Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 24

Haan Ye Mohabbat Hai – 24

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

अक्षत राधा के साथ घर चला आया। अंदर आकर राधा ने देखा मीरा के घर से उसके पापा और भुआ जी आयी हुई है तो राधा उनके पास चली आयी। अक्षत ने भी अमर और सौंदर्या जी के पैर छुए। सौंदर्या तो अक्षत को देखते ही खुश हो गयी और कहा,”शादी के बाद कितना बदल गए जमाई सा एक बार भी हम लोगो से मिलने नहीं आये आप”
“ऐसा नहीं है भुआ जी शादी के बाद थोड़ा बिजी हो गया था पर जल्दी आऊंगा”,अक्षत ने कहा
“आप खड़े क्यों है बैठिये ना ?”,अमर ने बड़े प्यार से अक्षत से कहा तो अक्षत सामने पड़े सोफे पर आकर बैठ गया। बाकि घरवाले भी बैठे थे। चाय नाश्ते के साथ साथ बाते चलती रही। मीरा सौंदर्या भुआ को अपने साथ ले गयी और घर दिखाने लगी। कुछ देर बाद दोनों मीरा के कमरे में आयी तो सौंदर्या भुआ ने मीरा से कहा,”मीरा एक बाताओ तुम खुश हो ना यहाँ ?”
“आप ऐसे क्यों पूछा रही है भुआजी हम बहुत खुश है , देखिये”,मीरा ने बड़ी सी स्माइल करते हुए कहा
“हां वो तो हम देख रहे है , नया मेहमान घर में आने वाला है अपना ध्यान रखना बेटा”,सौंदर्या ने प्यार से मीरा के गाल को छूकर कहा
“हमारा ख्याल रखने के लिए इतने सब लोग है यहा , और अक्षत जी वो तो हमारा बच्चो की तरह ख्याल रखते है”,मीरा ने कहा
“अरे जमाई सा तो एक नंबर है हमारे उनसे तो हमे जिंदगी में कभी कोई शिकायत नहीं हो सकती”,सौंदर्या ने हँसते हुए कहा
“अच्छा मतलब हम अच्छे नहीं है”,मीरा ने झूठ मुठ का नाराज होकर कहा
“तुम तो अच्छी हो ही मीरा , तभी तो इतना प्यार करने वाले लोग मिले है तुम्हे”,सौंदर्या ने कहा
मीरा भुआ जी के साथ बैठकर बातें करने लगी नीचे अमर ने अक्षत से कहा,”जमाई सा”
“जी पापा”,अक्षत ने कहा
“आपसे कुछ बात करनी है”,अमर जी ने कहा
“हां कहिये”,अक्षत ने कहा
“बाहर चले ?”,अमर ने कहा जैसा की वह अक्षत से अकेले में बात करना चाहते थे। अक्षत उनके साथ बाहर चला आया लॉन में टहलते हुए अमर जी अक्षत से कहने लगे,”सबसे पहले तो आपको बहुत बहुत शुभकामनाये घर में नये मेहमान आने वाले है”
अक्षत ने सुना तो थोड़ा सा शरमा गया और कहा,”थैंक्यू पापा”
अमर जी अक्षत के साथ चलते हुए आगे बढे और कहने लगे,”जमाई सा आप तो जानते ही है की मीरा हमारी इकलौती बेटी है। अपनी शादी के बाद से वह इस घर मे और अपने चाइल्ड होम में व्यस्त हो चुकी है। एक पिता होने के नाते हम भी चाहते है की मीरा कुछ दिन हमारे साथ रहे , कुछ वक्त हम उसके साथ बिताना चाहते है। अगर आप कहे तो हम मीरा को घर ले जाना चाहते है उसे भी अच्छा लगेगा”
“बिल्कुल पापा इसमें पूछने की क्या बात है ? मीरा जब चाहे तब आपसे मिलने जा सकती है”,अक्षत ने कहा
“हां लेकिन आपकी इजाजत भी जरुरी है बेटा”,अमर ने बड़े प्यार से कहा
“आप शर्मिन्दा कर रहे है , आप जब चाहे मीरा को घर ले जा सकते है और मीरा भी जा सकती है किसी से पूछने की जरूरत नहीं है”,अक्षत ने कहा
“शुक्रिया , फिर एक काम कीजिये कल आप ही मीरा को उसके मायके ले आईये , आप भी कुछ वक्त हम सबके साथ बिता लीजियेगा”,अमर ने कहा
“पापा मैं जरूर आता लेकिन किसी काम में उलझा हु और फिर इस मंडे से मेरे कोर्ट सेशन भी शुरू हो जायेंगे , लेकिन हाँ मैं मीरा को घर छोड़ने जरूर आऊंगा”,अक्षत ने कहा
“आपको आपके काम के प्रति इतना सजग देखकर अच्छा लग रहा है , खूब तरक्की कीजिये और हमारी कोई भी मदद चाहिए तो बेझिझक कहे”,अमर ने कहा तो अक्षत मुस्कुरा दिया। अक्षत और अमर जी बातें करते हुए वही लॉन में टहलने लगे। अक्षत और अमर जी के बीच एक अलग ही बांड था , दोनों बहुत ही सधी हुई बात करते थे ना कुछ ज्यादा ना कुछ कम , अक्षत जितनी रिस्पेक्ट अमर जी की करता था अमर जी भी उसे उतना ही मान सम्मान देते थे। बातें करते हुए अन्धेरा होने लगा तो निधि ने आकर कहा,”भैया खाना लग चुका है”
“चलिए पापा”,अक्षत ने कहा तो अमर जी उसके साथ चल पड़े और पीछे पीछे निधि भी चली आयी। घर की महिलाओ को छोड़कर सभी खाने के लिए बैठे , बस अमर जी के साथ सौंदर्या भुआ भी थी। मीरा और नीता सबके लिए खाना परोसने लगी। मीरा को बहू के रूप में देखना अमर जी को बहुत अच्छा लग रहा था। उनके होंठो पर मुस्कान तैर गयी। सबने खाना खाया और फिर कुछ देर के लिए हॉल में आ बैठे। घडी में वक्त देखते हुए अमर जी ने वापस जाने की बात कही।
सभी घरवाले अमर जी और सौंदर्या भुआ को छोडने बाहर तक आये। अमर जी ने विजय जी से मीरा को मायके भेजने की इच्छा जाहिर की तो विजय जी ने ख़ुशी ख़ुशी हाँ कह दिया।
अमर जी ने मीरा को गले लगाया उसे अपना और बच्चे का ख्याल रखने को कहा और गाड़ी में जा बैठे। सौंदर्या भुआ भी ने सबको नमस्ते किया और जाकर गाड़ी में बैठ गयी। ड्राइवर गाड़ी लेकर चला गया। सभी अंदर चले आये। विजय जी , अर्जुन और सोमित जीजू अपने अपने कमरों में चले गए। राधा ने नीता , मीरा , निधि और तनु से चलकर खाना खाने को कहा।
सभी साथ बैठकर खाने लगी। मीरा का मन नहीं था उसे खाना देखकर ही जी मिचला रहा था। उसने एक दो निवाले ही खाये और कहा,”हमसे नहीं खाया जाएगा”
“रुको मीरा मैं तुम्हारे लिए कुछ हल्का फुल्का बना देती हूँ”,राधा ने उठते हुए कहा तो मीरा ने उन्हें बैठाया और कहा,”नहीं माँ आप खाना खाइये हम बना लेंगे”
“कैसे बनाओगी मीरा ? तुम्हारा मन कच्चा हो रहा है किचन में जाओगी तो जी मिचलाने लगेगा , मै जाकर बना देती हु”,तनु ने कहा
मीरा ने देखा उसके लिए सब परेशान हो रहे है तो उसने कहा,”आप सब खाना खाइये हमारे लिए अक्षत जी कुछ बना देंगे”
मीरा की बात सुनकर सबने अक्षत की और देखा तो अक्षत ने कहा,”हां हां मैं बना दूंगा आप लोग खाना खाओ”
अक्षत मीरा की और आया और कहा,”क्या खाएंगी आप ?”
“आप ?”,मीरा ने अक्षत की आँखों में देखते हुए कहा
“वो क्या है ना मीरा घरवालों को लगता है मैं तुम्हारे रंग में रंगने लगा हूँ इसलिए तुम्हारी तरह बोलने की प्रेक्टिस कर रहा हूँ”,अक्षत ने कहा तनु , राधा और नीता मुस्कुराने लगी। तीनो जानती थी की अक्षत उन्हें ही सुनाने के लिए ही कह रहा है।
“पर हमे तो लगता है सब घरवाले हमारे रंग में रंगे है”,मीरा ने कहा
मीरा का जवाब सुनकर अक्षत मुस्कुराने लगा और किचन की तरफ चला गया। उसने मीरा के लिए ओट्स बनाये और उसमे फ्रेश सब्जियों के साथ थोड़ा निम्बू भी मिक्स कर दिया जिस से वो थोड़ा चटपटा हो जाये और मीरा खा सके। अक्षत मीरा के लिए ओट्स लेकर आया तब तक सभी घरवाले खाना खा चुके थे बस मीरा ही बैठकर अक्षत का इंताजर कर रही थी।
अक्षत ने ओट्स मीरा के सामने रखे और बैठते हुए कहा,”आई हॉप अच्छा बना हो”
“थैंक्यू”,मीरा ने कहा और चम्मच लेकर एक छोटा सा निवाला उठाया और चखा तो महसूस हुआ की उसमे नमक कम है लेकिन मीरा ने कुछ नहीं कहा और बस खाने लगी। अक्षत बड़े प्यार से उसे देख रहा था। मीरा ने आधे से ज्यादा खा लिया तो अक्षत ने कहा,”इधर दो मुझे टेस्ट करने सो कैसा बना है ?”
अक्षत ने एक निवाला खाया तो महसूस किया उमसे नमक कम है तो कहा,”मीरा बताया क्यों नहीं इसमें नमक कम है ?”
“आपने इतने प्यार से बनाया तो कमी निकालने का मन नहीं हुआ”,मीरा ने कहा
“और तुमने इसे खा लिया,,,,,,,,,,,,,,पागल लड़की”,अक्षत ने कहा
“जैसे आप हमारी बनाई फीकी चाय पी लेते है वैसे ही हमने भी खा लिया”,मीरा ने कहा तो अक्षत मुस्कुरा उठा और कहा,”मुझसे इतनी मोहब्बत भी मत करो मीरा की मैं खुद को ना सम्हाल पाऊ”
“आपको सम्हालने के लिए हम है बस आप अपना गुस्सा सम्हाल ले”,मीरा ने कहा
अक्षत ने सूना तो हामी भर दी उसे शादी से पहले का अपना गुस्सा याद आ गया। खाना खाने के बाद दोनों ऊपर चले आये। अक्षत बाथरूम गया और कपडे चेंज करके बाहर आते हुए कहा,”मीरा तुम्हारे पापा चाहते है तुम कुछ दिन उनके साथ जाकर रहो , उनके घर में मैंने तुमसे पूछे बिना ही उन्हें हाँ कह दिया”
“आप भी चलेंगे साथ ?”,मीरा ने पूछा
“हाँ तुम्हे छोड़ने जाऊंगा लेकिन मैं वहा रुक नहीं पाऊंगा क्योकि मंडे से मेरे सेशन शुरू हो रहे है तो मुझे उधर ध्यान देना है , पर तुम चली जाओ उन्हें अच्छा लगेगा”,अक्षत ने मीरा के पास बैठते हुए कहा
“ठीक है कब जाना है ?”,मीरा ने सवाल किया
“कल शाम में चलेंगे”,अक्षत ने कहा तो मीरा ख़ुशी से मुस्कुरा दी
“ये ख़ुशी अपने पापा के घर जाने की है या मुझसे दूर जाने की ? वैसे इस जन्म में मैं तुम्हारा पीछा छोड़ने वाला नहीं हूँ”,कहते हुए अक्षत ने मीरा को अपनी बांहो में भर लिया।

अगली सुबह अक्षत जल्दी ही उठ गया और मॉर्निंग वाक पर चला गया। उसके मूड का कुछ पता नहीं होता था कब कब बदल जाये कोई कह नहीं सकता लेकिन हमेशा से ही अक्षत को फिट रहना पसंद था। मीरा उठी और तैयार होकर नीचे चली आयी आज उसके चेहरे पर रोजाना से ज्यादा ख़ुशी और चमक थी। नीता किचन में थी तो मीरा भी आकर उसके साथ काम करने लगी। पूजा वही आस पास सफाई करते हुए मीरा पर नजर रखे हुए थी , जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी वह टलता ही जा रहा था क्योकि हर वक्त कोई ना कोई मीरा के साथ ही रहता था। पूजा अपने प्लान में कामयाब नहीं हो पा रही थी। खैर नाश्ता करने के बाद अर्जुन , विजय जी और सोमित ऑफिस चले गए। काव्या अपने स्कूल चली गयी। चीकू अकेला ही हॉल में खेल रहा था मीरा पर नजर रखे पूजा झाड़ू लगा रही थी। चीकू सोफे पर बैठा अपनी डॉल से खेल रहा था की उसके हाथ से वह गुड़िया नीचे गिर गयी। पूजा को देखकर उसने डॉल की और ऊँगली करके कहा,”मीरा , मीरा , मेरी मीरा दो”
पूजा जो की मीरा के नाम से ही अब चिढ़ने लगी थी उसने चीकू को घूरकर देखा और उसके बाद नीचे गिरी उसकी गुड़िया को उठाकर उसे तोड़ते हुए धीमी आवाज में कहा,”तुम्हारी मीरा का भी यही हाल होगा”
चीकू ने अपनी गुड़िया को टूटा हुआ देखा तो रोने लगा। पूजा वहा से आगे बढ़ गयी। चीकू सोफे से नीचे उतरा और टूटी हुयी गुड़िया को उठाकर रोने लगा। किचन में मिक्सर चल रहा था इसलिए मीरा और नीता को कुछ सुनाई नहीं दिया। अक्षत बाहर से आया तो देखा चीकू रो रहा है। वह उसके पास आया कहा,”चेम्प क्या हुआ मेरे बच्चे ?”
“मीरा टूट गयी , चाचू मीरा टूट गयी”,चीकू ने अपनी टूटी हुई गुड़िया अक्षत के सामने करके कहा। अक्षत ने टूटी हुई गुड़िया देखी तो उसे ना जाने क्यों तकलीफ हुई ? शायद इसलिए की उस गुड़िया को चीकू मीरा कहकर बुलाता था। अक्षत ने चीकू के हाथ गुड़िया ली और कहा,”किसने किया ? आपने किया ?”
चीकू ने रोते हुए पूजा की और देखा तो अक्षत ने कहा,”पूजा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पूजा”
“जी भैया,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पूजा ने अक्षत के सामने आकर कहा
“ये तुमने किया ?”,अक्षत ने टूटी हुई गुड़िया पूजा के सामने करके कहा
“नहीं भैया मैं ऐसा क्यों करुँगी ? चीकू ने ही खेल खेल में तोड़ दी होगी”,कहते हुए पूजा ने चीकू को देखकर घुरा तो वह फिर रोने लगा। चीकू के रोने से अक्षत उसके पास आया और उसे चुप कराते हुए कहा,”चेम्प ऐसे रोते नहीं बेटा मैं तुम्हारे लिए दूसरी गुड़िया ले आऊंगा ठीक है”
कहते हुए अक्षत ने वो टूटी हुई गुड़िया वही टेबल पर रख दी और चीकू को हँसाने की कोशिश करने लगा , उसने उसे गुदगुदी करनी शुरू की तो चीकू हसने लगा और उसके बाद दोनों नाश्ता करने डायनिंग टेबल की और चले आये।
दोपहर में निहारिका होटल के रूम में थी , उसने सूटकेस के सारे कपडे बिखेर रखे थे आज उसे अक्षत के घर लंच पर जाना था और वह बहुत खूबसूरत दिखना चाहती थी। सब कपडे देखने के बाद उसने जींस और एक झीना लॉन्ग कुर्ता निकाला जो की नाभि से लेकर नीचे तक ओपन था। उसने वह पहना , अच्छे से मेकअप किया , और फिर अपने कमरे में घूमते हुए अक्षत के आने का इंतजार करने लगी। ये बात झूठ थी की निहारिका इंदौर घूमने आयी थी वह यहाँ सिर्फ अक्षत के लिए आयी थी। राधा ने अक्षत से जाकर निहारिका को घर लाने को कहा।
कुछ देर बाद होटल के बाहर आकर गाड़ी रुकी , रिसेप्शन से निहारिका के रूम में फोन गया और उसे कहा की नीचे कोई कार उसका वेट कर रही है। अक्षत उसे लेने आया है सोचकर ही निहारिका का दिल ख़ुशी से झूम उठा , उसने अपना फोन और अपना बैग लिया और नीचे चली आयी। होटल से बाहर आकर जैसे जैसे वह गाड़ी की तरफ बढ़ रही थी उसके चेहरे की ख़ुशी बढ़ते जा रही थी। निहारिका ने ड्राइवर के साइड वाली सीट का दरवाजा खोला और बिना देखे ही अंदर बैठते हुए कहा,”मुझे पता था तुम जरूर आओगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए निहारिका ने जैसे ही ड्राइवर सीट की और देखा उसके चेहरे की ख़ुशी गायब हो गयी ड्राइवर सीट पर अक्षत नहीं बल्कि रघु बैठा था। उसने निहारिका को देखा और कहा,”अक्षत भैया नहीं आये उन्होंने कहा मैं आपको ले आउ इसलिए मैं आ गया , चले मैडम ?”
अक्षत की जगह रघु को देखकर निहारिका का मूड पहले ही ऑफ हो चुका था लेकिन वह घर जाना मिस नहीं करना चाहती थी इसलिए खिड़की से बाहर देखते हुए रूखे स्वर में कहा,”चलो”

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