पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 15

Pakizah – 15

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 15

मुरली सभी लड़कियों को लेकर वहां से निकल जाता है l सभी चुप चाप गाड़ी में बैठीं थी l मुरली ड्राइवर के साथ आगे बैठा था l कभी कभी गर्दन घुमाकर पीछे बैठी सोनाली को देख लेता l
“अच्छा हुआ मैं सही वक्त पर वहां पहुंच गया वरना सबकी सब धरी जाती”,मुरली ने कहा
“डरता क्या है ? जमानत पर वापस आ जाते ना इतनी तो चलती है अपनी अम्माजी की”,पीछे बैठी शबनम ने कहा

“जमानत के नाम पर उन पुलिस वालों को क्या देना पड़ता है सब मालूम है मेरे को , सालो को मौका चाहिए बस”,मुरली ने कहा
“गुस्सा क्यों होता है मुरली सब ठीक है ना अब”,इस बार सोनाली ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा l
मुरली ने कुछ नही कहा बस सोनाली का हाथ पकड़ कर खिड़की के बाहर देखता रहा l
सब लड़कियो को अपनी ओर घुरता पाकर सोनाली ने मुरली का हाथ छोड़ दिया l ओर पाकिजा की तरफ देखने लगी l

गुमसुम सी बैठी पाकिजा ना जाने कहा खोयी हुई थी सोनाली ने प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछा ,” क्या हुआ कहा खोयी है ?
पाकिजा – कुछ नही !
सोनाली – अच्छा ये बता तेरे साथ खड़ा वो लड़का कौन था ? दिख तो अच्छे घर का रहा था , तू जानती है क्या उसे ?
पाकिजा – नही नही बाजी मैं नही जानती उसे ! वो भागमभाग में पता नही वो वहां कहा से आ गया l (घबराते हुए)


सोनाली – अरे बाबा ठीक है इसमे इतना परेशान होने वाली बात क्या है ?
पाकिजा ने कुछ नही कहा पर परेशान तो वो अंदर ही अंदर बहुत थी l पहली बार किसी मर्द के करीब आकर उसे अजनबी जैसा महसूस नही हुआ l पाकिजा शिवेन के ही बारे में सोच रही थी बार बार उसका मासूम सा चेहरा उसकी आँखों के सामने आ रहा था l पाकिजा ने अपनी आंखें बंद की ओर सर सोनाली के कंधे पर टिका दिया l
सुनसान सड़क पर गाड़ी अंधेरे को चीरकर आगे बढ़ती जा रही थी l

राघव को सम्हाले मयंक ओर शिवेन दोनो शिवेन के फ्लैट पर आए l
“मुझे लगता है आज रात तुम दोनो को यही रुक जाना चाहिए , घर गए तो बहुत मार पड़ेगी”,शिवेन ने फ्लेट का दरवाजा खोलकर अंदर आते हुए कहा
“मुझे भी यही लगता यार , इस कमीने ने भी हद कर दी आज क्या जरूरत थी वहां से दारू लेने की “,मयंक ने राघव को अपने कंधे का सहारा देकर अंदर लाते हुए कहा


मयंक ने राघव को सोफे पर लिटाया ओर खुद किचन की तरफ जाकर पानी की बोतल निकाल लाया पहले खुद पी ओर फिर शिवेन की तरफ बढा दी l शिवेन ने पानी पिया ओर बोतल टेबल पर रख दी l दोनो आकर वही सोफे पर बैठ गए l
“कोई कहेगा ये ब्राह्मणों का लौंडा है , जिस दिन शर्मा जी को पता चला न इसके तो लग जाने है !”,मयंक ने राघव की तरफ देखकर कहा


“हम्ममम्म पता नही यार इसने ये शौक कैसे पाल लिया ? मुझे भी नही पसन्द ये सब”,शिवेन ने अपनी गर्दन के नीचे तकिया लगते हुए कहा
“भूल गया फर्स्ट ईयर पास करके गोआ गया था अपने कजिन्स के साथ बस वही से सीखकर आया है और ऐसा सीखा है कि मुझे लगता है सालभर में सारे शहर की दारू ये अकेला पी जाएगा”,मयंक ने कहा


शिवेन हँसने लगा तो मयंक ने खीजकर कहा – हां हस ले तू तो यहां रहता है तुझे कोई कुछ कहेगा नही ओर शर्मा जी इसके साथ साथ मेरी क्लास लगा देते है l ऊपर से उनको घर भी हमारे बाजू में ही लेना था”
“तुझपे नही हंस रहा इस नालायक पर हंसी आ रही है कौन लड़की इस से शादी करेगी”,शिवेन ने कहा l
“अरे ना ! भाई तुझे नही पता अपनी क्लास में जी श्रुति है ना वो फूल लाइन देती है इसे ये ही उसको भाव नही देता”,मयंक ने फुसफुसाते हुये कहा l


“साले ! ये सब कब हुआ ? और तू मुझे अब बता रहा है “,शिवेन ने मयंक पर तकिया फेकते हुए कहा l
“अरे ! मुझे खुद कल ही पता चला , इसको होश आने दे कल सुबह पूछते है”,मयंक ने कहा
“ठीक है ! कुछ पियेगा तू ?”,शिवेन ने किचन की तरफ जाते हुए कहा
“हा तेरे हाथ की एक स्ट्रांग कॉफी”,मयंक ने सोफे पर पसरते हुए कहा l


घड़ी रात के 11 बजा रही थी l शिवेन दो कप कॉफी ले आया l एक कप मयंक को दिया ओर दूसरा खुद लेकर बैठ गया l
“अच्छा ये बता तू अचनाक से कहा गायब हो गया था”,मयंक ने कॉफी पीते हुए कहा l
“ह्म्म्म वो मैं तुम दोनों को ही ढूंढने अंदर गया था और फिर मुझे वो मिल गयी”,शिवेन ने खोयी हुई आवाज में कहा l
“कौन वो ?”,मयंक शिवेन के चेहरे की तरफ देखने लगा
शिवेन – वही मिली थी बार मे


मयंक – बार मे ???
शिवेन – हा
मयंक – भाई गलत लड़की के चक्कर मे पड गया , आधी रात को बार मे आने वाली लड़की के ख्यालो में खोया है तू
शिवेन – मैंने सिर्फ उसकि आंखें देखी थी
मयंक – मतलब सिर्फ आंखे
शिवेन – हा ओर कसम से बहुत खूबसूरत आंखे थी
मयंक – क्या बात है ? लड़की सामने थी और तू सिर्फ आंखे देख कर आ गया l नाम क्या है उसका ?


शिवेन – पता नही
मयंक – कोई एड्रेस ?
शिवेन – पता नही
मयंक – अरे उसका नम्बर लिया या नही


शिवेन – पता नही
मयंक – तो फिर पता क्या है ?
शिवेन – यही की वो आंखे दुनिया की सबसे खूबसूरत आंखे है l
मयंक – ख्वाबो की दुनिया से बाहर आओ सहजादे ओर कॉफी खत्म करके सोने चलो l

मयंक के कहने पर शिवेन ने कॉफी खत्म की ओर फिर दोनों सोने के लिए चले गए l

अम्माजी के ठिकाने पहुँचकर सभी लडकिया अंदर चली गयी l मुरली अम्माजी के पास आया और उन्हें सारी बात बताई l मुरली की बात सुनकर अम्माजी ने कहा ,”मुझे लगा ही था कि ये लड़की जरूर कोई बवाल करवाएगी !”
“अभी सब ठीक है , अम्माजी “,मुरली ने कहा
“उन सबसे मैं सुबह बात करूँगी अभी तु जा ओर जाकर सो जा”,अम्माजी ने उठते हुए कहा l
“अम्माजी मुझे अपने ओर सोनाली के बारे में आपसे कुछ बात करनी है”,मुरली ने हिचकिचाते हुए कहा


“देख मुरलिया मैं तुझे पहले भी कह चुकी हूं ये प्यार वयार का चक्कर छोड़ दे , सोनाली मेरे लिए हुकुम का इक्का है उसे ऐसे नही जानें दूंगी मैं ! चल निकल”,कहकर अम्माजी अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l
मुरली अपना मुंह लटकाये वहां से चला गया और नीचे अपने कमरे में आकर शराब पीने लगा l अम्माजी के चंगुल से सोनाली को निकालना इतना भी आसान नही था l सुबह अम्माजी से बात करने का सोचकर मुरली सोने चला गया l

अगली सुबह जैसे ही उसकी आंख खुली सबसे पहले वह उठकर अम्माजी के पास गया और कहा
“अम्माजी मैं ओर सोनाली एक दूसरे को बहुत चाहते है और शादी करना चाहते है l अम्माजी आज तक मैंने आपसे कुछ नही मांगा आज पहली बार आपसे अपने प्यार की भीख मांगता हूं ! सोनाली को मुझे सौंप दीजिये मैं वादा करता हु मैं उसे सबसे बहुत दूर ले जाऊंगा”


अम्माजी जो कि सामने ही तख्ते पर बैठी थी मुरली की बात सुनकर गुस्से से तिलमिला उठी और कहा,”तुझे एक बार बोलने से समझ नही आता क्या मुरली ! इन वेश्याओ की किस्मत में हर रात नया पति लिखा हैं इनसे शादी का ख्याल छोड़ दे l ये किसी एक मर्द के लिए नही बनी”
“लेकिन मैं उस से प्यार करता हु अम्माजी”,मुरली ने धीमीं आवाज में कहा l
“प्यार जैसे जज्बातो की इन कोठो पर कोई अहमियत नही रहती है मुरली “,अम्माजी ने कहा


“क्यों ? क्या इनके पास दिल नही है , क्या इन्हें हक नही है किसी से प्यार करने का अपना घर बसाने का”,मुरली ने आवाज ऊंची करके कहा
मुरली की आवाज जब सोनाली के कानों में पड़ी तो वह दौड़कर बाहर आई मुरली को इस तरह गुस्से में देखकर वह डर गयी , सोनाली को कुछ समझ नही आया


“अगर इन लड़कियो की किस्मत में प्यार होता ना तो आज ये सब किसी कोठे की रौनक ना बनी होतीं , बहस करके तू खामखा अपना ओर मेरा वक्त जाया कर रहा है “,अम्माजी ने कहा
“पर आज मैं सोनाली को यहां से लेकर ही जाऊंगा अम्माजी “,कहते हुए मुरली जैसे ही सोनाली की तरफ बढा अम्माजी ने एक जोरदार धक्का मुरली की पीठ पर मारा मुरली फर्श पर जा गिरा l सोनाली ने देखा तो वह मुरली की तरफ़ जाने के लिए मुड़ी लेकिन अम्माजी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया l

अम्मा जी ने दरवाजे पर खड़े अपने आदमियो की तरफ इशारा किया तो दोनों आदमी मुरली को बुरी तरह से पीटने लगे l मुरली दर्द से कराहता रहा लेकिन अम्माजी के सामने मुरली को बचाने और अम्माजी के खिलाफ जाने की हिम्मत किसी मे नही थी l सब लडकिया खड़ी खड़ी तमाशा देखती रही l सोनाली से जब नही देखा गया तो वह अम्माजी के पैरों में गिर पड़ी और रोते हुए कहने लगीं ,”मुरली को छोड़ दो अम्माजी , मर जाएगा वो l

तुम जैसा कहोगी में वैसा ही करूँगी भूल जाऊंगी इसे बस इसे छोड़ दो मैं आपके हाथ जोड़ती हु आपके पैर पड़ती हु , भगवान के लिए उसे छोड़ दो l
अम्माजी आदमियो से मुरली को छोड़ने के लिए इशारा करती है l सोनाली दोड़कर मुरली के पास जाती है और उसे सम्हालती है l मुरली को बहुत बेरहमी से मारा था उन लोगों ने सोनाली ने देखा तो उसकी आँखों से आँसू बहने लगे l

अम्माजी उन दोनों के पास आई ओर सोनाली के बालों को पकड़ उसे उठाते हुए कहा,”बहुत घमण्ड था ना तुझे अपने प्यार पर देख तेरी आँखों के सामने पड़ा तेरा प्यार आखरी सांसे गिन रहा है l अगर इसकी जिंदगी चाहती है तो भूल जा इसे वरना जिंदा गाड़ दूँगी दोनो को”
सोनाली रोती हुई वहां से चली गयी l अम्माजी ने अपने आदमियो से कहकर मुरली को बाहर फिंकवा दिया और आकर सिगरेट का कश्मीर लगाने लगी l


एक कोने में खड़ी पाकिजा डरी सहमी सी चुपचाप सब देख रही थी उसने महसूस किया कि उसकी ही नही बल्कि यहां आयी हर लड़की का हाल बदतर था पाकिजा की आंखों में आंसू भर आये वह सोनाली के कमरे की तरफ बढ़ गयी l


खिड़की से हवा का एक तेज झोंका आया और डायरी के पन्ने पलटने लगे l रुद्र को होश आया उसने देखा सुबह हो चुकी हैं l खिड़की से तेज हवाएं अंदर आ रही है l उसे ध्यान ही नही रहा कब पढ़ते पढ़ते सुबह हो गयी उसने जिस पेज पर कहानी को छोड़ा था वहां एक कार्ड डाल दिया और कुर्सी से उठकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया l

अपने रोजमरा के काम निपटा कर रुद्र किचन में अपने लिए चाय बनाने लगा तभी दरवाजें पर किसी की दस्तक हुई
रुद्र किचन से बाहर आया ओर दरवाजा खोला सामनें रागिनि खड़ी थी l

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