Manmarjiyan – 13
Manmarjiyan – 13

मिश्रा जी के घर से निकलकर गोलू गुड्डू की बाइक लेकर बाबू के घर के लिए निकल गया। गोलू के एक हाथ में चाय थी और दूसरे हाथ से वह बाइक को सम्हाले था। कानपूर की गलियों में गोलू खतरों का खिलाडी बना हुआ था , तभी उसने बाइक लेजाकर सामने खड़े ठेले में ठोक दी और गोलू उछलकर ठेले पर जा गिरा जो कि खारी बिस्किट से भरा हुआ था। गुड्डू की बाइक मुँह बाए नाले के बगल में पड़ी थी लेकिन मजाल है गोलू के हाथ में पकडे कप से एक बूंद भी चाय भी चाय नीचे गिर जाए।
गोलू ने देखा बाइक तो वैसे भी नीचे गिर चुकी है तो उसने ठेले पर पड़े बिस्किट में एक उठाया और चाय में डुबोकर खाने लगा।
“ए बबुआ ! सुबह सुबह इह का किये तुमहू हमरा नुकसान कर दिए,,,,,,,,,जे का पैसा कौन भरी है ?”,ठेले वाले चाचा ने कहा
“अरे हमायी का गलती है तुमहू अपना ठेला लिए बीच में आये रहय , और दे देंगे पैसे एक बिस्कुट का कितना ही पैसा होगा 2 रूपये 5 रूपये अरे हम आपको 10 रूपये दे देंगे,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
ठेलेवाले ने गोलू को धर लिया और कहा,”1-2 रुपया नहीं बबुआ पुरे 2000 का नुकसान करि हो तुमहू , चुपचाप पैसा निकालो”
“अरे सुबह सुबह का भांग खा लिए हो तुमहू , 2000 कहा से लाएंगे अभी,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“पैसा तो तुमको देहि का पड़ी बबुआ , वरना इह गले का चैन उतारो जब पैसा हो ले जाना वापस”,ठेलेवाले ने गोलू के गले में पहनी चैन पर हाथ डालते हुए कहा।
“ए चचा जे जियादा हो रहा है हां,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
अभी चाचा खुद ठहरे कनपुरिया उन्होंने अपना कुर्ता थोड़ा सा ऊपर किया और कहा,”का बबुआ हमको नल्ला समझे हो ?”
गोलू की नजर सामने पाजामे में खोंसे कट्टे पर पड़ी तो बेचारे की जान हलक में अटक गयी उसने अपनी चैन उतारी और चचा के गले में डालकर कहा,”थोड़ी देर में पैसे दे देंगे इह का बेच ना दियो , हमरे दहेज़ में मिली है”
“पहिले ही मान जाते , बिस्कुट खाहि हो ?”,चचा ने पूछा
“ना चचा ! हम ना पचा पाही है दुई हजार का बिस्कुट”,गोलू ने बुझे स्वर में कहा और बाइक के पास चला आया। उसने बाइक उठायी और उस पर आ बैठा। ठेलेवाले को वापस आने का बोलकर गोलू वहा से निकल गया
बाइक बाबू के घर के बाहर आकर रुकी। गोलू ने बाइक से उतरा और दनदनाते हुए सीधा अंदर चला आया। बाबू अंदर अपने लिए खाना बना रहा था।
“बाबू सब ठीक है ना हिया ?”,गोलू ने पूछा
“हाँ भैया,,,,,,,,,!!”,बाबू ने अपना खाना बनाते हुए कहा
“बढ़िया,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू घर के पिछले हिस्से में आया और अगले ही पल बाबू के कानो में गोलू के चिल्लाने की आवाज आयी,”बाबू,,,,,,,,,,,,,,!!”
“बाबू , उह बोरा कहा गया जो हिया रखा था ?”,गोलू ने परेशानी भरे स्वर में पूछा क्योकि जिस बोर में उसने फूफाजी को बंद किया था वो वहा से गायब था।
“भैया उह तो शायद दूसरे बोरो के साथ कचरे वाले उठाकर ले गए,,,,,,,,,!!”,बाबू ने मरे हुए स्वर में कहा
गोलू ने सुना तो अपना माथा पकड़ लिया और वही जमीन पर उकडू बैठ गया , गोलू ने मिश्राजी के सामने जो हवाबाजी की थी फूफा को उठाने की वो अब उसे ही भारी पड़ रही थी।
गोलू झटके से उठा और बाबू पर चढ़ते हुए कहा,”अबे बाबू ! उह बोर मा कचरा नहीं , फूफा था बे,,,,,,,,,साला अब कहा ढूंढी है उनको,,,,,,,एक मुसीबत से निकलते नहीं कि दूसरी तलवार लेकर हमाये सर पर सवार रहती है,,,,अगर फूफा नहीं मिले न तो समझी इह गर्दन तो कटी , भरी जवानी मा पिंकिया बिधवा हो जाहि,,,,,,,,,हमार आने वाला बच्चा बाप का मुंह तक ना देख पाहि,,,,,,,,,,हे महदेव 7 जन्मो का भसड़ एक ही जिंदगी में काहे लिख दिए ?”
“शांत हो जाओ भैया,,,,,,,,!!”,बाबू ने गोलू को दिलासा देकर कहा
खीजे हुए गोलू ने बाबू को एक चपत लगायी और कहा,”हमहू रख रहे है साले तुमहू निकलो यहाँ से,,,,,,,,,,!!”
बाबू चला गया गोलू ने अपने बाल नोचने के लिए अपने सर की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन गोलू तो टकला हो चुका था वह और झुंझला उठा और अंदर आकर बाबू से कहा,”इह मोहल्ले से कचरे की कौनसी गाडी निकलती है ?”
“201 भैया , अभी 2 मिनिट पहले ही निकली है , चौराहे वाली रोड पर मिल जाहि है”,बाबू ने कहा
गोलू जल्दी से निकला और बाबू को आवाज देकर बाइक स्टार्ट की। बाबू बाहर आया तो गोलू ने उसे अपने पीछे बैठने को कहा
“अरे भैया हमायी कढ़ी तो बन जाने दीजिये”,बाबू ने कहा
“वहा फूफा रायता फ़ैलाने के मूड में है और तुमको कढ़ी की पड़ी है , तुमहू बैठो यार हम तुमको सोया चाप खिला देंगे”,गोलु ने कहा
बाबू ने घर का दरवाजा बंद किया और गोलू के पीछे आ बैठा। गोलू ने बाइक आगे बढ़ा दी और बाबू के साथ मिलकर कचरे की गाडी को ढूंढने लगा।
10 मिनिट सड़क पर घूमने के बाद बाबू ने कहा,”भैया उह रही,,,,,,,वहा सोहन हलवाई की दुकान के सामने”
“अरे जिओ बाबू का चील की नजर है तुम्हरी साले,,,,,,,बस फूफा मिल जाये”,गोलू ने बाइक को गाड़ी की तरफ घुमाते हुए कहा
गोलू ने कचरे वाली गाड़ी के पीछे बाइक रोकी और नीचे उतरा लेकिन कचरे वाले को थोड़ी देर रोकना भी जरुरी था और गोलू साफ साफ नहीं बोल सकता था ना बोर में फूफा है। गोलू ने बाबू से बोरा उतारने को कहा और खुद गाड़ी वाले ड्राइवर के पास आकर कहा,”का हो भैया ? इतना साइलेंट में कचरा काहे उठा रहे ?”
“का भैया का हुआ ?”,गाड़ी वाले ने ब्रेक मारकर कहा , बाबू जो की गाडी पर बोरा उतारने चढ़ा ही था ब्रेक लगने से गाड़ी में रखे कचरे में जा गिरा। केले के छिलके उसके सर पर आ गए और हाथ मुंह पर कीचड़ लग गया लेकिन गोलू ने जो काम कहा वह भी करना जरुरी था इसलिए बोरा ढूंढने लगा।
“अरे भैया तुम्हरी कोनो जिम्मेदारी बनती है कि नाही हम कानपूर वालो के लिए ?”,गोलू ने फिर उसे बातो में उलझाते हुए कहा
“जिम्मेदारी ही तो निभा रहे है सारे शहर का कचरा उठा रहे है , अब का चाहते हो सड़क पर लेट जाए तुम्हरे लिए,,,,,,,,,,,!!”,ड्राइवर ने कहा
“अरे तो जब जिम्मदारी उठा ही रहे हो तो मोदी जी का दिया गाना काहे नहीं बजाय रहे ? उह सुनकर ही तो कानपूर की जनता घरो से बाहिर आयी है,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“कौनसा गाना ?”,ड्राइवर ने गोलू की बातो में उलझकर कहा
गोलू ने पीछे झुककर देखा तब तक बाबू अपना काम कर चुका था। गोलू ड्राइवर की तरफ पलटा और कहा,”अरे वही देख देख देख कचरा यू ना कही फेंक,,,,,,,,,देख फैलेगी बिमारी होगा सबका बुरा हाल,,,,,,,,,,!!”
“तो का करे भैया ?”,ड्राइवर ने कहा
“गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल , गाडी वाला आया घर से कचरा निकाल”,गोलू ने गर्दन मटकाकर गाते हुए कहा
ड्राइवर ने गाना चलाया और गाडी आगे बढ़ाते हुए कहा,”कसम से जे बकचोदी कानपूर वाले ही कर सकते है,,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने हाथ हिलाकर गाड़ी वाले को विदा किया और जल्दी से बाबू की तरफ आकर कहा,”फूफा मिला ?”
“हाँ भैया जे रहे,,,,,,,,,,,!!”,बाबू ने बोरे की तरफ इशारा करके कहा
“कोनो और पिरोब्लम मा फंसे जे से पहिले बोरा डालो बाइक पर,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बाबू की मदद से फूफा को बाइक पर डालते हुए कहा और खुद आगे आ बैठा। बाबू पीछे बैठ गया और चलने को कहा।
गोलू फूफा को लेकर चल पड़ा। आधे घंटे तक सड़को गलियों में चक्कर काटते रहा लेकिन ऐसी कोई जगह नहीं मिली जहा फूफा को 10 दिन कैद रख सके। घूमते घामते गोलू अपने ही घर की गली से निकला। गुप्ता जी बाहर ही खड़े थे गोलू ने जब उन्हें देखा तो बाइक वापस घुमाने लगा लेकिन गुप्ता ने उसे देख लिया और कहा,”ए बेटा ! हिया आवा”
“मुसीबत तुम्हरे पास नहीं आती गोलू तुम खुद सज धज के मुसीबत के पास जाते हो”,गोलू बड़बड़ाते हुए बाइक लेकर गुप्ता जी के सामने के आया। गुप्ता जी ने बोरा देखकर कहा,”जे बोरा मा का है ?”
ऐसे समय में गोलू का दिमाग बिजली से भी तेज चलता है उसने कहा,”जे तो आलू है , कल मिश्रा जी के हिया तिये की बैठक है ना तो पूरा मोहल्ला वही खाना खाही है”
“तो हमका जे बताओ गोलुआ मंडी तो उस तरफ है इधर से किधर से आ रहे हो तुम ?”,गुप्ता को दाल में कुछ काला लगा
“अरे उधर रास्ता बंद था तो इधर से चले आये,,,,,,,कोनो दिक्कत है ?”,गोलू ने चिढ़कर कहा
“नहीं हमका का दिक्कत होगी , दिक्कत तो मिश्रा जी को होगी का है कि अपने घर का जिम्मेदारी जो तुमको दिए रहय उह,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने गोलू की सुबह सुबह खिंचाई करते हुए कहा
“ए पिताजी ! यार हमहू ना हाथ जोड़ते है हमका जाय दयो ,, जे सास बहु वाला नाटक ना हमहू दोपहर बाद खेलेंगे तुम्हरे साथ,,,,,,,,ठीक है ?”,गोलू ने बाइक स्टार्ट करके कहा
” हमहू तुम्हरे बाप है सास कब से बन गए बे ?”,गुप्ता जी ने कहा
“का है कि कानपूर को सास अपनी बहु को जितना ताना मारती है ना उस से दुई ताने ज्यादा ही सुने रहे हमहू आपसे,,,,,,,,अब मेहरबानी करके जाय दयो,,,,,,,,!!”,गोलू ने लगभग हाथ जोड़ते हुए कहा
“हाँ हाँ जाओ हमहू कौनसा रोक रहे है पर जे नमूना कौन है तुम्हरे पीछे ?”,गुप्ता जी ने बोरे के पीछे बैठे बाबू को देखकर पूछा
“जे बाबू है ?”,गोलू ने कहा
“बाबू है ? किसके बाबू ? गोलुआ औरतन तक तो ठीक था अब का लौंडो से भी इश्क़ लड़ाने लगे हो ?”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे पिताजी बाबू , बाबूलाल नाम है इसका , हमरी दुकान के बाहिर गोलगप्पे का ठेला लगाते है,,,,,,,,,,का कुछ भी बोल रहे हो”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“अच्छा अच्छा ठीक है किलसा काहे रहे हो ? जाओ निकलो और हां ध्यान रहे मिश्रा जी को कोनो शिकायत ना हो”,गुप्ता जी ने कहा
गोलू आगे बढ़ गया , गुप्ता जी ने देखा आलू के बोरे में से पानी जैसा कुछ निकल रहा है तो उन्होंने ऊँची आवाज में कहा ,”अबे गोलू ! जे बोरे में से पानी गिर रहा है का तरी वाला आलू लाये हो का ?”
गोलू ने गुप्ता जी की बात सुनी जरूर लेकिन जवाब दिए बिना ही गली में मुड़ गया और बाबू से कहा,”बाबू देखो ज़रा का गिर रहा बोरे से ?”
बाबू ने बोरे से झरते पानी को उंगलियों पर लिया और सूंघकर देखा और बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा,”भैया इह तो पिसाब है,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने सुना तो उलटी जैसा मुंह बनाया और कहा,”बाबू खिसक बइठो साला हमको ना छूना,,,,जे मिश्रा जी के सामने हीरो बनने के चक्कर में साला हमको का का करना पड़ रहा है ?”
मिश्रा जी का घर , कानपूर
“ए गुडडुआ ! जरा देखो तुम्हरे फूफा को फोन लगाय रहे है तब से लग नाही रहा है”,भुआजी ने अपना फोन गुड्डू को दिखाते हुए कहा
गुड्डू ने फोन लिया और फूफा का नंबर डॉयल करके कान से लगाया। गुड्डू ने फोन भुआ को दिया और कहा,”भुआ फूफा का फोन नेटवर्क मा नाही है”
“एक ठो काम करो हमाये फोन मा कोमलिया का नंबर होगा ज़रा ओह्ह का फोन लगाय दयो”,भुआजी ने कहा
गुड्डू ने कोमल को फोन लगाकर भुआजी की तरफ बढ़ा दिया। भुआजी ने फोन कान से लगाया और जैसे ही दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया भुआजी ने कहा,”ए कोमलिया , तुम्हरे पिताजी घर मा है का ? हमहू कबसे उनको फोन लगाय रहे फोन काहे नहीं उठाते उह बात करवाओ ज़रा,,,,,,,,,,,,!!”
“पिताजी तो कल से घर ही नहीं आये है माई , हम और भैया तो खुद कानपूर आ रहे है स्टेशन पर है अभी,,,,,,,,,,,!!”,कोमल ने कहा
“का घर नाही पहुंचे ? ठीक है हमहू करते है बात,,,,,,,,,,,,,!!”,उलझन में पड़ी भुआ ने फोन काटा और गुड्डू की तरफ देखा
“का हुआ भुआ ? परेशान काहे हो ?”,गुड्डू ने पूछा
“तुम्हरे फूफा कल हिया से निकले थे अभी तक घर नाही पहुंचे है गुड्डू,,,,,,,,कोनो अनहोनी तो ना हो गयी उनके साथ ?”,कहते हुए भुआजी ने जैसे ही रोने के लिए मुंह खोला गुड्डू ने कहा,”रोना नहीं भुआ हमहू पता करते है,,,,,,,,,तुमहू अंदर जाओ हमहू फोन मिलाते है फूफा को”
भुआजी ने मुंह वापस बंद कर लिया और अंदर चली गयी। गुड्डू ने अपना फोन निकाला और बड़बड़ाया,”फूफा अब तक घर नाही गए,,,,,तो कहा गए होंगे ?”
खुद से बात करते हुए गुड्डू को एकदम से याद आया कि कल रात उसने ही तो गोलू से फूफा को लेकर जाने को कहा था।
गुड्डू ने गोलू को फोन लगाया , कुछ देर बाद गोलू ने फोन उठाया और कहा,”हाँ भैया !”
“हाँ भैया बाद में पहिले जे बताओ फूफा कहा है ? का किये उनके साथ ?”,गुड्डू ने कठोरता से पूछा
गोलू ने पलटकर बाबू को देखा और दबी आवाज में कहा,”साले बाबू का पुरे कानपूर को बता दिए का ?”
“अरे हमहू कुछो नाही कहे है किसी से , गंगा मैया की कसम”,बाबू ने कहा जिसे कुछ पता भी नहीं था कि क्या हो रहा है पर बेचारा गोलू के चक्कर में चक्करघिन्नी बना हुआ था
गोलू ने फोन वापस कान से लगाया और कहा,”फूफा , फूफा तो रात में ही अपने घर के लिए निकल गए,,,,,,,काहे का हुआ ?’
“होना का है गोलू ? फूफा अभी तक घर नाही पहुंचे है , उनका फोन भी नहीं लग रहा है और हिया भुआ अपनी चुडिया तोड़ने को बेताब है,,,,,,,,गोलू फूफा को ढूंढकर घर लाओ वरना पिताजी को पता चला कल रात के बारे में तो लतिया देंगे हमे,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“अरे मिश्रा जी ही तो करवा रहे है जे सब,,,,,,,,,,,!!”,गोलू के मुंह से एकदम से निकल गया
“का मतलब ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे हमरा मतलब ना मिश्रा जी का उनसे झगड़ा होता , ना उह फूफा पर हाथ उठाते , ना फूफा घर से जाते,,,,,,,,खैर आप चिंता नाही करो हमहू देखते है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू को थोड़ी तसल्ली मिली और उसने फोन काट दिया
गोलू ने कहने को तो कह दिया की वह सम्हाल लेगा लेकिन अब गोलू फूफा को इस हालत में घर लेकर जाए तो फंसा क्योकि फूफा सारा राज खोल देगा और उसने जो मिश्रा जी से वादा किया था वो पूरा नहीं होगा , और अगर गोलू फूफा को किडनेप करता है तो उनके गायब होने का शक गोलू पर जाएगा। गोलू बुरी तरह फंस चुका था। बाबू ने गोलू को देखा और कहा,”का हुआ भैया ?”
गोलू ने बाबू की तरफ देखा और कहा,”बाबू एक ठो बात बताओ , तुमने कभी पड़ी लकड़ी ली है ?”
“नहीं भैया”,बाबू ने कहा
“हमने पूरा बांस लिया है”,गोलू ने कहा और रोने लगा
Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13
Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13Manmarjiyan – 13
- Continue With Manmarjiyan – 14
- Visit sanjana kirodiwal
- Follow Me On instagram
संजना किरोड़ीवाल


एक ठो काम करो हमाये फोन मा कोमलिया का नंबर होगा ज़रा ओह्ह का फोन लगाय दयो”,भुआजी ने कहा
गुड्डू ने कोमल को फोन लगाकर भुआजी की तरफ बढ़ा दिया। भुआजी ने फोन कान से लगाया और जैसे ही दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया भुआजी ने कहा,”ए कोमलिया , तुम्हरे पिताजी घर मा है का ? हमहू कबसे उनको फोन लगाय रहे फोन काहे नहीं उठाते उह बात करवाओ ज़रा,,,,,,,,,,,,!!”
“पिताजी तो कल से घर ही नहीं आये है माई , हम और भैया तो खुद कानपूर आ रहे है स्टेशन पर है अभी,,,,,,,,,,,!!”,कोमल ने कहा
एक ठो काम करो हमाये फोन मा कोमलिया का नंबर होगा ज़रा ओह्ह का फोन लगाय दयो”,भुआजी ने कहा
गुड्डू ने कोमल को फोन लगाकर भुआजी की तरफ बढ़ा दिया। भुआजी ने फोन कान से लगाया और जैसे ही दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया भुआजी ने कहा,”ए कोमलिया , तुम्हरे पिताजी घर मा है का ? हमहू कबसे उनको फोन लगाय रहे फोन काहे नहीं उठाते उह बात करवाओ ज़रा,,,,,,,,,,,,!!”
“पिताजी तो कल से घर ही नहीं आये है माई , हम और भैया तो खुद कानपूर आ रहे है स्टेशन पर है अभी,,,,,,,,,,,!!”,कोमल ने कहा
🤣🤣🤣🤣 yr yeh Golu to matlab katai kamaal ki aadmi hai…log padi hui lakdi late hai, but Golu maharaj ne to pura bans le liya aur wo bhi Fufa Ji naam k prani ki…khar ab Golu bura fans chuka hai…ek to usne ab tak bore ko khol kar bhi dekha ki usne hai kya ..usme se pani tapak raha hai…esa na ho ki fufa ji ki jagah bore m sada gala kachra nikle…tum to gaye Golu maharaj
Mam please mai teri heer ke daily episodes post kia kijiye