लाते हुए कहा

“सॉरी सर मुझे ऊपर से आर्डर मिला है इस केस को देखने का ओर अम्माजी को कस्टडी में रखने का l इस वक्त मैं आपके किसी भी आर्डर को फॉलो नही कर सकता i am sorry सर”,इंस्पेक्टर ने कहा और वहां से चला गया l

कमिश्नर गुस्से में खड़ा देखता रहा तभी उसका फोन बजा ओर दूसरी तरफ़ से आवाज आई
“क्या हुआ कमिश्नर मैंने जो कहा वो काम हुआ या नही ?

“पाटिल साहब आपने जितना सोचा है उतना आसान नही है ये , जिस इंस्पेक्टर ने अम्माजी को गिरफ्तार किया है उसके पास उनके खिलाफ सबूत है l मैं कुछ नही कर सकता”,कमिश्नर ने निराश होकर कहा

कुछ नही कर सकते तो कमिश्नर क्या झक मारने के लिए बने हो ? कौन है वो इंस्पेक्टर जो इतना उछल रहा है ? नाम क्या है उसका ?

“उसका नाम “असलम खान कुरेशी” है सर”,कमिश्नर ने कहा

दूसरी तरफ से फोन कट गया l डर के मारे कमिश्नर के माथे से पसीने की बूंदे बहकर फोन की स्क्रीन पर आ गिरी जिसमे कमिश्नर को अपना अक्स नजर आ रहा था l जो कि बहुत ही भयानक दिख रहा था l

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Continue With Part Pakizah – 36

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