Manmarjiyan Season 3 – 93
Manmarjiyan Season 3 – 93

रामनगर की पहाड़ी का नजारा काफी दिलचस्प था। आदर्श फूफा और गुड्डू पिंजरे में कैद थे , मंगल फूफा पेड़ से बंधे थे , मिश्रा जी को लल्लन के आदमियों ने पकड़ लिया था , गुप्ता जी लल्लन की गोद में थे , गोलू मुंह फाडे उन्हें देख रहा था और लवली अपना सर पकडे नीचे बैठा था। सब थे बस शर्मा जी कही नजर नहीं आ रहे थे और किसी ने इस बात पर ध्यान भी नहीं दिया था। फोन लगातार बज रहा था गुप्ता जी ने अपना फोन निकाला और कान से लगाकर कहा,”हेलो ! हां काहे फोन कर रही हो ?”
“अरे हमहू जे पूछ रहे थे कि दुपहर के खाने मा दाल भात के साथ बैंगन का भुजिया बनाय ले खा लोगे ?”,दूसरी तरफ से गुप्ताइन ने कहा
“अरे हम नाही खाये है रोज रोज बैंगन , एक बैंगन तो हमाये सामने खड़े है,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा और लल्लन को देखकर मुंह बनाया
“तो हिया कोनो पनीर का फैक्ट्री नाही लगा जो रोज रोज मटर पनीर बनाय के रखे आपके लिए,,,,,,,बैंगन का चोखा बनाय रहे है खाना हो तो खाइयेगा”,गुप्ताइन ने अकड़कर कहा
“अरे गोलू की अम्मा ! तुमको ज़रा भी अक्कल नाही है , साला कहा खड़े है , किसके साथ खड़े है कौन पोजीशन मा खड़े है कुछो अंदाजा भी है तुमको बस फोन मिलाय देहि और खाने का पूछ रही है”,गुप्ता जी ने घुड़ककर कहा
गोलू ने जब सुना कि फ़ोन के उस तरफ उसकी अम्मा है तो उसने कहा,”पिताजी अम्मा है का ? हमरा प्रणाम कहना उनसे”
गुप्ता जी ने सुना तो गोलू पर प्यार तो उन्हें आने से रहा गुस्सा ही आएगा , एक तो गुप्ताइन गलत बात कर रही थी उस पर गोलू अब गुप्ताइन पर तो गुप्ता जी का जोर चला नहीं तो उन्होंने गोलू को थप्पड़ मारा और कहा,”हमायी बारात मा आये हो जो प्रणाम कहे उनको , साले हिया का शादी समारोह चल रहा है ,, ए गुप्ताइन फोन रखो तुम”
थप्पड़ खाकर गोलू घूमते हुए मुंह के बल खाई किनारे जा गिरा , बेचारे के मुंह में मिटटी चली गयी और जैसे ही साँस बाहर छोड़ा मिटटी भी बाहर उड़ी।
तभी गोलू की नजर खाई में नीचे लटके अपने ससुर शर्मा जी पर पड़ी जो कि किनारे का पत्थर पकडे खाई में लटके हुए थे और ये हुआ था स्कूटी की टक्कर से जिस जी शर्मा जी उछलकर खाई में जा गिरे।
लल्लन एक तो गुप्ता जी को अपनी गोद में उठाये हुए था ऊपर से गुप्ता जी का अलग ही चल रहा था। लल्लन ने उनके हाथ से फोन लिया और जमीन पर फेंककर कहा,”ना रहेगा फोन ना बनेगा बैंगन”
“अबे बैंगन की शक्ल के हमाओ फोन काहे तोड़ दिए ?”,गुप्ता जी ने लल्लन की गोद से उतरकर उसकी कोलर पकड़ ली
“हमाओ नाम लल्लन है , लल्लन चकिया वाले”,लल्लन ने अकड़कर कहा
“अबे तुमहाओ नाम लल्लन हो चाहे कल्लन , हमाओ फ़ोन काहे तोड़े हमायी गुप्ताइन बुरा नाम जाही है”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
पिंजरे में बंद गुड्डू ने जब देखा कि लल्लन के आदमियों ने मिश्रा जी को पकड़ लिया है तो वह चिल्लाया,”पिताजी , पिताजी , लवली हमरा बड़ा भाई है पिताजी ,, का आप इह बात जानते है पिताजी ? देखिये ना हम ओह्ह से कित्ती बार कहे पर उह्ह कुछो सुनने को तैयार ही नाही है। आप , आप उसे समझाइये ना पिताजी उह्ह आपकी बात जरूर सुनेगा”
गुड्डू को इस हाल में देखकर मिश्रा जी को बहुत दुःख हुआ , उनके एक राज की वजह से आज सब मुसीबत में थे और लवली कुछ सुनने को तैयार नहीं था।
मिश्रा जी ने गुड्डू को देखकर हामी में गर्दन हिलायी तो आदर्श फूफा ने गुड्डू से कहा,”जे सब तुम्हरे बाप का किया धरा है , अरे पहिले ही सबको सच बता देते तो इत्ता हंगामा ही नाही होता पर नहीं हिया तो सबको “मनमर्जियाँ” करनी है”
गुड्डू सब सुन सकता था लेकिन मिश्रा जी के खिलाफ नहीं , उसने फूफा की गर्दन अपनी बाँह में दबोची और कहा,”का रे फूफा ? बूढ़ा जब से गुजरी है कुछो जियादा ही हवा मा उड़ने लगे हो ? कौनसे चमगादड़ वाले पंख देके मरी है ओह्ह तोह का,,,,,,,पिछले पांच दिन से देख रहे है हाथ धोकर पिताजी के पीछे पड़े हो। जे गुंडा लोग से तो हमहू बाद मा निपटे है पहिले तुम्हरी बत्ती बनाएंगे,,,,,,,,!!”
कहते हुए गुड्डू ने बेचारे फूफा के कोल में दो चार घुसे लगा ही दिए। मिश्रा जी ने देखा तो चिल्लाये,”ए गुड्डू ! अबे का कर रहे हो ? अरे दामाद है उह्ह हमरे घर के यार अइसा ना करो”
“दामाद नाही पिताजी सारा फसाद ही जे ही है , गोलू सही कहता है जे फूफा होते ही कलेश करने के लिए है”,कहते हुए गुड्डू ने फूफा को घुमा दिया
“अरे हम कह रहे है छोडो,,,,,,,,,का कर रहे हो तुम लोग ? अरे हमको इन गुंडों से लड़ना है एक दूसरे से नाही , छोडो आदर्श बाबू को तुम्हे हमायी कसम है”,मिश्रा जी चिल्लाये तब तक फूफा गुड्डू के चंगुल से निकल चुके थे और कहा,”अरे हम जे का छुड़ाने आये थे इह हमाये ऊपर ही हाथ साफ कर दे रहा है जे सब ना आपकी और गुड्डू की मिलीभगत है”
“पिताजी जे फिर बोल रहा है,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गुड्डू ने फूफा की तरफ देखा तो फूफा भागकर जाल पर चढ़ गए और गुड्डू नीचे खड़ा उन्हें घूरने लगा।
उधर धरती पर गिरे गोलू ने जब शर्मा जी को लटके देखा तो कहा,”अरे ससुर जी ! आप हिया का झूला झूलने आये है ?”
“झूला नाही झूल रहे है बकैत आदमी खाई मा गिर गए है , बाहिर निकालो हमे वरना हमेशा के लिए झूल जायेंगे”,शर्मा जी ने कहा और नीचे देखा तो गहरी खाई देखकर उन्हें हल्का सा चक्कर आया और उन्होंने आँखे बंद कर ली।
“अच्छा अच्छा , ल्यो हमाओ हाथ पकड़ो हम आपको ऊपर खींचते है”,गोलू ने अपना हाथ नीचे लटके शर्मा जी की तरफ बढ़ाया लेकिन शर्मा जी गोलू का हाथ थाम पाते इस से पहले गोलू ने अपना हाथ वापस खींचा और कहा,”लेकिन एक मिनिट हम आपकी मदद काहे करे ? आपने तो हमे पलागखाने भेजा था ना”
“अरे गोलू जी इह बख्त जे सब बातो का नहीं है अपना हाथ दयो और ऊपर खींचो हमका , हमारा हाथ फिसल रहा है”,शर्मा जी ने कहा
“पहिले कहिये कि हमाये से अच्छा दामाद आपको पुरे कानपूर , नहीं पुरे उत्तर प्रदेश मा कही नहीं मिलेगा,,,,,,कहिये”,गोलू ने कहा लेते लेते कहा जैसे वह गुंडों के बीच ना होकर किसी पिकनिक पर आया हो। शर्मा जी ने सुना तो गुस्से से उनका चेहरा लाल हो गया लेकिन इस वक्त गोलू की बात मानने के अलावा उनके पास दुसरा कोई चारा भी नहीं था।
“जल्दी कहिये हमाये पास जियादा बख्त नाही है”,गोलू ने अपनी दोनों कोहनिया जमीन पर टिकाकर हथेलियाँ गालों से लगा ली। शर्मा अगर मुसीबत में नहीं होते तो गोलू को अच्छे से धो देते लेकिन बेचारे मजबूर थे। उन्होंने गोलू को देखा और कहा,”गोलू जी ! आप बहुत अच्छे है , बहुत प्यारे है , बहुत गुणवान है , बहुत बलवान है , अरे पिंकी की शादी आपसे करके हम तो धन्य हो गए , शाहरुख़ जैसे बाल , सलमान जैसे तेवर , अमिताभ जैसी आवाज , हिंदी फिल्म के हीरो भी आपके सामने फीके दिखते है”
गोलू ने सुना तो शर्मा जी को देखा और कहा,”हमरे दुशमन को एक बार बचा लेते लेकिन झूठे आदमी को कबो ना बचाएंगे,,,,,,जोन क्वालिटी आप हमरे अंदर बताये हो ना आधी भी नहीं है हमाये अंदर,,,,,,,,,!!”
शर्मा जी ने सुना तो अपना सर पत्थर पर मारा और कहा,”अरे आपको पिंकिया की कसम , अब तो बचा लीजिये”
गोलू ने दो चार बार आड़ा टेढ़ा मुंह बनाया , दाँत पीसे और अपनी टाट खुजाकर कहा,”डार्लिंग की कसम नहीं देनी थी ससुर थी , अरे ओह्ह के लिए तो हम खाई मा कूद जाए , इह तो इमोशनल ब्लेकमैल कर दिया आपने,,,,,,,हाथ दीजिये”
शर्मा जी ने बिना देरी किये गोलू का हाथ थामा और दूसरे हाथ से पत्थर को पकडे रखा। गोलू पूरी ताकत के साथ उन्हें ऊपर खींचने लगा।
दूसरी तरफ गुप्ता जी और लल्लन एक दूसरे से उलझे थे। लवली ने जब देखा तो गुप्ता जी को लल्लन से दूर किया और एक घुसा गुप्ता जी को दे मारा और गुप्ता जी सामने खड़े मिश्रा जी के कदमो में , गुप्ता जी ने सर उठाकर मिश्रा जी को देखा और उनके पाँव छूकर कहा,”पाय लागू मिश्रा जी”
मिश्रा जी ने सुना तो गुस्से से कहा,”अबे का पाय लागू ? जे वास्ते हमहू तुमको और गोलू को हिया लेकर नाही आ रहे थे। हमाये चरणों मा का पड़े हो गुड्डू को छुड़ाओ और उह्ह गोलू कहा है ?”
गुप्ता जी उठे और बेचारे अपने कपडे झाड़ पाते इस से पहले लल्लन के आदमियों ने उन्हें भी पकड़ लिया और मंगल फूफा के साथ पेड़ से बाँध दिया। मंगल फूफा और गुप्ता जी में पहले ही 36 का आकड़ा था उन्होंने गुंडों से कहा,”ए गुंडे भैया ! हमको अगर बांधना ही है तो कही और बांध दयो पर जे रंगबाज आदमी के साथ नाही”
“हमाये में का काँटे लगे है ?”,मंगल फूफा ने गुस्से से कहा
“काँटे तो बेटा तबही लग गए थे जब से तुमहू फुलवारी के चक्कर में पड़े हो,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“ए गुप्ता देखो फुलवारी को जे सब के बीच में नाही लाओ”,मंगल फूफा ने चिल्लाकर कहा
“आराम से अभी पेंट मा हग दोगे,,,,,,,,,और काहे ना लाहे बीच मा ? तुमको हम कहे रहे अपना बोरिया बिस्तर समेटो और अपने गाँव भाग जाओ तो फिर तुमहू हिया का कर रहे हो ?”,गुप्ता जी ने मंगल के बाल पकड़कर उसका सर हिलाकर कहा
“अरे उह्ह्ह है ना मंज्जन , हमहू तो बस इत्ता कहे थे कि तबाही का दुसरा नाम है मंगल तो जे ससुरा लबली के साथ हमका भी उठा लाया”,मंगल फूफा ने कहा
“तो अपनी बॉडी से मिसमैच होता डायलॉग बोलोगे तो धरेंगे ना तुमको , और तुमहू कहा से तबाही हो बे ? तबियत से अगर तुमको दुइ कंटाप धर दे ना तो तुम्हरा तब कही और जाएगा और आहि आहि चिल्लाने लगोगे,,,,,,,,,,,,,डाकू मंगल फूफा , निकल गयी ना सारी फू फा , और पड़ो दुसरो के मामले मा,,,,,,,,अब साले तुम्हरे साथ कोनो अमंगल हो ना तो हमसे नाही कहना वरना पेल देंगे समझे”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
गुप्ता जी की बात सुनकर बेचारा मंगल रोनी सी सूरत बनाकर उन्हें देखने लगा क्योकि जब से गुप्ता जी के घर में आया था उस बेचारे की तो गुंडई ही ख़त्म हो चुकी थी। इधर गुप्ता जी और मंगल फूफा लड़ रहे थे , उधर गुड्डू और फूफा आपस में लड़ रहे थे , इधर गोलू और शर्मा जी लड़ रहे थे और उधर मिश्रा जी सबको कुछ ना कुछ कह रहे थे। लवली ये सब देखकर इतना परेशान हो गया कि अपनी पूरी ताकत से चिल्लाया,”अबे चुप , चुप हो जाओ सब”
लवली की आवाज सुनकर सब शांत हो गए। लवली ने देखा गोलू खाई के पास पड़ा है तो उसने चुंगी से कहा,”ए चुंगी उह्ह साले को हिया लेकर आओ”
चुंगी गोलू की तरफ आया और लवली मिश्रा जी की तरफ बढ़ गया। चुंगी ने देखा गोलू खाई में लटके आदमी को बचाने की कोशिश कर रहा है तो उसने गोलू की दोनों टाँगे पकड़ी और उसे पीछे खींचने लगा। गोलू ने गर्दन घुमाकर देखा और चिल्लाया,”अबे मुंगी का कर रहा है बे छोड़ हमें ?”
गोलू के मुंह से अपना नाम गलत सुनकर तो चुंगी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया , वह और ताकत से उसे खींचने लगा बल्कि एक लड़के को और बुला और दोनों गोलू की टाँग पकड़कर खींचने लगे। हल्का फुल्का गोलू हवा में झूल गया और अब शर्मा जी को बचाने के साथ खुद को बचाने की भी कोशिश करने लगा।
यहाँ पहली बार गोलू ने अपना दिमाग लगाया और एक हाथ से शर्मा जी का हाथ पकडे रखा और दूसरे साथ से अपनी पेंट का बटन खोल दिया।
गोलू की टाँगे खींच रहे लड़के और चुंगी के हाथो में गोलू की पेंट आ गयी और दोनों पीछे जा गिरे लल्लन पर , दोनों ने लल्लन को इतनी जोर से धक्का मारा था कि लल्लन जाकर टकराया पिंजरे से और मौका देखकर गुड्डू ने अपना हाथ सलाखों से बाहर निकला और उसकी गर्दन दबोच ली।
गुड्डू में थोड़ी जान आ चुकी थी और हिम्मत भी तो उसने दूसरे हाथ से लल्लन को दो तीन घुसे भी जड़ दिए ये देखकर लवली लल्लन के आदमियों पर चिल्लाया,”अबे खड़े खड़े देख का रहे हो छुड़ाओ गुड्डू से ओह्ह का”
उधर गोलू ने खुद को बचाने के लिए दिमाग तो सही लगाया लेकिन वो ये भूल गया कि इसका नतीजा क्या होगा ? जैसे ही वह चुंगी और आदमी के हाथ से छूटा सीधा जा गिरा
खाई में लेकिन नीचे गिरने से पहले उसने शर्मा जी की बाँह पकड़ ली और उनकी कमर से लिपटकर रोते हुए कहा,”अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ससुर जी , ससुर जी छोड़ना मत वरना हमाओ कीमा बना जाएगा,,,,,,,,,,हे राम ! हे बजरंगबली हमका बचाय ल्यो,,,,,,,!!”
शर्मा जी ने देखा तो एक मुक्का गोलू के टकले पर मारा और कहा,”हमको बचाने आये थे या मरवाने , अरे आप से कुछो सही की उम्मीद कैसे कर सकते है हम ? हमायी बुद्धि पर पत्थर पड़ा था जो हम आपसे मदद मांगे , हम तो लटके थे अब आप भी आ गए”
“ए ससुर जी ! ए आपको जितना मारना है मार लो , गरिया लो , कुत्ता कमीना जो कहना है कह ल्यो बस हाथ मत छोड़ना,,,,,,,,,,अरे हमहू हवा खाकर नाही मरना चाहते”,गोलू ने अपनी टाँगो को गुप्ता जी की टाँगो पर लपेटा और उनसे चिपक गया और बेचारे शर्मा जी पत्थर को पकडे बेलेंस बनाने की कोशिश करने लगे साथ में मन ही मन गोलू को कोस भी रहे थे।
लल्लन के आदमियों ने गोलू के हाथो ताबड़तोड़ मुक्के बरसाने शुरू किये लेकिन गुड्डू ने लल्लन को नहीं छोड़ा। मिश्रा ने देखा तो वे गुड्डू की तरफ भागे लेकिन लवली उनके सामने आ गया और मिश्रा जी को रुकना पड़ा। लवली गुस्से से मिश्रा जी की आँखों में देखने लगा , मिश्रा जी को भी लवली की आँखों में गुस्से की भावना नजर आ रही थी लेकिन लवली अभी सच नहीं जानता था इसलिए उसने मिश्रा जी की कोलर पकड़ी और उन्हें नीचे जमीन पर धक्का दिया
मिश्रा जी नीचे आ गिरे गुड्डू ने देखा तो गुस्से से उसकी आँखे लाल हो उठी और वह चिल्लाया,”लवली , खबरदार जो तुमने पिताजी को हाथ भी लगाया”
गुड्डू के हाथ की पकड़ तब तक लल्लन की गर्दन पर ढीली हो चुकी थी वह गुड्डू से दूर हुआ और लवली की तरफ आते हुए नफरत भरे स्वर में कहा,”लवली , तेरा दुश्मन तेरे सामने है ले ले इस से बदला और कर दे अपने बाप की इच्छा पूरी,,,,,,,,,,,!!”
नीचे गिरे मिश्रा जी ने एक नजर लवली को देखा और फिर गुड्डू की तरफ गुड्डू के चेहरे पर दर्द था और वह बेबसी से मिश्रा जी को देख रहा था।
Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93
Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93Manmarjiyan Season 3 – 93
- Continue with Manmarjiyan Season 3 – 94
- Visit https://sanjanakirodiwal.com
- Follow Me On http://instagram.com/sanjanakirodiwal/
संजना किरोड़ीवाल

