Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 41

Haan Ye Mohabbat Hai – 41

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

अक्षत और मीरा के प्यार की निशानी “अमायरा” इस दुनिया में आ चुकी थी। अक्षत और मीरा की तरह वह भी बहुत प्यारी थी। अक्षत मीरा के पास ही बैठ गया और अपनी बच्ची को देखने लगा। नन्ही जी जान जो कुछ देर पहले ही इस दुनिया में आयी थी अपनी छोटी छोटी आँखों से एकटक अक्षत को देख रही थी कुछ देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई और अमर जी सौंदर्या भुआ के साथ कमरे में दाखिल हुए। मीरा ने अपने पापा को वहा देखा तो मुस्कुरा उठी। अमर जी मीरा की तरफ आये और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा,”कैसी है आप ?”
“हम ठीक है पापा”,मीरा ने कहा
अमर जी की नजर मीरा के बगल में लेटी बच्ची पर पड़ी अक्षत ने अमायरा को गोद में उठाया और अमर जी की तरफ बढ़ा दिया। अमर जी ने उस नन्ही सी जान को गोद में लिया तो उनकी आँखों में नमी तैर गयी और वे कहने लगे,”हमने आपको तो कभी अपनी गोद में नहीं खिलाया लेकिन हमारी नातिन के साथ हम एक बार फिर से आपका बचपन जियेंगे मीरा”
“आज अगर माँ ज़िंदा होती तो बहुत खुश होती”,कहते हुए मीरा की आंखे नम हो गयी तो अक्षत उसके पास आया और कहा,”वो वहा से तुम्हे देख रही है मीरा और वे कभी नहीं चाहेंगी तुम्हारी आँखो में आंसू आये” कहते हुए अक्षत ने मीरा की आँखों के किनारे से आंसू साफ कर दिए। अमर जी बच्ची को लाड़-प्यार करने लगे। कुछ देर बाद बाकि घरवाले भी अंदर चले आये और सब हंसी मजाक करने लगे।
अक्षत बाहर चला आया , बाहर सोमित जीजू और अर्जुन बैठे थे अक्षत भी उनके पास चला आया। अक्षत को वहा देखकर अर्जुन ने कहा,”आशु डॉक्टर ने कहा है आज आज मीरा को यही रखेंगे कल सुबह डिस्चार्ज करेंगे”
“हम्म्म कोई बात नहीं मैं यहाँ रुक जाता हूँ”,अक्षत ने बैठते हुए कहा
“वैसे नन्ही मेहमान का नाम क्या रखेंगे ?”,जीजू ने कहा और कुछ देर बाद अक्षत , अर्जुन और जीजू ने एक साथ कहा,”अमायरा”
“अरे वाह ये नाम बिल्कुल सही है अमायरा , कितना यूनिक नाम है”,जीजू ने खुश होकर कहा
“आखिर बेटी किसकी है ?”,अक्षत ने इतराते हुए कहा
“वैसे अमायरा का मतलब क्या हुआ ?”,अर्जुन ने पूछा
“अमायरा का मतलब होता है “राजकुमारी” जिसका नाम मुझसे शुरू होगा और मीरा पर खत्म होगा अ+माय+रा समझ आया कुछ”,अक्षत ने कहा तो अर्जुन मुस्कुराया और कहा,”नाम में दम है वैसे”
“अरे चीकू के लिए छोटी बहन आ जाएगी अब घर में वरना अब तक तो सबसे छोटा वही था”,जीजू ने हसंते हुए कहा
“वैसे चेम्प है कहा ?”,अक्षत ने कहा
“वो घर में है नीता के साथ , आज उसकी तबियत थोड़ी खराब थी तो पापा ने हॉस्पिटल लाने से मना किया है”,अर्जुन ने कहा
“अच्छा , कोई नहीं उसे घर जाकर सरप्राइज देंगे”,अक्षत ने कहा , थोड़ी देर बाद ही उसका फोन बजा तो वह वहा से उठकर चला गया।
शाम तक सभी घर चले गए , राधा ने रात में मीरा के साथ रुकना चाहा लेकिन अक्षत ने सबको घर भेज दिया और खुद वहा रुक गया। अक्षत मीरा के पास चला आया। अमायरा अभी सो रही थी , अक्षत मीरा के बगल में आकर बैठ गया , दोनों बस एक दूसरे का हाथ थामे प्यार से एक दूसरे को देखते रहे। हल्फा फुल्का खाने के बाद मीरा को नींद आ गयी। अक्षत ने भी अपना सर मीरा के सर के पास टिका लिया और आँखे मूंद ली। अमायरा उन दोनों के बीच सो रही थी। देर रात वह नींद से जगी और रोने लगी। उसके रोते ही अक्षत की नींद खुल गयी। उसने उसे थपथपाकर चुप कराने की कोशिश की लेकिन वह और ज्यादा रोने लगी जिस से मीरा भी नींद से जाग गयी। मीरा उठने को हुयी तो अक्षत ने कहा,”मीरा तुम आराम करो इसे मैं देखता हूँ”
अक्षत ने अमायरा को अपने हाथो में उठाकर गोद में लिया और कमरे में लेकर घूमने लगा। थोड़ी देर बाद ही वह चुप हो गयी। अक्षत देर तक उसे लेकर कमरे में घूमता रहा। दवाईयों का असर था इसलिए मीरा को नींद आ चुकी थी। कुछ देर बाद बच्ची भी सो गई अक्षत ने उसे पालने में सुलाया और खुद वही पड़ी चेयर पर बैठकर थपथपाने लगा। अक्षत को भी अब नींद आने लगी थी उसने अपने दोनों हाथो को पालने पर रखा और अपना सर टीकाकार सो गया। सुबह जब मीरा की आँख खुली तो अक्षत को पालने पर सर टीकाकार सोया देखकर मुस्कुरा उठी। अक्षत बेचारा सो ही रहा था की अमायरा फिर से रोने लगी। अक्षत नींद से जाग गया और उसे गोद में उठा लिया तो मीरा ने कहा,”अक्षत जी उसे शायद भूख लगी है”
“शायद,,,,,,,,,,,,,,,,क्या खायेगी ये ?”,अक्षत ने कहा
अक्षत की बात सुनकर मीरा मुस्कुराने लगी और कहा,”अक्षत जी ये 6 महीने तक सिर्फ माँ का दूध पी सकती है”
“मुझे नहीं पता था”,अक्षत ने कहा तभी कमरे में नर्स आयी और अक्षत से कहा,”आप थोड़ी देर के लिए बाहर जायेंगे”
“हम्म्म”,कहते हुए अक्षत ने अमायरा को मीरा के पास सुलाया और बाहर चला गया। बाहर आकर अक्षत वाशबेसिन की तरफ चला आया वहा आकर उसने मुंह धोया और जेब से रूमाल निकालकर अपना मुंह पोछने लगा और आकर बाहर पड़ी बेंच पर बैठ गया। कुछ देर बाद ही राधा और विजय जी वहा चले आये। अक्षत को बाहर बैठा देखकर राधा ने पूछा,”आशु तू बाहर क्यों बैठा है ?”
“वो नर्स अंदर है तो मुझे बाहर आना पड़ा , चीकू की तबियत ख़राब थी अब कैसा है वो ?”,अक्षत ने पूछा
“वो बिल्कुल ठीक है जबसे अर्जुन ने उस से कहा है की उसकी छोटी बहन आने वाली है तबसे पुरे घर में ख़ुशी से उछल-कूद कर रहा है वो”,राधा ने अक्षत के बगल में बैठते हुए कहा
“मीरा के डिस्चार्ज के बारे में डॉक्टर से बात की ?”,विजय जी ने पूछा
“नहीं पापा बस अभी थोड़ी देर में डॉक्टर आएंगे तब बात करते है”,अक्षत ने कहा
नर्स के बाहर आने के बाद अक्षत , विजय जी और राधा मीरा के पास चले आये। नर्स ने मीरा और बच्ची दोनों के कपडे बदल दिए थे। राधा ने आकर सबसे पहले बच्ची को गोद में उठाया और कहा,”कैसी है हमारी राजकुमारी ? दादी को मिस किया ?”
छोटी सी बच्ची क्या समझती वह बस राधा को देखती रही। अक्षत ने सूना तो मीरा को देखकर मुस्कुराने लगा। विजय जी मीरा के पास आया और कहा,”अब कैसी हो बेटा ?”
“हम ठीक है पापा”,मीरा ने कहा
“घर चले फिर ?”,विजय जी ने पूछा
“हाँ हम बोर हो गये है यहाँ”,मीरा ने कहा तो विजय जी ने प्यार से उसका गाल थपथपाया और कहा,”डॉक्टर आ जाये उसके बाद उनसे बात करके चलते है”
अक्षत नीचे चला आया उसने हॉस्पिटल के केंटीन से चाय ली और कमरे में चला आया। एक एक कप विजय राधा और मीरा को दी और चौथा कप खुद लेकर कमरे की खिड़की से बाहर देखते हुए चाय पीने लगा।
डॉक्टर आये उन्होंने मीरा और बच्ची दोनों का चेकअप किया। माँ बेटी दोनों बिल्कुल ठीक थी डॉक्टर ने मीरा को घर जाने की परमिशन दे दी। विजय जी , राधा , अक्षत-मीरा और उनकी राजकुमारी हॉस्पिटल से घर के लिए निकल गये। अक्षत विजय जी के आगे बैठा था और गाड़ी चला रहा था। राधा बच्ची को गोद में लिए पीछे बैठी थी , बगल में मीरा बैठी थी।
सभी घर पहुंचे। अक्षत गाड़ी अंदर ही ले आया और साइड में रोक दी। सारे घरवाले नए मेहमान के स्वागत में बाहर ही खड़े थे। मीरा गाड़ी से बाहर आयी तो नीता उसके पास चली आयी और उसे सम्हाल कर चल पड़ी। अमायरा राधा की गोद में थी , राधा उसे लेकर घर के दरवाजे पर आ खड़ी हुयी। राधा ने तनु से इशारा किया तो तनु ने साइड में रखी पूजा की थाली उठायी और मीरा और बच्ची को तिलक किया। उनकी आरती उतारी उतारी और थाली साइड में रख दी। विजय जी तनु और निधि को शगुन के रूप में कुछ रूपये दिए। निधि ने गीली रोली से भरी थाली जमीन पर रखी और उसके आगे नया सफ़ेद रंग का रुमाल बिछा दिया। राधा बच्ची को लेकर निचे झुकी और उसके नाजुक पैरो को गीली रोली से भिगाया और पैरो की छाप सेफ रुमाल पर लगा दी। बच्ची को लक्ष्मी का रूप मानकर उन्होंने ये रस्म निभाई थी। निधि ने रुमाल और थाली उठायी और साइड हो गयी। घर के गेट से लेकर पूजा घर तक फूलो से एक सुंदर सा रास्ता बनाया था जिस पर चलकर मीरा और राधा अंदर आयी। निधि , तनु , जीजू और अर्जुन ने मिलकर आज पूरा घर सजाया था और नीता ने मंदिर। मंदिर के सामने आकर राधा ने बच्ची को भगवान के चरणों में सुलाकर उनका आशीर्वाद दिलवाया और फिर मीरा के साथ उसके नीचे वाले कमरे में चली आयी। मीरा के कमरे में आते ही सब उसके पीछे पीछे कमरे में चले आये। मीरा बिस्तर पर दिवार से पीठ लगाए बैठी थी और राधा बच्ची को गोद में लिए बैठी थी। यु तो हॉस्पिटल में सब अमायरा से मिल चुके थे लेकिन अब बारी थी सबके तोहफे देने की तो सबसे पहले दादू दादी आये उन्होंने मीरा को स्वस्थ रहने का आशीर्वाद दिया और फिर दादू ने अपने गले से सोने की चैन निकालकर बच्ची को पहनाते हुए कहा,”इस घर की लक्ष्मी को इस से ज्यादा कुछ नहीं दे पाऊंगा”
“दादू इसके लिए आपका प्यार ही काफी है”,अक्षत ने आकर अपने दादू से कहा
“तुझे बाप बनते देख लिया मेरे लिए काफी है अब मौत भी आ जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,दादू ने थोड़ा भावुक होकर कहा तो अक्षत ने उनके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा,”क्या दादू आप भी ? अभी तो आपको चीकू की शादी देखनी है”
दादू ने सूना तो मुस्कुराने लगे और कहा,”अब तो सुधर जा , बाप बन चुका है तू”
दादू की बात सुनकर सब हसने लगे। विजय जी ने आकर नोटों की गड्डी अमायरा के सर से वारकर मीरा को दे दी। अर्जुन और नीता ने नन्हे मेहमान के लिए ढेर सारे सॉफ्ट टॉय गिफ्ट किये। जीजू और तनु ने एक प्लेटिनम चैन दी जिसमे “A” नाम का पेन्डेन्ट था। जीजू को शायद पहले से पता था की अक्षत अपनी बेटी का नाम अमायरा ही रखेगा। निधि ने अपनी नन्ही परी को बहुत ही प्यारी प्यारी ड्रेसेज दी ,, काव्या भी अपनी छोटी बहन के लिए एक बड़ा सा टेडी लेकर आयी थी जो की अमायरा से दुगुना बड़ा था। सबने कुछ ना कुछ दिया तो मीरा ने कहा,”चीकू आप अपनी बहन को तोहफा नहीं देंगे”
चीकू ने सूना तो हाथ से रुकने का इशारा किया और वहा से चला गया सब हैरान की चीकू कहा गया है ? थोड़ी देर बाद वापस आया तो उसके हाथ में अपनी प्यारी सी गुड़िया थी जिसे वह मीरु कहकर बुलाता था। चीकू ने लाकर वह गुड़िया राधा को दे दी और अपनी एड़िया उठाकर अपनी छोटी बहन को देखने लगा। मीरा ने देखा तो प्यार से कहा,”चीकू आपने अपनी गुड़िया बहन को क्यों दी ? ये तो आपकी मीरु है ना”
“पल मैं तो बॉय हूँ न”,चीकू ने मासूमियत से कहा तो सब हंस पड़े अक्षत ने चीकू को उठाकर राधा के सामने बैठा दिया ताकि वह आराम से अमायरा को देख सके। चीकू ने अमायरा को देखा वह उसे बिल्कुल अपनी डॉल जैसी ही लग रही थी। चीकू ने अपनी नन्ही नन्ही उंगलियों से अमायरा की उंगलियों को छुआ। कमरे में हंसी ख़ुशी का माहौल था तभी रघु आया और दरवाजे पर ही रुक गया। उसे देखकर विजय जी ने कहा,”अरे रघु वहा क्यों खड़े हो अंदर आओ ?”
“वो मैं भी बच्ची के लिए कुछ लेकर आया था अगर आप लोग कहे तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते रघु रुक गया
अक्षत ने सूना तो उसके पास आया और कहा,”अरे रघु तुम भी तो इस घर का हिस्सा हो जाओ मिलकर आओ”
रघु भले इस घर में सालो से नौकर था लेकिन घर के सभी लोग उसे घर का सदस्य मानते थे। रघु ने रंगीन कागज में लिपटी छोटी छोटी चाँदी की पायल राधा को दे दी और बच्ची के पैरो को हाथ लगाते हुए कहा,”ये छोटा सा तोहफा मेरी तरफ से , महंगा तो नहीं है पर मैंने बहुत मन से खरीदा है बिटिया के लिए”
मीरा ने सूना तो कहा,”रघु भैया ऐसा मत कहिये आप इतने दिल से तोहफा लाये ये ही बहुत है , हमे अच्छा लगा”

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संजना किरोड़ीवाल

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