Manmarjiyan – 96
Manmarjiyan – 96

रामनगर की पहाड़ी का नजारा बदल चुका था। लवली मंगेश शुक्ला को मार रहा था , गुड्डू चुंगी को , शर्मा जी और गुप्ता जी लल्लन और मंगेश के आदमियों को , मंगल फूफा किसी को मार नहीं रहे थे बस इधर उधर भागकर ऐसे दिखा रहे थे जैसे इस लड़ाई में उनका बहुत बड़ा योगदान है। गोलू ईंट लेकर लल्लन के पीछे पड़ा था। बिंदिया ने जब देखा कि उसके बापू वहा है और लवली उन्हें मार रहा है तो बिंदिया उसके सामने आयी , लवली रुक गया और मंगेश नीचे गिरकर खाँसने लगा।
बिंदिया ने तड़पकर लवली से कहा,”इह सब का है लवली ? बापू को काहे मार रहे हो तुम ?”
लवली ने बिंदिया को सब सच बताया तो बिंदिया ने कहा,”नाही लवली ! बापू ऐसा नहीं कर सकते तुम्हे जरूर कोनो ग़लतफ़हमी हुई है”
“हमाये सामने से हट जाओ बिंदिया जे आदमी को हमहू ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे , तुम्हरे बापू ने हमसे हमाये पिताजी छीन लिए , हमे अनाथ कर दिया और तुम चाहिए हो हम इन्हे छोड़ दे , अरे जान ले लेंगे हम इनकी तुम हटो हमाये सामने से”,लवली ने गुस्से से बिंदिया को साइड करके कहा
लवली का हाथ भारी था और जैसे ही बिंदिया को लगा बिंदिया साइड में गिरी लेकिन वह नीचे गिरती इस से पहले गुड्डू ने उसे सम्हाल लिया और कहा,”अरे सम्हलकर”
बिंदिया ने गुड्डू को अपने सामने देखा और रोते हुए कहा,”लवली को रोको ना गुड्डू , देखो वो हमाये पिताजी को मार रहा है। पिताजी ने कुछ नहीं किया लवली को कोनो ग़लतफ़हमी हुई है,,,,,,,,,,,तुम तुम जाकर ओह्ह का रोको ना गुड्डू”
बिंदिया को रोते देखकर गुड्डू ने उसे सांत्वना दिया और सच बताया तो बिंदिया हैरानी से उसे देखने लगी। गुड्डू बिंदिया को समझा ही रहा था कि लल्लन के आदमी ने आकर पीछे से उसे एक घुसा मारा और गुड्डू उसके साथ उलझ गया। बिंदिया हैरान परेशान सी साइड में चली आयी। धीरे धीरे उस अहसास हो रहा था कि उसके पिताजी ने लवली के साथ अच्छा नहीं किया वह रोते हुए सबको देखते रही।
मिश्रा जी आदर्श फूफा के साथ पिंजरे से बाहर चले आये। उन्होंने जब देखा कि मंगेश और लल्लन के आदमी उनके लोगो पर भारी पड़ रहे है तो वे और आदर्श फूफा भी इसमें शामिल हो गए।
आदर्श फूफा को भी आज अपनी हीरोगिरी दिखाने का मौका मिल चुका था वे भी लगे सबके साथ एक एक को पीटने पर जैसे ही उनकी नजर मंगल फूफा पर पड़ी वे उनके पास आये और उनका कंधा थपथपा कर कहा,”का बे छोटा रिचार्ज ? जे कौनसा योगदान दे रहे तुमहू जे लड़ाई मा ? अबे का खाली नाम के डाकू हो ?”
आदर्श फूफा की बात सुनकर मंगल फूफा का खून उबला और उन्होंने खींचकर एक चाँटा आर्दश फूफा को लगा दिया और कहा,”खाली नाम के डाकू नाही है समझे,,,,,,,,,,,,!!”
आदर्श फूफा गुस्से से आग बबूला हो गए और इधर उधर देखा नीचे पड़ी ईंट पर उनकी नजर पड़ी उन्होंने ईंट उठायी और गुस्से से मंगल के पीछे भागते हुए कहा,”अबे साले ! तुम्हायी ऐसी की तेसी हमको चाँटा मारने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हरी तुमको छोड़ेंगे नाही,,,,,,,,,,रुक जाओ तुम्हायी लिट्टी का चोखा साले भाग कहा रहे हो”
आदर्श फूफा के हाथ में ईंट देखकर मंगल फूफा भाग खड़े हुए बाकि सब लड़ रहे थे बस गोलू लल्लन के पीछे तो आदर्श फूफा मंगल के पीछे ईंट लेकर इधर उधर भाग रहे थे।
ये सारी भसड़ शायद कम थी कि पहाड़ी से कुछ दूर पहले ही यादव जी का स्कूटर आकर रुका और उन्होंने पलटकर पीछे बैठी फुलवारी से कहा,”हम तुमको जोन जगह बता रहे थे यही है , सबसे छुपकर हमने जे पहाड़ी पर 200 गज का प्लॉट खरीदा है फूल उह्ह भी तुम्हरे नाम पर”
फुलवारी ने सुना तो ख़ुशी से उसका चेहरा खिल उठा और उसने स्कूटर से नीचे उतरकर यादव जी के बगल में आकर उनके गाल पर जबरदस्त चुम्मा देकर कहा,”थैंकू बिट्टी के पापा , आपने तो हमरा दिल ही खुश कर दिया,,,,,,,,,!!”
यादव जी भी ख़ुशी से खिलखिला उठे और स्कूटर से नीचे उतरकर उसे स्टेण्ड पर लगाया और कहा,”तो आओ फिर तुम्हरे दिल को थोड़ी ख़ुशी और देते है”
यादव जी हंसी ख़ुशी फुलवारी का हाथ थामे पहाड़ी पर चले आये लेकिन जैसे ही नजर सामने पड़ी दोनों हैरान रह गए। कुछ जाने पहचाने तो कुछ अनजान चेहरे दोनों को नजर आये और एक घमाशान वहा देखने को मिला। आदर्श फूफा से बचते हुए मंगल फूफा भागे जा रहे थे कि नजर फुलवारी पर पड़ी और मंगल फूफा वही जड़ हो गए।
आँखों में लाल दिल और होंठो पर बड़ी सी मुस्कान , चेहरा चमक उठा और दिल धड़क उठा। मंगल फूफा को ना अपने आस पास के लोग दिखाई दे रहे थे ना ही फुलवारी के बगल में खड़े यादव जी उसे तो बस पीली साड़ी में लिपटी फुलवारी और उसके खुले बाल दिख रहे थे जो हवा में लहरा रहे थे और फुलवारी बड़ी अदा के साथ मुस्कुराते हुए उन्हें साइड कर रही थी। मंगल फूफा ने चमकती आँखों के साथ कुर्ते की बाँहो को ऊपर चढ़ाया और बाँहो को थपथपाते हुए जैसे ही आगे बढे उन्होंने महसूस किया कि उनके पैर तो उठे पर वे आगे नहीं बढ़ पा रहे है।
मंगल फूफा ने पलटकर देखा तो पाया कि पीछे खड़े भारी भरकम आदर्श फूफा ने उनकी कोलर पकड़ रखी है और गुस्से से उन्हें घूर रहे है। मंगल फूफा कुछ कहते इस से पहले आदर्श फूफा ने उन्हें घुसा मारा और मंगल फूफा सीधा जाकर फुलवारी के चरणों में जा गिरे। यादव जी ने देखा तो कहा,”अब आये ना अपनी औकात में , तुम्हरी सही जगह जे ही है हमरी फुलवारी के कदमो में समझे”
मंगल फूफा को वहा देखकर फुलवारी भी हैरान थी वह कुछ कहती इस से पहले मंगल फूफा उठे और यादव जी के सामने अकड़कर कहा,,”आज चरणों मा जगह मिली है कल दिल मा भी मिल जाही है,,,,,,,,,अरे तुम का समझे हो हमरा पिरेम , दिन रात भैंसिया का गोबर उठाने वाले को इश्क़ की महक कहा से आएगी,,,,,,,,!!”
“जियादा बकवास की ना तो ओह्ह ही गोबर तुम्हरे मुँह पर पोत देंगे समझे,,,,,,गुप्ता के रिश्तेदार नहीं होते न तो अभी पटक के पेल देते,,,,,,!!”,यादव जी ने मंगल फूफा को घूरकर कहा
“तुम तो गुप्ता जी के रिश्तेदार नहीं हो ना ?”,मंगल फूफा ने पूछा
“नाही हम काहे रिश्ता बनाएंगे ओह जाहिल आदमी के संग”,यादव जी ने चिढ़कर कहा
“तो फिर हम तो तुमको पेल सकते है न”,कहकर मंगल फूफा ने उछलकर यादव जी की गर्दन दबोच ली और दो तीन घुसे लगा दिए उनके पेट में , यादव जी की गर्दन बाँह में थी तो बेचारे छुड़ा भी नहीं पाए। फुलवारी ने देखा तो घबराकर कहा,”अरे मंगल जी ! जे का कर रहे है आप छोड़िये इन्हे,,,,,,,,,,!!”
मंगल फूफा ने पहली बार फुलवारी के मुँह से अपने लिए मंगल जी सुना तो दिल में सितार सी बजने लगी उन्होंने यादव जी की गर्दन दबोचे प्यारी भरी नजरो से फुलवारी को देखा और कहा,”वही तो हम कह रहे है , छोड़ दीजिये ना जे गोबर प्रशाद को , अरे रानी बनाकर रखेंगे आपको का कहती हो ?”
फुलवारी ने सुना तो गुस्से से मंगल फूफा को देखा लेकिन यहाँ मामला गुस्से से नहीं प्यार से सुलटाना था इसलिए उसने तुरंत चेहरे के भाव बदले , शब्दों में चाशनी घोली और धीरे से एक मुक्का मंगल के सीने पर मारकर कहा,”मंगल जी ! आप जैसा रोमांटिक मर्द जे गुंडागर्दी करते अच्छा नहीं ना लगता है , छोड़ दीजिये ना उन्हें,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीजजजजजजज”
फुलवारी के चाशनी भरे शब्दों का असर था या फिर उसके प्लीज का मंगल फूफा ने तुरंत यादव जी को छोड़ दिया और फुलवारी की तरफ पलटकर शर्माते हुए ख़ुशी भरे स्वर में कहा,”हमको पता ही था कि तुम भी हमसे पिरेम करती हो,,,,,,,आधा लीटर दूध की कसम तुम्हरे लिए तो हमहू अपनी जान दे दे,,,,,,,,,,,!!”
“जान तो तुम्हरी हम निकालेंगे छठी की औलाद”,कहते हुए आदर्श फूफा ईंट हाथ में उठाये मंगल फूफा की तरफ लपके और मंगल फूफा जान बचाने भागे लेकिन बेचारे भागते हुए किसी चीज में उलझे और सीधा जा गिरे गुप्ता जी की बांहो में और उनके होंठ जा लगे गुप्ता जी के गालों पर , अब गुप्ता जी पहले ही मंगल फूफा से खुन्नस खाकर बैठे थे उन्होंने मंगल फूफा को खींचकर एक चाँटा मारा और कहा,”अबे चुम्मा का दे रहे हो , खुद को इमरान हाशमी समझ लिए हो का ?”
उधर आदर्श फूफा मंगल को मारने के लिए जैसे ही फुलवारी के सामने से गुजरे रुक गए और एकदम से अपने स्वर को नरम करके कहा,”कैसी है भाभीजी ? आजकल दिखाई नाही देती है,,,,,,,,,,,!!”
“उह्ह बिल्कुल ठीक है पर तुमहू कुछो ठीक नाही लग रहे , अरे जवानी तो जवानी बुढ़ापे मा भी रंगबाजी नाही छूट रही तुम लोगन की,,,,,,,,,,!!”,फुलवारी से पहले यादव जी ने कहा
यादव जी की आवाज सुनते ही आदर्श फूफा का मुंह बन गया और वे बड़बड़ाये,”कहा हमहू कोयल की आवाज सुनने जा रहे थे और बीच मा इह कौआ बोल पड़ा,,,,ऐसा लग रहा जैसे काजुकतली के डिब्बे मा कोनो करेला रख गवा हो,,,,,,,,,,,,कतई कड़वा”
यादव जी आर्दश फूफा के पास आये और फुलवारी को साइड कर फूफा से कहा,”हमका एक ठो बात बताओ हिया जे सब का हो रहा है ?”
“बोटर आई डी बन रही है जाओ तुमहू भी बनवाय ल्यो,,,,,,,,,,,अबे देख नाही रहे मार धाड़ चल रही है पर साले तुम हिया का कर रहे हो , अब का तुम्हरा भी जे कहानी में कोनो कॉन्ट्रिब्यूट है ?”,आदर्श फूफा ने कहा
“हम तुम लोगन की तरह गुंडे नाही है , शरीफ घर से है दूध बेचते है और इज्जत का पैसा कमाते है,,,,,,,,,,,!!”,यादव जी ने कहा
“ऐसा क्या ? एक मिनिट,,,,,,,,,,,!!”,कहकर आदर्श फूफा ने पलटकर लल्लन को देखा और चिल्लाकर कहा,”अबे ओह्ह्ह ललनवा ! जे कह रहा है तुम्हरी ऐसी की तैसी कर देंगे , तुम्हारी छाती फाड़ देंगे अरे माँ बहन एक कर देंगे तुम्हायी,,,,,,,,,!!”
लल्लन ने सुना तो गुस्से से लाल पीला हो उठा और चिल्लाकर चुंगी से कहा,”ए चुंगी ! उह्ह्ह साले की बत्ती बनाय दयो , छोड़ना नाही उसे”
आदर्श फूफा की वजह से बेचारे यादव जी फंस गए और रामनगर की पहाड़ी का नजारा और भी दिलचस्प हो गया क्योकि अब सबमे यादव जी भी शामिल हो चुके थे। गुप्ता जी से थप्पड़ खाकर मंगल फूफा जमीन पर जा गिरे और उनका मुँह मिटटी से भर गया साथ में उनके बाल भी,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी परेशान हो चुके थे वे मंगेश और लल्लन के आदमियों को जितना मारते उतने ही उठकर वापस आ जाते , चलते चलते गुप्ता जी फुलवारी से टकराये और जैसे ही फुलवारी गिरने को हुई गुप्ता जी ने अपनी बाँहो में थाम लिया और उसी वक्त आदर्श फूफा उधर से गुजरे और उनका फोन बजा।
“देखा पहली बार , साजन की आँखों में प्यार”
लल्लन के पीछे भागते गोलू ने जब ये नजारा देखा तो चिल्लाया,”पिताजी ! अम्मा की बात भूल गए का ?”
गुप्ता जी को जैसे ही गुप्ताइन की याद आयी उन्होंने एक ही झटके में फुलवारी को छोड़ दिया बेचारी फुलवारी जमीन पर आ गिरी और अपनी कमर पकड़कर कराह उठी। गोलू फिर लल्लन के पीछे भागा। उधर आदर्श फूफा का फोन बजते देखकर गुप्ता जी ने एक मुक्का उनकी पीठ पर मारा और कहा,”फ़ोन उठाने का तुम्हरा बाप आएगा ? उठाते काहे नाही , फोन उठाओ”
गुप्ता जी के एक मुक्के में ही फूफा की रीढ़ की हड्डी सीधी हो गयी और उन्होंने जेब से फोन निकालकर कान से लगाया और फिर अपना फोन गुप्ता जी की तरफ बढाकर कहा,”तुम्हरे लिए है,,,,,,,,,,!!”
“हमरे लिए , हमरे लिए काहे होगा ?”,गुप्ता जी ने झल्लाकर कहा
“अरे तुम्हरी मेहरारू का फोन है पूछ ल्यो हमे का पता काहे फोन की है ?”,आदर्श फूफा ने भी झल्लाकर कहा
गुप्ता जी ने फोन लिया और कहा,”गुप्ताइन का नंबर तुम्हरे फ़ोन मा कैसे ?”
कहते हुए गुप्ता जी साइड में जाते हुए चिल्लाये,”जे सब का का हो रहा है हमरी पीठ पीछे,,,,,,,,हेलो”
“हेलो ! गोलू के पिताजी , कहा है आप ? फोन काहे बंद है आपका ? अरे हमको इत्ती जरुरी बात करनी रही आपसे तबसे फोन मिलाय रहे है पर लग नाही रहो”,फोन के दूसरी तरफ से गुप्ताइन ने चिन्ताभरे स्वर में कहा
“मेला मा चकरी वाला झूला झूल रहे है”,गुप्ता जी ने दाँत पीसकर कहा
“जे कोनो झूला झूलने की उमर है आपकी और जब झूलना ही था तो हमको भी साथ ले जाते,,,,,,,हम तो हिया घर मा बस चोखा बनाने और चटनी पीसने के लिए है”,गुप्ताइन ने शिकायती लहजे में कहा
“अरे तुम्हरा दिमाग का घुटनो मा है,,,,,,,,,,,इह बताओ फोन काहे की हो का जरुरी बात करनी थी ?”,गुप्ता जी चिल्लाये
“अरे हम जे कह रहे लिट्टी बनाय दिए है , सिलबट्टे पर चटनी भी पीस दिए है और चोखा भी तैयार है बस एक ठो परेशानी है,,,,,,,,चोखा मा डालने के लिए सरसो का तेल नाही है ,, तो आप बिना तेल का चोखा खा लेंगे ना ?”,गुप्ताइन ने कहा
गुप्ता जी ने सुना तो उनका दिल किया एक बड़ा सा ईंट उठाये और उसे अपने सर पर मार ले इतने मुश्किल हालात में भी गुप्ताइन उनसे फोन करके ये सब बातें पूछ रही थी,,,,,,,!!
गुप्ता जी को खामोश पाकर गुप्ताइन ने खुद ही अंदाजा लगा लिया और कहने लगी,”हमे पता ही था नाही पसंद आएगा आपको , अरे हमेशा से चोखा मा सरसो के तेल डालकर खाते आये है आज बिना तेल कैसे खा लेंगे ? हमही बौड़म है जोन लिट्टी चोखा बनाये रहय इह देखा भी नाही कि घर मा सरसो का तेल है के नाही,,,,,,,,अब का करे दूकान जाने वाला भी कोनो है नाही घर मा , एक गोलुआ था ओह्ह का भी आप भगाय दिए रहय और खुद चकरी वाला झूला झूल रहे है , अरे हम पूछ रहे है अब का डाले चोखा मा ?”
गुप्ता जी के गुस्से का पारा फूटा और वे चिल्लाये,”एक काम करो हमे छोंक दो , अरे तुमको अक्कल वक्कल है कि नाही ? कहा है किन हालात में इह जाने बिना कुछ भी बोले जा रही हो,,,,,,,,,अरे रामनगर की पहाड़ी पर फंसे हुए है मिश्रा जी और बाकि सबके साथ अब फोन रखो जे मामला सुलटा कर घर आते है”
“घर आते हुए एक ठो बोतल सरसो का तेल लेते आईयेगा”,गुप्ताइन ने कहा और यहाँ गुप्ता जी अपना होशो-हवास खो बैठे और फोन दे मारा जमीन पर लेकिन अगले ही पल नजर पड़ी आदर्श फूफा पर और गुप्ता जी समझ गए कि अब भागने का वक्त आ चुका है।
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संजना किरोड़ीवाल


गुप्ता जी को खामोश पाकर गुप्ताइन ने खुद ही अंदाजा लगा लिया और कहने लगी,”हमे पता ही था नाही पसंद आएगा आपको , अरे हमेशा से चोखा मा सरसो के तेल डालकर खाते आये है आज बिना तेल कैसे खा लेंगे ? हमही बौड़म है जोन लिट्टी चोखा बनाये रहय इह देखा भी नाही कि घर मा सरसो का तेल है के नाही,,,,,,,,अब का करे दूकान जाने वाला भी कोनो है नाही घर मा , एक गोलुआ था ओह्ह का भी आप भगाय दिए रहय और खुद चकरी वाला झूला झूल रहे है , अरे हम पूछ रहे है अब का डाले चोखा मा ?
गुप्ता जी को खामोश पाकर गुप्ताइन ने खुद ही अंदाजा लगा लिया और कहने लगी,”हमे पता ही था नाही पसंद आएगा आपको , अरे हमेशा से चोखा मा सरसो के तेल डालकर खाते आये है आज बिना तेल कैसे खा लेंगे ? हमही बौड़म है जोन लिट्टी चोखा बनाये रहय इह देखा भी नाही कि घर मा सरसो का तेल है के नाही,,,,,,,,अब का करे दूकान जाने वाला भी कोनो है नाही घर मा , एक गोलुआ था ओह्ह का भी आप भगाय दिए रहय और खुद चकरी वाला झूला झूल रहे है , अरे हम पूछ रहे है अब का डाले चोखा मा ?”