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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 27

Pakizah – 27

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 27


शिवेन पाकीजा को पहले से तय जगह पर लेकर पहुंचा l पाकीजा ने देखा तो आँखे खुली की खुली रह गयी सामने दूर तक समंदर फैला हुआ था l चारो तरफ दियो से सजावट की हुई थी l दियो की रोशनी से समंदर का पानी सुनहरा नजर आ रहा था पाकीजा के साथ साथ राघव और मयंक भी चौंक गए l पाकीजा कुछ कदम आगे बढ़ी और वहा फैले खूबसूरत नजारे को आँखों में उतारने लगी l

“अच्छा बेटा जी तो इसलिए आज होटल से जल्दी निकल गए”,राघव ने फुसफुसाते हुये शिवेन के कान में कहा l

शिवेन मुस्कुरा उठा और पाकीजा को देखने लगा l

पाकीजा किनारे जाकर खड़ी हो गयी पानी की लहरे उसके पांव भिगोने लगी l पाकिजा को बहुत अच्छा लग रहा था l उसका मन किया आगे पानी में जाने का उसने पलटकर शिवेन की तरफ देखा शिवेन जो की हमेशा उसके दिल की बात जान लेता था ने मुस्कुराते हुए सहमति में अपनी गर्दन हिला दी l पाकीजा को जैसे आजादी मिल गयी हो वह कुछ आगे गयी और पानी में उछल कूद करने लगी l

वह बेपरवाह सी पानी से खेलने लगी शिवेन की नजरे तो बस उसके चेहरे पर जम सी गयी वह बड़े प्यार से पाकीजा को देखने लगा l मयंक ने पाकीजा को मस्ती करते देखा तो उस से रहा नहीं गया वह भी दौड़कर किनारे गया मयंक को देखकर पाकीजा रुक गयी लेकिन अगले ही पल उसके दिमाग में शरारत सूझी और उसने निचे झुककर अपने हाथो में पानी भरा और मयंक में उछाल दिया l

मयंक भीग गया और गुस्से से पाकीजा की तरफ देखने लगा l पाकीजा सहम गयी उसे डरा हुआ देखकर मयंक मुस्कुरा उठा l पाकीजा भी मुस्कुराने लगी

दोनों मिलकर पानी से खेलने लगे l शिवेन दूर खड़ा उन पलो को अपने फोन में कैद करने लगा l

राघव कभी खेलती हुयी पाकीजा को देखता तो कभी मुस्कुराते हुए शिवेन को l मयंक और पाकीजा की अच्छी दोस्ती हो गयी थी वजह थी दोनों का अल्हड़पन और बचपना l

“पाकीजा , मयंक पानी से बाहर आ जाओ l बीमार हो जाओगे ?”,शिवेन ने कहा

दोनों पानी से निकलकर बाहर आ गए l राघव ने गाड़ी में पड़ा टॉवेल लाकर मयंक को दिया l मयंक ने पहले पाकीजा से पोछने को कहा बाद में टॉवल लेकर खुद पोछने लगा l ख़ुशी पाकीजा के चेहरे से साफ झलक रही थी l शिवेन सबको लेकर वहा से आगे बढ़ा

कुछ ही दूर जाकर समंदर किनारे एक जगह लकड़ियों को इक्क्ठा करके आग जलाई हुई थी और उसके सामने बैठने के लिए कुछ बड़े पत्थर पडे थे शिवेन सबके साथ आकर वहा बैठ गया l आग के सामने आकर मयंक और पाकीजा को बहुत राहत मिली l राघव और शिवेन भी वही बैठे थे l

चारो बैठकर बात करने लगे l मयंक पाकीजा के साथ जितना सहज था राघव के मन में उतनी ही बेचैनी l उसे अभी भी पाकीजा पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन शिवेन की ख़ुशी के लिए वह चुपचाप सब देख रहा था l बातें करते हुए मयंक ने कहा ,”पाकीजा तुम्हारी आवाज कितनी प्यारी है , तुम्हे गाना गाना आता है ?

“गाना……………..हमे ! हमें गाना नहीं आता”,पाकीजा ने कहा

“झूठ मत बोलो ! लड़कियों को तो गाने का बहुत शौक होता है”,मयंक ने कहा

पाकीजा मना करती रही लेकिन मयंक तो उसके पीछे ही पड़ गया पाकीजा शिवेन की तरफ देखने लगी तो शिवेन ने अपने कंधे उचका दिए l हारकर पाकीजा ने कहा ,”मुझे एक पहाड़ी गाना आता है”

“चलेगा ! सुनाओ”,कहकर मयंक बच्चो की तरह उसके सामने आकर बैठ गया l मयंक की देखा देखी में शिवेन और राघव भी आकर उसके सामने बैठ गए l पाकीजा ने अपनी आँखे बंद की और गाना शुरू किया जो वह अक्सर अपनी अम्मी से सूना करती थी

“सुन रे दगड़या बात सुनी जा …
बात सुनी जा मेरी …
सुन रे दगड़या बात सुनी जा …
बात सुनी जा मेरी …
जिकुड़ी मा नौउ तेरु लिख्यु च ..
आंख्यु मा छाप तेरी ..”

पाकीजा का गाना सुनकर मयंक राघव की तरफ देखने लगा दोनों ही गाना समझ नहीं आ रहा था l पर शिवेन वो बस पाकीजा के चेहरे की तरफ देखे जा रहा था l पाकीजा ने आँखे खोली शिवेन उसे ही देख रहा था पाकीजा ने मयंक से कहा

“समझ आया आपको ?”

“समझ तो नहीं आया पर सुनकर अच्छा लगा”,मयंक ने मासूमियत से कहा तो शिवेन और राघव जोर जोर से हसने लगे l मयंक ने भी उनका साथ देते हुए हँसना शुरू कर दिया l उन्हें हसता देखकर पाकीजा उदास हो गयी और वहा से उठकर चली गयी l

राघव ने उसे जाते देखा तो शिवेन की तरफ इशारा किया l शिवेन पाकीजा के पीछे चला आया उसने पाकीजा को आवाज दी लेकिन पाकीजा ने को जवाब नहीं दिया l वह समंदर किनारे आकर खड़ी हो गयी

“तुम यहाँ क्यों चली आई ?”,शिवेन ने उसके पास आकर कहा l

“आप लोग हम पर हस रहे थे , हमे अच्छा नहीं लगा”,पाकीजा ने उदास होकर कहा

“हम लोग तुम पर नहीं हसे बल्कि मयंक की बात पर हँसे थे , वो जब ऐसी स्टुपिड बातें करता है”,शिवेन ने कहा

“सच कह रहे है आप ?”,पाकीजा ने शिवेन की तरफ देखकर पूछा l

“बिल्कुल !!”,शिवेन ने प्यार से पाकीजा की आँखों में देखते हुए कहा l

पाकीजा मुस्कुरा दी तो शिवेन मन ही मन खुद से कहने लगा ,”कितनी मासूम है ये , मेरी हर बात कितनी आसानी से मान लेती है”

शिवेन को खोये हुए देखकर पाकीजा ने उसके सामने हाथ हिलाते हुए कहा,”आप ये अचानक कहा खो जाते है ?”

“कही नहीं , अच्छा ये बताओ मेरे दोस्त कैसे लगे ?”,शिवेन ने कहा

“बहुत अच्छे है , मयंक जी तो बिल्कुल मेरे जैसे है l राघव जी थोड़े शांत रहते है पर वो भी बहुत अच्छे है l शुक्रिया मुझे यहाँ लाने के लिए”,पाकीजा ने खुश होते हुए कहा l

“शुक्रिया कहकर पराया मत करो ! ये सब तुम्हारे लिए ही किया ताकि तुम देख सको की बाहर की दुनिया कितनी खूबसूरत है “,शिवेन ने प्यार से पाकीजा की और देखते हुए कहा l

“आपकी दुनिया बहुत खूबसूरत है शिवेन जी”,पाकीजा ने समंदर की और देखते हुए कहा l

“मेरी इस दुनिया का हिस्सा बनोगी ?”,शिवेन ने धड़कते दिल के साथ कहा l

पाकीजा शिवेन की तरफ देखने लगी और कहा ,”जबसे आप मेरी जिंदगी में आये है मैं आपका ही तो हिस्सा हु”

पाकीजा जितनी खूबसूरत थी बातें भी उतनी ही खूबसूरती से करती थी शिवेन तो बस दिल थाम लेता !! दोनों खामोश खड़े समंदर की आती जाती लहरों को देखते रहे l

ठंडी हवाएं चल रही थी पाकीजा को हलकी सिहरन महसूस हुयी तो उसने अपने हाथो को समेट लिया l शिवेन ने देखा तो अपनी जैकेट उतारी और पाकीजा के कंधो पर रख दी l शिवेन का दिल किया आज पाकीजा को अपने दिल की बात कह दे l शिवेन पाकीजा के सामने आया और कहा ,”पाकीजा मुझे तुमसे प्या…………………….!!”

“अरे ! तूम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो ? घर बसाने का इरादा है क्या ?”,मयंक ने आकर शिवेन की बात पूरी होने से पहले ही कह दिया l

शिवेन ने अपना सर पिट लिया कितनी हिम्मत से वो पाकीजा को अपने दिल की बात कहने वाला था और मयंक ने आकर सब गुड़ गोबर कर दिया l राघव भी चला आया और कहा ,”शिवेन ! पाकीजा को भूख लगी होगी चल ना चलते है और कुछ खा लेते है”

“भाई पहली बार तूने कोई ढंग की बात की है , मुझे भी बहुत भूख लगी है “,मयंक ने कहा

बेचारा शिवेन कहा अपने दिल की बात कहना चाह रहा था और कहा ये सारे भुखड़ खाने की बात कर रहे थे l मन मारकर शिवेन ने एक नजर पाकीजा को देखा और फिर सबको लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ गया l गाड़ी इस बार वह खुद ड्राइव कर रहा था l पाकीजा और मयंक पीछे बैठकर बातें कर रहे थे l राघव सर सीट् से लगाए खिड़की से बाहर देखने लगा l

शिवेन ने एक रेस्टोरेंट के सामने आकर गाड़ी रोकी l चारो गाड़ी से उतरे और अंदर गार्डन में आकर बैठ गए l रात के 11 बज रहे थे इसलिए वहा इक्का दुक्का लोग ही थे l शिवेन पाकीजा के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया मयंक ने सबके लिए मंचूरियन पिज़्ज़ा और कोल्ड ड्रिंक आर्डर किया l

पाकीजा खामोश नजरो से अपने आस पास की चीजों को ऐसे देख रही थी जैसे वह किसी और दुनिया में आ गयी है l शिवेन ने पाकीजा का हाथ अपने हाथ में लिया और अपने पांव पर रखकर अनजान बनकर बैठ गया l पाकीजा शिवेन की तरफ देखने लगी तो शिवेन ने उसका हाथ और मजबूती से पकड़ लिया l पाकीजा जितना छुड़ाने की कोशिश करती शिवेन उतनी ही मजबूती से उसके हाथ को थाम लेता l

वेटर खाना ले आया l राघव ने सबकी प्लेट में खाना सर्व किया l मयंक शिवेन और राघव कांटे चम्मच का इस्तेमाल करते हुए खाने लगे l पाकीजा ने भी कांटे छुरी को उठाया लेकिन खाना कैसे है उसे नहीं पता था l वह कोशिश करती और खाना निचे गिर जाता l मयंक और राघव का ध्यान खाने में था l

शिवेन ने पाकीजा को कांटे छुरी के साथ झूंझते हुए देखा तो उसके हाथ से लेकर निचे प्लेट में रख दिया और खुद खिलाने लगा l मयंक और राघव ने देखा तो अपना अपना खाना छोड़कर उन दोनों को देखने लगे l

मयंक ने खांसने का नाटक किया तो शिवेन झेंप गया l और दूसरी तरफ देखने लगा

“क्या मैं उसे हाथो से खा लू ?”,पाकिजा ने सकुचाते हुए कहा

“पाकीजा तुम्हे जैसा कम्फर्ट लगे वैसे खा लो”,राघव ने कहा

“कफरट मतलब ?”,पाकीजा ने असमझ की स्तिथि में कहा

“कम्फर्ट मतलब सहज , क्यों लेखक साहब सही कहा ना ?”,शिवेन ने राघव की तरफ देखते हुए कहा l

“हा बिल्कुल सही ! “,राघव मुस्कुराया l

पाकीजा हाथ से खाने लगी उसे मजे से खाता देखकर मयंक ने भी कांटा चम्मच साइड में रखा और हाथ से खाने लगा l

“सच में पाकीजा हाथ से खाने का मजा ही कुछ और है”,मयंक ने अपनी ऊँगली चाटते हुए कहा

पाकीजा मुस्कुरा दी l शिवेन खाना भूलकर इत्मीनान से खाती हुयी पाकीजा को निहारने लगा l मयंक और राघव उठकर हाथ धोने वाशबेसिन की तरफ चले गए l खाना खाते हुए पाकीजा के होंठो से कुछ निचे जरा सा खाना लग गया शिवेन ने देखा तो आगे बढ़कर अपनी ऊँगली से खाने को हटा दिया l पाकीजा की पलके झुक गयी l

खाना खाकर सभी वहा से बाहर निकले रास्ते में आइस क्रीम पार्लर देखकर मयंक ने शिवेन से आइस क्रीम लाने को कहा l

शिवेन ने गाड़ी साइड में लगायी और उतरकर जाने लगा l

“रुक मैं भी आता हु “,कहकर मयंक गाड़ी से उतरा और शिवेन के साथ चला गया l

राघव और पाकीजा भी गाड़ी से उतरकर बाहर आ गए l पाकीजा को राघव का व्यवहार थोड़ा अजीब लगा तो उसने पूछ लिया ,”राघव जी आपसे एक बात पूछे ?

“हम्म्म !!”,राघव ने पाकिजा की तरफ देखे बिना ही कहा

“क्या आपको हमारा यहाँ आना पसंद नहीं आया ? हम देख रहे है जबसे हम आये है आप कुछ चुप चुप है जबकि शिवेन जी ने कहा था आप उनसे बहुत बातें करते है”,पाकीजा एक साँस में सब कह गयी l

राघव ने पाकीजा की तरफ देखा और कहा,”सच कहु तो मुझे तुम्हारा शिवेन के करीब आना बिल्कुल पसंद नहीं आया ! पाकीजा शिवेन एक बहुत सीधा साधा और सच्चा लड़का है l वो ज्यादा इमोशनल है जल्दी ही सब पर भरोसा कर लेता है l मैं नहीं चाहता लोग उसके अच्छे पन का फायदा उठाये l तुम जिस दुनिया से हो वो दुनिया शिवेन के लायक नहीं है l तुम्हारी दुनिया हमारी दुनिया से बहुत अलग है”

राघव ने अपने मन में दबी सारी बात एक साथ कह दी l पाकीजा चुपचाप सब सुनती रही और फिर धीरे से कहा

“माना की मेरी दुनिया आपकी दुनिया से अलग है पर उस दुनिया में हमे पहुंचाने वाले आप मर्द लोग ही है l सौदा करने से लेकर हमारे जिस्म को खरीदने तक में आप मर्द लोग ही भागीदारी निभाते है l हर शाम इस जिस्म को नोचने वाले भी आप मर्द लोग होते है l

एक औरत कभी दूसरी औरत का जिस्म खरीदने कभी नही जाएगी l अगर मर्द अपनी मर्यादा में रहे तो कितनी ही औरते बेआबरू होने से बच जाएँगी l अगर मर्द कोठो पर जाना बंद कर दे तो कोई भी लड़की कभी वैश्या नहीं बनेगी l”

शिवेन जी बहुत अच्छे इंसान है उन्होंने हमे एक नयी जिंदगी दी है इतने दिनो से उन्होंने हमारी आबरू को बचाया हुआ है हमारी जिंदगी में आने वाले वो पहले ऐसे मर्द है जिन्होंने हमे दर्द नहीं दिया बल्कि हमारे जख्मो पर मरहम लगाया l उन्होंने हमारा दर्द समझा , हमे अहसास कराया की आज भी दुनिया में कही अच्छे लोग है l खुदा के बाद अगर हम किसी को मानते है तो वो सिर्फ शिवेन जी है और जरूरत पड़ने पर उनके लिए हम अपनी जान भी देने को तैयार है l “

इतना कहकर पाकीजा चुप हो गयी l राघव शर्म से नजरे झुकाये निचे देखने लगा l पाकीजा का एक एक शब्द उसके मन पर वार कर रहा था l उसने महसूस किया पाकीजा बहुत अलग थी l एक वैश्या की जो धारणा उसने अपने मन में बना रखी थी पाकीजा ने उसे मिटटी में मिला दिया l उसने साबित कर दिया की हर लड़की वैश्या नहीं होती है l भले उनका शरीर मैला हो पर मन हमेशा साफ रहता है

राघव पाकीजा के पास आया और उसका हाथ पकड़कर कहा,”मुझे माफ़ कर दो पाकीजा मैं तुम्हारे बारे में गलत सोचता था तुम नहीं बल्कि मैं दूसरी दुनिया से हु जो तुम्हे समझ नहीं पाया l “

“अरे ! आप माफ़ी मत मांगिये , बल्कि मुझे तो आपका और मयंक जी का शुक्रिया अदा कर चाहिए आज आप लोगो ने जो प्यार , सम्मान दिया ख़ुशी दी वो हम जिंदगीभर नहीं भूलेंगे l “,पाकीजा ने मुस्कुराते हुए कहा l

“पाकीजा तुम बिल्कुल अपने नाम की तरह हो “पाक” , भगवान तुम्हे हमेशा खुश रखे और तुम यु ही मुस्कुराती रहो”,राघव ने प्यार से उसके गाल को छूते हुए कहा l

पाकीजा मुस्कुरा दी l आज वह सच में बहुत खुश थी l

“फ्रेंड्स ?”,राघव ने अपना हाथ पाकीजा की तरफ बढाकर कहा

“फ़्रांस”,पाकीजा ने अपना हाथ बढाकर कहा तो राघव हसने लगा और कहा ,”फ़्रांस नहीं फ्रेंड्स !!

“मतलब दोस्त ही ना ?”,पाकीजा ने हाथ मिलाते हुए हँसते हुए कहा

“हां , दोस्त ! आज से शिवेन ही नहीं बल्कि मैं और मयंक भी तुम्हारे साथ है l तुम चिंता मत करो बहुत जल्द हम सा मिलकर तुम्हे हमारी दुनिया में ले आएंगे “,राघव ने पाकीजा को विश्वास दिलाते हुए कहा

शिवेन ओर मयंक आईस क्रीम लेकर आ गए l सभी साथ बैठकर आइस क्रीम खाने लगे l उन लोगो के साथ पाकिजा अपनी दुनिया भूल गयी वह बहुत खुश थी और उसे खुश देखकर शिवेन खुश था l
कुछ देर बाद शिवेन ने सबको चलने को कहा l

गाड़ी जैसे ही जीबी रोड आई पाकिजा का मुस्कुराता चेहरा उदास हो गया l शिवेन ने गाड़ी नुक्कड़ पर ही रोक दी l पाकिजा को साथ लेकर गली में चलने लगा रात के 2 बज रहे रहे l पाकिजा का उदास चेहरा देखकर शिवेन ने उसका हाथ थाम लिया और पलके झपकाकर उसे रिलेक्स होने का इशारा किया l पर पाकिजा के दिल का हाल सिर्फ वो ही जानती थी l उदास सी वह सीढियो के पास आकर रुक गयी l

शिवेन पाकिजा को वहां छोड़कर जाने लगा l कुछ कदम ही चला और फिर पलटकर वापस पाकिजा के पास आया और उसके सामने खड़ा हो गया l
पाकिजा ने बहुत कोशिश की लेकिन खुद को रोक नही पाई और फिर आंसुओ की बूंदे आंखो से आ गिरी l
शिवेन ने प्यार से उसके चेहरे को अपने हाथों में थामा ओर उसके माथे पर किस करते हुये कहा,”चिंता मत करो मैं बहुत जल्द तुम्हे यहां से ले जाऊंगा”


शिवेन के होंठो ने जब पकीजा के माथे को छुआ तो उसने अपनी पलके मूंद ली l शिवेन चला गया पाकिजा उदास होकर ऊपर चली आयी l l जैसे ही वह अपने कमरे में आई सोनाली को वहां देखकर चौक गयी l
“बाजी आप यहां ? इतनी रात को ! आप अभी तक सोई नही ?”,पाकिजा ने कहा
“ये सब क्या चल रहा है पाकिजा ?”,सोनाली ने बिना किसी भाव के पूछा l


“क्या बाजी ? आप किस बारे में बात कर रही है ?”,पाकिजा ने हैरानी से सोनाली की तरफ देखते हुए कहा
“उसी बारे में जो तुमने इस डायरी में लिखा हैं”,कहते हुए सोनाली ने डायरी क़ा तीसरा पेज पाकिजा की आंखो के सामने कर दिया जिसमें लिखा था

“अगर तुम ना आते तो ये शाम सहर ना होती , पर तुम आये !!”

पाकिजा ने पढ़ा और सोनाली के हाथ से डायरी छीन ली l
“ये आपको कहा से मिली बाजी ?”,पाकिजा ने डायरी को टेबल की दराज में रखते हुए पूछा l

“वो सब छोड़ पाकिजा मैंने जो पूछा पहले उसका जवाब दे , ये सब क्या है ?”,सोनाली ने इस बार सख्ती से पूछा l
सोनाली की बात सुनकर पाकिजा खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गयी और कहने लगी

“मैं खुद नही जानती बाजी ये सब क्या है ? पर जो उनसे वो किसी से नही l उनके साथ जिंदगी का दूसरा रूप देखा है मैंने !! जिंदगी खूबसूरत भी होती है ये उन्होंने दिखाया मुझे l खुशी क्या होती हैं ये उनकी आंखो में देखी मैंने जब वो मेरे करीब होते है l मैं नही जानती ये सब क्यों है पर मैं चाहती हु वो हमेशा मेरे पास रहे मेरे साथ रहे l

मैं भी सपने देखना चाहती हु , मैं भी जीना चाहती हु l उनकी बातों में मुझे हमेशा अपने लिए सिर्फ प्यार और अपनापन नज़र आता है l वो मेरे दिल दिमाग और मेरी सोच में बस चुके है”
कहते कहते पाकिजा का गला रुंध गया l

सोनाली पाकिजा के पास आई ओर उसकी बाँह पकड़ कर उसे अपनी तरफ खिंचते हुए कहा ,”पाकिजा कही तुझे उस से प्यार तो नही हो गया ?”,

पाकिजा ने अपनी आंखें मूंद ली आंसू की बूंद आकर गालो पर ठहर गयी उसने दर्दभरी आवाज में कहा

“सबकी जिंदगी में आता है एक बार ये कायम है मेरे उस रब तक !!
ये इश्क़ तो इक दिन होना ही था मैं रोकती भी तो खुद को कब तक !!

Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27 Pakizah – 27

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