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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 26

Pakizah – 26

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 26

पाकीजा को उन हैवानो से बचाने का शिवेन को आईडिया मिल चूका था l वह हर शाम जाकर अम्माजी को पाकीजा के लिए कीमत अदा कर देता और उसे बेआबरू होने से बचा लेता l अम्माजी भी शिवेन से बहुत खुश थी न तो शिवेन बाकि कस्टमर की तरह रूपये देने में नखरे करता न ही कोई स्पेशल डिमांड करता l अम्माजी को शिवेन का सरल व्यवहार बहुत अच्छा लगा इसलिए वे हर शाम पाकिजा को शिवेन के लिए बुक रखती l

एक हफ्ता गुजर गया l शिवेन हर शाम आता पाकीजा की कीमत अदा करता और सुबह चला जाता l वह हमेशा पाकीजा से दूरी बनाकर बैठता l उसने कभी उसे गलत नियत से छूआ तक नहीं l कभी कभी पाकीजा को अंग्रेजी के कुछ शब्द बोलना भी सीखा देता l शिवेन की अच्छाई , उसका व्यवहार और उसकी बातो की सच्चाई पाकीजा के दिल में उतर गयी l शिवेन पाकीजा को अच्छा लगने लगा l

उसे हर शाम शिवेन के आने का इंतजार रहता l बहुत कुछ था जो वह शिवेन के लिए महसूस करने लगी थी , दूसरी दुनिया के सपने देखने लगी थी पर उसका अतीत उसे वापस उसी दुनिया में खिंच लाता जिस दुनिया में उसे सिर्फ दर्द मिलना लिखा था l

यही हाल शिवेन का था l वह पाकीजा को दिल ही दिल में चाहने लगा था लेकिन डरता था कही पाकीजा उसकी भावनाओ को गलत ना समझ ले l वह पहले उसे खुद पर यकीन दिलाना चाहता था l

एक रात शिवेन पाकीजा के कमरे में बैठा उस से बात कर रहा था की तभी पाकीजा ने कहा ,”आपसे एक बात पूछे ?

शिवेन – हां पूछो !

पाक़िजा – आप हमारे लिए इतना सब क्यों कर रहे है ?

शिवेन – क्योकि मैं तुम्हे यहाँ से बाहर निकालना चाहता हु , मैं जानता हु तुम अच्छी लड़की हो तुम ऐसी जगहों के लिए नहीं बनी हो

पाकीजा – तो फिर किस जगह के लिए बनी हु ? (मासूम सा चेहरा बनाकर पूछने लगी)

शिवेन ने देखा तो बस उसी में खोकर रह गया शिवेन को खोया हुआ देखकर पाकीजा ने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाकर कहा ,”बताईये ना फिर किस जगह के लिए बनी हु मैं ?

शिवेन – किसी की पत्नी बनकर उसके घर में रहने के लिए बनी हो

शिवेन की बात सुनकर पाकीजा के दिल को सुकून मिला पर अगले ही पल उसे अपनी कड़वी सच्चाई याद आ जाने से आँखों में आंसू भर आये और उसने धीरे से कहा ,”हम किसी की पत्नी बनने के लायक नहीं है”

शिवेन – ये तुमसे किसने कहा ?

पाकीजा – आप सच में नहीं जानते या फिर सब जानकर भी अनजान बन रहे है l एक वेश्या………………………!!

“खबरदार जो तुमने कभी खुद को इस नाम से पुकारा तो “,शिवेन ने पाकीजा के पास आकर अपनी हथेली से उसका मुंह बंद करते हुए कहा l

दोनों एक दूसरे के करीब खड़े आँखों में झाँकने लगे l धड़कने सामान्य से तेज पर एक सुकून था l शिवेन की छुअन पहली छुअन थी जिसे महसूस करके पाकीजा को हमेशा पॉजिटिव फील होता था l शिवेन की छुअन में उसे कभी हवस की बू नहीं आयी l शिवेन अपना हाथ उसके मुंह पर रखे अभी भी वैसे ही खड़ा था पाकीजा ने धीरे से अपने दूसरे हाथ से पकड़कर उसका हाथ हटाया तो शिवेन पीछे हट गया l

पाकीजा वहा से हटकर खिड़की के पास आकर खड़ी हो गयी l उसने खिड़की से पर्दा हटाया तो बाहर से आती चाँद की रौशनी आकर उसके मासूम से चेहरे पर गिरने लगी l खिड़की से आते ठंडी हवा के झोंके उसके गुलाबी गालो को सहलाने लगी शिवेन ने देखा तो वह भी खिड़की के पास चला आया l पाकीजा से दूरी बनाकर खड़ा हो गया और खिड़की से बाहर देखते हुए कहा,”कितना अच्छा मौसम है न , शाम का वक्त ही कुछ खास होता है सुकून से भरा l

“पर हमे इस शहर की शामे पसंद नहीं है ?”,पाकीजा ने बाहर देखते हुए उदासी भरे स्वर में कहा l

“क्यों ?”,शिवेन पाकीजा के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा

“क्योकि यहाँ की हर शाम हमारे लिए कोई ना कोई नया दर्द लेकर आती है”, कहते हुए पाकीजा की आँखों से आंसू टपक कर शिवेन की उंगलियों पर जा गिरे l

पाकीजा का कहा एक एक शब्द शिवेन के दिल में खंजर की भांति चुभने लगा l उसने उंगलियों पर गिरे आंसुओ को अपने होठो से लगा लिया और कहा,”पर मुझे इस शहर की शाँमे बहुत पसंद है , जानती हो क्यों ?

पाकीजा ने ना में अपनी गर्दन हिला दी l शिवेन मुस्कुराया और उसके गालो पर आये आंसुओ को पोछते हुए कहा ,”क्योकि ये शामे मुझे हर रोज तुम्हारे पास ले आती है”

शिवेन की बात सुनकर पाकीजा दर्द में भी मुस्कुरा उठी l शिवेन उसके चेहरे को प्यार से देखता रहा हवा पाकीजा के बाल उड़कर चेहरे पर आने लगे तो शिवेन ने उन्हें अपनी ऊँगली से साइड में कर दिया l शिवेन की छुअन महसूस होने से पाकीजा की आँखे बंद हो गयी l शिवेन ने देखा पाकीजा की बंद आँखों में कितना सुकून था l खुली आँखो में जितनी बेचैनी होती थी बंद आँखों में उतना ही ठहराव l

शिवेन को शरारत सूझी तो उसने पाकीजा के बालो में लगे क्लिप को निकाल दिया उसके लम्बे घने बाल कंधे से छूते हुए कमर तक लहराने लगे l पाकीजा ने अपनी आँखे खोली और बालो को बांधने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया शिवेन ने रोकते हुए कहा ,”रहने दो ना , तुम्हारे बाल खुले ही अच्छे लगते है “

“और ये आप किस हक़ से कह रहे है ?”,पाकीजा ने कहा

“इसमें कैसा हक़ ?”,शिवेन हैरानी से कहा

“आपका हमारा क्या रिश्ता है जो हम आपकी बात माने ?”,पाकीजा शिवेन के दिल की बात जानना चाहती थी इसलिए जान बुझकर ऐसी बातें कर रही थी

शिवेन सोच में पड़ गया उसने तो कभी पाकिजा को खुद से अलग नहीं समझा फिर रिश्ता कैसा ? बहुत सोचने के बाद उसने कहा,”तुम मुझे अपना दोस्त समझ सकती हो !”

पाकीजा मुस्कुरा उठी l उसने बालो को खुला छोड़ दिया l खिड़की के पास खड़े दोनों आसमान में चमकते चाँद को देखने लगे अधूरे चाँद की रौशनी उन दोनों के रिश्ते को पूरा कर रही थी l

मोबाईल की रिंग बजने पर शिवेन वहा से हटकर दूसरी तरफ चला गया और बात करने लगा पाकीजा कनखियों से शिवेन को देखने लगी जैसे ही शिवेन किसी बात पर हंसा पाकीजा ने अपना दिल थाम लिया और धीरे से कहा,”ये कैसा असर तेरी सोहबत का हुआ है , तेरा मुझसे दूर जाना अब नागवार गुजरता है”

शिवेन ने पाकीजा की तरफ देखा और कहा,”तुमने कुछ कहा ?

पाकीजा ने मासूमियत से अपनी गर्दन ना में हिला दी l शिवेन वापस फोन में लग गया पाकीजा मुस्कुराने लगी l ये क्या हो रहा था उसे ? पाकीजा की धड़कने सामान्य से तेज थी l

शिवेन ने फोन काटा और जेब में रखते हुए पाकीजा के पास आया उसके बदले हाव भाव देखकर पाकीजा ने कहा ,”क्या हुआ आप परेशान दिख रहे है ?

“हम्म ! मयंक का फोन था कल उसका बर्थडे है और वो चाहता है की मैं राघव कल उसके साथ समंदर किनारे उसका बर्थडे सेलेब्रेट करे”,शिवेन ने बुझे मन से कहा l

“फिर तो आपको जाना चाहिए l”,पाकीजा ने कहा

“हा लेकिन मैं अगर वहा गया तो यहाँ नहीं आ पाऊंगा”,शिवेन ने कहा

‘कोई बात नहीं !!’,पाकिजा ने बहुत मुश्किल से ये कहा जबकि वो जानती थी शिवेन को देखे बिना अब वो नहीं रह पायेगी

शिवेन बात करते वक्त पाकीजा के चेहरे पर आते जाते भावो को देख रहा था l पाकीजा जाकर बिस्तर पर बैठ गयी l शिवेन भी कुछ दूरी बनाकर बैठ गया l शिवेन को सोच में डूबा देखकर पाकीजा मन ही मन कहने लगी ,”बस कीजिये शिवेन जी , आखिर आप कब तक साथ देंगे मेरा l मैं जिस दुनिया से हु वो दुनिया आपके लायक नहीं है”

शिवेन ने पाकिजा की तरफ देखा और मन ही मन कहने लगा ,”बस एक बार कह दो पाकीजा मैं जिंदगीभर तुम्हारा साथ निभाने के लिए तैयार हु l बहुत जल्द तुम्हे इस दुनिया से निकालकर ले जाऊंगा”

दोनों खामोश थे पर आंखे बहुत कुछ कह रही थी l कमरे में ख़ामोशी फैली हुयी थी पर यह ख़ामोशी सुकून भरी थी l

अगली सुबह जाने से पहले शिवेन ने डायरी में फिर कुछ लिखा और चला गया l पाकीजा नींद से उठी पर उसने डायरी को खोलकर नहीं देखा l अपनी दैनिक कार्यो से निपटकर वह बाहर बरामदे में आकर खड़ी हो गयी l पाकीजा गली में आते जाते लोगो को देखने लगी तभी सोनाली वहा आयी और कहा ,”क्या बात है पाकीजा ? आजकल वो चिकना बड़ा दीवाना बना हुआ है तेरा ऐसा क्या कर दिया तूने कुछ ही रातो में की यहाँ आने के बाद वह किसी और लड़की पर नजर ही नहीं डालता”

“अरे ! बाजी आप कब आयी ?”,पाकीजा ने ख़ुशी से सोनाली के गले लगते हुए कहा l

“मैं आज सुबह ही आयी हु तू बात को घुमा मत ये बता कौन है वो चिकना ? देख मुझसे कुछ छुपाना मत मुझे यहां की लड़कियों ने सब बता दिया है”,सोनाली ने प्यार से आँखे दिखाते हुए कहा l

“बाजी मैं उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती , उनका नाम शिवेन है l वो हर शाम आते है”,पाकीजा ने धीरे से कहा l

“शिवेन……………………हम्म नाम तो बड़ा प्यारा है l दिखता कैसा है ?”,सोनाली ने दिलचस्पी लेते हुए कहा

“बहुत खूबसूरत है , भूरी भूरी आँखे , सुर्ख लाल होंठ , हलकी हलकी दाढ़ी , बिखरे से बाल l जब वो हसंते है ना तो बेइंतहा खूबसूरत लगते है l जब बात करते है तो उनके शब्दों में एक खूबसूरत सा ठहराव रहता है l उनकी छुअन का अहसास मैंने आज से पहले किसी की छुअन में महसूस नहीं किया”,पाकीजा ने खोये हुए अंदाज में कहा

सोनाली आँखे फाडे पाकीजा की बाते सुनती रही और फिर कहा ,”भई जिनकी इतनी तारीफ की जा रही है उनसे तो फिर मिलना पडेगा l ”

“वो बहुत अच्छे है बाजी”,पाकीजा ने कहा

“पाकीजा वो मर्द है , और हमारे धंधे में मर्दो पर इतनी जल्दी भरोसा करना हमारे धंधे के खिलाफ है l हमारा काम है सिर्फ उनसे पैसे निकलवाना l भावनाओ और चंद मीठी बातो में आकर उनकी किसी भी बात को सच मानने की भूल कभी मत कर बैठना l कोठे पर रहकर किसी मर्द से रिश्ता बनाने से पहले एक बार अपने अंजाम के बारे में जरूर सोच लेना l

हम सड़को पर बिखरी वो धूल है जिन्हे अपने पेरो से रोंदना हर कोई पसंद करता है लेकिन अपने घर के आँगन में सजाना कोई नहीं चाहता”,सोनाली एक साँस में बहुत बड़ी बात बोल गयी l

बात कड़वी थी पर सच थी l

सोनाली की बात सुनकर पाकीजा के चेहरे की ख़ुशी पल में हवा हो गयी l सोनाली ने देखा तो प्यार से कहा ,”क्या हुआ मेरी बातो से परेशान हो गयी ? पगली कही की !! मैंने जो कहा वो धीरे धीरे समझ आएगा पर आएगा जरूर l अब चल मेरे साथ तेरे लिए कुछ लायी हु l बाहर टूर पर मोटा सेठ मिला था खूब महंगे महंगे तोहफे दिलाये उसने”,सोनाली ने पाकीजा का हाथ पकड़ उसे अपने कमरे की तरफ लेे जाते हुए कहा l

सारा दिन पाकिजा बस शिवेन के बारे में सोचती रही l जैसे जैसे दिन ढलने लगा उसकी धड़कने बढ़ने लगी ये सोचकर कि आज शिवेन नही आएगा l ये जानते हुए भी वह बार बार बरामदे में जाती और नीचे सड़क पर देखती पर शिवेन कही दिखाई नही दिया l शाम गहराने लगी अब पाकिजा का दिल बैठने लगा l साथ ही सोनाली की बातों ने उसे ओर परेशान कर दिया था पाकिजा अपने कमरे में आ गयी शिवेन के होते वो बेखोफ थी पर आज फिर से उसकी इज्जत पर आंच आने वाली थी l


पाकिजा कमरे में आई और टेबल के पास रखी कुर्सी पर आकर बैठ गईं l कमरे में चारो ओर खामोशी पसरी हुई थी लेकिन पाकिजा के अंदर एक तूफान मचल रहा था l बैचैनी ओर सोच विचार में उलझी पाकिजा को कुछ अच्छा नही लग रहा था l पाकिजा ने अपना सर टेबल पर टिका लिया आंसू की बूंदे उसकी आँखों से बहकर टेबल पर आ गिरी l उसने अपनी आंखें बंद कर ली अंधेरे में शिवेन का चेहरा नजर आने लगा l एक सुखद अनुभूति हुई l


खिड़की से आती हवा से डायरी के पन्ने फड़फड़ाने लगे l
पाकिजा ने अपनी आंखें खोली ओर हाथ आगे बढ़ाकर डायरी को बंद करने लगी कि उसकी नजर डायरी में लिखे अल्फाजो पर गयी डायरी के दूसरे पन्ने पर लिखा था

“मुझे नीला रंग बहुत पसन्द है , कल शाम जरूर पहनना”

पाकिजा मुस्कुरा उठी पर अगले ही पल उदास हो गयी ये सोचकर कि आज शिवेन नही आएगा l पाकिजा ने डायरी बन्द कर दी और सर वापस टेबल से लगाकर सिसकने लगी l

दरवाजे पर दस्तक हुई l पाकिजा का दिल घबराने लगा जरूर अम्माजी ने उसके लिए नया कस्टमर भेजा होगा l पाकिजा बीती रातो को याद कर अंदर तक सहम गई
दरवाजा फिर बजा पाकिजा ने धड़कते दिल के साथ मुड़कर देखा l उसे अपनी आंखों पर यकीन नही हुआ होंठ मुस्कुराना चाहते थे पर आंखों में आंसू भर आये


पाकिजा कुर्सी से उठी और दोड़कर दरवाजे की तरफ़ गयी l सामने मुस्कुराता हुआ शिवेन खड़ा था l
पाकिजा का दिल किया कि जाकर शिवेन के गले लग जाये और उस से पूछे कि वह पहले क्यों नही आया ? लेकिन अपनी भावनाओं को काबू में रखा और धीरे से कहा,”आप यहां ?
“हा क्या करूँ सुबह से हिचकियाँ रुकने का नाम ही नही ले रही l

इतना भी भला कोई किसी को याद करता है क्या ? तो सोचा क्यों ना जाते जाते तुमसे कहता जाऊ”,शिवेन ने शरारत से कहा
“मैं मैं आपको याद क्यों करूँगी भला “,पाकिजा ने शिवेन से नजरे चुराते हुए कहा और पलट गई
शिवेन पाकिजा के पास आया और धीरे से उसके कान में कहा,”आंसू कभी झूठ नही बोलते
शिवेन की बात सुनकर पाकिजा पलटी दोनो एक दूसरे के बिल्कुल सामने पाकिजा ने भीगी आंखो से शिवेन के मुस्कुराते हुए चेहरे को देखा

और सोचने लगी ,”कौन हो तुम ? क्या रिश्ता है हमारा ? कैसे तुम मेरी हर बात समझ लेते हो ? कैसे मेरा चेहरा , मेरी आँखें यहां तक के मेरे आंसू भी पढ़ लेते हो ? ये सब हकीकत है या फिर जिंदगी फिर से कोई खेल खेलना चाहती है मेरे साथ ? क्या सच मे तुम हो या सिर्फ मेरी कल्पना है ये”
शिवेन ने पाकिजा को कमर से पकड़ कर अपने ओर करीब किया और कहा,”ये हकीकत है पाकिजा कोई कल्पना नही”


“आप मेरी सोच के जैसा बोल रहे है , आप मेरे मन की बात कैसे जान सकते है ? “,पाकिजा ने हैरानी से कहा
“तुम्हारा मन तुम्हारी आँखों मे नजर आता है पाकिजा”,शिवेन ने प्यार से कहा l
दोनो एक दूसरे में खोए हुए देखते रहे l शिवेन ने सजे आंसू पोछे ओर कहा,”इन आंखो में आंसू बिल्कुल अच्छे नही लगते है”
पाकिजा शिवेन से अलग होकर साइड में खड़ी हो गयी और कहा,”आप तो समंदर किनारे जाने वाले थे दोस्तो के साथ , गए नही


“तुम्हारे बिना कैसे जाता ? वो लोग भी तुमसे मिलना चाहते है”,शिवेन ने कहा
“लेकिन मैं कैसे ? “,पाकिजा ने कहा
“लेकिन वेकीन कुछ नही तुम बस जल्दी से तैयार हो जाओ”,शिवेन ने कहा l
“लेकिन अम्माजी ?”,पाकिजा ने कहा ।
“वो सब में देख लूंगा तुम चलो बस”,शिवेन ने कहा


“लेकिन………..!!”,पाकिजा अपनी उंगलियों को आपस मे तोड़ने मरोड़ने लगी
“तुम्हे मुझपर भरोसा तो है ना पाकिजा ?”,शिवेन ने पाकिजा की आंखो में देखते हुए पूछा
“आपने मुझे नई जिंदगी दी है आपका पूरा हक है “,पाकीजा ने कहा
“तो फिर तैयार हो जाओ तब तक मैं अम्माजी से मिलकर आता हूं “,शिवेन ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया l


चलते चलते शिवेन रुका ओर पलटकर कहा ,”पाकिजा ?
“नीला रंग ही पहनूँगी”,पाकिजा ने कहा ओर मुस्कुरा उठी l
शिवेन के चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गयी पाकिजा ने उसके कहनेसे पहले ही उसकी बात का जवाब जो दे दिया था l
शिवेन वहां से चला गया l


पाकिजा ने अलमारी से सूट निकाला सफेद रंग की सलवार कमीज थी जिसपर नीले रंग का दुपट्टा था l पाकिजा ने सूट पहना ओर बालो को समेटकर चिमटी लगा ली कानो में उसने अपनी अम्मी की दी बालिया पहनी l उसने खुद को आईने में देखा उसके चेहरे पर एक अलग ही नूर था l
पाकिजा हल्के से मुस्कुराई जैसे ही पलटी शिवेन से टकरा गई l शिवेन तो बस उसे देखता ही रह गया सफेद रंग के सूट में वह कितनी प्यारी लग रही थी l शिवेन ने पाकिजा की आंख से काजल निकालकर उसके कान के पीछे लगा दिया l


“ये क्या कर रहे है आप ?”,पाकिजा ने कहा l
“काला टिका लगा रहा हु , तुम्हे किसी की नजर ना लग जाये”,शिवेन ने प्यार से पाकिजा को देखते हुए कहा l

“चले ! “,शिवेन ने पूछा

“आप चलिए हम आते है”,पाकिजा ने कहा l

शिवेन बाहर निकल गया पाकिजा ने डायरी खोली ओर उसमे कुछ लिखकर बन्द कर दिया l पाकिजा शिवेन के साथ कोठे से बाहर आ गयी l
शिवेन ने रातभर पाकिजा को अपने साथ बाहर रखने की अम्माजी से परमिशन भी ले ली l

गली के नुक्कड़ पर राघव ओर मयंक गाड़ी में बैठे दोनो का इंतजार कर रहे थे l शिवेन पाकिजा के साथ गाड़ी में आ बैठा l राघव ने गाड़ी स्टार्ट की ओर सड़क पर दौड़ा दी l शिवेन ने मयंक ओर राघव का परिचय पाकिजा से करवाया l राघव को पाकिजा के बारे मे पता था l

मयंक से शिवेन ने झूठ कह दिया कि पाकिजा उसकी दोस्त है l घंटेभर बाद गाड़ी शिवेन की बताई जगह पर जाकर रुकी l चारो गाड़ी से नीचे उतरे और पैदल चलने लगे l शिवेन ने पाकिजा का हाथ अपने हाथ मे थामा हुआ था
कुछ देर बाद पाकिजा ने कहा,”हम कहा जा रहे है ?

शिवेन ने पाकिजा की तरफ देखा और कहा

“ऐसी जगह जहा जाने के बाद तुम्हे जिंदगी से प्यार हो जाएगा”

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