Manmarjiyan – 1

Manmarjiyan – 1 

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

कानपूर शहर , उत्तर प्रदेश
सुबह सुबह फ़ोन की घंटी से गोलू की नींद में खलल पड़ा उसने अधखुली आँखों से स्क्रीन को देखा और उठाकर कान से लगाकर कहा,”कौन है बे ? साला अब तो हमको आराम से सोने दो,,,,,,,,,,,!!”
“हम बोल रहे है तुम्हाये बाप , घर पहुंचो जल्दी,,,,,,,,,!!”,गुड्डू की आवाज गोलू के कानो में पड़ी
गुड्डू की आवाज सुनकर गोलू की नींद खुल गयी वह उठकर बैठ गया और खुद में ही बडबडाया,”जे सुबह सुबह अब गुड्डू भैया को हमसे का काम हो गवा ?

साला सादी हो चुकी है हमारी अब तो चैन से रहने दे हमे लेकिन नाही चींटी ने काटा नहीं कि फोन मिला देंगे,,,,,,,,,आज हमहू फैसला करके रही है कि गुड्डू भैया बहुते हुआ मान सम्मान अब से 10 बजे से पहिले हमका फोन नाही करेंगे ,, हम भी बीवी बच्चो वाले है , हमरे ऊपर भी कोनो जिम्मेदारी है।”
गोलू खुद में बड़बड़ा ही रहा था कि तभी उधर से गज्जू गुप्ता पूजा की धुप और हाथ में घंटी लेकर गुजरे। उन्होंने जब गोलू को अकेले में बड़बड़ाते और आड़े टेढ़े मुंह बनाते हुए देखा तो दरवाजे पर रुक गए और कहा,”का नौटंकी में हिस्सा ले लिए हो का गोलुआ ?”


अपने पिताजी की आवाज से गोलू की तंद्रा टूटी वह उठकर उनके पास आया और चिढ़ते हुए कहा,”देखो पिताजी ऐसा है इह घर मा जो हम आपके साथ रह रहे है उह किसी नौटंकी घर से कम नाही है,,,,,,,,,!!”
अब देखो बाप तो बाप होता है , बेटा बकैती करे और बाप चुपचाप सुनता रहे ये कानपूर शहर में तो मुमकिन नहीं था। गुप्ता जी  हाथ में पकड़ी घंटी गोलू को थमाई और खींचकर एक थप्पड़ गोलू के गाल पर जड़ दिया।

बेचारा गोलू सुबह सुबह पूरा हिल गया और गाल से हाथ लगाकर कहा,”जे का था ?”
“जे घर को तुमहू नौटंकी घर समझ लिए हो ना तो जे है ट्रेलर , कहो तो पूरा फिल्म दिखाए ?”,गुप्ता जी ने कहा 

गोलू ने ना में गर्दन हिलायी और वहा से निकलने में ही अपनी भलाई समझी , वह जल्दी जल्दी में गुड्डू के घर जाने के लिए निकल गया । 

आनंद मिश्रा जी के घर पर सुबह सुबह मातम का माहौल था। घर के अंदर और बाहर लोगो की भीड़ जमा थी। घर के आँगन में सफ़ेद चद्दर से ढका दादी का  पार्थिव शरीर रखा था। पास ही में मिश्राइन , शगुन और वेदी बैठी रो रही थी। उनके साथ ही मोहल्ले की कुछ औरते शामिल थी। मिश्रा जी बड़े लोगो के साथ घर के आँगन में बैठे थे। माँ के चले जाने का दुःख उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।

गुड्डू को शगुन के साथ फिर से जिंदगी शुरू किये अभी 1 महीना ही गुजरा था कि दादी चल बसी। वे काफी बुजुर्ग थी , ज्यादा चलने फिरने लायक नहीं थी और फिर बीमारियों ने उन्हें घेर लिया था।


गोलू गुड्डू के घर आया और दनदनाते हुए सीधा अंदर चला आया। उसने ध्यान भी नहीं दिया कि घर में इतनी भीड़ क्यों है ? उसे नजर आया पार्थिव शरीर के उस तरफ हाथ हाथ बांधे खड़ा गुड्डू। गोलू सीधा गुड्डू की तरफ बढ़ गया। सफ़ेद चददर से ढकी दादी उसके बीच में आयी तो गोलू उनके ऊपर से उछला और गुड्डू के सामने आकर कहा,”का गुड्डू भैया ? इति घई में काहे बुलाया हमे ? पता है चाय तक ना पिए हम,,,,,,,,,,तुमहू समझो यार हमरी नयी नयी सादी हुई है , घर मा मेहरारू है ऐसे सबेरे सबेरे कोई किसी को बुलाता है का ?”


वहा मौजूद लोगो ने गोलू की बात सुनी तो हैरानी से उसे देखने लगे। मिश्राइन का तो रोना ही बंद हो गया। गुड्डू ने सुना तो अपना सर पकड़ लिया और धीरे से दाँत पीसते हुए कहा,”गोलू अकल नहीं है न तुम में , किह बख्त कौनसी बात कहनी होती है समझ नहीं है तुमको,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे हमने का गलत कहा,,,,,,,,,,,वैसे कुछो हुआ है का तुम्हरे चेहरे पर 12 काहे बजे है ?”,गोलू ने असमझ की स्तिथि में कहा उसे अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि घर में क्या हो रहा है ?


गुड्डू ने गोलू को घुमाया और नीचे जमीन पर रखे दादी के पार्थिव शरीर की तरफ इशारा करके कहा,”बूढ़ा चल बसी गोलू , अब उह इह दुनिया मा नाही रही”
“का गुड्डू भैया का सुबह सुबह,,,,,,,,,,,,,,,,हैं का का का कहे तुम ? ददिया चल बसी,,,,,,,,,,,,,अरे जे कैसे हो गवा ? ए ददिया ऐसे कैसे हमका छोड़कर चली गयी रे , अरे रे अभी तुम्हरी उम्र ही का थी , अभी तो तुमको गुड्डू भैया और हमरे बच्चो को अपनी गोद में खिलाना था रे,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू से कहते कहते गोलू एकदम से रोने लगा और मिश्राइन के बगल में आ बैठा।

मिश्राइन ने गोलू को शांत रहने को कहा तो गोलू और जोर से रोने लगा , वह औरतो से भी बुरा रो रहा था और उसे देखकर अब गुड्डू को हंसी आने लगी। अपनी हंसी को रोकने के लिए गुड्डू ने अपना हाथ मुंह से लगा लिया लेकिन गोलू तो ठहरा गोलू वह दहाड़े मारकर रोया और रोते हुए कहने लगा,”अरे का जरूरत थी इतनी जल्दी हम सबको छोड़कर जाने की , अब मिश्रा जी तुम्हरे बगैर कैसे जियेंगे ?

का रे ददिया इत्ता का ऐटिटूड में लेटी हो , इक ठो बार उठकर हमरी बात का कोनो जवाब ही देइ दयो,,,,,,,ए चाची का हो गवा रे हमरी ददिया को , हंसती खेलती ददिया दुनिया से चली गयी रे हमका अकेला कर गयी,,,,,,!”


गोलू की नौटंकी देखकर सामने बैठे मिश्रा जी ने गुड्डू की तरफ देखा और गोलू को बाहर ले जाने का इशारा किया।    

गुड्डू गोलू के पास आया और उसे समझा बुझाकर घर से बाहर ले आया। बाहर आने के बाद भी गोलु बेतहाशा रोये जा रहा था। गुड्डू ने उसे चुप होने को कहा लेकिन गोलू तो जैसे कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था। गुड्डू को समझ नहीं आया गोलू को कैसे चुप करवाए इसलिए जब गोलू बातो से नहीं माना तो उसने खींचकर एक थप्पड़ गोलू को मारा और थोड़ा तेज आवाज में कहा,”अबे चुप ! साले भांड हो का ? तुम्हरे रोने से का बूढ़ा वापस आ जाएगी,,,,,,,,,,,,हम साला तुमको कोनो काम से बुलाये थे और तुमहू हिया आकर मातम मनाय रहे,,,,,,,,,,,!!”


गुड्डू के हाथ का थप्पड़ खाकर गोलू चुप हो गया और बौखलाया हुआ सा गुड्डू को देखने लगा तो गुड्डू ने थोड़ा शांत स्वर में कहा,”बूढ़ा के जाने का दुःख हम सबको है , पिताजी को देखे नहीं अपनी अम्मा के जाने से कैसे शांत हो गए है ? वरना पुराने मिश्रा जी होते ना तो तुम्हरी इस हरकत पर अभी बूढ़ा के बगल में लेटे होते तुम समझे,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे सॉरी भैया ! वो हम बस थोड़ा इमोशनल हो गए। का कि हमे अचानक से अपनी दादी की याद आ गयी,,,,,,,,,,,,पर जे सब हुआ कैसे ? कल शाम तक तो ददिया बिल्कुल थी फिर जे सब अचानक,,,,,,,,!!”,गोलू ने अपने आँसू पोछते हुए कहा


“कल देर रात तक हम सब साथ बैठकर बतिया रहे थें। हम , शगुन , पिताजी , अम्मा , वेदी और बूढ़ा , सब साथ बैठ के खूब हंसी मजाक कर रहे थे। कल तो पिताजी भी खूब हँसे थे सबके साथ और फिर सब सोने चले गए। सुबह अम्मा चाय लेकर गयी उनके कमरे में तो देखा बूढ़ा नहीं रही,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने नम आँखों के साथ कहा
“उदास ना होईये गुड्डू भैया ! अब ददिया की जिंदगी इतनी ही लिखी थी इह घर मा ,  भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। आगे का का पिरोगराम है अब ?”,गोलू ने पूछा


“तुम का हमरी बारात में आये हो जो पिरोगराम के बारे में पूछ रहे हो ?”,गुड्डू ने उखड़े स्वर में कहा
“अरे हम ददिया के बारे में पूछ रहे है , उठावन कब है ? बात बात पर इमोशनल हो जाते हो यार गुड्डू भैया आप भी,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा


“जौनपुर वाली भुआ आ जाये ओह्ह बाद ही होगा,,,,,,,,,एक ठो काम करो गोलू जे पकड़ो हमरी बाइक की चाबी और बस स्टेण्ड से भुआजी को लेकर आ जाओ , तब तक हम अंदर सब देखते है”,गुड्डू ने जेब से चाबी निकालकर गोलू की तरफ बढाकर कहा

जौनपुर वाली भुआजी नाम सुनकर ही गोलू फ्लेश बैक में चला गया। जब गुड्डू की शादी में गोलू भुआ जी को लेने गया था और उन्होंने रास्तेभर गोलू का जीना हराम कर दिया था। गोलू का मन हुआ मना कर दे लेकिन हालात ऐसे थे कि गोलू को जाना ही पड़ा। उसने गुड्डू की बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया।

गोलू को भेजकर गुड्डू अंदर आया तो देखा अपनी अम्मा के चले जाने के गम में मिश्रा जी रो रहे थे और टूट चुके थे। गुड्डू उनके पास जाने में थोड़ा झिझक रहा था लेकिन हिम्मत करके उनके पास आया और धीरे से कहा,”पिताजी”
“अम्मा हमे छोड़कर चली गयी रे गुडडुआ , हमरी अम्मा हमे छोड़कर चली गयी,,,,,,,,,,,हमहू अनाथ हो गए”,मिश्रा ने रोते हुए कहा
मिश्रा जी को रोते देखकर गुड्डू का दिल भर आया और उसकी आँखों में भी आँसू भर आये। बचपन से वह दादी के लिए अपने पिताजी का प्रेम देखते आया था।


मिश्रा जी घर में भले सबकी बात टाल दे लेकिन अपनी अम्मा की बात कभी नहीं टालते थे , आज उनका साया उनके सर से उठ गया तो वे टूट गए। गुड्डू ने ना वहा बैठे लोगो की परवाह की न अपने बाप-बेटे के बीच बनी दिवार की उसने आगे बढ़कर मिश्रा जी को गले लगाया और उनकी पीठ सहलाते हुए कहा,”ऐसा काहे कहते है पिताजी ? हम सब है ना आपके साथ,,,,,,,,,अम्मा के जाने का दुःख हम सबको है , पर नियति को कौन टाल सकता है ? शांत हो जाईये पिताजी , आईये हमरे साथ आईये”

गुड्डू मिश्रा जी को लेकर बाहर आँगन में आ गया। आते जाते लोग उन्हें सांत्वना दे रहे थे और मिश्रा जी उदास चेहरा लिए नम आँखों से हाथ जोड़कर बस सर झुका देते। गुड्डू उनके लिए पानी का गिलास ले आया और उनकी तरफ बढाकर कहा,”पानी पी लो पिताजी”


मिश्रा जी ने दो घूंठ पानी पीया और गिलास वापस गुड्डू की तरफ बढ़ा दिया। गुड्डू वही उनके साथ रुक गया। वह उन्हें लेकर घर की सीढ़ियों पर आ बैठा। मिश्रा जी खोये हुए से अपनी अम्मा के बारे में सोचने लगे,,,,,,,,,,,,,,,बीते वक्त की यादे बहुत खूबसूरत थी।

गुड्डू की भुआजी को लेने गोलू बस स्टेण्ड पहुंचा। वह उनसे पहले भी मिल चुका था इसलिए दूर से ही पहचान लिया और उनके पास आकर कहा,”पाय लागू भुआ जी”
“अरे आग लगे तुम्हरे पाय लागू को जे बताओ हमरी अम्मा कहा है ? का हुआ है उनको ? गुड्डू हमका इति जल्दी में काहे बुलाया है ?”,भुआजी ने गोलू को पीछे धक्का देकर कहा , बेचारा गोलू गिरते गिरते बचा और खुद को सम्हालकर कहा,”उह सब हम आपको घर चलकर बताएँगे,,,,,,,,,लाओ अपना बैग हमका दयो और बैठो हमरे पीछे,,,,,!!”


गोलू बाइक पर आ बैठा , बैग को अपने सामने बाइक पर रखा और बाइक स्टार्ट की। भुआजी उसके पीछे आ बैठी , गोलू बाइक स्टार्ट किये खड़ा रहा आगे नहीं बढ़ा तो भुआजी ने एक जोरदार मुक्का गोलू की पीठ पर मारकर कहा,”अब चलते काहे नहीं ? का मुहूर्त निकलवाए तुम्हरे लिए ?”
गोलू की रीढ़ की हड्डी एकदम से सीधी हो गयी और उसने बाइक आगे बढ़ा दी।


“ए गोलुआ ! हमको बताते काहे नहीं कि का हुआ है ? अरे कोनो बुरी खबर तो ना है ? कही गुडडुआ की मेहरारू फिर से तो घर छोड़कर नाही चली गयी,,,,,!!”,पीछे बैठी भुआजी ने ऊँचे स्वर में कहा


“गुड्डू भैया की मेहरारू का तो पता नहीं , तुम्हरे साथ थोड़ी देर और रहे ना तो हमहू जे दुनिया जरूर छोड़ देंगे”,गोलू मन ही मन बड़बड़ाया  
गोलू को खामोश देखकर भुआजी ने एक और मुक्का उसकी पीठ पर जड़ा और कहा,”अरे बोलते काहे नहीं , मुंह मा दही जमा लिए हो का ?”
“मिश्रा जी की अम्मा चल बसी है इहलिये बुलाये है आपको”,गोलू ने सीधा सीधा सच बोल दिया बिना ये सोचे कि इसके बाद क्या होना है ?


भुआजी ने जैसे ही सुना कि उनकी अम्मा अब इस दुनिया में नहीं रही वह बाइक पर बैठे-बैठे ही दहाड़े मारकर रोने लगी। गोलू ने बाइक चलाते हुए उन्हें चुप करवाने की कोशिश तो वे और जोर से रोने लगी। गोलू की पीठ को उन्होंने समझ लिया अम्मा की डेड बॉडी और उस पर हाथ पटक पटक कर रोने लगी। गोलू का बेलेंस बिगड़ा और बाइक सामने मिटटी के ढेर में जा गिरी लेकिन मजाल है भुआ जी का रोना रुक जाए।

गोलू मिटटी से पूरा लथपथ हो चूका था। वह उठा और खुद को झाड़ा , उसने बाइक को उठाया और भुआजी के पास आकर जोर से कहा,”अरे चुप ! एकदम चुप , सारा रोना का यही कर लेंगी , घर जाकर भी रोना है,,,,,,,,,!!”


“एक तो हमारी अम्मा मर गयी है और एक जे है जो हमको रोने भी नहीं देते,,,,,,,,,,,!!”,भुआजी ने रोते हुए कहा
“अरे हम हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करते है , जितना रोना हो घर जाकर रो लेना,,,,,,,,,,अभी चले ?”,गोलू ने लगभग रोआँसा होकर कहा
”पहले ही कह देते तो फालतू में हमको इतना रोना ना पड़ता,,,,,,,,,चलो”,भुआजी ने कहा और गोलू के पीछे आ बैठी  

गोलू ने महादेव का नाम लिया और बाइक आगे बढ़ा दी। कुछ देर बाद गोलू भुआजी को लेकर घर पहुंचा जैसे ही बाइक घर के सामने रुकी भुआजी बाइक से कूदी और रोते हुए अंदर चली गयी। धूल से सना गोलू बाइक से नीचे उतरा तभी गुप्ता जी सपरिवार वहा पहुंचे। पिंकी और गोलु की अम्मा तो रोते हुए अंदर चली गयी लेकिन गुप्ता जी गोलू के पास रुके और कहा,”जे का हाल बना रखो है , सुबह सुबह पीकर आये हो का ?”
“हम का आपको पियक्कड़ लगते है ?”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा


“सूअर जैसे कीचड़ में लौटने के बाद सुख जाता है फ़िलहाल तुमहू वैसे लग रहे हो,,,,,,,,,,,,जे मिश्रा का लौंडा भी ना जाने का सोचकर तुमको अपना दोस्त रखे है”,कहते हुए गुप्ता जी अंदर चले गए। गोलू ने खुद को देखा तो पाया कि उसकी हालत वाकई में बुरी हो चुकी है

“ले आये भुआजी को ? हमहू बस बूढ़ा की अर्थी का बंदोबस्त कर रहे है”,बाहर से आते हुए गुड्डू ने गोलू से पूछा
“तो फिर एक ठो काम करो भैया ददिया के साथ साथ एक ठो अर्थी और सजाओ उह भी हमरी,,,,,,का है कि तुम्हरी भुआ रिश्तेदार नहीं साक्षात् हमरी मौत बनकर हमरे साथ आयी है”,गोलू ने कहा
गोलू की अजीबोगरीब बात सुनकर गुड्डू आगे बढ़ गया और बड़बड़या,”लगता है बूढ़ा के चले जाने का गोलू के दिमाग पर कुछो जियादा ही असर पड़ा है”

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संजना किरोड़ीवाल 

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सुबह सुबह फ़ोन की घंटी से गोलू की नींद में खलल पड़ा उसने अधखुली आँखों से स्क्रीन को देखा और उठाकर कान से लगाकर कहा,”कौन है बे ? साला अब तो हमको आराम से सोने दो,,,,,,,,,,,!!”
“हम बोल रहे है तुम्हाये बाप , घर पहुंचो जल्दी,,,,,,,,,!!”,गुड्डू की आवाज गोलू के कानो में पड़ी
गुड्डू की आवाज सुनकर गोलू की नींद खुल गयी वह उठकर बैठ गया और खुद में ही बडबडाया,”जे सुबह सुबह अब गुड्डू भैया को हमसे का काम हो गवा ?

सुबह सुबह फ़ोन की घंटी से गोलू की नींद में खलल पड़ा उसने अधखुली आँखों से स्क्रीन को देखा और उठाकर कान से लगाकर कहा,”कौन है बे ? साला अब तो हमको आराम से सोने दो,,,,,,,,,,,!!”
“हम बोल रहे है तुम्हाये बाप , घर पहुंचो जल्दी,,,,,,,,,!!”,गुड्डू की आवाज गोलू के कानो में पड़ी
गुड्डू की आवाज सुनकर गोलू की नींद खुल गयी वह उठकर बैठ गया और खुद में ही बडबडाया,”जे सुबह सुबह अब गुड्डू भैया को हमसे का काम हो गवा ?

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